कोरोना महाप्रकोप में गली, मोहल्ला को साफ रखने वाले सफाईकर्मियों श्री चन्द्रप्रभ दिगंबरर जैन श्रावक संघ ने सभी सफाई कर्मचारियों का स्वागत कर सम्मान किया। इस दौरान श्रावक संघ के संयोजक मांगीलाल जैन, अजय बाकीवाला, बसन्त अग्रवाल, कमल पापरीवाल, अनुराग जैन, सुनील जैन, कपिल जैन, हार्दिक शाह व बोहरा समाज के जोयब आरिफ ने सोशल डिस्टेंस का पालन कर सम्मान किया। वार्ड में कार्यरत दरोगा अमर चौहान के साफ सफाई कर्मी मौजूद थे। सम्मान के पूर्व आचार्य श्री विमद सागर जी महाराज ने सभी सफाईकर्मियों को आशीर्वाद दिया व सभी का मनोबल बढ़ाते हुये कहा कि इस कोरोना के महा प्रकोप में निडर होकर शहर को साफ रखने हेतु हर सफाईकर्मी अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं। व आगे भी स्वच्छता का कार्य करते रहें जिससे वार्ड में स्वच्छता बनी रहे। जिससे की वार्ड का हर नागरिक स्वस्थ रहें।
रोजी-रोटी की तलाश में गुजरात जाकर लॉकडाउन में फंसे लगभग 3900 मजदूरों को लेकर शनिवार को मंडल में तीन श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची। इसमें एक रतलाम, जबकि दो ट्रेन मेघनगर आई। राजकोट से रतलाम आई ट्रेन में 1500, जबकि जूनागढ़ और पोरबंदर से मेघनगर आई ट्रेन से 2400 मजदूरों की घर वापसी हुई। डीआरएम विनीत गुप्ता के अनुसार रविवार को तीन ट्रेन और आएगी। पहली सुबह 5.45 बजे मोरबी से रतलाम तथा दूसरी सुबह जूनागढ़ से और तीसरी शाम को पोरबंदर से मेघनगर पहुंचेगी। इन दोनों का टाइम आना बाकी है।
10 जिलों की ओर रवाना हुई 37 बसें
शनिवार को राजकोट से दूसरी श्रमिक स्पेशल सुबह 7 बजे प्लेटफाॅर्म चार पर पहुंची। 201 मजदूर ज्यादा आए। प्रशासन को 10 जिलों के 1299 के आने की सूचना थी ट्रेन से उतरे 1500 मजदूर। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने स्क्रीनिंग, मेडिकल चेकअप किया तो नगर निगम ने भोजन के पैकेट, पानी, मास्क सैनिटाइजर और छाछ दी। पूरी प्रक्रिया में सभी को पौन तीन घंटे में ही स्टेशन से बाहर लाकर 37 बसों से रवाना कर दिया गया।
फूल बरसाकर स्वागत किया
शनिवार को ट्रेन से उतरने वाले मजदूरों को अधिकारियों ने फूल बरसाकर स्वागत किया। वहीं कलेक्टर रुचिका चौहान और एसपी गौरव तिवारी, एसडीएम लक्ष्मी गामड़, तहसीलदार गोपाल सोनी, कमिश्नर एसके सिंह, स्टेशन अधीक्षक राजेश श्रीवास्तव, सीएमआई संजय वशिष्ठ आदि अधिकारी पूरे स्टेशन एरिया में भ्रमण करते हुए इंतजाम में कसावट लाते रहे। वापसी में ट्रेन का रैक खाली रवाना हुआ।
इन जिलों के मजदूर आए : भिंड, मुरैना, दतिया, रीवा, पन्ना, सतना, उज्जैन, आगर, आलीराजपुर, झाबुआ व अन्य।
मोचीपुरा में पुलिस और वालेंटियर पर हमला करने में शामिल तीन और आरोपियों को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया। एक और आरोपी के खिलाफ पुलिस ने रासुका के तहत कार्यवाही की है। प्रकरण में अब तक 11 आरोपी गिरफ्तार हुए हैं जिनमें से दो के खिलाफ रासुका के तहत कार्यवाही की गई है।
मोचीपुरा कंटेनमेंट एरिया में गुरुवार 7 मई को लोगों की भीड़ जमा होने की जानकारी मिलने पर हाकिमवाड़ा गेट पर तैनात एसआई जेआर जामोद और वालेंटियर सोहेल लोगों को समझाने गए थे। आरोपियों की भीड़ ने हमला कर दिया और एसआई जामोद के साथ झूमाझटकी की और वालंटियर सोहेल के साथ मारपीट की। स्टेशन रोड थाने में आरोपी अत्तू टेलर, इच्छू, दानिश, अड्डू, साजिद, गोलू तथा 15 अन्य आरोपियों के खिलाफ बलवा, मारपीट तथा अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया। शुक्रवार को पुलिस ने सलमान उर्फ गोलू पिता मुश्ताक खान, अद्दू उर्फ सोहेल पिता साबिर, अफजल पिता रशीद कुरैशी, शाहरुख पिता साबिर, जुबेर पिता जाकीर खान, शमशाद पिता समीर खान, जफर पिता जहीर मंसूरी और एक नाबालिग को गिरफ्तार किया। आरोपी सोहेल उर्फ अद्दू पिता साबिर निवासी चिंगीपुरा के खिलाफ रासुका के तहत कार्यवाही की।
एसपी गौरव तिवारी ने बताया शनिवार को आरोपी साजिद पिता वाजिद अली, इच्छू उर्फ इरशाद पिता लियाकल अली और अत्तू उर्फ इख्तियार पिता मकसूद अली निवासी चिंगीपुरा को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में से अत्तू उर्फ इख्तियार के खिलाफ रासुका के तहत कार्यवाही की गई है। नामजद सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। शेष आरोपियों की पहचान की जा रही है।
शराब की दुकान शुरू होने के साथ ही विवाद भी शुरू होने लगे हैं। सज्जन मिल रोड पर शराब की दुकान में लाइन लगाने की बात पर तीन आरोपियों ने सिक्योरिटी गार्ड और सेल्समैन के साथ मारपीट की। मारपीट करने वालों में एक पार्षद चुनाव का पराजित कांग्रेस उम्मीदवार और दूसरा पुलिसकर्मी का बेटा है। सेल्समैन ने औद्योगिक क्षेत्र थाने में आरोपियों के खिलाफ शिकायत की है।
सेल्समैन अंशूकुमार ठाकुर ने बताया दोपहर करीब 4:00 बजे तीन लड़के दुकान पर शराब खरीदने आए। सिक्योरिटी गार्ड सचिन जोकचंद ने उन्हें लाइन से आने को कहा तो शक्तिनगर निवासी किशोरसिंह उर्फ कन्नू चौहान, काटजूनगर निवासी भूपेंद्रसिंह उर्फ बबलू दरबार तथा साथी ने गार्ड की लकड़ी छीनकर उससे मारपीट की।
विजय मालवीय और सेल्समैन अंशू बीचबचाव करने आए तो आरोपियों ने उनके साथ मारपीट की। आरोपी किशोरसिंह उर्फ कन्नू नगर निगम चुनाव में वार्ड नंबर 9 से कांग्रेस उम्मीदवार था
जबकि दूसरा आरोपी भूपेंद्र सिंह राजगढ़ में पदस्थ प्रधान आरक्षक राम सिंह का बेटा है।
इंदौर, उज्जैन, भोपाल जैसे हॉटस्पॉट शहरों से 725 लोग जावरा आ चुके हैं। इनके साथ ही महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, यूपी समेत अन्य जगह से करीब 2307 लोग शनिवार तक घर वापसी कर चुके हैं। इनमें से 40 फीसदी हॉटस्पॉट जगहों से आए और अभी 14 दिन पूरे नहीं हुए। इनसे संक्रमण का खतरा है। प्रशासन तो चौकस हो गया और स्क्रीनिंग के साथ ही नियमित फॉलोअप सिस्टम अपग्रेड कर दिया लेकिन इससे भी कारगर स्व-अनुशासन है। प्रशासन ने बाहर से आए लोगों से अपील की है कि सरकार ने आपको घर आने में मदद की। अब आपकी जिम्मेदारी है घर में रहें और खुद के साथ ही दूसरों को भी सुरक्षित रखने में सहयोग करें।
बीएमओ डॉ. दीपक पालडि़या ने बताया वैसे तो सभी बाहर से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग के लिए हमारी टीम दिन-रात मुस्तैद है। फिर भी हाॅटस्पॉट शहरों से ई-पास की सुविधा मिलने के बाद वहां के लोगों की आवाजाही बढ़ गई है इसलिए संक्रमण का खतरा भी बढ़ा है। फिलहाल जावरा में कोई संक्रमित नहीं है और सभी स्वस्थ है लेकिन खतरे से इनकार नहीं कर सकते। इसलिए अब हमारा फोकस हॉटस्पॉट शहरों से आए लोगों के नियमित फॉलोअप पर है। इन्हें आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करवाया जा रहा है। फील्ड वर्कर की मदद से गांव-गांव और वार्डवार ऐसी समितियां बनाने पर
विचार कर रहे हैं जो एक्टिव होकर इनकी मॉनिटरिंग में मदद करें। बाहर से आने वाले स्व-अनुशासन का पालन कर खुद को क्वारंटाइन रखेंगे। परिजन से संपर्क में नहीं आएंगे और हैंड सैनिटाइजर, हैंडवॉश, मास्क का उपयोग करेंगे तब कोई दिक्कत नहीं है।
इंदौर से 392, उज्जैन से 267 और भोपाल से 66 लोग आए
कंट्रोल रूम प्रभारी एवं नायब तहसीलदार आनंद जायसवाल ने बताया अब तक इंदौर से 392, उज्जैन से 267, भोपाल से 66 लोग आए हैं। इनके अलावा महाराष्ट्र से 204, गुजरात से 477, राजस्थान से 824, दिल्ली से 19, यूपी से 58 लोग आ चुके हैं। इनमें मजदूर व अन्य लोग शामिल हैं। सभी सर्विलांस पर हैं।
धड़ल्ले से आ रहे मजदूर, वहीं 7 साल की बेटी माता-पिता से दूर
एक तरफ मजदूरों और दूसरे राज्यों में फंसे अन्य प्रभावी लोगों का धड़ल्ले से आना जारी है। वहीं कुछ ऐसे लोग हैं जो जिनके पास नहीं बन रहे। नृसिंहपुरा निवासी कुलदीप बारोड़ सप्ताहभर से 7 साल की बेटी शावी को इंदौर से लाने के लिए एसडीएम कार्यालय के चक्कर काट रहे लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। कुलदीप ने बताया 19 मार्च को बेटी मौसी के साथ इंदौर कालानी नगर गई। इसके बाद लॉकडाउन हो गया तो जा नहीं सके। बेटी 7 साल की है और वो वहां रो रही है। उसे लाने के लिए हम सारी शर्तें मानने को तैयार है फिर भी अनुमति नहीं मिल रही। विवेकानंद कॉलोनी के उत्तम जैलवाल ने बताया मैं, दो बच्चे व पत्नी 20 मार्च को इंदौर आए थे। तब से यहीं फंसे हैं। घर बुजुर्ग माता-पिता अकेले हैं। देखरेख के लिए जाना जरूरी है, फिर भी अनुमति नहीं मिल रही।
ई-पास में हमारा हस्तक्षेप नहीं, मदद को हेल्पडेस्क बनाई
रेड जोन के लिए ई-पास ही एकमात्र विकल्प है। इसमें हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं। यदि किसी को ई-पास आवेदन करने में दिक्कत आ रही या फॉर्म भरना नहीं आता तो मदद के लिए एसडीएम ऑफिस में हेल्पडेस्क है। वहां केवल फॉर्म भरने में मदद होगी। पास जारी करना या नहीं करना जिला स्तर से तय होगा। जहां तक बाहर से आ रहे मजदूर व अन्य लोगों का सवाल है तो सभी की स्क्रीनिंग कर रहे और नियमित फॉलोअप लिया जा रहा है।
राहुल धोटे, एसडीएम जावरा
बस स्टैंड परिसर स्थित सुलभ कॉम्प्लेक्स को खुलवाने की बात पर नपाकर्मी करण कल्याणे के साथ विवाद व झूमाझटकी करने के मामले में गिरफ्तार मीडियाकर्मी और उसके साथी को पुलिस ने शनिवार को कोर्ट में पेश किया। जहां से दोनों को सैलाना जेल भेज दिया गया। सिटी थाना प्रभारी प्रमोद साहू ने बताया नपाकर्मी करण कल्याणे की रिपोर्ट पर न्यूज पोर्टल प्रतिनिधि सुभाष भंवर और उसके साथी गणेशन बैरागी के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने, मारपीट करने और एसटी-एससी एक्ट में केस दर्ज किया था। इन्हें शनिवार को कोर्ट में पेश किया, जहां से 15 दिन की न्यायिक हिरासत में दोनों आरोपियों को सैलाना जेल भेज दिया है।
ताल थाने के आनाखेड़ी में रेत माफिया ने ड्यूटी से लौट रहे चौकीदार व होमगार्ड के साथ इस बात के लिए मारपीट की कि तुम रेत क्यों पकड़वाते हो। वहीं जावरा प्रशासन ने रिंगनोद पुलिस की मदद से ग्राम भड़का के पास शनिवार देर शाम 100 ट्रॉली रेत जब्त की। पुलिस एवं राजस्व अमले ने संयुक्त पंचनामा बनाकर कार्रवाई की रिपोर्ट एसडीएम को सौंपी है।
ताल थाना प्रभारी अमित सारस्वत ने बताया ग्राम असावता में चेकपोस्ट है। होमगार्ड सैनिक विनोद देवड़ा एवं चौकीदार देवीसिंह राजपूत की वहां ड्यूटी लगा रखी है। शुक्रवार शाम ये वहां से लौट रहे थे तो ग्राम आनाखेड़ी में रेत का कारोबार करने वाले 6 लोगों ने इन्हें घेर लिया और विवाद किया। झूमाझटकी व गाली-गलौज की। इनकी रिपोर्ट पर आरोपी गोकुल पिता लक्ष्मणसिंह, नाहरसिंह पिता रतनसिंह निवासी ग्राम आनाखेड़ी एवं रंगलाल निवासी शक्करखेड़ीसमेत तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ मारपीट का केस दर्ज किया है। आरोपियों की तलाश की जा रही है।
गोशाला व निर्माणाधीन ब्रिज के पास लगा था रेत का ढेर
ताल थाना क्षेत्र के ग्राम आनाखेड़ी रिंगनोद थाने की असावती चौकी के ठीक नजदीक है। ऐसे में यहां भी रेत माफिया सक्रिय तो नहीं यह जानने के लिए शनिवार दोपहर जावरा एसडीओपी रवींद्र बिलवाल, रिंगनोद थाना प्रभारी निमेष देशमुख असावती चौकी पहुंचे। यहां चौकी प्रभारी रघु कोकोड़े व एएसआई कैलाश बोराना से जानकारी ली और वापसी में लौटते वक्त ग्राम भड़का में निर्माणाधीन ब्रिज व गोशाला के पास जगह-जगह ढेर लगे हुए देखे। इस पर नायब तहसीलदार संतोष रत्नावत को सूचना दी और पटवारी समेत टीम बुलाई। फिर इन्होंने रात 9 बजे रेत के ही ठेकेदार चंगेज खां से कहकर यह ज्यादातर बड़े ढेर में से रेत रातभर में उठवाई और इसे रिंगनोद थाने पहुंचाया। रिंगनोद थाना प्रभारी देशमुख ने बताया अब आगे की कार्रवाई एसडीएम कार्यालय से होगी। मौका पंचनामा वहां देंगे और वहीं से जुर्माना या रेत नीलामी की कार्रवाई की जाएगी।
इंदाैर के मालवीय नगर में क्वारेंटाइन किए गए तीन युवक भागकर पिपरिया आगए। एक की तबीयत खराब हुई ताे वह प्रशासन की टीम के पास पहुंचा। जबकि दो साथी उसे छोड़कर बाइक से आगे निकल गए। वे पिपरिया में या आसपास हाे सकते हैं जिनकी तलाश पुलिस कर रही है। एक युवक फिलहाल शासकीय अस्पताल पिपरिया के आइसोलेशन वार्ड में है। तीनों युवक कोरोना संदिग्ध है जिनका इंदौर में सैंपल लेना बताया लेकिन रिपोर्ट आना शेष है। वे मौका पाकर एक बाइक से भागे थे।
शनिवार दोपहर पिपरिया मंगलवारा चौराहे पर 1 युवक ने लोगों से पूछा- आइसोलेशन सेंटर कहां है। उसने बताया- वह इंदौर से आया है और तबीयत खराब होने के कारण अपने घर नहीं जाना चाहता। वह रायसेन जिले की बरेली तहसील के मांगरोल का रहने वाला है। पहले इलाज कराना चाहता है। युवाओं ने अधिकारियों को जानकारी दी गई। एसडीएम-एसडीओपी आदि उसे अस्पताल ले गए।
पूछताछ में कहा- मैं कोरोना संदिग्ध हूं
स्थानीय युवक कपिल शर्मा ने बताया युवक भूखा था, पहले उसने खाना खाया। अधिकारियों द्वारा की गई पूछताछ में उसने बताया कि वह संदिग्ध है। कोरोना पाॅजीटिव लोगों के साथ रहने के कारण इंदौर में उसकी दो बार जांच की गई। सात मई को लिए गए टेस्ट की रिपोर्ट नहीं आई थी।
जिनसे लिफ्ट ली, वे भी कोरोना संदिग्ध
युवक ने बताया वह पैदल ही घर आने के निकला था, लेकिन रास्ते में उसे बाइक पर दो लोग आते दिखे जिनसे लिफ्ट ले ली। रास्ते में हुई चर्चा से पता चला कि वे दोनाें युवक भी कोरोना संदिग्ध थे और उनकी रिपोर्ट आना बाकी थी। वे उसे मंगलवारा चौक पर छोड़कर भाग गए।
इधर, इटारसी का एक और मरीज ठीक
पवारखेड़ा के कोविड केयर सेंटर से एक और मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया. कोरोना को मात देने वाले इस मरीज का नाम 46 वर्षीय मोहम्मद अहसान पिता सुलेमान खान है। मरीज कस्तूरबा नगर का है। 9 मई को इनकी दूसरी रिपोर्ट भी नेगेटिव आ गई थी।
जिले में 1 से 8 मई तक इतने लिए सैंपल : 1 मई : 14, 2 मई : 20, 3 मई : 4, 4 मई : 34, 5 मई : 8, 6 मई : 4, 7 मई : 9, 8 मई : 4, 9 मई : 6, टोटल : 103, अब तक कुल 577 सैंपल लिए जा चुके हैं।
^युवक के सीधे संपर्क में किसी को नहीं आने दिया गया। वह पिपरिया में जिन स्थानों पर गया था वहां सैनीटाईजेशन कराया गया है। उसके कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट के बारेमें जानकारी अभी नहीं मिली है।
-मदन सिंह रघुवंशी, एसडीएम पिपरिया
^भागे युवकों की तलाश की जा रही है। नागरिकों को अगर आस-पास कोई अपरिचित युवक नजर आते हैं तो उनकी जानकारी पुलिस को दें। दूरी बनाकर रखें।
-शिवेंदु जोशी, एसडीओपी
कहते हैं यदि मां किसी बात को ठान ले तो वह हर हाल में पूरा करती है। और यदि सवाल बच्चों के सुनहरे भविष्य का हो तो अपनी खुशियों को भी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटती। आइए इस मदर्स-डे पर हम आपको को शहर में ऐसी ही दो मां की कहानी बताते हैं, जिसमें किसी ने 20 साल तक दूसरों के घर में झाडू पोंछा किया तो किसी ने 10 साल में एक बार भी नया कपड़ा नहीं खरीदा। उन्होंने न सिर्फ बच्चों के सपने पूरे किए बल्कि उन्हें सफलता के मकाम पर भी पहुंचा दिया।
20 साल लोगों के घर खाना बनाकर बेटे को बनाया आईटी इंजीनियर
शहर के विजय नगर में रहने वाली 50 वर्षीय रेखा बाई परमार का बेटा अंकित आज सरकारी कार्यालय में सहायक ग्रेड-3 पर नियुक्त है। सरकारी नौकरी के अंकित के इस सपने को पूरा करने के लिए पिता जगदीश और मां रेखा की आर्थिक स्थिति सबसे बड़ी बाधा बनी हुई थी। क्योंकि पिता की 2200 रुपए की तनख्वाह में बेटे को निजी स्कूलों में पढ़ाना तो दूर घर का खर्च भी नहीं निकल पाता। ऐसे में रेखा बाई ने भी हिम्मत कर घर के बाहर कदम निकाला। करीब 20 वर्ष लगातार दूसरों के घरों में खाना बनाकर बच्चों का लालन पालन किया साथ ही अंकित को इंजीनियरिंग के लिए इंदौर जैसे शहर में पढ़ने के लिए भेज दिया।
मां बेटे की कहानी सुन मदद के हाथ उठे : बेटे अंकित को इंजीनियर बनाने का रेखा बाई का सपना पूरा होने में समस्याओं के पहाड़ भी सामने आए। लेकिन मां के आशीर्वाद से समस्या भी दूर होती गई। इंदौर में पढ़ाई का खर्चा के लिए रेखा बाई की मदद उन लोगों ने की, जिनके घर में वे खाना बनाती थी। लेकिन यह मां का स्वाभिमान ही था कि उन्होंने लोगों से मिली मदद को कर्ज समझकर अपनी मेहनत से चुकता भी किया।
10 साल तक नए कपड़े तक नहीं खरीदे, मां का सहारा बनी शिक्षिका बेटी
श्यामा बाई अपनी कहानी की शुरुआत 24 वर्षीय बेटी को अपने पैरों पर खड़ा होते देख करती है। श्यामा बाई के अनुसार दो बच्चों को बड़ा करने के लिए पति शिवनारायण के साथ वे शुरू से ही मेहनत करती आई। पति मजदूरी के साथ त्योहारों के समय पुताई का काम करते हैं, लेकिन इससे बच्चों को पढ़ा पाना संभव नहीं था। ऐसे में उन्होंने लोगों के घर चौका चूल्हा कर बच्चों को लायक बनाने के लिए शिक्षित करना शुरू कर दिया। पहले सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कराई, लेकिन बड़ी कक्षाओं में आते ही बच्चों की पढ़ाई का बोझ भी बढ़ने लगा। श्यामा बाई बताती हैं कि एक ही दिन में 8 से अधिक घरों में काम किया। उन्होंने दस साल तक नए कपड़े नहीं खरीदे।
किराए के मकान में ताने सुने, अब खुद का घर : बेटी ज्योति बताती हैं कि घर खर्च के साथ छोटे भाई पवन और मेरी पढ़ाई के लिए मां ने मेहनत की। कई बार बुरा भी लगा। मां के आशीर्वाद से बीए करने के बाद नौकरी मिल गई। सभी ने कर्ज लेकर पक्का मकान भी बना लिया। क्योंकि किराए के मकान में रोकटोक और तानों का सामना करना पड़ता था।
जिले में किसानों से केवल पांच दिन गेहूं की खरीदी की जाएगी। शनिवार और रविवार काे परिवहन किया जाएगा। जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 60 फीसदी हाे गई है। समर्थन मूल्य पर जिले में गेहूं बेचने के लिए करीब 76 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है। इनमें से करीब 57 हजार किसान अपनी उपज काे बेच चुके हैं। जिले में 6 लाख मीट्रिक टन की खरीदी हाे गई है। इसमें से डेढ़ लाख मीट्रिक टन गेंहू का परिवहन हाेना बचा है।
गेहूं खरीदी के लिए जिले में 290 केंद्र बनाए हैं। मैपिंग के अनुसार केंद्र से परिवहन किया जा रहा है। इस वर्ष गेहूं खरीदी के लिए 10 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा है। अभी तक 60 फीसदी गेहूंकी खरीदी हाे गई है। जिले में 40 हजार किसानाें काे 500 कराेड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान उनके खाते में करने की बात जिला प्रशासन कर रहा है। अब जिले में सप्ताह में पांच दिन तक गेहूं की खरीदी का काम चलेगा। इसके बाद शनिवार और रविवार को खरीदी के लिए अवकाश रहेगा। इन दो दिनों में लेखा-जोखा और गेहूं का परिवहन कराया जाएगा।
किसानों को सात दिन में मिल जाएगा भुगतान
किसानों को अब भुगतान के लिए सहकारी समितियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। किसानों के पोर्टल पर एकाउंट नंबर दर्ज किए हैं। अब सीधा बैंक खातों में 7 दिन के अंदर गेहूं खरीदी की राशि डाली जाएगी। गेहूं की खरीदी के साथ ही बोरियों पर समिति सहित किसानों के नाम वाला टैग लगाया जा रहा है। स्वीकृति पत्रक बनने के बाद भुगतान का काम भाेपाल से जीअाईटी पाेर्टल से किया जाता है। जिला आपूर्ति नियंत्रक जेएल चौहान ने बताया कि गेहूं खरीदी के बाद स्वीकृति पत्रक बनने के सात दिन बाद भुगतान होगा।
24 मई तक चलेगा खरीदी का काम
समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी का काम अब 17 दिन और चलेगा। जिले में 15 अप्रैल से सभी केंद्रों पर गेहूं खरीदी का काम शुरू कर दिया था। यह काम 24 मई तक चलेगा।
एसएमएस मिलने के बाद ही लाना हाेगा उपज
जिले में 290 केंद्राें पर किसानोंके पंजीयन हाेने के बाद मैपिंग हुई है। भाेपाल से किसानाें को एसएमएस कम आना शुरू हाे गया है। ऐसे में किसान एसएमएस मिलने के बाद ही केंद्र पर उपज लेकर पहुंचे।
माैसम बदल गया है। दिन में धूप तपने के कारण तापमान 42.5 डिग्री रहा लेकिन शाम काे हवा तेज चली। हवा की रफ्तार करीब 10 से 12 किमी प्रति घंटे रही। माैसम विभाग के अनुसार मप्र के ऊपर बनी द्राेणिका के कारण माैसम बदला है। रविवार काे बारिश हाेने का अनुमान है। वहीं साेमवार काे भी बादल रहेंगे। शनिवार काे सुबह से ही धूप तेज थी। इस कारण दिन में तापमान 42.5 डिग्री तक चला गया। रात का तापमान 26.2 डिग्री दर्ज किया गया है। दिन में तपन के बाद शाम के समय माैसम बदला है। माैसम वैज्ञानिक अजय शुक्ला ने बताया कि मप्र के ऊपरी द्राेणिका बनी है। यह तमिलनाडु तक जा रही है। इस कारण माैसम बदला है। रविवार औरसाेमवार काे भी बारिश हाेने का अनुमान है। इसमें रविवार काे माैसम ज्यादा बदला रहेगा। मंगलवार से माैसम साफ हाे जाएगा। उन्हाेंने बताया कि मानसून अगले माह 20 जून तक आएगा।
ये हाेती है द्राेणिका
बादलों के बीच जब ठंडी और गर्म हवा आपस में मिलती है तो एक कम दबाव का क्षेत्र बनता है। उस सिस्टम से निकलने वाली पट्टी को द्रोणिका कहते हैं। इसमे अचानक ही मौसम में बदलाव हो जाता है और तेज हवा के साथ बारिश होती है। यह दाे-तीन दिन का असर दिखाती है।
लॉकडाउन में दौरान दोपहिया वाहन चोरियों के बाद अब सूने मकान में चोरी ने पुलिस सुरक्षा की पोल खोलकर रख दी। शहर के प्रॉपर्टी डीलर के सूने मकान से अज्ञात बदमाशों ने डेढ़ लाख रुपए नकदी सहित सोने चांदी के आभूषणों पर हाथ साफ कर दिया। सुरक्षा इंतजामों में चूक होने के बाद भी पुलिस का इस मामले में पुराना रवैया ही नजर आया। कोतवाली पुलिस के अनुसार चोरी गए माल की कीमत एक लाख रुपए बताई जा रही है। वहीं कोतवाली टीआई ने मामला जांच में लेकर आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने का दावा किया है।
जानकारी के अनुसार प्रॉपर्टी ब्रोकर विनोद पवैया 28 अप्रैल को अपने परिवार के साथ ब्यावरा गए थे। शनिवार को जब वे लौटे तो घर के ताले टूटे मिले। घर के अंदर का दृश्य देख चोरी की घटना का पूरा मामला सामने आ गया। अलमारियां खुली पड़ी थी तो सामान पूरे घर में बिखरा पड़ा था। ताबड़तोड़ पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने अपनी कार्रवाई तो शुरू कर दी, लेकिन चोरी गए माल को लेकर फरियादी और पुलिस का अलग अलग तर्क सामने आया है। फरियादी विनोद के अनुसार घर में करीब डेढ़ लाख रुपए और आभूषण रखे थे। वहीं कोतवाली टीआई अजीत तिवारी के अनुसार चोरी गए माल की कीमत एक लाख रुपए बताई जा रही है।
एक सप्ताह में बाइक चोरी की पांच वारदात
इधर शहर में पिछले एक सप्ताह में बाइक चोरी के भी कई मामले सामने आए। इसमें चार बाइक कोतवाली थाने तो एक बाइक लालघाटी थाने में चोरी होना बताया जा रहा है। लालघाटी थाने के अनुसार हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी निवासी एडवोकेट शिव कलेसरिया के घर से उनकी बाइक अज्ञात बदमाश चुरा ले गए। इसकी लालघाटी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। वहीं
कोतवाली थाने क्षेत्र के बेरछा रोड से एक ही रात को तीन बाइक चोरी होने का मामला सामने आया था, लेकिन पीड़ित द्वारा इसकी कोई शिकायत थाने में दर्ज नहीं कराई गई। वहीं एक बाइक शुक्रवार को गिरवर रोड से चोरी होना बताया जा रहा है।
बदमाशों को पकड़ने के लिए दबिश दे रहे हैं
कोतवाली टीआई अजीत तिवारी के मुताबिक प्रॉपर्टी डीलर के सूने मकान में चोरी होने की शिकायत शनिवार देर शाम सामने आया है। इसकी जांच की जा रही है, शुरुआती पूछताछ में पीड़ित द्वारा घर में एक लाख रुपए नकदी होने की बात कही गई थी। बाइक चोरी रोकने के लिए मुखबिरों कीसूचना पर दबिश दी जा रही है। बेरछा रोड पर एक साथ तीन बाइक चोरी की कोई भी शिकायत थाने नहीं पहुंची।
तीखी धूप से इस सीजन ने गर्मी के रिकॉर्ड तोड़ दिए। पारा पहली बार 44 डिग्री पर पहुंच गया। न्यूनतम तापमान भी पिछले 24 घंटे में 4.3 डिग्री उछलते हुए पहली बार 29.3 डिग्री पर पहुंच गया। तेज धूप के बाद आज मौसम करवट बदलेगा और जिले में बारिश होगी।
ज्ञात रहे शनिवार को जिले में भीषण गर्मी रही। सुबह से ही पारा चढ़ने लगा और दोपहर 2 बजे 44.0 डिग्री पर पहुंच गया, जो इस सीजन का सबसे ज्यादा तापमान है। एक दिन पहले शुक्रवार को यह पारा 43.3 डिग्री दर्ज किया गया था। इसी प्रकार न्यूनतम तापमान भी एक दिन पहले 25.0 डिग्री से बढ़कर सीधे 29.3 डिग्री पर पहुंच गया। यह तापमान भी इस सीजन का सबसे ज्यादा रहा है। मौसम विशेषज्ञ सत्येंद्र धनोतिया ने बताया कि गर्मी के बाद आज यानी रविवार को मौसम बदलेगा। आसमान में बादल छाएंगे और जिले में कहीं कहीं गरज चमक के साथ बारिश होगी। इधर, भीषण गर्मी के दौरान शनिवार को लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया। इसके कारण सड़कें भी सुनसान दिखाई दी।
आज आठ दिन हाे गए.. मेरा बेटा मेरे बिना एक दिन नहीं रहा। जहां भी जाती थी साथ जाता, साथ खाता और साथ ही रहता। मेरे बिना उसे और उसके बिना मुझे नींद भी नहीं आती। बस इतना कहते ही आयशा बी राे पड़ीं। आयशा बी 7 साल के इरफान की मां हैं। बेटा इरफान काेराेना पाॅजिटिव है और 2 मई से काेविड सेंटर मे है। एक दूसरे से अलग ना हाेने वाले मां -बेटे ने आठ दिन से एक दूसरे काे देखा नहीं है। फाेन पर बात ताे हाेती है लेकिन मन नहीं भरता। आयशा बी बताती हैं कि वह फाेन पर आते ही राे पड़ता है कहता है अम्मी मुझे क्याें छाेड़ गईं। अब मैं उसे कैसे समझाऊं कि सारे डर छाेड़कर मैं ताे अपने बेटे के साथ रहने काे तैयार हूं। लिखकर भी दिया कि मुझे मेरे बेटे के साथ रहने दाे, वह छाेटा है। मैं दूर से उसे संभाल लूंगी लेकिन ऐसा हाेना संभव नहीं है। हर पल उसे याद करते हुए दुआकरती हूं कि मेरा बेटा जल्दी लाैट आए। इधर पवारखेड़ा स्थित काेविड सेंटर में डाॅक्टर, नर्स और साथ में भर्ती महिलाएं इरफान काे मां की तरह संभालने की काेशिश कर रही हैं।
13 साल बाद आया इरफान, बड़ी बहन हुमेरा के लिए बच्चे जैसा
इरफान की बड़ी बहन हुमेरा इरफान से 13 साल बड़ी है। पिता साजिद बताते हैं कि बेटी के जन्म के 13 साल बाद बेटे का जन्म हुआ। हुमेरा अभी अपने 4 माह के शिशु के साथ इटारसी में अपने पिता के घर पर है। वह बताती है कि इरफान बात-बार पर जिद करता। अपनी मनवाता, पर मैं उसे कभी नहीं मारती। उसके बिना घर काटने काे दाैड़ता है।
रमजान के दिनाें में वह अपनी पसंद की चीजें बनाने काे कहता है
मां आयशा बी बताती हैं कि इरफान मैगी, पाेहा, आलू भुजिया पसंद करता है। रमजान के दिनाें में वह कभी अपने पसंद की चीज बनाने काे कहता। इफ्तारी का समय हाेता ताे बिना किसी के कुछ कहे दस्तरखान बिछाकर तैयारी करता। जब मेरा बेटा मेरे पास हाेता है मदर्स डे हाेता है, शहर की हर मां के लिए दुआकरती हूं किसी काे अपने बेटे से दूर ना रहना पड़े।
लॉक डाउन के बीच गुजरात, महराष्ट्र और राजस्थान में फंसे मजदूरों को घर लौटने की ढील मिलते ही ये लोग अपने घर के लिए रवाना हो गए है। करीब 40 दिन तक वहां रहते परेशानियां झेलने वाले मजदूरों ने अब घर जाने के लिए जान की बाजी लगाना शुरू कर दी है। कोई बाइक तो कोई ट्रक की छत पर बैठकर अपने घर के लिए रवाना हो गया। शनिवार दोपहर को महज एक घंटे में ही हाईवे से करीब 2 हजार से ज्यादा लोग महाराष्ट्र व गुजरात की तरफ से आते दिखाई दिए। जिनमें मप्र के अलावा ज्यादातर लोग उप्र के है। खास बात यह है कि शनिवार को 44 डिग्री तापमान के साथ लू के थपैडे भी चल रहे थे। इस बीच कोई बाईक और कोई ट्रक की छत पर बैठकर सफर करते देखे गए
कोरोना से बचाव के लिए देशभर में हो रहे प्रयासों के बीच जिला मुख्यालय से 13 किमी दूर ग्राम कुंकड़ी के एक युवा ने ग्रामीणों के लिए जुगाड़ का सैनिटाइजर गेट बनाने का कमाल कर दिखाया है। इसके लिए युवक ने अतिरिक्त खर्च भी नहीं किया। मकान बनाने के लिए रखे सरिए और फसल में कीटनाशक छिड़काव के पंप से ही सुरक्षा कवच बना दिया।
सैनिटाइजर गेट बनाने वाला युवक कमल सिंह हाड़ा स्वच्छताग्राही हैं। हाड़ा ने बताया कि महामारी को देखते हुए ग्रामीणों को बचाने के लिए कुछ करने का प्लान बनाया। घर में रखे भवन निर्माण में होने वाले सरिए व चार लोहे की छड़ ली। उन्हें एक दूसरे से बांधकर गेट बनाया और उसके आसपास बैनर चिपकाकर उसे सजा दिया। द्वार बन जाने के बाद नीचे से ऊपर तक पूरे गेट पर चिपकाते हुए उसमें छोटी नलियों बिछा दी। नली में 5 पाइंट बनाए और पाइंट में एक-एक नोजल फिट कर दिया ताकि फव्वारे गिरते रहे। इसके बाद कमल ने खेती किसानी में उपयोग होने वाला दवा छिड़कने वाला इलेक्ट्रॉनिक पंप लिया। उस पाइप का पंप में कनेक्शन कर मैन पाइंट पंप के पास दे दिया। ताकि वहां से पूरा सिस्टम चालू और बंद हो सके। पंप में सैनिटाइजर डालकर उसका बटन दबाते ही पूरे द्वार में फव्वारे गिरने लगते हैं। अब आने व जाने वाले ग्रामीण महिला पुरुष सैनिटाइज होने के बाद ही यहां से निकलते हैं।
गेट से निकलना अनिवार्य
गांव के सरपंच रामसिंह राजपूत ने बताया कि गांव के युवक ने जो सैनिटाइजर मशीन बनाई है उसे गांव के मुख्य चौराहे पर रख दी है। कोटवार से मुनादी कराकर ग्रामीणों को सूचित भी करा दिया है।
युवक की पहल सराहनीय
कुंकड़ी के ग्रामीणों ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए स्थानीय स्तर पर मिले संसाधनों से ही लोगों को सैनिटाइज करने के लिए जो द्वार बनाया है वाकई अच्छी पहल है। अन्य ग्रामीणों को भी इसी तरह आगे आने की जरूरत है। यदि हर गांव खुद को इतना सुरक्षित कर लें तो हम जिले में कोरोना की वापसी ही नहीं होगी।
- शिवानी वर्मा, सीईओ जिला पंचायत, शाजापुर
कसाईवाड़ा क्षेत्र में लड़की को भगाकर ले जाने की शंका में एक युवक पर जानलेवा हमले का मामला सामने आया। बताया जा रहा है कि कोचिंग पर पढ़ने वाली एक लड़की के परिजनों ने शंका होने पर युवक को घर पर बुलाया था। इसके बाद युवक के यहां से जाने के बाद पीछे से आए पांच लोगों ने उस पर हमला कर दिया। इसमें युवक की जांघ पर चाकू से तीन-चार वार किए गए। इधर सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल को अस्पताल में भर्ती करा कर प्रकरण दर्ज किया है।
कोतवाली थाने के अनुसार नाथवाड़ा क्षेत्र में रहने वाले युवराज पिता बाबूलाल को कसाईवाड़ा क्षेत्र में रहने वाली एक युवती के परिजन ने बात करने के लिए शनिवार रात करीब 1 बजे अपने घर बुलाया था। यहां दोनों पक्षों के बीच बात होने के बाद युवराज अपने दोस्त हरीश पारछे के घर चला गया। इसी दौरान पीछे से राजा शेख नामक युवक अपने चार अन्य साथियों के साथ आया और युवराज पर हमला कर दिया। इस दौरान इन युवकों ने युवराज का गला दबाते हुए चाकुओं से हमला कर उसे जान से मारने का प्रयास भी किया। पुलिस ने धारा 307 और 506 सहित विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। कोतवाली टीआई अजीत तिवारी के मुताबिक गलतफहमी के कारण विवाद के दौरान चाकू से हमला करने का मामला सामने आया है।
मां की अर्थी को कंधा देने जा रहा युवक परिवार सहित सड़क हादसे में घायल हो गया। सभी का शाजापुर जिले के पनवाड़ी गांव के पास एक्सीडेंट हुआ था। परिवार इंदौर से उत्तरप्रदेश जा रहा था। हादसा कार के स्ट्रीट पोल से टकराने की वजह से शुक्रवार शनिवार की रात में हुआ था।
मिली जानकारी के अनुसार पंकज पांडे मूल रूप से उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर जिले के परसादंडवा गांव के रहने वाले हैं। मां के निधन का समाचार जैसे ही पंकज को मिला तो उन्होंने इंदौर कलेक्टर को अपनी व्यथा बताई। कलेक्टर कार्यालय से पंकज, उसकी पत्नी कृष्णा कुमारी, 6 वर्ष का बालक प्रियांशु व ड्राइवर नंदकिशोर का ई-पास जारी कर दिया गया। इंदौर से निकलने के बाद 110 किलोमीटर दूरी तय कर गांव पनवाड़ी जिला शाजापुर में पहुंचा ही था कि रात लगभग 1 बजे सड़क किनारे लगे स्ट्रीट लाइट के पोल से उनका वाहन टकरा गया। इसमें पंकज व ड्राइवर को गंभीर चोट आई जिन्हें 100 डायल की मदद से सभी को जिला चिकित्सालय शाजापुर भेजा गया। पंकज व ड्राइवर को ज्यादा चोट लगने से शनिवार दोपहर इंदौर रैफर कर दिया गया।
स्थानीय अधिकारियों ने दी हादसे की जानकारी
इकलौता पुत्र पंकज अपनी मां की शव यात्रा में शामिल होने के लिए सुल्तानपुर जा रहा था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। सुल्तानपुर में सभी पंकज का इंतजार करते रहे आखिरमें मोबाइल चालू कर घर पर सभी को दुर्घटना की जानकारी प्रशासन द्वारा दी गई।
भीषण गर्मी का दौर शुरू होते ही श्रद्धालुओं ने अब भगवान को लू से बचाने के लिए मंदिरों में खास इंतजाम कर दिए हैं। भगवान के लिबास से लेकर नैवेद्य तक सभी में बदलाव कर दिया गया है। इसी के तहत शनिवार को नई औदिच्य ब्राह्मण धर्मशाला परिसर स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में विशेष इंतजाम देखने को मिले।
यहां पुजारी अशोक व्यास ने सुबह भगवान का वस्त्र के रूप में चंदन का लेप किया। मोगरे के फूलों से आकर्षक शृंगार किया। इसके बाद पूजा व आरती की। भगवान के लिए यहां कूलर व खस की टाटी व प्रतिमा के सामने फव्वारा लगा दिया ताकि भगवान को लू न लगे। पुजारी अशोक व्यास ने बताया कि भगवान का गर्मी शुरू होने के बाद अब विशेष ख्याल रखा जा रहा है। भाेग भी शीतलता प्रदान करने जैसा ही लगाया जाता है। चंदन उत्सव पर दर्शन खुलने के बाद सभी वैष्णव पुष्टिमार्गीय भक्तों के साथ सोशल डिस्टेंस बनाकर श्रद्धालुओं ने प्रभुश्री के दर्शन के लाभ लिए। मंदिर समिति के सदस्यों व समिति के अध्यक्ष रामचंद्र पटेल, महेश त्रिवेदी, हेमेंद्र व्यास, ममता रघुवंशी, पूजा रघुवंशी, नेहा शर्मा प्रिंसी राजपूत, विजय राजपूत, सावित्री चौहान, कमला बाई आदि ने दर्शन लाभ लिए।
ब्लड कैंसर पीड़ित बेटे के लिए मां ने मांगी मदद, विधायक ने की हां
सिटी के तालाबपुरा निवासी 5 साल के बच्चे आर्यन को ब्लड कैंसर की बीमारी है। प्रधानमंत्री राहत कोष व मुख्यमंत्री उपचार सहायता के जरिए मिली मदद से 2 साल से इलाज चल रहा है। पिता मजदूर है और परिवार में ऐसा कोई अन्य आय का स्त्रोत नहीं जो बेटे का निजी अस्पताल में इलाज करा सकें। आर्यन अब लगभग ठीक हो चुका है। लॉकडाउन में पैसे की व्यवस्था न होने की वजह से अंतिम चरण की जांच व इलाज रुका है। एक बार फिर मां सीमा ने सरकारी मदद के लिए गुहार लगाई है। विधायक इंदर सिंह परमार ने मदद का भरोसा दिलाया है।
बेटी का हाथ करंट से झुलसा, कटता उससे पहले मां की पुकार से मिली मदद
ग्राम रोसला निवासी 13 वर्षीय अनुराधा का हाथ इलेक्ट्रिक पंखे के करंट से झुलस गया। पैसों की कमी से अच्छा इलाज नहीं करा पाए और नतीजा यह हुआ कि हाथ की हड्डी तक सड़ने लगी, हाथ काटने की चेतावनी दी गई। यह सुन मां ने बेटी को लेकर गुहार लगाई तो तत्काल मददगारों ने आयुष्मान कार्ड बनवाकर 50 हजार स्वीकृत करा अस्पताल में भर्ती करा दिया। शुजालपुर के सर्वेश पोखरना, नेम कुमार जैन, निशित जैन, मोहित व्यास, दर्शन शाह, हिमांशु ओझा, सुशील सोनी, भूपेंद्र जैन, राकेश अन्य ने आगे प्लास्टिक सर्जरी व अन्य उपचार का खर्च उठाने की भी जिम्मेदारी ली है।
थैलेसीमिया से बीमार बेटे को खून के लिए तरसता देख मां ने जुटाई मदद
प्रेम नगर कॉलोनी निवासी कासीम को थैलेसीमिया की बीमारी है। महीने में दो बार रक्त चढ़ता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से 6 हफ्ते से खून नहीं चढ़ने से उसकी हालत बिगड़ गई। मजदूरी पर आधारित परिवार के पास निजी अस्पताल में खून चढ़वाने पैसे व रक्तदान करने वाले न होने से परिवार परेशान था। बेटे की मदद के लिए अम्मी शबाना की गुहार पर कई लोग मदद के लिए आगे आ गए। अब कासिम को निजी अस्पताल में खून चढ़ने का खर्च भी रक्तदान करने वाले उठा रहे हैं। इतना ही नहीं इस घर की राशन की व्यवस्था भी मददगार ने कर दी है।
लॉकडाउन के कारण लोगों के काम धंधे बंद है। वहीं बिजली कंपनी द्वारा इन दिनों नगर में बिजली के बिलों का वितरण किया जा रहा है। इसमेंलोगों के बिल 2 हजार से लेकर 22 हजार तक आ रहे हैं। इस कारण लोगों में वर्तमान सरकार के विरुद्ध आक्रोश पनप रहा है। वहीं गत कमलनाथ सरकार में दिए जाने वाले बिल याद आ रहे हैं। कई लोगों ने लिखित आवेदन देकर बिजली कंपनी को अवगत करवाया है कि जो बिल इस माह दिए गए है वह गलत रीडिंग के आए है इनकी जांच की जाए।
विधायक इंदर सिंह परमार को इस बारे में अवगत करवाया गया है। वहीं अरन्याकलां, पोचानेर, तिलावद, अरंडिया, अमलाय सहित कुछ अन्य के गांव के लोगों ने कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी को इस बारे में अवगत करवाया है। मंडी क्षेत्र में रहने वाले नरेंद्र सिंह राजपाल ने बताया इस बार उनको बिजली कंपनी ने 22 हजार का बिजली बिल दिया है। उपभोक्ता रमेश परमार ने बताया उनका बिजली बिल गत सरकार में 200 व 300 से अधिक नहीं आता था वह बिल इस बार 3 हजार का आया है।
विधायक बोले- लोगों में बढ़ रहा आक्रोश- कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी का कहना है कि इस माह बिजली कंपनी द्वारा जो बिजली के बिल दिए गए है उससे लोगों में आक्रोश है। क्योंकि गत कमलनाथ सरकार द्वारा बिजली के बिल में सब्सिडी दी जा रही थी लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में लोगांे को हजारों के बिल थमाए जा रहे है। युवक कांग्रेस द्वारा पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा।
लॉकडाउन में कमर तोड़ बिजली बिल
लॉकडाउन से लोग पहले ही परेशान है। काम धंधे पूरी तरह से बंद है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री को 6 माह तक लोगों से बिजली के बिलों की वसूली पूरी तरह से बंद करना चाहिए ताकि लोगों को राहत मिले। एक ओर शासन द्वारा लोगों को राशन बांटकर उनको राहत की बात की जा रही है। वहीं दूसरी ओर इस प्रकार से बिजली की वसूली करना गलत है।
बिजली कंपनी के कर्मचारी देवीसिंह ने बताया जब बिजली के बिलों का वितरण किया गया है तब से एक दर्जन से अधिक लोगों द्वारा अधिक बिल आने के आवेदन दिए जा चुके है। इस बारे में उनके द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करवाया जा चुका है।
ग्राम चिकली गोयल व झिकड़िया के बीच सरदार सिंह राजपूत के कुएं में शनिवार सुबह नीलगाय का बच्चा गिर गया। 30 फीट गहरे इस कुएं में करीब 7 फीट से अधिक पानी था। चिकली गोयल के दीपक गवली को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने राजस्व व वन विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी। सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम ने कुएं में रस्सी डालकर नीलगाय के बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालकर जंगल में छोड़ दिया।
विधायक कांतिलाल भूरिया के बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया ने अपनेवरदान अस्पताल को बंद करने का ऐलान कर दिया। शनिवार को यहां नए मरीजों की जांच नहीं की गई। जोभर्ती थे, उनका इलाज किया जा रहा है। ये सब शुक्रवार की एक घटना के बाद हुआ।
डिलीवरी का केस आया तो अस्पताल वालों ने जिला अस्पताल से एनेस्थेटिस्ट बुलाया लेकिन वो नहीं आया। विक्रांत ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं के दबाव में डॉक्टर को आने नहीं दिया गया। मरीज की जान जा सकती थी। उन्होंने सांसद गुमानसिंह डामोर और भाजपा नेता ओम शर्मा का नाम लिया। ओम शर्मा नर्सिंग कॉलेज और अस्पताल संचालक हैं। विक्रांत के आरोप के बदले शर्मा ने कहा, जिला अस्पताल में तीन महीने से एक भी ऑपरेशन नहीं हुआ। डिलीवरी तक नहीं हो रही। सारे केस वरदान अस्पताल भेजे जा रहे हैं। ये सेवा नहीं आदिवासियों का उत्पीड़न है।
राजनीति करने के लिए लोगों की जान से खेल रहे हैं
विक्रांत भूरिया ने कहा, डिलीवरी के लिए आई महिला को इमरजेंसी में दाहोद भेजना पड़ा। वहां भी किसी ने भर्ती नहीं किया तो मेघनगर जीवन ज्योति अस्पताल लाए। वहां भी उसी डॉक्टर ने एनेस्थिसिया दिया। कुल मिलाकर राजनीति करने के लिए लोगों की जान से खेल रहे हैं। अभी जिस समय कोई अस्पताल मरीजों को देखने को तैयार नहीं है, हम पूरे समय सेवा दे रहे हैं। 8 साल पहले वरदान नर्सिंग होम खोला था। इसी साल नया अस्पताल बना। कभी हमने इसे व्यापार नहीं समझा।
सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके अस्पताल को फायदा पहुंचा रहे
ओम शर्मा ने कहा, पूरी तरह से सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके वरदान अस्पताल को फायदा पहुंचाया जा रहा है। ये सब विधायक के दबाव में अफसर कर रहे हैं। हाल ये हैं कि जिला अस्पताल में डॉक्टर मरीजों को नहीं देखते और वरदान में सर्विस देते हैं। सरकारी अस्पताल में मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। वहां महीनों से एक ऑपरेशन नहीं हुआ, यहां आकर सर्जरी करते हैं। एक कांटा भी निकालना हो तो नहीं निकलता।
सच्चाई : 3 महीने से ऑपरेशन नहीं, ओटी में मेंटेनेंस चल रहा
जिला अस्पताल में तीन महीने से ऑपरेशन नहीं हुए हैं। सिर्फ नेत्र चिकित्सालय के ऑपरेशन थिएटर में काम चल रहा था, वो भी लॉकडाउन के पहले तक। बाकी ओटी में मेंटेनेंस चल रहा है, लेकिन ये लंबे समय से खत्म नहीं हो रहा। सीएमएचओ डॉ. बीएस बारिया ने कहा, जल्दी ही मैंटेनेंस पूरा करा लेंगे। यहां ऑपरेशन शुरू कराएंगे।
शहर में रेड श्रेणी के अस्पतालों सेपॉजिटिव मरीजों के स्वस्थ्य होकर घर लौटने का सिलसिल जारी है। चार अस्पतालों और दो कोविड केयर सेंटर से 182 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद शनिवार को डिस्चार्ज किया गया। घर रवाना होने से पहलेअरबिंदो अस्पताल मेंमरीजों ने पौधारोपण किया। चोइथराम से दो मरीजों को ग्रीन अस्पताल शिफ्ट किया गया।
अरबिंदो से 80, चोइथराम से 16, रॉबर्ट नर्सिंग होम से 8, इंडेक्स अस्पताल से 5 और कोविड केयर सेंटर प्रेसिडेंट पार्क से 52 और चंद्रलीला से 21 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे। डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र, अस्पताल के संचालक डॉ. विनोद भंडारी हौसला बढ़ाने के लिए मौजूद थे। डीआईजी मिश्र ने कहा अन्य शहरों की तुलना में इंदौर में कोरोना-19 से प्रभावित मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं। कोरोना के इलाज में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टॉफ की महत्वपूर्ण भूमिका है। संकट की इस घड़ी में वे सब हमारे साथ हैं। डिस्चार्ज मरीज अब्दुल अजीज निवासी मोती तबेला ने बताया कि राज्य शासन और जिला प्रशासन द्वारा अरविन्दो अस्पताल में इलाज की बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है। मैं इन सबका शुक्रगुजार है। मरीज राजेंद्र शिंदे निवासी तिलक नगर ने बताया मेरा इलाज बहुत अच्छी तरह हुआ।
सबसे पहले बात चीन के वुहान में हुई एक स्टडी की। जामा पीडिएट्रिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वुहान में 33 बच्चे संक्रमित मां से पैदा हुए थे। जिनमें से तीन को छोड़कर सभी स्वस्थ्य थे। जो तीन संक्रमित थे उनमें से 2 बच्चे 6 दिन के होने से पहले ही ठीक भी हो गए थे।
इस रिपोर्ट का जिक्र इसलिए क्योंकि वुहान वह जगह है जहां से कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई। और वहां की ये रिसर्च बताती है कि मां मुश्किल वक्त में मजबूत साबित होती है। और अपनी हिम्मत से बच्चों की सुरक्षा करती है। मेडिकल साइंस ये बात माने या न माने ये तस्वीरें यही कहानी कह रही हैं...
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जो दिन ही खास है तो लाजमी है मां की खूबियों की एक बार फिर गिनती कर ली जाए
हजार पिताओं से ज्यादा गौरवपूर्ण है एक मां, ऋग्वेद से लेकर मनुस्मृति तक सबने लिखा है मां के लिए
आज मदर्स डे है। मई का दूसरा रविवार जो इस खास दिन को मनाने के लिए दर्ज हो चुका है। वह दिन जब मांओं की दुनिया तोहफे, फूल और खिदमतों से गुलजार हो जाती है। इसका ये मतलब हरगिज नहीं कि बाकी दिनों में इनमें से कुछ मां के हिस्से नहीं आता। या फिर ये भी नहीं कि यदि मदर्स डे पर ऐसा नहीं होता तो वह मां कुछ कम खास है।
पर जो दिन ही खास है तो लाजमी है मां की खूबियों की एक बार फिर गिनती कर ली जाए। आंकड़ों में उन्हें समेटना तो असंभव है लेकिन हौले से इसमें उन्हें खोजा और गुना जाए। गिनती जो बताती है कि भारतीय मांएं क्यों खास हैं...
वो मां है, बच्चों को अकेले भी संभाल सकती है
2019 में यूनाइटेड नेशन की एक रिपोर्ट आई थी। रिपोर्ट का टाइटल था ‘द प्रोग्रेस ऑफ वुमन 2019-20'। इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 10.1 करोड़ सिंगल मदर हैं। जबकि, 4.5 करोड़ सिंगल मदर भारत में हैं।
इनमें से भी 1.3 करोड़ ऐसी सिंगल मदर हैं, जो अपने बच्चों के साथ अकेली ही रहती हैं। बाकी 3.2 करोड़ बच्चों के साथ ससुराल में या रिश्तेदारों के साथ रहती हैं।
वो मां है, बच्चों के लिए अपना करियर भी दांव पर लगा सकती है
2018 में अशोका यूनिवर्सिटी ने ‘प्रेडिकामेंट ऑफ रिटर्निंग मदर्स' नाम से एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि, 73% कामकाजी महिलाएं मां बनने के बाद नौकरी छोड़ देती हैं।
50% महिलाएं ऐसी होती हैं, जो 30 साल की उम्र में बच्चों की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ देती हैं। सिर्फ 27% महिलाएं ही हैं, जो मां बनने के बाद दोबारा काम पर लौटती हैं। हालांकि, इनमें से 16% ऐसी होती हैं, जो सीनियर पोजिशन पर होती हैं।
वो मां है, दुनिया मॉडर्न हो रही तो वो भी मॉडर्न हो गई
टेक्नोलॉजी ने पूरी दुनिया को मॉडर्न बना दिया है। तो इससे भला भारतीय मां कैसे दूर रहतीं। पिछले साल हुए yougov के सर्वे में 70% मांओं ने माना था कि वो बच्चों की देखभाल के लिए स्मार्टफोन की मदद लेती हैं।
इस सर्वे में शामिल 10 में से 8 (79%) मांओं का कहना था कि टेक्नोलॉजी ने पेरेंटिंग को आसान बना दिया है। जिन मांओं के बच्चों की उम्र 3 साल से कम थी, उनमें से 54% और जिनके बच्चों की उम्र 4 साल से ऊपर थी, उनमें से 42% मांओं ने ये भी माना था कि वो बच्चों को संभालने के लिए पेरेंटिंग एप्स की मदद लेती हैं।
वो मां है, वो बच्चों को हमेशा खुद से आगे रखती है
2018 में फ्रैंक अबाउट वुमन नाम की संस्था ने 'ग्लोबल मदरहुड सर्वे' किया था। इस सर्वे में सामने आया था कि ऑस्ट्रेलिया की मांएं जहां अपने बच्चों से पहले खुदको रखती हैं, वहीं भारतीय मांएं खुद से पहले अपने बच्चों को रखती हैं। इस मामले में भारतीय मांएं, ऑस्ट्रेलियाई मांओं से 36 गुना ज्यादा आगे हैं।
इस सर्वे में ये भी सामने आया था कि, 65% भारतीय मांओं को बच्चे की सफलता को लेकर चिंता रहती है। इसके उलट चीन की 71% मांएं बच्चों की सफलता को लेकर चिंता नहीं करतीं।
हालांकि, भारतीय मांएं ग्लोबल एवरेज की तुलना में ज्यादा स्ट्रिक्ट भी होती हैं। ग्लोबल एवरेज 7% का है। जबकि, 9% भारतीय मांएं बच्चों के प्रति स्ट्रिक्ट रहती हैं।
वो मां है, इसलिए लॉकडाउन में भी उसे खुद से ज्यादा बच्चे की हेल्थ की चिंता है
कोरोना को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन है। ऐसे में भारतीय मांओं को सबसे ज्यादा चिंता अपने बच्चों की हेल्थ और साफ-सफाई को लेकर है। Momspresso के सर्वे में ये बात सामने आई है।
इस सर्वे के मुताबिक, 78% मांएं बच्चों की हेल्थ को लेकर चिंता में रहती हैं। उन्हें डर है कि कहीं लॉकडाउन के बीच में बच्चों की तबियत न बिगड़ जाए। वहीं, 74% मांएं बच्चों की साफ-सफाई को लेकर स्ट्रेस में रहती हैं।
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मेघना गिरीश, जम्मू के नगरोटा आतंकी हमले में शहीद हुए मेजर अक्षय गिरीश की मां हैं। 2016 में अपने बेटे को खोने के बाद वह ऐसी कई मांओं से मिली हैं जिन्होंने उन्हीं की तरह अपने बेटे को खोया है, 'लाइन ऑफ ड्यूटी' में। शहीदों के परिवारों से मिलने वह नॉर्थ से लेकर साउथ तक घूमी हैं, मेघना इसे तीर्थयात्रा कहती हैं। मदर्स डे पर ऐसे ही कुछ शहीदों की माओं से हमारी वर्चुअल मुलाकात करवा रही हैं मेघना गिरीश, पढ़िए-
जब मेरा बेटा अक्षय छोटा था तो मैं प्यार से उसे लोरी सुनाती थी, ‘चंदा है तू मेरा सूरज है तू...।’ और अक्षय मुस्कुरा देता, गले लग जाता मेरे। बड़ा हुआ तब भी कहा था, ‘अभी भी आप ही का राजा बेटा हूं।’ जब पिता बना तब भी उसे याद था, कहता था, ‘मां आप मेरे लिए वो गातीं थीं ना....वो गाना मेरा है।’
अक्षय बड़ा होकर मेजर अक्षय गिरीश बन गया और फिर 29 नवंबर 2016 को एक नेशनल हीरो। तब, जब वह जम्मू कश्मीर के नगरोटा में हुए जैश ए मोहम्मद के आतंकी हमले के दौरान क्यूआरटी यानी क्विक रिएक्शन टीम को लीड कर रहा था।
पाकिस्तानी आतंकी चार जवानों को मारकर सेना के रेसिडेंशियल इलाके में घुस आए थे। जहां बच्चे, महिलाएं और बिना हथियार कितने ही सैनिक थे। पूरी तरह सुबह भी नहीं हुई थी जब अक्षय की टीम ने अदम्य साहस दिखाया और मासूम जिंदगियों को उन आतंकियों से बचाया। बतौर अक्षय की मां मैं हमेशा यही कहूंगी कि, जिस बहादुरी से अपनी परवाह किए बिना उसने उन मासूम जिंदगियों को बचाया इसका हमें गर्व है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर हमारी तरह के बाकी पैरेंट्स से मिलना बेहद भावुक कर देता है। लेकिन, ये काफी सुकून देने वाला और कई मायनों में इंस्पायरिंग भी है। मेरी पहली मुलाकात उधमपुर में आशा गुप्ता से हुई। जब हम पहली बार गले मिले तो बिना कुछ बोले, खुद ब खुद हमारी आंखें नम हो गईं। पैरा स्पेशल फोर्स के यंग कैप्टन तुषार महाजन फरवरी 2016 में कश्मीर के पाम्पोर में एक सरकारी बिल्डिंग में फंसे कई लोगों की जान बचाने के बाद उन्होंने देश के खातिर अपनी जान दे डाली। तुषार के घर जाकर मालूम हुआ कि उनके हीरो शहीद भगत सिंह थे। आशा और मैं पिछले तीन सालों से अपना दुख साझा कर रहे हैं।
बेंगलुरुमें हमारे घर से थोड़ी ही दूर पर मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के पेरेंट्स रहते हैं। संदीप ने ताज होटल मुंबई में कई टूरिस्ट की जान बचाई थी, अपनी जान की कीमत पर। आज वह लीजेंड बन चुका है।
धनलक्ष्मी अक्का, मेजर संदीप की खूबसूरत मां की बातों से पता चलता है, अक्का हर वो कुछ करना चाहती हैं जो संदीप चाहता था। उन्होंने साइकिल चलाना सीखा, बैंक का काम भी। संदीप के मम्मी पापा कई ऐसे युवाओं से भी मिले जो उनके बेटे से इंस्पायर्ड और मोटीवेटेड थे। वह कहती भी हैं, ‘जब लोग कहते हैं आपका एक ही बेटा था और आपने उसे आर्मी में जाने दिया, तो मैं कहती हूं ये सारे बच्चे भी मेरे हैं।’
पहली बार जब मैं मेजर मोहित शर्मा के घर दिल्ली गई तो उस दिन मोहित का बर्थडे था। उसकी मम्मी सुशीला जी ने सुबह से कुछ नहीं खाया था और तो और वह कमरे से बाहर ही नहीं निकली थीं। मार्च 2009 में मेजर मोहित और उनकी स्पेशल फोर्स की टीम कश्मीर के कुपवाड़ा में एक आतंकी ऑपरेशन का हिस्सा थी। मोहित ने अदम्य साहस से मुकाबला किया, खुद कुर्बान होने से पहले उन्होंने चार आतंकियों को मार गिराया और अपने दो साथियों को बचा भी लाए।
जब सुशीला जी ने हिम्मत बटोरी और बाहर हमसे मिलने आईं तो हमें उनके दुख का एहसास हो रहा था, लेकिन वह यही कोशिश कर रहीं थी कि हम असहज महसूस न करें। उस शाम के खत्म होने से पहले, मोहित की शरारतों, शौर्य और दीवानगी की कहानियां सुनकर हम दो परिवार एक बन चुके थे। गर्व और दर्द में हिस्सेदारी जो थी हमारी। खुशी हुई जब पता चला कि पिछले साल एक मेट्रो स्टेशन का नाम इस वीर के नाम पर रखा है।
लेफ्टिनेंट त्रिवेणी सिंह अशोक चक्र पर उस वक्त क्यूआरटी को लीड करने का जिम्मा था, जब 2004 में आतंकियों ने जम्मू रेलवे स्टेशन पर हमला किया और 7 लोगों की हत्या कर दी। लेफ्टिनेंट त्रिवेणी ने आतंकियों का पीछा किया और जान गंवाने से पहले दो को मार गिराया। मैं उनकी मां पुष्पलता के साथ किचन में आ गई और वह अपने बेटे की बातें सुनाते हुए हमारे लिए चाय बनाने लगीं।
वो बोलीं, ‘त्रिवेणी को तो काम करने की जरूरत ही नहीं थी। इतनी प्रॉपर्टी, लीची के बागीचे....लेकिन बचपन से ही उसको पैसों से नहीं, लोगों से प्यार था। शादी की पूरी तैयारी हो चुकी थी, मेन्यू डिसाइड हो रहा था जब हमें खबर मिली।’ उनके लिए अपना गम, गरिमा के पीछे छिपा पाना नामुमकिन हो रहा था। बाहर गेट पर जब हमनें पूछा कि क्या वो अक्षय की कार के साथ फोटो खिंचवाएंगी तो मां बोलीं, ‘हमारे भी बच्चे की कार है’, फिर अक्षय की कार पर हाथ रखकर बोलीं, ‘कितने प्यारे, निडर और दिलेर थे हमारे शेर बच्चे।’
हम उस दिन करगिल के पहले हीरो कैप्टन सौरभ कालिया की फैमिली से मिलने जा रहे थे। सौरभ की मम्मी हैं विजया दीदी। उन्होंने मुझे गले से लगाया और बोलीं, ‘मेरा बड़ा मन था आपसे मिलने का...विकास को भी कई बार बोला, अच्छा हुआ आप लोग आए।’ विजया दीदी सौरभ की कई कहानी सुनातीं हैं। कहने लगीं, ‘एक बार फैमिली में कोई गुजर गए थे, तो लोगों को रोते और उदास देखकर सौरभ बोला, मम्मी ये क्या है, डेथ तो कलरफुल होनी चाहिए...जब सौरभ शहीद हुआ तो लोगों की भीड़ किलोमीटर लंबी थी, सब चिल्ला रहे थे, भारत माता की जय और सौरभ अमर रहे।’ उनकी बातें सुनकर मेरा गला भर आया और आंसुओं को आंखों में रोके रखना बेहद मुश्किल था।
23 साल के सिपाही विकास डोगरा रेजिमेंट के उन 18 सैनिकों में से एक थे जो 2015 में मणिपुर में शहीद हुए। उनकी बस पर यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट के उग्रवादियों ने हमला किया था। आपने यदि उरी मूवी देखी है तो याद होगा फिल्म की शुरुआत मएक एम्बुश से होती है। जिसका हमारे सैनिक जवाब देते हैं। हिमाचल के एक गांव में विकास के पेरेंट्स रहते हैं। उनकी ज्यादा उम्र भी नहीं, आंखें दर्द से नम और उनकी बातें गुमसुम। विकास की मां, पिता और दादी को समझाती हैं, फिर अपनी बेटी की चिंता करते हुए कहती हैं, ‘बहन को भाई के जाने का बहुत दुख है, हमारी तो जिंदगी यूं ही कट जाएगी, पर उसे भाई का प्यार कहां से मिलेगा।’
हममें से कितने लोग मेजर सुधीर वालिया के बारे में जानते हैं? इंडिया के रैंबो रियल हीरो हैं वह। 4 जाट रेजिमेंट के मेजर सुधीर वालिया श्रीलंका में पीस कीपिंग फोर्स का हिस्सा थे। उन्होंने पैरा स्पेशल फोर्स को चुना, करगिल युद्ध लड़े, सेना प्रमुख जनरल वेद मलिक के एडीसी चुने गए, दो बार सियाचिन ग्लेशियर पर पोस्टेड रहे और जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ कई ऑपरेशन्स को अंजाम दिया।
किसी वक्त में जोश से सराबोर रहनेवाली उनकी मां अब बोल भी नहीं पातीं और चलना फिरना भी बंद है। उनके दिमाग में खून के थक्के जम गए थे और फिर स्ट्रोक। मैंने जब कहा, ‘आप तो शेर की मां हैं’, तो उनकी आंखों में चमक थी, उन्होंने सिर हिलाकर हामी भी भरी और मेरी हथेली को अपनी मुट्ठी में भींच लिया।
मेजर शिखर के पेरेंट्स अरविंद कुमार और पूनम थापा हैं। उनकी मां कहती हैं, ‘क्या करें जीना तो पड़ेगा, जब मैं सुवीर (अपने पोते) को देखती हूं तो और बुरा लगता है। कम से कम हम पेरेंट्स को शिखर के साथ 30 साल मिले, बहन के 24 साल और बीवी को 2 साल, लेकिन बेचारे इस बच्चे को तो पिता का प्यार बस 2 महीने ही नसीब हुआ।’ शिखर की पत्नी सुविधा ने अपने पति के नक्शे कदम पर चलने का फैसला किया। वह ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में वह कैडेट है। और बेटा सुवीर अपने दादा दादी के पास।
वैसे तो सभी हीरो और उनके बहादुर पेरेंट्स के साथ मैं न्याय नहीं कर सकी हूं। लेकिन कैप्टन अनुज नैय्यर, मेजर पी आचार्य, कैप्टन अमोल कालिया, कैप्टन उदयभान सिंह, कैप्टन देविंदर सिंह जस, राइफलमैन सोहनलाल, कैप्टन अमित भारद्वार, कैप्टन पवन कुमार, नायक चितरंडन देबारम, मेजर कुनाल गोसावी, कांस्टेबल एच गुरू, फ्लाइट लेफ्टिनेंट समीर अबरोल, सिपाही रविकांत ठाकुर उनमें से हैं जो मेरी ताकत का हिस्सा रहेंगे और उनकी बदौलत हमारे देश का झंडा उंचा।
हाल ही में हंदवाड़ा एनकाउंटर में हमने 5 वीरों को खो दिया, मातृभूमि की रक्षा करते, अधर्म से धर्म का युद्ध चलता रहेगा। हर वो युवा सैनिक जो युद्ध भूमि में धोखेबाज दुश्मन से मुकाबले को दाखिल होता है, यह जानकर कि उसका लौटना असंभव है, आज का अभिमन्यु है। अभिमन्यु की तरह उनमें काबीलियत है हिम्मत और शौर्य भी, दुश्मन के चक्रव्यूह में घुसने और उसे तोड़ने का।
हां वह मारे गए हैं लड़ते हुए, लेकिन उनकी महिमा हमेशा जिंदा रहेगी। इन शहीद सैनिकों को सैल्यूट कर और उनके खूबसूरत और अद्भुत परिवारों से मिलकर हमारी जिंदगी और ज्यादा अमीर और सार्थक हो गई है।
अब हमें अपने उन बेटों के फोन नहीं आते, चिटि्ठयां भी नहीं मिलतीं लेकिन वो हमेशा हमारे साथ हैं। आश्चर्य लगेगा लेकिन मेरी तरह की मांएं जो सांस लेती हैं तो हर सांस में जी रहा होता है उनका बेटा। वो अपने भाई बहनों के जरिए भी जिंदा रहते हैं, और हां अगर शादी शुदा हैं तो पत्नी और बच्चों में भी। एक मां आसपास के बच्चों में अपने बेटे को देखती है। मुझे लगता है, ‘हम सब के चंदा और सूरज जैसे बच्चे अब एक साथ गगन के तारों में चमकते हैं।’
मेरी ओर से आप सभी को हैप्पी मदर्स डे। ऊपर वाला आपके परिवारों को खुशी और साथ दे, हमेशा। मैं उम्मीद करती हूं आप आजादी और सुरक्षा के लिए लड़नेवाले हमारे सैनिकों के लिए गर्व और सम्मान महसूस करते होंगे।
जय हिंद की सेना। जय हिंद।
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जो दिन ही खास है तो लाजमी है मां की खूबियों की एक बार फिर गिनती कर ली जाए
हाल ही में एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें बेंगलुरु की सना अग्रवाल रविवार की शामों में पियानो बजाकर अपने अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स के रहवासियों का मनोरंजन करती और उनका हौसला बढ़ाती नजर आईं। गुरुग्राम में एक अपार्टमेंट के रहवासी बालकनी में अंताक्षरी और तंबोला जैसी गतिविधियां कर रहे हैं। वे लॉकडाउन के दौरान हर शाम 6.30 बजे ऐसा करते हैं, जो उन सबको एक साथ ला रहा है। पूरी दुनिया में जहां कोविड-19 से लड़ने के लिए दरवाजे बंद किए जा रहे हैं, वहीं लोग गाने, नाचने, गेम्स खेलने और अपना हौसला बनाए रखने के लिए बालकनियों में आ रहे हैं।
बालकनी मूलरूप से मिस्र या पर्शिया की अवधारणा मानी जाती है। यह अब पूरी दुनिया में, खासतौर पर मेट्रो शहरों में लॉकडाउन की वजह से विभिन्न गतिविधियों की जगह बन गई है। जब मैं कुंवारा था तो मुंबई में इस छोटी सी जगह का बहुत इस्तेमाल करता था (70 और 80 के दशक में यह बहुत बड़ी होती थीं), क्योंकि इससे
बाहरी माहौल घर के अंदर से दिखता था। सबसे ऊंची मंजिल से गुजरते शहर को देख मेरा युवा मन कल्पना करता था कि मैं भी इस भीड़ में गाना गा रहा हूं, जैसे ‘छोटी सी बात’ फिल्म में विद्या सिन्हा सड़क पर चलते हुए अपने प्रेमी अमोल पालेकर के लिए गाती हैं। सैद्धांतिक रूप से बालकनी लोगों के लिए बाहरी दुनिया को अंदर से जोड़ने का जरिया थीं। फिर मेरी शादी हुई और बालकनी अचानक कपड़े सुखाने की रस्सियां छिपाने के लिए बनाए गए छोटे गमलों वाले बगीचे की जगह हो गई। जब मेरी हैसियत वॉशिंग मशीन लेने की हो गई तो कपड़ों की रस्सी के पीछे उसे रखा गया। धीरे-धीरे हम लालची मुंबईकरों ने इसे जालियों से बंद कर दिया, फिर स्लाइडिंग दरवाजे लगा दिए और इसमें छोटे बेडरूम बना लिए। मेरे कई परिचितों के बच्चों ने बीते सालों में इसी बालकनी में बैठकर स्कूल की पढ़ाई पूरी की।
मुझे बालकनी के मायने तब समझ आए, जब मैंने विदेश जाना शुरू किया, जहां वे इसे सिर्फ छोटा बगीचा ही बनाते हैं। और जब इस बालकनी का मालिक जोड़ा, ऊंची मंजिल के इस गार्डन में खड़ा होता था तो ग्राउंड फ्लोर पर खड़े फोटोग्राफर के लिए हरे बैकग्राउंड के साथ नीले आसमान के बीच उनकी तस्वीर खींचना बहुत लुभावना होता था। सोशल डिस्टेंसिंग अब आवश्यक हो गई है और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को पूरा होने में अभी 9 दिन बाकी हैं। अनिश्चितता का संकट अब भी मंडरा रहा है, इसलिए रहवासी अपनी बालकनियों को नए तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे 24 घंटे सातों दिन जुड़े रहने के लिए ऑफिस की शक्ल दी है, तो कुछ रोमांटिक कपल्स ने इसे कैंडल लाइट डिनर की जगह में तब्दील कर दिया है, वहीं कुछ लोगों ने इसे शानदार व्यू वाले कमरे में बदल लिया है। हाल ही में मेरी एक ऑनलाइन कंसल्टेंसी क्लास में एक आर्किटेक्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि भविष्य की निर्माण गतिविधियों में, जब भी ये शुरू होंगी, बालकनी वैसी ही हो जाएगी, जैसे पारंपरिक भारतीय घरों में बरामदे होते थे। कुछ आर्किटेक्ट्स पहले ही इस बात से सहमत हैं कि हर कमरे के बाहर एक छोटी सी पट्टी बनाकर उसे बालकनी कहने की जगह अब एक बड़ी बालकनी होनी चाहिए, जो परिवार की जगह की तरह हो। जो बाहर और अंदर को जोड़ने का काम करे, बिल्कुल वैसे ही जैसे हम खप्पर वाले घरों के आंगन में खेला करते थे। नए अवतार में ये बालकनियां न सिर्फ अचार को धूप दिखाने, दाल-चावल के बर्तनों से कीड़े भगाने के काम आएंगी, बल्कि अभी जैसी स्थिति में, जब सब एक-दूसरे से कट गए हैं, एकता और निकटता की भावना पैदा करने में भी मदद करेंगी। अब जल्दी से बालकनी को साफ कर लें, किसी कोने में कुछ चिड़ियों को घर बनाने दें, चिड़ियों की चहचहाहट के बीच कैंडल लाइट डिनर करें।
फंडा यह है कि कोरोना के बाद बालकनियां पारिवारिक गतिविधियों का नया ठिकाना बन जाएंगी, क्योंकि हमें नहीं पता कि फ्लैट से बाहर की सार्वजनिक जगहें अभी कितनी सुरक्षित हैं।
मैनेजमेंट फंडा एन. रघुरामन की आवाज में मोबाइल पर सुनने के लिए 9190000071 पर मिस्ड कॉल करें।
शहरों और कस्बों के किसी भी मोहल्ले से गुजरें तो अधिकांश मकानों के नाम में मां को शामिल किया गया है, जैसे- ‘मातृकृपा’। यह बात अलग है कि बेटा अपनी पत्नी के दबाव में उसी मां के साथ अन्याय करे। टीवी हास्य सीरियल ‘हप्पू की उलटन पलटन’ का नायक अपनी मां और पत्नी के पाटों के बीच सतत् पिसता रहता है। जब मनुष्य भयावह स्वप्न से जाता है तब उसके मुंह से निकलने वाला पहला शब्द मां होता है। जन्म के बाद अम्बिलिकल कार्ड काटकर संतान को मां से जुदा किया जाता है, परंतु रिश्ते में यह अम्बिलिकल कार्ड कभी नहीं कटती। धरती को मां कहा जाता है, केवल जर्मन लोग अपने देश को फादरलैंड कहते हैं, शेष सभी देशों में मदरलैंड कहा जाता है।
‘मदर इंडिया’ फिल्म में प्रस्तुत मां अपने लाडले पुत्र को गोली मार देती है, क्योंकि वह गांव की बेटी को उसके विवाह के समय लेकर भाग रहा था। ‘मदर इंडिया’ से श्रीदेवी अभिनीत ‘मॉम’ तक मां के चरित्र चित्रण में परिवर्तन हुए हैं। ‘मॉम’ की केंद्रीय पात्र अपनी सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म करने वाले चारों व्यक्तियों की हत्या कर देती है। ‘करण अर्जुन’ में मां अपने पुत्रों को हथियार की तरह इस्तेमाल करके अपने पति के हत्यारों को नष्ट करवा देती है। भारतीय माइथोलॉजी में अनेक देवता प्रस्तुत हुए हैं, परंतु मां दुर्गा सबसे अधिक शक्तिशाली हैं।
जयंतीलाल गढ़ा की विद्या बालन अभिनीत ‘कहानी’ का क्लाइमेक्स दुर्गा पूजा के साथ गूंथा गया है। साहित्य में मैक्सिम गोर्की की ‘मदर’ और पर्ल. एस. बक की ‘द अर्थ’ सर्वकालीन महान रचनाएं हैं। निदा फाजली की रचना इस तरह है- बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी मां, याद आती है चौका-बासन, चिमटा फूंकनी जैसी मां, बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सब में, दिनभर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी मां, बांट के अपना चेहरा, माथा, आंखें जाने कहां गईं फटे पुराने इक एलबम में चंचल लड़की जैसी मां....।
मंगलेश डबराल कहते हैं ‘मैं अक्सर जमाने से चली आ रही पुरानी नक्काशीदार कुर्सी पर बैठा, जिस पर बैठकर तस्वीरें खिंचवाई जाती हैं, मां के चेहरे पर मुझे दिखाई देती है एक जंगल की तस्वीर, लकड़ी घास और पानी की तस्वीर। राज कपूर, दिलीप कुमार, देव आनंद की फिल्मों में दुर्गा खोटे, लीला चिटनिस, अचला सचदेव ने मां की भूमिकाएं अभिनीत की हैं। ज्ञातव्य है कि अचला सचदेव कम उम्र से ही मां की भूमिकाएं करने लगी। उन्होंने जिन अभिनेताओं की मां की भूमिका की उनसे मात्र दो या चार वर्ष ही बड़ी थीं। आभास होता है मानो वे मां की भूमिका अभिनीत करने के लिए ही जन्मी थीं। धर्मेंद्र, मनोज कुमार और राजेंद्र कुमार के दौर में कामिनी कौशल ने मां की भूमिका की। ज्ञातव्य है कि वे दिलीप कुमार के साथ प्रेम भूमिकाएं अभिनीत कर चुकी थीं। सलमान, आमिर और शाहरुख के दौर में रीमा लागू ने मां की भूमिका अभिनीत की। वर्तमान दौर की फिल्मों में मां की भूमिका कम गढ़ी जाती हैं। फिल्मों में दिवाली, होली, ईद के त्योहारों की तरह मां की भूमिकाएं भी कम रची जा रही हैं।
जिन कलाकारों ने नायिकाओं की भूमिका अभिनीत कीं, उम्रदराज होने पर उन्हें मां की भूमिकाएं अभिनीत करते हुए अपना गुजरा जमाना याद आना स्वाभाविक है। सनी देओल और निरूपा रॉय ने फिल्म ‘बेताब’ में मां और बेटे की भूमिकाएं अभिनीत की थीं। एक दृश्य में मां अपने बेटे को सीने से लगाती है। निरूपा रॉय इस दृश्य को अभिनीत करते समय गुजरे जमाने की याद में खो गईं और डायरेक्टर के कट बोलने के बाद भी नायक पुत्र को सीने से कसकर लगाए रहीं। इसी तरह कामिनी कौशल को मनोज कुमार की मां की भूमिका अभिनीत करते समय दिलीप कुमार की याद आती थी, क्योंकि मनोज कुमार स्वयं दिलीप कुमार की शैली में अभिनय करते थे। वहीदा रहमान ने भी मां की भूमिकाएं अभिनीत की हैं। ‘त्रिशूल’ में वे अमिताभ बच्चन की मां बनीं। जिनके साथ ‘रेशमा और शेरा’ कर चुकी थीं। यशराज की ‘लम्हे’ में वे अनिल कपूर की दाइजा की भूमिका अभिनीत करते हुए एक दृश्य में गीत गाती हैं- ‘तोड़कर बंधन बांधी पायल, आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है, तो दर्शक अत्यंत प्रसन्न होते हैं। उन्हें ‘गाइड’ की रोजी की याद आती है। महबूब खान की ‘आन’ में नादिरा, दिलीप कुमार की नायिका बनीं और कुछ वर्ष पश्चात राज कपूर की ‘420’ में माया नामक खलनायिका का पात्र अभिनीत करती हैं जो नायक को विधा से दूर ले जाती है। कुछ समय बाद ही बाबूराम इशारा की ‘चेतना’ में वे युवा कॉल गर्ल की मैडम बनी हैं। वे युवा कॉल गर्ल को कहती हैं कि ‘तुम मुझमें अपना आने वाला कल देख सकती हो और मैं तुममें अपना बीता हुआ कल देख रही हूं। समय चक्र में मां की भूमिका अभिनीत करने वाली कलाकार अपनी गोद में अपनी बेटी के होने के एहसास को महसूस कर सकती है।
पश्चिमी विक्षोभ से उत्तरी भारत का मौसम एकाएक बदल गया। खासकर हरियाणा में रविवार को तेज आंधी-तूफान के चलते दिन में अंधेरा छा गया। आसमान काली घटाओं से घिर गया और बारिश भी हुई। एकाएक मौसम का मिजाज बदलने से गर्मी से थोड़ी राहत जरूरी मिली, लेकिन मंडी में बिकवाली के लिए पहुंची गेहूं बारिश की भेंट चढ़ गई।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 13 मई तक मौसम परिवर्तनशील रहेगा। आगामी तीन दिनों तक मौसम परिवर्तनशील रहेगा। आगामी 48 घंटों में मेघ गर्जना बारिश होने की संभावना है। रविवार सुबह आम दिनों की तरह धूप खिली थी लेकिन करीब 9 बजे मौसम अचानक से बदल गया। आसमान में बादल छा गए और तेज आंधी शुरू हो गई। आंधी के साथ-साथ बारिश शुरू हुई। पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र में तेज आंधी और बारिश थी, जिससे सड़कों पर खड़े काफी पेड़ उखड़कर गिर गए।
चंडीगढ़ मौसम विभाग के निदेशक डॉ. सुरेंद्र पाल के अनुसार चंडीगढ़ में 22 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली। वहीं एयरपोर्ट एरिया में 66 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार रही। शहर का अधिकतम तापमान 33 डिग्री दर्ज किया गया। आगामी तीन दिनों तक मौसम परिवर्तनशील रहेगा। तेज हवाओं के साथ बारिश भी हो सकती है।
हरियाणा में चली 40 से 50 किलो मीटर प्रतिघंटा से हवाएं
पश्चिमी विक्षोभ से हरियाणा के सभी जिलों में बारिश हुई है। प्रदेश में 40 से 50 किलोमीटर प्रतिघंटा तेज धूल भरी तेजहवाएं चली। करीब दो से तीन घंटे तक हवाओं एवं रिम-झिम बारिश से मौसम सुहावना हो गया। प्रदेश के पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, कैथल, जींद, करनाल, सोनीपत, पानीपत सहित सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, हिसार, चरखी-दादरी, झज्जर, रोहतक, रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ में तेज हवाओं के साथ बारिश हुई। अभी तक प्रदेश में लू का प्रकोप भी देखने को नहीं मिला है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मई के दूसरे पखवाड़े से ही लू का प्रकोप शुरू हो सकता है।
एसबीआई ने रामदेव इंटरनेशनल के 3 चावल निर्यातकों के खिलाफ सीबीआई में मामला दर्ज करवाया है। ये आरोपी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले 6 बैंकों के गठजोड़ के साथ 411 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बाद देश से फरार हो चुके हैं। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि एसबीआई द्वारा इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने से पहले ही ये देश से भाग चुके हैं।
सीबीआई ने हाल में पश्चिम एशियाई देशों और यूरोपीय देशों को बासमती चावल का निर्यात करने वाली कंपनी और उसके निदेशकों नरेश कुमार, सुरेश कुमार और संगीता के खिलाफ एसबीआई की शिकायत पर मामला दर्ज किया था। आरोप है कि इन लोगों ने उसको 173 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।
एसबीआई ने कहा है कि कंपनी की करनाल जिले में 3 चावल मिलें, 8 छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयां हैं।
करनाल की कंपनी ने व्यापार के लिए सऊदी अरब और दुबई में कार्यालय भी खोले हुए हैं। कंपनी को ऋण देने वाले बैंकों में केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और कॉरपोरेशन बैंक शामिल हैं।
लॉकडाउन फेज-3 का आज7वां दिन है। फरीदाबाद में कोरोना से तीसरी मौत हो गई, जबकि प्रदेश में यह 10वीं मौत है। फरीदाबाद के ईएसआई अस्पताल में भर्ती 73 साल की एक शुगर पेशेंट महिला ने दम तोड़ दिया। महिलाआशा सूरी फरीदाबाद के सेक्टर-29 की रहने वाली थी। बीती 6 मई को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। इसके बाद उन्हें ईएसआई अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हरियाणा में कुल मरीजों का आंकड़ा 692 पहुंच गया है। गुड़गांव के बाद सोनीपत में मरीजों की कुल संख्या 100 पहुंच गई है।
हरियाणा में इंडस्ट्री का चक्काचला
कोरोना से जान गंवाने वाली युवती का परिजनने शव लेने से इनकार
कोरोना से जान गंवाने वाली पानीपत की 20 साल की युवती का अंतिम संस्कार भी खानपुर के डॉक्टरों को कराना पड़ा, क्योंकि परिजनों ने शव लेने से ही इनकार कर दिया था। प्रोटोकॉल के अनुसार,ऐसे वक्त में परिवार से किसी न किसी सदस्य कोमौजूद रहना चाहिए। दरअसल, युवती फरीदाबाद की थी और यहां बहन के पास आई थी। पानीपत के लोग फरीदाबाद औरफरीदाबाद के परिजन पानीपत में अंतिम संस्कार कराने की बात कह रहे थे। अंतत: अंतिम यात्रा में भी अपनों का साथ भी नहीं मिला।
सिंगापुर से लाए गए 19 युवकों ने अव्यवस्था पर सवालउठाए
शुक्रवार को सिंगापुर से लाकर गुड़गांव के डूंडाहेड़ा सामुदायिक केंद्र में क्वारैंटाइन किए गए 19 युवकों ने शनिवार को वहां की अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठाए। युवकों ने वीडियो बनाकर फेसबुक पर पोस्ट की। उन्होंने बताया कि जिस हॉल में उन्हें ठहराया गया है, वहां गंदगी फैली है। शौचालयों में न ही हाथ धोने और न ही नहाने के लिए पानी है। जब से उन्हें यहां लाया गया है, तब से कोई भी उनकी जांच करने तक नहीं आया है। खामियों को दिखाते हुए सरकार से उन्हें दूर कराने की मांग की। मामला बिगड़ता देख प्रशासन ने उन्हें बाद में दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया।
हरियाणा में 10 की कोरोना से मौत, लेकिन सरकार गुड़गांव के एक मरीज को नहीं गिन रही
हरियाणा में 692 पहुंचा पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा
(दीपक शर्मा)। अभी तक कोरोना के कहर से बचे डूंगरपुर शहर में पहला मामला आया है। दो दिन पहले ही मुंबई से आया 28 वर्षीययुवक कोरोना संक्रमित है। युवक की रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही उसके घर के आस-पास एक किलोमीटर केइलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहां पुलिस तैनात कर दी गई है।
ऐसे चला पता
शहर की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाला युवक आठ मई को अपनी कार से मुंबई से डूंगरपुर आया था। उसने प्रशासन से राजस्थान आने की इजाजत ली थी और उसका और उसके तीन दोस्तों का पास बना था। चारों दोस्त कार से गुजरात होते हुए राजस्थान पहुंचे। ये रतनपुरा बॉर्डर से डूंगरपुर बस स्टैंड पहुंचे।
इस युवक के साथ आए तीन दोस्तों को सलूंबर जाना था। इसलिए इस युवक ने अपने एक दोस्त को बुलाया। स्कूटी से आया उसका दोस्त एक ड्राइवर को साथ लाया। ड्राइवर कार से इस युवक के दोस्तों को छोड़ने के लिए सलूंबर के लिए रवाना हो गया। कार वापिस लानी थी इसलिए ड्राइवर को बुलाना पड़ा। उनके जाने के बाद स्कूटी सवार युवक ने मुंबई से आएअपने दोस्त को उसके घर छोड़ा।
शनिवार को चिकित्सा विभाग की टीम डोर-टू-डोर सर्वे कर रही थी। जांच में पता चला कि उसे बुखार है। ट्रैवल हिस्ट्री जानने पर पता चला कि वह मुंबई से आया है तो उसे अस्पताल ले जाया गया तथा सैंपल जांच के लिए भेजा गया। रात को इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही प्रशासन हरकत में आ गया तथाहाउसिंग बोर्ड कॉलोनीमेंइसके घर के आस-पास एक किमी के क्षेत्रमें कर्फ्यू लगा दिया गया। वहीं इसके साथ आए तीन दोस्तों और इसके दोस्त तथा ड्राइवर को क्वारैंटाइन कर दिया गया है।
अजमेर में रविवार सुबह 2 नए कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए। जिसके बाद कुल संक्रमितों का आंकड़ा 213 पहुंच गया है। इससे पहले शनिवार को 15 पॉजिटिव केस सामने आए ते। इनमें 4 प्रसूताएं भी शामिल हैं। बीते 48 घंटे में छह प्रसूताएं संक्रमित हो चुकी हैं, इसमें से एक प्रसूता ने शनिवार को नवजात को जन्म दिया है। अजमेर जिले में पहला कोरोना पॉजिटिव 27 मार्च को मिला था। 25 दिन बाद यानी, 22 अप्रैल को संक्रमितों की संख्या 100 के पार पहुंच गई। वहीं 18 दिन बाद यानी, 9 मई को जिले में पॉजिटिव 211 हो गए। जो अब 213 पहुंच गई है। आंकड़ों के अनुसार जिले में पहले 100 पॉजिटिव मरीज जहां 25 दिन में सामने आए, वहीं दूसरे 100 पॉजिटिव महज 17 दिन में ही हो गए।
पिछले एक सप्ताह में 4 लोगों की मौत भी हो चुकी है। बीते 24 घंटे के आंकड़े देखें तो अजमेर के आदर्श नगर, पर्वतपुरा बाइपास, वैशाली नगर, पंचशील, अजयनगर, नसीराबाद, किशनगढ़ शहर नए कोरोना क्षेत्र बनकर सामने आए हैं। चिकित्सा विभाग ने शनिवार को 108 लोगों के सैंपल लिए हैं।
लापरवाही...दो दिन बाद भी सैंपल नहीं लिए
केसरगंज बाबू मोहल्ला में पॉजिटिव मिलने के दो दिन बाद भी मोहल्लेवासियों के सैम्पल नहीं लिए गए हैं। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि किसी भी परिवार से अबतक जानकारी भी नहीं ली है।
24 घंटे में यहां से मिले पॉजिटिव
अब जिले के 14 थाना क्षेत्रों में हॉट-स्पॉट
अजमेर जिले में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने से पुलिस और जिला प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। अब तक जिले में करीब 14 थाना क्षेत्रों में हॉटस्पॉट बन चुके हैं। पिछले 24 घंटे शहर में जो पॉजिटिव केस सामने आए, उनमें से आदर्श नगर, अजयनगर, परबतपुरा, बड़ल्या, पंचशील और मानसिंह होटल के क्वारेंटाइन सेंटर के लोग हैं। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए अजमेर में अजयनगर के एक किमी क्षेत्र में और आदर्शनगर थाना क्षेत्र के कुछ इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। केकड़ी में भी कर्फ्यू लगा दिया गया हैं। यहां काजीपुरा क्षेत्र से एक कोरोना संक्रमित पॉजिटिव आया है। शनिवार कa यहां पुलिस अधीक्षक कुंवर राषट्रदीप ने दौरा भी किया। नसीराबाद शहर एवं अजमेर उपखण्ड के जाटिया गांव व आसपास के क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया गया है। नसीराबाद शहर का सम्पूर्ण सीमा क्षेत्र 'जीरो मोबिलिटी एरिया' घोषित किया गया है।
एक पिता के साये तले बच्चे क्यों हर संकट से महफूज महसूस करते हैं। लाडले भांजे की जान बचाने मामा किस हद तक जाेखिम उठा सकता है। इसका उदाहरण पेश किया उदयमंदिर के रविंद्र चांवरिया ने। रविंद्र के अपने बच्चे प्रतिभा (6), विनित (12), उदिता (13) के साथ ही भांजा मयंक (11) 18 अप्रैल काे पाॅजिटिव आए थे। पूरे परिवार काे क्वारेंटाइन किया गया था। मासूमाें काे काेराेना की जंग जिताने रविंद्र स्वस्थ हाेते हुए भी बच्चाें के साथ एमडीएम हाॅस्पिटल में रुके थे। बच्चाें काे याेग-प्रार्थना, खेल, आराम करवाकर शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत रखा। इसका नतीजा भी निकला और 29 अप्रैल काे रविंद्र के तीनाें बच्चे स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए। हालांकि भांजा मयंक तब भी काेराेनाग्रस्त ही आया। रविंद्र ने पिता का फर्ज पूरा होने पर एक मामा का कर्तव्य भी निभाने की ठानी। तीनों बच्चों को तो घर भेज दिया और अकेले भांजे के लिए भी हॉस्पिटल में रुके रहे।
डेढ़ माह से बेटे को नहीं देख सकी है मां
मासूम बच्चे के डॉक्टर भी अलग से ड्राइफ्रूट भिजवाते। मामा की मेहनत, मयंक का आत्मविश्वास और मेडिकल टीम की देखरेख आखिर रंग लाई। पूरे 9 दिन बाद शुक्रवार को मयंक की रिपोर्ट निगेटिव आई। रविंद्र चांवरिया की 20 दिन की मेहनत सफल हुई। शुक्रवार को वे स्वस्थ मयंक को लेकर हॉस्पिटल से घर पहुंचे। मयंक लॉकडाउन से पहले ही ननिहाल आ गया था। वह पॉजिटिव आया तो मां शांता बिलख पड़ी थी। भाई रविंद्र ने उन्हें भरोसा दिलाया। शांता को जब बेटे मयंक के स्वस्थ होने का पता चलता तो खुशी के आंसू छलक उठे।
तीनाें ममेरे भाई-बहनों के घर लौट जाने से मयंक बेहद उदास हो गया था। मामा रविंद्र ने उसे हाैसला दिया कि जल्दी ही वे भी स्वस्थ होकर घर चलेंगे। वे मयंक को याेग, प्रार्थना, पढ़ाई करवाने के साथ ही उसके साथ खेलते भी। उसे खुश रखने के सारे जतन के साथ ही आत्मविश्वास भी बढ़ाते। दिन में कई-कई बार घर पर उसके भाई-बहनों से उसकी बात करवाते। सुरक्षा के लिए वे मास्क के साथ सोशल डिस्टेंस भी बनाए रखते।
कोरोना के कारण निगम के 400 कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं। ये कर्फ्यूग्रस्त या कंटेनमेंट इलाकों में रह रहे हैं। निगम ने इनको घर के पास ही सफाई उप कार्यालय या सीएसआई कार्यालय में उपस्थिति देने को कहा, साथ ही हिदायत दी कि आदेश की अवहेलना करने पर कार्रवाई होगी। लॉकडाउन के बाद कोरोना मरीजों वाले इलाकों को सील करने के लिए गए फैसले के बाद रेड जोन, कर्फ्यू व कंटेनमेंट जोन में रहने वाले सफाई कर्मचारियों को घर से नहीं निकलने दिया जा रहा है, ताकि संक्रमण तेजी से नहीं फैले। इसके चलते कई सफाई प्रभारी भी बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इन सफाई कर्मचारियों व प्रभारियों के फील्ड में नहीं होने से शहर की सफाई व्यवस्था चरमराने लगी है। इसी को ध्यान में रखते हुए निगम प्रशासक एसके ओला ने यह निर्णय लिया है।
भीतरी शहर व उदयमंदिर में कर्फ्यू लगने के बाद कई सफाई प्रभारियों ने निगम के सोशल ग्रुप में सफाई कर्मचारियों को बाहर निकलने के इंतजाम करवाने के लिए प्रशासक को लिखा, लेकिन तब उन्होंने भी कर्मचारियों को घर में रहने को कहा था, अब उदयमंदिर, मेड़ती गेट, नागौरी गेट, चांदी हाॅल, लखारा बाजार सहित परकोटे के भीतरी इलाकों में रहने वाले सफाई कर्मचारी के काम पर नहीं जाने से सफाई व्यवस्था चरमराने से यह कदम उठाया है।
बाल कल्याण समिति ने शहर के निकट 13 एलएनपी (ठाकरांवाली) के आस पास 14 अप्रैल रात को चूनावढ़ पुलिस को लावारिस हालत में मिले बालक के परिजनों का पता लगा लिया है। 10-11 वर्ष का यह बालक बिहार के अररिया जिले का निवासी है। लॉकडाउन के बाद कानूनी कार्रवाई पूरी कर बालक को परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा। समिति अध्यक्ष एडवोकेट लक्ष्मीकांत सैनी के अनुसार समिति को 16 अप्रैल को जिला अस्पताल से एक पत्र प्राप्त हुआ। जिसमें जानकारी दी गई कि एक बालक 13 एलएनपी के पास लावारिस हालात में मिला है, उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। आइसोलेशन वार्ड में भर्ती बालक से मिलकर मित्रता पूर्ण वातावरण तैयार किया गया। इसके बाद जब बालक उनके साथ घुल मिल गया तो समिति सदस्यों ने नाम पता पूछा। तब बालक ने अपना नाम संदीप पुत्र मदन लाल निवासी जिला अररिया बिहार बताया। बच्चे ने समिति सदस्यों को बताया कि रेलगाडी में सवार होकर यहां पहुंच गया था। समिति के पदाधिकारियों ने बालक के हित को ध्यान में रखते हुए उसे 6 मई को सुरक्षित स्थान पर आश्रय के लिए भेज दिया।
दस्तावेजों की जांच के बाद ही होगी सुपुर्दगी: समिति अध्यक्ष ने बताया है कि बालक के बताए पते के अनुसार सिमिति सदस्याें हुकमाराम, प्रभा शर्मा, छात्रावास अधीक्षक अनुसूईया, चाइल्डलाइन समन्वयक त्रिलोक वर्मा ने बिहार, पश्चिम बंगाल की बाल कल्याण समितियों एवं पुलिस थानों से संपर्क किया। समिति श्रीगंगानगर के प्रयासों से बालक के लापता होने की जानकारी पुलिस थाना मिर्जापुर अररिया से मिली। बच्चे के परिजनों ने इसके लापता होने की रिपोर्ट पुलिस थाने में दी थी। उसके पिता मदनलाल को बच्चे के सकुशल होने की सूचना दी गई है। अब लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद माता पिता संबधित दस्तावेजों की जांच कर बालक सुपुर्द किया जाएगा।
काेराेना संक्रमण काे पंजाब से श्रीगंगानगर में प्रवेश काे राेकने काे स्टेट बाॅर्डर पर की गई व्यवस्थाओंका जायजा लेने शनिवार दाेपहर संभागीय आयुक्त छगन श्रीमाली व आईजी जाेस माेहन माैके पर पहुंचे। कलेक्टर शिव प्रसाद मदन नकाते व एसपी हेमंत शर्मा पहले से माैजूद थे। कलेक्टर ने दाेनाें उच्चाधिकारियाें काे बताया कि वर्तमान में स्टेट बाॅर्डर पर सभी नाकाें पर केवल गुड्स कैरियर काे ही आवागमन की अनुमति है। इसके अलावा पंजाब से श्रीगंगानगर में आने के लिए जिला प्रशासन की अनुुमति लेना अनिवार्य है। लाेगाें की सुविधा के लिए ई-मित्र के माध्यम से पास के लिए अावेदन लिए जा रहे हैं। चार सीसी कैमराें से हर आने जाने वाले वाहनाें और नागरिकाें की अभय कमांड सेंटर पर निगरानी की जा रही है। पास जारी हाेने के बाद हर नागरिक की स्वास्थ्य की जांच की जा रही है। दाे जगह नाम व पते दर्ज किए जाने के बाद जाने दिया जा रहा है।
उन्हाेंने पंजाब पुलिस की ओर से पंजाब राज्य सीमा में राजस्थान पुलिस के नाके से महज 10 मीटर की दूरी पर लगाए गए नाके पर जाकर भी बात की। सभी व्यवस्थाओंकाे ठीक बता वे श्रीगंगानगर के लिए रवाना हाे गए। इससे पहले पंजाब के पतली चेक पोस्ट का भी निरीक्षण किया गया।
सांसद निहालचंद मेघवाल ने आकाशवाणी सूरतगढ़ से कोरोना संक्रमण से बचाव काे लेकर संदेश दिया। सांसद ने क्षेत्रवासियों को इस संकट की घड़ी में बचाव के लिए बुनियादी रोकथाम और सतर्कता बरतनेे का आह्वान किया। सांसद ने कहा अपने घर पर सुरक्षित रहें और बिना वजह घर से बाहर न निकलें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस व जिला प्रशासन सराहनीय कार्य कर रहा है। हम सभी को इनका सहयोग करें। सांसद ने कहा कि किसानों की फसल खरीद के लिए जिले में अपेक्षित इंतजाम किए गए हैं। जिले में पर्याप्त बारदाना पहुंच गया है। किसानों को फिजीकल डिस्टेंसिंग व मास्क का उपयोग आवश्यक रूप से करना चाहिए। उन्हाेंने अपील की कि अपने आसपास के क्षेत्र में जरूरतमंद की यथासंभव राशन व राेजगार के रूप में मदद करें। जब भी बाहर जाएं अपना मुंह ढ़क कर रखें। घर में आते ही साबुन से अच्छी तरह हाथ धोए।
बाॅर्डर एरिया के ग्रामीण क्षेत्र में टिड्डी दल का हमला जारी है। टिड्डी दल ने शनिवार काे भी मिर्जेवाला, दाैलतपुरा, मदेरां और हिन्दुमलकाेट एरिया में दस्तक दी। हिन्दुमलकाेट में पाकिस्तान सीमा के पास लंबे चाैड़े क्षेत्र में आई टिड्डी दिन भर इधर उधर भटकने के बाद शाम काे पाकिस्तान सीमा में प्रवेश कर गई, लेकिन मदेरां और दाैलतपुरा क्षेत्र में कृषि अधिकारियाें काे टिड्डियाें ने दिन भर परेशान किया। कृषि विभाग के उपनिदेशक डाॅ. जीआर मटाेरिया सुबह से स्टाफ काे साथ लेकर माैके पर पहुंचे। मदेरां के पास अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एच नहर के आसपास पेड़ाें पर बैठी टिड्डियाें पर दवा का छिड़काव करवाया। एक समय ताे यह स्थिति भी आगई कि नहर के दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्र में पटरियाें के पास पेड़ाें पर बैठी टिड्डियाें पर दवा का छिड़काव करवाया गया। डाॅ. मटाेरिया ने बताया कि शनिवार काे हिन्दुमलकाेट एरिया में आई टिड्डियां इधर उधर घूमती रही और शाम काे पाकिस्तान की तरफ उड़ गई। यहां दिन भर में किसानाें के 10-12 ट्रैक्टराें व टिड्डी मंडल सूरतगढ़ की दाे गाड़ियाें की मदद से दवा का छिड़काव करवाया। इस माैके पर उनके साथ सहायक कृषि अधिकारी सुशील बेदी, जसवंतसिंह, कृषि पर्यवेक्षक नेतराम, वीरपालसिंह, अाकाश भांभू, कृष्ण जांदू एवं अनेक किसान साथ रहे।
लॉकडाउन के बाद जिले में पहली बार प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का शनिवार को आयोजन किया गया। इस दौरान डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों ने फिजीकल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए मास्क लगाकर विभिन्न अस्पतालों में 1068 गर्भवती महिलाओं की जांच की। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने परामर्श दिया। सीएमएचओ डॉ. गिरधारी लाल मेहरड़ा ने बताया कि हर माह की 9 तारीख को जहां निजी डाॅक्टर पूर्णत: नि:शुल्क सेवाएं दे रहे हैं, वहीं सरकारी डॉक्टर भी अपनी लाभान्वित कर रहे हैं।
जिले के प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि कोरोना को चुनौती मानें। संक्रमण से बचाव के लिए फिजीकल डिस्टेंसिंग को अपनाते हुए मनरेगा व छोटे उद्योगों में काम शुरू करवाया जाए, ताकि श्रमिकाें काे राेजगार मिल सके। डाेटासरा शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से जिला स्तरीय अधिकारियों के की बैठक में निर्देश दे रहे थे। उन्हाेंने बचाव के लिए की जा रही व्यवस्थाओकी समीक्षा की। मनरेगा योजना में भी गांव-गांव में काम मंजूर करने के निर्देश दिए। खाद्य सुरक्षा के तहत अनाज व दालाें का पारदर्शी तरीके से वितरण करने काे कहा। हिदायत दी कि राशन डिपो नियमित रूप से खुले रहें। संक्रमण बचाव के लिए फिजीकल डिस्टेंसिंग की पालना की जाए। डाेटासरा ने गेहूं, चना व सरसों की सरकारी खरीद व मंडी में खरीद व्यवस्था की के माॅडल की प्रदेश भर में सराहना हुई है। इस अन्य मंडियाें में भी अपनाया गया।
जिले प्रभारी सचिव आईएएस वैभव गलरिया ने कहा कि कोविड-19 के दौरान श्रीगंगानगर जिले में कई नवाचार किए गए हैं। बीएलओ से जिले के 22 लाख लोगों का सर्वे, क्वारेंटाइन लोगों के मोबाइल मेंं एप से निगरानी सहित अन्य नवाचार किए गए। जो राष्ट्रीय स्तर पर सराहनीय रहे। कलेक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने जिले में किए इन नवाचारों पर देशभर के प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया। प्रभारी सचिव ने कहा कि केंद्रीय गाइडलाइन के अनुसार राष्ट्रीय राज मार्गो पर ट्रक चालकों एवं अन्य राहगीरों के लिए 40 किलोमीटर की दूरी पर ढाबा खुलवाया जाए। उन्होंने फल सब्जियों के परिवहन व विक्रय में लगे व भीड़ वाले स्थानों से लोगों के सैंपल लेने का सुझाव दिया।
जिले में रेंडम सर्वे कर 250 नमूने लिए:: वीसी में कलेक्टर ने जानकारी दी कि अब तक 12 हजार से ज्यादा लोगों का रेंडम सर्वे कर कोरोना जांच के लिए 250 सैंपल लिए गए। सभी की जांच रिपोर्ट नेगेटिव मिली है। जिले में 19000 नागरिकों को होम क्वारेंटाइन किया गया। ग्राम स्तर पर कोर ग्रुप को सतर्क किया हुआ है। कोई भी नया व्यक्ति आने पर ब्लाॅक स्तर पर सूचना दी जाती है। बीएलओ व महिला बाल विकास विभाग की टीमों द्वारा 22 लाख नागरिकों का सर्वे किया गया। वीसी में एसपी हेमंत शर्मा भी माैजूद थे।
कोरोना महामारी के कारण कैसे-कैसे हालात पैदा हो रहे हैं यह दुखदायी है। श्रीगंगानगर शहर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर ठाकरांवाली गांव के 9 लोग 10 मार्च को बीकानेर जिले के जझू गांव में जीरे की फसल कटाई की मजदूरी करने गए थे। 21 मार्च को जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन शुरू हाे गया। वापस आने के रास्तों पर पुलिस का पहरा था और वाहनों की व्यवस्था नहीं थी। 4 मई को पंजाब के मजदूरों की बस आ रही थी। इसमें प्रशासन से अनुमति लेकर ठाकरांवाली निवासी इंद्राज और उसका चचेरा भाई साहबराम अपनी पत्नी सुमनदेवी, सुनीतादेवी, 12 साल की बेटी पायल और तीन मासूम बच्चों के साथ बस में सवार हो गए।
रात को साधुवाली बाॅर्डर पर पहुंची बस के चालक ने इनको राजस्थान की सीमा पार करने के बाद गुमजाल के पंप पर उतार दिया। चालक से पूछा तो उसने बताया कि आपकी बस में मंजूरी पंजाब बाॅर्डर पार करने तक थी। अब घर चले जाओ। ये लोग सामान की गठरियां सिर पर और बच्चों को गोद में उठाए नाके पर पहुंचे तो राजस्थान प्रशासनिक अधिकारियों ने पंजाब से राजस्थान आने के लिए पास मांग लिया। 5 मई को इंद्राज का बड़ा भाई लीलूराम इन सभी के आधार कार्ड और पहचान पत्र लेकर पंजाब सीमा पर पहुंचा। इसे अपने परिवार से मिलने पंजाब भेज दिया। दस्तावेज तो सभी के पास पहुंच गए लेकिन अब लीलूराम भी उनके साथ ही अटक गया। उसे भी वापस नहीं आने दिया। इन सभी लोगों ने कलेक्टर से ऑनलाइन अनुमति मांगी। शनिवार दोपहर इनको अनुमति मिल गई। इसके बाद इनको राजस्थान में वापस प्रवेश दिया गया। ठाकरांवाली के सरपंच ने इनको ऑनलाइन अनुमति दिलवाई तथा साधुवाली से ट्रैक्टर ट्राली से घर तक लेकर गए।
मयूर स्कूल ने आइकाॅनिक स्कूल भेापाल से सहयाेग करते हुए जूम एप के माध्यम से गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगाेर जयंती हर्षाेल्लास के साथ मनाई। मयूर स्कूल की कक्षा 6, 7 व 8वीं के विद्यार्थियाें ने मधुर गायन के माध्यम से गुरुदेव के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया। वहीं आइकाॅनिक स्कूल के छात्राें ने सुंदर प्रजेंटेशन से रवींद्र नाथ के जीवन के महत्वपूर्ण पक्षाें का उल्लेख किया। इस कड़ी में प्रधानाचार्य शिवानी गुप्ता व प्रधानाचार्य सुमन दास ने भविष्य में भी एक दूसरे काे और ज्यादा सहयाेग करने का भराेसा दिलाया। इससे पहले विश्व नृत्य दिवस के माैके पर भी दाेनाें स्कूलाें के विद्यार्थियाें ने ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से शानदार प्रस्तुतियां दी।
काेराेना वायरस संक्रमण मध्यम वर्गीय परिवाराें के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। देशभर में 22 मार्च से लाॅकडाउन व धारा 144 के बाद से लाखाें लाेग बेराेजगार हाे गए हैं। श्रीगंगानगर शहर की ही बात करें ताे कारपेंटर, पलंबर, माेची, दर्जी, सैलून के साथ ही हाेलसेल व रिटेल दुकानाें पर काम कर परिवार का पालन पाेषण कर रहे हजाराें लाेगाें के सामने घर चलाना मुश्किल हा़े गया है। बड़ी बात यह है कि कई लाेगाें के पास राशन कार्ड भी नहीं है, इस वजह से उन्हें केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाएं नहीं मिल रही। दूसरा प्रशासन व समाजसेवी संस्थाओंसे भी काेई सहयाेग नहीं मिल रहा। अन्य राज्य या जिलाें से राेेजगार के लिए आए लाेगाें के सामने भी राेजी राेटी का संकट है। शहर के दुकानदाराें का अब पूरे माह में 15 दिन ही दुकान खाेल पाएंगे। ग्राहकी भी कम है। जबकि किराया पूरे महीने का देना हाेगा।
भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष संजय नरुका ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जिले में खाद्य सुरक्षा से वंचित गरीब परिवारों काे मुफ्त में गेहूं देने की मांग की है।
जिले में हजारों गरीब परिवार ऐसे हैं, जिनको खाद्य सुरक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है। इससे उन परिवारों को कोरोना महामारी के दौर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि 1 मई से खाद्य सुरक्षा से वंचित गरीब परिवारों को सरकार 10 किलो गेहूं मुफ्त में देगी। अब राज्य सरकार जल्द से जल्द गरीबों को गेहूं दे ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके।
राजस्थान फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ ने अस्पतालाें में फार्मासिस्ट काे आ रही समस्याओं के बारे में सीएमएचओ व पीएमओ काे बताया गया है।
संघ के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा की ओर से साैंपे पत्र में बताया है कि आइसाेलेशन वार्ड, क्वारेंटाइन स्थल और डाेर टू डाेर सर्वे और स्वास्थ्य कर्मियाें काे महामारी से लड़ने के लिए सामग्री व दवा उपलब्ध कराने में फार्मासिस्ट की अहम भूमिका है लेकिन फार्मासिस्ट काे 45 दिन से न सरकारी छुट्टी दी गई है और न ही साप्ताहिक अवकाश दिया जा रहा है, जिससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं।
महामारी से लड़ने वाले नर्सिंग संवर्ग काे सरकार ने प्राेत्साहन राशि भी दी है, लेकिन फार्मासिस्ट काे अभी तक नहीं दी है। मरीजाें काे दवा वितरण में फार्मासिस्ट सीधे संपर्क में आते हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षा के उपकरण ट्रिपल लेयर मास्क, एन-95 मास्क, सेनेटाइजर, ग्लब्ज अादि सामान पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है
नेहरू युवा केंद्र संगठन राजस्थान की ओर से शनिवार से राज्यस्तरीय दीक्षा एप एवं कोरोना जागरूकता ऑनलाइन क्विज का आयाेजन किया जा रहा है।
जिला युवा समन्वयक पंकज यादव ने बताया कि प्रतियोगिता का संचालन भारत सरकार द्वारा समाज सेवा के लिए नेशनल यूथ अवॉर्ड से सम्मानित सुधेश पूनियां कर रहे हैं। युवा समन्वयक के अनुसार क्विज में प्रश्नों के साथ वीडियो संदेश भी डालकर रोचक बनाया गया है।
प्रतियोगिता मे भाग लेने के लिए वाट्सएप नंबर 8619427746 पर मैसेज करने पर क्विज का लिंक भेज जाएगा। क्विज के अंत में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को डिजिटल सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे तथा शीर्ष 30 प्रतिभागियों को नेहरू युवा केंद्र संगठन राजस्थान द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
यह लिंक रविवार 10 मई रात्रि 12 बजे तक चालू रहेगा। राज्य निर्देशक डॉ भुवनेश जैन ने राज्य के सभी नागरिकों को प्रतियोगिता में भाग लेकर सफल बनाने एवं बताए तरीके से दीक्षा एप पर लॉगिन कर कोविड़ 19 से संबंधित प्रशिक्षण लेने की बात कही है।
कस्बे के बालावास-बाईपास सड़क स्थित एक मकान के कमरे का बीती रात्रि काे चोर ताला तोड़कर कमरे में रखी 16 बोरी गेहूं चोरी कर ले गए।
कस्बे के मीणा का मोहल्ला निवासी चौथमल मीणा पुत्र रामचंद्र मीणा ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई कि बाईपास सड़क पर स्थित मकान के कमरे में 8 मई को वह गेहूं की 16 बोरी रखकर कमरे को व मेन गेट को ताला लगाकर अपने घर आ गया। 9 मई को सुबह जाकर देखा तो मकान के कमरे का ताला टूटा हुआ था और गेहूं की बोरियां व कमरे में रखी टॉर्च-बैटरी को चोर चोरी कर ले गए।
उपखंड प्रशासन ने शनिवार शाम डमी कोरोना मरीज को किशनगढ़बास से खैरथल के कोविड-19 अस्पताल लाने का पूर्वभ्यास किया। एंबुलेंस के साथ निकले पुलिस के काफिले को देख दोनों कस्बों के लोग एक बार तो सकते में आ गए।
बाद में मॉक ड्रिल का पता लगा तो राहत की सांस ली। एसडीएम सीएल शर्मा ने बताया प्रशासन, पुलिस व मेडिकल टीम मॉकड्रिल में शामिल हुई। इसमें कोरोना मरीज को लाने से लेकर भर्ती करने की प्रक्रिया की व्यवहारिक जानकारी की गई।
मरीज को कैसे आईसोलेट किया जाए और सावधानियों के बारे में बताया। किशनगढ़बास व खैरथल के व्यापारियो से दुकानों के वाहन खड़े नही होने की अपील की। इस दौरान तहसीलदार हेमेन्द्र गोयल, बीसीएमएचओ विवेक भारती, पुलिस सहित मेडिकल टीम शामिल रही।