नारायणपुर के सोनार टोला में महिला स्वंय सेवी संस्था के द्वारा 168 कार्ड धारियों के बीच राशन का वितरण किया गया। सभी कार्ड धारियों को प्रति यूनिट 10 किलोग्राम चावल की आपूर्ति की गई। बुधवार को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाकर सभी लाभुकों को निशुल्क दो महीने का राशन मुहैया करवा दिया गया है। सोनारटोला की महिला समूह की अध्यक्ष सावित्री देवी एवं सहायक सुरेश रवानी ने बताया की उनके ग्रुप को 2 महीने का अग्रिम राशन आपूर्ति विभाग के द्वारा उपलब्ध कराया गया था। जिसे इस दुकान से संबंधित लाभुकों को राशन दे दिया गया है।
130 दुकानदार हैं नारायणपुर प्रखंड में
नारायणपुर प्रखंड में 130 सरकारी राशन की दुकानों के संचालकों को इस समय कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर भय वाली स्थिति देखी जा रही है। इन सभी लोगों का कहना है की ये सभी हर समय विकट परिस्थितियों में सभी तरह के काम करते आ रहे है। इन्हें इस बात का डर है कि कहीं इन्हें किसी प्रकार की बीमारी न हो जाय। इसलिए इन सभी पीडीएस दुकानदारों ने सरकार से बीमा करवाने की मांग की है। ताकि किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से इन्हें बीमा की राशि से थोड़ी बहुत राहत मिल सके।
झारखंड में लॉक डाउन 17 मई तक बढ़ा देने के कारण और किसी भी तरह की छूट नहीं देने के कारण बहुत सारी समस्याओं से आम लोग जूझ रहे हैं। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे सभी बंद पड़े है। ऐसे में मंदिरों में दिन-रात पूजा करने वाले पुजारियों के सामने भी बहुत सारी समस्याएं धीरे-धीरे पैदा होने लगी है। ऐसे समय में सामाजिक कार्यकर्ता सह वरिष्ठ नेता तरुण कुमार गुप्ता ने जामताड़ा नगर क्षेत्र स्थित रक्षा काली, शनि मंदिर, शिव मंदिर, चंचला मंदिर, सूर्य मंदिर, हनुमान मंदिर एवं और सारी मंदिरों के पुजारियों को हनुमान मंदिर में सोशल डिस्टेंडिंग का पालन करते हुए पुजारियों को राशन, वस्त्र और नगदी वितरण किया।
मौके पर गुप्ता ने कहा कि जरूरतमंद व्यक्ति भूखा न रहे कहा कि लॉकडाउन के कारण मंदिर में पूजा करने वाले पुरोहितों के समक्ष भी आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है। इनका भी ख्याल रखा जाए, इसलिए क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों के पंडितों को आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराया गया। मौके पर तरुण गुप्ता ने ईश्वर से प्रार्थना किया कि जल्द भगवान इस कोरोना वायरस से संसार को मुक्ति दे। मौके पर राकेश गुप्ता, सोमेन पाल, आशा गुप्ता सहित कई लोग मौजूद थे।
लाभुकों के बीच 10 किग्रा मुफ्त अनाज का किया गया वितरण
नारायणपुर|प्रखंड के सभी जनवितरण प्रणाली एवं स्वयं सहायता समूह के दुकानों पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त अनाज का वितरण किया जा रहा है। इस योजना के तहत लाभुकों को प्रतिमाह पांच किलो की दर से दो माह का दस किलो अनाज मुफ्त में दिया जा रहा है। अनाज का वितरण पतरोडीह स्थित जन वितरण प्रणाली दुकान सहित सभी दुकानों पर पूरी तरह सोशल डिस्टेंस का अनुपालन कर किया जा रहा है। अनाज का सही वितरण हो एवं सभी लाभुकों को सही तरीके से इसका लाभ मिले, इसके लिए दुकान के क्षेत्र के मुखिया, एक शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका एवं वार्ड सदस्य की निगरानी में किया जा रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलनेवाले इस अनाज को लेने को लेकर लाभुकों में काफी उत्साह देखा गया। इसके वितरण में सोशल डिस्टेंस का सही अनुपालन हो इस बात को लेकर दुकान के सामने चुना से घेरा बना दिया गया।
पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव के द्वारा विभिन्न राज्यों से लौटे लगभग 200 प्रवासी मजदूरों का स्वागत गोड्डा कॉलेज फील्ड में मंगलवार को किया गया साथ ही उनकी टीम द्वारा सभी को बिस्किट पैकेट उपलब्ध कराया गया। मेडिकल टीम द्वारा सभी का स्वास्थ्य जांच भी किया गया। मौके पर श्रम विभाग व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। इसके बाद विधायक प्रदीप यादव ने कोरोना प्रभावित गांव लता व आसपास के सभी गांव का दौरा किया। लता गांव तथा आसपास के सभी प्रभावित गांव सील होने के कारण लोगों को परेशानी हो रही थी। प्रदीप यादव द्वारा आसपास के 5 प्रभावित गांव में खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। जिसमे लता दिकवानी, लता संथाली, मटिहानी, बोड़ा चापर व सिकटिया आदि गांव शामिल हैं। विधायक के द्वारा लता ग्राम में बने कोरोना नियंत्रण कक्ष का भी निरीक्षण किया गया।
नियंत्रण कक्ष में गांव वालों के स्वास्थ्य उपचार के लिए मेडिकल टीम व दवाई उपलब्ध पाई गई। साथ ही जिला प्रशासन के द्वारा गांव को लगातार सैनेटाइज किया जा रहा है एवं ड्रोन कैमरे द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है। मौके पर प्रदीप यादव ने कहा कि अभी दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूरों का लौटना जारी है। ऐसी हालत में लोगों को और सावधानी बरतने की जरूरत है। प्रवासी मजदूर होम क्वारेंटाइन सख्ती से पालन करें। यह उसके लिए तथा समाज के लिए भी जरूरी है। प्रदीप यादव ने कहा कि झारखंड सरकार मजदूरों को अपने घर में लाकर उनके दिली दर्द को समझा है। यहां की मजदूर इसे कभी भुला नहीं पाएंगे।
राज्य की उपराजधानी दुमका में दो कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। दुमका में कोरोना मरीज मिलने का यह पहला मामला है। दोनों मरीज गुड़गांव से लौटे थे और जिले के सरैयाहाट स्थित कवारेंटाइन सेंटर में रह रहे थे। जिले के सिविल सर्जन डॉ अनंत कुमार झा ने बताया कि सरैयाहाट में जिस क्वारेंटाइन सेंटर में दोनों मरीज रह रहे थे उसे सील कर दिया गया है। दोनों मरीजों की ट्रेवल हिस्ट्री खंगाली जा रही है।
जानकारी के अनुसार दोनों मरीज जिले के सरैयाहाट प्रखंड अंतर्गत डुमरथर गांव के रहने वाले हैं। दुमका के उपायुक्त राजेश्वरी बी ने इसकी पुष्टि की है। उपायुक्त ने बताया कि 1 मई को गुडगांव से 9 मजदूर सरैयाहाट लौटे थे। इन सभी को कस्तूरबा विद्यालय में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया था। इनमें से सात मजदूरों की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है जबकि दो की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। दोनों पॉजिटिव मरीज बिल्कुल स्वस्थ हैं। उन्हें किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी नहीं है। सिविल सर्जन ने बताया कि गुड़गांव से आने के साथ ही इन दोनों को क्वारेंटाइन कर दिया गया था। दोनों मरीजों की उम्र 30 साल और 25 साल है।
ट्रक पर सवार होकर उत्तरप्रदेश से अपना घर गोड्डा वापस लौट रहे प्रधान राय और सुदर्शन राय की मौत सड़क हादसे में भोजपुर जिले के कोइलवर पुल के पास हो गई। गोड्डा जिले के 15 मजदूर यूपी के भदोही जिला के एक चावल गोदाम में मजदूरी करते थे। जब इनके पास खाने- पीने की समस्या सामने आने लगी तो वे सभी पैदल ही गोड्डा के लिए निकल पड़े। बहुत दूर पैदल चलने के बाद वे लोग बनारस के पास एक गेहूं से लदे ट्रक के ड्राइवर से बड़ी अनुरोध करने पर उसे ट्रक पर बैठाया और पटना तक छोड़ने पर राजी हो गये । इसी बीच जब ट्रक भोजपुर जिला के कोइलवर पुल के पास पहुंचा तो ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
जिसमें दोनों गोड्डा जिले के मजदूर की मौत हो गई। तथा दो और मजदूर बुरी तरह घायल हो गये।सभी मजदूर सदर प्रखंड के यूपी से घर लौट रहे सभी मजदूर गोड्डा प्रखंड के ढोढ़री पंचायत तथा लौबंधा पंचायत के ही थे। मरने वाले मजदूर रेंडी गांव के वरन टाेला का बताया जाता है। मौत की खबर सुनने के बाद वरन टोला में मातम छाया हुआ है। किसी भी परिवार में चुल्हा तक नहीं जला है। गांव के लोगों का कहना है कि गोदाम में काम कर सभी मजदूर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। लॉक डाउन में अपना घर लौटना ही उन्हें बेहतर विकल्प नजर आया। पर भगवान ने घर पहुंचने के पहले ही अपना घर वापस बुला लिया।
कोलिइवर थाना में प्राथमिकी दर्ज
भोजपुर जिले के कोइलवर थाना में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। शव को आरा में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। गोड्डा विधायक अमित मंडल ने पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता प्रदान करने का अश्वासन दिया है।
प्रवासी मजदूरों को लेकर आ रही बस दुर्घटनाग्रस्त
दुमका| दुमका जिले के मसलिया थाना क्षेत्र में मटियाचक गांव के समीप लाॅकडाउन की वजह से केरल से लौट साहेबगंज जिले के प्रवासी लोगों को लेकर आ रही यात्री बस और ट्रक के बीच सीधी टक्कर में तीन लो घायल हो गये। पुलिस सूत्रों ने आज यहां बताया कि सोमवार की देर रात लाॅकडाउन की वजह से केरल में फंसे प्रवासियों को लेकर जिला प्रशासन द्वारा मुहैया कराया गया एक यात्री बस धनबाद रेलवे स्टेशन से साहेबगंज के चली थी। इस बीच मसलिया थाना क्षेत्र के मटियाचक गांव के समीप राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर एक यात्री बस विपरीत दिशा से आ रहे ट्रक से टकरा गई जिससे तीन लोग गम्भीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों की मदद से सभी को इलाज के लिये दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में देर रात भर्ती कराया गया। जहां से सभी को बेहतर इलाज के लिए धनबाद भेज दिया गया है।
गुजरात से देवीपुर के 91 मजदूर बस से पहुंचे
देवघर|गुजरात से दो बसों में सवार होकर देवीपुर थाना क्षेत्र के दरंगा, जोरासिमर के कुल 91 मजदूरों को बुढई चेकपोस्ट पर रोका गया। चेकपोस्ट पर पदस्थापित सेक्टर मजिस्ट्रेट शशिकांत पाठक, बुढ़ी थाना के गुलाम जोश हुस्नी, जैनुल, ओमप्रकाश, मनोज राउत ने इसकी सूचना सीएचसी देवीपुर को दिया। डाॅ अभिषेक चौधरी, एमपीडब्ल्यू रविशंकर, आयुष चिकित्सक शिवम, बैद्यनाथ राय बुढई चेक पोस्ट पहुंचकर सभी मजदूरों का थर्मल स्क्रीनिंग किया। सभी मजदूर कोरोना वायरस निगेटिव पाया गया। चिकित्सकों ने सभी को 14 दिनों के लिए होम क्वारेंटाइन में रहने की हिदायत दी गई है। सभी मजदूर अपने निजी किराये पर दो बस गुजरात में ही प्रति व्यक्ति 5000/ देकर गुजरात में स्थानीय प्रशासन के परमिट और मुहर लगाने के बाद अपने अपने घर लौट गए।
बेंगाबाद प्रखंड के बदवारा पंचायत स्थित क्वारेंटाइन केंद्र में एक युवक दौलत वर्मा मंगलवार से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठा है।
धरना पर बैठे युवक ने आरोप है कि मुखिया विभा देवी और उसके पति दिनेश सिंह उससे निजी दुश्मनी निकालने का प्रयास कर रहे हैं। केंद्र में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। न पंखा लगा है और न ही पेयजल और बिजली की सुविधा ह बहाल की गई है। इस केंद्र में रहरहे तीन और लोग हैं जो स्वयं से घरों से लालटेन मंगा कर रात गुजार रहे हैं जबकि बीते दिन एक को बिच्छू ने काट लिया था। बीडीओ को सूचना दी लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।
जमुआ विधायक केदार हाजरा मंगलवार को जमुआ स्थित नमो भोजनालय पहुंचे जहां चावल, दाल आदि सामग्री उपलब्ध कराया। उन्होंने नमो भोजनालय की सराहना करते हुए कहा कि जब यह भोजनालय खोला गया था तब 10 किलोग्राम चावल खपत से शुभारंभ किया गया था। जबकि अभी प्रतिदिन 50 किलोग्राम चावल की खपत हो रही है। यहां प्रतिदिन दो सौ से ढाई सौ लोगों को भोजन उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस केन्द्र में जो भी राशनकी जरूरत पड़ेगा वह उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने बातचीत करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है। कहा कि जो लोग प्रवासी मजदूर अपने घरों में वापस लौटे हैं उनके लिए क्वॉरेंटाइन जरूरी है। विधायक ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सोशल-डिस्टेंसिंग एकमात्र उपाय है। उन्होंने लोगों से सचेत रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए जमुआ विधानसभा क्षेत्र में जरूरतमंदों के बीच एक सौ किंटल चावल, दाल, आटा, तेल आदि खाद्यान्न का वितरण अब तक किया जा चुका है तथा आमजनों में सैनिटाइजर, मास्क एवं अन्य वस्तुओं के वितरण के लिए जमुआ प्रखंड में ₹7 लाख, 30 हजार तथा देवरी प्रखंड के लिए पांच लाख खर्च किया गया है। उन्होंने बताया कि थर्मल स्क्रीनिंग के लिए 4 मशीन की खरीदी की गई है। उन्होंने कहा कि भारत का विश्व में कोरोना के मामले में सबसे बेहतरीन पोजीशन है। कहा कि प्रवासी मजदूर घर लौटे हैं वे अपने पंचायत में रहें। उन्होंने कहा कि टेस्ट पीट अपने क्षेत्र के लिए मंगाया जा रहा है। क्षेत्र में विषाणु अवरोधक का छिड़काव किया गया है।
कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान पर कार्यकर्ता कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं। कहा कि प्रधानमंत्री ने उज्वला योजना, जनधन में महिलाओं के खाता धारियों को 500 रुपए तथा पीडीएस कार्डधारियों को अतिरिक्त चावल उपलब्ध कराने का काम तीव्र गति से किया जा रहा है। केन्द्र सरकार हर संभव सहयोग करने के लिए कृत संकल्पित है। इस अवसर पर भाजपा नेता बैजनाथ यादव, राजेंद्र यादव, सुरेश राय, मोहन यादव, अशोक सिंह, अशोक राम, मुन्ना राय, अनुज सेठ, संजय साव समेत कई अन्य मौजूद थे।
गांडेय प्रखंड के अहिल्यापुर बाजार में लॉकडाउन-थ्री के अनुपालन को लेकर थाना प्रभारी दीपक कुमार ने पुलिस बल के साथ लोगों को लाॅकडाउन का पाठ पढ़ाया। कहा कि आगामी 17 मई तक लाॅकडाउन पूर्व की तरह रहेगा। थाना प्रभारी कुमार ने कहा कि झारखंड में लाॅकडाउन-थ्री में छुट नहीं दी गयी है। आवश्यक वस्तुओं के दुकान समेत दवा, सब्जी दुकान के अलावा सभी दुकानें पूर्व की तरह बंद रहेगी। लोग लाॅकडाउन का पालन करें तथा घर पर रहें तथा सुरक्षित रहें। अनावश्यक घर से बाहर निकलने वालों पर सख्ती की जाएगी ताकि लोगों का करोना वायरस के संक्रमण से बचाव हो सके।
उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तुओं की खरीद समेत दवा एवं सब्जी की खरीदारी में भी लोग सामाजिक दूरी का पालन करें। घर से बाहर निकलते वक्त मास्क पहने तथा समय-समय पर सैनेटाइजर का प्रयोग करें। इधर ताराटांड़ में भी थाना प्रभारी दिनेश कुमार महली की अगुवाई में लाॅकडाउन-थ्री को लेकर बाजार में मार्च किया गया तथा लोगों को लाॅकडाउन का पालन करने की बात कही। कहा कि लाॅकडाउन-थ्री के तहत झारखंड में आवश्यक वस्तुओं के दुकान समेत दवा, सब्जी की दुकान को छोड़ कर अन्य सभी दुकानें पूर्व की तरह बंद रहेंगी। इसलिए लोग सामाजिक दूरी का पालन करें तथा अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकलें। मौके पर ताराटांड़ थाना प्रभारी दिनेश कुमार महली, अहिल्यापुर में थाना प्रभारी दीपक कुमार, मुखिया अरूण हाजरा समेत दर्जनों पुलिस बल उपस्थित थे।
महानगरों में फंसे प्रवासी मजदूरों की वापसी का सिलसिला जारी है। गिरिडीह जिले के विभिन्न प्रखंडों के सैकड़ों प्रवासी मजदूर मंगलवार को बगोदर पहुंचे। सभी मजदूरों को बगोदर बस स्टैंड परिसर में सोशल डिस्टेसिंग के तहत स्वास्थ्य की जांच
कर संबंधित इलाकों के लिए भेजा गया। जिला नोडल पदाधिकारी सह सीओ आशुतोष कुमार ओझा ने बताया कि बेंगलुरु से प्रवासी मजदूर रांची के हटिया रेलवे स्टेशन पहुंचे फिर दो बसों के जरिए सभी को बगोदर लाया गया। इसमें 130 मजदूर शामिल थे। इसमें बगोदर इलाके के आठ मजदूर शामिल हैं। इसके पूर्व सूरत से 8 प्राइवेट बसों पर सवार होकर सैकड़ों की संख्या में मजदूर आये। सभी का बगोदर में स्वास्थ्य जांच कर संबंधित इलाकों के लिए भेज दिया गया। वापस लौटे मजदूरों के साथ बच्चे एवं महिलाएं भी शामिल थीं। बताया जाता है कि बच्चे व महिलाएं मजदूरों के ही परिजन थे। स्वास्थ्य जांच के लिए कतार में खड़े एक मजदूर बेहोश होकर गिर भी गया था। डाक्टरों ने स्वास्थ्य जांच में उसका बीपी कम होने की बात कही। मौके पर एसडीएम रामकुमार मंडल व बगोदर बीडीओ रवीन्द्र कुमार भी उपस्थित थे।
31 प्रवासी पहुंचे गावां, होम क्वारेंटाइन में भेजा गया
गावां| गावां प्रखंड मुख्यालय में मंगलवार को बेंगलुरु से पहुंचे 31 प्रवासी को होम क्वारेंटाइन किया गया। प्रखंड प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि बेंगलुरु व रांची से सभी लोग गावां पहुंचे थे। सभी सेरुआ, मंझने व बिरने आदि जगहों के रहने वाले हैं। सभी की जांच के बाद होम क्वारेंटाइन भेज दिया गया है। 14 दिन तक घर में ही रहने की सख्त हिदायत दी गई है।
नगर पंचायत जामताड़ा के सफाई कर्मियों द्वारा मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जा रहा है। इनके हड़ताल को रोकने के लिए नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी रामाश्रय दास ने हाड़ीपाड़ा जामताड़ा जाकर सफाई कर्मचारियों से बातचीत की।
सफाई कर्मियों द्वारा कहा गया कि जहां एक तरफ करुणानिधान के लिए फूल बरसाए जा रहे है। वहीं हम इस वैश्विक महामारी के दौर में अपना घर परिवार छोड़कर समाज के प्रति अपना दायित्व का पालन करते हुए लाठियां खा रहे हैं एवं जात एवं कर्म के नाम पर गालियां सुन रहे हैं।
बाद में सफाई कर्मियों ने नगर पंचायत जामताड़ा कार्यालय में आकर स्पष्ट रूप से कहा कि जबतक संबंधित पुलिस पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाती है तबतक हड़ताल जारी रहेगी। कर्मचारियों द्वारा कार्यपालक पदाधिकारी को कहा गया कि पुलिस का अधिकार है कि वे किसी के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा बार-बार निवेदन पर भी सफाई कर्मियों द्वारा अपना बयान पत्र सौंपा गया तथा इससे मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव को अवगत कराने का अनुरोध किया है।
दो राज्यों की पुलिस के सहयोग के अभाव में बिहार के 12 लोग रात भर भूखे प्यासे परेशान रहने पर मजबूर हाे गए। ज्ञात हो कि जामताड़ा जिले के महेशमुंडा चौक स्थित झारखंड बंगाल बॉर्डर पर बंगाल तथा झारखंड पुलिस के बीच आपसी समन्वय के अभाव का खामियाजा बिहार से 12 यात्रियों को रात भर भूखे प्यासे झेलना पड़ा। सुबह लगभग 10:30 बजे जामताड़ा जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद सभी यात्रियों का थर्मल स्कैनिंग के उपरांत झारखंड होते हुए बिहार भेजा गया। यात्रियों ने बताया कि वे लोग कोलकाता से बिहार के समस्तीपुर जिला के रोसड़ा जा रहे हैं। सोमवार रात को वे लोग बंगाल बॉर्डर क्रॉस कर झारखंड सीमा में प्रवेश करने लगे, तभी झारखंड पुलिस ने यह कहते हुए रोक दिया कि बंगाल पुलिस झारखंड के लोगों को प्रवेश करने नहीं देती है, इसलिए हम लोग भी किसी को झारखंड में प्रवेश करने नहीं देंगे।
आप लोग पुनः वापस बंगाल लौट जाएं। जब वे लोग पुन: लौटकर बंगाल सीमा में जाने लगे तो तो बंगाल पुलिस ने यह कह कर रोक दिया की आप लोग एक बार बंगाल सीमा से निकल चुके हैं। इसलिए अब आपको दुबारा प्रवेश करने नही दिया जाएगा। जिस कारण रात भर सभी यात्री कभी बंगाल सीमा तो कभी झारखंड सीमा पर भटकते रहे। सुबह जब जामताड़ा डीडीसी को इस बात की जानकारी मिलने पर उन्होंने यात्रियों के कागजातों की जांच करवाने के बाद स्कैनिंग तथा वाहन को सैनिटाइज करवाने के बाद बिहार भेज दिया। वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर मौके पर मौजूद पुलिस अवर निरीक्षक रामदुलाल नंदी ने बताया कि सभी को बिहार भेजा जा रहा है।
माइक्रोसॉफ्ट टिम्प्स एप के माध्यम से झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद रांची की अध्यक्षता में झारखंड शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद के पदाधिकारियों एवं पिरामल ग्रुप के सदस्यों की उपस्थिति में सभी जिलों के चयनित प्रधानाध्यपकों, शिक्षकों तथा परिवर्तन दल के सदस्यों के साथ डीजी साथ कार्यक्रम के संदर्भ में वीडियो कांफ्रेंस की गई। जिसमें जामताड़ा जिले में ऑनलाइन शिक्षा की धीमी गति पर असंताेष जताया औरर इसे अविलंब बढ़ाने का निर्देश दिया। जामताड़ा जिले के शहरी क्षेत्राें में जितने एंड्राॅयड माेबाइल है उसमें मात्र 10 से 20 फीसदी ही लाेगाें काे जाेड़ा गया है।
वीडियो कांफ्रेंस में दौरान परियोजना निदेशक ने सभी प्रधानाध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारी विद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा सिर्फ कोरोना काल के लिए नहीं है, बल्कि इसे जरूरतों के अनुसार भविष्य में भी जारी रखी जाएगी। विद्यालय खुलने के बाद भी ऑनलाइन शिक्षण तकनीक को अपनाया जायेगा ताकि लॉक डाउन के कारण हुए शैक्षिक नुकसान को कम किया जा सकें।उन्होंने रोष प्रकट करते हुए कहा कि विगत 20-25 दिनों में व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से डिजिटल कंटेंट को बच्चों तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है लेकिन अपेक्षित परिणाम होता नहीं दिख रहा है। उन्होंने दूरसंचार स्रोत के हवाले से बताया कि शहरी क्षेत्र में 40-50% अभिभावकों के पास एंड्रायड फोन है, पर वहां भी व्हाट्सएप ग्रुप बनाने का प्रतिशत 10-20 % ही है। अगर बच्चों को लॉकडाउन के अवधि में डिजिटल कंटेंट उपलब्ध नहीं किया जाएगा तो फिर बच्चों के अधिगम स्तर में फिर गिरावट होगी एवं उम्र सापेक्ष दक्षता की खाई बढ़ती ही जायेगी। जिसे हम ड्राॅपआउट के विभिन्न कारकों में से एक प्रबल कारक के रूप में देख सकते है।
7 मई तक छात्रों को जोड़ने में तेजी लाने का निर्देश
इस संदर्भ में परियोजना निदेशक ने सभी जिलों के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए अगले गुरुवार यानी 7 मई तक 18-20 लाख बच्चों को जोड़ने का लक्ष्य दिया। नीति आयोग द्वारा संचालित “प्रोजेक्ट साथ-ई” के राज्य प्रतिनिधि सुजीत कुमार ने बताया कि प्रखंडों से प्राप्त आंकड़े के अनुसार अभी तक जामताडा में डिजी साथ कार्यक्रम के अंतर्गत 19 हजार 74 अभिभावकों को जोड़ा गया है जो कि नामांकन के तुलना में संतोषजनक नही है। इसलिए जामताडा के सभी जिला एवं प्रखंड स्तरीय अधिकारियों को विद्यालय स्तर पर अधिकाधिक शिक्षकों को जोड़ने एवं विद्यालय स्तरीय व्हाट्सएप ग्रुप में अभिभावकों को जोड़ने का निर्देश दिया। वही शिक्षकों को संकुल स्तरीय व्हाट्सएप से जोड़ने की गति भी तेज करने का निर्देश दिया। इसके लिए हर शिक्षक समान रूप से जिम्मेवार है। जहां पर नामांकन 100 से ज्यादा है, वहां पर शिक्षकवार अथवा विषयवार ग्रुप बनाना है ताकि अधिक से अधिक जोड़ा जा सके एवं शैक्षिक सहयोग की प्रकृति बेहतर हो सके।
बच्चाें काे डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराना जरूरी
परियोजना निदेशक ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सभी विद्यालयों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप का बनाना एवं बच्चों को डिजिटल कंटेंट उपलब्ध करवाना अनिवार्य है। यदि कोई प्रधानाध्यापक जानबूझकर आदेश का उलंघन करता है तो जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधीक्षक के माध्यम से उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सभी प्रखंड एवं संकुल संसाधन सेवियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल कंटेंट को फॉरवर्ड कर देना ही उनका काम नहीं है, बल्कि प्रत्येक दिन लगातार शिक्षकों एवं अभिभावकों से बात करना अनिवार्य है। सभी प्रखंडों, संकुलों, शिक्षकों का निगरानी राज्य से लगातार किया जा रहा है। इसलिए विद्यालय नामांकन के अनुरूप अभिभावकों को जोड़कर अपना प्रदर्शन सुधारें अथवा अग्रेत्तर कार्रवाई के लिए तैयार रहें। राज्य परियोजना निदेशक एपी सिंह ने कहा कि अगर कोई विद्यालय जैक से संबंधित है तो वे भी राज्य द्वारा भेजे जा रहे डिजिटल कंटेंट से लाभान्वित हो सकते है। परियोजना निदेशक ने प्रत्येक शिक्षक 20 बच्चों को जोड़ने का निर्देश दिया। शिक्षण के इस नवीन तकनीक को रुचिकर एवं बाल केन्द्रित बनाने के लिए शिक्षक गृहकार्य दे सकते है। बच्चों के कार्यों को डिजिटली जांच सकते है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम हुआ तो 15-20 मई तक पाठ्यपुस्तकों का वितरण सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए किया जा सकता है। इस संदर्भ में जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं अतिरिक्त जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के मार्गदर्शन में जामताडा जिले के विभिन्न प्रखंडों से चयनित 10 प्रधानाध्यापकों ने भाग लिया। जिसमें से उच्च विद्यालय तरनी समीर कुमार, उत्क्रमित मध्य विद्यालय जियाजोरी से दुर्गेश कुमार दुबे, मध्य विद्यालय फतेहपुर से शोभाकर प्रसाद आदि प्रधानाध्यापकों ने टीम्स एप का उपयोग करते हुए अपनी प्रतिभागिता दर्ज की।
कोविड 19 के बढ़ते कहर के कारण लॉकडाउन से जिंदगी थम सा गया है। ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चों की पढ़ाई की चिंता भी सताने लगी है। पूरे राज्य में स्कूल बंद हैं। कई स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दिया है। अब स्कूल कॉलेज की पढ़ाई मोबाइल, टैब, लेपटॉप और डेस्कटॉप पर पहुंच गई है। यह पढ़ाई बच्चों के लिए कितना कारगर है। इस बात पर अभिभावक को ध्यान देना जरूरी हो गया है। ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने कहीं आपका बच्चा गलत राह पर तो नहीं जा रहा है।
ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान साइबर बुलिंग का खतरा रहता है हालांकि थोड़ी सी सावधानी बरत कर आप अपने बच्चों को गलत राह पर जाने से रोक सकते हैं। इसके लिए अभिभावकों को थोड़ा सचेत रहने की जरूरत है। ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों पर नजर रखने के लिए कुछ एप हैं, उसका मदद ले सकते हैं। इस एप से आपको यह जानकारी मिल जाएगी कि आपका बच्चा कौन कौन सा साइट सर्च किया है। वहीं बच्चों को भी नहीं लगेगा कि आप उस पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। लॉकडाउन में टेली काउंसिलिंग के माध्यम से अभिभावकों को सलाह दी जा रही है। जहां ऑनलाइन पढ़ाई के लिए सीबीएसई, आईसीएसई स्कूलों को प्रमोट कर रहे हैं, वहीं बच्चों पर नजर रखने के लिए सचेत भी कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि किन एप्लीकेशन से बच्चों पर आप नजर रख सकते हैं।
इन एप को मोबाइल में डाउनलोड कर रख सकते हैं नजर
एम स्पाई :इसे आसानी से मोबाइल में इंस्टॉल किया जा सकता है। इससे आपको तुरंत पता चल जाएगा कि बच्चे ने नेट पर क्या सर्च किया है। वहीं बच्चा बाहर गया है, तो कहां गया। इसकी भी जानकारी मिल जाएगी ।
मोबीसिप :इसे भी मोबाइल पर स्टॉल किया जा सकता है। इसके माध्यम से भी बच्चे पर नजर रख सकते हैं। यह एप्लीकेशन आपको सारा कुछ जानकारी दे देगा।
फोन सिरेसिश :इसमें टाइमर होता है। अगर आप ऑनलाइन क्लास करने के लिए बच्चों को मोबाइल दे रहे हैं तो उसमें समय सेट कर सकते हैं । जितनी देर समय से करेंगे मोबाइल उतना ही देर चलेगा।
पढ़ाई के दौरान दूसरा साइट्स देखने लगते हैं बच्चे : ऐसा देखा गया है कि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान दूसरा साइट्स खोलने लगते हैं। अभिभावक इस पर ध्यान दें । इसके लिए अभिभावक को तकनीक रूप से मजबूत होने की जरूरत है।
क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट | साइबर विशेषज्ञ एसके चौधरी ने बताया कि बच्चों पर ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान नजर रखें। बच्चों को अकेले पढ़ाई न करने दें। अभिभावक विभिन्न एप के जरिए नजर तो रख ही सकते हैं।
भाकपा माले प्रखंड कमेटी जमुआ द्वारा प्रखंड के काजीमगहा में देर शाम मशाल जला कर लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की शीघ्र घर वापसी सहित अन्य मुद्दों को लेकर विरोध प्रकट किया। मौके पर इंकलाबी नौजवान सभा के जिला उपाध्यक्ष असगर अली ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर देशभर में लगे लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों की शीघ्र घर वापसी हो। प्रधानमंत्री केयर फंड से प्रवासी मजदूरों को दस-दस हजार रुपए कोरोना वायरस भत्ता के रूप में मुहैया कराया जाए। सभी गरीबों को जरूरत के अनुसार राशन मुहैया करवाने, सभी तरह के पेंशन समय पर उपलब्ध करवाने, बाहर प्रदेशों में फंसे छात्र-छात्राओं को घर पहुंचाने सहित दर्जनों जनमुद्दों को शीघ्र पूरा करने की मांग को लेकर सोमवार शाम मशाल जलाकर विरोध प्रकट किया गया। कहा कि सरकार इन मांगों को शीघ्र पूरा करें अन्यथा भाकपा माले लगातार आंदोलन करने को बाध्य होगा।
राज्य में प्राथमिक शाख सहकारी समितियों का पुनर्गठन किया जाएगा। जिला अधिकारी इस संबंध में विधायक एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय और सहयोग से प्रक्रिया पूरी करेंगे। पुनर्गठन समिति की सीमा एक ही जिले में हो इसका भी ध्यान रखा जाएगा।
सहकारिता मंत्री डाॅ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने शुक्रवार को इस बारे में अफसरों से बात की। तय किया गया कि सभी जिला अधिकारियों को राजस्व न्यायालय की तरह ही हर महीने सहकारिता के मामलों की सुनवाई अनिवार्य रूप से करनी होगी। नियमित रूप से अधिकारी आवेदनों एवं प्रकरणों का निराकरण किया जाएगा। इसमें किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अफसर शासकीय ऋण अंशपूंजी एवं ब्याज की वसूली भी अभियान चलाकर करेंगे। इसकी मासिक समीक्षा होगी। विभाग के सचिव प्रसन्ना आर. ने सभी सहकारी समितियों से 5 जून तक ऑडिट रिपोर्ट मांगा है।
एक नजर में
अब मंत्रालय और पंचायत तक की योजनाएं एप पर, जानकारी न मिलने की शिकायत होगी दूर
आम छत्तीसगढ़िया और पंचायत प्रतिनिधियों को अब मोबाइल के जरिए ही मंत्रालय से लेकर जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों तक से जारी होने वाली सूचनाएं मिलेंगी। लोगों को सूचना पाने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इसके लिए पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने गुरुवार को पंच ई-नोटिस बोर्ड मोबाइल एप का लोकार्पण किया। इसके माध्यम से एप में पंजीकृत लोगों को योजनाओं और हितग्राहियों की जानकारी, ग्रामसभा के आयोजन एवं पंचायत द्वारा नागरिकों के लिए जारी विभिन्न सूचनाएं प्राप्त होंगी। विभाग इसे जल्द ही गूगल प्ले स्टोर पर अपलोड करेगा। इस दौरान एसीएस पंचायत गौरव द्विवेदी सचिव टीसी महावर,संचालक एस प्रकाश आैर अपर विकास आयुक्त अशोक चौबे भी मौजूद थे। इस एप के जारी होने से ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों को सूचनाओं, निर्देशों एवं योजनाओं की जानकारी के लिए बार-बार ग्राम, जनपद या जिला पंचायत नहीं जाना पड़ेगा। गांव से बाहर रहने पर भी उन्हें सूचना मिल जाएगी। दीवार लेखन, मुनादी या सूचना चस्पा करने पर समय पर जानकारी नहीं मिलने की शिकायतें आती थीं। ग्रामीणों की यह शिकायत भी दूर होगी।
राजधानी में मई तक वीकएंड पर यानी हर शनिवार-रविवार को सबसे ज्यादा सख्ती की जाएगी। शुक्रवार की रात 11 से सोमवार को सुबह 6 बजे तक केवल दवा, दूध, सब्जी, फल, गैस और पेट्रोल पंपों को ही छूट दी जाएगी। इसके अलावा किसी भी तरह की दुकानें नहीं खोली जाएगी। बिना किसी गंभीर कारणों के घर से बाहर निकलने वालों पर सीधे एफआईआर करने के निर्देश दिए गए हैं।
केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन के आधार पर कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने शुक्रवार को राजधानी के लिए नई गाइडलाइन जारी की। 17 मई तक के लॉकडाउन के दौरान जिन दुकानों और सेवाओं को बंद रखा गया था वे अभी भी बंद रहेंगे। केवल मोबाइल रीचार्ज और उसके सर्विस सेंटर को ही छूट दी गई है। यह दुकानें भी सोमवार से खुलेंगी। राजधानी में जैसी स्थिति है वैसी ही बनी रहेगी। सभी सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, जिसमें निजी बसें, टैक्सी, ऑटो रिक्शा, बसें, ई रिक्शा, रिक्शा आदि बैन रहेगा। राज्य सरकार के अगले आदेश तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू नहीं किया जाएगा। इस दौरान इमरजेंसी मेडिकल सेवा वाले व्यक्तियों को ही गाड़ियों की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा ऐसी निजी गाड़ियां जोअतिआवश्यक सेवाओं के परिवहन में लगी हैं, उन्हें ही छूट रहेगी। सभी तरह के धार्मिक संस्कृति एवं पर्यटन स्थल आम लोगों के लिए पूर्ववत बंद रहेंगे।
पुलिस का फ्लैग मार्च, लहराईं लाठियां
राजधानी में 48 घंटे का सख्त लाॅकडाउन शुरू होने के पहले शुक्रवार की शाम कलेक्टर डा. एस भारतीदासन और एसएसपी आरिफ एच शेख ने फोर्स के साथ फ्लैग मार्च किया। इस दौरान कुछ जगह पर लाठियां लहराकर लोगों को खदेड़ा गया। फ्लैग मार्च के दौरान लोगों से अपील की गई है कि घर पर ही रहें और जरूरी काम पर ही बाहर निकलें। कलेक्टर-एसएसपी का काफिला सिविल लाइंस से होते हुए कोतवाली पहुंचा। उसके बाद सभी सीएसपी अपने-अपने इलाके में मार्च किया। बस्तियों और कॉलोनियों के भीतर से पुलिस का काफिला गुजरा और चेतावनी दी जाती रही कि पूर्ण लॉकडाउन में किसी ने दुकान खोली या बेवजह घूमते पाया गया तो उसे जेल भेज दिया जाएगा।
इन संस्थानों और कर्मचारियों को छूट
तत्काल कार्रवाई का आदेश
कलेक्टर ने पुलिस प्रशासन से कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर एपिडेमिक एक्ट 1897, धारा 188, धारा 144(1), पब्लिक एक्ट 1949, छत्तीसगढ़ एपिडेमिक डिसीजेज कोविड-19 विनिमय 2020 के तहत तत्काल कार्रवाई की जाए। यह कार्रवाई मूलत: बिना इजाजत दुकान खोलकर कारोबार करने वालों और बेवजह घूमने वालों पर की जाएगी।
कोरोना के मामले में अब तक छत्तीसगढ़ कई राज्यों के मुकाबले काफी राहत में है। जहां देश में कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर 29.36 फीसदी है, छत्तीसगढ़ में यह दोगुनी से ज्यादा यानी 62.29 फीसदी है। महत्वपूर्ण यह भी है कि देश में कोरोना से मृत्यु दर 3.6 फीसदी है, जबकि छत्तीसगढ़ में अभी कोरोना से मृत्यु तो दूर, कोई मरीज गंभीर हालत में भी नहीं पहुंचा है। यही नहीं पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, झारखंड व ओडिशा से कम मरीज हैं। प्रदेश में कोरोना के 61 मरीज मिले हैं। इनमें 85 फीसदी से ज्यादा मरीजों में बीमारी का कोई लक्षण नहीं था। फेफड़े में इंफेक्शन नहीं होने के कारण ज्यादातर मरीज छह से 16 दिनों में डिस्चार्ज हो गए।
एम्स में 21 मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं 38 मरीज स्वस्थ हो गए हैं। इनमें 10 को छोड़कर बाकी का क्वारेंटाइन भी पूरा हो गया है। प्रदेश में कोरोना का पहला मामला 18 मार्च को आया था। इसके बाद 31 मार्च तक नौ मरीज हो गए थे। 30 अप्रैल तक 42 मरीज हुए। वहीं 8 मई तक मरीजों की कुल संख्या 61 पहुंच गई है। इनमें दो मरीज झारखंड के पलामू के हैं, जो रिपोर्ट आने के पहले चले गए थे। आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि मार्च के 13 दिनों में नौ, अप्रैल में 33 मरीज व मई में पिछले आठ दिनों में 19 मरीज मिले हैं। गौर करने वाली बात यह है कि कटघोरा में पहला केस 4 अप्रैल को आया। वहां केवल 10 दिनों में 27 मरीज हो गए थे। मरीजों में ऐसी वृद्धि किसी जिले में नहीं हुई थी। दरअसल एक 16 वर्षीय बालक के कारण बाकी कोरोना से संक्रमित हुए। रायपुर की बात करें तो 18 मार्च को पहला मरीज व अब तक का आखिरी मरीज 4 मई को आया है। 14 अप्रैल के बाद कटघोरा में कोई नया मरीज नहीं आया है। यह बड़ी राहत की बात है। 3 मई को दुर्ग में आठ व कवर्धा में छह मरीज एक साथ मिले। ये प्रवासी मजदूर हैं। इसके बाद 6 मई को भिलाई की एक महिला कोरोना से संक्रमित मिली। सूरजपुर में छह व कोरिया में दो मरीज 30 अप्रैल को मिले थे।
28 में 21 जिले कोरोना फ्री
प्रदेश के 28 में 21 जिले कोरोना फ्री हैं। जिन जिलों में मरीज मिले हैं, वे रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, बिलासपुर, कोरबा, सूरजपुर व कोरिया जिला है। रायपुर में सात, कोरबा में 28, दुर्ग में 10, कवर्धा में छह, सूरजपुर में छह, कोरिया में दो, राजनांदगांव, बिलासपुर में एक-एक मरीज मिला है। इनमें केवल दुर्ग के नौ, सुरजपुर के पांच, कवर्धा के छह व रायपुर के एक मरीज का इलाज एम्स में चल रहा है। बाकी जिलों में संदिग्ध तो मिले हैं, लेकिन कोई मरीज नहीं मिला। शुक्रवार को 645 सैंपलों की रिपोर्ट आई, जो नेगेटिव रहे। 1061 सैंपलों की जांच चल रही है। इसमें एम्स में 387, नेहरू मेडिकल कॉलेज में 97, जगदलपुर में 515 व टीबी रिसर्च सेंटर रायपुर में 62 सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है।
ठीक होने की दर 100 फीसदी- नागरकर
"छत्तीसगढ़ में कोरोना के मरीजों के स्वस्थ होने की दर फिलहाल 62 फीसदी से ज्यादा है। कुछ दिनों पहले यह 100 फीसदी थी। जिन मरीजों का इलाज चल रहा है, वे सभी खतरे से बाहर है। ऐसे में उम्मीद है कि वे जल्द स्वस्थ होकर घर चले जाएंगे। किसी मरीज के फेफड़े में इंफेक्शन न होना बताता है कि उनके शरीर में वायरल लोड कम था। इसलिए वे गंभीर भी नहीं हुए।"
- डॉ. नितिन एम नागरकर, डायरेक्टर एम्स
लॉकडाउन में भूपेश सरकार प्रदेश के लाखों किसानों को बड़ी राहत देते हुए धान की अंतर राशि इसी महीने यानी मई में ही देने का फैसला किया है। ये राशि सीधे खाते में जाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि पहली किस्त के रूप में सरकार किसानों को 350 रुपए देगी। इससे 18 लाख 34 हजार किसान लाभान्वित होंगे। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत दी जाने वाली इस राशि के लिए बजट में 6100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस बीच शनिवार और रविवार को प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन रहेगा। दाे दिन सिर्फ सब्जी, दूध-दवा, पेट्रोल ही मिलेगा।
राज्य सरकार ने किसानों से 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य की दर से धान की खरीदी का वादा किया है, लेकिन केन्द्र की रोक के कारण ऐसा नहीं कर पाई। किसानों को सामान्य धान के लिए 1815 रुपए और ग्रेड-1 के लिए 1835 रुपए की दर से भुगतान करना पड़ा। इस हिसाब से किसानों को 665 और 685 रुपए की अंतर राशि दी जाएगी। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि लॉकडाउन के कारण प्रदेश में उद्योग-व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है, ऐसे में अंतर राशि मिलने से किसानों को आगामी खेती के काम को सुचारू रूप से जारी रखने में भी मदद मिलेगी। धान की दूसरी किस्त जुलाई-अगस्त में दी जाएगी।
मजदूरों को वापस लाने सरकारबसों की भी कर रही व्यवस्था
लॉक डाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूरों की वापसी के लिए भूपेश सरकार स्पेशल ट्रेनों के साथ ही बसों की भी व्यवस्था कर रही है। केंद्र सरकार की एडवायजरी के तहत मजदूरों की वापसी के बाद उन्हें क्वारेंटाइन में रखने के लिए सभी ग्राम पंचायतों में सेंटर भी बनाए गए हैं। छत्तीसगढ़ के करीब सवा लाख मजदूर दूसरे राज्यों में काम के लिए गए थे वे वहीं पर फंसे हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। छत्तीसगढ़ के 8 स्टेशनों बिलासपुर, चांपा, विश्रामपुर, जगदलपुर, भाटापारा, रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव में श्रमिकों की स्पेशल ट्रेनों के स्टापेज को प्रस्तावित किया है।
अब 9 के बजाए 25 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी, ताकि रोजगार बढ़ सके
राज्य में पहली बार 25 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी का निर्णय लिया गया है। वन मंत्री मो. अकबर ने बताया कि राज्य में साल 2018 तक मात्र 7 लघु वनोपजों की खरीदी की जाती थी। सरकार ने बड़ी संख्या में वनवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने लघु वनोपजों की संख्या बढ़ाकर 23 कर दी। अब गिलोय और भेलवा की भी खरीदी समर्थन मूल्य पर करने का निर्णय लिया गया है। अब राज्य में कुल 25 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। बता दें कि पहले खरीदी की जाने वाली 23 लघु वनोपजों में साल बीज, हर्रा, ईमली बीज सहित, चिरौंजी गुठली, महुआ बीज, कुसुमी लाख, रंगीनी लाख, काल मेघ, बहेड़ा, नागरमोथा, कुल्लू गोंद, पुवाड़, बेल गुदा, शहद तथा फूल झाडू, महुआ फूल (सूखा), जामुन बीज (सूखा), कौंच बीज, धवई फूल (सूखा), करंज बीज, बायबडिंग और आंवला (बीज सहित) तथा फूल ईमली (बीज रहित) की खरीदी की जा रही थी। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार द्वारा कुसुमी लाख, रंगीनी लाख और कुल्लू गोंद की खरीदी में समर्थन मूल्य के अलावा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।
प्रमोद साहू।छत्तीसगढ़ में शनिवार और रविवार को पूर्ण लॉकडाउन रहेगा। दूध, दवा और सब्जी को छोड़कर सभी दुकानें बंद रहेंगी। अलग-अलग राज्यों से आ रहे मजदूरों के लिए स्कूल, पंचायत और सामुदायिक भवनों को क्वारेंटाइन सेंटर बना दिया गया है। कई गांव में पैदल चलकर आ रहे मजदूरों का क्वारेंटाइन पीरियड शुरू भी हो चुका है। कुछ गांव के क्वारेंटाइन सेंटर धर्मशाला से कम नहीं हैं। श्रमिकों के पहुंचने की खबर सुनकर उनके दोस्त और रिश्तेदार मुलाकात करने पहुंच रहे हैं। कुछ तो खाने-पीने की चीजें भी दे रहे हैं। क्वारेंटाइन सेंटर परिसर में एंट्री से बाहरी लोगों को रोकने न तो कहीं बेरीकेड लगाए गए हैं न सेनिटाइजर या मास्क की व्यवस्था है।
आरंग, खरोरा का निलजा ग्राम पंचायत और घिवरा के क्वारेंटाइन सेंटर में यही स्थिति नजर आई है। घिवरा के क्वारेंटाइन सेंटर में तो मजदूर धूप में बाहर ही बैठे हुए थे। उनके लिए कोई छांव की कोई व्यवस्था नहीं थी। नियमानुसार डाक्टरी जांच के बाद सैंपल लेने के बाद ही उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर के भीतर भेजना है। ग्राम निलजा में तो सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा था। चबूतरे में लोग बैठे हुए थे। श्रमिक के रिश्तेदार न सिर्फ मिलने चले आए थे, बल्कि उन्होंने कुछ खाने-पीने की चीजें भी दीं। क्वारेंटाइन सेंटर के बाहर तैनात पुलिस जवान को खबर लगी तो वह भागकर आया। उसके पहुंचते ही सामान देने वाला रिश्तेदार भाग निकला। दूसरे राज्यों से आए श्रमिकों को यहीं रखा जाना है, ताकि अगर उनमें संक्रमण हो तो गांव के दूसरे लोग प्रभावित न हो, लेकिन इन सेंटरों की पहली तस्वीरें ही हैरान करने वाली हैं।
क्वारेंटाइन सेंटर में जिन्हें रखेंगे उनके लिए तालाब में नहाना और खुले में शौच बैन
क्वारेंटाइन सेंटर में ठहराए जाने वाले दूसरे राज्यों से आए मजदूरों के लिए तालाब में नहाना और खुले में शौच पूरी तरह से बैन कर दिया गया है। मजदूर इन सेंटरों से 14 दिन निकल नहीं पाएंगे। मजदूरों के लिए डेग्रिडिबल यानी चलित शौचालय की व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। उन्हें भोजन डिस्पोजेबल थाली कटोरी में दिया जाएगा। वहीं परिसर में क्वारेंटाइन सेंटर के कचरे को नष्ट करने के लिए मशीन लगायी जाएगी। ताकि पूरा कचरा वहीं नष्ट हो जाए। क्वारेंटाइन सेंटर के भीतर छोटे छोटे पार्टिशन केबिन बनाए जाएंगे, ताकि मजदूूर अलग-अलग रहें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने में आसानी हो। इसकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को सौंपी की गई। प्रशासन ने क्वारेंटाइन सेंटराें के लिए 14 बिंदुओं की नियमावली जारी की गई है, उसके बाद से पंचायत ने ऐसे भवनों में तैयारी शुरू कर दी है। कुछ सेंटरों में तो पैदल चलकर गांव आने वाले मजदूरों और अन्य लोगों को भी ठहराया जाना शुरू कर दिया गया है। राजधानी से लगे लगभग सभी गांवों में ऐसी व्यवस्था कर ली गई है। ऐसे गांव जहां ग्राम पंचायत या सामुदायिक भवनों में बेहतर सुविधा नहीं हैं वहां सरकारी स्कूलों को भी क्वारेंटाइन सेंटर बनाया जाएगा।
क्वारेंटाइन सेंटर से भागने वाले लोगों पर दर्ज होगा मुकदमा
सवा लाख मजदूरों को वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है, इसलिए हर गांव में क्वारेंटाइन सेंटर बनाया जा रहा हैं। मजदूर सेंटर से बाहर न निकले इसकी जिम्मेदारी कोटवार से लेकर पटवारी, तहसीलदार और पुलिस को दी गई। बाहर से आने वालों को 14 दिनों तक क्वारेंटाइन में रहना होगा। इसी दौरान उनकी मेडिकल जांच होगी और कोरोना टेस्ट किया जाएगा। अगर कोई क्वारेंटाइन सेंटर से भागे तो उनके ऊपर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस केस दर्ज करेगी।
हर गांव में बनेगा क्वारेंटाइन सेंटर
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में एक क्वारेंटाइन सेंटर बनाने के लिए कहा है। प्रदेश में करीब 1.17 लाख मजदूरों की वापसी होनी है, जिन्हें इन सेंटरों में रखा जाएगा। क्वारेंटाइन सेंटर बनाने और व्यवस्था की जिम्मेदारी सभी जिला पंचायतों के सीईओ को सौंपी गई है। मंत्री सिंहदेव ने शुक्रवार को वीडियो कान्फ्रेंस में बताया कि प्रवासी मजदूरों के लौटने पर उनकी जांच, क्वारेंटाइन की व्यवस्था और स्थानीय ग्रामीणों को सुरक्षित रखना प्रदेश के लिए बड़ी चुनौती है। लेकिन प्रवासी मजदूरों की वापसी से गांववालों को घबराने की जरूरत नहीं है। केवल यह ध्यान रखना है कि इनसे और स्थानीय ग्रामीणों के बीच 14 दिन की क्वारेंटाइन अवधि में सीधा संपर्क न हो। कोरोना वायरस हवा से नहीं फैलता, बल्कि संक्रमित व्यक्ति के थूक या छींक के जरिए मुंह या नाक से निकलने वाले कणों के शरीर में प्रवेश करने से होता है। प्रवासी श्रमिकों की समुचित जांच, निगरानी एवं क्वारेंटाइन से यह खतरा टाला जा सकता है। प्रमुख सचिव पंचायत गौरव द्विवेदी और स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक सिंह ने अपने अमले से क्वारेंटाइन सेंटर्स में आवश्यक व्यवस्थाएं करने कहा। वहां बेरीकेटिंग, आवास, भोजन, बिजली, पानी, शौचालय, स्नानागार और साफ-सफाई के निर्देश भी दिए। यह तय हुअा है कि सेंटर में रह रहे लोगों को डिस्पोजेबल्स में ही खाना-पीना दिया जाए।
गांव वाले दे रहे जानकारी लेकिन नहीं हो रही कार्रवाई
राजधानी से लगे कई गांव में बाहर से आकर मजदूर अपने घरों में चले गए। उनकी किसी तरह की जांच नहीं हुई हैं। इससे कई गांव के लोग डरे हुए हैं। उन्हें कोरोना संक्रमण फैलने का डर है। इसलिए उन्होंने थाने के टीआई से लेकर तहसीलदार और पंचायत के जिम्मेदारों को दे दी है। कई इलाकों से शिकायत मिली है कि पाबंदी के बावजूद मजदूर क्वारेंटाइन सेंटरों में रहने की बजाय अपने घर चले गए हैं।
झारखंड के पलामू में मिले 5 कोरोना पॉजिटिव मरीज के संबंध कोरिया जिले से हैं। सभी मनसुख देवानीबांध से पलामू पंहुचे थे। पलामू में यह सभी मरीज आईसोलेशन वार्ड में रखे गए हैं। जानकारी के अनुसार पांचों से पूछताछ के बाद झारखंड सरकार ने मरीजों का पूरा ब्यौरा छग सरकार को भेज दिया है।मालूम हो कि जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर मनसुख पंचायत के मुख्य मार्ग पर संचालित देवानीबांध बालक आश्रम में 18 अप्रैल को राजनांदगांव से पलामू झारखंड जा रहे 46 मजदूरों को रोका गया था, इन्हें यहां लॉकडाउन तक रोके जाने की जानकारी दी गई थी। प्रशासन ने मजदूरों के रहने और भोजन का इंतजाम किया था। इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने 2 बीमार मजदूर के सैंपल जांच के लिए रायपुर लैब भिजवाया था, लेकिन रिपोर्ट आने से पहले प्रशासन ने यहां रोके गए मजदूरों को पलामू के लिए रवाना कर दिया था। इधर 29 अप्रैल को रायपुर से आई रिपोर्ट में दोनों मजदूर के कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी मिली। इस पर जिला प्रशासन ने बताया कि दोनों कोरोना पॉजिटिव मजदूर यहां से भाग निकले हैं, जिसके बाद इसकी सूचना झारखंड सरकार को दी गई। उधर गुरुवार को कोरिया से लौटे 5 मजदूरों के कोरोना पॉजिटिव होने पर पलामू जिला प्रशासन के डाक्टरों की स्पेशल टीम ने सभी से देर रात तक पूछताछ की है, जिसमें स्पष्ट हुआ है कि राजनांदगांव के बाद कोरिया में सभी क्वारंटाइन में रखे गए थे। झारखंड की मीडिया रिपोर्ट की मुताबिक कोरिया से 17 मजदूर 1 मई को झारखंड पलामू में दाखिल हुए हैं। ये सभी रामानुजगंज बार्डर के रास्ते वहां पहुंचे थे। सभी मजदूर एक ऑटो से अपने घर की ओर रवाना हुए थे, जिसकी जानकारी मिलने पर पलामू जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए पाटन इलाके से ऑटो पर सवार सभी को रोककर आईसोलेशन वार्ड में भर्ती करवाया।
नासिक से राजनांदगांव, फिर कोरिया पहुंचे थे सभी मजदूर
मजदूरों के अनुसार वे नासिक से राजनांदगांव के रास्ते छग में पहुंचे थे। राजनांदगांव में उन्हें 14 दिन क्वारेंटाइन पर रखा था। यहां से उन्हें झारखंड के लिए रवाना किया गया था, लेकिन कोरिया जिला प्रशासन ने उन्हें रोक लिया और बैकुंठपुर के आश्रम में ठहराया था। यहां से वे सभी 1 मई को पलामू पहुंचे थे।
कंटेन्मेंट जोन बनाने अब तक नहीं मिला आदेश
कलेक्टर डोमन सिंह ने बताया कि कंटेन्मेंट जोन बनाए जाने के लिए अब तक कोई आदेश नहीं मिला है, शासन से आदेश मिलने पर इसका पालन किया जाएगा।
इनके संपर्क वालों में संक्रमण का खतरा
पलामू पंहुचने के साथ ही सभी 17 मजदूरों का सैंपल जांच के लिए भिजवाया था। 7 मई को रांची लैब से आई रिपोर्ट में मालूम चला कि इसमें 5 कोरोना पॉजिटिव हैं। इसके बाद यह बात सामने आई कि सभी कोरिया के बैकुंठपुर में रुके हुए थे। मामला सामने आने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने अब तक इन बीमार मजदूरों की चेन के संपर्क में आएं लोगों की जानकारी इकट्ठा नहीं की है, इससे कहीं न कहीं कोरिया में भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है।
कंटेनमेंट जोन बन सकता है देवानीबांध आश्रम
बता दें कि छग के जिस इलाके में इन मजदूरों को क्वारंेटाइन किया गया था, वहां प्रशासन विशेष नजर रखेगी। चर्चा है कि ऐसे इलाके कंटेनमेंट जोन में रखे जाएंगे, यानी प्रशासन इन्हें अपने नियंत्रण में रखेगा। हालांकि एसडीएम एएस पैकरा ने बताया कि कंटेनमेंट जोन बनाएं जाने के लिए शासन से कोई आदेश अब तक नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि मजदूरों के जाने के बाद देवानीबांध आश्रम को सैनिटाइज किया गया है।
ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में दाखिले के लिए प्रक्रिया जून के अंत में शुरू होने की संभावना है। इस बार भी फर्स्ट ईयर की सीटें मेरिट के अनुसार छात्रों को दी जाएगी। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए जाएंगे। प्रवेश को लेकर उच्च शिक्षा एवं विश्वविद्यालयों में मंथन जारी है। जल्द ही इस संबंध में सूचना जारी होगी। हालांकि, फर्स्ट ईयर में प्रवेश बारहवीं के नतीजों के आधार पर होता है। इसलिए सब कुछ बारहवीं की परीक्षा पर निर्भर है। अभी इसके कुछ पेपरों की परीक्षा नहीं हुई है। परीक्षा की नई तारीख भी तय नहीं है। फिर भी अफसरों को उम्मीद है कि जून के आखिरी सप्ताह से कॉलेजों प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। शिक्षाविदों का कहना है कि बारहवीं के जो पेपर बचे हैं उनकी परीक्षा मई के आखिरी सप्ताह या फिर जून के पहले सप्ताह में होने पर भी नतीजे जून में आ सकते है। इसके अनुसार फिर कॉलेजों में प्रवेश जून के आखिरी सप्ताह से शुरू हो सकता है। बारहवीं की परीक्षा में देरी होने से कॉलेजों के प्रवेश पर असर पड़ेगा। यहां भी देरी होगी। उच्च शिक्षा का सत्र जून-जुलाई से शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार इसमें देरी हो सकती है। बोर्ड के साथ ही कॉलेजों की परीक्षाएं भी नहीं हुई है। इस तरह से परीक्षा के आयोजन देरी होने से नया सत्र भी देर से शुरू होगा।संभावना है कि इस बार दाखिला की प्रक्रिया जून के आखिरी सप्ताह से शुरू होकर सितंबर तक जा सकती है।
पीजी के दाखिले में देरी, जुलाई के अंत में प्रवेश संभव
ग्रेजुएशन में प्रवेश की प्रक्रिया जून के आखिरी सप्ताह से शुरू हो सकती है। लेकिन पीजी के दाखिले में देरी की संभावना है। ग्रेजुएशन के कई विषयों की परीक्षाएं अभी नहीं हुई है। पीजी में एक साथ प्रवेश होगा। जब तक परीक्षाएं नहीं होती और उनका रिजल्ट नहीं आता तब दाखिला नहीं होगा। शिक्षाविदों का कहना है कि फर्स्ट ईयर में दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए जाएंगे। पीजी में भी ऐसा ही सिस्टम रहेगा। लेकिन इसमें प्रवेश की जिम्मेदारी कॉलेजों को दी जा सकती है।
इस महीने के आखिरी गुरुवार को पुष्य योग का बेहद महत्वपूर्ण योग बन रहा है। ज्योतिष विज्ञान में इस योग की बहुत महत्ता बताई गई है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस योग के समय किए गए कार्यों में सफलता मिलती है और शुभता में वृद्धि भी होती है। साथ ही व्यक्ति को सकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे के मुताबिक इस तरह का संयोग बहुत कम ही बनता है। इस बार यह संयोग 27 मई की सुबह 5.57 बजे से 28 मई (गुरुवार) की सुबह 5.53 बजे तक रहेगा। यह पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र के साथ गुरुवार का दिन होना इसके महत्व को और भी बढ़ा देता है। माना जाता है कि इस नक्षत्र में जो भी कार्य किए जाते हैं, उसका परिणाम बेहतर ही होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति उदार, सहनशील और परोपकारी होते हैं। धर्म-कर्म में इनकी गहरी आस्था होती है, लेकिन बचपन में इन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है।
राहत देने वाला होगा: अप्रैल का महीना संकट भरा रहा है। गुरुपुष्य और गुरु और शनि का वक्री होना देश दुनिया के लिए कुछ राहत देने वाला हो सकता है। कई अटकी योजनाएं और कार्य मई में बनेंगे। चिकित्सा के क्षेत्र में भी सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के परिणाम देखने को मिल सकते हैं। लोगों में क्षमताओं को बढ़ाने का जोश और उत्साह बढ़ेगा।
गुरु को मंत्री का दर्जा, मिलेंगे स्थायी फल
पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना जाता है, जो स्थायी होता है। अर्थात इस नक्षत्र में किए गए कार्यों में स्थायित्व का भाव मौजूद होता है। यदि आपको कुछ ऐसे काम करने हैं, जिनमें आप जल्द से बदलाव की इच्छा न रखते हैं और उसकी स्थिरता चाहते हों तो इस नक्षत्र में कार्य करना बेहतर होगा। साथ ही गुरु (बृहस्पति) को ग्रहों में मंत्री का स्थान प्राप्त है और गुरु की दृष्टि को गंगाजल के समान पवित्र भी माना गया है।
गुरुपुष्य में ये कर सकते हैं
यात्रा का आरंभ करना, विद्या ग्रहण करना, नए शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेना हो या फिर गुरु से मंत्र शिक्षा पाना, आध्यात्मिक उन्नति, धार्मिक अनुष्ठान, राजकीय कार्यों में सफलता दिलाने के साथ ही यह नक्षत्र नेतृत्व की संभावना को बढ़ाता है। इस योग को अपनाने से पूर्व चंद्रमा कमजोर नहीं होना चाहिए। साथ ही गुरु शुक्र ग्रहों का अस्त होना, ग्रहण काल, श्राद्ध पक्ष इत्यादि पर भी ध्यान देने के बाद ही इस योग को ग्रहण करना लाभदायक होता है।
इस योग में हर कार्य शुभ सिवाय विवाह करने के
पुष्य नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है जो स्थायित्व प्रदान करने वाला ग्रह है। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक गुरूवार के दिन जब पुष्य नक्षत्र आता है तब बड़ा ही उत्तम योग बनता है। विवाह को छोड़कर इस योग में हर शुभ कार्य किए जा सकते हैं। गुरू स्वर्ण, धन एवं मांगलिक कार्यों के कारक हैं। इसलिए गुरू पुष्य योग में सोना, वाहन अथवा स्थायी संपत्ति खरीदना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी धन अर्जित करते हैं वह स्थायी रहता है। मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र को एक शाप मिला है इसलिए इस नक्षत्र में विवाह कार्य नहीं किया जाता है। पुष्य नक्षत्र आमतौर पर शुभ होता है लेकिन शुक्रवार के दिन अथवा बुधवार के दिन यह नक्षत्र हो तब कोई नया काम कभी नहीं करना चाहिए और न ही खरीदारी करनी चाहिए।
लॉकडाउन में ढील के बाद नियम का पालन नहीं करने वाले दुकानदारों पर प्रशासन ने कार्रवाई की है। वहीं बगैर मास्क लगाए सामान लेने वाले ग्राहकों को उठक-बैठक कराने के बाद मास्क पहनाया। एसडीएम प्रकाश भारद्वाज ने बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने वाले 15 दुकानदारों से 500-500 रुपए जुर्माना लगाया। साथ ही कोराेना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का शत प्रतिशत पालन करने को कहा।
दरअसल ग्रीन जाेन में हाेने के कारण जिले में लॉकडाउन में कई तरह की ढील दी गई है। इसके तहत दुकानों को खोलने का समय भी तय किया गया है। इसके लिए कई शर्तें भी लागू की गई हैं। शर्तों में दुकान के बाहर हाथ धोने की व्यवस्था होनी चाहिए, साेशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाना चाहिए साथ ही दुकानदार और ग्राहक दाेनाें काे मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है। इसके बावजूद इन नियमों का बराबर पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे काेराेना महामारी से निपटने में बाधा आसकती है। नियमों की अनदेखी की सूचना पर नकुलनार पहुंचे एसडीएम प्रकाश भारद्वाज, तहसीलदार विद्याभूषण साव, एसडीओपी देवांश राठाैर और कुआकाेंडा के थाना प्रभारी सलीम खाखा ने दुकानदारों काे समझाइश दी। इसके साथ ही 15 दुकानदारों से 5-5 साै रुपए जुर्माना भी वसूला। एसडीएम ने कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के प्रयोग पर जोर दिया साथ ही इस कोराेना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का शत प्रतिशत पालन करने को कहा।
गांव में काेरोना की रोकथाम के लिए नगर परिषद द्वारा गांव में आने वाले हर वाहन को सैनिटाइज्ड कर प्रवेश दिया जा रहा है। सीएमओ एसआर परमार ने बताया कि कोरोना वायरस से बचाव को दृष्टिगत नगर सीमा में बाहर से आने वाले दो-चार पहिया वाहनों को सैनिटाइज्ड किया जा रहा है। इसके लिए नगरी कचनारा एवं नगरी धमनार मार्ग पर चेक पोस्ट बना रखी है। यहां नगर सुरक्षा समिति सदस्यों एवं नप कर्मचारियों द्वारा सैनिटाइजर का छिड़काव करने के बाद नगर में प्रवेश दिया जा रहा है।
लॉकडाउन में जब लोगों का घर से निकलना बंद हुआ तो सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आ गई थी, लेकिन जैसे ही 20 अप्रैल के बाद हल्की छूट मिलने लगी और लॉकडाउन 2.0 खत्म होते तक थोड़ी ज्यादा रियायतें मिली तो दुर्घटनाओं के आंकड़े भी बढ़ने लगे हैं।
पिछले 6 दिन में जिले में 15 से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें गमावाड़ा में एक ग्रामीण व जारम की घटना में एक महिला की घटना स्थल पर ही मौत हो गई। इन आंकड़ों ने ट्रैफिक विभाग को एक बार भी परेशानी में डाल दिया है, जबकि लॉकडाउन के वक्त 21 अप्रैल तक सिर्फ एक ही सड़क दुर्घटना हुई थी। अब हर दिनघटनाएं हो रही हैं।
इसलिए बढ़ रहे हादसे
लॉकडाउन 1 और 2 में बंिदश होने के कारण लोग घरों में बंद थे लेकिन लॉकडाउन 3 में छूट मिलने के बाद लोग बाहर निकल रहे है और इन कारणों से हादसे हो रहे है।
1 से 6 मई के बीच हुईं सड़क दुर्घटनाओं का ब्योरा
एक मई 2020- मई के पहले ही दिन दो जगह सड़क दुर्घटना में फूलनार के मंगलूराम व चितालूर की चैती गंभीर रूप से घायल हुई।
2 व 4 मई 2020 - दो मई को चितालूर के बामदेव व 4 तारीख को हीरानार के साधुराम सड़क दुर्घटना में घायल हो गए।
5 मई 2020 - एक ही दिन में जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में 3 दुर्घटनाओं में 3 लोग घायल हुए। इनमें बालूद में हुई सड़क दुर्घटना में हिड़मा, मारेंगा रोड़ में हुई दुर्घटना में सुखदेव व घोटपाल नागुल चौक में हुई घटना में अजय घायल हुआ है।
6 मई 2020- इस दिन 4 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें ग्रामीण की मौत हो गई। वहीं लच्छू घायल हो गया। बालूद में सोमाराम जबकि बचेली में हुई घटना में रजनीश नवनीत जार्ज सहित दो युवक घायल हुए। बागमुंडी पनेडा में हुई घटना में भी एक युवक घायल हुआ।
नगर के सशिमं परिसर में चल रही समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी केंद्र पर बारदान छपाई का काम समय पर नहीं होने से किसानों को दिनभर अपनी उपज लेकर इंतजार करना पड़ा। गुरुवार को जिन किसानों को मैसेज भेजे गए थे, उनका गेहूं शुक्रवार को तौला गया। वहीं जिन किसानों को शुक्रवार को तुलाई के लिए कहा गया था उनकी गेहूं तुलाई का काम शाम 5 बजे तक भी शुरू नहीं हो पाया।
खरीदी केंद्र पर सभी किसानों की गेहूं तुलाई का काम पूरा नहीं हो पाया। जिसके चलते गुरुवार को बुलाए किसानों की गेहूं खरीदी का कार्य शुक्रवार को हुआ। इसके कारण शुक्रवार को केंद्र पर बुलाए गए किसानों को सुबह से शाम तक इंतजार करना पड़ा। किसानों का कहना है कि सुबह से ही गेहूं लेकर आ गए थे किंतु शाम तक तुलाई नहीं हो पाई है। खरीदी केंद्र प्रभारी राजेशकुमार शर्मा ने बताया कि बारदान पर छपाई करने वाले ठेकेदार ने गुरुवार को छपाई कार्य नहीं किया था, जिस कारण गुरुवार को गेहूं तुलाई नहीं हो पाई। शुक्रवार को नए ठेकेदार को बुलाकर छपाई कर काम शुरू किया है। देर रात तक काम कर सभी किसानों का गेहूं आज ही करके जाएंगे ताकि किसानों को परेशानी ना हो।
शाम तक केवल 7 किसानों की उपज तुली
केंद्र पर शुक्रवार को शाम 5 बजे तक 7 किसानों से 275 क्विंटल गेहूं की खरीदारी हुई। जबकि केंद्र पर प्रतिदिन 25 किसानों को बुलाया जा रहा है। शाम 6 बजे तक सड़क पर करीब 35 से ज्यादा ट्राॅलियां तुलाई के इंतजार में खड़ी थी।
लॉकडाउन के कारण पढ़ाई में पीछे न छूट जाए इसलिए स्कूल के शिक्षक ने वाट्सएप ग्रुप बनाया। अब सोशल मीडिया में ही डिजिटल क्लास लेकर बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। मामला शहर के महात्मा गांधी वार्ड स्कूल का है। स्कूल के शिक्षक गोविंद नायडू ने अपने घर को डिजिटल क्लास रूप में बदल लिया है।
यहां वे खुद लैपटॉप से पावर प्वाइंट प्रेंजेंटेशन तैयार करते हैं, उसके बाद उसे अपने घर में लगे स्मार्ट टीवी में मीटिंग एप के जरिए 15 -15 बच्चों को सीधे जोड़कर उन्हें पढ़ाते हैं। पढ़ाई के दौरान यदि बच्चे को कोई समस्या होती है तो वे ऑनलाइन ही सवाल करते हैं, जिसका जवाब गोविंद नायडू तुरंत देते हैं। नायडू अभी स्कूल के 6वीं से लेकर 9वीं तक के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बच्चों को 15-15 के बैच में बांटा गया है। इसके बाद राेज 3 घंटा पढ़ा रहे हैं। सभी के पालकों के पास स्मार्ट फोन नहीं थे तो उन्होंने छात्रों को 4 जाेन में बांटा और एक दूसरे का सहयोग करने प्रेरित किया। पहले खुद डिजीटल होना सीखा और फिर बच्चों को डिजीटल कर दिया है। अब हर रोज ऑनलाइन क्लास लगती है।
छात्रों को होमवर्क भी ऑनलाइन दिया जाता है। ऑनलाइन क्लास के बाद वे क्लास का वीडियो एवं गृहकार्य भी बच्चों के व्हाट्सएप ग्रुप में भेज देते हैं। जिन बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं होता वे बच्चे अपने पास के बच्चे से सम्पर्क करके वीडियो देख लेते हैं। हर दिन कक्षा के बाद बच्चों द्वारा निर्धारित समय पर गृह कार्य करने के बाद ऑनलाइन मूल्यांकन कर बच्चों को प्रोत्साहित भी करते है। वहीं इस शिक्षक ने अब तक 100 से अधिक पठन सामग्री बनाकर छात्रों दे दिया है।
शहर में अब ऑटो में एक से अधिक सवारी बैठाने वाले चालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, मास्क का उपयोग, सैनिटाइजर की व्यवस्था व हाथ धुलाई की व्यवस्था का निरीक्षण एसडीएम लगातार करेंगे। कलेक्टर डॉ अय्याज तंबोली ने कोर कमेटी की बैठक में अधिकारियों से बात करते हुए यह जानकारी दी।
लॉकडाउन के दौरान कोरोना फैलने से रोकने के लिए जिला प्रशासन लगातार कोशिश कर रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को कलेक्टर डॉ अय्याज तंबोली ने मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने कहा कि सभी एसडीएम दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, मास्क का उपयोग, सैनिटाइजर की व्यवस्था व हाथ धुलाई की व्यवस्था का निरीक्षण करेंगे। इस काम में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के तहत ऑटो चालकों को ऑटो चलाने के लिए छूट दी गई है लेकिन यदि कोई ऑटो चालक एक से अधिक सवारी बिठाते हुए मिलेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा किसी मालवाहक गाड़ी से सवारी ढोई जाएगी तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके साथ ही संजय मार्केट में खरीदी करने आने वाले नागरिकों के लिए पार्किंग की व्यवस्था करने के लिए नगर पालिक निगम आयुक्त को निर्देश दिए। साथ ही सामानों की आपूर्ति में लगे वाहनों के अनलोडिंग में समय का पालन करवाने भी कहा।
हरे सोने के रूप में तेंदूपत्ता वनवासियों के लिए अमूल्य संपदा है। यह ग्रामीणों के लिए आजीविका की अपार संभावनाएं ले कर आता है। जिले के दूरस्थ अंचलों में लगभग 50 हजार ग्रामीण इन दिनों तेंदूपत्ता संग्रहण में जुटे हुए हैं।
अब तक 8 कराेड़ रुपए से अधिक का तेंदूपत्ता संग्रहित किया जा चुका है। राज्य शासन ने समर्थन मूल्य पर 23 प्रकार के वनोपजों का संग्रहण किया जा रहा है परन्तु तेंदूपत्ता का पुरातन काल से वनवासियों के अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व रहा है। क्योंकि तेंदूपत्ता यहां लगभग हर ओर मिलता है। इसमें अधिक मजदूरों की आवश्यकता होती है ऐसे में गांवों में बच्चे-बूढ़े और जवान सभी मिलकर तेंदूपत्ते के संग्रहण से आय अर्जित कर पाते हैं। समर्थन मूल्य पर समितियों द्वारा खरीदी से उनको उनका हक प्राप्त हो रहा है। कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम ने बताया कि इन दिनाें ग्रामीण इमली, महुआ के साथ ही अन्य 11 प्रकार के वनोपजों के संग्रहण में जुटे हुए हैं। जिले में अब तक 6 करोड़ से अधिक राशि के वनोपज का विक्रय वनवासी कर रहे हैं। वर्तमान में 4 मई से तेंदूपत्ता संग्रहण प्रारम्भ हुआ है। इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य 4000 मानक बोरा होने से संग्राहकों में विशेष उत्साह है।
बस्तर जिले में नान द्वारा की जाने वाली मक्के की खरीदी पर लॉकडाउन का असर देखा जा रहा है। 31 मई खरीदी का अंतिम दिन है। अब तक एक भी किसान ने समितियों में मक्का नहीं बेचा है। तमाम कवायदों के बाद भी समर्थन मूल्य पर जहां पिछले साल सिर्फ 70 क्विंटल मक्का किसानों ने बेचा था, वहीं इस साल लगभग तीन महीने गुजरने के बाद भी अब तक एक क्विंटल मक्का भी नहीं बेचा है। इस वर्ष राज्य सरकार किसानों से 1760 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर मक्का खरीद रही है, जबकि पिछले साल इसकी दर 1700 रुपए प्रति क्विंटल थी।
किसानों का कहना है कि खुले बाजार की दर भांपने में नाकाम रही सरकार ने इस बार सिर्फ 60 रुपए बढ़ाकर समर्थन मूल्य 1760 रुपए तय किया है, लेकिन इसका कोई असर नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि मक्के की खरीदी जिले में एक दिसंबर से 31 मई तक करने की व्यवस्था की गई है। इस समय सीमा के खत्म होने में केवल 24 दिन बचे हैं। इस बीच किसान मक्का बेचने के लिए खरीदी केंद्रों में पहुंचेंगे, इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है। हालांकि किसान अपना मक्का मंडी में लेकर जरूर पहुंच रहे हैं।
रेट सही मिले तो एक हेक्टेयर में 35 हजार तक मुनाफा
नान के प्रबंधक एससी दिवेदी ने कहा कि मक्के का उत्पादन सही हो और रेट सही मिले तो 35 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर लाभ होगा। प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल इस बार औसत मक्के का उत्पादन हुआ है। एक हेक्टेयर पर 20 से 25 हजार रुपए खर्च है। बावजूद इसके मक्का बेचने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।
किसानों के लिए लॉकडाउन बना मुसीबत
भास्कर ने किसानों से समितियों में मक्का नहीं बेचने के कारणों की पड़ताल की। कुछ किसानों ने बताया कि सरकार द्वारा मक्का खरीदी का रेट बढ़ा दिया गया है, लेकिन मक्के में नमी और क्वालिटी को लेकर किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। 14 प्रतिशत से अधिक नमी पर खरीदी नहीं की जाती है, जिसके चलते वे मक्का बेचने के लिए किसान समितियों में नहीं जा रहे हैं। वहीं कई किसानों ने कहा
कि धान बेचने के बाद वे मक्का बेचने की तैयारी में थे, लेकिन अचानक लॉकडाउन के चलते वे अपने घरों से
नहीं निकल पाए। समय पर मक्के की तुड़ाई नहीं होने से सहकारी समितियों में मक्का नहीं बेच पाए।
इस साल 19 नए किसानों ने कराया पंजीयन
मक्के के बंपर उत्पादन के बाद भी किसान सहकारी समितियों में बेचने के लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जिले में इस बार 7 हजार 845 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती हुई है। पांच हजार से अधिक किसान मक्के की खेती कर रहे हैं। वहीं डेढ़ लाख क्विंटल तक उत्पादन का अनुमान है। हालत यह है कि इन किसानों में से केवल 431 किसानों ने ही मक्का बेचने के लिए पंजीयन कराया है। इसमें से इस साल केवल 19 नए किसान शामिल हैं। बाकी सब किसान पिछले साल के पंजीकृत हैं।
राजधानी में अब हेल्थ विभाग का अमला फोन पर मिलनेवाली सूचनाओं और शिकायतों पर मौके पर जाकर कोरोना जांच के लिए स्वाब के सैंपल लेगा। अभी एम्स और मेडिकल कालेज में कोरोना जांच की जा रही है, लेकिन यह जांच उनसे अलग होगी। इसके लिए अलग-अलग टीमें बनाकर रोजाना 90 सैंपल कलेक्ट करना और जांच करवाना हेल्थ अमले के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।
यह प्रयोग इसलिए किया जा रहा है, ताकि राजधानी के ज्यादा से ज्यादा लोगों को जांच के दायरे में लाया जा सके और यहां कोरोना का पैनिक कम हो। जिले के सीएमएचओ दफ्तर ने इसके लिए अलग टीमें बनाई हैं, जो अन्य राज्यों से अाए मजदूर, ट्रैवलर्स, मेडिकल स्टाफ और सर्वे करनेवाले स्वास्थ्य कर्मी और पुलिसकर्मियों के साथ-साथ जो भी कोरोना के लक्षण की शिकायत करेंगे, उनका सैंपल लेंगी। टीमों को साफ कर दिया गया है कि उन्हीं के सैंपल लिए जाएं, जिनमें कोई न कोई लक्षण दिखाई दे रहे हों। अफसरों का कहना है कि शहर में तीन कोरोना सैंपलिंग सेंटर हैं, जिनमें से दो जगह लोग खुद जाकर वहां के डाक्टरों को संतुष्ट करने के बाद सैंपल दे सकते हैं। लालपुर टीबी सेंटर में वही सैंपल जांचे जाएंगे, जिन्हें हेल्थ विभाग पहुंचाएगा।
कोरोना की जांच के लिए अलग पैमाने तय
सीएमएचओडॉ. मीरा बघेल ने बताया कि मौके पर जाकर इन टीमों ने प्रयोग के तौर पर आरडी किट से शुक्रवार से जांच शुरू कर दी है। इस जांच में अगर किसी की रिपोर्ट पाजिटिव आए तो उसे फाइनल नहीं माना जाएगा, बल्कि फिर संबंधित का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाएगा। मापदंड यह रखा गया है कि टीमें रोज 40 ऐसे मजदूर या प्रवासियों का आरडी टेस्ट करेंगी, जिनमें कोरोना के लक्षण हों। ऐसेलोगों का टेस्ट करना है जो पिछले कई दिन से सर्दी-खांसी, सांस में तकलीफ और बुखार की शिकायत कर रहे हों। बचे हुए 10 लोगों में 3 लक्षण वाले हेल्थ वर्कर या सर्विस प्रोवाइडर होंगे और बाकी 7 कोई भी हो सकते हैं।ज्यादा टेस्ट होने से फायदा
अभी एम्स और मेडिकल कालेज की लैब में राजधानी के रोजाना औसतन 70 से 80 लोगों के सैंपल जांचे जा रहे हैं। मौके पर होने वाले टेस्ट को मिलाकर रोजाना डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को जांच के दायरे में लाया जाएगा। ज्यादा टेस्ट होने का फायदा यह होगा कि राजधानी में संक्रमण का फैलाव रोका जा सकेगा। अस्पतालों के अलावा टारगेट के 90 टेस्ट होने से संदिग्ध लोगों की जांच हो पाएगी अौर रिपोर्ट भी जल्दी आएगी।यही नहीं, कई मामलों में अब तक संक्रमण का स्रोत नहीं मिल पाया है, जो इस तरह की जांच से संभव हो सकेगा।
सरकारी व प्राइवेट पॉलिटेक्निक कॉलेजों के दाखिले में इस बार देरी होगी। पॉलिटेक्निक एंट्रेस टेस्ट कब आयोजित किया जाएगा इसकी तारीख अभी तय नहीं है। मई में भी परीक्षा की उम्मीद कम है। इसलिए इस बार काउंसिलिंग देर से शुरू होने की संभावना है। राज्य में पॉलिटेक्निक की करीब साढ़े 10 हजार सीटें हैं।
पूर्व निर्धारित तारीख के अनुसार पॉलिटेक्निक एंट्रेंस टेस्ट 21 मई को होने वाला था। लेकिन बाद में पुराने शेड्यूल में बदलाव किया गया। आवेदन की तारीख बढ़ायी गई। साथ ही व्यापमं से यह भी सूचना जारी हुई कि बाद में प्रवेश परीक्षा की तारीख तय होगी। लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद आवेदन की तारीख बढ़ाकर 15 मई की गई। लेकिन प्रवेश परीक्षा कब होगी इसकी सूचना जारी नहीं हुई है। शिक्षाविदों का कहना है कि मई में पॉलिटेक्निक की प्रवेश परीक्षा होने की संभावना कम है। जून में भी इसका आयोजन तीसरे या आखिरी सप्ताह में हो सकता है। ऐसे में नतीजे देर से आएंगे और फिर काउंसिलिंग में भी देरी होगी। गौरतलब है कि व्यापमं से प्री पॉलिटेक्निक टेस्ट का आयोजन व्यापमं से किया जाएगा। इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। 15 मई तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। वेबसाइट vyapam.cgstate.gov.in से आवेदन भरे जा सकते हैं।
पाॅलिटेक्निक की आधी सीटें भी नहीं भरी थीं
पिछली बार पॉलिटेक्निक की आधी सीटों पर भी प्रवेश नहीं हुआ था। हालांकि, सीटों की तुलना में प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों की संख्या अधिक थी। प्रदेश में 54 पॉलिटेक्निक कॉलेज हैं। पिछली बार इनमें से 4240 सीटों पर प्रवेश हुआ। सरकारी कॉलेज में ही ज्यादातर छात्रों का प्रवेश हुआ था। प्राइवेट कॉलेजों में बड़ी संख्या में सीटें खाली रहगई थी। गौरतलब है कि प्रवेश परीक्षा के नतीजों के आधार पर काउंसिलिंग के माध्यम सीटें आबंटित की जाती है।
राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन को देखते हुए केवल सामान्य राशनकार्ड को छोड़कर सभी प्रकार के राशन कार्डधारियों को नि:शुल्क चावल देने घोषणा किया गया था। अब जून का भी चावल नि:शुल्क दिया जाएगा। इसे लेकर तैयारी शुरू हो गई है।
जिला खाद्य अधिकारी अरुण मेश्राम ने बताया कि जिले में 483 राशन दुकान हैं। इन दुकानों में राशन का भंडारण शुरू हो गया है। जून माह का राशन 139 दुकानों में नहीं पहुंचा है। इन दुकानों में आने वाले दो दिन के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।
वहीं मई व अप्रैल माह के राशन ज्यादातर दुकानों में बांटा जा चुका है। इसके साथ ही बीच में चना वितरण के लिए कमी थी, लेकिन इसे भी पूरा कर लिया गया है। 483 दुकानों में चना का भंडारण हो चुका है। इसे केवल एपीएल कार्डधारी को छोड़कर सभी कार्डधारी को एक-एक किलो चना दिया जाएगा। जिन दुकानों में चना का भंडारण किया गया है, वहां वितरण का काम शुरू हो गया है। कोरोना संक्रमण के चलते जरूरतमंदों को राहत दिलाने पहल की जा रही है।
वितरण का काम शुरू, इन राशनकार्ड धारी को मिलेगा राशन
अंत्योदय राशनकार्ड : प्रत्येक सदस्य को 5 किलो प्रति माह अतिरिक्त चावल की पात्रता होगी। 35 किलो नियमित आवंटन के साथ जून में एक सदस्य वाले कार्ड को 50 किलो चावल निःशुल्क मिलेगा। दो सदस्य वाले कार्ड को 35 किलो के साथ 3 महीने का अतिरिक्त चावल 30 किलो के साथ 65 किलो, 3 सदस्य को 35 किलो के साथ 45 किलो अतिरिक्त आवंटन को मिला कर 80 किलो, 4 सदस्य 35 किलो के साथ 60 किलो अतिरिक्त आवंटन को मिला कर 95 किलो चावल निःशुल्क दिया जाएगा।
प्राथमिकता राशनकार्ड: 5 से अधिक सदस्य वाले राशनकार्ड में 3 माह का अतिरिक्त आवंटन 9 किलो प्रति सदस्य होगा। एक सदस्य को जून महीने में 10 किलो, दो सदस्य 20 किलो, 3 सदस्य को 35 किलो, 4 सदस्य को 35 किलो नियमित आवंटन के साथ 15 किलो अतिरिक्त मिलाकर 50 किलो, 5 सदस्य को 35 किलो के साथ 45 किलो मिलाकर 80 किलो और 6 सदस्य वाले राशनकार्ड को 42 किलो नियमित आवंटन के साथ 54 किलो मिलाकर 96 किलो चावल जून महीने में निःशुल्क दिया जाएगा।
इन्हें छूट का लाभ : अन्नपूर्णा, एकल निराश्रित, निःशक्त जन राशनकार्ड में जून महीने के नियमित मासिक आवंटन का निःशुल्क वितरण किया जाएगा। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण आयुक्त द्वारा जारी आदेश में सभी उचित मूल्य दुकानों में वितरण के समय राशन कार्डवार आवंटन की पात्रता की सूची का प्रदर्शन अनिवार्य रूप से करने तथा सभी राशन कार्डधारियों को उनकी पात्रता के बारे में सूचित करने के निर्देश दिए हैं।
मध्यप्रदेश में कोरोना पॉजिटिव की संख्या 3 हजार से अधिक हो चुकी है। ऐसे में मध्यप्रदेश-छग बॉर्डर से लगे कबीरधाम जिले के ग्राम डालामौहा में ग्रामीणों ने बैरियर लगा दिया है, जहां वे 24 घंटे पहरा देते हैं। ताकि मध्यप्रदेश की ओर से कोई आ न सके। शुक्रवार को पंडरिया ब्लॉक के गांवों में संक्रमण से बचाव की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने बैरियर पर गाड़ी रोकवाई।
कलेक्टर ने जब ग्रामीणों के बनाए बैरियर को देखा, तो गाड़ी रोककर उनके हाल जानने लगे। उन्होंने पहरा दे रहे ग्रामीणों के काम को सराहा। बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि वायरस के रोकथाम के लिए गांव के बाहर स्वयं से बैरियर लगाए हैं। यह मार्ग मध्यप्रदेश को जोड़ती है, इसलिए अन्य राज्यों से आने वाले लोगों को गांव की सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। इसके बाद कलेक्टर शरण ने अंचल के ग्राम कुकदूर, कामठी, तेलियापानी, भाकुर, पोलमी का निरीक्षण किया। यहां बनाए गए क्वारेंटाइन सह राहत शिविरों का अवलोकन किया।
144 गांवों में क्वारेंटाइन सेंटर: दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों की वापसी के प्रयास किए जा रहे हैं। संक्रमण से बचाने के लिए पंडरिया ब्लॉक के 144 गांवों में सभी शासकीय भवन, स्कूल, आश्रम-छात्रावास को क्वारेंटाइन सेंटर सह राहत शिविर बनाया गया है। सभी क्वारेंटाइन सेंटरों में भोजन की व्यवस्था के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। साथ ही सरपंच और ग्राम पटेल को भी जिम्मेदारी दी गई है।
आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से बड़ी संख्या में यहां के मजदूरों का वापस आना जारी है। सरकार इन्हें वापसी के लिए साधन मुहैया कराने का दावा कर रही है। लेकिन असलियत कुछ और बयां कर रही है। इन्हें आने के लिए बस की कोई व्यवस्था नहीं है। ये लोग सामान के साथ किसी तरह ट्रकों और पिकअप वाहन में बैठकर यहां पहुंच रहे हैं। इसमें भी इन मजदूरों से मनमाना किराया भी वसूल किया गया है। गुरुवार रात को आंध्रप्रदेश के तेलीपाका से 1 ट्रक, 2 मैजिक वाहन और 2 पिकअप वाहन से नकुलनार लौटे 164 मजदूरों से हर व्यक्ति का 8 सौ रुपए किराया वसूला गया, जबकि तेलीपाका से नकुलनार की दूरी करीब 200 किलोमीटर ही है।
88 मजदूर 1 ट्रक और 2 मैजिक वाहन से नकुलनार पहुंच गए थे जिन्हें प्रशासन ने पोंदुम के क्वारेंटाइन सेंटर भेज दिया गया। लेकिन बाकी 76 मजदूरों को 2 पिकअप वाहन के चालक कुछ किलोमीटर पहले ही जंगल में छोड़कर वापस चले गए। ये 76 मजदूर रातभर नकुलनार के अासपास जंगल में ही भटक रहे थे। सुबह ही इन मजदूराें काे ठिकाना मिल सका और इन्हें कुआकाेंडा के पाेटाकेबिन-2 में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में शिफ्ट किया गया। ये सभी मजदूर टेटम, कोटरीपाल और ऐटेपाल गांव के हैं जो आंध्रप्रदेश में मजदूरी करने गए थे।
76 मजदूरों ने जंगल में बिताई रात, सुबह सिर पर सामान लादकर पैदल गांव तक आए
आसपास के जंगल में भटक रहे टेटम पंचायत के गंगा, काेसा, पांडू, मंगलू और साेमड़ू ने बताया कि ट्रक वाले ने हर व्यक्ति का किराया 8-8 साै रुपए वसूल किया है। इसके बाद भी उन्हें रास्ते पर ही छाेड़ दिया। जहां से उन्हें सिर पर सामान काे लादे पैदल ही गांव तक आना पड़ा। रात में हितावर के हुर्रापारा के जंगल में उन्होंने रात बिताई और सुबह उन्हें ठिकाना मिल सका। तहसीलदार विद्याभूषण साव ने बताया कि इन सभी मजदूरों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था कराई गई है। रात में कोंटा बार्डर पार करने पर रोक लगाई जाएगी।
सूचना मिलने पर कोंटा बॉर्डर भेजी जा रही बसें
कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने बताया कि मजदूरों को सीधे दूसरे राज्यों से वापस लाने शासन स्तर से ही निर्णय लिया जा रहा है। वहां से जो भी निर्देश मिलेंगे कार्रवाई होगी। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की सरकारें व ठेकेदार ट्रकों व पिकअप वाहनों में मजदूरों को कोंटा बॉर्डर पर लाकर छोड़ रहे हैं। सूचना मिलने पर दंतेवाड़ा से बसें भेजी जा रही हैं। कोंटा बॉर्डर पर तहसीलदार व एसडीएम यह देख रहे हैं कि ये किन जिलों के हैं। पास के साथ मजदूरों को उन्हीं गाड़ियों में दंतेवाड़ा भेज रहे हैं।
बस्तर जिले में साढ़े 3 हजार से ज्यादा बसाहटों में पानी में दूषित रासायनिक पदार्थ मिले हैं। ऐसे में ये पानी उपयोग के लायक तो नहीं है, इसके बावजूद इन बसाहटों के लोग यही पानी पी रहे हैं। बताया जाता है कि इन बसाहटों में जो दूषित पदार्थ पानी में मिल रहे हैं, वे रासायनिक तत्वों से बने हुए हैं। इन हालातों के बाद भी पीएचई लोगों को साफ पानी मुहैया नहीं करवा पा रहा है।
बताया जाता है कि पिछले दिनों पीएचई ने बस्तर जिले के सातों ब्लॉक में अलग-अलग 11403 जगहों पर पानी की जांच की, जिसमें से गुरुवार तक की रिपोर्ट के मुताबिक 3656 बसाहटों में रासायनिक पदार्थ मिले हैं। इनमें आयरन और फ्लोराइड सबसे ज्यादा मिले हैं। इसके अलावा दरभा ब्लॉक के छिंदावाड़ा में बैक्टेरियोलॉजिकल पदार्थ, जिसमें ई-कोलाई बैक्टेरिया मिले हैं। कुल मिलाकर 3657 बसाहटों का पानी किसी भी हालत में पीने के लायक नहीं है।
1149 जगहों के पानी में आयरन तो 92 में मिला फ्लोराइड, दोनों ही सेहत के लिए खतरनाक: बस्तर जिले में सबसे ज्यादा रासायनिक पदार्थ आयरन मिले हैं, जबकि फ्लोराइड के ट्रेसेस भी पानी में मिले हैं। जिलेभर की 1149 बसाहटों में जहां आयरन की मात्रा काफी ज्यादा मिली है, वहीं 92 बसाहटें फ्लोराइड से प्रभािवत हैं। इसके अलावा अन्य कंटेमिनेशन से प्रभावित 17 और अलग-अलग कई पदार्थों के कारण पानी के दूषित होने वाली 5 बसाहटें हैं।
फिल्टर प्लांट खराब हो गए, 7 साल पहले ही बंद कर दिया गया था उपयोग: बस्तर जिले के आयरन और फ्लोराइड प्रभावित जलस्रोतों में आयरन रिमूवल और फ्लोराइड रिमूवल फिल्टर प्लांट लगाए गए थे, लेकिन सही रखरखाव नहीं होने से करीब 7 साल पहले ही इनका उपयोग बंद कर दिया गया।
जानिए, यदि पानी में आयरन और फ्लोराइड की अधिकता हुई तो क्या हैं नुकसान
मेकॉज के मेडिसीन विभाग के डॉ. नवीन दुल्हानी बताते हैं कि आयरन की अधिकता से पाचनतंत्र कमजोर होता है, वहीं हृदयरोग का कारण भी आयरन बन सकता है। इसके अलावा त्वचा पर भी इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिलता है। पानी में आयरन की मात्रा 10 पीपीएम, यानि 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। फ्लोराइड के दुष्प्रभावों के बारे में उन्होंने बताया कि इससे हडि्डयां और दांत कमजोर हो जाते हैं। हडि्डयों के कमजोर होने से शरीर में विकृति आने लगती है।
बस्तर में फ्लोराइड से प्रभावित जगह सबसे ज्यादा: पूरे बस्तर जिले में जगदलपुर ऐसा ब्लॉक है, जहां सबसे ज्यादा 737 बसाहटों के पानी में आयरन की अधिकता है। तोकापाल में 144, दरभा में 116, लोहंडीगुड़ा में 67, बकावंड में 59 और बास्तानार ब्लॉक में 26 बसाहटों के पानी में आयरन बहुत ज्यादा मिला है। वहीं बकावंड के 35, बस्तर के 45, बास्तानार के 5 और दरभा के 7 बसाहटों में फ्लोराइड ज्यादा है।
छिंदावाड़ा में पानी में मिला ई-कोलाई, बैक्टीरिया के संक्रमण से जूझ रहा गांव
दरभा ब्लॉक के छिंदावाड़ा में पानी में ई-कोलाई के ट्रेसेस मिलने का दावा किया जा रहा है। पानी में ई-कोलाई बैक्टीरिया पाया जाना इस बात का संकेत दे रहा है कि यहां जलस्रोत में मानवमल का संक्रमण है। ई-कोलाई बैक्टीरिया से जहां उल्टी-दस्त की समस्या बढ़ जाती है, वहीं शरीर में पानी की मात्रा में कमी भी इसका प्रमुख कारण है। डॉक्टरों की मानें तो ये बैक्टेरिया अमूमन मानवमल में पाया जाता है।
फ्लोराइड प्रभावित हैंडपंपों को किया बंद: पीएचई ईई
पीएचई ईई एसके पांडे ने बताया कि बस्तर जिले में जितने भी फ्लोराइड प्रभावित हैंडपंप हैं, उन्हें बंद कर दिया गया है, लेकिन आयरन प्रभावित हैंडपंपों को इसलिए बंद नहीं किया गया है, क्योंकि बस्तर में आयरन की अधिकता तो है ही, साथ ही इससे बहुत ज्यादा नुकसान लोगों को नहीं होता। फिर भी एक बार इन स्थितियों को दिखवा लेते हैं, फिर लोगों को शुद्ध पानी मिल सके, इसकी कोशिश की जाएगी।
ये भी जानिए, जिले में कितनी बसाहटों में पानी पीने योग्य नहीं
ब्लॉक कितनी बसाहटोंमें हुई जांच कितनों मेंमिले दूषित
बकावंड 1769 641
बास्तानार 917 230
बस्तर 2228 593
दरभा 1119 552
जगदलपुर 2543 713
लोहंडीगुड़ा 1443 552
तोकापाल 1384 375
बस्तर जिले में 11403 3656
क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन को रोकने के लिए खनिज विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। एनजीटी के रोक के बावजूद इंद्रावती नदी के किनारे रेत डंप की जा रही थी। इस पर कार्रवाई शुरू की गई है। नदी किनारे निगम के प्लांट के पास अवैध रूप से डंप की गई करीब 1500 क्यूबिक मीटर (लगभग 10-12 ट्रैक्टर) रेत को खनिज विभाग के अधिकारियों ने जब्ती कर करते हुए रेत माफिया से 9 हजार रुपए वसूले।
जिला खनिज अधिकारी हेमंत चेरपा ने बताया कि इस मामले की शिकायत कलेक्टर से की गई थी। जिसके बाद इस मामले को लेकर की। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर रेत की जब्ती करते वहां पर रेत का अवैध भंडारण करने वाले बुदरू के खिलाफ मामला बनाते हुए उससे जुर्माना वसूला गया। प्रभारी जिला खनिज अधिकारी ने कहा कि रेत के अवैध भंडारण और परिवहन को लेकर लगातार कार्रवाई की जा रही है जल्द ही एक अभियान चलाकार श्हार के साथ ही अन्य जगहों पर कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों ने रोक दी थी कई गाड़ियां
रेत के अवैध परिवहन से नाराज होकर धोबीगुड़ा के ग्रामीणों ने कुछ दिनों पहले आधा दर्जन गाड़ियों को रोककर इसकी जानकारी बकावंड तहसीलदार को दी थी। जिसके बाद राजस्व विभाग ने इनके खिलाफ कार्रवाई की थी। इसके अलावा पिछले साल अप्रैल और मई में खनिज विभाग के अधिकारियों ने करीब 36 वाहनों को रेत और गिट्टी का अवैध परिवहन करते हुए पकड़ा था। जिसको लेकर काफी बवाल हुआ था।
बार-बार समझाइश के बाद रेत निकालती हैं महिलाएं
इंद्रावती नदी के पुराने पुल के पास पिछले कई सालों से लगातार महिलाओं के द्वारा रेत की खुदाई की जा रही है। हर बार खनिज विभाग के अधिकारी इस मामले को लेकर महिलाओं को ऐसा काम नहीं करने की समझाइश देने के साथ ही कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। लेकिन इसका कोई असर इन महिलाओं पर नहीं पड़ रहा है। बारिश से पहले महिलाएं एक बार फिर से नदी से रेत निकालने की योजना बना रही हैं।
शहर में लागू लॉकडाउन में कलेक्टर ने संशोधन करते हुए शुक्रवार की शाम 7 बजे से सोमवार की सुबह 9 बजे तक पूरी तरह से लॉकडाउन करने की घोषणा की है। अपने आदेश में उन्होंने कहा है कि 17 मई के बाद भी पूरे महीने इस तरह का लॉकडाउन का पालन किया जाएगा। इसमें जरूरी सेवाओं को छोड़कर बाकी सारी दुकानें और सेवाएं बंद रखने के आदेश उन्होंने दिए हैं। इसमें सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, जिसमें बस, टैक्सी, ऑटो-रिक्शा शामिल हैं, बंद रहेंगे। इसके अलावा मेडिकल इमरजेंसी की सेवाएं बहाल रहेंगी। जरूरी सामानों की दुकानों को छोड़कर बाकी सारा बाजार, कार्यालय और दुकानों को बंद रखने कहा गया है।
जबकि पुलिस और स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े अफसर-कर्मियों को लॉकडाउन से छूट दी गई है। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाएं, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और पंजीकृत क्लीनिक, दवा-चश्मे की दुकानें, खाने-पीने के सामानों का परिवहन को छूट के दायरे में रखा गया है। इधर दूध, ब्रेड, फल, सब्जी, चिकन-मटन, अंडा-मछली विक्रय में छूट के साथ ही तय समय में ही अपना काम करने कहा गया है।
दूध और अखबार बांटने वालों को सुबह छूट
दूध और अखबार बांटने वालों के लिए लॉकडाउन में सुबह 7 से साढ़े 9 बजे तक की छूट दी गई है। इसके अलावा जरूरी सेवाएं, जिसमें बिजली, पानी, सफाई, अग्निशमन, एटीएम, टेलीकॉम, इंटरनेट, मोबाइल रिचार्ज-सर्विसेस की दुकानों के साथ ही पेट्रोल-डीजल, एलपीजी को भी लॉकडाउन में छूट दी गई है।
राज्य शासन के बाद जिला प्रशासन ने भी अब शनिवार व रविवार को पूर्ण लॉकडाउन का एलान कर दिया। यह लॉकडाउन शुक्रवार शाम 4 बजे से शुरू हो गया, जो सोमवार सुबह 6 बजे तक लगातार अगले 64 घंटों का होगा। इस दौरान जिला मुख्यालय, गांव व कस्बों में शनिवार व रविवार को लगने वाला साप्ताहिक बाजार भी नहीं लगेगा। वहीं मंगलवार काे जिले में दुकानें बंद रहती हैं। एेसे में अब 4 दिन ही दुकानें खुलेंगी। लॉकडाउन के दौरान सिर्फ अति आवश्यक सेवाओं में शामिल दुकान व प्रतिष्ठान को छूट दी गई है।
शुक्रवार दोपहर जिला प्रशासन ने सप्ताह में दो दिन शनिवार व रविवार को पूर्ण लॉकडाउन का आर्डर जारी किया। इसे लेकर सभी जगह प्रसारित करने के साथ बाजार व शहर में मुनादी भी कराई गई। जारी आदेश के अनुसार दुकानें शुक्रवार शाम 4 बजे बंद हो गई। शनिवार व रविवार को अति आवश्यक सेवाओं में शामिल दुकान व प्रतिष्ठान ही खोले जाएंगे। शनिवार को सरोना तथा रविवार को कांकेर, दुधावा आदि जगहों का साप्ताहिक बाजार लगता है। ये भी अब पूर्ण लॉकडाउन के चलते नहीं लगेंगे। प्रशासन को आशंका है कि सभी दुकानें बंद होने के बाद यदि साप्ताहिक बाजार को छूट दी गई तो वहां भारी भीड़ जमा हो जाएगी। लोग सब्जी खरीदने के नाम से बाजार में टूट पड़ेंगे। दुकानों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे लॉकडाउन का कोई औचित्य ही नहीं रहेगा।
बाहरी व्यापारियों से संक्रमण का खतरा : लॉकडाउन के दौरान चेक पोस्ट में अच्छे से जांच पड़ताल नहीं होने से बाहर के व्यापारी कार से शहर में वसूली करने पहुंच रहे हैं। खासकर कांकेर में रायपुर, दुर्ग आदि जगहों के व्यापारी आ रहे हैं। इसी तरह कुछ लोग सामान बेचने कांकेर पहुंच रहे हैं। इससे जिले में संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है।
मंगलवार को दुकान खाेलने करेंगेे चर्चा : कांकेर चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष दिलीप खटवानी ने बताया मंगलवार को दुकान खोलने अनुमति देने प्रशासन से चर्चा की जाएगी।
इन दुकानों व सेवाओं को सुबह 6.30 से 9.30 बजे तक मिली छूट
कानून व्यवस्था एवं स्वास्थ्य सेवा से संबंधित पदाधिकारी एवं कमर्चारी, स्वास्थ्य सेवाएं, दवा उत्पादन की इकाई एवं संबंधित परिवहन, खाद्य आपूर्ति से संबंधित परिवहन सेवाएं, खाद्य पदार्थ, दूध, ब्रेड, फल एवं सब्जी दुकान, चिकन, मटन, मछली एवं अंडा के विक्रय, वितरण, भंडारण परिवहन की गतिविधियां, दूध विक्रेता एवं न्यूज पेपर हॉकर सुबह 6.30 से 9.30 बजे तक लॉकडाउन से मुक्त रहेंगे।
सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बंद
इस दौरान जिले में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, निजी बसें, टैक्सी, ऑटो, रिक्शा, ई-रिक्शा के परिचालन को बंद किया गया है। केवल इमरजेंसी मेडिकल सेवा वाले व्यक्तियों को वाहन द्वारा आवागमन की अनुमति रहेगी। ऐसी निजी वाहन, जो इस आदेश के अंतर्गत आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन एवं उनके परिवहन का काम कर रहे हों, उन्हें भी अपवादिक स्थिति में तात्कालिक आवश्यकताओं को देखते हुए छूट रहेगी।
लॉकडाउन का पालन करें, मास्क पहनकर ही निकलें: कलेक्टर
कलेक्टर केएल चौहान ने कहा कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए यह व्यवस्था की गई है। शनिवार रविवार को अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़ कर अन्य सभी दुकानें व साप्ताहिक बाजार भी बंद रहेंगे। जिलेवासी लॉकडाउन का पालन करें। जरूरी होने पर ही घर से मास्क पहन कर बाहर निकलें। इधर नए आदेश के बाद व्यापारियों ने मंगलवार को दुकान खोलने की अनुमति देने की मांग की है।
इन सेवाओं व दुकानों को लॉकडाउन में दी गई छूट
मास्क, सैनिटाइजर व दवा दुकान, एटीएम, गैस एजेंसी, बिजली व पेयजलापूर्ति एवं नगर पालिका सेवाएं, जेल, अग्निशमन सेवाएं, टेलीकॉम, इंटरनेट सेवाएं, आईटी आधारित सेवाएं, पेट्रोल पंप, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, टेक अवे होम डिलीवरी रेस्टोरेंट, पूर्व से विभिन्न होटलों में रुके हुए अतिथियों के लिए डायनिंग सेवाएं, सुरक्षा कार्य में लगी सभी एजेंसियां इस प्रतिबंध से छूट रहेगी।
कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर जिला प्रशासन द्वारा लगातार जागरूक किया जा रहा है और मास्क लगाने एवं सोशल डिस्टेंसिग का पालन करने को कहा जा रहा है। बावजूद इसके नगर पंचायत बस्तर में गुरुवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार में सैकड़ों की भीड़ उमड़ी थी और खरीदी करने आए लोगों सहित व्यापारियों द्वारा भी सोशल डिस्टेंसिग की धज्जियां उड़ाई गई। नगर पंचायत व्यवस्था संभालने में नाकाम दिखा इस खबर को दैनिक भास्कर ने शुक्रवार के अंक में ‘ये भीड़ डराती है, बस्तर के साप्ताहिक बाजार में लोगों में दूरी ही नहीं’शीर्षक से प्रकाशित किया था।
नगर पंचायत सीएमओ हंसा ठाकुर ने बताया कि बाजार में उमड़ी भीड़ को देखते हुए नगर पंचायत अध्यक्ष डोमाय मौर्य एवं पार्षदों की सहमति से सोमवार व गुरुवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। वहीं रोजाना लगने वाली सब्जी की
दुकानें चालू रहेंगी।
इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी ने विश्व रेडक्रॉस सोसायटी के स्थापना को 100 साल पूरे होने पर शताब्दी वर्ष मनाया गया। जिले में रेडक्रॉस सोसायटी के वालंटियर्स ने लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग व निर्देशों का पालन करते हुए दिवस मनाया। इस अवसर पर रेडक्रॉस वालंटियर्स ने थीम कीप क्लैपिंग फॉर वालंटियर्स का अनुसरण करते हुए कोरोना वायरस के संक्रमण से रोकथाम एवं बचाव में लगे वालंटियर्स वारियर्स का तालियों से उत्साहवर्धन किया। वालंटियर्स ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव व रोकथाम के व्यवस्था में लगे पुलिस विभाग, नगर पालिका सफाई कर्मचारी और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का सम्मान आरती उतार कर तिलक वंदन एवं पीले चावल तथा पुष्प वर्षा कर मुंह मीठा कराया।
वालंटियर्स ने पुराना बस स्टैंड में सफाई कर्मचारियों को, पुलिस थाना, मस्जिद चौक, कोमलदेव क्लब, घड़ी चौक, पंडरीपानी चौक, बरदेभाटा, ज्ञानी चौक में तैनात पुलिस कर्मचारियों को सम्मानित किया।
जिला संगठक पवन कुमार सेन ने बताया रेडक्रॉस सोसाइटी की स्थापना संस्थापक जीन हेनरी ड्युनांट ने 1920 में मानव सेवा के लिए जिनेवा स्वीट्जरलैंड में किया गया था। विश्व के 186 देशों में रेडक्रॉस, रेड क्रिसेंट और रेड क्रिस्टल द्वारा आपदा में निस्वार्थ मानव सेवा का कार्य वालंटियर्स कर रहे हैं। जिले में भी जमीनी स्तर में तैनात स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी और पुलिस विभाग के जवान प्रथम पंक्ति के योद्धा है। इनके सेवाओं के कारण आमजन कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से परे होकर सुकून की जिंदगी जी रहे हैं। इस अवस पर रेडक्रास सदस्य अनुपम जोफर, राज भारती, ओमप्रकाश सेन, मोहन सेनापति, राज भारती, मोहनराव मूर्ति, आफरीन नाज, शिवानी मिश्रा, केवी राव, राहुल साहू, उत्तम मिश्रा, संपत नेताम, सुनील साहू, डॉ. मनोज राव उपस्थित थे।
ग्राम पंचायत कुरना में शुक्रवार काे चारागाह स्थल पर हुए अतिक्रमण को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। गांव के पंचायत प्रतिनिधि कब्जा हटाने गए तो अतिक्रमण करने वाले युवक और उनके परिवार ने विवाद शुरू कर दिया। यह विवाद मारपीट तक जा पहुंचा था।
गांव की सरपंच, वार्ड पंच व अन्य ग्रामीणों ने युवक और उनके परिवार के खिलाफ थाने में शिकायत की है। ग्राम पंचायत कुरना के महिला सरपंच, वार्ड पंच और अन्य ग्रामीणों ने कांकेर थाना पहुंचकर पुलिस से सुनील मौर्य और उनके परिवार के खिलाफ शिकायत की। पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा जब वे अतिक्रमण हटाने पहुंचे तब उनके साथ मारपीट करने का प्रयास किया गया। 8 मई को सुबह चारागाह स्थल में निस्तारी के लिए अतिक्रमण जगह को खाली कराने बैठक रखी गई थी। इसमें अतिक्रमणकारियों से बातचीत एवं आपसी सहमति बनाने की कोशिश की जा रही थी। उक्त जगह पर सीपीटी मनरेगा में बनना था, लेकिन जब सरपंच छबीला कुंजाम व अन्य पंचायत प्रतिनिधि पहुंचे तब सुनील मौर्य के साथ विवाद बढ़ा। सुनील मौर्य अपने परिजनों के साथ लाठी, डंडा के साथ पहुंच गया। जान से मारने की धमकी दी और अतिक्रमण जगह को नहीं हटाने के लिए कहा। कांकेर थाना प्रभारी मोरध्वज देशमुख ने कहा जांच के बाद वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
लॉकडाउन के दौरान चोरी करने नए बस स्टैंड के एक होटल में चोर घुस गया। लाॅकर तोड़ नोटों की गड्डियां जेब में भरने लगा। इस दौरान सीसीटीवी कैमरे में मालिक ने चोर को देख लिया। उन्होंने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंच होटल के बाहर चोर के निकलने का इंतजार करने लगी। जैसे ही चोर बाहर निकला पुलिस ने उसे दबोच लिया। चोर के खिलाफ अपराध दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है।
जिले में यह अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें चोर को भनक भी नहीं थी कि पुलिस उसका बाहर इंतजार कर रही है। नए बस स्टैंड स्थित जमजम बिरयानी सेंटर में शाम करीब 7 बजे चोर अंधेरा का फायदा उठाते हुए मेन शटर को तोड़ अंदर घुस गया। समानों को बिखराने के बाद गल्ला को तोड़ उसमें रखे नोट को जेब में भरने लगा। इसी दौरान दुकान में लगे सीसी टीवी कैमरे को होटल संचालक अशरफ हनफी अपने मोबाइल में आॅनलाइन देखने लगा। रात 8 बजे जब संचालक ने मोबाइल में स्टाल एप्लीकेशन से होटल में लगे कैमरे को देखा तो वहां चोर नजर आया। उन्होंने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस व होटल संचालक दोनों मौके पर पहुंचे। चोर के हथियार आदि रखने की आशंका होने के कारण उसे सुरक्षित पकड़ने बाहर निकलने का इंतजार करने लगे। जैसे ही चोर शटर उठाकर बाहर निकला, आसपास छिपी पुलिस ने उसे पकड़ लिया, जिसकी पहचान शिवा वाल्मिकी के रूप में की गई। टीआई मोरध्वज देशमुख ने बताया सूचना मिलते ही चोर को मौके से पकड़ लिया गया। उसके कब्जे से चोरी की रकम भी जब्त की गई है। मामले की जांच जारी है।
राशन चोरी का बनाया बहाना, जेब से निकले 3 हजार से अधिक रुपए : बाहर निकलते ही जब चोर को पकड़ा गया तो वह लॉकडाउन में भूखे होने की बात कहते राशन चोरी करने होटल में घुसने की बात कही, लेकिन आॅनलाइन कैमरे से चोर को गल्ला तोड़ रुपए जेब में भरते देख लिया गया था। उसकी तलाशी ली गई तो जेब व अन्य जगह छिपाए गए नोटों की गड्डियां निकलीं। कुल 3 हजार से अधिक रकम चोर से जब्त की गई।
पेशेवर चोर है शिवा, कांकेर थाने में दर्ज है कई मामले
चोर शिवा वाल्मिकी पेशेवर चोर है और उसके खिलाफ कांकेर थाना में ही कई चोरी के मामले दर्ज हैं। अपने आचरण में सुधार नहीं करने के कारण उसके खिलाफ हाल ही में जिलाबदर की कार्रवाई की गई थी, लेकिन वह दो माह पूर्व वापस कांकेर आ गया था। वह बाजार में पैसे के लिए लड़ाई झगड़ा कर रहा था, जिससे उसे पकड़ जेल भेजा गया था, लेकिन वर्तमान में वह जेल से छूट कर बाहर आ गया था।
सिंगारभाठ के सखी वन स्टॉप सेंटर में घरेलू उत्पीड़न सहित अन्य केस आते हैं। यहां घरेलू उत्पीड़न और अन्य केस का निराकरण परामर्श के माध्यम से किया जाता है, लेकिन लाॅकडाउन की वजह से दूरस्थ जगह से आने वाले लोग पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। लाॅकडाउन की अवधि में घरेलू उत्पीड़न के 10 नए केस आए, जबकि सेंटर में हर माह 20 केस पहुंचते थे। लॉकडाउन खत्म होने के बाद केस बढ़ने की संभावना है।
सखी वन स्टॉप सेंटर का संचालन मार्च 2017 से हो रहा है। यहां घरेलू हिंसा सहित अन्य केस से पीड़ित महिलाओं को कुछ माह का आश्रय दिया जाता है और संस्था के परामर्श केंद्र में उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाता है। अभी तक 504 प्रकरण आ चुके हैं, जिसमें 351 केस का निराकरण हुआ है और 153 केस लंबित है। 22 मार्च से लाॅकडाउन लगा है।
फिर भी सखी वन स्टाॅप सेंटर कार्यालय खुल रहा है, लेकिन अभी शिकायत करने वालों के साथ पुराने केस का निपटारा कराने काफी कम लोग पहुंच रहे हैं। लाॅकडाउन के दौरान 32 केस के पक्षकारों को बुलाया गया था, लेकिन इसमें से सिर्फ 7 पक्षकार ही पहुंचे। 25 केस में परामर्श के लिए कोई पक्षकार नहीं पहुंचा। इसमेें पखांजूर, केशकाल, चारामा, भानुप्रतापपुर, कोरबा के लोगों को पहुंचना था। उन्हें मार्च और अप्रैल में बुलाया गया था, लेकिन दूरी अधिक होने व लॉकडाउन के चलते नहीं पहुंच पाए।
आसपास गांव के लोग पहुंच रहे, फोन से ही समझाइश दे रहे : सखी वन स्टॉप की आईटी वर्कर प्रीति निर्मलकर ने कहा आसपास गांव के लोग जरूर पहुंच रहे हैं, लेकिन दूरस्थ गांव से पहुंचने वाले लोग लाॅकडाउन की वजह से नहीं पहुंच पा रहे हैं। फिर भी उन्हें फोन से ही उचित समझाइश दी जा रही है। शहर और आसपास गांव के लोग ही सेंटर के परामर्श केंद्र में अपनी समस्या का निराकरण कराने पहुंच रहे हैं।
अब सिर्फ 2 को ही अनुमति
किसी भी पक्ष में अब दो ही लोगों को बुलाया जा रहा है। पहले किसी मामले में काफी सारे लोग सखी वन स्टॉप सेंटर पहुंचते थे, लेकिन अब दो ही लोगों को पहुंचना है। इसमें लोगों को मास्क लगाकर काम करना है और सैनिटाइजर भी कार्यालय में रखा गया है। सखी सेंटर पहुंचने वाले लोगों का हाथ सैनिटाइजर से धुलाया जा रहा है।
अंतागढ़ विधायक अनूप नाग शुक्रवार को क्षेेत्र के संवेदनशील (नक्सल प्रभावित) गांवों का दौरा किया। विधायक प्रतापपुर, बड़ेझाड़कट्टा, भींगीडार, बारदा में ग्रामीणों से हुए रुबरु होते हुए उनकी समस्याएं सुनी। विधायक ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को समस्याएं हल करने के निर्देश दिए। बड़ेझाड़कट्टा पहुंचने पर ग्रामीणों ने शारीरिक दूरी बनाते हुए विधायक के समक्ष अपनी समस्याएं रखी।
ग्रामीणों की मांग पर अनूप नाग ने बड़ेझाड़कट्टा पंचायत में पानी टैंकर, मुक्तिधाम और सीसी सड़क निर्माण की स्वीकृति दी। वहीं मुरवड़ी पंचायत के सरपंच की मांग पर 6 लाख की लागत से सामुदायिक भवन निर्माण की स्वीकृति दी। प्रतापपुर पहुंचते मार्ग खराब होने बरसात में कीचड़ भरे रास्ते को मुश्किल से पार करते विधायक का काफिला प्रतापपुर पहुँचा। यहां तालाब किनारे सामुदायिक भवन में ग्रामीण महिलाएं-पुरुष अपनी छोटी-छोटी बुनियादी समस्याओं के निराकरण की बात रखी। दंतेश्वरी मंदिर के कायाकल्प करने की मांग राजाराम कोमरा ने कही, तो वहीं परतापुर में आने वाले समय में धान खरीदी केंद्र खोलने का आश्वासन दिया। साथ ही डेढ़ लाख की लागत से स्कूल में शौचालय बनाने की स्वीकृति दी। प्रतापपुर में मंदिर प्रांगढ़ में ग्रामीणों से बातचीत में कहा हमारे बस्तर में दंतेश्वरी माई की कृपा से कोरोना का कहर नहीं है। जबकि सारा संसार इस महामारी की गंभीर चपेट में है।
महामारी के बीच में मनरेगा से नई ऊर्जा का संचार
ग्रामीणों को समझाइश देते अनूप नाग ने कहा लॉकडाउन के इस समय में एक-दो सप्ताह तक लोग घर पर रहे। इसके बाद घर में रहना मुश्किल हो गया था। सरकार ने मनरेगा के कार्य शुरू किया ताकि किसान, मजदूर घर से निकल कर काम कर सकें। रोजगार के साथ स्वास्थ्य कीदेखभाल भी सरकार कर रही है।
चार लाख रुपए आर्थिक सहायता दी
विधायक ने नेडगांव निवासी बैसाखू राम को उनके पुत्र की पानी में डूबने से मौत होने पर चार लाख रुपए के आर्थिक सहायता राशि का चेक सौंपा। वहीं बारदा में विकलांग महिला को 10 हजार की आर्थिक मदद करने की घोषणा की। इस दौरान बाप्पा गांगोली, देवजीत कुंडू, पंकज साहा, सोमेन मंडल, सूरज विश्वास, बापी शील, अखिलेश चंदेल, विश्राम गावड़े, एसडीएम निशा नेताम,एसडीओपी मयंक तिवारी, सीईओ बीआर ठाकुर, तहसीलदार शशिशेखर मिश्रा, रेंजर दिनेश तिवारी, एसडीओ अशोक दानी आदि उपस्थित थे।
अंचल में पिछले दो दिन से हो रही आंधी-बारिश के चलते, जहां किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं आंधी से क्षेत्र में बिजली व्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हो है। आंधी के चलते छोटेबेठिया क्षेत्र में अब तक 40 से अधिक बिजली खंभे गिर चुके हैं। इसमें मरम्मत का काम चल रहा है। इस कारण कुछ इलाकों की बिजली अब भी बंद है। अंचल में पूरी तरह बिजली सप्लाई करने में अभी दो दिन का समय चल सकता है।
क्षेत्र में विगत दो दिनों से क्षेत्र में आंधी के साथ हो रही बारिश से क्षेत्र के किसानों को काफी नुकसान हुआ है। वर्तमान में क्षेत्र में मक्के की फसल लगी हुई है और इस वर्षा ने इस फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। पहले ही किसान मक्के का रेट गिर जाने से परेशान थे। इस बारिश ने उनकी फसल खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। किसानों ने बताया खड़े मक्के की फसल में लगे दाने भींग जाने के कारण दानों में काला पन आ जाता है, जिस कारण कोचिए मक्का लेने से कतराते हैं। इसके चलते दाम और कम हो जाता है।
बिजली विभाग को भी इस आंधी ने काफी नुकसान पहुंचाया है। क्षेत्र के करीब 40 खंभे गिरे हंै, जिसके चलते क्षेत्र के कई इलाकों में बिजली व्यवस्था प्रभावित हुई है। इन खंभों को बदलने और गांव-गांव की लाइन चालू करने में दिन-रात विभाग के कर्मचारी जुटे हुए हैं। आंधी से सबसे अधिक पोल बडग़ांव व छोटेबेठिया इलाके के गिर हैं।
कर्मचारी सुधार कार्य में लगे : पखांजूर विद्युत विभाग के ईई रामकुमार चौहान ने कहा आंधी का सबसे बुरा प्रभाव बड़गांव और छोटे बेठिया क्षेत्र में रहा है। आंधी से गिरे बिजली पोल में अधिकांश इसी क्षेत्र में गिरे हैं। विभाग के पास पर्याप्त खंभे हंै। कर्मचारी सुधार कार्य में लगे हुए हैं। इसके बाद भी व्यवस्था दुरुस्त करने में दो दिन लग जाएंगे।
ग्राम पंचायत कोंडे में नरवा, गरवा, गुरुवा, बाड़ी के तहत गोठान समिति की बैठक कार्यक्रम अधिकारी प्रतिष्ठा ठाकुर एवं खंड समन्वयक नंदिनी दीवान की अध्यक्षता में हुई। इसमें सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक एवं गोठान समिति के सदस्य शामिल हुए। बैठक में गोठान को बहुउद्देशीय विकास सेंटर के तहत विकसित करने, समूह के लोगों को जागरूक करके महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों को सब्जी, मसाला और वर्मी कंपोस्ट के माध्यम से खाद उत्पादन, मछली पालन जैसे अन्य कार्यक्रम करने के संबंध में चर्चा की गई। महिलाओं का ज्यादा से ज्यादा गोठन क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए कार्य करेगी। इसके अलावा गांव के पशुओं को गोठान में लाकर उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कहा गया।
गोठान समिति के सदस्यों को विकसित करने के लिए रचनात्मक कार्य करने की बात कही गई। वहां पर गोठान के आय बढ़ाने एवं वर्मी कंपोस्ट के माध्यम से खाद, सब्जी उत्पादन एवं अन्य कार्यक्रम करने की बात कही गई। कार्यक्रम अधिकारी प्रतिष्ठा ठाकुर ने लोगों से कहा कार्यक्रम राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों में लोगों की भागीदारी आवश्यक है। इसके साथ गांव का विकास एवं महिला स्व सहायता समूह का रचनात्मक कार्यों पर अपने बहुउद्देशीय कार्यक्रम के अंतर्गत विकास संभव है। उन्होंने गोठान को डेवलप करने की बात कही गई।
लॉकडाउन के कारण देश के 13 राज्यों के 35 से ज्यादा शहरों में फंसे लगभग 12 हजार श्रमिकों की वापसी होनी है। करीब 4 हजार श्रमिक तो महाराष्ट्र, तेलंगाना के हैदराबाद, उत्तरप्रदेश और गुजरात जैसे संक्रमित राज्यों से आएंगे। इससे कबीरधाम जिले के हालात बिगड़ सकते हैं। वैसे भी एक साथ 6 पॉजिटिव केस मिलने से कबीरधाम जिला रेड जोन में आ चुका है। उससे भी बड़ी चुनौती वे प्रवासी श्रमिक हैं, जो नेशनल हाइवे से ट्रकों के जरिए यहां तक पहुंच रहे हैं। हालांकि, कबीरधाम जिले में प्रवेश के सभी 17 रास्तों को सील कर दिया गया है।
बॉर्डर पर बैरियर लगाकर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है। फिर भी जिले के भीतर पैदल चलकर आने वाले प्रवासी श्रमिक आसानी से देखे जा सकते हैं। जिला प्रशासन ने कवर्धा, बोड़ला, पंडरिया और सहसपुर लोहारा ब्लॉक से लगभग 10 हजार प्रवासी श्रमिकों की जानकारी जुटा ली है, जो जिले से दूसरे राज्यों में कमाने-खाने गए थे। कई राज्यों से मजदूर पैदल चलकर ही वापस आ रहे हैं।
नांदगांव से भेजे गए 300 से ज्यादा प्रवासी श्रमिक
नागपुर, पुणे, कोल्हापुर, सांगली, मुंबई (महाराष्ट्र) और हैदराबाद, नालगोण्डा, सिकंदराबाद (तेलंगाना) समेत अन्य क्षेत्रों से प्रवासी श्रमिक पैदल चलकर राजनांदगांव पहुंचे हैं। वहां उन्हें राहत शिविर में ठहराया गया है। स्क्रीनिंग के बाद मजदूरों को उनके जिलों में भेजा जा रहा है। बुधवार दरमियानी रात करीब 150 मजदूर यहां पहुंचे थे। शुक्रवार को लगभग 300 मजदूरों की वापसी हुई है। इनका क्वारेंटाइन पूरी हो गया है।
जांच करने के लिए बॉर्डर पर मेडिकल कैंप
कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए वापस आ रहे प्रवासी श्रमिकों की जांच जरूरी है। इसे लेकर जिले के बॉर्डर क्षेत्रों में बैरियर के साथ मेडिकल कैंप लगाया गया है, जहां 24 घंटे मेडिकल टीम तैनात की गई है। सीएमएचओ डॉ. एसके तिवारी ने बताया कि वापस आने वाले श्रमिकों की बॉर्डर पर ही जांच होगी। उसके बाद उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। जांच के दौरान पूरी सतर्कता बरती जा रही है।
बॉर्डर सहित हर छोटे रास्तों पर निगरानी के दिए निर्देश
कबीरधाम की सीमा पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर चिल्फी-धवईपानी, कवर्धा-जबलपुर मार्ग, दशरंगपुर कवर्धा-रायपुर मार्ग, नरोधी में कवर्धा-राजनांदगांव मार्ग, पोलमी में कवर्धा- अमरकंटक, डिंडौरी मार्ग, कांपादाह, महका व कुण्डा में कवर्धा-मुंगेली और बेमेतरा जिला मार्ग पर चेकपोस्ट बना है। इसके अलावा अन्य छोटे रास्तों को चिह्नांकित कर उनकी निगरानी की हिदायत दी गई है। कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने शुक्रवार को जिले की सीमा में अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूर या अन्य व्यक्ति का स्वास्थ्य जांच अनिवार्य कर दिया है। राज्य सीमा पर स्वास्थ्य टीम तैनात है। इन स्थलों पर प्रवासी श्रमिकों और अन्य लोगों से परस्पर एक मीटर की दूरी बनाते हुए थर्मल गन से तापमान की जांच के निर्देश दिए हैं।
चेकपोस्ट में स्क्रीनिंग एरिया तय, अमले को किया तैनात
बॉर्डर पर अलग से स्क्रीनिंग एरिया तय कर लिया गया है। इसमें चिकित्सा अधिकारी या ग्रामीण चिकित्सा सहायक की ड्यूटी लगाई जा रही है। टीम को दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने बीएमओ को निर्देश दिए गए हैं।
करीब डेढ़ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू की अपील की थी,तब लोगों ने समर्थन दिया था। आज डेढ़ महीने बाद लोग सोशल डिस्टेंस व शासन के निर्देशों का जरा भी पालन नहीं कर रहे हैं। शासन के निर्देशानुसार शनिवार से लेकर सोमवार सुबह 6 बजे तक पूर्ण लॉकडाउन रहेगा। इसे देखते हुए शुक्रवार को बाजार में खरीदी के लिए भीड़ उमड़ी। लोग सोशल डिस्टेंसिंग को भी भूल गए। आज देश में कोरोना मरीजों की संख्या करीब 55 हजार पार कर चुकी है। कबीरधाम जिले में 6 कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। ब्लाॅक के कुछ लोग संक्रमित मरीजों के संपर्क में आ चुके हैं, जिन्हें क्वारेंटाइन में रखा गया है। फिर भी एहतियात नहीं बरत रहे हैं।
चाकूबाजी में गिरफ्तार आरोपी दुर्गेश साहू के पिता गंगाधर साहू ने दशरंगपुर चौकी प्रभारी मानसिंग पर ठगी का आरोप लगाया है। मामले की लिखित शिकायत पुलिस कप्तान केएल ध्रुव से की गई है।
शिकायतकर्ता गंगाधर पिता संतू साहू उमरावनगर जिला बेमेतरा का रहने वाला है। उसने बताया कि उसका बेटा दुर्गेश साहू 21 फरवरी को चाकूबाजी के मामले में पकड़ा गया था। घटना के दूसरे यानी 22 फरवरी को सूचना मिलने पर वह अपने पिता व साला के साथ दशरंगपुर चौकी पहुंचा। उसने आरोप लगाया कि चौकी प्रभारी मानसिंग ने मामला खत्म करने के लिए 40 हजार रुपए की मांग की। बेटे को बचाने व कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसने से बचने के लिए गंगाधर ने पैसे दे दिए। 6 मई को कोर्ट में उसके बेटे की पेशी थी। पेशी के पहले मेडिकल जांच के लिए पैसे लगेंगे करके पुलिस ने 3 हजार रुपए और ले लिए। लेकिन कोर्ट में पेशी के बाद उसके बेटे को जेल भेज दिया गया। अब शिकायतकर्ता रकम वापस मांग रहा है।
वकील के बहकावे में आकर की शिकायत: चौकी प्रभारी
मामले में चौकी प्रभारी मानसिंग ने सफाई देते हुए कहा कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। वकील के बहकावे में आकर गंगाधर ने उन पर गलत व झूठा आरोप लगाया है। दरअसल, ग्राम दशरंगपुर में दशरथ तालाब शिव मंदिर के पास एक पान दुकान है। घटना की रात पीड़ित दुकानदार कमलेश साहू अपने दुकान में आए अपने दोस्त से बातचीत कर रहा था। तभी आरोपी दुर्गेश साहू उमरावनगर, जिला बेमेतरा वहां पहुंचा। गुटखा मांगकर खाया। दुकानदार कमलेश ने जब उससे पैसे मांगे, तो आरोपी बहस करने लगा। विरोध करने पर आरोपी दुर्गेश ने जेब से चाकू निकाला और दुकानदार कमलेश के पेट में मार दिया था।