लॉकडाउन के कारण देश-प्रदेश का जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है। खेती भी प्रभावित हुई है। ऐसे में अब केंद्र सरकार लॉकडाउन के असर का अध्ययन वैज्ञानिकों से करा रही है। जिले के कृषि वैज्ञानिक केंद्र के वैज्ञानिक भी यह शोध कर रहे हैं। यहां जुटाई गई जानकारी में यह निष्कर्ष सामने आए हैं कि लॉकडाउन के कारण किसानों ने कीटनाशकों का कम उपयोग किया है। प्रति एकड़ करीब दो से तीन हजार रुपए लागत कम हुई है। लाख और मखाना की खेती इस समय में अप्रभावित रही है।
जानकारी के मुताबिक किसान फसल में कीट नजर आते ही उस पर स्प्रे करने लगते हैं। उसके दुष्प्रभाव का अनुमान लगाए बगैर ही महंगा कीटनाशक खरीदकर छिड़काव करते हैं। लॉकडाउन के दौरान बाजार बंद रहा है। इस कारण किसानों को फसल में डालने के लिए कीटनाशक नहीं मिल पाए। इसका असर यह हुआ कि इस मौसम में लगाई गई धान सहित अन्य फसलों में कीटनाशक नहीं डाल पाए, इसका नुकसान कम फायदा ज्यादा हुआ है। फसल तो ठीक हुई ही, किसानों का कीटनाशक पर होने वाला खर्च बच गया। साथ ही जमीन व अनाज में कीटनाशक के रूप में जाने वाला जहर नहीं गया है।
कीटनाशक का उपयोग कम हुआ: कृषि वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केंद्र के कीट वैज्ञानिक शक्ति वर्मा ने बताया कि जिले में लॉकडाउन के कारण किसानों ने कीटनाशक का उपयोग कम किया है। उन्हें कीटनाशक व मजदूर नहीं मिले। इसके बाद भी फसल बेहतर हुई है। किसानों की लागत कम हुई। साथ ही किसानों ने वैज्ञानिकों से संपर्क बढ़ाया है।
लाख और मखाना की खेती पर नहीं हुआ असर
जिले में लाख व मखाना की खेती ऐसे फसलों के रूप में सामने आईं हैं जिन पर लॉकडाउन का विपरीत असर नहीं हुआ है। यानी विपरीत परिस्थतियों में भी दोनों बेहतर हुईं।
प्रदेश में सरकार ने किसानों का एक एक दाना खरीदने की बात कही थी। लेकिन धान खरीदी में सिस्टम की खराबी के कारण टोकन कटने के बाद भी सैकड़ों किसान धान नहीं बेच पाए। लॉकडाउन के कारण केशकाल और बड़ेराजपुर ब्लॉक कई आदिवासी परिवार एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो गए हैं। ऐसा नहीं कि उन्होंने सरकारी खरीदी में धान बेचने का प्रयास नहीं किया था।
ऐसे कई किसानों को 3-4 बार टोकन दिया गया था लेकिन सिस्टम की खराबी के चलते वह धान बेचने से वंचित रह गए। स्थिति यह है कि उसके पास धान तो रखा है लेकिन लॉकडाउन के चलते न तो वह धान बेच पा रहे है न ही बैंक का कर्ज उतार पा रहे हैं। हालात यह हैं कि घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। इस समय खरीफ की फसल के लिए उन्हें खाद बीज आदि के लिए ऋण बैंक से नहीं मिल पाएगा। जिससे उसकी चिंता दोहरी हो गई है। कई बार टोकन मिला लेकिन कभी बारिश तो कभी बारदाने के कारण नहीं खरीद धान
बड़ेराजपुर ब्लॉक के कोसमी गांव के किसान सवन्तीन ने कहा कि धान बेचने के लिए उपार्जन केंद्र विश्रामपुरी में 16 दिसंबर, 7 जनवरी, फिर 4 फरवरी को टोकन दिया गया था और दो बार अगली तारीख के लिए नवीनीकरण किया गया था फिर भी उसका धान नहीं खरीदा गया। उन्होंने कहा कि यह कहानी केवल अकेली सवन्तीन की नहीं बल्कि ऐसे 200 किसानों की है जो पात्र होते हुए भी विभागीय लापरवाही के चलते धान नहीं बेच पाए। घसिया, मानसिंह, लच्छन और रतन मंडावी ने बताया कि कई बार टोकन मिलने के बाद भी उनका धान नहीं लिया गया। कभी बारदाना नहीं है कहकर टोकन निरस्त किया गया तो कभी बारिश के कारण टोकन निरस्त हुआ। अंत में कोंडागांव जिले में वंचित किसानों के धान की अलग से खरीदी की गई। उसमें भी क्षेत्र के किसानों को वंचित कर दिया गया। इस समय लॉकडाउन की स्थिति में व्यापारी के पास भी धान नहीं बेच पा रहे हैं।
सरकारी रेट से आधे रेट पर हो रही है खरीदी
इस समय व्यापारियों के पास सरकारी रेट से आधे दाम पर खरीदी हो रही है। सरकारी दर 2500 रुपए प्रति क्विंटल था। जबकि व्यापारी 1300-1400 रुपए प्रति क्विंटल के रेट में खरीदी कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी है। किसानों ने यह भी बताया कि धान नहीं बेच पाने से उनका पिछला कृषि ऋण भी जमा नहीं हो पाया है। इस समय खरीफ की फसल के लिए उन्हें खाद, बीज और नकद ऋण लेना था लेकिन वह भी अब नहीं मिल पाएगा। लैंप्स प्रबंधक एवं खरीदी प्रभारी मधु बघेल ने बताया कि यह बात सही है कि किसानों का पंजीयन हुआ था। इसके अलावा उन्हें टोकन भी मिल गया था। लेकिन सिस्टम में गड़बड़ी के कारण किसान धान बेचने से वंचित हो गए थे। पहले का कर्ज पटने के बाद ही सहकारी समितियों से कर्ज मिलेगा।
प्रदेश में सरकार ने किसानों का एक एक दाना खरीदने की बात कही थी। लेकिन धान खरीदी में सिस्टम की खराबी के कारण टोकन कटने के बाद भी सैकड़ों किसान धान नहीं बेच पाए। लॉकडाउन के कारण केशकाल और बड़ेराजपुर ब्लॉक कई आदिवासी परिवार एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो गए हैं। ऐसा नहीं कि उन्होंने सरकारी खरीदी में धान बेचने का प्रयास नहीं किया था।
ऐसे कई किसानों को 3-4 बार टोकन दिया गया था लेकिन सिस्टम की खराबी के चलते वह धान बेचने से वंचित रह गए। स्थिति यह है कि उसके पास धान तो रखा है लेकिन लॉकडाउन के चलते न तो वह धान बेच पा रहे है न ही बैंक का कर्ज उतार पा रहे हैं। हालात यह हैं कि घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। इस समय खरीफ की फसल के लिए उन्हें खाद बीज आदि के लिए ऋण बैंक से नहीं मिल पाएगा। जिससे उसकी चिंता दोहरी हो गई है। कई बार टोकन मिला लेकिन कभी बारिश तो कभी बारदाने के कारण नहीं खरीद धान
बड़ेराजपुर ब्लॉक के कोसमी गांव के किसान सवन्तीन ने कहा कि धान बेचने के लिए उपार्जन केंद्र विश्रामपुरी में 16 दिसंबर, 7 जनवरी, फिर 4 फरवरी को टोकन दिया गया था और दो बार अगली तारीख के लिए नवीनीकरण किया गया था फिर भी उसका धान नहीं खरीदा गया। उन्होंने कहा कि यह कहानी केवल अकेली सवन्तीन की नहीं बल्कि ऐसे 200 किसानों की है जो पात्र होते हुए भी विभागीय लापरवाही के चलते धान नहीं बेच पाए। घसिया, मानसिंह, लच्छन और रतन मंडावी ने बताया कि कई बार टोकन मिलने के बाद भी उनका धान नहीं लिया गया। कभी बारदाना नहीं है कहकर टोकन निरस्त किया गया तो कभी बारिश के कारण टोकन निरस्त हुआ। अंत में कोंडागांव जिले में वंचित किसानों के धान की अलग से खरीदी की गई। उसमें भी क्षेत्र के किसानों को वंचित कर दिया गया। इस समय लॉकडाउन की स्थिति में व्यापारी के पास भी धान नहीं बेच पा रहे हैं।
सरकारी रेट से आधे रेट पर हो रही है खरीदी
इस समय व्यापारियों के पास सरकारी रेट से आधे दाम पर खरीदी हो रही है। सरकारी दर 2500 रुपए प्रति क्विंटल था। जबकि व्यापारी 1300-1400 रुपए प्रति क्विंटल के रेट में खरीदी कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी है। किसानों ने यह भी बताया कि धान नहीं बेच पाने से उनका पिछला कृषि ऋण भी जमा नहीं हो पाया है। इस समय खरीफ की फसल के लिए उन्हें खाद, बीज और नकद ऋण लेना था लेकिन वह भी अब नहीं मिल पाएगा। लैंप्स प्रबंधक एवं खरीदी प्रभारी मधु बघेल ने बताया कि यह बात सही है कि किसानों का पंजीयन हुआ था। इसके अलावा उन्हें टोकन भी मिल गया था। लेकिन सिस्टम में गड़बड़ी के कारण किसान धान बेचने से वंचित हो गए थे। पहले का कर्ज पटने के बाद ही सहकारी समितियों से कर्ज मिलेगा।
खरीफ सीजन के लिए किसानों को इस साल सरकार ने 46 सौ करोड़ का कर्ज देने का फैसला किया है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि किसानों को अग्रिम रूप से खाद-बीज का उठाव करने के लिए प्रेरित किया जाए। मुख्यमंत्री ने खरीफ सीजन के लिए अल्पकालीन ऋण वितरण, खाद एवं बीज के भंडारण वितरण की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि खाद-बीज के अग्रिम उठाव से किसानों को ब्याज अनुदान का भी अधिक लाभ प्राप्त हो सकेगा तथा सीजन के समय में किसानों को दिक्कत नहीं होगी।
सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बताया कि इस साल 4600 करोड़ रूपए का ऋण वितरण लक्ष्य रखा गया है। अब तक राज्य के 61 हजार 700 किसानों को 215 करोड़ रूपए वितरित किया जा चुका है। राज्य के सहकारी बैंकों ने 15 लाख 3 हजार किसान क्रेडिट कार्ड जारी किया है। राज्य में अब तक भंडारित 3 लाख 63 हजार मीट्रिक टन खाद में से 33 हजार 343 टन किसानों वितरित कर दी गई है। अब तक विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए 2 लाख 48 हजार 118 क्विंटल प्रमाणित बीज का भंडारण किया गया है। प्रमाणित बीज का वितरण भी किसानों को शुरू कर दिया गया है। अब तक 23 हजार 320 क्विंटल बीज का उठाव किसानों ने किया है। बैठक में मुख्यमंत्री के एसीएस सुब्रत साहू, सचिव सहकारिता प्रसन्ना आर.,एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
अब तक 21 हजार बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण
राज्य में चालू सीजन के दौरान अब तक विभिन्न वनमंडलों में 20 हजार 569 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। इसमें संग्राहकों को 8 करोड़ 23 लाख का पारिश्रमिक भुगतान योग्य है। अब तक कुल संग्राहित तेन्दूपत्ता में से वनमंडलवार सुकमा में 13 हजार 334 मानक बोरा, दंतेवाड़ा में एक हजार 584 मानक बोरा, जगदलपुर में दो हजार 670 मानक बोरा और गरियाबंद में दो हजार 980 मानक बोरा शामिल हैं। वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में शासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए संग्राहकों द्वारा तेन्दूपत्ता संग्रहण का कार्य शुरू कर दिया गया है। वन मंत्री अकबर ने संग्रहण में तेन्दूपत्ता की अच्छी गुणवत्ता पर भी विशेष रूप से ध्यान रखने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि गड्डियों में पत्तियों की संख्या 48 से कम तथा 52 से अधिक नहीं होनी चाहिए। तेन्दूपत्ता संग्राहक वर्तमान में लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए संग्रहण के दौरान मास्क पहनकर तथा एक दूसरे से एक मीटर की दूरी रखकर संग्रहण का कार्य करें। संग्राहकों द्वारा संग्रहण पश्चात् हाथों को साबुन से अनिवार्य रूप से धोया जाए। साथ ही संग्रहित पत्ता फड़ पर देते समय भी मास्क अनिवार्य रूप से लगाया जाए।
एम्स रायपुर में कटघोरा की कोरोना मरीज की बेटी को संभालने वाली नर्स आरती देवांगन अब घर पहुंच चुकी हैं। आरती की खुद की भी ढ़ाई साल की बच्ची है। दरअसल, अप्रैल के महीने में प्रदेश के हॉट स्पॉट कटघोरा से आई एक मरीज की नवजात बेटी भी थी, चूंकि उसकी मां का इलाज चल रहा था। लिहाजा कोरोना पेशेंट की दुधमुंही बेटी को संभालने की जिम्मेदारी आरती को मिली। आरती के मुताबिक कोरोना मरीज की बेटी को संभालते वक्त उन्हें उस मासूम की मुस्कान में अपनी बेटी की हंसी दिखाई देती थी। उसे ऐसे हालात में संभालना एक अलग अनुभव रहा, इसमें पूरे एम्स स्टॉफ ने भी काफी सपोर्ट किया। इस काम में एक और नर्स भी उसके साथ रही। कोरोना वार्ड में नन्ही बच्ची को संभालने के वीडियो और तस्वीरों ने पूरे देश में काफी सुर्खियां भी बटोरी थी। दरअसल, प्रोटोकॉल के मुताबिक कोरोना वार्ड में मरीजों के बीच काम करने वाला मेडिकल स्टॉफ एक से डेढ़ महीने बाद ही घर पहुंच पाते हैं। कोरोना वार्ड में सेवाएं देने के बाद सभी को 14 दिन का क्वारेंटाइन पीरियड भी पूरा करना पड़ता है।
खुद की भी ढाई साल की बच्ची जिससे लंबे वक्त तक दूर रही आरती
रायपुर की आरती देवांगन ने अप्रैल के दूसरे हफ्ते में कोरोना वार्ड में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान उन्हें अपनी ढाई साल की बेटी से दूर रहकर ही काम करना पड़ा। इसके बाद क्वारेंटाइन पीरियड के दौरान भी वो बेटी से नहीं मिल पाई। एम्स में कोरोना ड्यूटी करने के बाद वो हाल ही में घर पहुंची है। अपनी बच्ची के साथ एक अर्सा बाद वो वक्त बिता रहीं है। आरती के मुताबिक कोरोना वॉरियर के तौर पर काम करने के लिए पति से उन्हें बहुत ज्यादा मोटिवेशन मिला। वहीं वार्ड में कोरोना मरीज की बेटी की नन्ही किलकारियों से अस्पताल का पूरा माहौल खुशनुमा रहा। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है।
कोरोना वायरस के इस संकट काल में लोगों को सुरक्षित रहने व आसपास के लोगों को भी सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लांच किए गए आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कराए जा रहे हैं। एनएसएस यानी राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। वे विशेष तौर पर जारी आरोग्य सेतु एप मोबाइल में डाउनलोड करा रहे हैं और अब तक 1700 मोबाइल पर उन्होंने इस एप को डाउनलोड कराया है।
एनएसएस के बेमेतरा व कबीरधाम जिला संगठक डॉ. केएस परिहार ने बताया कि बेमेतरा और कबीरधाम दोनों ही जिलों में स्वयंसेवी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। जिला बेमेतरा के महाविद्यालय की कार्य करने वाली इकाई में से लक्ष्मण प्रसाद वैद्य, शासकीय कन्या कॉलेज बेमेतरा में डॉ. विनिता गौतम की अगुवाई में 67, कबीरधाम जिले के 5 कॉलेज में से शास. स्नातकोत्तर कॉलेज कवर्धा में मुकेश कामले की अगुवाई में 368, प्रेमा कुमारी कुजूर की अगुवाई में शा.गजानन माधव मुक्तिबोध महा. सहसपुर लोहारा में 193, मंजूदेवी कोचे की अगुवाई में शास. स्ना. कॉलेज कवर्धा (महिला इकाई) ने 164, राजेश कुमार पाठक की अगुवाई में शास. स्वामी विवेकानंद महा. बोडला से 76 व शास. राजमाता विजया राजे सिंधिया कन्या महाविद्यालय कवर्धा से 28 मोबाइल पर इस एप को डाउनलोड कराया गया है।
स्कूल की सात इकाई ने भी डाउनलोड कराए
कबीरधाम जिले के हायर सेकंडरी स्कूल की 7 इकाई ने भी इस दिशा में कार्य किया है। इनमें सुजीत कुमार गुप्ता की अगुवाई में शा. उ. मा. वि. राजानवांगांव से 161, अशोक कुमार गुप्ता की अगुवाई में शा.उ.मा.वि. बिरकोना से 20, केदार चंद्रवंशी की अगुवाई में शा.उ.मा.वि. खैरबनाकला से 9, घनश्याम शर्मा की अगुवाई में महावीर स्वामी उ.मा.वि.,बैजलपुर से 5, रमेश सिंह पोर्ते की अगुवाई में शा.उ.मा.वि. कुकदूर से 28, द्वारिका यादव की अगुवाई में शा.उ.मा.वि.,तरेगांव जंगल से 49, हेमधर साहू की अगुवाई में शा.उ.मा.वि दशरंगपुर से 213 मोबाइल समेत रासेयो के वरिष्ठ स्वयंसेवक तुकाराम साहू, दीपेश जोशी, पाल सिंह धुर्वे, परमानंद वर्मा, सनत पटेल, आशीष जोशी, राकेश कुमार साहू, दीपक सोनी ने भी 319 मोबाइल में एप डाउनलोड कराए हैं।
इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में फूड प्रोसेसिंग की पढ़ाई होगी। इसके लिए इसी सत्र से कॉलेज शुरू होगा। विश्वविद्यालय से इसके लिए तैयारी की जा रही है। 24 सीटों के साथ इसकी शुरुआत होगी। संस्थान में ज्वाइंट एंट्रेस एग्जाम (जेईई) और प्री इंजीनियरिंग टेस्ट (पीईटी) के माध्यम प्रवेश होगा।
अफसरों का कहना है कि नए सत्र से संस्थान में पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इस संस्थान में दाखिले के लिए पहली प्राथमिकता जेईई के छात्रों को मिलेगी। इसके बाद पीईटी में शामिल हुए छात्रों को प्रवेश का अवसर दिया जाएगा। लॉकडाउन की वजह से अभी यह कहना मुश्किल है कि प्रवेश कब से शुरू होगा। फिर भी संभावना है कि जुलाई से दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। खाद्य प्रसंस्करण की पढ़ाई को लेकर राज्य में संभवत: यह पहला कॉलेज है। इंदिरा गांधी कृषि यूनिवर्सिटी के रायपुर के कैंपस में यह कॉलेज स्थापित होगा। अफसरों का कहना है कि इस संस्थान में खाद्यान्न, फल, सब्जियों की प्रोसेसिंग को लेकर पढ़ाई होगी। थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल पर भी काफी फोकस होगा। इसके अनुसार ही सिलेबस तैयार किया जाएगा। इससे छात्रों को फायदा होगा। इस क्षेत्र में रोजगार के अलावा स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे।
आसपास के कुछ राज्यों में इस तरह की पढ़ाई नहीं
विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में फूड प्रोसेसिंग से संबंधित पढ़ाई के लिए एक संस्थान की शुरुआत की जा रही है। राज्य में इस तरह का यह पहला सेंटर है, आस-पास के कुछ राज्यों में भी ऐसा सेंटर नहीं है। उड़ीसा, बिहार, झारखंड, मप्र में फूड प्रोसेसिंग की पढ़ाई को लेकर कोई संस्थान नहीं है। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात में इस तरह के कॉलेज हैं।
पीईटी के लिए 15 मई तक भर सकेंगे फार्म
प्री इंजीनियरिंग टेस्ट (पीईटी) के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत 15 मई तक फार्म भरे जा सकते हैं। पीईटी में शामिल छात्रों को फूड प्रोसेसिंग कॉलेज में दाखिले के लिए अवसर मिल सकता है। इसके अलावा राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेज के अलावा, डेयरी टेक्नोलॉजी कॉलेज, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश के लिए यह परीक्षा जरूरी है।
शहर में लॉकडाउन की घोषणा के 44 दिन बाद सोमवार को बाजार में रौनक दिखी। लोग अपने घरों से निकले और खरीदारी करते देखे गए। इधर शहर के संजय बाजार से लेकर गोलबाजार तक लोगों की आवाजाही होती रही। शराब दुकानों के साथ ही शहर में गाड़ियों के शोरूम-वर्कशॉप खुल गए।
इसके अलावा ऑटो पार्ट्स के साथ ही होम एप्लायंस की दुकानों के शटर भी उठे। पूरे बाजार के खुलने के बावजूद पान दुकानों, तंबाखू उत्पाद बेचने वाली दुकानों के साथ ही ऑटो-रिक्शा पर लगे प्रतिबंध को हटाया नहीं गया है। शहर में सबसे ज्यादा भीड़ शराब दुकानों में देखने को मिली। यहां सुबह दुकान खुलने के साथ ही लोग पहुंच गए और लंबी कतार भी लग गई, जहां दिन में कड़ी धूप के बावजूद लोग डटे रहे।
शोरूम-वर्कशॉप खुले, कूलर-फ्रिज लेने पहुंचे लोग
संजय बाजार में बनाए गए वॉकिंग जाेन को एक तरफ से खोलने से लोग पहुंचते चले गए, लेकिन बढ़ती भीड़ देख दूसरी तरफ से भी सड़क पर स्टॉपर लगाकर बंद कर दिया। बाद में धीरे-धीरे लोगों को अलग-अलग रास्तों से निकालने की पहल की गई। गाड़ियों के शोरूम-वर्कशॉप सिर्फ उतने ही खुले, जितने में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ काम हो सके। लोग अब गाड़ियों की सर्विसिंग कराने भी आए। स्पेयर पार्ट्स और होम एप्लायंस की दुकानों में भी लोग मुताबिक सामान लेने पहुंचे।
तंबाकूू उत्पादों पर प्रतिबंध, ऑटो-रिक्शा भी बंद
शहर के मेन रोड में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा की गई थी। इस दौरान जहां पूरा शहर बंद रहा। इसके बाद लॉकडाउन की घोषणा के बाद दुकानें बंद रहीं। पूरे 44 दिनों के बाद जैसे ही ग्रीन जोन घोषित हुअा, दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई। इसमें पूरा बाजार खुला, लेकिन पान दुकानों और तंबाखू उत्पादों को अब भी प्रतिबंधित रखा गया है। इसके अलावा ऑटो-रिक्शा को भी बंद रखा गया है।
मेडिकल कॉलेज के कोरोना डिपार्टमेंट में काम करने वाले डाॅक्टर व स्टाफ नर्सों को अब 14 दिनों तक क्वारेंटाइन नहीं रहना पड़ेगा। इनके लिए मेकॉज प्रबंधन ने नई व्यवस्था लागू की है। इस नई व्यवस्था के तहत अब डाॅक्टर व अन्य स्टाफ सिर्फ सात दिन ही क्वारेंटाइन में रहेंगे। प्रशासन के इस फैसले का विरोध भी होने लगा है लेकिन एस्मा के डर से कोई भी डाॅक्टर या स्टाफ खुलकर इस मामले में नहीं बोल रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार मेकॉज में कोविड-19 के इलाज के लिए जब दो सौ बिस्तरों का अलग हॉस्पिटल तैयार किया गया था तब प्रबंधन ने यहां काम करने वाले डाॅक्टरों के लिए 7 दिन की ड्यूटी के बाद 14 दिनों तक हॉस्पिटल, होटल व अन्य स्थानों पर स्टाफ के क्वारेंटाइन की व्यवस्था की थी। इसी व्यवस्था के तहत पिछले चार से पांच हफ्तों से काम चल रहा था। अब इसमें बदलाव करते हुए क्वारेंटाइन का समय सात दिन कर दिया गया है।
एक हफ्ते ड्यूटी के बाद डाॅक्टर, स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वाय 14 दिन के क्वारेंटाइन में जा रहे थे और इसके बाद इन्हें सात दिनों की छुट्टी परिवार के साथ समय बिताने के लिए दी जा रही थी। इसी बीच सोमवार से अब नियमों को बदला गया है। हॉस्पिटल अधीक्षक डाॅ. केएल आजाद ने बताया कि अभी हमने क्वारेंटाइन के दिनों की संख्या कम की है। वार्ड में ड्यूटी के बाद स्टाफ को क्वारेंटाइन सेंटर में भेजा जा रहा है।
कोरोना वायरस की दहशत हर किसी में इस कदर घर कर गई है कि सभी इससे बचाव के इंतजाम में लगे हैैं। अभी तक इसकी कोई दवा न होने से डॉक्टर भी यही सुझाव दे रहे हैं कि शरीर की इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) मजबूत रहेगी तो किसी भी तरह के संक्रमण से बचे रहेंगे। ऐसे में हर कोई शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार दवाओं की खोज में ऐसा लगा कि इसकी डिमांड अधिक बढ़ गई। दो महीने पहले जहां रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली दवाओं की बिक्री करीब 15 फीसदी होती थी तो वहीं अब इन दवाओं की मांग 50 फीसदी से ज्यादा हो गई है। इसके अलावा आयुष विभाग भी लोगों को इन दवाओं के उपयोग को लेकर जागरूक करने में लगा हुआ है।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लोगों को जागरूक करने के लिए बुधवार से डोर टू डोर अभियान चलाया जाएगा। जिसमें लोगों को काढ़ा पिलाने के साथ कुछ दवाएं दी जाएंगी। इस काम में कोई परेशानी न हो इसलिए आयुष विभाग के अधिकारियों ने करीब 40 से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया है जिसमें 25 तो केवल फार्मासिस्ट हैं।
जिला आयुर्वेद अधिकारी जेआर नेताम ने बताया कि आयुष मंत्रालय से जारी आदेश के तहत लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए लोगों के शरीर में इस वायरस से लड़ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे इसलिए यह काम किया जा रहा है। अभियान के तहत जिस व्यक्ति के पास मोबाइल होगा उसे आरोग्य एप को डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा हर घर में पंफलेट चस्पा किया जाएगा।
शरीर की इम्युनिटी कमजोर पड़ी तो खतरा
कोरोना वायरस को लेकर हो रहे शोधों में यह बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि यदि शरीर की इम्युनिटी कमजोर पड़ी तो इसके चपेट में आने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। अभी पिछले दिनों आयुष मंत्रालय ने भी कुछ आयुर्वेद की दवाओं की सूची सभी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को भेजी है जो कोरोना से लड़ने की क्षमता रखती हैं। इसमें लक्ष्मीविलास रस, महासुदर्शन चूर्ण व महा सुदर्शन घनवटी, गिलोय घनवटी, संजीवनी वटी, त्रिकटु चूर्ण आदि को सर्वोत्तम बताया गया है। व्यापारी संतोष जैन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से बस्तर जिल में गिलोय का जूस, गिलोय घनवटी, गिलोय वटी और त्रिकुट चूर्ण के साथ ही तुलसी ड्राप की मांग ज्यादा हो गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा गिलोय की मांग सबसे अधिक हो गई है।
संक्रमण को रोकती है मजबूत इम्युनिटी खाने में हल्दी, धनिया, जीरा, लहसुन डालें
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार भार्गव ने बताया कि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है तो कोई भी संक्रमण शरीर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता है। कोरोना खतरनाक वायरस है लेकिन उससे लड़ने के लिए आयुर्वेद की दवाएं अत्यंत लाभकारी है। आयुष मंत्रालय की ओर से भी इसकी पुष्टि की गई है। उन्होंने कहा कि जिन व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो वे प्रतिदिन 10 ग्राम च्वयनप्राश का सेवन करें। आयुर्वेद काढ़ा तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च शुणठी और मुनक्का का गुड़ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इसके अलावा हल्दी पाउडर 1/2 चम्मच गर्म दूध में मिलाकर (गोल्डन मिल्क) सुबह-शाम सेवन करें। इसके अलावा सीसम तेल, नारियल तेल, घी की दो दो बूंदें दोनों नाक में सुबह शाम डालें। यदि किसी व्यक्ति को सूखी खांसी आ रही है तो ताज़ी पोदीना की पत्ती एवं अजवाइन की भाप लेना चाहिए इन साधारण उपाय से बचाव किया जा सकता है।
मेडिकल कॉलेज में कोरोना की आड़ में आम लोगों की जेब में डाका डालने की शुरुआत हो गई है। मेकॉज प्रबंधन ने सोमवार से भर्ती मरीजों के साथ आने वाले परिजन के लिए पास सिस्टम लागू किया है। मेकॉज प्रबंधन का कहना है कि हॉस्पिटल में इतनी भीड़ हो रही है कि भीड़ को मैनेज करने के लिए पास सिस्टम लागू करना पड़ रहा है जबकि ज्यादातर वार्डों में इलाज की व्यवस्था ठप पड़ी हुई है और आपात स्थिति में ही मरीजों का ऑपरेशन किया जा रहा है और तो और कोरोना के डर के चलते सामान्य बीमारी का इलाज करवाने के लिए भी मरीज हॉस्पिटल नहीं जा रहे हैं। इसी बीच कोरोना के नाम पर पास सिस्टम लागू कर दिया गया। यही नहीं पास के लिए बाकायदा राशि भी तय कर दी गई है।
10 रुपए का मिल रहा पास, 3 दिन के लिए वैध
कुछ अफसरों ने मिलकर खुद ही पास की कीमत भी तय कर ली। नए सिस्टम के अनुसार अब मेकॉज में एक मरीज के साथ सिर्फ 4 परिजन रह पाएंगे। इनमें से दो परिजनों को फ्री में पास दिया जाएगा जबकि बाकी के दो परिजन को दस रुपए में पास खरीदना होगा। जिसकी वैधता 3 दिन रहेगी। गौरतलब है कि अभी स्टाफ की बेहद कमी है। ऐसे में भर्ती मरीज को वॉशरूम तक ले जाने सहित सिटी स्केन, एक्स-रे और अन्य जांच के लिए ले जाने भी स्टाफ नहीं रहता। ऐसे में परिजन ही यह काम करते हैं। इस नए सिस्टम का विरोध शुरू होने लगा है।
ट्रायबल क्षेत्र है, पास सिस्टम या पैसे न लें: विधायक
विधायक रेखचंद जैन ने कहा कि उन्हें पास सिस्टम और पास के बदले पैसे लेने की कोई जानकारी नहीं है। बस्तर ट्रायबल क्षेत्र है और यहां ऐसा करना संभव नहीं है। हॉस्पिटल मनोरंजन का क्षेत्र नहीं है यहां लोग खुशी से नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में बस्तर कमिश्नर से जानकारी ली गई है लेकिन उनके पास भी इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि गरीबों पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त भार न आए इसके लिए पास सिस्टम और पैसे लेने की प्रक्रिया को बंद करने कहा गया है। हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ केएल आजाद ने बताया कि हॉस्पिटल में काफी भीड़ हो रही है इसे नियंत्रित करने पास सिस्टम लागू किया है।
दंतेवाड़ा जिले में पिछले कुछ दिनों से लगातार दूसरे राज्यों में काम करने गए मजदूरों के वापस आने का सिलसिला लगातार बना हुआ है। रविवार को भी जिले के मोखपाल में तेलंगाना के नीलीपाका से 58 लोगों को वापस लाया गया। मजूदरी करने के गए इन ग्रामीणों को क्वारेंटाइन करने के लिए मोखपाल के पोटाकेबिन में रखने की व्यवस्था की गई। जैसे ही इसकी जानकारी मोंखपाल के ग्रामीणों को लगी तो वे पहुंचे और विरोध करते हुए वहां के कमरे में ताला लगा दिया। इसकी जानकारी पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारियों को दी गई। मौके पर पहुंचे तहसीलदार विजय कोठारी ने पुलिस बल के पहुंचने के बाद ग्रामीणों से चाबी वापस ली और बाहर से आए ग्रामीणों को पोटाकेबिन में रुकवाया। विरोध करने वाले ग्रामीणों को समझाइश देते हुए उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से आने वाले ग्रामीणों को क्वारेंटाइन के दौरान हर तरह की सुविधा देने के लिए उन्हें रखा जा रहा है।
गौरतलब है कि इस पोटाकेबिन में पहले से ही 28 ग्रामीण रहे रहे हैं। जनपद सीईईओ कटेकल्याण गौतम गहिर ने कहा कि मोखपाल पोटाकेबिन में किसी को भी जाने की सख्त मनाही है। ग्रामीणों ने थोड़ा विरोध किया था बाद में समझाइश दी गई। जिसके बाद वे मान गए।
सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रह रहे हैं ग्रामीण
पोटाकेबिन में रहने वाले ग्रामीण यहां पर सीसीटीवी कैमरे की नजर में है। तहसीलदार ने बताया कि पोटाकेबिन में ठहराए गए ग्रामीणों की निगरानी के लिए 3 शिफ्ट में तीन-तीन शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। मोखपाल पोटाकेबिन में ठहराए गए ग्रामीण, तेलम, टेटम, महाराकरका, बेडम गांव के हैं।
लॉकडाउन 3.0 सोमवार से शुरू हो गया है। इधर दूसरे राज्यों के ग्रीन व ऑरेंज जोन जिले में फंसे मजदूरों को लाने की तैयारी चल रही है। जबकि रेड जिलों में अभी प्रतिबन्ध है।राज्य से लेकर जिला व मैदानी अमला जुटा हुआ है। अभी प्रशासन ने जो सूची तैयार की है उसमें दंतेवाड़ा के 1655 मजदूर ग्रीन व ऑरेंज जोन जिले में हैं, जो दंतेवाड़ा आ सकते हैं, जबकि करीब 650 मजदूरों को अभी दंतेवाड़ा आने की अनुमति नहीं मिलेगी, क्योंकि वे रेड जोन जिलों में हैं। यह संख्या अभी बढ़ सकती है।
मजदूरों को लाकर क्वारेंटाइन सेंटर में रखना है, इसके लिए जिले के 68 सरकारी स्कूल, आंगनबाड़ी, आश्रम जैसे भवनों को चिह्नांकित किया गया है। सरकार ने मजदूरों को वापस लाने की पहल की तो बाहर फंसे मजदूरों का आंकड़ा 2500 से 3300 पहुंच गया। हर दिन संख्या बढ़ती जा रही है। इनमें करीब 100 की सोमवार को वापसी भी हुई।
ऐसे भी दे सकते हैं जानकारी
घर वापसी के लिए दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूर cglabour.nic.in वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके अलावा सरकार के हेल्पलाइन नम्बर 0771-2443809 या 9109849992 या 7587822800 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
इस तरह की गई व्यवस्था
1255 मजदूर कहां पर हैं जानकारी जुटाना मुश्किल
दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को निकालना है, इसके पहले यह देखा जा रहा है कि वे राज्यों के किस जोन में फंसे हुए हैं। 1255 मजदूर ऐसे हैं, जिनके बारे में ये नहीं पता चल पा रहा कि वे तेलंगाना, आंधप्रदेश के किन जिलों में फंसे हुए हैं। यह प्रशासन के लिए बड़ा सिर दर्द बना हुआ है।
दंतेवाड़ा के किस ब्लॉक मेंकितने क्वारेंटाइन सेंटर तैयार हो रहे
ब्लॉक का नाम सेंटर क्षमता
दंतेवाड़ा 18 3110
गीदम 17 2630
कुआकोंडा 31 2280
कटेकल्याण 17 4290
ग्रीन जोन में रहने के कारण दंतेवाड़ा में अब लगभग सभी दुकानों को सशर्त खोलने की छूट मिल गई है, लेकिन कई चीजों पर अब भी प्रतिबंध लगा है। दंतेवाड़ा में क्या खुलेगा या क्या बंद रहेगा, इस बारे में कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने रविवार की देर शाम आदेश जारी किया। दुकानें खोलने का समय अब एक घंटा बढ़ा दिया गया है। सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक दुकानें खोलने की अनुमति है। वहीं यात्री परिवहन सेवाओं को अभी छूट नहीं दी गई है।
सोमवार सुबह तक लोगों को स्पष्ट जानकारी नहीं थी। ऐसे में लोग असमंजस में रहे। मंगलवार से अब शहर का पूरा मार्केट खुल जाएगा, लेकिन कोरोना की चुनौती अभी कम नहीं हुई है। प्रशासन किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहता, ऐसे मेंं दंतेवाड़ा में अभी भी कई सुविधाओं को अनुमति नहीं मिली है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की भी चेतावनी दी है।
ये अब भी बंद रहेंगे
बस्तर जिले में आम लोगों की समस्याओं के निपटारे के लिए तैयार किए गए गुहार एप के बाद जगदलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र ने महाराष्ट्र और असम राज्यों के लिए ई-पास बनाया है।
बस्तर जिले के लिए बनाए गए गुहार एप के जरिए प्रशासन के पास लगातार शिकायतें पहुंच रही हैं, जिन पर कार्रवाई भी हो रही है। इसके बाद पिछले दिनों दूसरे राज्यों के लाेगों ने भी गुहार एप के जरिए बस्तर कलेक्टर से समस्या का समाधान मांगा था। इसके बाद अब इंजीनियरिंग छात्र ने महाराष्ट्र के तीन और असम के एक जिले के लिए ई-पास डिजाइन कर लिया है। ये ई-पास एप्लीकेशन शुरू भी हो चुके हैं।
मध्यप्रदेश के लिए भी गुहार एप तैयार करने की योजना
इधर इंजीनियरिंग छात्र अंकुर ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर, रायगढ़ और परभनी के साथ ही असम के डुबरी जिले के लिए ई-पास डिजाइन कर लिया है। उन जिलों में ई-पास का उपयोग भी किया जा रहा है। अंकुर बताते हैं कि अब तक चारों जिलों को मिलाकर करीब 500 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। इसके बाद अब वे मध्यप्रदेश के लिए गुहार एप तैयार करने की योजना बना रहे हैं।
दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को मिलेगा ज्यादा फायदा
इन मोबाइल एप्लीकेशन का फायदा लोगों को ये होगा कि उन राज्यों में फंसे लोग संबंधित राज्यों के अफसर और सरकारी तंत्र तक अपनी समस्या पहुंचा पाएंगे और इसी एप्लीकेशन से वे आने-जाने की अनुमति भी ले पाएंगे। अंकुर बताते हैं कि महाराष्ट्र और असम में फंसे लोगों और इन राज्यों के दूसरे जगहों पर फंसे लोगों को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिल सकेगा।
कोविड-19 के फैलाव से अभी भी ये जिला अप्रभावित है। जबकि यह जिला सीधे तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा से जुड़ा है। अभी तक जिले में एक भी पाॅजिटिव केस सामने नहीं आए हैं। इधर बाॅर्डर पर बसे तारलागुड़ा और तिमेड़ पर प्रशासन ने शुरू से ही लोगों की आवाजाही पर सख्ती बरती हुई है।
सूत्रों की मानें तो अब तक इस जिले में सात हजार से भी अधिक लोग महाराष्ट्र और तेलंगाना से आ चुके हैं और इनमें से आधे लोगों का 28 दिनों की क्वारेंटाइन की अवधि भी खत्म हो चुकी है। इनमें से तो करीब 2800 लोग केवल बीजापुर ब्लाॅक में ही हैं। हर ब्लाॅक में बीएमओ कार्यालय में कंट्रोल रूम बनाया गया है। इस रूम में हमेशा तीन से चार लोग रहते हैं और वे क्वारेंटाइन में रखे गए लोगाें, सरपंच, सचिव, मितानिन आदि से संपर्क में रहते हैं। बताया गया है कि जिले से अब तक मेकाज जगदलपुर में करीब 160 सैंपल भेजे गए थे। इनमें से 60 सैंपल की रिपोर्ट आ गई है सभी निगेटिव पाए गए हैं बाकी रिपोर्ट आना बाकी है।
आश्रम में ठहराए गए हैं 90 लोग : जिले में इस समय सबसे संवेदनशील ब्लाॅक भोपालपटनम को माना गया है। क्योंकि इससे दो राज्यों की सीमा छूती हैं। बताया गया है कि हैदराबाद से 21 अप्रैल को पैदल निकले कालाहांडी व ओडिशा के 21 मजदूर शनिवार को भोपालपटनम पहुंचे। इन्हें बालक छात्रावास में रुकवाया गया है। इन लोगों के समेत मध्यप्रदेश के करीब 90 श्रमिकों को यहां रखा गया है। प्रशासन की ओर से इनके राशन की व्यवस्था की गई है।
लॉकडाउन के तीसरे चरण में ग्रीन जोन वाले जिलों में शराब दुकानें खोलने की अनुमति क्या मिली, सुबह 7 बजे से दुकानों में शराब प्रेमियों की भीड़ लग गई। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए की गई बैरिकेडिंग, मार्किंग सब धरी की धरी रह गई। शराब दुकानों की कतार परिसर से बाहर तक पहुंच गई। लोग मास्क तो लगाए हुए थे लेकिन सोशल डिस्टेंसिंंग कहीं नहीं थी। शराब दुकानों के बाहर हाथ धोने के लिए साबुन-पानी भी नहीं था। और तो और वहां तैनात आबकारी आरक्षक भी बिना मास्क लगाए ड्यूटी कर रहे थे। इधर प्रशासन ने धारा 144 की अवधि 17 मई तक के लिए बढ़ा दी है। इस दौरान शाम 7 से सुबह 7 बजे तक सामान्य गतिविधियों यानि बिना अतिआवश्यक कारण इधर उधर जाने आने पर पाबंदी लगा दी गई है।
शराब दुकानों में भीड़ जुटने की सूचना पाकर ट्रैफिक पुलिस मौके पर पहुंची और शराबियों को एक निश्चित दूरी पर खड़ा कराई लेकिन पुलिस के जाते ही स्थिति जस की तस हो गई। कांकेर में शराब दुकान खुलने का समय सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक है लेकिन पहले दिन पूरी तैयारी नहीं हो पाने के कारण कांकेर मुख्यालय की ही दुकान में 9 बजे के बाद शराब की बिक्री शुरू हुई। इससे वहां ज्यादा भीड़ लग गई।
आरक्षक ने कहा-ड्यूटी को लेकर पूछो सवाल, मास्क का नहीं
शराब प्रेमी ही नहीं आबकारी विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी नियमों का उल्लंघन करते रहे। जिले में अधिकतर शराब दुकानों के सामने न तो हाथ धोने पानी व साबुन रखा गया था और न ही सैनिटाइजर का इंतजाम था। यहां ड्यूटी कर रहे कर्मचारी भी बिना मास्क मौजूद थे। अंतागढ़ में समय से पहले ही शराब बेचनी शुरू कर दी गई। ड्यूटी में तैनात स्वयं आबकारी आरक्षक राम विलास तथा निर्मल खापर्डे बिना मास्क लगाए दुकान के बाहर बैठे रहे। जब उनसे इसको लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हम ड्यूटी करने आए हैं। ड्यूटी के संबंध में सवाल पूछो। मास्क को लेकर नहीं।
शराब पुरानी लेकिन दाम नया, इसलिए विवाद
कई जगह शराब के दाम को लेकर भी विवाद हुआ। शराब खरीदारों का कहना था बोतल में शराब का जो मूल्य लिखा है उससे 20 से 25 प्रतिशत रेट बढ़ा कर दिया जा रहा है। जबकि विभाग के अधिकारी का कहना है कि शासन से शराब का नया रेट आया है। शराब पहले सेे रखी थी। उसमें पुराना रेट दर्ज है। शासन के आदेश के अनुसार इसे अब नया रेट से बेचा जा रहा है। इसकी सूची भी टांगी गई है।
17 मई की रात 12 बजे तक लागू रहेगी 144
कलेक्टर के एल चौहान द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए सभी संभावित उपाय अमल में लाए जा रहे हैं। वर्तमान स्थिति में अब भी कोरोना संक्रमण पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है। इसलिए कांकेर जिला में स्वास्थ्यगत आपातकालीन स्थिति को नियंत्रण में रखने धारा 144 की समय सीमा 17 मई की रात 12 बजे तक बढ़ाई जा रही है। अब कांकेर जिला के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे के बीच अनावश्यक रूप से परिभ्रमण नहीं करेगा। इस दौरान पूरी तरह से मूवमेंट प्रतिबंधित रहेगा।
लॉकडाउन में जिन दुकानों को सोमवार को खोलने की अनुमति नहीं दी गई है वह भी खुली रहीं। जबकि ग्रीन जोन में आने वाले जिलों को अपने जिले के अंदर यात्री वाहन के संचालन के लिए छूट दी गई है। लेकिन यात्री वाहन संचालकों ने इसमें कोई रूचि नहीं दिखाई। वाहनों के पहिए थमे रहे। दूसरी ओर सोमवार को बड़ी संख्या में दुकान खुलने से जिला मुख्यालय में भीड़ जमा होती रही। जिसमें नियमों का उल्लंघन किया जाता रहा।
कांकेर जिले में पूर्व में जारी आदेश के अनुसार सोमवार व गुरूवार को कपड़ा, बर्तन, जेवर तथा मोबाइल रिचार्ज की दुकान को निर्धारित समय के लिए छूट दी गई है। जिसमें सोमवार को ये दुकानें तो खुलीं लेकिन इसके साथ साथ बुधवार व शनिवार को खोले जाने वाली जूता चप्पल दुकान तथा मंगलवार व शुक्रवार को खोले जानी वाली फैंसी स्टोर्स भी खोल दिए गए। जब दुकान खोलने के बारे में पूछा गया तो दुकानदारों का कहना था दुकान खोलने का आदेश आने वाला है।
वहीं कुछ दुकान सोशल डिस्टेंस रख कर दुकान खोलने का हवाला देते रहे। जिन दुकानों को खोलने की छूट है उनमें भी अधिकतर दुकानों में नियमों का पालन नहीं होता दिखा। मोबाइल फोन रिचार्ज दुकान में ग्राहकों की भीड़ रही। कुछ जगह रिचार्ज के नाम पर मोबाइल भी बेचे जाते रहे। मोबाइल दुकान संचालक मास्क नहीं लगाए हुए थे।
दूसरी ओर जिलेवासियों को उम्मीद थी कि कांकेर जिला ग्रीन जोन में होने के कारण सोमवार 4 मई से छूट के बाद जिले के भीतर बस तथा टैक्सी चलना शुरू हो जाएगी। लेकिन दिन भर एक भी बस व टैक्सी नहीं चली। अर्से से लाकडाउन में फंसे लोगों को बड़ी निराशा लगी। बस संचालक आधे यात्री के साथ बस चलाने के नियम के चलते बस नहीं चला रहे हैं। उनका कहना है कि इस नियम को व्यवहारिक रूप से पालन करना संभव नहीं है। आधे यात्री को यात्रा कराने से उनका डीजल का खर्च भी नहीं निकलेगा।
शराब को छूट से चाय और पान ठेलों वालों में नाराजगी
लॉकडाउन के तीसरे दौर में जहां कई छूट दी गई है उसमें होटल और चाय व अन्य ठेला संचालकों को कोई छूट नहीं देने से उनमें नाराजगी है। पखांजूर के होटल और ठेला संचालक दुकान खोलने की मांग लेकर एसडीएम पखांजूर से मुलाकात कर उन्हें भी दुकान खोलने की अनुमति देने की मांग की। एसडीएम ने इसे शासन स्तर का मामला बताते उन्हें लौटा दिया। होटल संचालक रतन कुंडू , हरिचांद समददार, आशुतोष मजुमदार, बाबू पाल आदि ने बताया कि प्रदेश शराब दुकान खोल दी है तो हम होटल और ठेले वालो को क्यों छूट नहीं दी जा रही।
बिजली कंपनी द्वारा बिजली बिल जमा करने 5 मई को अंतिम तारीख निर्धारित की है। विभाग द्वारा मोबाइल एप या ऑनलाइन माध्यम से लोगों को बिल जमा करने कहा गया था, लेकिन अधिकांश लोगों द्वारा बिल जमा नहीं किया। इसके चलते विभाग द्वारा एटीपी से भी बिल जमा कराने की सुविधा शुरू की गई। इसकी जानकारी लगते ही उपभोक्ताओं की भीड़ बिल जमा कराने लगने लगी है। अंतिम दिन को एक ही दिन शेष होने के चलते सोमवार को बड़ी संख्या में उपभोक्ता बिल जमा कराने बिजली दफ्तर के एटीपी पहुंचे। इस दौरान लोगों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन भी नहीं किया गया।
लोगों का कहना है कि सोशल डिस्टेसिंग के नियम का पालन ही नहीं हो पा रहा है। विद्युत विभाग के अधिकारियों का मानना है कि ऑनलाइन बिजली बिल का भुगतान करना है, लेकिन लोग इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं। लॉकडाउन लगने के बाद से ही बिजली बिल का भुगतान की प्रक्रिया बंद हो गई थी। अभी दो माह मार्च, अप्रैल का बिजली बिल दो दिन पहले ही पहुंचा है।
शर्तों का पालन नहीं करेंगे तो बंद कर देंगे एटीपी
कांकेर विद्युत उपसंभाग के सहायक यंत्री एलएन कवर ने कहा शासन ने ही 5 मई को बिजली भुगतान करने का अंतिम तिथि रखा है। लोग बिजली बिल का भुगतान आनलाइन के माध्यम से दिए गए एप को डाऊनलोड कर जमा कर सकते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का नियम पालन कराने के लिए एटीपी काउंटर के पास गोल घेरा बनाया गया था, लेकिन गोल घेरा मिट गया है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कई बार कहा है, लेकिन लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं।
समय अवधि बढ़ाया जाना चाहिए
अन्नपूर्णापारा वार्ड के सुभाष रावत ने सिंगारभाठ के संतोष प्रधान, गढ़पिछवाड़ी के धन्नुराम शोरी, मोहपुर के तुकाराम नेताम, सिंगारभाठ के संतोष प्रसाद बिजली बिल जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ानी चाहिए।
ग्राम पंचायत भिंगीड़ार के उचित मूल्य दुकान संचालक द्वारा 27 रुपए का मिटटी तेल हितग्राहियों को 40 रुपए की दर से बेचा जा रहा है। जब इसकी जानकारी हितग्राहियों को लगी तो हितग्राहियों ने विक्रेता से इस संबंध में बात की।
विक्रेता ने हितग्राहियों को अधिकारियों को खर्चा देने की बात कहते हुए अधिक राशि लेना बताया। इसके बाद हितग्राहियों ने इसकी शिकायत पखांजूर एसडीएम से करते हुए दुकान संचालक पर कार्रवाई की मांग की है। ग्राम भिंगीडार में उचित मूल्य की दुकान का संचालन ग्राम पंचायत द्वारा किया जाता है। समस्त राशन कार्डधारियों को मिट्टी तेल 40 रुपए लीटर की दर से बेचा जा रहा है। जबकि शासन द्वारा मिटटी तेल का मूल्य 27 रूपए निर्धारित किया गया है। ग्रामीण भुवन मंडल, नरोत्तम मंडल, हिरदास सरदार, हरिचांद बघेल, प्रताप जैन आदि ने बताया सेल्समैन द्वारा न सिर्फ मिट्टी तेल का अधिक रेट लिया जाता है, साथ ही तौल में कम सामान दिया जाता है।
कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू
खाद्य निरीक्षक पखांजूर जतिन देवांगन ने बताया कि दुकानदार ने मिट्टी तेल 40 की दर में बेचा है। उसे नोटिस जारी कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
जिला प्रशासन ने लॉकडाऊन के दौरान छूट प्राप्त अति आवश्यक के दायरे से बाहर के सामानों की दुकानों के खुलने कासमय व दिन में बदलाव किया है। जिसमें अब सप्ताह में दो दिन ये दुकानें खोली जा सकेंगी। इसके साथ ही सप्ताह के जिन दिनों में यह दुकानें खुलनी थीउसमें भी फेरबदल कर किया गया है। अन्य जरूरी सेवाओं के प्रतिष्ठान व दुकान पूर्व की तरह निर्धारित समय पर खोले जा सकेंगे।
कलेक्टर केएल चौहान के नए आदेश के अनुसार अब सप्ताह में सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को बर्तन, फर्नीचर, फोटो स्टुडियो, प्रिटिंग प्रेस, फ्लेक्स, मोबाइल दुकान खोली जाएगी। अब मोबाइल दुकान में मोबाइल की बिक्री भी की जा सकेगी। इसके अलावा मंगलवार, गुरूवार व शनिवार को कपड़ा, जूता चप्पल दुकान, ज्वेलरी शॉप, कप्यूटर हार्डवेयर, मनीहारी, फैसी स्टोर्स खोले जाएंगे।
सप्ताह में तीन दिन खुलने वाली उपरोक्त सभी दुकान सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक खोली जाएगी। सभी दुकानों में वैद्य गुमाश्ता लाइसेंस होना अनिवार्य किया गया है। जिसकी कॉपी दुकान सामने चस्पा करनी होगी। इसके अलावा मिस्त्री, बढ़ाई, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, पंप मैकेनिक की सेवाएं जारी रहेगी।
रोजाना खुलने वाली दुकानें
सब्जी, फल, अनाज, डेली नीड्स, किराना, खाद्यान, कृषि मशीनरी, स्पेयर पार्टस, छात्रों की किताब दुकान, पशुआहार, खाद, उर्वरक, कीटनाशक, चिकन, मटन, मछली, अंडा, हार्डवेयर, चश्मा दुकान, सायकल, बाईक व चार पहिया वाहन के पंचर, स्पेयर पार्टस, रिपेयर दुकान, आटा, दाल मिल, फोटो कॉपी सेंटर, स्टेशनरी, बिजल पंखे, कुलर, इलेक्ट्रानिक, इलेक्ट्रीकल समाग्री की दुकान व रिपेयर सेंटर, दर्जी दुकान आदि की दुकान रोज खोली जा सकेंगी। खाद्य पदार्थ बेचने के छोटे दुकान व होटल में सामान की सिर्फ पार्सल सुविधा होगी। वहां बैठ कर नाश्ता आदि करने की अनुमति नहीं होगी। ये सभी दुकान सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक होगा।
ब्यूटी पार्लर व सैलून को सशर्त मिलेगी अनुमति
आदेश में हो गया है कि सेलून व ब्यूटी पार्लर के संचालन की अनुमति दी जा सकती है। लेकिन इसके लिए कार्यालय से जारी एडवायजरी का कड़ाई से पालन करना अनिवार्य होगा।
नहीं खुलेंगी ये दुकानें
इसके अलावा गुपचुप, चाट, आईसक्रीम एवं फास्ट फूड ठेला का संचालन पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। इसके साथ ही तंबाकू उत्पाद व गुटखा, सामुदायिक भवन, माल, भी बंद रहेंगे।
24 करोड़ 50 लाख रुपए की लागत से शहरवासियों के लिए अप्रैल महीने से शुरू होने वाले जल आवर्धन योजना पर कोरोना का असर पड़ गया है। जूझ लॉकडाउन के कारण यह एक बार फिर लेट हो गया। योजना के तहत कुछ काम बचे थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण बंद हो गया था। अब पीएचई विभाग ने फिर से काम शुरू कर दिया है। विभाग के अधिकारी 20 मई से पानी के लिए ट्रायल शुरू करने की बात कह रहे हैं।
दरअसल 24.5 करोड़ वाले कांकेर जल आवर्धन योजना की स्वीकृति 2013 में मिली थी। इसका काम 2016 में शुरू हुआ था। 2018 तक काम पूरा हो जाना था, लेकिन अभी तक काम पूरा हो जाना था। इस साल अभी तक की स्थिति में काम पूर्णता की ओर है।
ग्राम दसपुर के जल शुध्दिकरण संयंत्र व बागोड़ के इनटेक में कुछ काम शेष है। यह काम अप्रैल तक पूरा करना था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से 22 मार्च से काम बंद हो गया। पीएचई विभाग के अनुसार अब फिर से कुछ दिनों से जल शुध्दिकरण संयंत्र के भवन में फिनिशिंग का काम शुरू हो गया है। जल शुध्दिकरण संयंत्र में फिल्टर मशीन नहीं पहुंचा है, जो भंडारा से पहुंचेगा। इसके भी सप्ताह भर में पहुंच जाने की उम्मीद है। अभी जल शुध्दिकरण संयंत्र में ट्रांसफॉर्मर पहुंच चुका है और जिसके लिए फाउंडेशन खड़ा हो गया है, जिसे लगाने की तैयारी चल रही है। साथ ही इनटेक वेल में काम किया जा रहा है। जहां पंप डालने का काम शेष है। बिजली विभाग से हाई टेंशन तार नहीं लगाया गया है,जिसका काम शेष है। पीएचई विभाग 20 मई को जल सप्लाई के लिए ट्रायल करने की तैयारी कर रहा है।
प्रति व्यक्ति 135 लीटर मिलेगा पानी
शहर में महानदी से जल सप्लाई होने पर प्रति व्यक्ति 135 लीटर प्रति व्यक्ति पानी मिल पाएगा। इसमें शहर में 39 किलोमीटर का पाइपलाइन बिछाया गया है। इसका काम पूर्ण हो चुका है। जल वितरण प्रणाली पाइप लाइन में लागत 6 करोड़ 50 लाख रूपया का है। बागोड़ के महानदी में इनटेक 2 करोड़ 32 लाख रूपया का बनाया गया है। जल शुध्दिकरण संयंत्र 4 करोड़ 32 लाख रूपया का बनाया गया है। बागोड़ के महानदी से पानी दसपुर में बने जल शुध्दिकरण संयत्र में आएगा। जहां से पानी का शुध्दिकरण होगा। वहीं रॉ-वाटर में लागत 2 करोड़ 46 लाख रूपया है। शहर में चार टंकी नया बस स्टैंड, मुक्तिधाम, अलबेलापारा, श्रीराम नगर वार्ड में बनाई गई है। यहां पर दसपुर से शुध्द पानी जमा होगा। फिर शहर में पाइप लाइन से लोगों के घर में पानी पहुंचेगा।
लॉकडाउन के चलते इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्रहण का काम वन विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस काम के लिए ठेकेदार अधिकांश आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, झारखंड और महाराष्ट्र के हैं। ठेकेदार अपनी पूरी टीम के साथ पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कई ठेकेदार आने के लिए मना कर रहे हैं। इससे विभाग की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ गई है।
पूर्व वन मंडल भानुप्रतापपुर के वन मंडलाधिकारी आरसी दुग्गा ने बताया 56 लॉट है, इसमें 55 बिक चुका है। इसमें अधिकांश दूसरे राज्य के ठेकेदार हैं। उन्हें बुलाया जा रहा है। उनके आने के बाद उनका कलेक्टर व विभाग प्रमुख से परिचय पत्र बनाया जाएगा और जैसे ही यहां आएंगे उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें क्वारेंटाइन किया जाएगा। वे कमरे में ही रहकर मॉनिटरिंग करेेंगे और ठेकेदार के साथ केवल तीन व्यक्ति ही रहेंगे, बाकी स्थानीय व्यक्तियों को काम में लगाएंगे। इसके लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
लॉकडाउन के चलते सब्जी बाजारों में लोगों को पर्याप्त सब्जी नहीं मिल रही है। इसका प्रमुख कारण स्थानीय स्तर पर सब्जी का उत्पादन कम होना है। यहां सब्जी मुख्यत: दल्लीराजहरा और पखांजूर क्षेत्र से आते हैं। लॉकडाउन के चलते बहुत कम सब्जी आ रही है, जिससे सब्जी बाजार में टिंड़ा, ढेंस, गाजर, शिमला मिर्च, खीरा, ककड़ी आदि नहीं मिल पा रहा है। सिर्फ भिंडी, बरबटी, भाजी ही मिल रहा है। बाहर से आने वाले व्यापारी नहीं पहुंचने से लोगों को परेशानी हो रही है।
दुकान बंद होने से लोगों ने बदला व्यवसाय : लॉकडाउन के चलते कई ठेले, खोमचे वालों की दुकानें बंद हो गई, जिससे उनके सामने रोजी रोटी की समस्या हाे रही। इसके चलते एेसे लोगों ने आवश्यक सेवा वाली सामग्री जैसे सब्जी, फल, आलू, प्याज सहित किराने के दुकान की सामग्री बेचने लगे हैं। इससे सब्जी बेचने वालों की संख्या बढ़ गई है।
क्षेत्र में कभी जंगलों में तो कभी किसान अपने खेतों की पेड़ों की कटाई कर देते हैं। कोई शिकायत करता है तो मामला वन विभाग और राजस्व विभाग में उलझकर रह जाता है। इससे पेड़ काटने वाला बचकर निकल जाता है, क्योंकि जब तक विभाग कार्रवाई के लिए निकलता है तब तक संबंधित व्यक्ति मौके से निकल जाता है।
पिछले दिनों रानीवाही के पास एक विशाल महुआ के पेड़ को काट कर लकड़ी ट्रेक्टर से ले जाया गया।
इसकी शिकायत भी की गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इससे ऐसे कार्य करने वालों की हौसला बुलंद हो रहा और लगातार वनों की कटाई हो रही है। वन विभाग ने कही मामला पकड़ भी लिया तो कानूनी कार्रवाई लचर होने से भी लोगों में कोई भय नहीं रहता है। पर्यावरण प्रेमियों ने कहा पेड़ वन विभाग का हो या राजस्व का, पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
लॉकडाउन के तीसरे फेज के पहले ही दिन समनापुर जंगल और रेंगाखार में 6 कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसे लेकर कबीरधाम जिला अब रेड जोन में आ गया है। कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने इसकी पुष्टि की है। यानी अब जिले में संक्रमण के फैलाव को रोकने को लेकर ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है। इसके मद्देनजर लॉकडाउन और धारा 144 को 17 मई की रात 12 बजे तक बढ़ा दिया गया है।
साथ ही कबीरधाम रेड जोन में होने होने के कारण जिले के भीतर विभिन्न गतिविधियों पर प्रतिबंध और अनुमति के संबंध में कलेक्टर ने सोमवार देर शाम को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आगामी 17 मई तक सुबह 8 से 4 बजे तक चिकित्सा समेत जरुरी सेवाओं को छूट रहेगी। शाम 4 बजे से सुबह 8 बजे तक गैर जरुरी गतिविधियां पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा। इस दौरान घरों से बाहर घूमने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शहरी क्षेत्र में आवश्यक वस्तु वाली दुकानें खोलने की अनुमति: शहरी क्षेत्रों नगरीय निकायों में सभी माॅल, मार्केट काॅम्प्लेक्स, मार्केट बंद रहेगी। आवश्यक वस्तुओं की बिक्री संबंधी दुकानों को अनुमति होगी।
जिले में ये पाबंदियां 17 मई तक रहेगी लागू
इन गतिविधियों की अनुमति, लेकिन जरुरी पाबंदी भी
सोमवार शाम से रमजान का दूसरा अशरा मगफिरत का शुरू हो गया है। पाेंड़ी जामा मस्जिद के पेश इमाम अश्फाक रजवी ने बताया कि रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जो पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है। अशरा अरबी का 10 नंबर होता है। इस तरह रमजान के पहले 10 दिन (1-10) में पहला अशरा, दूसरे 10 दिन (11-20) में दूसरा अशरा और तीसरे दिन (21-30) में तीसरा अशरा बंटा होता है।
पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का होता है और तीसरा अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है। रमजान का पहला अशरा रहमत का पूरा हो गया है। अब दूसरा अशरा मगफिरत का शुरू हुआ है। आखिरी अशरा 21 वें रोजे से शुरू होकर चांद के हिसाब से 29वें या 30वें रोजे तक चलता है। ये अशरा सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। तीसरे अशरे का उद्देश्य जहन्नुम की आग से सुरक्षित रखना है। इस साल रमजान का महिना लॉकडाउन व कोरोना संकट के बीच में पड़ा है। ऐसे में सभी मस्जिदों में केवल पांच लोगों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई है। इस बार किसी भी मस्जिद में दूसरे राज्य के मौलाना भी नहीं पहुंचे हैं।
ईदगाह में नमाज अता करने अभी संशय
ईद की नमाज एक साथ ईदगाह में पढ़ी जाती है। कई बार मौसम खराब होने के कारण मस्जिद में भी नमाज अता की जाती है। इस नमाज में सबसे ज्यादा भीड़ होती है। यह नमाज मुस्लिम समाज के सभी लोग पढ़ते हैं, लेकिन लॉकडाउन व धारा 144 लागू होने के कारण नमाज को लेकर संशय है। संभावना है कि नमाज में केवल पांच लोग शामिल हो सकते हैं। वहीं प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। हालांकि मस्जिदों में भीड़ न हो, इसे लेकर नजर रखी जा रही है।
शबे कद्र 21 को, चांद दिखा तो 24 या 25 मई को ईद
इसी माह ईद का त्योहार भी होगा। यह त्योहार चांद पर निर्धारित होता है। वैसे ईद की संभावना 24 या 25 मई को है। यानि 23 मई को चांद दिखा तो 24 तारीख या 24 को चांद दिखने पर 25 मई को ईद मनाई जाएगी। इसके पहले 27 रमजान को शबे-ए-कद्र मनाया जाता है। यह रमजान माह में सबसे प्रमुख माना जाता है। इस दिन मस्जिदों में मिलाद का आयोजन किया जाता है। लेकिन कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन को देखते हुए आयोजन नहीं होंगे। वर्तमान हालात को देखते हुए समाज ने अपने लोगों को शबे-ए-कद्र के दिन घर में इबादत करने कहा है।
लॉकडाउन के तीसरे चरण के पहले ही दिन कबीरधाम जिले के रेंगाखार और समनापुर जंगल में 6 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इसमें 3 पुरुष, दो महिलाएं और 5 साल का एक बच्चा शामिल है।
लापरवाही के चलते पॉजिटिव मिले 6 में से 3 संक्रमितों (दो महिला और बच्चे) को जांच रिपोर्ट आने से पहले ही 2 मई को रेंगाखार क्वारेंटाइन सेंटर से छुट्टी दे दी थी। ये महिला ग्राम चमारी की रहने वाली थी। क्वारेंटाइन सेंटर से छुट्टी के बाद ये महिलाएं अपने गांव पहुंची। घर पहुंचने पर बड़े-बुजुर्गों के पैर छुए। पड़ोसियों समेत करीब 80 लोगों के संपर्क में आईं। उन सभी को क्वारेंटाइन किया गया है। रविवार देर शाम को इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने पर स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। रेंगाखार, समनापुर जंगल समेत आसपास के 4 गांवों को कंटेनमेंट एरिया घोषित करते हुए तुरंत सील किया गया। एसडीएम, तहसीलदार और पुलिस की टीम गांव पहुंची। पॉजिटिव पाए गए दोनों महिला और बच्चे को एंबुलेंस से एम्स रायपुर ले गए।
हालात बिगड़ने पर एक दूसरे को बताया जिम्मेदार
जांच रिपोर्ट आने से पहले क्वारेंटाइन सेंटर से संक्रमित महिलाओं व बच्चे को छुट्टी दे दी। इस लापरवाही के लिए स्थानीय तहसीलदार राधेश्याम वर्मा और सरपंच मोहन अग्रवाल एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं। सरपंच मोहन अग्रवाल बताते हैं कि तहसीलदार के कहने पर महिलाओं को क्वारेंटाइन सेंटर से छुट्टी दी थी, जबकि तहसीलदार कहते हैं मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा। संक्रमित मिले लोगों में कोविड- 19 के एक भी लक्षण थे। फिर भी स्वास्थ्य विभाग ने इनका रेंडम सैंपल लिया था।
28 सैंपल भेजे, इनमें 12 की जांच में 6 पॉजिटिव मिले
रेंगाखार व समनापुर जंगल में मिले इन संक्रमितों के साथ करीब 59 अन्य लोग भी क्वारेंटाइन में थे। 1 मई को कवर्धा से डॉक्टर्स की टीम वहां गई थी और कोरोना टेस्ट के लिए 28 लोगों के सैंपल लिए गए थे। सभी सैंपल रायपुर भेजे गए थे। इनमें से 12 की जांच में 6 पॉजिटिव पाए गए। अब भी 14 सैंपल की जांच रिपोर्ट आना बाकी है। रिपोर्ट आने से पहले ही लगभग आधे लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर से छुट्टी दे दी गई थी। रिपोर्ट आने के बाद पुलिस व प्रशासन ने सभी को ढूंढ़कर दोबारा क्वारेंटाइन किया है।
संपर्क में आने वाले 80 लोगों के सैंपल जुटा रहे
सोमवार सुबह से ही स्वास्थ्य विभाग की 4 अलग-अलग टीम रेंगाखार व समनापुर जंगल पहुंची। सीएमएचओ डॉ. एसके तिवारी ने बताया कि संक्रमितों के संपर्क में आए लगभग 80 लोगों की पहचान की गई है। सभी को क्वारेंटाइन सेंटर लाया गया है। यहां डॉक्टर्स की टीम सभी का सैंपल जुटा रही है। देर शाम तक 66 लोगों के सैंपल लिए गए। यह कार्य जारी रहा। सैंपल को जांच के एम्स रायपुर भेजा जाना है।
दोनों गांव हाई अलर्ट पर लोग घरों में दुबके हुए हैं
एक साथ 6 कोरोना पॉजिटिव मिलने पर रेंगाखार और समनापुर जंगल हाई अलर्ट पर है। सोमवार को दिनभर यहां गलियां और सड़कें सूनसान नजर आई। कोई भी गांव से बाहर नहीं निकला। चौक-चौराहों पर पुलिस जवान तैनात किए गए थे। इधर, संक्रमित महिला व पुरुष के ग्राम चमारी, तितरी, सुतिया और चोरबाहरा के रहने वाले हैं। इस सभी के गांवों में भी पुलिस का पहरा बैठा दिए हैं। बताया जा रहा है कि नागपुर (महाराष्ट्र) से लौटा एक संक्रमित सीधे अपने घर चला गया था।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ.सुजाय मुखर्जी के खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। 27 अप्रैल को जिला अस्पताल के डॉक्टरों समेत वहां के मेडिकल स्टाफ ने सिविल सर्जन के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसे लेकर कलेक्टोरेट में ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन सौंपने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं। जांच अधिकारी सीएमएचआे डॉ. सुरेश तिवारी व सहसपुर लोहारा बीएमओ डॉ. संजय खरसन को बनाया गया है। जिला अस्पताल के कर्मचारियों ने सिविल सर्जन पर गाली-गलौज कर अभद्रता पूर्वक बात करना, काेरोना वायरस संक्रमण को ध्यान में न रखते हुए शासन के नियम विरुद्घ बाॅयोमेट्रिक मशीन से उपस्थिति अपनाया जाना, अस्पताल के किसी न किसी कर्मचारी का वेतन काटे जाने समेत कई आरोप लगाए थे। इन सब आरोप को लेकर जांच की जाएगी।
राज्य स्तर पर भेजी जानकारी: जिले में ऐसा पहली बार हुआ कि कोरोना संकट के बीच में ही जिला अस्पताल के सिविल सर्जन व यहां डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ के बीच विवाद की स्थिति बनी है। विवाद को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने मामले के संबंंध में प्रारंभिक जानकारी राज्य स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों को दी है। अब जांच के बाद ही आने वाले समय में कार्रवाई होगी।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर कलेक्टर रजत बंसल और एसपी बी.पी. राजभानू ने रविवार को ओडिशा की सीमा से लगे नगरी विकासखंड के सुदूर ग्राम बोरई में जाकर पंचायत प्रतिनिधियों के बीच चौपाल लगा बैठक ली। दोनों ने उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों और निर्देशों का हर
हाल में पालन करने के लिए कहा। साथ ही विशेष सतर्कता बरतने के तरीके बताए।
कलेक्टर ने बोरई में स्थित छात्रावास में आसपास की ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिवों और रोजगार सहायकों, पटेलों की बैठक लेकर बताया कि कोरोना वायरस पूरे विश्व के लिए एक चुनौती बनकर उभरा है, जिसे फिलहाल सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का उपयोग तथा हाथों को अच्छी तरह से धोकर ही हराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्राम बोरई चूंकि ओडिशा की सीमा से लगा हुआ है इसलिए यहां के लोगों को अपेक्षाकृत अधिक सतर्क व सजग रहने की आवश्यकता है। कलेक्टर ने कहा कि अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में गए मजदूरों को अब उनके गृहग्राम में वापस लाने की कवायद राज्य शासन द्वारा की जा रही है। हालांकि उन्हें भी 14 दिनों के क्वारेंटाइन में रखने के बाद पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही घर भेजा जाएगा, लेकिन इस बीच आने वाले समय में और अधिक सावधानी व सतर्कता बरतने की जरूरत है।
सोनाखान के महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय में कोई नहीं रहता बल्कि अस्थायी भृत्य द्वारा कार्यालय खोलकर रखवाली की जाती है। परियोजना अधिकारी द्वारा कसडोल में अघोषित कार्यालय चलाया जाता है। ऐसी स्थिति में जंगल क्षेत्र के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की मॉनिटरिंग कैसे होती होगी, इसका सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है।
सोनाखान वासियों ने मांग भी की है कि यहां कार्यालय खोल गया है तो समस्त स्टाफ दे और सभी कर्मचारी नियमित कार्यालय में बैठे ताकि आंगनबाड़ी केंद्रों में हो रही अनियमितता को भी समय रहते अधिकारियों को बताया जा सके।महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय कसडोल अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 350 से अधिक होने पर 2012 में इसे दो परियोजना में बांट दिया गया और एक नया परियोजना कार्यालय सोनाखान में शुरू किया गया।
इसमें ब्लॉक के 5 सेक्टर बोरसी, बया, चांदन, बार एवं सोनाखान सेक्टरों को सोनाखान परियोजना कार्यालय में रखा गया और 7 सेक्टरों को कसडोल परियोजना कार्यालय में रखा गया ताकि दोनों जगह कार्यों का भार कम किया जा सके। साथ ही सुव्यवस्थित रूप से दोनों जगह मॉनिटरिंग करते हुए सही चले। 2012 से 2018 तक सोनाखान में परियोजना कार्यालय नहीं होने के कारण इसका संचालन कसडोल कार्यालय से ही चल रहा था, लेकिन 2019 में सोनाखान में परियोजना कार्यालय भवन बनने से सोनाखान परियोजना को पूर्णतः अलग करते हुए सोनाखान में ही शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन सबसे बड़ी बिलंबना है कि वहां कार्यालय खुले एक वर्ष से भी अधिक हो गया है पर वहां आज तक कोई अधिकारी-कर्मचारी नहीं मिलता। वहां मिलता है तो सिर्फ गोपाल पैकरा, जो अस्थायी भृत्य है।
वही उस कार्यालय को खोलकर रखवाली करता रहता है। भृत्य ने पर बताया कि यहां कोई नहीं है, कभी मीटिंग रहती है तो अधिकारी आते हैं। यहां सुरेंद्र बंजारे एवं गौरी सिदार मैडम सुपरवाइजर हैं, लेकिन वे फील्ड वर्क वाले हैं और आदित्य शर्मा बड़े साहब हैं वे भी कभी-कभी आ जाते हैं।
मेरे पास कई ब्लॉक का प्रभार, इंटरनेट नहीं चलनेके कारण कसडोल में रहता हूं: प्रभारी
प्रभारी परियोजना अधिकारी आदित्य शर्मा का कहना है कि मैं बलौदाबाजार में जिला महिला एवं बाल अधिकारी के पद पर पदस्थ हूं। मेरे पास इसके अतिरिक्त भटगांव, बिलाईगढ़ एवं सोनाखान परियोजना का प्रभार है। इसके साथ जिले में और कई योजना का भी प्रभार है। मैं स्वयं कलेक्टर से प्रभार से हटाने की मांग कर चुका हूं। इतने प्रभार में मैं सोनाखान कार्यालय में नहीं बैठ सकता। कसडोल में चल रहे अघोषित आफिस के बारे में कहा कि सोनाखान में नेट नहीं चलता। इस कारण कसडोल के सिरपुर रोड स्थित किराए के मकान में कम्प्यूटर आपरेटर को बैठाकर कार्य किया जाता है।
सुपरवाइजर बोले- हम लोग फील्ड वर्कर
सोनाखान परियोजना के सुपरवाइजर सुरेंद्र बंजारे ने बताया कि परियोजना में कुल 176 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, कुल 5 सेक्टर हैं। सभी जगह अभी कार्यकर्ताओं द्वारा रेडी-टू-ईट एवं अन्य सूखे खाद्य पदार्थ घरों में दिए जा रहे हैं। कार्यालय में कोई रहता नहीं कहने पर कहा कि हम लोग फील्ड वर्क वाले हैं और साहब के पास कई परियोजना का प्रभार है।
सोमवार को एक बार फिर नगर के व्यवसायी अपनी दुकान खोलने की मांग के साथ एसडीएम सूरज साहू के समझ पालिका भवन में उपस्थित हुए। दो दर्जन से अधिक व्यवसाय वाले व्यापारियों को एसडीएम ने कोरोना संक्रमण के संकट पर समझाइश देते हुए कहा कि यह समय अपने व्यवसाय के लिए अपनी मांग पर अड़ने का नहीं है।
रेड जोन होने के बाद भी प्रशासन ने व्यापारियों के हितों का ध्यान रख अपने स्तर पर यह अस्थाई व्यवस्था उनके दुकान संचालन के लिए बनाई है कि प्रतिदिन आवश्यक सेवाओं वाली दुकानों को छोड़ दिगर व्यवसाय को दो श्रेणियों में बांट व्यवसाय संचालन की अनुमति दी जा रही है। दुकानें एक दिन के आड़ में खुलेंगी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस अनुमति के दौरान आप के नगर या क्षेत्र में एक भी संक्रमण का मामला पाया गया तो सभी सहूलियत या छूट निरस्त होकर संपूर्ण लॉकडाउन लागू हो जाएगा। एसडीएम ने यह भी कहा कि इस समय हमारे पास असीमित अधिकार है। छूट का बेजा इस्तेमाल करने वालों पर सख्त करवाई होगी। विधायक धनेंद्र साहू ने व्यापारियों से कहा कि उक्त संक्रमण काल में सावधानी की बहुत ही आवश्यकता है। छोटे-छोटे गांव में आंगनबाड़ी, मितानिन, सरपंच, पंच इस तरह सक्रिय है कि दूसरे प्रदेश से गांव में आने वाले हर व्यक्ति की जानकारी दे रहे हैं। इसी तरह की सक्रियता आप भी रखें। बैठक में विधायक धनेंद्र साहू, पालिकाध्यक्ष धनराज मध्यानी, सीएमओ भूपेंद्र उपाध्याय, व्यापारियों के अलावा रतिराम साहू, जीत सिंग, सौरभ सोनी, शहिद रजा सहित अनेक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।
व्यापारियों को इन व्यवस्था पर करना होगा अमल
व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक व्यापारी को सप्ताह में एक दिन की आड़ में 3 दिन दुकान खोलने की अनुमति होगी। वह भी सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक ही दुकान खोल सकेंगे। इस दौरान दुकान में आने वाले ग्राहकों से संक्रमण से बचने सभी उपायों को लागू करवाना व्यापारियों की जिम्मेदारी है। इसके लिए प्रशासन जवाबदेह नहीं है। साथ ही एक ही दुकान में कई तरह के सामान बेचने वाली दुकानों को भी एक दिन की आड़ में ही दुकान संचालित करना होगा। बाहर से आने वाले ट्रकों के ड्राइवर स्टाफ से पर्याप्त दूरी बनाने कहा गया। प्रिटिंग, फ्लैक्स और फोटो कापी दुकानों को प्रतिदिन खुलने वाली श्रेणी में रखा गया है।
17 जंगली हाथियों का झुंड 4 महीने बाद शुक्रवार की रात वापस रोहांसी के जंगल में आ धमका था। सोमवार की सुबह चारा-पानी की तलाश में दल यहां से निकल कर मैदानी इलाकों का रुख करते हुए पलारी के पास मुख्य मार्ग से 3 किमी अंदर कौड़िया गांव में घुस गया, जहां से सिसदेवरी, वट्गन, ओड़ान अौर साहड़ा गांवों तक जा धमका। सुबह-सुबह ग्राम कौड़िया के तालाब के पार में खड़े हाथियों को ग्रामीण बिसौहा वर्मा ने देख तो इसकी सूचना डीएसपी सिद्धार्थ बघेल व नायब तहसीलदार कुणाल पांडेय, रेंजर राकेश चौबे अौर डिप्टी रेंजर केशरी जायसवाल को दी।
सूचना मिलने पर अधिकारी टीम के साथ कौड़िया पहुंचे, लेकिन तब तक झुंड गांव के तालाब से दूर सिसदेवरी कौड़िया नाला के पास पेड़ का छांव में विश्राम करता नजर आया। इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। ग्रामीणों को खदेड़ने के लिए प्रशासन को काफी मशक्कत उठानी पड़ी। आखिर में अमले को हाथियों को रोहांसी जंगल में वापस खदेड़ने में सफलता मिली। लोगों को रास्ता छोड़ने की रेंजर चौबे लगातार अपील करते रहे ताकि हाथियों को वापस जंगल की तरफ मूवमेंट करा सके, मगर भीड़ सुनने को तैयार नहीं थी। तभी डीएसपी बघेल और नायब तहसीलदार पांडेय ने लोगों सख्त लहजे में समझाते हुए रास्ता छोड़ने को कहा। पुलिस और वन विभाग के जवानों ने लोगों को रास्ते से हटाकर ढोल बजाकर हाथियों को खदेड़े। इसके कारण झुंड नाला से निकलकर सिसदेवरी गांव तक जा पहुंचा और वहां से फिर टीम इनको वापस कराते हुए साहड़ा, वट्गन, ओड़ान और सेमरिया से होकर देर शाम रोहांसी के जंगल तक ले गए, जहां हाथियों ने वापस 30 नंवबर के बांस के जंगल रोहांसी में जाकर घुस गए। तक कहीं जाकर अधिकारियों ने रात की सांस ली। वहीं मैदानी इलाके में हाथियों के चले जाने से जनहानि का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि खुले जगह में हाथी कहां जाए भरोसा नहीं है।
राज्य शासन के आदेश पर 40 दिनों बाद मदिरालय सोमवार को खुलते ही मदिरा प्रेमियों की आधे किमी से भी ज्यादा लंबी लाइन शराब दुकान के सामने 11 घंटे तक लगी रही। शाम 4 बजे के बाद स्थिति बेकाबू हो गई। रेड जोन घोषित रायपुर जिले के नदी उस पार लगे गोबरा नवापारा से भी हजारों लोग शाम को शराब खरीदने राजिम पहुंचे थे।
शाम 6 बजे के बाद भी भीड़ को देखते हुए शराब की दुकानें खुली रहीं। जबकि सुबह 8 से शाम 6 बजे तक खुलने का समय शासन ने रखा है। धक्का-मुक्की अौर लड़ाई-झगड़े होने के बाद अंततः शराब दुकान बंद कर दिया गया। इसके कारण सैकड़ों लोग बिना मदिरा खरीदे वापस चले गए। इस तरह के हालात से राजिम सहित ग्रामीण अंचलों में दहशत है। राजिम के देशी और विदेशी मदिरालय में लॉकडाउन के बाद पहले दिन दुकान खुलने पर 12 लाख रुपए की शराब लोग गटक गए। देशी शराब दुकान में 9 लाख रुपए तथा विदेशी में 3 लाख रुपए की बिक्री हुई।
कीमतों में कई गुना वृद्धि : रेटों में इजाफा होने के बाद भी लोग शराब खरीद रहे। देशी शराब मसाला बोतल 270 की था, जो 320 रुपए, हाफ 140 थी जोे 170 रुपए, पौव्वा 70 था, जिसे 90 में बेचा गया। वहीं प्लेन में बोतल 230 थी जो 280, हाफ 120 की थी जो 150 अौर 60 का पौवा 80 रुपए में बेचा गया।
बगैर सोशल डिस्टेंसिंग के आबकारी निरीक्षण ने बिकवाई
ज्ञात हो कि कोरोना वायरस के चलते पूरे देश एवं प्रदेश में 24 मार्च से लॉकडाउन है। तब से मदिरालय में भी ताला लगा था। इस दौरान जंगल इलाके से महुआ शराब की तस्करी बढ़ गई थी, जिसे पुलिस द्वारा पकड़ कर कार्रवाई भी की गई। मदिरालय में कोरोना वायरस से बचने नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है अौर ना ही यहां पर सैनिटाइजर रखा गया है। आबकारी उप निरीक्षक टेक बहादुर कुर्रे स्वयं दिनभर मदिरालय में रहकर शराब विक्रय कराए। लेकिन लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने में असमर्थ रहे। जबकि शराब दुकान के बाहर बांस बल्ली से 1 दिन पूर्व आने-जाने एकल रास्ता बनाया गया है। राज्य शासन के आदेश पर जिले की सभी 15 शराब दुकानें खुली, जिनमें राजिम, फिंगेश्वर, बासिन, छुरा, गरियाबंद, मैनपुर, अमलीपदर, उरमाल, सोना मुंडी शामिल हैं। कुर्रे ने बताया कि सुबह 8 बजे खुलने से पूर्व ही 7 बजे से लोगों की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। रायपुर जिले रेड जोन में है, जहां पर गोबरा नवापारा के मदिरालय के खुलने का समय शाम 4 बजे तक है। वहां पर दुकान बंद होने के बाद राजिम में हजारों की भीड़ एकत्र हो गई थी। समय कम था इस वजह से अनेक लोगों को शराब लेने से वंचित होना पड़ा है।
सोमवार सुबह नगर में बालसमुंद रोड पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, क्योकि उस रास्ते पर शराब दुकान है। जैसे ही लॉकडाउन में ढील देकर शराब दुकान खोली गई तो मदिरा प्रेमियों का महीनों से दिल में दबा अरमान फूट पड़ा। लोग सुबह 6 बजे मॉर्निंगवॉक के बहाने शराब दुकान जाकर पहले लेने की होड़ में लाइन लगाकर खड़े हो गए अौर करीब दो घंटे तक खुलने का इंतजार करते रहे।
वहीं लाइन में ऐसे लोगों की भीड़ भी दिखाई दी जो लॉकडाउन के दौरान मुफ्त राशन लेने अधिकारियों से हुज्जत करने और पत्नी के साथ जनधन खाते से 500 रुपए निकालने ग्राहक सेवा केंद्र और बैंक में लंबी लाइन में खड़े रहे ते। महीनों बाद खुल रही शराब दुकान की भीड़ को कंट्रोल करने अौर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने पुलिस ने शराब भट्टी के कर्मचारी से रविवार देर शाम को ही काउंटर के सामने एक-एक मीटर का घेरा बनाकर ग्राहकों की लाइन लगाने का जुगाड़ पहले ही बना दिया था।
बैगर मास्क लगाए आए लोगों को नहीं मिला शराब
शराब दुकान में कोरोना वायरस से बचाव का इंतजाम देखा गया। जो लोग बैगर मास्क पहने शराब लेने आए, उन्हें बिल्कुल शराब नहीं मिली। वापस जाकर ये लोग जब मुंह पर रूमाल बांध कर आए तभी उनको शराब दी गई। वहीं शराब काउंटर पर बैठे सभी कर्मचारी मास्क लगाकर शराब बेचे। ग्राहकों को शराब देने के पहले सैनिटाइजर देकर हाथ साफ कराया गया।
शराब भट्टी में हुआ 144 का उल्लंघन
लॉकडाउन के कारण धारा 144 लागू है, जिसके तहत किसी भी स्थान पर 4 आदमी के ज्यादा झुंड में नहीं रहना है, मगर शराब दुकानों में लगी भीड़ की संख्या 100 से 200 तक रही, ऐसे में धारा 144 का खुला उल्लंघन हुआ। ये अलग बात है कि लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा, मगर 144 का पालन नहीं करा सके।
लॉकडाउन में ढिलाई देते हुए सोमवार से सरकार ने जहां दुकानों को खोलने की छूट दी है। वहीं इसके लिए नियम भी बनाकर लोगों को पालन कराने प्रशासन को निर्देशित किया गया है।
सुबह 7 बजे डीएसपी सिद्धार्थ बघेल, नायब तहसीलदार कुणाल पांडेय अौर पलारी पुलिस स्टाप ने लॉकडाउन में दुकान खोलने की छूट मिलने के बाद नगर में फ्लैग मार्च कर सभी दुकानदारों से अपील की कि वे लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए अपने दुकान खोले और समय पर बंद करे। किसी भी शर्त पर नियमों का उल्लंघन न करें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दुकानों में भीड़भाड़ नहीं करने की बात कही। डीएसपी ने कहा कि लॉकडाउन में लोगों की सुविधा के लिए ढील दी गई है इसलिए वे इसका बेवजह दुरुपयोग न करे। जरूरी काम हो तो ही घरों से मास्क लगाकर निकले। पुलिस का फ्लैग मार्च रायपुर, बलौदाबाजार, दतान, रोहांसी रोड होते हुए नगर के आंतरिक मार्गों से गुजरा। वहीं नायब तहसीलदार ने कहा कि लॉकडाउन का कड़ाई से पालन हर नागरिक खुद करे, ये अपने जीवन से जुड़ा हुआ मामला है। पुलिस प्रशासन सिर्फ आपके सहयोग के लिए है, जो विषम परिस्थिति में आपके साथ हमेशा रहेगी। आप सब स्वयं कोरोना वायरस से बचने के नियमों का पालन करें, जिससे आप और आपका परिवार इस महामारी से सुरक्षित रह सकेगा।
कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं होने के कारण जिला ग्रीन जोन में है। इसे ग्रीन जोन में रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। सतर्कता बढ़ा दी है। लोगों की लगातार निगरानी की जा रही है। सोमवार को बठेना अस्पताल में सर्दी, खांसी, सिर दर्द और सांस लेने में तकलीफ के बाद 3 मरीजों को भर्ती किया गया।
तीनों के सैंपल जांच के लिए रायपुर एम्स भेजे हैं। ये मरीज नगरी, कांकेर और दुर्ग रानीतराई निवासी हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इनकी निगरानी के लिए डॉक्टरों को विशेष सतर्कता बरतने कहा है। नगरी में कोरबा के हॉटस्पॉट कटघोरा से लौटा एक युवक का जिला अस्पताल में सैंपल लिया गया। इसे सर्दी और बुखार था। इसे पथर्रीडीह में क्वारेंटाइन किया है। सर्विलांस अधिकारी डॉ. विजय फूलमाली ने बताया कि चारों के सैंपल एम्स भेजे हैं।
16 सैंपल के रिपोर्ट का इंतजार
जिले से अब तक 275 लोगों के सैंपल रायपुर एम्स और जगदलपुर मेडिकल कॉलेज भेजे हैं। सोमवार को 4 सैंपल और भेजे गए हैं। अब तक 263 सैंपल निगेटिव है। 16 लोगों की रिपोर्ट का इंतजार है। वहीं रैपिड किट से 5 दिन में 367 सैंपल की जांच की गई। सभी निगेटिव मिले है।
पेंड्रा से लौटे 75 क्वारेंटाइन
रविवार रात करीब 10 बजे पेंड्रा से 2 ट्रक में 75 युवक आए। इनमें धमतरी के 36, नगरी के 8, कुरूद के 11 और मगरलोड के 10 युवक हैं। इन सभी युवकों की जांच संबलपुर के पास की गई। संदिग्धों के सैंपल लेकर रैपिड किट से जांच की। सभी स्वस्थ मिले। सभी को क्वारेंटाइन किया है।
28 पुलिसकर्मियों की जांच की
सूरजपुर में एक पुलिस जवान पॉजिटिव मिला। इसके बाद जिले में 45 साल से अधिक उम्र के पुलिस अधिकारी, जवानों की जांच कराई जा रही है। सोमवार को जिला अस्पताल के एमडी विशेषज्ञ डॉ. संजय वानखेड़े ने 28 पुलिसकर्मियों का स्वास्थ्य जांच की।
जिले की 370 ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत काम चल रहे है। इन कामों में हर रोज रिकॉर्ड एक लाख लोगों को काम दिया जा रहा है। यह जिले में अब तक एक दिन में सबसे ज्यादा काम देने का रिकॉर्ड है। मनरेगा के तहत डबरी, नया तालाब, भूमि सुधार कार्य, तालाब गहरीकरण सह पचरी, नाला सफाई कार्य चल रहा है। लाॅकडाउन के दौरान गांव-गांव में मनरेगा कार्य खुलने से ग्रामीण मजदूरों को बड़ी राहत मिली है। धमतरी के इतिहास में पहली बार 1 लाख 3 हजार 213 मजदूरों को एक दिन में काम दिया गया है। जो एक उपलब्धि है।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत नम्रता गांधी ने बताया कि मनरेगा कार्यों में मांग अनुसार मजदूरों को काम दिया जा रहा है। पंचायतों में 1306 काम चल रहे हैं। लाॅकडाउन के दौरान श्रमिकों को पलायन या आजीविका के लिए संघर्ष न करना पड़े इसलिए कार्ययोजना बनाकर काम कराए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना कार्य संचालित होने से मजदूरों को अपने ही पंचायत में भरपूर काम मिल रहा है।
लगातार मिल रही शिकायत के बाद खनिज विभाग की टीम सोमवार सुबह 4 बजे महानदी गई। इस दौरान महानदी के अंदर 7 ट्रैक्टर अवैध रेत भरते जब्त किए। मगरलोड के राजपुर रेत खदान को अवैध निकासी के कारण बंद कर दिया है।
जिले में 33 से अधिक रेत खदान हैं। अब तक सिर्फ 5 खदान चलाने की ही अनुमति है। इनमें डाभा, जोरातराई, नारी, अरौद व एक अन्य खदान शामिल हैं। इन खदानों को छोड़ अन्य खदानों में बेरोकटोक सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है। कोलियारी क्षेत्र में महानदी से रोजाना 100 से अधिक ट्रैक्टर ट्रॉली अवैध रेत निकाली जा रही है। इसके लिए पिट-पास भी नहीं लिया जा रहा। कुछ ट्रैक्टर मालिकों ने बताया कि महानदी तट पर कोलियारी से परसुली तक रेत निकाली जा रही है। कोई पिट-पास नहीं लिया जा रहा। चोरी की रेत को ग्राहकों को 1000 से 1200 रुपए में बेची जा रही है। एक हाईवा रेत 7 हजार में खरीदना पड़ रहा है। जिला खनिज अधिकारी सनत साहू ने कहा कि 7 ट्रैक्टर जब्त किए हैं। वर्तमान में 5 खदान चालू है। अगले एक हफ्ते में 8 से 10 खदान चालू होगी।
5 दिन में 27 ट्रैक्टर जब्त
बीते 5 दिन में 27 ट्रैक्टर ट्रॉली को अवैध निकासी करते हुए खनिज विभाग ने पकड़ा है। अवैध निकासी रोकने के लिए अफसरों की ड्यूटी लगाई है। भास्कर ने राजपुर रेत खदान में अवैध निकासी खबर प्रकाशित की थी। खनिज अधिकारी ने जांच कराई।
अगले एक हफ्ते में ये खदान भी होंगे चालू
खनिज विभाग के अनुसार जिले में 33 खदान हैं। वर्तमान में इनमें से 5 चालू है। अगले एक हफ्ते में अमेठी, खरेंगा, जंवरगांव, लीलर, मनरौद, हरदीभाठा, नारी की रेत खदान भी चालू होगी। अवैध रेत निकासी पर कार्रवाई जारी है।
मई के 4 दिन बीत गए लेकिन अब तक मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव के कारण पारा 40 डिग्री से ऊपर नहीं चढ़ रहा है। रविवार को नगरी ब्लॉक में देर-शाम को तेज आंधी के साथ हल्की बारिश हुई। बिरग़ुड़ी बस स्टैंड के पास टीन शेड, पुलिस का अस्थायी पंडाल
उखड़कर उड़ गया।
सोमवार को दिनभर तेज धूप के बाद शाम को 30 किमी/घंटे की रफ्तार से हवा चली। हवा, बारिश के साथ खेतों में तैयार फसल को नुकसान होने की चिंता किसानों को सता रही है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में ओलावृष्टि, अंधड़ के साथ तेज बारिश की चेतावनी दी है।
घर और होटल का टीन शेड उखड़ा
नगरी ब्लॉक के बिरगुड़ी में रविवार को शाम करीब 5 बजे तेज आंधी चली। बिजली खंबे सहित करीब दर्जनभर पेड़ टूट गए। बस स्टैंड स्थिति एक होटल, घर का टीन शेड उड़ गया। सिहावा के पास लगाए नाकेबंदी पॉइंट का पंडाल भी उखड़ गया। देर-रात को बारिश हुई। सोमवार को क्षेत्र में तेज हवा चली। हल्की बूंदाबांदी भी हुई।
दोपहर तक तेज धूप शाम को छाए रहे बादल
सोमवार को मौसम में उतार-चढ़ाव दिनभर चला। सुबह से दोपहर तक तेज धूप के कारण दिन का अधिकतम तापमान 39 डिग्री रहा। यह पिछले 48 घंटे की अपेक्षा 2 डिग्री ज्यादा है। रात का तापमान भी 2 डिग्री बढ़कर 25 डिग्री पर पहुंच गया है।
कोरोना संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन को 40 दिन हो गए हैं। इससे जिले में होने वाली करीब 500 से अधिक शादियां टल गई। शादी का मौसम निकलने से किराया भंडार, लाइट, डीजे, केटरिंग सहित इससे जुड़े व्यवसायियों के सामने आर्थिक संकट आ गया है। सोमवार को किराया किराया भंडार व्यवसायी संघ, डीजे एसोसिएशन ने अपनी मांगों के संबंध में जिला प्रशासन, निगम कमिश्नर और महापौर को ज्ञापन दिया। श्रम विभाग से राहत दिलाने की मांग की।
किराना भंडार व्यवसायी संघ के अध्यक्ष महावीर मिश्रा, संरक्षक मोती लुनिया ने कहा कि व्यवसाय सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, शादी समारोह के कार्यक्रम से जुड़ा है। लॉकडाउन के कारण व्यवसाय पूरी तरह ठप है। अक्षय तृतीया में हर साल करीब 500 शादियां जिले में होती थी, जो इस बार स्थगित हो गईं। किराया भंडार व्यवसायियों को करीब 10 करोड़ का नुकसान हुआ है। किराया भंडार से डीजे, लाइट, फूल व्यापारी, केटरिंग सहित अन्य व्यवसाय जुड़ा है। करीब 8 हजार लोग इस व्यवसाय से जुड़कर काम कर रहे है। मजदूरों को श्रम विभाग द्वारा आर्थिक मदद दी जाए। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते सामान लगाने की अनुमति दी जाए।
मई और जून के भी आर्डर रद्द: सचिव: संघ के सचिव टीकम देवांगन ने बताया कि विवाह समारोह के लिए टेंट और कैटरर्स के ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं। आगे दिए भी नहीं हैं। इस कारण टेंट व्यवसायी सबसे ज्यादा परेशान हैं। शहर में 50 से अधिक टेंट व्यवसायी हैं। इन्होंने ऑर्डर मिलने के बाद मजदूरों को भी रख लिया था। कईयों को पेमेंट भी कर दिया है। ऐसे में इनका नुकसान हो रहा है। टेंट व्यवसायी आगे शादी की तारीख तय होने पर ऑर्डर देने का आग्रह कर रहे हैं। इस साल मई और जून के सारे ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं।मई में 10 व जून में 6 मुहूर्त है, लेकिन लोग विवाह की नई तारीख तय करने से बच रहे हैं।
प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले महिलाओं के खातों में केंद्र सरकार ने तीन महीने तक 500-500 रुपए देने का निर्णय किया है। पहले महीने का पैसा अप्रैल में आया था, इसे निकालने सभी बैंकों में भीड़ लगी थी। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा था। पुलिस को व्यवस्था संभालनी पड़ी। अब मई महीने का पैसा भी सोमवार से खाते में आना शुरू हो गया।
अप्रैल महीने में बैंकों में पहुंच रहे लोगों को खाता संख्या के अनुसार पैसा दिया गया था। इस महीने भी इसी प्रकार दिया जाएगा। 4 मई को केवल उन्हीं खातों के रुपए निकाले जाएंगे जिनके आखरी अंक 0 और 1 हैं। इनके खाते में रुपए आ गए। यदि इनके अलावा अन्य अंक वाले पैसे लेने आएंगे तो उन्हें रुपए नहीं दिए जाएंगे। ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखाओं में अप्रैल में ज्यादा भीड़ लगी थी, इन बैंकों के अलावा अन्य बैंकों ने भी यह सुविधा भी शुरू कर दी है।
20 प्रतिशत लोग ही कर रहे एटीएम का उपयोग
योजना के तहत खुले खाते में एटीएम की सुविधा भी दी गई है लेकिन लोग इसका उपयोग नहीं कर रहे। बैंकों से मिली जानकारी के अनुसार सिर्फ 20 प्रतिशत लोग ही एटीएम का उपयोग कर रहे हैं, 80 प्रतिशत बैंकों के बाहर कतार लगाकर रुपए निकाल रहे। बैंकों के नंबर का भी उपयोग भी नहीं कर पा रहे। इसका कारण अधिकतर महिलाओं के खाते मोबाइल से लिंक नहीं हैं या उन्हें मोबाइल चलाना नहीं आता।
मुनईकेरा पंचायत के आश्रित ग्राम दिनकरपुर में शुक्रवार को शाम के समय कुछ लोग एक अजीब प्रकार की मछली को बेचने आए थे। गांववासियों ने इस प्रकार की मछली कभी नहीं देखी थी इसलिए कोई खरीदार नहीं मिला। मछली बेचने वालों ने गांव वालों को बहुत ठगने की कोशिश की लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला। आखिर में एक व्यक्ति ने कम कीमत की लालच में खरीद लिया। थोड़ी देर बाद गांव का वही व्यक्ति मछली साफ कर काटने लगा तो मछली से बदबू आने लगी। उसने बिना किसी को बताए सड़ी मछली को अपने बाड़ी में फेंक दिया।
तब तक बेचने वाले आगे जा चुके थे, आगे भी कोई खरीदार नहीं मिलते देख वे लोग मछली को गांव के नाले में फेंककर भाग गए। दूसरे दिन शनिवार को गांव के नाले के पास से बदबू आने लगी। तीसरे दिन रविवार को सुबह गांव वालों ने नाले के आसपास देखा तो बंधी बोरी से सड़ा हुआ गंदा बदबूदार तरल बह रहा था। लेकिन बोरी में क्या बंधा है समझ नहीं आ रहा था। ग्रामवासियों ने तुरंत सरपंच को व दुगली थाने में सूचना दी। रविवार सुबह सरपंच और थाने के स्टाफ की मौजूदगी में बदबूदार बोरी को खोली गई। बोरी में 25-30 बड़ी दुर्गंध युक्त सड़ी मछली मिलीं। तत्काल सड़ी मछली को गड्ढा खुदवा कर मिट्टी से दबाया गया।
लॉकडाउन 3.0 में आज से जिलेभर में सभी दुकानें फिर से शुरू हो जाएंगी। मेडिकल को छोड़कर अन्य दुकानों के लिए कैटेगरी वाइज अलग-अलग दिन तय किया गया है। यह दुकानें इस सप्ताह दो दिन सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक खुलेंगी। अगले सप्ताह से इन दुकानों को तीन दिन का समय दिया जाएगा।
मेडिकल स्टोर्स पहले की तरह सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खोली जा सकेंगी। व्यापारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि दुकान के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना होगा, सैनिटाइजर और हाथ धोने की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही मास्क पहनकर आने वालों को ही सामग्री देनी होगी।
महासमुंद जिले में अब तक कोरोना के एक भी केस नहीं है। ऐसे में हमारा जिला ग्रीन जोन में है। इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशानुसार यहां व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को खोलने की अनुमति दी गई है। इस संबंध में सोमवार को कलेक्टोरेट सभाकक्ष में चेंबर ऑफ कॉमर्स के साथ ही व्यापारियों की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में कलेक्टर सुनील कुमार जैन, एसपी प्रफुल्ल ठाकुर, विधायक विनोद चंद्राकर, अपर कलेक्टर शरीफ मो. खान, एएसपी मेघा टेंभुरकर, एसडीएम सुनील कुमार चंद्रवंशी, पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्राकर, चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शंभू साहू सहित व्यापारी संघ के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
उमड़ी व्यापारियों की भीड़, वापस भेजना पड़ा
दोपहर 12 बजे मीटिंग की सूचना पर शहर के सभी व्यापारी बड़ी संख्या में कलेक्टोरेट पहुंच गए थे। भीड़ देखकर वापस अपने चेंबर में लौट गए। एसडीएम सुनील कुमार जैन से व्यापारियों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने कहा। कुछ व्यापारियों को बाहर भेज दिया गया। आखिरकार दोपहर 1 बजे मीटिंग शुरू हुई।
शराब के लिए नियम नहीं, हमारे लिए कई क्लॉज
चेंबर अध्यक्ष शंभू साहू ने बताया कि सभाकक्ष में मीटिंग शुरू होते ही व्यापारियों ने शराब दुकान खोले जाने पर नाराजगी जताई। व्यापारियों ने कहा कि शराब दुकान में न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है और न ही हाथ धुलाया जा रहा है। उनके लिए कोई नियम नहीं है। व्यापारियों के दुकान खोलने पर कई तरह के क्लॉज लगा दिए जाते हैं।
कौन सी दुकानें कब खुलेंगी टाइमिंग : सुबह 9 से दोपहर 2 तक
छड़, सीमेंट की दुकानें रविवार, गुरुवार, होम डिलीवरी (शेष दिन), इलेक्ट्रॉनिक्स, फ्लैक्स मंगलवार, शनिवार, होम डिलीवरी (शेष दिन), स्टेशनरी, किताबें रविवार, गुरुवार, सराफा, कपड़ा, बर्तन सोमवार, बुधवार, वेल्डिंग, वर्कशाॅप, लेथ, फोटोकाॅपियर, फोटो स्टूडियो, पैकिंग सामग्री की दुकानें सोमवार, बुधवार, ऑटोमोबाइल, आॅटोपार्ट्स, साइकिल रिपेयरिंग रविवार, गुरुवार, हार्डवेयर, मोबाइल, फर्नीचर, पूजा सामाग्री मंगलवार, शनिवार, फैंसी स्टोर्स, चश्मा दुकान, जनरल स्टोर्स रविवार, गुरुवार, होटल-रेस्टोरेंट रविवार, गुरुवार( केवल पैक्ड फूड की डिलीवरी), दवा दुकानें रोजाना ( सुबह 9 से शाम 5 बजे तक)।
17 मई तक बढ़ाई गई धारा-144
कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी सुनील कुमार जैन ने धारा-144 की सीमा 17 मई तक बढ़ा दी है। इस संबंध में रविवार की देर रात आदेश जारी किया गया। जारी आदेश के अनुसार शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक अनावश्यक भ्रमण और मूवमेंट पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शादी की घड़ी आ गई है, लेकिन प्रशासन से परमिशन नहीं मिल पाया है, अगर परमिशन नहीं मिला तो क्या होगा? इस चिंता में सोमवार को बड़ी संख्या में लोग शादी की अनुमति के लिए सुबह से एसडीएम कार्यालय पहुंच गए थे। इंतजार करते शाम हो गई। रोज-रोज आने और भूखे-प्यासे रहते हुए खाली हाथ जाने से पहले ही परेशान लोगों का धैर्य जवाब देने लगा, क्योंकि किसी के घर बारात आने में 24 घंटे भी बाकी नहीं, किसी के घर से बारात निकलनी है।
इसकी जानकारी लोगों ने पूर्व विधायक डॉ विमल चोपड़ा को दी। वे कुछ लोगों के निवेदन पर एसडीएम और कलेक्टर से इस विषय में बात कर चुके थे। उन्होंने एसडीएम से दोबारा बात करने के लिए फोन लगाया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया। इस पर पूर्व विधायक डॉ चोपड़ा एसडीएम कार्यालय पहुंच गए और वहां उनके नहीं मिलने पर जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा से फोन पर बात की। इसके कुछ देर बाद एसडीएम अपने कार्यालय पहुंचे। पूर्व विधायक ने उनसे चर्चा की। इसके बाद जितने भी आवेदन पेंडिंग थे, उन पर निर्धारित शर्तों के साथ शादी की अनुमति जारी की गई।
किसी की बेटी की शादी, किसी के बेटे की सब काम छोड़कर पहले परमिशन की चिंता
मोरधा से आए दामजी साहू ने बताया कि उसकी बेटी की शादी है। 6 मई को बारात आने वाली है। ग्राम सिंघी के गोपीराम साहू ने बताया कि 6 मई तो भतीजे की बारात जाएगी। ग्राम मुर्की के टीकम नारंग ने बताया 6 मई को बहन की बारात आने वाली है। छिलपावन के नरसिंग पटेल ने बताया 5 मई को बारात आने वाली है, भतीजी की शादी है। खड़सा के बिसन नेताम स्वयं की शादी के लिए परमिशन लेने पहुंचे थे, उन्होंने बताया 6 मई को शादी है। भलेसर के संतोष सिन्हा के घर 6 मई को बारात आएगी। बम्हनी के नारायण साहू ने बताया कि 5 मई को बेटे की बारात जाएगी और 6 मई को बेटी का पाणिग्रहण होगा। सिंघरूपाली के अंजोर सिंह निषाद और सोरम के मन्नू यादव के घर से 6 मई को बारात निकलनी है। इन लोगों ने बताया वे परमिशन के लिए कई दिनों से आ रहे। शनिवार को दिनभर बैठे रहे। सोमवार को पूरा दिन लग गया।
अनुमति के लिए 9174495587 पर वाट्सएप से भेजें ये जानकारी
50 से अधिक आवेदन थे पेंडिंग : शादियों के तमाम मुहूर्त लॉकडाउन की कड़ी बंदिशों के बीच निकल गए, अब 5 और 6 मई को मुहुर्त है। इन मुहूर्तों पर बड़ी संख्या में शादियां तय हो चुकी हैं, लेकिन शादी के लिए प्रशासन की अनुमति जरूरी है। एसडीएम कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को ही करीब 11 आवेदन आए, इसके पहले करीब 40 आवेदन आ चुके थे।
सोमवार को शहर में उस वक्त हड़कंप मच गया जब 23 हाथियाें के दल को कलेक्टोरेट परिसर से महज 500 मीटर दूर घूमते हुए देखा गया। हालांकि इस वक्त तक वन विभाग की टीम को हाथियों की लोकेशन मिल गई थी और पूरी टीम मौके पर पहुंच गई थी। इसके बाद हाथियों को खदेड़ा गया। हाथियों का पूरा दल शहर से निकलकर पतेरापाली बांध पहुंचा और शाम तक यहीं मौजूद रहा। यह दूसरा मौका है जब शहर में हाथियों का दल पहुंचा। सालभर पहले मई महीने में ही दो दंतैल ठीक इसी स्थान पर पहुंचे थे, जहां सोमवार को हाथियों का देखा गया।
रविवार की देर रात हाथियों का दल बम्हनी के सीताफल कछार से निकलकर चिंगरौद के करीब से होते हुए, लाफिन कला और खुर्द के बीच होते हुए सुबह करीब 4.30 बजे महासमुंद शहर के करीब पहुंचे। इसी दौरान एमई-4 चंदा हाथी का लेटेस्ट लाेकेशन वन विभाग को मिला, जो कलेक्टोरेट परिसर के ठीक पास था। यह देख विभागीय अफसरों के होश उड़ गए। टीम को अलर्ट किया गया। जिले के सबसे प्रशिक्षित हाथी मित्र दल के सदस्यों ने हाथियों को आगे खदेड़ा गया।
दल के आगे और पीछे दंतैल, 1 वृद्धा घायल
हाथियों के दल के आगे और पीछे दंतैल चल रहे थे। बीच में शेष हाथी और बच्चे शामिल थे। इसी बीच हाथियाें का दल पिटियाझर के पास पहुंचा था। वहीं पर सुभाष नगर निवासी कुमारी बाई खेत में काम रही थी। हाथियों को देख वो संभल पाती, उसके पहले ही दंतैल ने उसे सूंड से धक्का देकर उसे घायल कर दिया। कोतवाली प्रभारी राकेश खुंटेश्वर और उनकी टीम ने उसे जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी हालत सामान्य है।
14 मई 2019 को आए थे राम-बलराम
14 मई 2019 की सुबह भी कलेक्टोरेट परिसर से 300 मीटर की दूरी पर खेत में दो दंतैल को देखा गया था। ये दोनों दंतैल (राम-बलराम) ओडिशा से गरियाबंद जिले के लचकेरा होते हुए महासमुंद शहर पहुंच गए थे। सुबह 4 बजे लोगों ने हाथियों के चिंघाड़ने की आवास सुनी और इसकी सूचना वन विभाग को दी। मौके पर पहुंची टीम ने दिनभर हाथियों को खदेड़ने का प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे। देर रात दोनों दंतैल जिस रास्ते से आए थे, उसी रास्ते चले गए थे। ये दोनों दंतैल धमतरी, कांकेर होते हुए राजनांदगांव तक पहुंचे थे।
उज्जवला गैस कनेक्शनधारियों को अप्रैल, मई व जून महीने तक गैस रिफिलिंग का नि:शुल्क लाभ लेना है तो उन्हें उसके खाते में केंद्र सरकार द्वारा जमा किए गए रुपए से गैस भराना ही होगा। जिन कनेक्शनधारियों ने अभी तक अप्रैल में रिफिलिंग नहीं कराया है, उनके लिए एक सप्ताह का और समय है। वह 10 मई तक अप्रैल में आए रुपए को निकालकर रिफिलिंग करा सकते हैं। इसके बाद उन्हें मई और जून की रिफिलिंग राशि मिलेगी। अभी भी जिले में 90 हजार उज्जवला के कनेक्शनधारी रिफिलिंग नहीं कराए हैं, जबकि उनके खाते में राशि है। 50 प्रतिशत लोगों ने ही इस योजना का लाभ उठाया है।
इंडियन ऑयल के एरिया मैनेज सुनील कुमार का कहना है कि बुकिंग जारी है। लोग धीरे-धीरे करा रहे हैं। 50 प्रतिशत रिफिलिंग हो चुकी है। अभी उनके लिए समय है। वे एक सप्ताह के भीतर रिफिलिंग करा लेते है, तो उन्हें आगे योजना का लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने अप्रैल में रिफिलिंग कराई है, उनके खातों में कुछ दिन बाद फिर मई महीने की राशि जमा होगी। जिले में उज्जवला गैस कनेक्शन के एक लाख 76386 कनेक्शनधारी हैं। योजना की शुरुआत के पूर्व केवल 5 से 10 प्रतिशत रिफिलिंग होती है। सिलेंडर के दाम बढ़ते ही उज्जवला कनेक्शनधारियों का मोह गैस सिलेंडर से भंग हो गया है। मंहगाई के बाद से उन्होंने रिफिलिंग कराना छोड़ दिया था।
महिलाओं के खातों में जमा हुए 21 करोड़ रुपए
जनधन योजना के तहत केंद्र सरकार ने फेज-2 में जिले के महिला हितग्राहियों के खाते में 21 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिया है। मंगलवार से इसका वितरण शुरू होगा। इसके लिए सभी बैंकरों ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली है। लॉकडाउन के मद्देनजर केंद्रीय वित्त मंत्री के निर्देश के बाद मई में दूसरे फेज के तहत हितग्राहियों के खाते में जमा हो गई है। लीड बैंक अधिकारी ने बताया कि गरीब कल्याण योजना के तहत केंद्र सरकार से 500 रुपए सीधे खाते में जमा कर रही है।
नगर में साफ-सफाई, जल प्रदाय, बिजली आदि की व्यवस्था और सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए नगर पालिका प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन पालिका अपनी राजस्व अाय के लिए करों की वसूली में बहुत पीछे चल रही है। चुनावी वातावरण के कारण साल 2019 के आखिरी और साल 2020 के शुरुआती महीनों में राजस्व वसूली में शिथिलता रही, इसके बाद इस कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन की विषम परिस्थिति के चलते कर वसूली स्थगित है। इसके चलते 237.70 लाख की कर वसूली नहीं हो पाई है।
वित्तीय वर्ष 2019-20 समाप्त हो चुका है। केवल इसी एक साल का पालिका को 290.35 लाख रुपए करों के रूप में वसूलने थे, जिसका 63.22 प्रतिशत यानी 183.57 लाख रुपए की ही वसूली हो पाई है। वहीं इस वित्तीय वर्ष के पूर्व का 177.55 लाख रुपए बकाया वसूलना था, जिसका मात्र 26.26 प्रतिशत यानी 46.63 लाख की ही वसूली हो पाई है। यदि दोनों को जोड़कर देखा जाए तो पालिका को कुल 467.90 लाख रुपए करों के रूप में वसूल करने थे, जिसमें मात्र 230.20 लाख रुपए यानी 49.20 प्रतिशत ही वसूल किया जा सका है। कर वसूली के लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी हासिल नहीं हो पाया है। साथ पिछले कई महीनों से पालिका की राजस्व आय प्रभावित है। ऐसे में पालिका की आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्राकर का कहना है कि पालिका की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सभी जरूरी कार्य के लिए सामान की खरीदी भी क्रेडिट में की जा रही है। चूंकि आम जनता के लिए भी हालात अभी कठिन हैं, शासन ने नगरीय निकायों में संपत्ति कर अदा करने की अंतिम तिथि 15 मई तक बढ़ा दी है। पालिका को वित्तीय वर्ष 2019-20 का 70.89 लाख संपत्ति कर वसूलना है। वहीं 57.11 लाख रुपए संपत्ति कर का पूर्व बकाया है। दोनों को मिलाकर पालिका को संपत्ति कर की मांग 128 लाख रुपए है। जबकि वसूली 40.62 प्रतिशत ही हो पाई है।
सबसे ज्यादा जल शुल्क की राशि बकाया
नगर पालिका को संपत्ति कर, समेकित कर, जल शुल्क, दुकानों के किराए व अन्य मदों से आय होती है। इसमें सबसे ज्यादा आय जल शुल्क से होती है और सबसे ज्यादा बकाया भी जल शुल्क का ही है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 110.50 लाख रुपए जल शुल्क होता है, वहीं पहले का 70.11 लाख रुपए का जल शुल्क बकाया है। यानी 180.61 लाख रुपए जल शुल्क की कुल मांग है। वसूली की स्थिति देखें तो सबसे ज्यादा जल शुल्क वसूल किया गया है, फिर भी चालू वर्ष की मांग की 50.48 प्रतिशत ही वसूली हुई है।
महासमुंद जिला के ग्रीन जोन में आने से लॉकडाउन में जो छूट मिली है, उसका उसका लोग गलत फायदा उठाते नजर आ रहे हैं। आने वाले अनजान खतरे से बेखबर यह लोग अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं।
कोमाखान में किराना सामान से लेकर फल, सब्जी भाजी आदि की दुकानें यहां पर लगी रहती हैं जिसके चलते लोगों का गुजर-बसर कोमाखान के ऊपर बहुत कुछ हद तक निर्भर करता है। महासमुंद ग्रीन जोन में है, इसलिए जिले में थोड़ी सी राहत प्रदान कर दी गई है। इसके चलते लोग बिना मास्क के घूमते देखे जा रहे हैं।
थाना प्रभारी शरद ताम्रकार ने कहा कि अभी हमारे पास कोई गाइडलाइन तो नहीं आई है। दूसरे जगह पर रेडक्रास के द्वारा बिना मास्क घूमने वालों से 100 का जुर्माना वसूल किया जा रहा है। हमारे पास कोई गाइडलाइन आएगी तभी कार्रवाई की जाएगी। सबसे ज्यादा भीड़ जिला कृषि सहकारी समिति की बैंक में देखने को मिला, जहां पर सैकड़ों की भी तादाद में कृषक गण मौजूद थे। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा था।
बागबाहरा में दूसरे राज्यों से आए लोगों को गांव से बाहर आइसोलेट किया जा रहा है। वहीं बागबाहरा शहर क्षेत्र में भी इस प्रकार की तीन भवनों को आइसोलेशन के लिए चिह्नांकित किया गया है। इसमें जैन धर्मशाला एवं टाउन हॉल एवं शासकीय भवन को शामिल किया गया है।
इसी तरह सभी गांवों में वहां के शासकीय स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र या सामुदायिक केंद्र को चिन्हित किया गया है। अब तक पूरे विकासखंड में 175 लोगों को इन आइसोलेशन सेंटर में रुकवाया जा चुका है, उनमें से 45 लोगों को आइसोलेशन अवधि समाप्ति के बाद उन्हें उनके घरों की ओर जाने के लिए छूट दी जा चुकी है।
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बागबाहरा भागवत प्रसाद जायसवाल ने बताया कि बागबाहरा अनुविभाग के अंतर्गत सभी गांव में बस्ती से दूर एक शासकीय भवन को आइसोलेशन सेंटर के रूप में चिन्हित किया गया है। इनमें 239 आइसोलेशन सेंटर गांव में तथा तीन नगर में बनाए गए हैं। लॉकडाउन के दौरान बाहर से आने वाले सभी नागरिकों को सर्वप्रथम मेडिकल चेकअप के बाद इन भवनों में क्वारेंटाइन पर रखा जा रहा है। इसके लिए ग्राम स्तर पर सरपंच सचिव आंगनबाड़ी मितानिन और कोटवार उन्हें इन कार्यों के लिए सहमत करते हैं।
उन्होंने बताया कि उनकी असहमति की स्थिति में उन्हें वहां रहने के लिए समझाइश दी जाती है या फिर तहसील के कंट्रोल रूम में सूचना दी जाती है। सूचना उपरांत अनुविभाग एवं पुलिस की टीम सहित वहां जाकर उन लोगों को आइसोलेट भवनों में रहने के लिए निर्देशित किया जाता है अन्यथा संक्रमण संबंधी सरकारी नियमों के उल्लंघन होने पर एफआईआर दर्ज करने की नोटिस दी जाती है।