कोयला परिवहन के काम मे लगे दो और वाहनों को मंगलवार की देर शाम सरईसिंगार चेकपोस्ट पर विशेष टास्क फोर्स की टीम ने पकड़ा और दोनों वाहन को जब्त कर लिया गया।
कोयला लोडिंग के लिए चलने वाले ट्रकों में भरकर मजदूरों को लाने का सिलसिला इसके बाद भी थमा नहीं है। बुधवार को फिर अलग-अलग ट्रकों से करीब 135 प्रवासी मजदूर दीपका क्षेत्र पहुंच गए। ये सभी मजदूर तेलंगाना से झारखंड जाने के लिए निकले हैं। प्रशासन उनको उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था में लगा है। मजदूरों के लगातार आवाजाही को देखते हुए खदान क्षेत्र व आसपास के मुख्य मार्गों पर प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है। जिसके चलते विशेष टास्क फोर्स ने मंगलवार की देर शाम सरईसिंगार चेकपोस्ट के दौरान वाहन क्रमांक सीजी-13-एलए 4766 और ओडी 23 एफ 0425 से मजदूरों को अवैध रूप से हाइवा में भरकर लाया जा रहा था। दोनों वाहनों में 40 मज़दूर सवार थे। जिनमें 38 झारखंड, 1 ओडिशा और एक एमपी का मजदूर शामिल था। देर शाम इन मजदूरों के पकड़ में आने के बाद उनको झगरहा आईटी कालेज भेजा गया। जहां से उनको झारखंड के लिए रवाना कर दिया गया है।
बाहर से आए मजदूरों को किया जाएगा क्वारेंटाइन
अपने घर जाने की कोशिश में कोरबा तक पहुंच गए दूसरे राज्यों के मजदूरों को प्रशासन सावधानी के साथ उनके घरों के लिए रवाना करने के काम में जुटा है। वहीं ऐसे मजदूर जो जिले के हैं, और दूसरे राज्य व जिले से कोरबा पहुंच रहे हैं। उनको 14 दिनों तक क्वारेंटाइन में अलग से रहना होगा। इसके लिए भी प्रशासन की ओर से अपनी तैयारी की गई है। प्रशासन की ओर से जिले में अलग-अलग स्थानों पर क्वारेंटाइन सेंटर बनाए हैं, जिनमें रुकने के इंतजाम किए हैं।
पुलिस और स्वयंसेवियों ने मजदूरों को खिलाया खाना
बुधवार को रामागुंडम तेलंगाना से झारखंड जाने के लिए अलग-अलग ट्रकों से करीब 135 मजदूर दीपका पहुंचे थे। सीएसपी खोमन लाल सिन्हा के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी अविनाश सिंह ने पहले भूखे मजदूरों को खाने का सामान दिया। वही कुछ समाजसेवी विशाल अग्रवाल, कुश राठौर ने भी मजदूरों को फल, ड्राई फ्रूट व अन्य सामान दिए।
लॉकडाउन-3 में दुकान खोलने व सामान लेने की छूट के बाद कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए प्रशासन कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराने में जुटा है।
शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को सामान खरीदी व अन्य कार्य के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग रखने के साथ ही मास्क या अन्य कपड़े से अच्छी तरह से अपना मुंह ढकना होगा। बाजार में दुकानदारों के साथ ही ग्राहक के लिए मुंह ढकना और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य कर दिया गया है। कलेक्टर किरण कौशल ने रोजमर्रा की चीजों की खरीदी-बिक्री के दौरान सभी लोगों से कोरोना की रोकथाम के लिए जारी दिशा निर्देशों का पूर्णतः पालन करने की अपील की है। खरीदी-बिक्री के दौरान दुकानदार द्वारा मुंह नहीं ढकने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जाएगा तो संबंधित का दुकान बंद करा दिया जाएगा। वहीं ग्राहक को भी राशन-सब्जी देने पर प्रतिबंध रहेगा।
17 मई तक धारा 144लागू, प्रशासन सतर्क
कलेक्टर किरण कौशल ने बताया कि जिले में 17 मई तक धारा 144 लागू है। कोरोना की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से सजग और सतर्क है। बड़ी संख्या में एक स्थान पर लोगों के एकत्रित होने या भीड़-भाड़ की संभावना वाले सभी क्रिया कलापों पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगाया है। किसी भी स्थिति में अति आवश्यक सामान समेत अन्य दुकानों पर भीड़-भाड़ नहीं होने देने व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने का निर्देश दुकानदारों को दिया गया है।
राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने उरगा से धरमजयगढ़, व खरसिया-धरमजययगढ़-घरघोड़ा से डौगामोहा रेल लाइन के लिए भूमि आवंटन प्रस्ताव को दी स्वीकृति।
प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित राजस्व विभाग की अंतर विभागीय समिति की बैठक में विशेष रेल परियोजना खरसिया से धरमजयगढ़, घरघोड़ा से डोंगामौहा के लाइन सहित 104 किलोमीटर, बरौद फीडर रेल लाइन, साईडिंग के लिए शासकीय भूमि हस्तांतरण व विशेष रेल परियोजना के लिए पूर्व रेल कॉरिडोर उरगा से धरमजयगढ़ तक नई रेल लाइन बिछाने के लिए शासकीय भूमि के आबंटन का प्रस्ताव पारित किया है। राजस्व मंत्री ने कहा कि लंबे समय से प्रस्तावित इस रेल्वे परियोजना को अंतर विभागीय समिति की बैठक मे स्वीकृति करवाया गया। इस नई रेल परियोजना से जनता को लाभ मिलेगा। विकास कार्यों में तेजी आएगी। यातायात उपलब्धता से क्षेत्र मे रोजगार व उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। बैठक में राजस्व सचिव रीता सांडिल्य, पंजीयक वाणिज्यिक कर पी संगीता, अपर सचिव वित्त सतीश पाण्डेय उपस्थित थे।
एसईसीएल के कुसमुंडा कोयला खदान में बाहरी सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ नियोजित है। जिसके एएसआई मनहरण प्रसाद शर्मा की मंगलवार सुबह 7 बजे से बुधवार की सुबह 7 बजे तक की ड्यूटी खदान एरिया में लगी थी।
देर रात लगभग 2.30 बजे ड्यूटी के दौरान एएसआई शर्मा को वर्कशाप नंबर 1 के पास 2-3 संदिग्ध लोग दिखे। जिसकी सूचना क्यूआरटी को दी गई। वहीं सामंता बेल्ट के पास ड्यूटी कर रहे दो प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड को बुलाया। वर्कशाप नंबर 1 कि ओर जा रहे उनमें से एक व्यक्ति को रोककर पूछताछ करने की कोशिश की इतने में दो अन्य दौड़कर वहां पहुंचे। उन्होंने लाठी व लोहे का रॉड रखा था। जिससे एएसआई शर्मा पर हमला कर दिया। घटना देखकर दोनों सिक्योरिटी गार्ड वहां से भाग गए। इस बीच क्यूआरटी का वाहन वहां पहुंचा। जिसे देखकर हमला करने वाले तीनों लोग बाइक में वहां से भाग गए। गंभीर रूप से घायल एएसआई को एनसीएच गेवरा दाखिल कराया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अपोलो हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। घटना की सूचना पर कुसमुंडा पुलिस ने मामले में आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है। घटना के बीच डीजल-कबाड़ चोरों का हाथ माना जा रहा है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
नागपुर से झारखंड लौट रहे प्रवासी मजदूर की सिम्स में मौत हो गई। बीमार हाेने के कारण उसे यहां 7 अन्य मजदूरों के साथ भर्ती कराया गया था। कोरोना पॉजिटिव के संदेह पर शव को अस्पताल के मरच्युरी में रखा गया था। रिपोर्ट निगेटिव अाई तो बुधवार को संस्था पहल ने सरकंडा के मुक्तिधाम में उसका अंतिम संस्कार किया। सिम्स प्रबंधन ने मजदूर की मौत का कारण हार्ट फेलियर बताया है। बीमारी से मौत होने के कारण शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। 3 मई को नागपुर से झारखंड लौट रहे 8 मजदूरों की रास्ते में तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें 108 के माध्यम से सिम्स लाया गया था। सभी को यहां इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। इनमें से झारखंड के जिला सराई केला निवासी रवि मुंडा 40 वर्ष की हालत गंभीर थी। उसे सर्दी,खांसी व बुखार भी था। कोरोना पाॅजिटिव लक्षण होने के कारण उसे अलग से कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया था। उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और 4 मई की सुबह उसकी मौत हो गई। सिम्स की कोरोना प्रभारी व पीआरओ डॉक्टर आरती पांडेय के अनुसार चूंकि मजदूर में कोरोना के लक्षण पाए गए थे इसलिए उसके अलावा बाकी अन्य 7 मजदूरों का सैंपल जांच के लिए रायपुर भेजा गया था। रिपोर्ट नहीं आई थी इसलिए मजदूर रवि मुंडा का का शव एहतियात के तौर पर मरच्युरी में रखवाकर उसके परिजनों को सूचना दे दी गई थी। डॉ. आरती पांडेय के अनुसार उन्हें यह समझा दिया गया था कि यदि रिपोर्ट पाॅजिटिव आई तो शव अंतिम संस्कार के लिए नहीं मिलेगा। उनसे यह भी पूछा गया था कि यदि निगेटिव रिपोर्ट मिली तो शव का क्या करेंगे। सिम्स प्रबंधन की ओर से उन्हें बिलासपुर में ही अंतिम संस्कार करने का विकल्प भी बताया था। उन्होंने शव ले जाने में असमर्थता जताई थी और सिम्स को उसका अंतिम संस्कार करने की सहमति भी प्रदान की थी। आरती पांडेय के अनुसार रवि मुंडा के भाई से उनकी बातचीत हुई। मंगलवार को रवि मुंडा सहित अन्य 7 की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद सिम्स प्रबंधन ने संस्था पहल को बुलाकर मजदूर के शव को अंतिम संस्कार करने के लिए दिया और बाकी मजदूरों को सिम्स प्रबंधन की ओर से गाड़ी की व्यवस्था कर उनके घर भेजा गया। पहल ने रवि मुंडा का सरकंडा मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया। डॉ. आरती पांडेय ने मजदूर की मौत का कारण हार्ट फेलियर बताया।
व्यवस्था पर सवाल: पहली बार सिम्स ने पुलिस को नहीं दी सूचना
सिम्स में किसी भी मौत होती है और यदि उसके परिजन साथ में नहीं होते थे प्रबंधन सिम्स चौकी को जानकारी देता है और फिर पुलिस परिजनों से संपर्क करती है। पहली बार ऐसा हुआ है कि सिम्स प्रबंधन ने मरने वालों की सूचना खुद ही उनके परिजनों को दी। पुलिस को इस बात की अधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी है। मीडिया से चर्चा में सिम्स पीआरओ डॉ. आरती पांडेय ने कहा है कि उन्होंने खुद ही फोन कर मजदूर के भाई को रवि की मरने की सूचना दी। यह अव्यवहारिक है। सूचना ही देना होता तो इसके लिए डीन या अधीक्षक अधिकृत होता है।
साधारण मौत परप्रेस कांफ्रेंस
सिम्स में किसी के साधारण मौत पर मीडिया को बुलाकर पहली बार प्रेस कांफ्रेंस की गई। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। जबकि सिम्स में इलाज के दौरान आए दिन लोगों की मौत होती है। ऐसी क्या नौबत आ गई थी कि मीडिया को बुलाना पड़ गया। जिस दिन मजदूर की मौत हुई उस दिन किसी को जानकारी नहीं दी गई।
माहभर पहले ही गया था महाराष्ट्र कमाने-खाने
रवि मुंडा अपने मजदूर साथियों के साथ एक माह यानि मार्च में ही नागपुर गया था। लाॅकडाउन के बाद जैसे तैसे वहां से लौट रहा था। सरगांव के पास उसकी और उसके अन्य 7 साथियों की तबीयत बिगड़ गई। एंबुलेंस से उन्हें सिम्स लाया गया। रवि के गले में खराश थी और सर्दी, खांसी भी था। उसे स्पेशल कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया था।
साथियों को गाड़ी से भेजा, शव को नहीं
सिम्स प्रबंधन का कहना है कि मरने वाले के बाकी 7 साथियों को स्पेशल गाड़ी से उनके घर भेजा। चाहते तो मजदूर के शव को भी उसी में भेज सकते थे जबकि सभी एक ही गांव के हैं और मरने वाले के परिजन उसका अंतिम दर्शन कर पाते।
सुनील शर्मा | 25 मार्च से रेत घाट पूरी तरह बंद थे लेकिन अब खुले तो सीधे चोरी शुरू हो गई है। 42 दिनों से काम बंद कर बैठे रेत माफिया उन घाटों से रेत निकाल रहे हैं जहां का अनुमति ही खनिज विभाग ने नहीं दी है। अरपा नदी के लोखंडी, तुरकाडीह और मंगला घाट में अब ट्रैक्टर और हाइवा का आना शुरू हो चुका है। नदी में रेत निकालने के लिए जानबूझकर बनाए गए एप्रोच रोड का इस्तेमाल रेत चोरी के लिए किया जा रहा है। बुधवार की सुबह दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने घाटों का जायजा लिया तो कई ट्रैक्टर रेत की ढुलाई करते दिखे। हाइवा भी रेत घाटों में रेत ढोते नजर आए। एक पोकलेन संचालक, ट्रैक्टर ड्राइवर और मजदूरों से चर्चा करने वे बहाने बनाते रहे। गुमराह करने की कोशिश भी करते रहे। मंगला घाट में जिसे ठेका मिला है, न तो वह वहां मौजूद था और न उसका कर्मचारी। अवैध रूप से उत्खनन होता दिखा। यानी बगैर रायल्टी के ही रेत निकालकर ले जा रहा था। हालांकि रायल्टी चोरी कोई नई बात नहीं है। दरअसल राज्य शासन ने रेत की कीमत कम करने और रायल्टी वसूली की व्यवस्था बनाने के मकसद से पंचायतों से रेत घाटों के संचालन का अधिकार छीनकर निजी हाथों में सौंप दिया। बिलासपुर जिले में मंगला, घुटकू, सेंदरी, लच्छनपुर सहित 19 घाटों को दो किश्तों में नीलाम किया गया। पर अधिकांश रेत घाटों में सिंडीकेट काम करने लगे। इसमें नेताओं के साथ ही शराब कारोबारी, जमीन का धंधा करने वाले लोग जुड़े रेत की कीमत प्रति ट्रैक्टर 900 से 1000 रुपए थी वो बढ़कर 1400-1500 रुपए हो गई। लॉकडाउन में ढील मिली तो एक बार फिर रेत की चोरी शुरू हो गई है।
जब पोकलेन ड्राइवर ने लोखंडी को बताया मंगला घाट
दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने लोखंडी घाट में पोकलेन ड्राइवर से पूछा कि वह कैसे रेत ढुलाई के लिए बनाए गए एप्रोच रोड को खोद रहा है तो उसने कहा कि यह रोड उसने ही बनाई थी, इसलिए खोद दिया। जब कहा गया कि यह तो लोखंडी घाट है जिसकी अनुमति नहीं है, तब उसने कहा-नहीं यह तो मंगला घाट है, बबलू जोशी का ठेका है और भूपेंद्र सिंह इसे चलवाता है। फिर और पूछने पर कहने लगा जाने दो न,बड़े लोगों की बात वे लोग जाने।
ड्राइवरों ने कहा-सब ले जा रहे तो हम भी ले जा रहे
तुरकाडीह और लोखंडी घाट पर रेत लेने आए ट्रैक्टर ड्राइवरों से जब पूछा गया कि तो उन्होंने लापरवाहीपूर्वक जवाब दिया कि सब यहां से ले जाते हैं, इसलिए आए हैं। रायल्टी और पिट पास के बारे में पूछने पर कि वे यह सब नहीं जानते। खोदकर ले जाते हैं। कार्रवाई से डर नहीं लगता पूछने पर कहने लगे कि कई बार गाड़ी पकड़ी जा चुकी है, फिर छूट भी जाती है।
नए शिक्षा सत्र 2020-21 की शुरुआत के साथ ही बिलासपुर में तीन सहित पूरे प्रदेश में 40 शासकीय हायर सेकंडरी अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोले जाएंगे। शिक्षा विभाग ने 60 फीसदी तैयारियां पूरी कर ली हैं। 40 फीसदी पर काम चल रहा है। बिलासपुर में खुलने वाले तीन स्कूलों के लिए 18 शिक्षकों का चयन भी हो गया है। बुधवार को जिलेभर से अंग्रेजी मीडियम में स्वयं का अध्ययन करने वाले 83 शिक्षकों को इंटरव्यू के लिए जेडी दफ्तर बुलाया गया था। 46 शिक्षक ही इंटरव्यू देने आए। गणित, हिंदी, अंग्रेजी, कॉमर्स, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और भौतिक सहित सभी विषयों के लिए 18 शिक्षकों का चयन कर लिया गया है। साथ ही तीन प्रिंसिपल भी चयनित हो गए हैं। अब 8 मई को प्राइमरी और मिडिल के बच्चों को पढ़ाने के लिए 32 शिक्षकों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है।
40 स्कूल खोलने पर 30 करोड़ रुपए होंगे खर्च
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग डॉ. आलोक शुक्ला ने कहा कि हमारा पूरा प्रयास है कि नए शिक्षा सत्र में सभी जिलों में हायर सेकंडरी अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोले जाएंगे। अभी तो हमारी पूरी तैयारी है कि 15 जून से हायर सेकंडरी अंग्रेजी स्कूल खोले जाएं लेकिन कोरोना के केस रोज बढ़ रहे हैं, आगे कोरोना की क्या स्थिति बनती कुछ कहा नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि स्कूल खोलने का आदेश तो केंद्र सरकार के हाथ में है, अगर केंद्र सरकार ने कह दिया कि स्कूल नहीं खुलेंगे तो कोई भी स्कूल नहीं खोले जाएंगे, लेकिन इतना जरूर है कि नए शिक्षा सत्र में जब भी स्कूल खुलेंगे। हम नए हायर सेकंडरी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की शुरुआत भी कर देंगे। इसके लिए हमारी पूरी तैयारी हो चुकी है। स्कूलों में रंग-रोगन, साफ-सफाई और जो भी निर्माण कार्य होने हैं उसके लिए दो-तीन दिन में राशि भी जारी करने वाले हैं। उन्होंने बताया कि अभी हमने जो कैलकुलेशन किया है उसमें 30 करोड़ रुपए 40 स्कूलों को खोलने पर खर्च होंगे। हालांकि पैसों की कोई दिक्कत नहीं है। इस बारे में हमारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ बैठक भी हुई है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि स्कूलों को खोलने पर जो भी राशि खर्च होगी उसकी चिंता न करें।
लॉकडाउन का पालन करेंगे लेकिन नए स्कूल खोले जाएंगे
लाला लाजपत राय, तारबहार और मंगला स्कूल को इसके लिए चुना गया है। तीनों स्कूलों में सबसे ज्यादा 236 बच्चे मंगला स्कूल में हैं। जबकि लाला लाजपत राय में 80 और तारबहार में बच्चों की दर्ज संख्या 107 है। इसी कारण इन तीनों स्कूलों का चयन किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार भार्गव का कहना कि नए शिक्षा सत्र 2020-21 की शुरुआत में ही हम स्कूल का शुभारंभ करेंगे। अब हम लॉकडाउन का इंतजार नहीं करेंगे। शासन द्वारा बनाए गए लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए बिलासपुर में तीन अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलेंगे।
राजस्थान के कोटा से बिलासपुर संभाग के 772 स्टूडेंट्स 28 अप्रैल को रायपुर पहुंचे। वहां 7 दिन क्वारेंटाइन रहने के बाद उन्हें मंगलवार की रात अलग-अलग जिलों के लिए रवाना कर दिया गया। रवाना होने से पूर्व सभी स्टूडेंट्स से शपथ-पत्र भरवाया कि वे बाकी 7 दिन हाेम क्वारेंटाइन में रहेंगे। इसके बाद वे निकले और रात 12.30 बजे बिलासपुर के 167 स्टूडेंट्स जैन इंटरनेशनल स्कूल पहुंचे। यहां भी शपथ-पत्र भरवाया गया कि वे 14 दिन के क्वारेंटाइन पीरियड को पूरा करेंगे। इस प्रक्रिया को करते-करते रात 3.30 बज गए। कोटा, सीपत और तिफरा सहित दूर दराज के स्टूडेंट्स को लेने उनके माता-पिता परेशान होते रहे और पूरी रात प्रशासन की प्रक्रिया में चली गई। असल में रायपुर से स्टूडेंट्स को देर से भेजा गया, इसी कारण यहां वे रात 12.30 बजे पहुंचे और पूरी रात परेशान होना पड़ा। जिन पालकों के पास चारपहिया वाहन नहीं है वे अपने बच्चों को लेने बाइक से पहुंचे और ज्यादा सामान देखकर हैरान हो गए। कांग्रेस जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी और प्रमोद नायक ने परेशान हो रहे बच्चों को घर तक पहुंचवाने में मदद की।
अजमेर से लौटने वाले एक परिवार के 6 लोगों को हॉस्टल से होम क्वारेंटाइन कर दिया गया है। वहीं 6 में से सिर्फ 3 लोगों की जांच की गई। जिम्मेदार कह रहे हैं कि इनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है, इसलिए बच्चों की जांच नहीं की गई, यदि एक की भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती तो सभी की जांच की जाती। वहीं सीएमएचओ ने कहा कि अभी इस संबंध में कुछ नहीं बता सकता।
छत्तीसगढ़ सरकार के बाद अब अन्य स्टेट गवर्नमेंट ने भी प्रवासियों को गृह ग्राम भेजने कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत रतनपुर के एक मुस्लिम परिवार को राजस्थान सरकार ने सुरक्षित घर वापस भेजा है। राजस्थान अजमेर जियारत करने गए रतनपुर के एक मुस्लिम परिवार के 6 सदस्यों को राजस्थान से लौटने पर मंगलवार को रतनपुर में बनाए गए अस्थायी क्वारेंटाइन सेंटर प्री-मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में ठहराया गया। बुधवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डाॅ. विजय चंदेल टेक्नीशियन सीताराम पटेल खंड विस्तार प्रशिक्षण अधिकारी नौशाद अहमद और सहायक सूर्यकांत रजक की टीम बालक छात्रावास के अस्थायी क्वारेंटाइन सेंटर पहुंची। यहां राजस्थान से लौटे परिवार के एक पुरुष अाैर दो महिलाओं का सैंपल लेकर रैपिड टेस्ट किया। इनमें तीनों की रिपोर्ट निगेटिव आने से प्रशासन ने राहत की सांस ली। इस दौरान मुख्य नपाधिकारी रतनपुर मधुलिका सिंह अपने स्टाफ के साथ मौजूद रही। बता दें कि रतनपुर के एक करैहापारा निवासी मुस्लिम परिवार को राजस्थान सरकार ने सुरक्षित घर वापस भेजा है। परिवार के 6 सदस्य 16 मार्च को ख्वाजा गरीब नवाब की जियारत करने अजमेर शरीफ गए हुए थे। इनकी 23 मार्च को घर वापसी की टिकिट थी, लेकिन इसी बीच वैश्विक महामारी कोरोना कोविद 19 के चलते लॉकडाउन हो गया और उनका पूरा परिवार अजमेर में ही फंसकर रह गया था।
विभाग से 6 पीपीई किट मांगे गए थे, मिले सिर्फ 3
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रतनपुर सीएचसी द्वारा जिला प्रशासन से 6 पीपीई किट की मांग की गई थी, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें सिर्फ 3 किट ही दिया। साथ ही यह भी कहा कि अभी वे 3 लोगों की सैंपल लेकर रैपिड टेस्ट करके देखें, यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो फिर सभी के लिए पीपी किट भेजकर उनका भी टेस्ट किया जाएगा।
सीमावर्ती क्षेत्रों में जांच के बाद आने की मिली अनुमति
जिला प्रशासन ने रतनपुर के मुस्लिम परिवार के पूरे सदस्यों का पहले स्वास्थ्य परीक्षण कराया, फिर उनके लिए एक गाड़ी की भी व्यवस्था की। इसमंे वह मंगलवार देर रात रतनपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बताया कि रास्ते मे उनके खाने की व्यवस्था की गई थी। वहीं सीमावर्ती क्षेत्रों में उनकी जांच के बाद ही उन्हें गृहग्राम आने की अनुमति मिल सकी। जहां पहुंचकर उन्होंने राहत की सांस ली है।
प्रशासन ने परिवार को मंगलवार रात पहुंचाया रतनपुर
लंबे समय के बाद अजमेर के जिला प्रशासन ने अन्य राज्यों के फंसे पर्यटकों को रेस्क्यू कर उन्हें सकुशल वापस भेजने कठिन प्रक्रिया को आसान करते मंगलवार की रात 9 बजे उन्हें रतनपुर वापस भेजा है। उनके सकुशल लौटने पर बिलासपुर जिला प्रशासन ने उन्हें रतनपुर के क्वारेंटाइन सेंटर में रखकर पूरे परिवार का स्वास्थ्य परीक्षण कराया। इसी परिवार के 3 लोगों का बुधवार को स्वास्थ्य टीम ने सैंपल लेकर रैपिड टेस्ट किया, जिसमें तीनों की रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद उन्हें उनके पूरे परिवार के साथ करैहापारा के उनके निवास में ले जाकर होम क्वारेंटाइन कर दिया।
रेलवे की न्यू लोको कॉलोनी में रहने वाले रेल कर्मचारी भरी गर्मी में पानी को तरस रहे हैं जबकि इस वर्ष पेयजल संकट नहीं है। बावजूद इसके परेशान कर्मचारी अपनी व्यथा किसी से नहीं कह पा रहे। कार्रवाई की डर की वजह से लोग गोपनीय शिकायतें कर रहे हैं।
रेलवे लाइन की दूसरी तरफ रेल कर्मचारियों के लिए न्यू लोको कॉलोनी बनाई गई है। लगभग 500 मकानों वाली इस कॉलोनी में पानी सप्लाई के लिए टंकियां बनी हुई हैं। इन टंकियों के जरिए ही पानी की आपूर्ति की जाती है। इसको भी रेल प्रशासन के वाटर डिपार्टमेंट में अलग-अलग ग्रुपों में बांट रखा है। कहीं सुबह 6:00 बजे से 6:30 बजे तक पानी आता है तो कहीं 7:00 बजे से 7:30 बजे तक पानी सप्लाई की जाती है। यह व्यवस्था 12 महीने की है लेकिन गर्मी आते ही समस्या बढ़ जाती है इसलिए क्योंकि कूलर इत्यादि के लिए भी पानी की आवश्यकता कर्मचारियों को पड़ती है। कुछ दिनों पहले कर्मचारियों ने विभाग को शिकायत में कहा था कि कुछ लोग नल आते ही टुल्लू पंप चालू कर लेते हैं जिससे अन्य रेल कर्मचारियों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है इस वजह से तकलीफ बढ़ रही है। इलेक्ट्रिकल विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पानी चालू होने से लेकर बंद होने तक लगभग 20 मिनट तक बिजली बंद करना शुरू कर दिया। पानी तो अभी भी 20 मिनट ही मिल रहा है लेकिन किसी के लिए यह पर्याप्त है तो किसी काे
पूरा नहीं पड़ रहा है।
बड़े परिवार वालों कोज्यादा तकलीफ
आमतौर पर रेल कर्मचारी के परिवार में चार या पांच ही सदस्य होते हैं लेकिन न्यू लोको कॉलोनी में कुछ कर्मचारियों के परिवार में 8 से 10 सदस्य भी हैं। उन परिवारों को अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह 20 मिनट और शाम को 20 मिनट ही पानी मिल पा रहा है जोकि पर्याप्त नहीं है।
पंप लगाकर कारऔर वाहन धोते हैं
कॉलोनी में रहने वाले कर्मचारियों का आरोप है कि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो नल चालू होते ही टुल्लू पंप चालू कर अपने वाहन धोते हैं। दरवाजों को धोते हैं और बगीचों में पानी डालने लगते हैं, इनकी वजह से सबसे ज्यादा समस्या है।
जरूरत पड़ी तो पानी सप्लाई का समय बढ़ाएंगे
"न्यू लोको कॉलोनी में पानी कम मिलने की जो शिकायत है उसकी जांच कराएंगे कि जितना पानी मिल रहा है उतना पर्याप्त है या नहीं। अगर आवश्यकता पड़ी तो पानी सप्लाई की टाइमिंग बढ़ाई जा सकती है। जहां तक सवाल बिजली बंद करने का है तो वह टुल्लू पंप से पानी खींचे जाने की वजह से किया जा रहा है।"
-पुलकित सिंघल, सीनियर डीसीएम बिलासपुर
कुत्ते को टक्कर मारने के विवाद में कुछ लोगों ने मिलकर कार चालक को ही लूट लिया । 4 मई की रात राजेंद्र नगर निवासी जाकिर अहमद खान कार से बेलमुंडी की ओर जा रहे थे। अमेरी के पास उनकी गाड़ी से एक कुत्ता टकरा गया। इसके बाद कुछ लोगों ने उनकी गाड़ी को रोकने की कोशिश की पर विवाद से बचने के लिए जाकिर रुके नहीं और आगे बढ़ गए। कुछ लोगों ने ग्राम मेंडा के पास एक एंबुलेंस में आए ओवरटेक कर उनकी कार के सामने अड़ा दिया। और एक्सीडेंट करने का आरोप लगाते हुए झगड़ा शुरू कर दिया। उन लोगों ने जाकिर की कार के शीशे भी तोड़ दिए। जाकिर पास के एक कोल डिपो में जाकर छिप गए। इसके बाद उनका रास्ता रोकने वाले एंबुलेंस के चालक और उनके दो साथियों ने मिलकर उनकी कार में तोड़फोड़ करते हुए डिक्की से 30 हजार रुपए, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन कार्ड, बैंक पासबुक, चेक बुक और गाड़ी में लगे ऑडियो सिस्टम के साथ दो मोबाइल लूट ले गए। शिकायत हिर्री थाने में की गई थी। पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही थी। एंबुलेंस के नंबर के आधार पर पुलिस एंबुलेंस चालक तक पहुंच गई। पूछताछ करने पर और भी आरोपियों के नाम के खुलासे हो गए। इस मामले में पुलिस ने ग्राम घुरु में रहने वाले नंदकिशोर कश्यप, अश्वनी कौशिक और दुजराज कौशिक को गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने कोल डिपो के पास लूटपाट की थी। हिर्री पुलिस ने उनके पास से 21 हजार, मोबाइल, आधार कार्ड व अन्य कागजात भी बरामद कर लिए हैं। जाकिर अहमद खान ने सभी आरोपियों को पहचान लिया है, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी कर उन्हें जेल भेज दिया गया।
विभिन्न राज्यों में फंसे जिले के हजारों छत्तीसगढ़िया श्रमिकों के बिलासपुर पहुंचते साथ उनके स्वास्थ्य का परीक्षण कराने के लिए बहतराई स्टेडियम में व्यवस्था की जा रही है। 120 करोड़ की लागत से बने इस स्टेडियम में स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने बेरिकेडिंग कराई जा रही है। श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए नगर निगम स्टाफ को स्वास्थ्य विभाग से समन्वय करने का जिम्मा दिया गया है। बता दें कि पूर्व में विभिन्न राज्यों में जिले के 72 हजार श्रमिकों के फंसे होने की खबर थी। श्रम विभाग ने पंजीयन के आधार पर आज बताया कि 56 हजार श्रमिक बाहर हैं, जिन्हें लाया जाएगा। संख्या इससे अधिक भी हो सकती है, परंतु प्रशासन को फिलहाल इतने ही लोगों को लाने के लिए बस, ट्रेन आदि की व्यवस्था करने कहा गया है।
शहर में 600 लोगों को रखेंगे
डिप्टी कमिश्नर खजांची कुम्हार ने बताया कि निगम के जोन कार्यालयों में 600 लोगों के नाम पते दर्ज कराए गए हैं, जो विभिन्न राज्यों में फंसे हैं। इन्हें वापस लाने के लिए ई पास तथा अन्य व्यवस्था शासन स्तर पर की जा रही है। इनके आने पर 13 सामुदायिक भवनों में 14 दिनों के लिए कोरेंटाइन किया जाएगा। जिन सेंटरों में ठहराने की व्यवस्था की जा रही है, उनमें मिनीमाता सांस्कृतिक भवन सकरी, अधिकारी कर्मचारी निवास कोटा रोड, यदुनंदन नगर सामुदायिक भवन, सिरगिट्टी सामुदायिक भवन, पुत्रीशाला सामुदायिक भवन तिलकनगर, सामुदायिक भवन जरहाभाठा, त्रिवेणी व्यापार विहार, रैन बसेरा व्यापार विहार, मनसुखलाल सोनी सामुदायिक भवन गोंड़पारा, शहीद विनोद चौबे सामुदायिक भवन, गुजराती समाज भवन टिकरापारा, शनि मंदिर सामुदायिक भवन राजकिशोर नगर शामिल है।
28 ट्रेनों से छत्तीसगढ़ आएंगे श्रमिक, इनमें 22 ट्रेनें आएंगी बिलासपुर
परिवहन रिपोर्टर | बिलासपुर
छत्तीसगढ़ राज्य के मजदूरों को अलग-अलग राज्यों और शहरों से लाने के लिए छत्तीसगढ़ ने 28 ट्रेनों की मांग केंद्र सरकार से की है। ट्रेनों के संबंध में अभी कोई लिखित दस्तावेज जोनल हेड क्वार्टर तक नहीं पहुंचा है इसलिए ट्रेनें कब चलेंगी, कब आएंगी, कैसी व्यवस्था होगी, इसकी कोई तैयारी बिलासपुर में नहीं है।
छत्तीसगढ़ राज्य के मजदूर दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, कानपुर, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे, इलाहाबाद, हैदराबाद, विशाखापट्टनम, सूरत, अहमदाबाद, जयपुर एवं पटना सहित अन्य शहरों में फंसे हुए हैं। इनकी संख्या हजारों की तादात में है। इधर इस संबंध में कोई फैसला नहीं हो पाया है कि कहां से कितनी ट्रेनें चलाई जाएंगी। छत्तीसगढ़ राज्य के मजदूरों की सूची भी तैयार हो रही है। उसके मुताबिक ही ट्रेनों के परिचालन की तिथि व स्थान तय हाेंगे। फिलहाल इस संबंध में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोनल मुख्यालय में कोई लिखित सूचना या कागज रेल मंत्रालय या बोर्ड से नहीं आया है। छत्तीसगढ़ राज्य के लिए ट्रेन चलने की सूचना रेलवे अफसरों को अवश्य है लेकिन कोई दस्तावेज नहीं होने से तैयारी भी नहीं की जा रही है कौन सी ट्रेन कहां से होकर गुजरेगीयह भी अभी तय नहीं है।
स्पेशल ट्रेनों से 36 हजार मजदूर आएंगे
मजदूरों के लिए चलाई जा रही स्पेशल ट्रेन में अधिकतम 1200 मजदूरों को भेजा जा रहा है इस हिसाब से अगर 28 ट्रेनें चलती हैं तो 36000 के लगभग मजदूर छत्तीसगढ़ आ सकेंगे।
कहां से कितनी ट्रेनें मांगी गई
जयपुर से रायपुर बिलासपुर 7 ट्रेनें
लखनऊ से रायपुर बिलासपुर तीन ट्रेन
कानपुर से रायपुर बिलासपुर दो ट्रेन
चेन्नई से रायपुर बिलासपुर एक ट्रेन
बेंगलुरु से रायपुर बिलासपुर एक ट्रेन
पुणे से रायपुर बिलासपुर एक ट्रेन
इलाहाबाद से बिलासपुर एक ट्रेन
दिल्ली से रायपुर बिलासपुर तीन ट्रेन
हैदराबाद सिकंदराबाद से रायपुर बिलासपुर तीन ट्रेन
विशाखापट्टनम से रायपुर एक ट्रेन
सूरत अहमदाबाद से रायपुर एक ट्रेन
कोलकाता से रायपुर एक ट्रेन
जयपुर से रायपुर एक ट्रेन
पटना से दुर्ग एक ट्रेन
मंगलवार को बच्चों की पढ़ाई के लिए पोर्टल पढ़ई तुंहर दुआर के काम से संबंधित अफसर और शिक्षक-शिक्षिकाओं के वाट्सएप ग्रुप में संकुल समन्वयक ने एक शिक्षिका पर अश्लील टिप्पणी की। टिप्पणी इतनी घटिया स्तर की है कि भास्कर उसका उल्लेख नहीं कर सकता है।
आपत्तिजनक पोस्ट के बाद बीईओ ने पत्र लिखकर संकुल समन्वयक से उपस्थित होकर जवाब देने के लिए कहा है। उल्लेखनीय है कि “पढ़ाई तुंहर द्वार” नामक एक ग्रुप बना है जिसमें शिक्षा विभाग के ब्लाक स्तर के अफसर और टीचर्स शामिल हैं। संकुल केंद्र आदर्श के समन्वयक जवाहर श्रीवास ने ग्रुप की एक शिक्षिका के लिए अश्लील पोस्ट किया गया। कमेंट के तुरंत बाद ग्रुप एडमिन द्वारा अफसरों को जानकारी दी गई। थोड़ी देर में ही जवाहर श्रीवास को अपनी गलत का एहसास हुआ। पहले उसने माफी मांगी, फिर लिखा कि उसने यह मैसेज दूसरी जगह भेजने के लिए लिखा था गलती से इस ग्रुप में चला गया। जवाहर ने ग्रुप से जुड़े लोगों से भी माफी मांगी। विभाग की फजीहत होती देख विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने तुरंत जवाहर श्रीवास को पत्र जारी कर ग्रुप में अश्लील कमेंट करने पर आपत्ति जताते हुए तुरंत ऑफिस आकर स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं। भास्कर के खरसिया संवाददाता ने बुधवार को इस संबंध में बीईओ एके भारद्वाज से संपर्क किया। जैसे ही उनसे समन्वयक पर कार्रवाई और घटना के संबंध में पूछा उन्होंने आवाज ठीक से सुनाई नहीं देने की बात की और फोन डिसकनेक्टकर दिया।
अफसोस...ऐसे लोगों पर बच्चों के चरित्र और भविष्य निर्माण की जिम्मेदारी है
संकुल समन्वयक श्रीवास के बारे में अक्सर शिकायतें मिलती हैं। पूर्व में इन पर नशे में ऑफिस आने का भी आरोप लगा है। शिक्षा विभाग के अफसर और शिक्षकों पर हजारों छात्र-छात्राओं के भविष्य निर्माण की जिम्मेदारी है। शिक्षक-शिक्षिकाओं के ग्रुप में इस तरह के भद्दे कमेंट करने वालों से विद्यार्थियों को भी खतरा है। सरकार ने स्कूल बंद होने के कारण पढ़ाई प्रभावित ना हो इसलिए पोर्टल बनाया और इससे संबंधित ग्रुप में संकुल समन्वयक ऐसी घटिया हरकत कर रहे हैं।
बाजार में खरीदारों की भीड़ बढ़ने के कारण प्रशासन ने सख्ती बरतना शुरू किया है। बुधवार को जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने वाले 54 दुकानदारों पर जुर्माना लगाया। दुकान में ग्राहकों के लिए हैंडवाश और सैनिटाइजर नहीं होने व चार से ज्यादा स्टाफ की मौजूदगी वाली 4 दुकानें सील भी कर दी गई। अफसरों ने कहा कि चेतावनी स्वरूप दुकान एक दिन के लिए बंद की गई है। दूसरे इलाकों में निगरानी की जा रही है। नियमों की बार-बार अनदेखी करने पर दुकानें लॉकडाउन तक बंद की जाएंगी।
सदर बाजार, सुभाष चौक, पुरानी हटरी और संजय कॉम्पलेक्स में नियमों का पालन नहीं करने वाले दुकानदारों पर एसडीएम युगल किशोर उर्वशा, नगर निगम उपायुक्त पंकज मित्तल ने पुलिस की मौजूदगी में नियम विपरीत व्यवसाय कर रहे दुकानदारों के खिलाफ सख्ती से पेश आए। टीम ने संक्रमण से बचने जरूरी उपाय नहीं करने वाले 54 दुकानदारों को 500-500 रुपए जुर्माना किया। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने व तय नियम से ज्यादा कर्मचारियों से काम लेते पाए जाने पर चार दुकानें भी सील की गई हैं। कार्रवाई के दौरान दुकानों में दुकानदार न तो खुद मास्क पहन रखे थे और न ही दुकान में ग्राहकों के मुंह पर मास्क दिखा। सोशल डिस्टेंसिंग का भी ठीक तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। अधिकांश दुकानों के बाहर तो सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोले तक नहीं खींचे गए हैं।
सैनिटाइजर, मास्क, हैंडवाश नहीं, भीड़ भी ज्यादा थी इसलिए ये दुकानें सील
श्रृंगारिका कॉस्मेटिक सुभाष चौक- यहां दुकान संचालक द्वारा तय नियम से ज्यादा महिला कर्मियों से काम लिया जा रहा था। दुकान के भीतर महिलाओं की भीड़ थी, ज्यादातर ने मास्क नहीं लगाए थे।
रोहड़ा टेक्सटाइल्स न्यू मार्केट- दुकान में भीड़ अधिक थी, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन दुकानदार द्वारा नहीं किया गया जा रहा था। दुकान के बाहर खरीदारों के लिए हैंडवॉश और सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं थी।
क्वालिटी स्टोर पुरानी हटरी- दुकानदार के राशन दुकान के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोले नहीं खींचे थे। दुकान के भीतर लोगों की भीड़ थी। एसडीएम को दुकान के भीतर देख दुकानदार ने हैंड सैनिटाइजर खोला।
अन्न भंडार संजय कॉम्पलेक्स- छोटी सी दुकान के भीतर राशन खरीदने 8 से 10 ग्राहक थे। अफसर जब यहां पहुंचे तो लोग एक दूसरे से सटे हुए मिले। सोशल डिस्टेंसिंग सर्कल भी नहीं बनाए गए थे।
जिलेभर मेंहुई कार्रवाई
इसके अलावा सारंगढ़ में अनुमति के बिना खोले गए रौनक ब्यूटी पार्लर के संचालक पर महामारी एक्ट की धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया गया और दुकान सील की गई है। इसके साथ ही खरसिया में 3, घरघोड़ा में 4 और सारंगढ़ में 5 दुकानें नियमों की अनदेखी पर सील की गई हैं।
सुरक्षा के लिए सख्ती जरूरी
"बाजार में दुकानों की संख्या और खुलने के समय में बढ़ोतरी के बाद भीड़ बढ़ रही है, ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बेहद जरूरी है, लेकिन दुकानदार इसे हल्के में ले रहे हैं इसलिए जिला प्रशासन और निगम ने मिलकर लापरवाही बरतने वालों को जुर्माना लगाया और 4 दुकानें सील की हैं।'' -राजेंद्र गुप्ता, आयुक्त नगर निगम
मनरेगा जॉब कार्ड में नाम दर्ज न करने और पुरानी रंजिश को लेकर रोजगार सहायक व गांव के एक गुट के बीच खूनी संघर्ष हो गया। मारपीट में रोजगार सहायक सहित 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने दोनों पक्षों के 46 लोगों के खिलाफ नामजद बलवा, मारपीट का अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू की है।
खरसिया थाना क्षेत्र के गांडाबोरदी निवासी उमेश राम ने पुलिस को बताया कि वह आश्रित गांव कलमीपाठ का रोजगार सहायक है। लॉक डाउन के बीच उसने जिला प्रशासन की अनुमति के बाद एक मई से तालाब में खुदाई का काम करा रहा था। जिन लोगों के नाम पंजीकृत नहीं थे वह लोग तालाब खुदाई का काम पंजीयन करने के बाद ही कराने का दबाव बना रहे थे। पंजीयन कराने के बाद ही काम देने की बात कहने पर घर चला आया। दोपहर 4 बजे के करीब गांव का भोला शंकर घर पर आकर गालियां देने लगा। विरोध करने पर भोला शंकर ने 50 लोगों के साथ धावा बोल दिया। उसके साथ बुरी तरह से मारपीट की, इसी बीच किसी ने उसके सिर पर टांगी से वार कर घायल कर दिया। रोजगार सहायक ने भोलाशंकर सहित गांव के 39 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है। दूसरे पक्ष से भोलाशंकर ने पुलिस को बताया कि रोजगार सहायक के भाई नैनदास भारद्वाज का उससे पुराना विवाद चल रहा है। इसी रंजिश में रोजगार सहायक उसका व उसके परिवार के साथ गांव के उन लोगों का नाम दर्ज नहीं करवा रहे जो उसके समर्थक है। मंगलवार शाम को वह उनके घर के पास से गुजर रहा था तभी किसी ने नैनदास के घर से पत्थर फेंक कर उसे मार दिया। पूछने पर उसके घर के सदस्यों ने गाली गलौज करने वहां से वह घटना को नजर अंदाज कर घर आ गया। थोड़ी ही देर बाद नैनदास, उमेश राम व उसके परिवार के 15 लोग घर में आकर हमला कर दिए। रोजगार सहायक की शिकायत पर 39 भोलराम की ओर से 7 नामजद लोगों के खिलाफ धारा 147,148, 149, 294, 323, 452, 506(बी) के तहत अपराध दर्ज किया गया है।
खाने को लेकर विवाद हुआ तो गुस्सैल ग्रामीण ने पत्नी और अपने दो साल के मासूम बेटे की पत्थर से कुचल कर हत्या कर दी। 3 मई को हत्या कर उसने शवों को जंगल में सुरंगनुमा जगह में छिपा दिया। घटना के तीन दिन बाद संयोग से घर आए ससुर ने जब बेटी और नाती के विषय में पूछा तो आरोपी ने वारदात का खुलासा किया। मृतका के पिता की सूचना पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसे जेल भेज दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक कापू थाना क्षेत्र के कंचीरा मोहल्ले के तेंदुडांड़ निवासी गुरबारु मझवार अपनी पत्नी सुबासो (30) और बेटे परसा (2) के साथ मछली और केकड़ा पकड़ने गया था। मछली बनाने को लेकर पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद हुआ। जिससे नाराज गुरबारु ने जंगल में पड़े पत्थर से पत्नी और बेटे पर कई बार वार कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। गुस्से में घटना को अंजाम देने के बाद पुलिस से बचने के लिए आरोपी ने दोनों के शव सुरंग में छिपा दिए। घर आए ससुर घुरन साय मझवार को आरोपी ने रोते हुए पूरी घटना बताई। बेटी और नाती की हत्या की जानकारी मिलते ही वृद्ध पिता ने कापू थाने को जानकारी दी। ग्रामीणों के साथ जंगल में पहुंची पुलिस ने दोनों के शव सुरंग से बरामद किए। थाना प्रभारी ने बताया कि शव दो दिन पुराने हैं, जिन्हें पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
बात-बात पर आ जाता था गुस्सा, अब कर रहा पछतावा
घुरन ने पुलिस को बताया कि आठ वर्ष पूर्व उसने बेटी सुबासो की शादी गुरबारु से की थी। गुरबारु गुस्सैल है, बात-बात पर झगड़ा करता था, कई बार उसने मारपीट कर बेटी को घायल भी किया। समझाकर मामला शांत कराया जाता था। गुरबारु के दो बेटों को नाना घुरन ने अपने पास ही रखा हुआ है। गुरवारु ने पुलिस को बताया कि सुबासो मछली पकड़ रही थी, ये लोग घर से खाना लेकर गए थे। भूख लगने पर गुरवारु ने पूरा खाना खा लिया। पत्नी ने खाना खत्म होने की बात कही तो कम खाना लाने की बात पर वह विवाद करने लगा। गुस्से में पत्थर उठाकर मारा तो बेटे परसा को लगा। इससे उसका गुस्सा और भड़क गया। फिर उसने पत्नी और बेटे दोनों को पत्थर से कुचल दिया। उसे गुस्से का एहसास हुआ लेकिन जंगल में उपचार नहीं होने के कारण पत्नी और बेटे ने दम तोड़ दिया। दो-तीन घंटे वह शव के नजदीक बैठकर रोता रहा। पुलिस ने बचने उसने शवों को छिपा दिया।
मंगलवार को कोरबा और कटघोरा से लौटी पुलिस बटालियन की स्क्रीनिंग किए जाने पर 9 जवान कोरोना संदिग्ध पाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सभी रैपिड टेस्ट करने के साथ ही आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए सैंपल लेकर भेजा है।
सभी जवानों को शहर के पोस्ट मैट्रिक आदिवासी छात्रावास में आइसोलेट किया गया है। लॉकडॉउन-3 के बाद दूसरे जिलों से आने पर रोक हटी है। लोग काफी संख्या में बाहरी जिलों और प्रांतों से लोगों का आना जाना शुरू हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 3 से 6 मई तक अन्य राज्यों से 614 लोग आए। सभी की जांच कराने के बाद लक्षण न मिलने पर होम आइसोलेशन में रखा गया है। इसके साथ ही मंगलवार को कटघोरा बटालियन से लौटे 30 और कोरबा से लौटे 15 जवानों का स्वास्थ्य टीम ने बारीकी से परीक्षण किया। इस दौरान दोनों ही बटालियन के 9 जवानों में कोरोना के लक्षण मिले। जिस पर उनका रैपिड टेस्ट के साथ आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए स्वाब लेकर जांच के लिए भेजा गया है। सीएमएचओ डॉ. एसएन केशरी ने बताया कि सभी संदिग्ध मिले जवानों को आइसोलेशन सेंटर में रखा गया है। सभी बाहरी लोगों के जिले में प्रवेश करने से पहले स्क्रीनिंग की जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा- छत्तीसगढ़ की सरकार ने किर्तीमान स्थापित किया है, ऑन लाइन शराब बेची जा रही है। मद्य प्रेमियों को विशेष ऑफर है। यही भुपेश बघेल की प्राथमिकता है, गरीबों को अन्न नहीं मिल रहा। बाहर फंसे श्रमिकों की मदद करने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं। इसका हमने विरोध किया है। जन घोषणा पत्र में शराबबंदी का वादा था, खुद राहुल गांधी ने घोषणा की थी। अब इस वादे को हम याद दिलाएंगे, पूरे प्रदेश में इसे लेकर संगठन फैसला लेगा।
यह बातें उन्होंने राजनांदगांव में कहीं। एक दिवसीय दौरे पर वह राजनांदगांव पहुंचे और भाजपा कार्यालय में हुई पत्रकार वार्ता में भूपेश बघेल की सरकार की खामियों पर जमकर निशाना साधा। डॉ रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की महिलाओं में शराब दुकानों के खुलने पर आक्रोश है, परंतु सरकार ने जो उदाहरण पेश किया है उससे ऐसा लगता है कि इनके लिए राजस्व से बढ़कर कुछ भी नहीं है। राज्यों के चेक पोस्ट पर विधिवत अनुमति लेने वाले चिकित्सीय प्रमाण पत्र के साथ आए मरीजों को बॉर्डर पर 2 -3 दिन रोका जा रहा है और बिना अनुमति प्राप्त सैकड़ों मजदूरों को ट्रकों पर बैठाकर रवाना किया जा रहा है । ऐसे संक्रमित राज्यों से आने वाले सैकड़ों लोगों के गांव में पहुंचने पर संक्रमण के गंभीर परिणाम जनता को भुगतने होंगे।
झारखंड जाने के लिए नागपुर से पैदल निकले रवि मुंडा नाम की श्रमिक की बिलासपुर में हार्ट अटैक से मौत हो गई।उसने 400 किमी की दूरी पैदल तय की थी। बिलासपुर पहुंचने पर उसकी तबियत बिगड़ी। उसेछत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। परिजनों को सूचना दी गई। उन्होंने आने मेंअसमर्थता जताई तोसिम्स प्रबंधन ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
नागपुर से 8 प्रवासी मजदूरों का ग्रुप झारखंड जाने के लिए पैदल ही निकला था। वह 3 मई को बिलासपुर पहुंचा, लेकिन यहां सरायकेला निवासी रवि मुंडा (40) की तबियत बिगड़ गई। सूचना मिलने पर एंबुलेंस से देर रात सभी को सिम्स लाया गया। रवि में कोरोना के लक्षण दिखने पर उसे अलग वार्ड में भर्ती किया गया। उसके साथ अन्य मजदूरों के सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए।
युवक की रिपोर्ट आई निगेटिव, सभी मजदूरों को भेजने की हो रही व्यवस्था
सिम्स की पीआरओ डॉ. आरती पांडेय ने बुधवार कोबताया कि अगले दिन सुबह करीब 7 बजे रवि की मौत हो गई। लक्षण को देखते हुए और रिपोर्ट के इंतजार में उसके शव काे मॉच्यूरी में रखवा दिया गया। उसके परिजनों को सूचना दी गई। बताया कि पॉजिटिव आने पर अंतिम संस्कार के लिए शव नहीं मिलेगा। अगर रिपोर्ट निगेटिव आई तो सिम्स व्यवस्था करा सकता है। परिजनों ने बिलासपुर आने में असमर्थता जताई।
डाॅ. आरती पांडेय ने बताया- बाकी 7 मजदूरों की तबियत ठीक होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। पहल संस्था की मदद से रवि का 6 मई को अंतिम संस्कार किया गया है। सभी 8 मरीजों का कोविड-19 टेस्ट भी कराया था। सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। रवि की मौत हार्ट अटैक से हुई है। प्रशासन बाकी मजदूरों को भेजने की व्यवस्था कर रहा है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में जमीन विवाद में एक युवक ने अपने वृद्ध पिता का हाथ-पैर बांधकर हंसिया से गला रेत कर हत्या कर दी। इसी जमीन के झगड़े के कारण माता-पिता अपना घर छोड़कर बेटी के यहां रहने चले गए थे। पिता राशन लेने के लिए गांव पहुंचे तो युवक से मिलने चले गए थे। घटना हिर्री क्षेत्र के ग्राम झलफा की है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने आरोपी बेटे को गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक, ग्राम झलफा निवासी दिलीप बंजारे (33) अपने पिता भुखउ लाल बंजारे (70) के साथ मंगलवार को झगड़ा कर रहा था। दोनों एक ही कमरे में थे। इसके बाद उसने रस्सी लाकर अपने पिता का हाथ-पैर बांध दिया और हंसिया लाकर उसका गला रेतने लगा। शोर सुनकर ग्रामीण पहुंचे तो दिलीप अपने पिता को गंभीर हालत में छोड़कर दरवाजे के पास आकर खड़ा हो गया।
ग्रामीणों ने समझाया तो उन्हें भी धमकी देने लगा
हाथ में खून से सना हंसिया और घर के अंदर से उसके पिता की आवाज सुन ग्रामीणों को समझते देर नहीं लगी। उन्होंने दिलीप को समझाइश देने का प्रयास किया तो वह गांववालों को ही मारने के लिए धमकाने लगा। इस पर ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस पहुंची और घर के अंदर भुखउ लाल बंजारे की खून से लथपथ लाश पड़ी थी। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।
राशन लेने गांव गया था, बेटे ने कर लिया विवाद
दिलीप कुमार की शादी नहीं हुई थी। वह जुए और शराब का आदी था। इससे परेशान होकर भुखउ अपने पत्नी सहित बोड़सरा में जाकर बस गया था। वहां जमीन खरीदकर उसने घर बना लिया। उसकी बेटी की शादी भी बोड़सरा में हुई थी। भुखउ का राशन कार्ड झलफा से बना था। वह राशन लेने आया तो दिलीप से मिलने पहुंच गया। वहां जमीन को लेकर फिर दिलीप ने विवाद शुरू कर दिया।
सिपाही को भी दौड़ाया बाद में किया सरेंडर
बताया जा रहा है कि आरोपी दिलीप ने जब पिता का गला रेता तो वह जिंदा था। ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस 20 मिनट में पहुंच गई। सिपाही आगे बढ़ा तो दिलीप ने उसे हंसिया लेकर मारने दौड़ा लिया। सिपाही वहां से भागा। दिलीप फिर अंदर गया और गैंती से अपने पिता के गले पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद थाने से फोर्स पहुंची और उसे गिरफ्तार किया।
कोटा में पढ़ रहे दुर्ग जिले के बच्चे बुधवार को घर लौट आए। 7 दिन पहले यह राज्य वापस आ चुके थे। लेकिन बिलासपुर में बने क्वरैंटाइन सेंटर में इन्हें रखा गया था। परिजन लगातार बच्चों को होम क्वारैंटाइन पर भेजने की मांग कर रहे थे। सभी छात्र-छात्राएं बिलासपुर से बीआईटी परिसर पहुंच गए। इन छात्र-छात्राओं को लेने उनके अभिभावक बीआईटी पहुंचे। बातचीत में छात्र-छात्राओं ने बताया कि हमारे लिए यह बहुत खुशी की बात है कि हम अपने घर वापस आ गए। छात्र-छात्राओं ने कहा कि उन्हें बिलासपुर में क्वारंटीन कर रखा गया था। यहाँ रहने एवं खाने-पीने का अच्छा प्रबंधन जिला प्रशासन ने किया था।
अभिभावकों ने कहा कि कोटा में जब हमारे बच्चे फंसे थे तो हर पल बहुत मुश्किल से गुजरा। जब बस से बच्चे छत्तीसगढ़ आए तो हमने राहत की सांस ली। कोटा में मेडिकल की तैयारी के लिए गई भारती ध्रुव के भाई हितेंद्र ध्रुव ने बताया कि मुझे बहन के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंता थी। आदित्य चंद्राकर ने बताया कि कोटा में फंसे होने की वजह से चिंता के कारण भी पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास सिंह बघेल ने बताया कि दुर्ग में सूरजपुर जिले के बच्चे रखे गए थे। उन्हें भी अपने गृह जिले के लिए रवाना हुए। लड़कियों को विज्ञान विकास केंद्र एवं लड़कों को रूंगटा कालेज में रखा गया था।
छत्तीसगढ़ के बलरापुर में मंगलवार देर रात हुए सड़क हादसे में एक पुलिस कांस्टेबल की मौत हो गई। पुलिस कांस्टेबल ड्यूटी के दौरान बीमार हुए सीएएफ जवान को बाइक पर अस्पताल ले जा रहा था। इसी दौरान सड़क किनारे ट्रक से उसकी बाइक टकरा गई। हादसे में सीएएफ जवान गंभीर रूप से घायल हो गया है। उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है।
जानकारी के मुताबिक, शंकरगढ़ थाने में पदस्थ कांस्टेबल आदर्श बखला और सीएएफ जवान कुलदीप मिंज की लॉकडाउन ड्यूटी डीपाडीह बादा क्षेत्र में लगी थी। इस दौरान जवान कुलदीप मिंज की तबीयत खराब हो गई। इस पर कांस्टेबल आदर्श उसे बाइक पर बिठाकर मंगलवार देर रात करीब 11 बजे डॉक्टर को दिखाने के लिए अस्पताल ले जा रहा था।
इसी दौरान रास्ते में जमडी के पास सड़क किनारे खड़ी ट्रक से उसकी बाइक जा टकराई। हादसे में कांस्टेबल आदर्श की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि सीएएफ जवान कुलदीप मिंज गंभीर रूप से घायल हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और उन्हें अस्पताल लेकर गई। जहां सीएएफ जवान की हालत गंभीर देख उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के भिलाई में कोरोना से बचने के लिए एक महिला ने पति को ही घर में नहीं घुसने दिया। उसका पति ओडिशा के राउरकेला से करीब 425 किमी की दूरी तय करके घर पहुंचा था। महिला ने उसको पहले मेडिकल टेस्ट कराने के लिए कहा। खुर्सीपार सेक्टर-11 निवासी पूर्णिका कौर ने निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीम को जांच के लिए बुलाया। देर शाम टीम पहुंची और उसके पति को क्वारैंटाइन सेंटर भेजा गया।
अलग-अलग वाहनों से लिफ्ट लेकर पहुंचा
निगम पीआरओ पीसी सार्वा ने बताया कि महिला ने जानकारी दी है कि पति सुखदेव सिंह राउरकेला से विभिन्न वाहनों से लिफ्ट लेकर भिलाई पहुंचा। महिला ने पति को घर के बाहर ही रखा था। अंदरप्रवेश नहीं करने दिया।महिला के घर में तीन बच्चे भी हैं।
बाहर बैठे भूख लगी तो दूर से ही रोटी-सब्जी दी
जब पति को घर के बाहर बैठे-बैठे भूख लगी तो पत्नी ने रोटी-सब्जी बनाई। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खाना दिया। फिर इसकी सूचना जोन-4 आयुक्त प्रीति सिंह औरअन्य अधिकारियों को दी।उसने तत्काल घर आने का आग्रह किया।निगम पीआरओ सार्वा कहते हैं किकोरोना संक्रमण रोकथाम और बचाव के लिए महिला ने अपनी अहम जिम्मेदारी निभाई है।
कोई रिस्क लेना नहीं चाहती, इसलिए जांच करवाई
महिला ने बताया कि उन्हें बाहर से आए हुए व्यक्तियों की सूचना देने की जानकारी दी गईथी। निगम से जारी किए गए मोबाइल नंबर प्राप्त हुए हैं। इसके चलते उसने शासन का सहयोग करते हुए भिलाई निगम को सूचना दी। शाम को जांच टीम पहुंच गई।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में अब बिना लक्षण दिखे काेरोना टेस्ट नहीं किया जाएगा। इसको लेकर कलेक्टर अंकित आनंद ने आदेश जारी कर दिए हैं। जिले में हर दिन 60 से अधिक सैंपल लिए जा रहे थे। वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन ने फरीदनगर को कंटेंटमेंट जोन घोषित कर दिया है। इलाके को सील कर दिया गया है। दुकानें और बाजार नहीं खुल सकेंगे। लोगों के बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई है।
दरअसल, भिलाई में संक्रमित मिली महिला फरीदनगर की रहने वाली है। इसके बाद बुधवार दोपहर प्रशासन ने उसे कंटेंटमेंट जोन घोषित कर दिया और सील करने की कार्रवाई शुरू कर दी। क्षेत्र में वाहनों के आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मेडिकल इमरजेंसी को छोड़कर अन्य किन्हीं भी कारणों से घरों से बाहर निकलना मना है। प्रशासन की ओर से जरूरी सामानों की होम डिलीवरी की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार, आवश्यक सर्विलांस, कांटेक्ट ट्रेसिंग और सैंपल जांच की कार्रवाई की जा रही है। क्षेत्र में बैरीकेडिंग, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति व सैनेटाइजेशन व्यवस्था, एक्टिव सर्विलांस, स्वास्थ्य टीम को एसओपी के अनुसार दवा, मास्क उपलब्ध कराने और बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन के लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं। पर्यवेक्षण के लिए जोन कमिश्नर को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है।
लोगों के पास खाने की व्यवस्था नहीं, थाने का किया घेराव
वार्ड 27 और 26 के कंटेंटमेंट एरिया में रहने वाले ज्यादातर लोग मजदूरी करते हैं या फिर कंपनी कर्मचारी हैं। प्रतिबंधित क्षेत्र में होने के कारण उनके पास काम नहीं है। पैसे नहीं होने के कारण वे राशन भी नहीं खरीद पा रहे। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन की ओर से उन्हें कोई सुविधा नहीं मुहैया कराई गई है। इसको लेकर लोगाें ने पहले स्थानीय पार्षद पीयूष मिश्रा के सामने अपनी समस्या रखी।
लोगों ने पुलिसकर्मियांे पर भी अभद्रता का आरोप लगाया। कहा, पुलिस वालों को परेशानी के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि जिंदा रहने के लिए ताे इंसान कंकड़-पत्थर भी खा लेता है। साथ ही कहा, बिना मूल्य दिए किसी को भी कोई सामग्री देने का अभी कोई प्रावधान नहीं है। इसके बाद गुस्साई महिलाओं ने थाने का भी घेराव किया। स्थानीय पार्षद ने उनकी समस्याओं के जल्द निराकरण का आश्वासन दिया है।
शहर की 25 दुकानों को पुलिस और जिला प्रशासन ने सील कर दिया। एक दिन पहले मंगलवार को ही इन दुकानों को जांच की गई थी। दुकानदार ना तो खुद मास्क पहन रहे थे, ना ही लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवा रहे थे। पुलिस के लोग बिना यूनिफॉर्म पहने दुकानों की निगरानी कर रहे हैं। कुछ जगहों पर ग्राहक बनकर पहुंच रहे हैं और हालात का जायजा ले रहे हैं। रायगढ़ एसपी संतोष कुमार सिंह ने खुफिया निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं, ताकि उल्लंघन करने वालों को पकड़ा जा सके।
जिले के थाना खरसिया के इलाके में 3, सारंगढ़ में 5 औरघरघोड़ा में 4 दुकानों में अनियमितता पाईगई जिन्हें सील किया गया है । सारंगढ़ थाना क्षेत्र में 5 दुकानों को सील किया गया है। इस तरह अलग-अलग इलाकों में कुल25 दुकान संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई। एक ब्यूटी पार्लर का संचालक बिना निर्देशों के दुकान खोलकर लोगों को सेवाएं दे रहा था। इसके खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने की धारा के तहत केस दर्ज किया गया है। एडिशनल एसपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि यह कार्यवाही लगातार शहर और तहसील स्तर पर जारी रहेगी।
कापन गांव की देशी शराब दुकान तीसरे दिन भी नहीं खुल सकी। वजह हैं-यहां की महिलाएं। हर रोज सुबह दुकान खुलने के समय से लेकर बंद होने के वक्ततक यहां प्रदर्शन किया जा रहा है। बुधवार को इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए पास के गांव मौहाडीह औरमुड़पार की महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचीं। जिन गोलों को प्रशासन ने शराब लेने आने वालों के लिए बनवाया था, महिलाएं उसी मेंखड़ेहोकर प्रदर्शन कर रही हैं। सोशल डिस्टेंसिंग की समझ और नशे के खिलाफ जागरुकता देख प्रशासन भी इन पर सख्ती नहीं दिखा पा रहा है।
आंदोलन मेंदिव्यांग महिला भी आई
विरोध कर रहीं माधुरी बाई औरमीना बाई ने कहा- अधिकारी हमारी बात नहीं सुन रहे। हमारे इस प्रदर्शन के बाद भी प्रशासन ने दुकान को हटाने का फैसला नहींलिया। देशी शराब दुकान को बंद करने के लिए जब तक आदेश जारी नहीं किया जायेगा, गांव की महिलाओं का धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। हर रोज महिलाएं यहीं बैठकर अपना वक्त बिता रही हैं। सभी के हाथ में दुकान को हटाए जाने की मांग लिखी तख्तियां होती हैं।
बाहर से गांव वापस आये युवकों को क्वारेंटाइन में रखने को लेकर दो अलग-अलग गांवों के लोगों के बीच विवाद हो गया। बढ़ते विवाद को देख लोगों ने इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी जिसके बाद सूचना मिलते ही देवरी बीडीओ सह सीअो सुधीर कुमार व थाना प्रभारी अनूप रोशन भेंगरा दल बल के साथ मौके पर पहुंच कर मामला शांत कराते हुए बाहर से आये युवकों को होम क्वारेंटाइन में रहने का निर्देश दिया।
मामला देवरी थाना क्षेत्र के नेकपुरा पंचायत के मकडीहा गांव की है जहां मंगलवार को देवपहाडी व मकडीहा में सूरत सहित अन्य राज्यों से आये युवकों को क्वारेंटाइन में रखने को लेकर दोनों गांवों के लोगों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया। जिसके बाद देवरी प्रशासन को सूचना मिलते ही मौके पर पहुंच कर मामला शांत कराया। बताया जाता है कि देवपहाड़ी व मकडीहा में दर्जनों युवक सूरत सहित अन्य राज्यों में लॉकडाउन में फंसा हुआ था जो मंगलवार सुबह वापस अपना घर आया। जिसके बाद मकडीहा गांव के ग्रामीणों ने मकडीहा गांव के बाहर से आये युवकों को घर में घुसने से
मना करते हुए देवपहाड़ी गांव स्थित मॉडल विद्यालय में चौदह दिन तक क्वारेंटाइन में रहने को कहा। जिसके बाद दोनों गांवों के युवकों के बीच विवाद उतपन्न हो गया। बढ़ते विवाद को देख कुछ लोगों ने स्थानीय प्रशासन को सूचना दी।
सूचना मिलते ही बीडीओ सह सीओ सुधीर कुमार, थाना प्रभारी अनूप रोशन भेंगरा दल बल के साथ मौके पर पहुंच कर मामला को शांत कराया। बाहर से आए युवकों को होम क्वारेंटाइन में रहने का निर्देश दिया।
कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को लेकर शासन सावधानी बरत रहा है। स्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारिक सिंह ने कलेक्टर, सीएमएचओ को आदेश जारी कर दूसरे राज्यों से जिले में लौटने वाले मजदूरों को ग्राम पंचायत में क्वारेंटाइन पर रखने के निर्देश दिए है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग को ऐसे लोगों की स्वास्थ्य जांच करने कहा गया है। ताकि संक्रमित व्यक्ति की पहचान हो सके। दूसरे राज्यों से पहुंचने वाले लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को क्वारेंटाइन सेंटर बनाने के लिए निर्देश हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में बाहर से आने वाले लोगों को क्वारेंटाइन के लिए क्वारेंटाइन सेंटर चिन्हांकित किए जाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही क्वारेंटाइन सेंटर गांव के बाहर बनाने कहा गया है। क्वारेंटाइन सेंटर से कोई भी लोग बाहर न जाए इसके लिए व्यवस्था बनाने कहा गया है। इसके लिए क्वारेंटाइन सेंटर के चारों ओर बेरिकेडिंगेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे कराने कहा गया है। इसकी निगरानी ग्राम पंचायत सचिव, कोटवार निगरानी करेंगे। क्वारेंटाइन सेंटर सामुदायिक भवन, स्कूल में बनाने पर सेंटर के अंदर भी अलग-अलग खण्ड बनाने कहा गया है। ताकि पाॅजिटिव मरीज के पहचान होने पर उसे तत्काल दूसरे खंड में शिफ्ट किया जा सके। ऐसे लोगों के लिए नहाने और शौचालय के लिए व्यवस्था बनाने कहा गया है।
जामुल थाना अंतर्गत संचालित पेट्रोल पंप में कार्यरत महिला कर्मी से छेड़छाड़, मारपीट, गाली-गलौच व धमकी का मामला प्रकाश में आया है। मामले में रामनगर निवासी आरोपी विजय चंद्राकर को पुलिस ने गिरफ्तार कर दिया है। उसके विरुद्ध धारा 294, 506, 323, 354 के तहत कार्रवाई की गई। आरोपी युवक महिला से उधार में पेट्रोल दिए जाने को लेकर उलझ पड़ा था। इसके बाद उसने महिला कर्मी से दुर्व्यवहार शुरू कर दिया। महिला की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी को पकड़ा। उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे 14 दिन की रिमांड में जेल भेज दिया गया।
थाना प्रभारी लक्ष्मण कुमेठी ने बताया कि आरोपी विजय चंद्राकर (26 वर्ष) सोमवार शाम 4 बजे आम्रपाली वनांचल सिटी चौक के पास गौरव पेट्रोल पंप में बाइक से पेट्रोल लेने पहुंचा। उस दौरान मौजूद वैशाली नगर निवासी महिलाकर्मी से बाइक में 50 रुपए की पेट्रोल डलवा ली। पैसे मांगने पर आरोपी ने उधार खाते में लिखने की बात कही। इस पर महिलाकर्मी ने उधार देने से इंकार कर दिया। आक्रोशित होकर आरोपी ने गाली-गलौच शुरू कर दी। साथ ही मारपीट करने लगा।
मंगलवार को जिले में मिली कोरोना पॉजीटिव 26 वर्षीय महिला भंडारा (महाराष्ट्र) में हुई शादी से सोमवार को फरीद नगर (भिलाई) लौटी थी। जिला अस्पताल की फीवर क्लीनिक में अपने करीब डेढ़ साल की बेटी सहित जांच कराने पहुंची तो उसे ट्रेस किया जा सका। रेड जोन की ट्रेवलिंग हिस्ट्री के साथ कोरोना का सिमटम मिलने के कारण आनंद मंगलम मैरिज हॉल, दुर्ग में संचालित आइसोलेशन सेंटर भेज दी गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने उसके साथ ही उसके बच्चे की कोरोना जांच के लिए भी सैंपल भेजा था। सीएमएचओ डॉ. गंभीर सिंह के मुताबिक बच्ची की रिपोर्ट निगेटिव आई है। बताया कि महिला कुछ दिनों पूर्व महाराष्ट्र के भंडारा में अपने किसी रिश्तेदार के यहां हुई शादी में शिरकत करने गई थी। सोमवार को बिना ई-पास के दुर्ग पहुंच गई। उसके पॉजीटिव आने के बाद वह महिला के जिले की सीमा में प्रवेश करने के से लेकर फरीदनगर पहुंचने और फिर जिला अस्पताल जाने के दौरान उसके संपर्क में आने वाले सभी लोगों को ब्योरा जुटाया जा रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने महिला के पति और उसकी डेढ़ साल की बेटी को क्वारेंटाइन करा दिया है। स्वास्थ्य विभाग कांटेक्ट हिस्ट्री तैयार कर रहा है। जिले में किसी महिला को कोरोना होने का पहला मामला है।
बच्ची की वजह एम्स रायपुर में शिफ्ट करने में हुई देरी
अब तक मिले पॉजीटिव केस को सूचना मिलते ही जिला प्रशासन एम्स शिफ्ट करा देता रहा है। लेकिन महिला को शिफ्ट करने में उसके बच्चे की वजह काफी देरी हुई। क्योंकि बच्ची की रिपोर्ट निगेटिव और मां की पॉजीटिव आई है। काफी देर तक इसी को लेकर अधिकारी जद्दोजहद करते रहें। बताया गया कि देर रात को पति और उसके बच्चे को क्वारेंटाइन किया गया।
पत्नी से मिलकर लौटा और 20 लोग से मिला पति
पत्नी की जांच के लिए जिला अस्पताल गया पति उसे आइसोलेशन सेंटर में भेजने के बाद फरीदनगर के फुड़कीपारा अपने घर लौटा। यहां साथ में रह रहे पिता और छोटे भाई, उसकी पत्नी और दो बेटे संपर्क में आए। वह चिंताराम चौक पर रहने वाले अपने बड़े भाई, उनकी पत्नी और चार बच्चों से भी मुलाकात किया। उसने करीब 20 लोगों से मुलाकात की।
तकियापारा मायका तो फरीदनगर है ससुराल
जानकारी मिली कि तकियापारा दुर्ग में महिला का मायका है। भंडारा से लौटने के बाद वह अपने मायके के लोगों के संपर्क में आई है। उसके पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मायके के लोगों को भी काउंसिलिंग के लिए बुलाया है। पति और भाई को आइसोलेट किया गया है। इधर फरीदनगर इलाके में निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीम देर रात तक पहुंच रही थी।
आइसोलेशन में थी महिला, पॉजिटिव आई तो एम्स में शिफ्ट कराया गया
"सोमवार को फरीद नगर की रहने वाली महिला महाराष्ट्र से दुर्ग आई। जिला अस्पताल की फीवर क्लीनिक से उसका सैंपल लेकर आइसोलेशन सेंटर भेज दिया गया था। मंगलवार की शाम उसकी रिपोर्ट आई तो पाजीटिव होने की जानकारी मिली। प्रोटोकॉल के अनुसार एम्स में शिफ्ट करा दिया गया है।"
-अंकित आनंद, कलेक्टर, दुर्ग
18 महीना की बेटी साथ में थी:- महिला के साथ उसके 18 महीने की बेटी साथ थी। उसका भी सैंपल लिया गया। मंगलवार को उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। लेकिन उसे व पति को क्वारेंटाइन किया गया है।
महिला आनंद मंगल भवन आइसोलेशन सेंटर में थी। जैसे ही पॉजिटिव की सूचना मिली स्वास्थ्य विभाग उसे एम्स शिफ्ट करने के लिए सेंटर पहुंची। जहां उसे एम्स ले जाने से पहले एंबुलेंस को पूरी तरह सैनिटाइज किया गया। इस प्रोसेस में काफी वक्त भी लगा। ताकि किसी प्रकार का संक्रमण का खतरा न रहे।
कोरोना संक्रमणकाल में लोग कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहते। इसके लिए भले क्यों न उन्हें अपनों से दूर होना पड़ा। ऐसा ही एक मामला खुर्सीपार का आया है। जहां एक महिला ने राउरकेला से आए पति को घर में घुसने नहीं दिया। महिला का तर्क था कि पहले मेडिकल जांच कराइए।
जागरूकता की मिसाल पेश करने वाली महिला पूर्णिका कौर खुर्सीपार सेक्टर-11 है। निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीम को जांच के लिए बुलाया। देर शाम टीम पहुंच गई है। उन्हें क्वारेंटाइन में भेजा है।
बाहर बैठे भूख लगी तो पत्नी ने दूर से ही रोटी-सब्जी दिया
जब पति को घर के बाहर में बैठे-बैठे भूख लगी तो पत्नी ने रोटी-सब्जी बनाई। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घर के आंगन में ही रोटी-सब्जी दी। फिर तत्काल इसकी सूचना जोन-4 आयुक्त प्रीति सिंह व अन्य अधिकारियों को दी। निगम पीआरओ पीसी सार्वा ने कहा, कोरोना वायरस के संक्रमण रोकथाम और बचाव के लिए महिला ने अपनी अहम जिम्मेदारी निभाई हैं। महिला के घर में तीन बच्चे भी निवासरत है। आज की इस समय में ऐसे ही सतर्क एवं जागरूक नागरिकों की आवश्यकता है।
अलग-अलग वाहनों से लिफ्ट लेकर पहुंचा है
निगम पीआरओ पीसी सार्वा ने बताया कि महिला ने जानकारी दी है कि पति सुखदेव सिंह राउरकेला (ओडिशा) से विभिन्न वाहनों से लिफ्ट लेकर भिलाई पहुंचा है। पहुंचने के बाद महिला के मोबाइल से संपर्क किया गया। महिला ने तत्काल घर आने का आग्रह किया। घर के बाहर ही पति को रखा। घर के भीतर प्रवेश करने नहीं दिया। पति को भूख लगने पर महिला ने रोटी-सब्जी बनाई और सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए घर के बाहर ही भोजन दिया।
कोई रिस्क लेना नहीं चाहती, इसलिए जांच
महिला ने बताया कि निगम द्वारा किए जा रहे प्रचार प्रसार के माध्यम से उन्हें बाहर से आए हुए व्यक्तियों की सूचना देने की जानकारी मिली थी। निगम द्वारा जारी किए गए मोबाइल नं. प्राप्त हुए हैं। नोवल कोरोना वायरस की रोकथाम एवं नियंत्रण में भूमिका निभाते हुए तथा शासन का सहयोग करते हुए महिला ने बिना देरी किए भिलाई निगम को सूचना दी। शाम को जांच टीम पहुंच गई है।
लॉकडाउन 3 लगने के बाद राहत कोष में भी फूड पैकेट आने कम हो गए हैं। मंगलवार को पुलिस और निगम को सीधे 880 पैकेट भोजन वितरित करने को मिले। आकड़ों के अनुसार हर रोज 24 सौ लोगों को यह दिया जाता था। सामाजिक संस्थाएं लॉकडाउन 2 तक ही इसकी प्लानिंग की थी। फिलहाल अनाथालय स्थित कोष में अभी सिर्फ 1 हजार पैकेट सूखा राशन ही शेष रह गया है। बाजार खुलने और ज्यादा मजदूरों के काम पर लौटने के कारण दान का सामान कम आ रहा है। 40 दिनों में विभिन्न संस्थाओं के सहयोग के माध्यम से 11 हजार 800 पैकेट सूखा राशन लोगों तक पहुंचाए गए। इनमें से 35 सौ लोगों को साढ़े 7 किलो वाले पैकेट्स और 83 सौ लोगों को 5 किलो वाला वाले पैकेट्स बांटे गए। जिनमें चावल, दाल, प्याज, नमक और साबुन शामिल रहे।
लॉकडाउन 2 के बाद भी स्थिति नहीं है स्पष्ट
लॉकडाउन 2 की समाप्ति तक ही सामाजिक संस्थाओं ने राहत के लिए फूड पैकेट बनाने की व्यवस्था की थी। रोजाना जहां 2400 पैकेट के माध्यम से जरूरतमंद लोगों तक पका भोजन पहुंचाया जाता। लॉकडाउन 3 लगने के बाद अनाथालय स्थित राहत कोष में एक भी पैकेट भोजन नहीं पहुंच रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अब आगे की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
शहर के पांच सड़क को बनाने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने करीब 2 करोड़ 40 लाख रुपए स्वीकृति दी है। नगर निगम को मंगलवार को इसका स्वीकृति पत्र नगरीय प्रशासन विभाग से मिला। इसमें करीब 5 सड़कों के नए निर्माण के लिए यह राशि मिली है, लेकिन जिन सड़कों को बनाने के लिए यह राशि मिली है, उसमें से कई सड़कें अच्छी हालत में हैं, फिलहाल इनके सुधार की जरूरत भी नहीं है। लेकिन नगर निगम के इंजीनियरों ने बिना किसी प्लानिंग के इसका एस्टिमेट बनाकर राज्य सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेज दिया गया था। हालांकि सभापति जयंत ठेठवार का कहना है कि शहर की जो सड़कें खराब है वे सड़कें ही बनाई जाएंगी। जो सड़कें सही हैं उनपर राशि खर्च नहीं होगी। इन सड़कों को स्वीकृति के लिए नगरीय निकाय चुनाव के पहले भेजा गया था, इसमें मेयर इन काउंसिल की स्वीकृति भी नहीं ली गई थी। जिसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने वापस सड़कों को बनाने का प्रस्ताव को वापस भेजकर एमआईसी स्वीकृति करा वापस मांगा था। इसमें केलोब्रिज से चक्रधर नगर चौक तक बीटी सड़क के लिए 49 लाख 50 हजार रुपए, हंडी चौक से ओवरब्रिज और ओवरब्रिज के बगल की सड़क बनाने के लिए 48 लाख 13 हजार रुपए कुल एक करोड़ रुपए दोनों सड़कों के लिए स्वीकृत किए गए हैं।
जोगीडीपा से सिद्धी विनायक चौक तक 49 लाख 12 हजार, रियापारा चौक से वाटर वर्ल्ड तक सड़क के लिए 49.75 लाख और वार्ड नंबर 8 में जेबा फार्म हाऊस से बड़े रामपुर तक की सड़क के लिए 44 करोड 17 लाख रुपए मिला है। इसमें भी कुछ सड़कों की स्थिति सही है। इन सड़कों में डामर बेस लेयर डालकर ही सड़कों को मरम्मत कराने की बात कही जा रही है। बची हुई राशि में दूसरे सड़कों का मरम्मत कराने की बात कही जा रही है। इन सड़कों का टेंडर प्रोसेस शुरू करने के बाद इनका काम जून में मानसून के पहले सड़कों का काम चालू कराया जाएगा।
जर्जर सड़कों को बनाएंगे, प्राक्कलन भेज चुके है
"पांच सड़कों के लिए करीब 2 करोड 40 लाख रुपए की स्वीकृति मिली है। इसमें कई सड़कें काफी अच्छी है इसके निर्माण के लिए फिर से स्वीकृति मिली है। इस पर विधायक ने भी नाराजगी जताई थी। लेकिन हम जो सड़कें खराब है उसे बनाएंगे। जो सड़ के थोड़ी बहुत खराब होगी उसमें डामर की बेस लेयर डालकर मरम्मत कराएगे। दूसरी सड़कों का प्राक्कलन हम सरकार के पास भेजे भी है।"
-जयंत ठेठवार, सभापति, नगर निगम
कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन होने के बाद मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (मेकाहारा) में हर रोज काफी भीड़ लग रही है। यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा है। इसे देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस से सहयोग मांगा है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ पीएम लूका ने बताया कि अभी मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग में ओपीडी की शिफ्टिंग नहीं कराई जा सकती है। वहां पर अभी कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है, इसे देखते हुए अभी मेकाहारा में भीड़ को डायवर्ट करने के लिए रामभाठा स्थित जिला हॉस्पिटल के ओपीडी में भी कुछ मरीजों को भेजा जा सकता है, वहां पर भी डॉक्टर्स हर रोज बैठते हैं। इसे लेकर मेडिकल सुपरिटेंडेंट से बातचीत करने के बाद इस पर तैयारी करके वहां पर हॉस्पिटल की ओपीडी को भी अच्छे से शुरू करने के लिए कहा जाएगा।
रामभाठा हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा नहीं
जिला हॉस्पिटल भवन में मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल खुलने के बाद रामभाठा के पीएचसी में जिला हास्पिटल शिफ्ट किया लेकिन वहां सुविधा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
डीन बोले- रामभाठा हाॅस्पिटल की ओपीडी में भेजेंकुछ मरीज
मेकाहारा में पहले लॉकडाउन से ही मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, नासूर के आपरेशन बंद हैं। इतना ही नहीं मरीजों को चश्मे का नंबर तक नहीं मिल पा रहा है। डॉक्टरों ने स्थिति सामान्य न होने तक सभी तरह के आंखों के आपरेशन पर रोक लगा दी। मेकाहारा में सामान्य दिनों में आंखों की जांच कराने के लिए प्रतिदिन 200 से 250 मरीज पहुंचते थे। इनमें प्रतिदिन 10 से 15 मरीजों की जांच और परीक्षण करने पर मोतियाबिंद, नासूर, सबल बाई (ग्लूकोमा) पाया जाता था। ऐसे मरीजों को प्राथमिक इलाज के बाद निश्चित समय देकर ऑपरेशन के लिए बुलाया जाता था। 24 मार्च से लॉकडाउन हो जाने के कारण इस तरह के मरीजों का आपरेशन रोक दिया गया। ओपीडी में न तो इनका इलाज किया जा रहा है और नहीं इनके आपरेशन हो पा रहे हैं। नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने इन्हें लॉकडाउन तक सावधानी के तौर पर लिखी गई दवाइयों का इस्तेमाल करने और धूप, धूल, धुआं से परहेज करने की हिदायत दी है। दो माह का समय बीत जाने के बाद भी लॉकडाउन खुलने की स्थिति साफ नहीं हो सकी है। जिसके चलते अब अस्पताल पहुंच रहे लोगों को बारिश बाद यानी अगस्त में आपरेशन कराने की सलाह दी जा रही है।
500 ऑपरेशन लंबित हैं
"मेकाहारा में सामान्य ओपीडी चल रही है, एलर्जी सहित सामान्य समस्या वाले मरीजों का परीक्षण कर इलाज किया जा रहा है। प्रतिमाह ढाई सौ के करीब आपरेशन हो जाते थे। मार्च और अप्रैल में आपरेशन होने से लगभग 500 मरीजों के आपरेशन लंबित हैं। लॉकडाउन की वजह से सभी तरह के आपरेशन रोक दिए गए हैं। अस्पताल आने वाले मरीजों को एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं।"
- डॉ. मीना पटेल, नेत्र सर्जन
कलेक्टर ने जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, समस्त अनुविभागीय दण्डाधिकारी और नगरीय निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को निर्देशित किया है, कि लाॅकडाउन के दौरान संचालन के लिए छूट दी गई समस्त दुकानों में मार्किंग कराकर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कराते हुए संचालकों एवं ग्राहकों को व्यवसाय के दौरान मास्क व हैण्डवाॅश, सैनिटाइजर के उपयोग को अनिवार्य किया जाए।
कलेक्टर ने रानू साहू ने कहा कि कार्यालयीन आदेश के माध्यम से जिले में लाॅकडाउन 17 मई तक बढ़ाते हुए जिले के भीतर प्रतिबंधित दुकानों के अलावा अधिकांश दुकानें खोल दी गई है। निरीक्षण में पाया गया कि संचालित की जा रही दुकानों में अनावश्यक ज्यादा भीड़ पाई गई साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मार्किंग नहीं किया गया है। दुकानों में दुकानदार/ग्राहक द्वारा सामग्री छुकर दे रहे हैं वहां पर सैनिटाइजर, हैण्डवाॅश की भी व्यवस्था नहीं की गई है।
कलेक्टर रानू साहू ने कहा कि निर्देशों का कड़ाई से पालन करवाएं। निर्देशों का उल्लंघन पाए जाने पर दुकानों को तत्काल सील करने की कार्रवाई करें
भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा बीएसपी कर्मचारियोें काे तत्काल बेहतर स्वास्थ्य सुविधा को ध्यान में रखते हुए 100 बिस्तर अस्पताल की स्थापना की गई थी। जो अब मात्र 24 बिस्तर में सिमट रह गया है। डाॅक्टर व आवश्यक सुविधा नहीं हाेने से रेफर सेंटर बन कर रह गया है। लगभग 30 वर्ष पूर्व अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त 100 बिस्तर अस्पताल बनाया गया था। जहां बीएसपी कर्मचारियों व मजदूरों का इलाज बेहतर तरीके से किया जाता था।
यहां पर पर्याप्त सर्जन, विशेषज्ञ चिकित्सक, सहायक चिकित्सक, नर्स, हेड नर्स, वार्ड बाय, ड्रेसर, फार्मासिस्ट सहित अन्य कर्मचारियों की पदस्थापना की गई थी, लेकिन धीरे-धीरे सभी सुविधाअाें में कटाैती हाे रही है। इस अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर है। पूर्व मेंकिसी भी प्रकार का बड़ा से बड़ा ऑपरेशन इसी अस्पताल में किया जाता था। यहां तक ऑपरेशन के लिए भिलाई सेक्टर 9 से चिकित्सकों को विशेष वाहन से बुलाया जाता था। माइंस क्षेत्र होने के कारण यहां पर आए दिन दुर्घटना व परिवार के सदस्यों को किसी न किसी तरह के बीमारी से ग्रसित होने से इलाज होता था।
यहां गायनोलाॅजिस्ट, आर्थोपेडिक, दंत चिकित्सक तक नहीं
बीएसपी अस्पताल में 7 चिकित्सकों की पदस्थाना है। जिसमें एक मेडिसिन चिकित्सक और अन्य एमबीबीएस चिकित्सक हैं। इतने बड़े अस्पताल में गायनोलाॅजिस्ट, आर्थोपेडिक, दंत चिकित्सक, सोनोग्राफी चिकित्सक की पदस्थाना नहीं की गई। जिससे संबंधित मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। पैथोलाॅजी लैब नाममात्र का रह गया है। लैब टेक्निशियन के अनुभव की कमी के चलते रिपोर्ट में त्रुटियां पाई जाती है जिससे मरीजों के जान को खतरा बना रहता है। इसके लिए मरीज निजी पैथालाॅजी से टेस्ट करा कर चिकित्सक से सलाह लेते हैं।
चिकित्सकों की भर्ती की जा रही: महाप्रबंधक
अस्पताल प्रबंधक मनोज डहरवाल से पूछे जाने पर इस संबंध में किसी प्रकार की चर्चा करने से इंकार कर दिया। खान मुख्य महाप्रबंधक तपन सूत्रधार ने बताया कि चिकित्सकों की नई भर्ती की जा रही है जिसमंे एक गायनोलाॅजिस्ट शामिल है। साथ ही दो नई एम्बुलेंस की खरीदी की जा रही है।
एक हाॅल में मरीजाें का जांच करते हैं डाॅक्टर
चिकित्सकों के लिए पर्याप्त कमरा होने के बावजूद वहां न बैठ कर एक हाॅल में सभी चिकित्सक बिना पर्दा के मरीजों की जांच करते हैं। वहीं जांच के दौरान चिकित्सक को सभी मरीज घेरे रहते हैं। जिस पर कई मरीज संकोच के कारण बिना जांच कराए वापस चले जाते हैं। कई अपनी गुप्त बीमारी को चिकित्सक के सामने साझा करने से कतराते हैं।
यहां की नर्स ठेका श्रमिकोंसे कराती हैं पूरा काम
हेड नर्स व नर्स कुर्सी में बैठे-बैठे इशारे से अपना सारा काम ठेका श्रमिकोंसे कराती हैं। यहां तक मरीजों की ईसीजी जैसे अनेक कार्य अकुशल ठेका श्रमिकोंद्वारा कराया जाता है। ईसीजी से दवाई वितरण केन्द्र में चिकित्सक के पहुंचने से पहले अपना काउन्टर बंद कर चले जाते हैं। जिससे कई मरीजों को दवाई लेने के दूसरे दिन वापस काउंटर में लाइन लगाकर लेना पड़ता है।
मरीजों को घंटाें करना पड़ता है इंतजार
छोटी बीमारी तक के लिए भिलाई रेफर कर देते हैं
धीरे-धीरे बीएसपी अस्पताल अब मात्र 24 बेड पर सिमट कर रह गया। 12 बिस्तर पुरुष व महिलाओं के 12 बिस्तर लगाया गया है। वर्तमान में महिला एवं पुरुष वार्ड में एक भी मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। मरीज को आपातकालीन स्थिति में चिकित्सक बिना जांच के रेफर कर देते हैं। जिसके कारण बेड खाली पड़ा रहता है। छोटी बीमारी के लिए भिलाई रेफर कर दिया जाता है।
एम्बुलेंस बीच रास्ते में ही कभी भी हो जाती है खराब
बीएसपी द्वारा संचालित एंम्बुलेंस कंडम हो चुकी है। जिसके सहारे मरीजों को सेक्टर 9 रेफर किया जाता है। एम्बुलेंस बीच रास्ते में ही खराब हो जाती है। जिससे मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। एक ओर प्रबंधन माइंस क्षेत्र में उत्पादन काे बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से नई-नई मशीन लगा रही है। लेकिन बीएसपी कर्मचारियों के लिए ठेके पर एम्बुलेंस चला रही है।
बीएसपी कर्मचारी अपना इलाज निजी अस्पतालों में कराने में विश्वास रखते हैं। केवल गरीब व मजदूर ही बीएसपी अस्पताल में पहुंचते हैं। उन्हें भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा भिलाई सेक्टर 9 रेफर करने की बात करते हैं। सेक्टर 9 अस्पताल पहुंचता है तो वहां के चिकित्सकों द्वारा जांच करते ही मरीज की हालत सामान्य हाेने पर वापस राजहरा भेज दिया जाता है। एक मात्र मेडिसिन चिकित्सक हेड बन कर बैठे हैं, जो अस्पताल मेें कभी भी समय पर उपस्थित नहीं रहता। इनके अनुशरण में अस्पताल के सभी कर्मचारी अपना टाइम टेबल व कर्तव्य भूल चुके हैं। अस्ताल में मरीजों को घंटाें इंतजार करना पड़ता है। इंताजर में अस्पताल बंद होने का समय आ जाता है जिससे बिना इलाज के मरीज लौट जाते हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जिले की पंचायतों में फॉगिग मशीन के जरिए गांवों को सैनिटाइज किया जा रहा हैं। गांव के हर गली-मोहल्लों व प्रत्येक घर में मशीन के जरिए सैनिटाइजर का छिड़काव किया जा रहा हैं। नालियों की सफाई भी लगातार करने के साथ डीडीटी का छिड़काव किया जा रहा हैं।
14वें वित्त आयोग की राशि से मूलभूत सेवाओं जैसे स्वच्छता, पेयजल, अपशिष्ट प्रबंधन आदि के लिए किया जा सकता हैं। जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर ने बताया कि शासन स्तर से 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत प्राप्त राशि को ग्राम पंचायतों में कोरोना महामारी को रोकने के लिए उपयोग में लाने आदेश आया हैं। गांवों में स्वच्छता, नालियों की सफाई व गली-मोहल्लों को सैनिटाइज करने सरपंच, सचिव को निर्देशित किया गया हैं। गुरुर जनपद पंचायत सीईओ राजेंद्र पडोटी ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत प्राप्त राशि का उपयोग कोरोना की रोकथाम के लिए आवश्यक उपकरण व सैनिटाइजर आदि क्रय के लिए पंचायत राशि का उपयोग कर सकते हैं।
सविप्रा उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री) विधायक गुलाब कमरो ने कई ग्राम पंचायतों में 1 करोड़ 41 लाख 65 हजार के निर्माणकार्यों का भूमिपूजन किया। राज्यमंत्री ने ग्राम पंचायत कछौड़ में 5 लाख से सीसी सड़क का भूमिपूजन किया। इसी पंचायत में डेढ़ लाख के यात्री प्रतीक्षालय, ग्राम पंचायत पहाड़ हसवाही व बिरौरीडांड़ में 5-5 लाख और डिहुली में 10 लाख से बनने वाले सीसी सड़क का भूमि पूजन किया। वहीं केल्हारी में 20 लाख के स्व-सहायता समूह शेड निर्माण व डांड़हसवाही में 5 लाख से बनने वाले पुलिया निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया। इसके बाद विधायक ग्राम पंचायत पसौरी और घाघरा पहुंचे, जहां उन्होंने 8 लाख की सीसी सड़क के साथ चबूतरा निर्माण का भूमिपूजन किया। ग्राम पंचायत साल्ही में 2.5 लाख के सीसी सड़क, ग्राम पंचायत डोमनापारा में 5 लाख के अहाता निर्माण, ग्राम पंचायत चैनपुर, लालपुर व डंगौरा में 5-5 लाख से बनने वाले सीसी सड़क, कठौतिया में 20 लाख से स्व-सहायता समूह शेड निर्माण, सिरौली व घुटरा में डेड़-डेड़ लाख और ग्राम पंचायत बाही व महाई में 2-2 लाख के शेड निर्माण कार्य का भूमि पूजन किया। इसी क्रम में विधायक ने गरूड़डोल व सोनहरी में 1.5 लाख से शेड निर्माण व 5 लाख के सीसी सड़क और बाला के आश्रित ग्राम ढुलकू में 19 लाख 65 हजार से एनीकट निर्माण का भूमिपूजन किया। इस दौरान जनपद अध्यक्ष डॉ. विनय शंकर सिंह, उपाध्यक्ष राजेश साहू, जिला महामंत्री रामनरेश पटेल, पूर्व सरपंच अमर सिंह श्याम, कृष्णा राय, अज्जू रवि, आनंद राय, रंजीत सिंह आदि उपस्थित रहे।
एक तरफ राज्य सरकार मजदूरों को अपने ही राज्य में रोजगार व्यवस्था कराने का दावा कर रही है। वहीं दूसरे तरफ जिला के एक मात्र रेल स्लीपर फैक्ट्री, जहां प्रतिदिन सात शिफ्टों में सात सौ मजदूरों द्वारा प्रतिदिन ढ़ाई हजार स्लीपरों का उत्पादन करते थे, वहां मजदूरों के अभाव में उत्पादन घट कर महज 750 पर सिमट गया है। गौरतलब रहे कि कोरोना के संक्रमण से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कुछ शर्तों में छूट के साथ लॉक डाउन 3.0 की घोषणा किया गया है।
बावजूद इसके पाटिल ग्रुप द्वारा संचालित दयानंद इंजीनियरिंग वर्क्स अपनी सम्पूर्ण क्षमता के अनुरूप स्लीपर का उत्पादन नहीं कर पा रहा है। नतीजतन इसके बन्द होने का खतरा मंडराने लगा है। बताते चले कि कारखाने में प्रतिदिन 32 सौ स्लीपर बनाने का क्षमता है और मानपुर में निर्मित स्लीपरों का सप्लाई पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर जोन के विभिन्न डिवीजनों में किया जाता है।
कारखाने पर छाने लगे हैं संकट के बादल
इस संबंध में उप महाप्रबंधक राजेश कुमार सिंह ने बताया कि जिला के वरीय अधिकारियों से कामगारों को लेकर कई दौर का बातचीत की गई। रेलवे द्वारा भेजे गए पत्रांक डब्लू/7ए/पीएससी स्लीपर/मानपुर दिनांक 17 अप्रैल 2020 के जवाब में जिला प्रशासन द्वारा कारखाने के भीतर मौजूद ठेके पर रखे गए 180 मजदूरों से मात्र दो शिफ्ट में काम कराने की अनुमति प्रदान किया गया, जो कारखाने को विधिवत संचालित करने के लिए नाकाफी है। बताया कि कारखाने को बदस्तूर जारी रखने के लिए कम से कम प्रतिदिन बाईस-तेईस सौ स्लीपर का उत्पादन होना आवश्यक है। ऐसा नहीं होता है तो फिर कारखाने पर संकट के बादल छा जाएगा। बता दे कि वर्तमान समय मे दया इंजीनियरिंग ग्रुप मानपुर के पास रेलवे द्वारा 90 हजार प्रति माह स्लीपर आपूर्ति करने का आर्डर है।
स्वास्थ्य और पुलिस विभाग पर पूरे जिले को कोरोना वायरस से बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लॉकडाउन के तीसरे फेस तक इनके पास सुरक्षा के लिए कोई उपकरण नहीं है। बार्डर में बैरियर बनाकर स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अफसर-कर्मियों को तैनात को कर दिया है, लेकिन उनके पास बीमारी के प्राथमिक लक्षण की पहचान करने तापमान मापक यंत्र तक नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग के कर्मी सिर्फ सर्दी, खांसी और बुखार की ही जानकारी जुटा रहे हैं। वहीं अब दिल्ली, महराष्ट, गुजरात, पंजाब समेत 15 राज्यों से जिले में 350 से अधिक की लोगों के आने की संभावना है। वे खड़गवां धनपुर, कोड़ा और जरौंधा से दाखिल हो सकते हैं। कोरिया जिले से बाहर गए लोगों की जनपद द्वारा सूची तैयार कराई गई। इसमें अब तक 350 लोगों के खड़गवां ब्लाॅक की ओर से जिले में घुसने की संभावना है। इसे देखते हुए खडगवां के तीनों पंचायतों में बैरियर बनाया गया है और पकड़े जाने वालों को 77 पंचायतों में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। जिले को लॉकडाउन के तीसरे फेस में ग्रीन जोन में बनाए रखने जिले के स्वास्थ्य, पुलिस और सफाईकर्मियों के सामने बड़ी चुनौती है। यहां बता दें कि कोरिया जिला मध्यप्रदेश के सीधी, अनूपपुर, शहडोल समेत छग के सूरजपुर, कोरबा, पेंड्रा-गौरेला से लगा हुआ है। ऐसे में इन सीमाओं को पार कर हजारों लोग अपने गृह ग्राम में आना चाह रहे हैं।
कलेक्टर ने कहा- हमारे पास पर्याप्त संसाधन
लॉकडाउन-3 में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के सवाल पर कलेक्टर डोमन सिंह ने बताया कि हमारे पास पर्याप्त संसाधन है। जिले की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है। बिना अनुमति के कोई भी जिले के भीतर दाखिल नहीं हो सकता है। दूसरे राज्य और कोरिया जिले से लगे छग के अन्य जिले की सीमाओं में चौकसी बढ़ा दी गई है। बाहर से आने वालों को तत्काल क्वारेंटाइन सेंटर में भेजा जा रहा है।
धनपुर, कोड़ा और जरौंधा के रास्ते लौटने की संभावना
धनपुर, कोड़ा, जरौंधा के रास्ते दूसरे राज्यों से लोगों के आने की संभावना है। यहीं वजह है कि यहां बैरियर बनाकर स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अफसर-कर्मियों को तैनात किया गया है। जिन अधिकारी-कर्मचारियों को जिले के साढ़े 6 लाख लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनके ही पास इस वायरस के लक्षण की पहचान करने तापमान मापक यंत्र समेत अन्य जरूरी उपकरण और सामग्री उपलब्ध नहीं है।
मजदूरों की देखरेख करने वालों के पास नहीं था किट
गौरतलब है कि इससे पहले राजनांदगांव से रवाना हुए 46 मजदूरों में से 2 कोरोना पाॅजिटिव झारखंड की ओर भाग गए। उनके संपर्क में रहे सभी कर्मचारियों को इन दिनों मनेंद्रगढ़ के क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है। यहां जो स्वास्थ्य कर्मचारी मजदूरों को सेवाएं दे रहे थे, उनके पास भी पीपीई किट नहीं था।
अब तक जिले में 223 लोगों को किया गया क्वारेंटाइन
बता दें कि रविवार और सोमवार को दूसरे जिले से आने वाले लोगों को धनपुर बैरियर में रोककर स्वास्थ्य परीक्षण समेत पूरी जानकारी इकट्ठा कर 233 लोगों को क्वारेंटाइन कर दिया गया। सामान्य और रेड जोन से आने वालों के लिए अलग-अलग सेंटर बनाए गए हैं। कोड़ा, धनपुर, जरौंधा नाके पर रेड जोन से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर नाके पर ही क्वारेंटाइन किया जा रहा है।
जिले के 350 से अधिक लोग दूसरे राज्यों में फंसे
संभावना जताई जा रही है कि धनपुर, कोड़ा, जरौंधा के रास्ते से आने वालें दिनों में 350 से अधिक लोग दाखिल होंगे। इसमें कर्नाटक 25, मध्यप्रदेश 37, झारखंड 26, केरल 9, महराष्ट्र 40, तमिलनाडू 25 और सबसे अधिक गुजरात में जिले से काम करने गए लोग लौटेंगे। इसके अलावा उड़ीसा, राजस्थान, बिहार, यूपी, असम, दिल्ली, पंजाब समेत पश्चिम बंगाल से भी लोग वापस आएंगे।
स्वास्थ्य कर्मियों के पास पीपीई किट भी नहीं
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी तापमान मापक यंत्र नहीं मिलने से बार्डर में सिर्फ सर्दी, खांसी और बुखार की ही जांच कर रहे हैं। जिनमें ये लक्षण दिख रहे हैं, उन्हें सामुदायिक और जिला अस्पताल भेजा जा रहा है। यहां तक कि स्वास्थ्य कर्मियों के पास पीपीई किट तक उपलब्ध नहीं है। जिससे बाहर से आने वालों के कारण इनमें भी संक्रमण फैलने की संभावना बनी हुई है।
बिना तापमान मापक यंत्र के बार्डर में तैनात स्वास्थ्य और पुलिस कर्मी। यहां पहुंचने वालों का सर्दी-खास
जिले में दाखिल होने के लिए खड़गवां का रास्ता सबसे आसान
तापमान मापक यंत्र नहीं होने से बढ़ा खतरा
गौरतलब है कि बगैर तापमान मापक यंत्र के ही अन्य जिले और प्रदेश से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बार्डर में तैनात अधिकारी-कर्मचारी किस तरह से जोखिम उठा रहे हैं। अन्य प्रदेश व छग के दूसरे जिले से कोरिया जिले में पहुंच रहे लोगों का बार्डर पर ही खानापूर्ति के साथ स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें सीधे 14 दिन के क्वारेंटाइन में भेजा रहा है।
क्षेत्र के व्यापारियों में कौन सी दुकानें अब तक खुलेंगी इसे लेकर संशय की स्थिति थी। इसे लेकर शांति समिति की बैठक आयोजित की गई। इस दौरान व्यापारियों को कोरोना वायरस से बचने बरती जाने वाली सावधानी और कौन सी दुकानें किस समय से कब तक खुलेंगी इस संबंध में जानकारी दी गई। पटना थाना प्रभारी ने व्यापारियों की बैठक लेकर बताया कि कोरिया कलेक्टर ने भी लाॅकडाउन की समय सीमा बढ़ाकर 17 मई तक की है, हालांकि कोरिया जिला को ग्रीन जोन में रखा गया है फिर भी कुछ गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा। बैठक में सभी व्यापारियों को थाना प्रभारी सत्य प्रकाश तिवारी ने बताया कि शनिवार को सभी दुकानें बंद रहेगी और शनिचरी बाजार भी नहीं लगेगा। एम्बुलेंस और जरूरी वाहनों को छोड़ कर बाकी पर प्रतिबंध रहेगा। राज्य में संचालित होने वाले सार्वजनिक परिवहन यान, यात्री बस, सिटी बस, टैक्सी, आॅटो, ई-रिक्शा आगामी आदेश तक बंद रहेंगे। विशेष व आपात स्थिति में राज्य शासन के निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार अनुमति प्रदान की जाएगी। अंतर राज्यीय सार्वजनिक यातायात भी बंद हैं। मेडिकल इमरजेंसी को छोड़कर सभी प्रकार के स्कूल, काॅलेज कोचिंग व प्रशिक्षण सेंटर आदि बंद रहेंगे। आॅनलाइन शिक्षा संबंधी कक्षाएं जारी रहेंगी। लॉक डाउन में संपूर्ण कोरिया जिले में निर्धारित शर्तों के अनुरूप कुछ अनुमति प्रदान की जा रही है, जिसमें पहले से खुल रही दुकानें यथावत रहेंगी। वहीं पटना क्षेत्र में मंगलवार, गुरुवार और रविवार को सुबह 9 बजे से 4 बजे तक जनरल स्टोर, ज्वेलरी, बर्तन, इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्राॅनिक, मोटर शो-रूम, मोटर पार्ट्स, आॅटोमोबाइल व आॅटोपार्ट्स की दुकानें, कंप्यूटर व टायर की दुकानें खुलेंगी। सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को तय समय तक कपड़ा दुकान, जूता, पेंट, प्लाई, मोबाइल, फर्नीचर, टेलरिंग मटेरियल की दुकानें खुलेंगी। वहीं शनिवार को सभी दुकानें बंद रहेगी।
लॉकडाउन के दौरान तय शर्तों के साथ सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक दुकानें खोलने शासन ने दी अनुमति
मनेंद्रगढ़| जिला प्रशासन ने लॉकडाउन में निर्धारित शर्तों के अधीन व्यापारियों को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक तय समय-सीमा में प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति दी है। निकाय क्षेत्र मनेंद्रगढ़, झगराखांड, लेदरी और खोंगापानी में हर रविवार को साप्ताहिक बंदी तय किया गया है। वहीं सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को कपड़ा दुकान, जूता, पेंट, प्लाई और मोबाइल दुकानें, फर्नीचर और टेलरिंग मटेरियल से संबंधित प्रतिष्ठानें खुलेंगी, जबकि मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को जनरल स्टोर, ज्वेलरी, बर्तन, इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स और मोटर शो-रूम, मेटर पाट्र्स, ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स की दुकानें, कंप्यूटर और टायर दुकानों को खोलने की छूट दी गई है। वहीं पूर्व में अनुमति प्राप्त जरूरी सेवाओं की दुकानें किराना, दवाई, मोबाइल रिचार्ज, पंखे की दुकान, सीमेंट छड़ व हार्डवेयर व डेयरी दुकान अपने पूर्व निर्धारित समय पर हफ्ते में 6 दिन खुलेंगे।
बैंक और सरकार की कार्यशैली के बीच किसानों व आढ़तियों की करोड़ों की पेमेंट अटकी पड़ी है। गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुए करीब 3 सप्ताह होने वाले हैं, लेकिन किसानों को अपनी फसल का एक पैसा नहीं मिला। खरीद एजेंसी बैंकों को दोषी ठहरा रही है तो बैंक आढ़तियों को एग्रीमेंट करने की बात कह रहे हैं। खरीद एजेंसी वेयर हाउस की माने तो उन्होंने दो दिन की खरीद का पैसा अपने बैंक कोटक महिंद्रा के खाते में डाल दिया है, जिसे बैंक ने आढ़तियों के खाते में ट्रांसफर करना है। आढ़तियों का कहना है कि उनका खरीद एजेंसी की ओर करोड़ों रुपया हो गया है, लेकिन अभी तक एक भी पैसा भुगतान नहीं किया गया। किसान आए दिन उनसे लड़ने झगड़ने के लिए तैयार रहते हैं। आढ़ती चंद्रपाल शर्मा, राजेंद्र अग्रवाल, बरखा राम, दीदार व जगीर का कहना है कि बिलासपुर मंडी के एक-एक आढ़ती का 35 लाख से ढाई करोड़ रुपए तक का माल सरकार उठा चुकी है, लेकिन एक दिन की खरीद का भुगतान भी नहीं किया गया। सरकार 24 घंटे में भुगतान का खोखला दावा करती है। उन्हें अभी भी नहीं पता कि भुगतान एक दिन बाद होगा या एक सप्ताह बाद।
धरना देने पर मजबूर होंगे: कांशी राम | भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी कांशी राम व जसबीर सिंह ने कहा कि किसानों के सामने आर्थिक तंगी है। सरकार ने उनकी सारी फसल तो खरीद ली लेकिन एक भी पैसे का भुगतान नहीं किया। भुगतान न मिला तो वे धरना प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे।
9 करोड़ का भुगतान कर दिया
वेयरहाउस के डीएम डीके पाण्डेय का कहना है कि जिला यमुनानगर की मंडियों के लिए 8 करोड़ 71 लाख रुपया कोटक महिंद्रा बैंक में पेय नॉउ कर दिया गया है। उनका कहना है कि जैसे ही उन्हें आढ़तियों की ओर से इस पैसे के आगे किसानों को भुगतान का सर्टिफिकेट मिल जाएगा अगला भुगतान कर दिया जाएगा। उनका कहना है कि कुछ आढ़ती बैंक की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं हैं। खरीद एजेंसी सीधे किसानों या आढ़तियों के खाते में पैसे नहीं डाल सकती। सरकार द्वारा तय बैंकों के खाते में ही पैसा डाला जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने आईसीसीआई बैंक, एचडीएफसी, कोटक महिंद्रा, इंडसूइंड बैंक, यश बैंक, आईडीबीआई, बैंक आफ बडौदा, पीएनबी, पंजाब एंड सिंध बैंक एसबीआई बैंक को अधिकृत किया है।
मंगलवार को जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीमावर्ती क्षेत्र ग्राम ठूठीअंबा,ते तरटोली क्षेत्र में सीआरपीएफ के जवानों ने जरूरतमंद ग्रामीणों को अनाज, राशन की सामग्री, सैनिटाइजर, साबुन आदि का वितरण किया। सुबह से ही जवान सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों से संपर्क में रहे। यह संसाधन जवानों ने स्वयं जुटाए और ग्रामीणों की मदद की। साथ ही सीमापर जागरूकता के संदेश भी जवानों ने ग्रामीणों को दिए। इस अवसर पर कमांडेंट गजेंद्र सिंह, आरा में स्थित बटालियन के कमांडर प्रशांत राय सहित जवान व सामाजिक कार्यकर्ता, सरपंच मुख्य रूप से उपस्थित रहे। उप कमाडेंट गजेंद्र सिंह, कंपनी कमांडर प्रशांत राय ने बताया कि कमांडेंट अनिल कुमार प्रसाद के मार्गदर्शन में सभी कंपनी द्वारा अपने-अपने तैनाती क्षेत्र में पुराना संक्रमण को लेकर अपनी जिम्मेदारी निभाई जा रही है। साथ ही ग्रामीणों को व खास जरूरतमंदों को हर प्रकार से मदद देने का प्रयास भी जवानों के माध्यम से किया जा रहा है।
कोरोना राहत कोष: यादव समाज ने सांसद को सौंपा 1.51 लाख रुपए का चेक
अंकिरा | यादव समाज के अध्यक्ष डमरूधर यादव के नेतृत्व में कोरोना वायरस कोष में 1.51 लाख रुपए का चेक सांसद गोमती साय को सौंपा। इस दौरान सांसद गोमती साय ने समाज के सभी लोगों को बधाई दी साथ ही कहा की आपका आर्थिक सहायता सराहनीय है। इससे कुछ गरीब लोगों की सहायता हो जाएगी। उसके साथ ही कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए शासन के द्वारा जारी किए गए मापंदडों को स्वयं पालन करें एवं आसपास के पड़ोसियों को भी प्रेरित करें। इस दौरान मुख्य रूप से टिकेश्वर यादव, गणेश यादव, मोहन प्रसाद यादव, ललित यादव, ऋषि यादव, भवानीशंकर खुटिया सहित दर्जनों समाज में लोग उपस्थित थे।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने नोवेल कोराना वायरस कोविड-19 के संक्रमण के बचाव सुरक्षा के लिए संपूर्ण जशपुर जिले में प्रभावशील धारा 144 को लाॅकडाउन की अवधि आगामी 17 मई तक के लिए लागू करने का आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य की दृष्टि से तथ्य परिलक्षित है कि कोरोना वायरस के संपर्क से पीड़ित संदेही से दूर रहने की सख्त हिदायत है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा यह भी निर्देशित किया गया है कि इससे बचने के लिए सभी संभावित उपाय अमल में लाए जाए। उन्होंने कहा है कि कोरोना कोविड-19 के संभावना प्रसार को देखते हुए इसको रोकने के लिए न सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश में कड़े सामाजिक अलगाव को अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि अद्यतन स्थिति में भी कोरोना वायरस संक्रामक बीमारी पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है। अभी संक्रमण की स्थिति कई स्थानों पर संभावित है। संक्रमण के बचाव हेतु जिला जशपुर में स्वास्थगत आपातकालीन स्थिति को नियंत्रित में रखने के लिए यह उचित प्रतीत होता हैं। उन्होंने कहा है कि यह भी तथ्य ध्यान में रखने योग्य है कि इस आपात की स्थिति में व्यवहारिक तौर पर संभव नही है कि जशपुर जिले में निवासरत सभी नागरिकों को नोटिस की तामिल कराई जा सके। अतः एकपक्षीय कार्यवाई करते हुए दण्ड प्रक्रिया संहित 1973 के अंतर्गत जशपुर जिले में पूर्व में लागू 144 धारा में वृद्धि करना उचित है।
कलेक्टर श्री क्षीरसागर ने माहामारी रोग अधिनियम तथा शासन द्वारा जारी आदेश के तहत कार्यालय, प्रतिष्ठानों, सेवाओं इत्यादि को दी गई इस आदेश में भी यथावत रहेगी। यह आदेश जशपुर जिले की संपूर्ण सीमा क्षेत्र के लिए 17 मई 2020 या आगामी आदेश तक प्रभावशील रहेगी। उक्त आदेश का उल्लंघन करने पर कार्यवाही भी की जाएगी।
छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन संघ ने प्राइवेट स्कूल संचालकों से बच्चों की फीस माफ करने की मांग की है। उन्होंने पालकों से बच्चों को सरकारी स्कूल में एक बार विश्वास जताने की अपील की है।
प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी,जशपुर जिला अध्यक्ष विनोद गुप्ता एवं महामंत्री संजीव शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण अधिकांश उच्च, निम्न एवं मध्यमवर्गीय परिवारों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। अभिभावक निजी स्कूलों की फीस भरने में असमर्थ हैं और वे फीस माफी चाहते है लेकिन प्राइवेट स्कूल संचालक मानने को तैयार रहीं। सरकार ने निजी स्कूल वालों से कहा भी है कि वे फीस न बढ़ाएं तथा एकमुश्त शुल्क भरने का दबाव न बनाएं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी निजी स्कूल,सरकार के फरमान को मान लेंगे। उनका कहना है कि, जिस प्रकार संकट के घड़ी में सरकार और जनता ने सरकारी अमले पर भरोसा जताकर सुखद परिणाम पाया है, उसी प्रकार विद्यार्थियों के अभिभावकों को अब सरकारी स्कूल पर भरोसा करके अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहिए। उनका कहना है कि, 8 वीं कक्षा तक कोई प्रवेश या मासिक फीस नहीं है। उच्चतम शैक्षणिक अहर्तायुक्त योग्य शिक्षक एवं शिक्षण उपलब्ध है। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम, अच्छे भवन , पर्याप्त फर्नीचर, निशुल्क यूनिफार्म एवं पुस्तकें,साईकिल, छात्रवृति और पौष्टिक मिड डे मील सरकारी स्कूल में उपलब्ध है।साथ ही घर के निकट होने के कारण,स्कूल आना जाना आसान है,कोई वाहन शुल्क भी नहीं लगेगा। 9 वीं कक्षा से मामूली फीस है। स्कूलों में अत्याधुनिक प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लासरूम एवं एडूसेट की सुविधाएं सरकारी स्कूलों में उपलब्ध है। 12 वीं तक पढ़ाने के लिए उच्च योग्यताधारी शिक्षक हैं। सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए निशुल्क ऑनलाइन टीचिंग क्लासेज संचालित हो रही है। प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए विशेष कोचिंग की सुविधाएं अनेक जिलों में है। अभिभावकगण बेवजह सरकार पर प्राइवेट स्कूलों पर फीस कम करने का दबाव बना रहे है। जबकि सरकार ने तो उनके सामने सर्वसुविधायुक्त सरकारी स्कूलों में प्रवेश का विकल्प दे रखा है। यदि अभिभावक निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली से खुश नहीं है,तो सरकारी स्कूल एक बेहतर विकल्प है।
तीसरे लाॅकडाउन मे केन्द्र सरकार से आए निर्देश के बाद राज्य सरकार भी उस पर अमल करते हुए सरकारी शराब की दुकानों से बंदी हटा दी। सरकार के इस फैसले का छोटे व्यवसायियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
उनका कहना है कि ठेले गुमटियों को खोलने से यदि कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता है तो शराब दुकानों में लगने वाली ग्राहको की लंबी लाइन संक्रमण के खतरे को बढ़ाने में उससे ज्यादा मददगार साबित होगी। पिछले डेढ़ माह से सरकार होटल एवं छोटे ठेले गुमटियों को इसलिए नहीं खुलने दे रही हैं क्योंकि वहा अधिक भीड़ होने से कोरोना संक्रमण फैलने का डर है, लेकिन सरकार शराब दुकान खोलकर ऐसे छोटे व्यवसाय करने वाले लोगो के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। दरअसल शहर में सौ से भी अधिक ऐसे छोटे रोजगार है,जिनके संचालक रोज कमाकर रोज अपना पेट भरते हैं, लेकिन पिछले डेढ़ माह से बंद उनके रोजगार ने अब उनकी कमर तोड़ कर रख दी है। बहुत से लोगों के सामने पेट भरने के लिए राशन मांगने तक की नौबत आ गई है।
ठेले व गुमटी लगाने वालों को रोजगार छीनने का डर
लाॅकडाउन के बाद शराबियों की उमड़ती भीड़ से शराब दुकानें जहां गुलजार हो गई वहीं अब भी छोटे ठेले गुमटी लाॅकडाउन की मार झेल रहे है। ऐसे मे उनके सामने रोजी रोटी के अलावा उनकी दुकानें भी पूरी तरह बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुकी है। उनके सामने अपनी दुकानों की मरम्मत कराने के लिए भी रकम का अभाव बना हुआ है। मंडी परिसर से चार दशक से गुमटी लगाकर व्यवसाय करने वाले आनंद साहू ने बताया कि वे हमेशा सुबह 6 बजे से लेकर सुबह के ही दस बजे तक अपनी दुकान संचालित करते हैं। ऐसा उनके द्वारा पिछले चालीस सालो से किया जा रहा था, लेकिन अब लाॅकडाउन की मार झेल कर डेढ़ माह से उनकी गुमटी बंद पड़ी है,जिसके कारण उनके सामने अपना व्यवसाय संचालित करने के अलावा पेट पालने की भी नौबत आ गई हैं। शहर मे इस तरह अपना व्यवसाय करने वाले सौ से भी अधिक अन्य लोग है,जो अब दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हो गए हैं।
बंद दुकानों में चल रहा व्यवसाय
प्रशासन के सौतेले निर्देश के बाद जहां बड़े व्यापारियों का व्यापार शुरू हो गया,वहीं छोटे ठेले गुमटी वाले अब भी प्रशासन की ओर से आने वाले नए निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। बताया जाता है कि सुबह मिली छूट के बाद भी शहर मे अनेक ऐसे बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान है, जो आधा शटर की आड़ मे दिनभर अपना व्यवसाय संचालित कर रहे है। ऐसे में बड़े व्यवसायी जहां अपना धंधा दिन रात चला रहे है, वही ठेले गुमटियों मे अपनी जीविका यापन करने वाले लोग लाॅकडाउन की वजह से पूरी तरह प्रभावित हो गए है।
मंडी प्रांगण मेंलगने वाली गुमटी अब उजड़ चुकी है।
बीएसपी के ट्रांसपोर्ट एंड डीजल विभाग (टीएंडडी) के समर्पित बिरादरी ने संकट की इस घड़ी में संयंत्र के धड़कन को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पूरे संयंत्र में विभाग का नेटवर्क है। कच्चे माल से लेकर तैयार माल तक के परिवहन का जिम्मा टीएंडडी विभाग प्रमुखता से निभाता आ रहा है। कोरोना वायरस के क्रिटिकल समय में भी विभाग अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर रहा है।
ब्लास्ट फर्नेस स्टेशन के प्रभारी व महाप्रबंधक (ट्रैफिक इन्टरनल) रिनोज कुमार सिंह विभाग के टीम वर्क की तारीफ करते हुए कहते हैं कि ब्लास्ट फर्नेस स्टेशन की टीम निष्पादन के लिए जितनी समर्पित है उतनी ही कोविड के प्रति सतर्क व सजग है। कोविड हेतु जारी दिशा-निर्देशों का पालन कर रहा है।
साइकोलाजिकल फीयर को किया गया दूर:शुक्ला
इसी स्टेशन के प्रबंधक अवनित शुक्ला बताते हैं कि लोगों को प्रेरित करने के लिए हमने सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाए गए अनेक भ्रम को सही जानकारी देकर दूर किया। सोशल डिस्टेंसिंग व मास्किंग के फायदे गिनाए गए। सबने मिलकर लोगों के अंदर पनप रहे साइकोलाजिकल फीयर को दूर करने हेतु निरंतर काउंसलिंग की।
कोरोना संकट में 27 से 31 मार्च के दौरान ड्यूटी के लिए बुलाए जाने के बाद भी कई कर्मी नहीं आए। प्रबंधन ने ऐसे कर्मियों का मार्च के वेतन में अनुपस्थिति बताते हुए उन दिनों का वेतन काट दिया। अब प्रबंधन के इस फैसले के खिलाफ हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन (सीटू) ने क्षेत्रीय श्रम आयुक्त छत्तीसगढ़ के समक्ष परिवाद दायर किया है।
परिवाद में कहा गया है कि भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने कोरोना वायरस संकट को देखते हुए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया था। इसमें लॉकडाउन अवधि के दौरान किसी भी कर्मी को ना तो नौकरी से निकाला जाए, ना ही उसकी वेतन में कटौती की जाए। यूनियन ने कहा कि इस आदेश की अनदेखी कर भिलाई इस्पात संयंत्र ने उन कर्मियों का हाजिरी काटते हुए वेतन में कटौती कर दी। गैर हाजिर कर्मी कार्य स्थलों पर कोरोना संकट से निपटने के लिए की जाने वाली व्यवस्था की कमी के कारण 27 से 31 मार्च तक कार्य स्थल पर नहीं पहुंच सके थे। प्रबंधन ने कर्मियों के हाजिरी में अनुपस्थित चिह्नित कर वेतन में कटौती की।
बीएसपी प्रबंधन नहीं मान रहा जारी निर्देश: एसपी डे
सीटू नेता एसपी डे ने कहा कि केंद्रीय सार्वजनिक उद्योगों को 23 से 31 मार्च तक केवल न्यूनतम कर्मचारियों के साथ केवल अति आवश्यक कार्य करने के लिए दिशा निर्देशित किया था, 22 मार्च को जारी किए गए ज्ञापन में भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय ने कहा कि आवश्यक सेवाओं में शामिल होने के लिए आवश्यक कर्मचारियों का एक रोस्टर तैयार किया जाए। 23 से 31 मार्च तक कार्यालय या इकाई में बनाए गए रोस्टर के अनुसार भाग लेने के लिए कहा जाए।
लापरवाही के कारण कर्मी बंद किए थे ड्यूटी में आना
सीटू नेता डे ने कहा कि संयंत्र के उच्च प्रबंधन द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देश के बावजूद कुछ विभाग प्रमुख ने न तो कोई योजना तैयार की। न ही दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए आवश्यक न्यूनतम श्रमशक्ति के साथ काम करने के लिए कोई रोस्टर तैयार किया। खुर्सीपार क्षेत्र में कोरोना पॉजिटिव केस आने से घबराकर कर्मियों ने 27 मार्च से यूनिवर्सल रेल मिल रेल मिल एवं कुछ अन्य विभागों में ड्यूटी आना बंद कर दिए। फिर सैनिटाइज कराया गया और मास्क भी बांटे गए।
अमृत मिशन फेस टू के तहत नवनिर्मित हाउसिंग बोर्ड पानी टंकी से जल प्रदाय के लिए टेस्टिंग शुरू हो गई है। टंकी में पानी भरकर डिस्ट्रीब्यूशन पाइप लाइन से सप्लाई किया जाएगा। हाउसिंग बोर्ड और आसपास के क्षेत्रों को जल प्रदाय किया जा सके। मेयर व विधायक देवेंद्र यादव और निगम आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी ने पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए है। अधिकारियों द्वारा शुद्ध पेयजल प्रदाय करने कार्य किया जा रहा है।
ईई संजय शर्मा ने बताया कि हाउसिंग बोर्ड के समीप के क्षेत्रों को जल प्रदाय करने के लिए ओवरहेड टैंक का निर्माण किया गया है। जिसकी क्षमता 32 लाख लीटर की है। वितरण पाइपलाइन लगभग 35 किलोमीटर तक बिछाई गई है। अन्य टंकियों का टेस्टिंग जारी है।
लीकेज सुधारने चल रहा अभियान
जोन-2 आयुक्त सुनील अग्रहरि ने बताया कि टेस्टिंग कार्य का निरीक्षण किया गया है। पाइपलाइन लीकेज सुधारने व कनेक्टिविटी करने गड्ढा खोदकर मरम्मत कर रहे हैं। लॉकडाउन के विकट परिस्थिति में भी पेयजल को दुरुस्त करने निगम के अधिकारी/कर्मचारी लगे हुए हैं। कर्मचारी द्वारा पेयजल संबंधी कार्य किया जा रहा है।
टंकी से इन इलाकों में होगी पेयजल आपूर्ति
हाउसिंग बोर्ड पानी टंकी से आम्रपाली, फौजी नगर, तीन मंजिल एवं 32 एकड़, घासीदास नगर, पीली पानी टंकी के कुछ स्थानों पर, गुरुद्वारा के समीप आदि क्षेत्र को पानी दिया जाएगा। नई पाइपलाइन बिछाने के दौरान ईट, पत्थर इत्यादि गंदगी पाइप में होने की संभावना रहती है। लोगों को इससे राहत मिलेगी।
नगर निगम भिलाई से अलग होकर नया निगम बने रिसाली में टैक्स वसूली शुरू हो गई है। वहां तकरीबन 22 हजार मकान और 4 हजार दुकानदार है, जिनसे रिसाली निगम टैक्स वसूलेगा। निगम ने टैक्स कलेक्शन का जिम्मा स्पैरो सॉफ्टटेक कंपनी को दिया है। मंगलवार से इसकी शुरुआत भी हो गई है। फिलहाल रिसाली निगम क्षेत्र में ऑनलाइन टैक्स जमा नहीं होंगे। निगम के अस्थाई भवन में ही काउंटर शुरू किया गया है। जहां टैक्स वसूले जाएंगे। मास्क पहनकर आने वाले लोगों से ही टैक्स लिए जाएंगे। निगम परिसर में सैनिटाइजेशन का इंतजाम भी है।
एक नजर रिसाली निगम क्षेत्र में राजस्व आय पर
22 हजार लोग करदाता है रिसाली निगम में जिनसे टैक्स वसूलेगा।
10 करोड़ रुपए तक वसूली भिलाई निगम को पहले रिसाली जोन से होती थी।
03 करोड़ रुपए पीएसयू सेक्टर की छोटी इकाइयों से विविध अाय हाेती थी।
04 हजार के आसपास कॉमर्शियल टैक्सपेयर्स हैं।
06 करोड़ तो सिर्फ प्रॉपर्टी टैक्स के रूप में मिलते थे।
1.75 करोड़ एनएसपीसीएल निगम को मिलता है।
60 से 70 लाख रुपए बीआरपी से मिलता था।
मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया
स्पैरो सॉफ्टटेक कंपनी के मैनेजर अविनाश सिंह ने बताया कि रिसाली निगम क्षेत्र में टैक्स वसूलने के लिए 18 लोगों की टीम है। जो डोर-टू-डोर जाकर वसूली करेगी। रिसाली सेक्टर, मरोदा सेक्टर और रूआबांधा सेक्टर का टैक्स बीएसपी से मिलेगा। टैक्स संबंधी अधिक जानकारी के लिए वेदप्रकाश से 6260278583, मनीष 7999089887 से संपर्क कर सकते हैं।
पिछले वर्ष के जमा करने पर नहीं लगेगी पेनल्टी
रिसाली निगम आयुक्त प्रकाश सर्वे ने बताया कि छग शासन के निर्देशानुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 का बकाया संपत्तिकर 15 मई तक जमा करने पर 18 प्रति. अधिभार नहीं लिया जाएगा। मौजूदा वर्ष का टैक्स देते हैं तो 6.25 प्रतिशत की छूट, 1 जून से 31 जुलाई 2020 तक 5 प्रतिशत, 1 अगस्त से 30 सितंबर 2020 तक 4 प्रतिशत की छूट, 1 अक्टूबर से 30 नवम्बर तक 2% छूट मिलेगा।