जिले में शनिवार को तीन और कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। तीनों मरीज जसवंतपुरा उपखंड क्षेत्र के हैं, इनमें से कलापुरा निवासी दंपती हैं, जबकि 1 मरीज कारलू का रहने वाला है। तीनों पॉजिटिव प्रवासी हैं, जो कुछ दिन पहले ही अहमदाबाद से गांव लौटे थे।
गांव आने के बाद इनको चांडपुरा में स्थित देवनारायण आवासीय विद्यालय में क्वारेंटाइन करके इनका सैंपल लिया गया था। गुरुवार को जिले से 130 संदिग्धों के सैंपल जांच के लिए पाली मेडिकल काॅलेज भेजे थे, जिनमें से 117 सैंपल की रिपोर्ट शनिवार सुबह आई थी, जिसमें यह तीनों मरीज पॉजिटिव मिले हैं। जसवंतपुरा उपखंड में तीनों मरीज मिलने के बाद प्रशासन भी सतर्क हो गया। कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने आदेश जारी करते हुए दोनों गांव में कर्फ्यू लगा दिया हैं। इसके बाद एसडीएम पुष्पा सिसोदिया समेत प्रशासनिक अधिकारियों ने दाेनाें गांवाें में पहुंचकर ग्रामीणाें से घरों में ही रहने की अपील की। साथ ही दाेनाें गांवाें में जाने वाले सभी रास्ते भी बंद कर दिए गए। इस दोरान जसवंतपुरा गांव के कलापुरा में पॉजिटिव मरीज मिले के बाद पुलिस प्रशासन ने गांव में फ्लैग मार्च निकाला।
8 में से 7 प्रवासी पॉजिटिव, सभी अहमदाबाद व सूरत से आए
5 मई तक जालोर जिला ग्रीन जोन में था, जिसके बाद मरीज पॉजिटिव आने शुरू हुए हैं। अब तक जिले में 8 कोरोना मरीज सामने आ चुके हैं, इनमें से 7 गुजरात के अहमदाबाद व सूरत निवासी हैं, जबकि एक मरीज सीकर से आई थीं। जिले में सायला के वीराणा निवासी दो पॉजिटिव सूरत से आए थे, वहीं आहोर के रायथल निवासी युवक, रानीवाड़ा कलां निवासी युवक, कलापुरा निवासी दपंती व कारलू निवासी अधेड़ भी अहमदाबाद से आया था। ऐसे में अब अहमदाबाद से आने वाले प्रवासियों को लेकर जिले में खतरा बना हुआ है।
कारलू निवासी 49 वर्षीय कोरोना संक्रमित मरीज भी 3 मई को अहमदाबाद से अपने गांव लौटा था। यह भी वहां से कार में सवार होकर आया। घर आने के बाद इसको होम क्वारेंटाइन किया, लेकिन बुखार आने पर इसे 4 मई को चांडपुरा में स्थित देवनारायण आवासीय विद्यालय में क्वारेंटाइन कर दिया। यहां 5 मई को ही इसका सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा था। इस कोरोना संक्रमित की अहमदाबाद में सेलून की दुकान है। एक दिन घर पर रहने पर यह परिवार के भी संपर्क में आया, जबकि इसके भाई ने गांव में कई घरों में जाकर लोगों के बाल काटने का भी कार्य किया था। मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसके भाई व उसकी पत्नी भीनमाल चले गए। इसकी सूचना मिलने पर प्रशासन की टीम ने भीनमाल से एंबुलेंस से वापस दोनों काे बुलाया और उनके सैंपल लेकर क्वारेंटाइन किया है।
सबसे बड़ा खतरा : संक्रमित दपंती 51 जनों के साथ ट्रक में सवार होकर गांव आए, सभी की पहचान
2 मई को अहमदाबाद से आए कलापुरा निवासी दपंती मिनी ट्रक में सवार होकर अपने गांव पहुंचे थे। इनके साथ मिनी ट्रक में कुल 51 लाेग सवार थे। अब प्रशासन ने सभी लाेगाें की जानकारी जुटा दी है। इनमें से तीन परिवार सिरोही जिले के भी हैं। प्रशासन अब इनके साथ आने वाले सभी प्रवासियाें के सैंपल लेकर उन्हें भी क्वारेंटाइन करने की तैयारी कर रहा है। अब खतरा यह है कि एक मिनी ट्रक में 51 प्रवासी सवार होकर राजस्थान आए थे। ऐसे मेंं इनके संपर्क में और भी मरीजाें के संक्रमित होने का खतरा है।
राहत की बात : वीराणा के युवक व एएनएम के संपर्क में आने वाले कई जनों की रिपोर्ट निगेटिव
6 मई को वीराणा निवासी दो जनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इनके संपर्क में आने वाले 10 जनों की रिपोर्ट आ चुकी हैं, इन सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई हैं। साथ ही एएनएम के संपर्क में आए 7 जनों के सैंपल लिए थे। इनमें उनके साथ कार में सवार होकर आने वाले उनके भाई व मां भी शामिल थे। इन दोनों की रिपोर्ट भी निगेटिव आई है। इसके अलावा रामदेव कॉलोनी में यह जिस रिश्तेदार के यहां रूके थे, उनकी रिपोर्ट भी निगेटिव मिली है।
जसवंतपुरा के कलापुरा निवासी दंपती 2 मई को अहमदाबाद से कलापुरा पहुंचे थे। गांव आने के बाद प्रशासन ने इनको होम क्वारेंटाइन किया। हालांकि दोनों को बुखार आने व कोरोना जैसे लक्षण नजर आने के बाद 5 मई को चिकित्सा विभाग की टीम ने उनके घर पर पहुंचकर दोनों का सैंपल लिया। इसकी रिपोर्ट में दोनों पॉजिटिव निकले। जानकारी के अनुसार संक्रमित मरीज अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में ही रहता था, जहां पर सब्जी बेचता था। दंपती 51 लाेगाें के साथ एक मिनी ट्रक में सवार होकर गांव पहुंचे थे। अब इनके संपर्क में आए लाेगाें की पहचान की जा रही है। साथ ही ये दाेनाें जिनके संपर्क में आए उनकाे भी क्वारेंटाइन किया जाएगा।
फोटोग्राफर्स और वीडियोग्राफर्स एसोसिएशन ने लाॅकडाउन के दाैरान जरूरतमंद सदस्याें और अन्य लाेगाें काे राहत सामग्री का वितरण किया। एसाेसिएशन अब तक 80 से ज्यादा परिवाराें काे मदद कर चुकी है।
एसाेसिएशन के उपाध्यक्ष संताेष सेन ने सभी सदस्याें से लाॅकडाउन का पालन करने की अपील की है। उन्हाेंने सदस्याें से कहा कि वे अपने परिवार को कोरोना जैसी भयंकर बीमारी से बचाने के लिए घराें पर ही रहें। अगर किसी सदस्य काे खाद्य सामग्री की जरूरत हो तो वह एसोसिएशन से संपर्क कर सकता है।
एसाेसिएशन ने राहत सामग्री में सहयाेग करने वाले भामाशाहाें का आभार भी व्यक्त किया। एसोसिएशन की ओर से राहत सामग्री वितरण व्यवस्था काे अध्यक्ष श्रीप्रकाश प्रीतवानी, उपाध्यक्ष संतोष सेन, सचिव श्याम सुंदर शर्मा, संगठन मंत्री वेद प्रकाश सिसोदिया, प्रचार मंत्री पंकज गढ़वाल एवं कार्यकारिणी के सदस्य संभाल रहे हैं।
एबीवीपी की अजमेर महानगर इकाई ने मांग की है कि प्रदेश के विद्यार्थियाें की फीस और कमरा किराए से लेकर रहने वाले विद्यार्थियाें का कमरा किराया माफ किया जाना चाहिए। इस संबंध में राज्यपाल काे ज्ञापन भेजा गया है।
एबीवीपी के महानगर मंत्री आसुराम डूकिया ने काेराेना के कारण विद्यार्थियाें का भी बड़ा नुकसान हुआ है। कई विद्यार्थी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं। उनकी स्थिति न तो किराया देने की है न फीस देने की। इस स्थिति मे विद्यार्थी मानसिक रूप से प्रभावित हुआ है। इस संबंध में एबीवीपी ने एक ट्वीटर अभियान भी चलाया था। डूकिया ने बताया कि चित्ताैड़ प्रांत की ओर से नाॅन रेंट फाॅर स्टूडेंट्स राज मुहिम काे 16 हजार लाेगाें ने ट्वीट किया जिससे यह ट्रेंड में आ गया है।
अखिल भारतीय अंबेडकर महासभा राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष ने पुष्कर निवासी गोपाल तिलोनिया को महासभा का अजमेर जिलाध्यक्ष मनोनीत किया है।
प्रदेशाध्यक्ष ने तिलोनिया को संगठन को मजबूत करने के लिए शीघ्र ही जिला कार्यकारिणी गठित करने के निर्देश दिए हैं। जिलाध्यक्ष बनने पर कैलाश तिगाया, मुश्ताक अली, सोनू नागौरा, रोहित कच्छावा, राहुल वाल्मीकि, हीरालाल गुर्जर, कुलदीप चौधरी, राजेश नाथ आदि समर्थकों ने तिलोनिया का स्वागत किया।
लॉकडाउन के दौरान आर्य सेवा समिति नजदीकी ग्राम कड़ैल के 150 बच्चों को उनके घरों में पढ़ाई कराने की व्यवस्था करेगी।
समिति के संयोजक वीर प्रकाश सोनी ने बताया कि लॉकडाउन के कारण स्कूलें बंद है। समिति व शिक्षिका रोशन श्रीमाली ने कड़ैल पंचायत क्षेत्र के बच्चों को घर-घर पढ़ाने का निर्णय किया है।
समिति ने पहले चरण में 150 बच्चों को पढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। इन बच्चों को समिति व शिक्षिका की ओर से नोटबुक, पेंसिल व स्कूल बैग भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
जिले के विभिन्न आईटी संपर्क केंद्रों पर उपस्थित जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ बैठक कर कोरोना नियंत्रण, पेयजल एवं नरेगा से जुड़े कार्यों की जिले के प्रभारी मंत्री अर्जुन सिंह बामणिया ने वीडियो कांफ्रेंस से समीक्षा की। जयपुर से प्रभारी सचिव कुंजीलाल मीणा उपस्थित थे। विधायक रामलाल जाट एवं अन्य विधायकों ने अन्य राज्यों से आने वाले राजस्थान की सीमा पर फंसे प्रवासी जिले वासियों को जिले तक लाने की मांग रखी। इस पर प्रभारी मंत्री एवं प्रभारी सचिव ने सीमावर्ती जिलों के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए कहा। जो लोग चोरी छुपे जिले की सीमा में प्रवेश कर अपने घर पहुंच गए हैं उन पर पुलिस मित्रों एवं कोरोना फाइटर्स के जरिए नजर रखते हुए सूचना तत्काल प्रशासन को दिए जाने की जरूरत बताई। प्रत्येक थाना स्तर पर एनएसएस, एनसीसी, रिटायर्ड आर्मी और पुलिस के कार्मिकों की सूची तैयार की है। इनके जरिए बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है। विधायक कैलाश त्रिवेदी ने भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज में कोरोना जांच के लिए पर्याप्त किट उपलब्ध कराने की मांग की। आगामी गर्मियों में पेयजल की किल्लत की संभावनाओं को देखते हुए ग्रामीण इलाकों के लिए विशेष कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। एक कार्यक्रम तैयार कर हैंडपंप मिस्त्रियों के माध्यम से पूरे जिले के खराब पड़े हैंडपंप को ठीक करवाएं। जिन गांवों में अन्य किसी माध्यम से पेयजल उपलब्ध नहीं हो वहां पर टैंकर की ओर से जलापूर्ति सुनिश्चित की जाए। कलेक्टर, एसपी समेत जिला प्रशासन के अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
मेवाड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने मुख्यमंत्री, उद्योगमंत्री, अतिरिक्त मुख्य उद्याेग सचिव को प्रतिवेदन भेजा। इसमें लॉकडाउन से बंद उद्योगों को पुनर्जीवित करने तथा नया औद्योगिक निवेश आकर्षित करने के लिए उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के समान श्रम कानूनों से पांच वर्ष तक राहत देने की मांग की। इसमें बताया कि दाे-तीन वर्षों से अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने के लिए देश में श्रम कानूनों में लचीलापन लाने की मांग विभिन्न स्तर पर होती रही है।
चैंबर के महासचिव आरके जैन ने बताया कि 5 मई को उत्तरप्रदेश सरकार ने अन्य राज्यों से लौटे श्रमिकों को रोजगार देने एवं विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए एक ऑर्डिनेंस पारित किया। इसके तहत तीन वर्ष तक वर्तमान एवं नए उद्योगों पर 14 तरह के विभिन्न श्रम कानून जिसमें न्यूनतम मजदूरी कानून, फैक्ट्री एक्ट, कॉन्टैक्ट लेबर एक्ट, पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट आदि शामिल हैं, लागू नहीं होंगे। इसी तरह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को विभिन्न श्रम कानूनों को एक हजार दिन के लिए स्थगित करने की घोषणा की। श्रम कानूनों संबंधी 61 तरह के रजिस्टर रखने से छूट मिलेगी। चैंबर ने प्रतिवेदन में बताया कि कोरोना के चलते दुनिया में व्यापार की हालत खराब होने के कारण निर्यात ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं। ऐसे में श्रम कानूनों में लचीलापन लानाजरूरी है।
लायंस क्लब अजमेर आस्था एवं प्राज्ञ सेवा समिति की ओर से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए होम्योपैथी पिल्स की दो सौ शीशियां जिला रसद कार्यालय के ईओ नीरज जैन को सौंपी गई।
ये दवा डाॅ. गाेपीकिशन शर्मा के निर्देशन में तैयार की गई। इसके साथ ही समाजसेवी राकेश पालीवाल के सहयोग से पचास वॉशेबल मास्क भी आमजन को देने के लिए दिए गए।
क्लब अध्यक्ष पदमचंद जैन ने बताया कि यह पिल्स व वॉशेबल मास्क जिला रसद कार्यालय द्वारा राशन वितरण के समय आमजन को साैंपे जाएंगे। क्लब के पूर्व संभागीय अध्यक्ष अतुल पाटनी और सचिव अनिलकुमार छाजेड़ ने बताया कि आगे भी विभिन्न स्थानों पर ये सेवा दी जाएगी।
जैन सोशल ग्रुप क्लासिक व लायंस क्लब आस्था की ओर से जवाहर लाल नेहरू हॉस्पिटल परिसर में मरीज, उनके परिजन व अन्य जरूरतमंद को अक्षय कलेवा प्रोग्राम से निशुल्क भोजन व्यवस्था लगातार जारी है।
कार्यक्रम संयोजक क्लब आस्था के वरिष्ठ सदस्य मुकेश कर्णावट ने बताया कि निशुल्क भोजन व्यवस्था में दोनों समय लगभग पांच सौ पचास व्यक्ति लाभान्वित हो रहे हैं।
अध्यक्ष पदमचंद जैन ने बताया कि शनिवार काे भामाशाहों के अलावा वरिष्ठ सदस्य स्नेहलता शर्मा का सहयोग रहा। क्लासिक के अध्यक्ष प्रदीप कोठारी व सचिव विपिन जैन ने आभार जताया। लायंस क्लब्स इंटरनेशनल के पूर्व संभागीय अध्यक्ष अतुल पाटनी ने क्लासिक की सेवाओं काे सराहनीय बताया।
तीर्थक्षेत्र नारेली प्रभारी ब्रह्मचारी सुकान्त जैन की ओर से श्री दिगंबर जैन महिला महासमिति व लायंस क्लब आस्था के संयुक्त तत्वावधान में सफाई कर्मियों के लिए सौ लीटर दूध व कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र सरावगी मोहल्ला में 25 लीटर दूध भेंट किया गया।
दिगंबर जैन महासमिति युवा महिला संभाग अध्यक्ष मधु पाटनी ने बताया कि कार्यक्रम संयोजक अतुल पाटनी के माध्यम से प्रतिदिन पुलिस लाइन पर वाॅरियर्स के लिए दूध की आपूर्ति की जा रही है। क्लब के अध्यक्ष पदमचंद जैन ने आभार जताया।
शहर के वार्ड 20 में एक मकान की छत पर शनिवार शाम आकाशीय बिजली गिरी। पिलानी पर रोड ट्रक यूनियन की गली में मुक्तिधाम के पास रहने वाले ज्ञानप्रकाश पांडे के घर शाम सात-सवा सात बजे ये हादसा हुआ। उस वक्त ज्ञानप्रकाश, पत्नी सुनिता व बेटा सर्वेश बरामदे में बैठे थे।
बीएमएलटी कोर्स कर बेटी शशी पास बैठी पढ़ रही थी। अचानक तेज आवाज और धमाके से कमरों की खिड़की के शीशे टूट गए और चारों लोगों को झटका लगा। कुछ देर बाद सहज होने पर उन्होंने मकान संभाला तो देखा कि एक कमरे में छत की पट्टी टूटी हुई थी, बिजली की फिटिंग जल गई थी और बेड पर मलबा बिखरा था। बेटी शशी आंशिक रूप से झुलस गई और उसे सुनाई देने में परेशानी होने लगी।
पूर्व पार्षद सुरेश भूकर को जानकारी मिलने पर उन्होंने टीम कार्यकर्ता संदीप कटेवा को मौके पर भेज कर शशी को अस्पताल भिजवाया। इस बीच बिजली गिरने की जानकारी पर आस-पड़ोस के लोग भी वहां आ गए।
दुमका जिले के मसलिया थाना क्षेत्र के कोलारकोंडा पंचायत अंतर्गत कलाबागन गांव में शुक्रवार रात बेटों से विवाद के बाद 61 साल की वृद्ध मां मखोदी हेम्ब्रम ने फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। शनिवार को मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव को परिजन के सुपुर्द कर दिया। बताया जाता है कि देर शाम मखोदी हेम्ब्रम की अपने पुत्र जनता मरांडी व धनी लाल मरांडी के साथ कहासुनी हुई। बेटों के अपशब्द कहने से मां को गहरा सदमा पहुंचा और उसने आत्महत्या कर। महिला ने घर में ही फांसी लगाकर जान दे दी।
कोरोना वायरस महामारी के दौरान केंद्र एवं राज्य सरकार की पहल पर काफी संख्या में बाहर से मजदूरों एवं छात्रों का आने का सिलसिला जारी है| जिला प्रशासन के द्वारा बाहर से आने वाले सभी लोगों की स्वास्थ्य जांच कर उन्हें 14 दिनों के लिए होम क्वारेंटाइन में रहने का निर्देश जारी किया गया है। इस दौरान सभी को चिकित्सीय निर्देशों का पालन करने का भी निर्देश दिया गया है। होम क्वारंटाइन में इन सभी लोगों को 14 दिनों तक एक कमरे में अकेले रहने, साबुन से बार बार हाथ धोने, सैनिटाइजर का प्रयोग करने, मास्क प्रयोग करने, स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने एवं परिवार के लोगों से दूरी बनाकर रखने सहित अन्य कई निर्देश जारी किए गए हैं। उपायुक्त नैंसी सहाय ने बताया कि कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए सभी को होम क्वारंेटाइन में रहने का निर्देश दिया गया है जो भी व्यक्ति इस नियम को तोड़ते हुए पाए जाएंगे उन्हें 28 दिनों तक सरकारी क्वारेंटाइन में रहना होगा। इसके साथ ही वैसे लोगों के विरूद्ध 28 दिन के बाद सोसाइटी को खतरे में डालने के जुर्म में प्राथमिकी दर्ज कर जेल भी भेजी जाएगी।
लॉक डाउन के दौरान जन वितरण प्रणाली दुकानों के माध्यम से गरीब व जरूरतमंद लोगों को सही अनाज मिल सकें इसके लिए जिला प्रशासन ने सभी जविप्र दुकानों से संबंधित शिक्षकों को टैग कर उन्हें बतौर दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किया गया था। अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के क्रम में कई जविप्र दुकानों, स्वयं सहायता समूहों द्वारा दुकान संचालन में अनियमितता की बात प्रकाश में आई है। जबकि, दंडाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त शिक्षकों द्वारा जिला को समर्पित प्रतिवेदन में किसी भी तरह की कोई अनियमितता की बात उल्लेखित नहीं की गई है। इससे ऐसा प्रतित होता है कि दंडाधिकारियों द्वारा ईमानदारी से अपने दायित्वों का निष्पादन नहीं किया गया है। शिक्षकों द्वारा तथ्यों को गलत कर प्रतिवेदन समर्पित किया गया है। इस प्रकार का आचरण अनुशासन एवं कर्तव्यहीनता को दर्शाता है। इसी को ले जिला शिक्षा अधीक्षक दुर्गानंद झा ने शनिवार को विभिन्न प्रखंडों में प्रतिनियुक्त 40 शिक्षकों से स्पष्टीकरण पूछा है। उन्हें 24 घंटे के अंदर जवाब जिला कार्यालय को समर्पित करने को कहा है। लापरवाही होने पर निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
मंडरो प्रखंड क्षेत्र के मिर्जाचौकी हाट परिसर स्थित धर्मशाला में शनिवार को साहिबगंज एसडीओ पंकज साव के अध्यक्षता में मिर्जाचौकी के पत्थर व्यवसायों के साथ बहार व अन्य जिला से मिर्जाचौकी से स्टोन चिप्स व बोल्डर खरीदने आनेवाले ट्रक के आवाजाही को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें कोरोना वायरस से संबंधित जांच के लिए गाइडलाइंस जारी की गई। एसडीओ ने उपस्थित सभी पत्थर व्यवसायों को बताया कि जितने भी ट्रक बिहार क्षेत्र से झारखंड में प्रवेश करते हैं,उसे चेकनाका पर उपस्थित स्वास्थ्य कर्मी थर्मल स्क्रीनिंग से जाँच कर रहे हैं। फिर भी पत्थर व्यवसायी अपने तरफ से दो व्यक्ति को चेकनाका पर रखे।जो ट्रक चालक एवं सह चालक का थर्मल स्क्रीनिंग कर्मी से अच्छी तरह करवाता रहे।अगर ऐसा होगा है तो एक भी चालक व सह चालक बिना जांच का झारखंड में प्रवेश नहीं करेगा। इस पर सभी पत्थर व्यवसायों ने सहमति जताई। साथ ही एसडीओ ने यह भी कहा कि क्रशर मालिक ट्रक सहित चालक व सह चालक को अपने क्रशर परिसर में ही रखेंगे। नाे इंट्री खुलने के बाद अपने क्रशर परिसर से ट्रक को रवाना होने दे। मौके पर मंडरो बीडीओ श्रीमान मरांडी, सीओ सुनीता किस्कु, मिर्जाचौकी थाना प्रभारी कुंदन कांत विमल, मुखिया प्रतिनिधि सुनील सिंह, पत्थर व्यवसायी अशोक सिंह, संजय जयसवाल, बद्री भगत, सुनील गुप्ता, जयसवाल, विकास गुप्ता सहित कई पत्थर व्यवसायी मौजूद थे।
शनिवार शाम को केरला के एर्नाकुलम से दूसरी बार श्रमिकों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन जसीडीह स्टेशन पहुंची। जिसमें 1078 मजदूर सवार थे। श्रमिकों में महिला पुरुष एवं छोटे बच्चे भी शामिल थे। वापस आने वाले श्रमिकों में कई श्रमिक अपने परिवार के साथ वापस आए। ट्रेन पर सवार श्रमिकों में झारखंड के लगभग सभी जिलों के श्रमिक सवार थे। इसमें देवघर के लगभग 20 श्रमिक शामिल थे। जसीडीह स्टेशन पर ट्रेन शाम सात बजे पहुंची। सभी श्रमिकों को अलग-अलग जिले के तहत सामाजिक दूरी का पालन कराते हुए उतारा गया। सबसे पहले गिरिडीह जिले के श्रमिकों को उतारा गया। इसके बाद गोड्डा पाकुड़ हजारीबाग अादि जिलों के श्रमिकों को उतारा गया। जसीडीह स्टेशन पर उतरने के साथ ही सभी श्रमिकों के थर्मल स्कैनिंग करते हुए उन्हें होम क्वॉरेंटाइन करने का निर्देश दिया गया| जसीडीह स्टेशन पर सभी श्रमिकों को नाश्ता का पैकेट पानी की बोतल आदि जिला प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराई गई।
ट्रेन से सभी श्रमिकों को उतारकर थर्मल स्कैनिंग करते हुए लगभग 40 बसों में सभी श्रमिकों को उनके गंतव्य स्थान की ओर रवाना किया गया। श्रमिकों के रवाना होने तक जिला प्रशासन के सभी आला अधिकारी जसीडीह स्टेशन पर मौजूद रहे। केरला से शनिवार को दूसरी बार श्रमिकों को लाया गया| इस बार इसमें में अधिकांश गिरिडीह जिले के श्रमिक सवार थे| घर लौटते ही सभी श्रमिकों के चेहरे पर खुशी झलक रही थी। सभी को जल्द से जल्द अपने घर पहुंचने की जल्दी थी। उप विकास आयुक्त शैलेंद्र कुमार लाल ने बताया कि सभी श्रमिकों को सामाजिक दूरी का फलन कराते हुए स्वास्थ्य जांच के पश्चात होम क्वॉरेंटाइन रहने का निर्देश देते हुए उनके गंतव्य स्थान की ओर उन्हें भेजा जा रहा है।
जामताड़ा के युवा व्यवसायी राहुल पोद्दार उर्फ मिठू पोद्दार का शनिवार को निधन हो गया। उनका निधन वाराणसी के आसपास उस समय हुआ, जब वे मुंबई से रांची लौट रहे थे। उल्लेखनीय है कि विगत कुछ महीनों से वे बीमार चल रहे थे। उनका इलाज चीन में चल रहा था। चीन में कोरोना वायरस के कारण उन्हें इलाज छोड़कर वापस भारत आना पड़ा। जिसके बाद कुछ दिन जामताड़ा में रहने के बाद उन्हें पुनः इलाज के लिए मुंबई ले जाया गया था। जहां कोरोना वायरस की गंभीरता को देखते हुए उन्हें वापस अपने घर जामताड़ा आना पड़ रहा था। वापसी के दौरान रास्ते में वाराणसी के पास उनका निधन हो गया। वे कैंसर से पीड़ित थे। उनके निधन पर जामताड़ा के व्यवसायियों में शोक है। जामताड़ा के व्यवसायियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना किया।
प्रवासी मजदूर एवं छात्र को निशुल्क घर वापसी, प्रवासी मजदूर सहित अन्य नागरिकों को जो आयकर के दायरे में नहीं है, प्रत्येक के परिवार को ₹10 हजार उनके खाते में देने, पारदर्शिता के साथ सभी लाभुकों को निशुल्क राशन देने, हर पंचायत में मनरेगा के कामों को चालू करने एवं सरकारी घोषणा अनुसार ₹272 प्रति मजदूरों को मजदूरी देने, बिचौलिया को बंद करने, किसानों के लिए धान क्रय केंद्र खोलने एवं प्राकृतिक आपदा जैसे ओलावृष्टि आदि के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को ₹15000 प्रति एकड़ की दर से क्षतिपूर्ति दिए जाने के मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम किया गया।
पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन के फैसले से लगभग 40 करोड़ मजदूरों की हालत सबसे खराब हो गई है और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।लॉकडाउन में किसको फायदा और किसको सबसे ज्यादा नुकसान हुआ इसकी आकलन करने की आवश्यकता है। लॉकडाउन का सबसे ज्यादा मार गरीबों पर पड़ा है। मजदूर संसाधन के अभाव में पैदल ही अपने घर गांव के लिए निकल पड़े हैं। कई लोग तो रास्ते में ही दम तोड़ दिए हैं और औरंगाबाद की घटना ने तो सब के रोंगटे खड़े कर दिए। जब 16 मजदूर की मौत ट्रेन से कटकर हो गई। मोदी सरकार ने मजदूरों को लाने के लिए कोई भी ठोस निर्णय नहीं लिया। जिस कारण लोगों की जान जा रही है। अमीर लोगों को लाने के लिए जहाज भेजते हैं और गरीबों को ट्रेन से कटने के लिए सड़क पर छोड़ देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह पुरानी नीति है। पूर्व में भी नोटबंदी के समय पूरे देश के लोगों को सड़क पर ला दिया जिसका मार सिर्फ गरीबों पर पड़ा। आज इस लॉक डाउन में भी सिर्फ गरीब वर्ग त्राहिमाम हैं।
नगर पंचायत गरीबों के द्वार कार्यक्रम के तहत वार्ड के गरीबो के सहयोग के लिए उनके घरों में ही होम डिलेवरी के माध्यम से खाद्यान्न उपलब्ध कराया। नगर के सभी वार्डों में अलग-अलग कर्मियों की नियुक्ति की गई है। नियुक्त कर्मी संबंधित वार्ड पार्षद से संपर्क स्थापित कर उनके अनुशंसा के आधार पर वैसे व्यक्ति को चिन्हित कर उनके घरों तक राहत सामग्री उपलब्ध करा रही है। नगर पंचायत जामताड़ा गरीबों के द्वार कार्यक्रम का उद्देश्य नगर पंचायत के सभी वार्ड में किसी भी तरह से कोई व्यक्ति भूखे नहीं रहे। नगर पंचायत अध्यक्ष रीना कुमारी उक्त बात की जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत वार्ड स्तर पर कर्मी संबंधित वार्ड के वार्ड पार्षद के साथ-साथ गणमान्य लोगों से भी संपर्क स्थापित कर रहे हैं एवं गणमान्य लोगों से भी उस वार्ड में रहने वाले गरीबों का डेटाबेस के आधार पर वैसे गरीब व्यक्ति के घर में जाकर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए राहत सामग्री पहुंचाया जा रहा है। अध्यक्ष ने कहा कि नगर पंचायत क्षेत्र में रहने वाले गरीब व्यक्ति भूखे नहीं रहे, इसके लिए कटिबद्ध है। साथ ही अध्यक्ष ने आम जनता से यह भी अपील किया की सभी लॉक डाउन का पालन करें एवं बहुत आवश्यक हो, तो भी घर बाहर निकले, सभी सोशल डिस्टेंस का अनुपालन करें वैश्विक महामारी का मात्र एक इलाज सामाजिक दूरी है । कार्यक्रम की हर चीजों का निगरानी रखने हेतु मॉनिटरिंग टीम में उपाध्यक्ष एवं वार्ड पार्षद गणों लगे हुए है।
जिला आपूर्ति पदाधिकारी कंचन कुमारी भूदोलिया की अध्यक्षता में एमओ, राइस मिल संचालक तथा पीडीएस डीलरों की बैठक शनिवार को आयोजित हुई। मौके पर डीएसओ कंचन ने कहा कि राशन वितरण में शामिल कोई भी व्यक्ति किसी प्रकार की कोताही न बरतें। कहा कि डीलर, निर्धारित समय पर ही राशन का वितरण करना सुनिश्चित करें। बैठक में डीएसओ ने खाद्यान्न वितरण, उठाव, ससमय राशन वितरण आदि विषयों पर चर्चा किया। जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने कहा कि विभाग से निर्देश प्राप्त हुआ है कि सीएमआर एफसीआई में पुराने बोरे में जाएगा। जिसके लिए उन्होंने सभी पीडीएस डीलरों को निर्देश दिया कि सभी डीलरों के पास जितने भी पुराना बोरा है वे लोग सभी पुराने बोरे को दोनों राइस मिल रामेश्वर राइस मिल तथा छपोली राइस मिल को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे। कहा कि जिस राशन कार्ड पर लाभुकों द्वारा विगत 3 माह से राशन उठाव नहीं किया गया है, उसके स्थान पर दूसरे लाभुकों को लाभ दिया जाएगा। कहा कि जिले में करीब 750 ऐसे कार्ड हैं जिस पर विगत 3 महीने से राशन का उठाव नहीं किया गया है। इसलिए उक्त सभी राशन कार्ड को रद्द करते हुए उसके स्थान पर नए लाभुकों को आच्छादित किया जाएगा।
इसके लिए उन्होंने पीडीएस डीलरों को ऐसे लाभुकों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। ताकि ऐसे कार्ड को रद्द कर नए लाभुकों को जोड़ा जा सके। डीएसओ ने कहा कि समय पर राशन वितरण, सामाजिक दूरी का पालन करते हुए किया जाना है। कहा कि वैश्विक महामारी के इस दौर में सभी लोग ईमानदारी पूर्वक सेवा भाव से अपने दायित्वों का निर्वहन करें, ऐसी व्यवस्था करें जिससे सभी कार्ड धारकों को समय पर राशन मिले। सार्वजनिक जन वितरण प्रणाली की दुकानों पर अनावश्यक रूप से भीड़ भाड़ न लगे तथा सामाजिक दूरी का अनिवार्य रूप से पालन हो सके। बैठक में मुख्य रूप से मोहन भैया, महावीर मोदी, देव कुमार साव, निरू जैन के अलावा अन्य पीडीएस डीलर, राइस मिल अन्य लोग मौके पर उपस्थित थे।
वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त आसनसोल चन्द्र मोहन मिश्रा के निर्देश पर कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत लोंगो को जरूरी सामग्री तथा कोरोना वायरस के प्रति जागरूक भी किया गया। कहा गया कि रेलवे लाइन पर अनधिकृत रूप से न चलने, पार न करने तथा न बैठने हेतु जागरूक किया गया। ताकि किसी के साथ कोई हादसा न हों। कहा कि गुड्स, पार्सल ब श्रमिक ट्रेन लगातार चल रही है। साथ ही जामताड़ा स्टेशन परिसर मे 50 जरूरतमंद को दो किलो चावल, एक किलो आलू की पैकेट देकर मदद की। साथ ही कोरोना वायरस से बचने के लिए जागरूक करते हुए अनावश्यक घर से बहार नहीं जाने को सलाह दिया, साबुन से हाथ धोने व सामाजिक दूरी बनाने की तरीका बतया गया। मौके पर निरीक्षक प्रभारी सुकान्तो बर्धन, उप निरीक्षक मदन पासवान आदि थे।
कोरोना वायरस को लेकर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर दूसरे जिले से आ रहे वाहनों की तलाशी के साथ साथ आवश्यक कागजात की जांच पड़ताल जारी है। मुरलीपहाड़ी में इस समय प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी और पुलिस बलों की तैनाती की गई है। मुरलीपहाड़ी चेकपोस्ट पर तैनात दंडाधिकारी राघवेन्द्र नारायण सिंह के आदेश पर प्रतिदिन यहां से गुजरने की कोशिश में लगे वाहनों की तलाशी ली जा रही है। शुक्रवार और शनिवार को भी मुरलीपहाड़ी में जामताड़ा जिले से सटे गिरिडीह और देवघर से आ रहे दो पहिया और चारपहिया वाहनों को अपने अपने जिले के लिए लौटा दिया गया। इसके पहले वाहनों की आवश्यक जांच पड़ताल की गई। वहीं लॉकडाउन के दौरान वैसे बाइक चालको को हिदायत देकर छोड़ दिया गया, जो बिना किसी कारण के ही मुरलीपहाड़ी के रास्ते से गुजरते हुए इधर उधर घूम रहे थे। इस संबंध में प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी ने बताया कि चेकपोस्ट पर किसी भी वाहन को बिना आदेश व स्वीकृति के आने जाने से पूरी तरह मनाही कर दी गई है। वाहनों के मालिक को जिले के सीमा क्षेत्र में घुसने की इजाजत नहीं है।
एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। कैंसर पीड़ित मरीज को घर से अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिलने पर परिजन ठेला से ही लेकर इलाज करवाने के लिए अस्पताल रवाना हो गए। लेकिन इस बीच लगभग 3 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद जब एक व्यक्ति को सूचना मिली तो, उन्होंने उपायुक्त को जानकारी दी। जिसके बाद उपायुक्त के पहल पर एंबुलेंस मंगाया गया और मरीज को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया। परन्तु बीमार की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई। बीमार के परिजनों ने बताया कि मरीज को लेकर जब अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सक ने देखा और कहा कि मरीज की मौत हो गई है। परिजनों ने बताया कि बुधुडीह निवासी ममता देवी कैंसर से पीड़ित हैं।
शनिवार सुबह 10 बजे अचानक से तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद जब वह लोग सदर अस्पताल तथा 108 नंबर पर फोन कर एंबुलेंस की मांग की। परंतु सभी एंबुलेंस के बाहर रहने की बात परिजनों को बताई गई। जिसके बाद एक ठेला से सदर अस्पताल ले जाने लगे। वहीं दूसरी ओर मरीज की मौत के बाद परिजनों को उसके शव को सदर अस्पताल से वापस घर लाने के लिए भी एंबुलेंस या शव वाहन आसानी से नहीं मिल सका। परिजनों के आवेदन पर सिविल सर्जन ने एंबुलेंस से मृतक के शव को उनके घर भिजवाया। डीसीगणेश कुमार ने कहा कि मुझे जैसे ही इस बात की जानकारी मिली मैंने सीएस से एंबुलेंस उपलब्ध करा दिया।
गावां थाना क्षेत्र के मंझने में शुक्रवार देर शाम एक गुट ने शराब के नशे में धुत्त एक व्यक्ति को पीटे जाने व उसे छुड़ाने गए दो लोगों के साथ हुई मारपीट के बाद तनाव का माहौल था। जिसे शनिवार की सुबह दोनों गुटो के लोगों के साथ गावां थाना परिसर में बीडीओ की उपस्थिति में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई। दोनों पक्षों की ओर से घटनाक्रम को सुना गया। बाद में बीडीओ मधु कुमारी ने गावां थाना प्रभारी को दोषियों के खिलाफ लॉकडाउन उल्लंघन का मामला दर्ज करने को कहा है। बैठक में आपस में समझौता करने को लेकर भी पहल की गई लेकिन मारपीट के पीड़ित लोग कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने की बात कहकर दोनों गुटों के बुद्धिजीवी लोगों को पहल करने की बात कही गई। मौके पर उप प्रमुख नवीन कुमार, नागेश्वर यादव, मुखिया राजकुमार यादव, अजीत चौधरी, बिनोद मिष्टकार आदि थे। थाना प्रभारी ने कहा कि दोनों ओर से प्राप्त आवेदन के अनुसार लॉकडाउन उल्लंघन के तहत प्राथमिकी दर्ज होगी।
हजारीबाग जिला के विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के हेठली बोदरा में शुक्रवार रात धनेश्वर यादव के घर चारी हो गई। चोर को देख तोता चिल्लाने लगा तो चोरों ने पिंजरे से निकालकर तोता को मार डाला, फिर बारी-बारी से कई कमरों में घुसे। बक्से को घर से आधा किलोमीटर दूर खेत में ले गए, खंगाला उसमें रखे तकरीबन 20,000 नकदी समेत एक लाख से अधिक कीमत के सोने-चांदी के आभूषणों की चोरी कर ली। घटना की जानकारी गृहस्वामी धनेश्वर यादव की पत्नी को तब हुई जब अंदर एक कमरे में सो रहे बेटे ने मां को आवाज देकर कमरे के बाहर कुंडी लगे होने की बात बताई। छत पर सो रही धनेश्वर की पत्नी छत से उतरीं तो कमरों का खुला दरवाजा तथा एक कमरे में बाहर से कुंडी बंद देख परेशान हो उठी। कमरे में बंद बेटे को बाहर निकाला फिर सभी कमरों की तलाशी ली तब उन्हें उसे समझ में आया कि चोरी हुई है। उस समय रात के 1.30 बज रहे थे। घटना के बाद धनेश्वर की पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है।
बताया कि 15000 रुपए उधार लेकर घर पर रखे थे। जबकि 5000 पहले से था जिस पर चोरों ने हाथ साफ कर लिया। चोर घर के बाहर मचान पर लगे सीढ़ी के सहारे घर के मुख्य दरवाजे पर पहुंचे। जहां लोहे के दरवाजे की कुंडी तोड़ दी फिर घर के अंदर प्रवेश कर गए और घरों के दो कमरों में लगे ताले तोड़कर तकरीबन 4.5 बक्से अपने साथ ले गए। उसमें रखे सभी सामान पर अपना हाथ साफ किया। बक्सों को खेत में छोड़ कर चले गए। बताया कि कोरोना लॉकडाउन के कारण उसके पति मुंबई में हैं। घर पर उसके समेत पुतोहू और एक बेटा है। घटना की जानकारी पाकर पुलिस शनिवार सुबह तकरीबन 9 बजे गांव पहुंची। घटनास्थल पहुंचकर मुआयना किया। शुक्रवार रात हुई चोरी की घटना से गांव के लोगों में दहशत हैं।
सरिया स्टेशन रोड निवासी दो भाइयों के खाते से साइबर ठगों ने 2 लाख 68 हजार रुपए उड़ा लिए। बताया जाता है कि सरिया स्टेशन रोड निवासी कपड़ा दुकान संचालक मनीष कुमार सोनी व जितेन्द्र कुमार सोनी दोनों सहोदर भाइयों के भारतीय स्टेट बैंक के बचत खाते से साइबर ठगों ने उक्त रुपए उड़ाए। इसकी जानकारी इन दोनों भाइयों को दो दिन पहले हुई जब वे पैसे निकासी के लिए बैंक गए थे। इस बाबत जितेन्द्र कुमार सोनी ने बताया कि सरिया स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में मेरा ज्वाइंट खाता जितेन्द्र कुमार सोनी व योगेन्द्र कौर के नाम से है। जिसमें से 1 लाख 57 हजार 9 सौ रुपए की निकासी व दूसरा खाता जो उनके भाई मनीष कुमार सोनी के नाम से है, उससे 1 लाख 10 हजार 643 रुपए ठगों ने निकाल लिया। इस तरह से दोनों खाते से 2 लाख 68 हजार 543 रुपए की अवैध निकासी ई-वॉलेट के माध्यम से कर ली है। जबकि वे दोनों ई-वॉलेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं, बावजूद ठगों ने रुपए की निकासी कर ली। बीते 12 जुलाई 2019 को हमने फ्लिपकार्ट के माध्यम से एक ऑनलाइन मोबाईल खरीदा था। जिसका ऑनलाइन पेमेंट 10 हजार 999 रुपया मनीष कुमार सोनी के अकाउंट से किया था। इसके अलावा अन्य कोई ट्रांजेक्शन दोनों भाईयों द्वारा खातों से नहीं की गयी है। लेकिन सितम्बर 2019 से दिसंबर 2019 के बीच कभी 5 हजार तो कभी 6 हजार तो कभी 7 हजार करके क ई-किस्तों में जितेन्द्र कुमार सोनी के खाते से कुल 1 लाख 57 हजार 900 रुपये की निकासी कर ली गयी। जिसका कभी मैसेज भी मोबाइल पर नहीं आया। जिससे जानकारी नहीं हो पाई।
वहीं 22 जनवरी 2020 से अप्रैल 2020 के अंत तक में मनीष के खाते से उच्चकों ने इसी तरह किस्तवार 1 लाख 10 हजार 643 की निकासी कर ली। दो दिन पूर्व जब पैसे निकालने बैंक गया तो पैसे की इस तरह की निकासी का पता चला। जिसके बाद शनिवार को सरिया थाना में आवेदन देकर अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया। जबकि राष्ट्रीय साइबर क्राईम शाखा में भी ऑनलाइन मामला दर्ज कराया गया। मामले से साइबर डीएसपी संदीप कुमार को भी अवगत कराया है। फिलहाल इतनी बड़ी निकासी साइबर क्राइम के माध्यम से हो जाने पर दोनों भाई दहशत में हैं।
प्रवासियों के आगमन के साथ ही एक तरफ जहां कोरोना का खतरा लोगों में बढ़ गया है। खासकर मुंबई से लौट रहे गावां के झिलुआ गांव के एक प्रवासी की रिपोर्ट पॉजीटिव आने के साथ लोगों के हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि रांची पहुंचते ही उक्त युवक को रिपोर्ट मिल गई और वह खुद रांची रिम्स में भर्ती हो गया है। इधर गिरिडीह जिले में अब तक करीब 10 हजार प्रवासियों का आगमन गुजरात, दिल्ली, तेलंगाना, मुंबई, राजस्थान आदि प्रदेशों से हो चुका है। जबकि करीब 25 हजार से अधिक और प्रवासी आने वाले हैं। जिसमें कुछ लोग ट्रेन से आ रहे हैं तो कुछ लोग रिजर्व बसों के सहारे घर पहुंच रहे हैं। इस बीच जिला प्रशासन पूरी तरह से हाई अलर्ट मोड में आ गया है, ताकि कहीं से कोई चूक न हो जाए। यानि लॉकडाउन की व्यवस्था जो पहले से है उससे और सख्त करने का निर्देश उपायुक्त राहुल सिन्हा ने दिया है। सभी पंचायतों के मुखिया को हिदायत दी गई है कि उनके पंचायत व गांव में आने वाले प्रवासियों पर विशेष नजर रखें, किसी भी प्रवासी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
स्वास्थ्य कैंपों से जो निर्देश मिला है, उसका पालन सभी को करने की हिदायत दी गई है। 14 दिनों तक क्वारेंटाइन में रहना सभी प्रवासियों के लिए अनिवार्य किया गया है। स्थानीय ग्रामीणों से अपील की गई है कि यदि कोई निर्देशों का उल्लंघन करते हैं तो उसकी सूचना फौरन स्थानीय बीडीओ व थाना प्रभारी को दें। इसके अलावा विभिन्न प्रखंडों में जागरूकता वाहन के माध्यम से लोगों से अपील की गई कि जो भी लोग बाहर के राज्य से जिले में वापस लौट रहे हैं वे होम क्वॉरेंटाइन का अक्षरश: अनुपालन करेंगे। हालांकि वापस लौटे प्रवासियों से गांव के लोग भी पूरी तरह से अलर्ट हैं, उनके हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं। गििडीह जिले में हर दिन 1200 से 1500 प्रवासी रेल, बस अथवा अन्य माध्यमों से लौट रहे हैं।
डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने प्रवासियों के आने के लिए ट्रेन की मांग धनबाद के बजाय सरिया या पारसनाथ रेलवे स्टेशन करने की की है। स्टेशन बदलने की कई वजह भी उन्होंने बताया है। जिसमें बसों से धनबाद से गिरिडीह लाने में काफी खर्च, रात में उग्राद प्रभावित रास्ते में उग्रवादी हमले की आशंका, प्रतिनियुक्त पदाधिकारी को काफी परेशानी आदि शामिल है। वहीं सरिया या पारसनाथ में प्रवासियों के आने में सुविधा और काम खर्च आदि बताया है। राज्य परिवहन नोडल पदाधिकारी सह सचिव सह आयुक्त, परिवहन विभाग, झारखंड, रांची को गिरिडीह पहुंच रहे प्रवासियों की जानकारी दी। कहा है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के रोकथाम किए गए देशव्यापी तालाबंदी के दौरान फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, विद्यार्थी, श्रद्धालु, यात्री व अन्य व्यक्तियों के गृह जिला तक जाने के लिए गृह मंत्रालय के निर्देश के आलोक में मुख्य सचिव झारखंड सरकार ने एसओपी जारी किया है।
अन्य राज्यों में गिरिडीह जिला के फंसे हुए प्रवासियों का लगातार आगमन विशेष ट्रेनों के माध्यम से हो रहा है। धनबाद रेलवे स्टेशन में जो भी विशेष श्रमिक ट्रेनों का आगमन हुआ है, या हो रहा है, उसमें से अधिकांश प्रवासी मजदूर या व्यक्ति गिरिडीह जिला के हैं। 6 मई को सूरत गुजरात से आने वाली विशेष ट्रेन के माध्यम से कुल 1231 लोगों का आगमन धनबाद स्टेशन पर हुआ जिसमें गिरिडीह जिला के निवासी 1157 शामिल थे। सात मई को सूरत से 1184 लोग धनबाद स्टेशन पहुंचे जिनमें से 1094 लोग गिरिडीह जिले से हैं। इसी प्रकार 8 मई को तेलंगाना हैदराबाद से आने वाले 1231 लोग धनबाद स्टेशन पहुंचे। जिनमें से 1197 लोग गिरिडीह जिले से हैं।
डीसी ने क्या-क्या गिनाई परेशानी
प्रवासी मजदूरों को धनबाद रेलवे स्टेशन से गिरिडीह जिला लाने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। धनबाद रेलवे स्टेशन में आने वाले विशेष श्रमिक ट्रेन में अधिकांश श्रमिक या मजदूर (लगभग 1150-1200 की संख्या में) गिरिडीह जिला के रहते हैं, जिस वजह से उन्हें धनबाद से गिरिडीह लाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा 40 से 50 बसों को गिरिडीह से धनबाद भेजना पड़ रहा है। जिस कारण वाहन मुआवजा, दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी एवं इंधन पर अत्यधिक राशि का व्यय हो रहा है। ट्रेनों का धनबाद में आगमन रात में होता है। इस कारण प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों, पुलिस बलों को रात्रि में ही धनबाद रेलवे स्टेशन जाना पड़ता है। अति उग्रवाद प्रभावित रास्ता रहने के कारण जिले से रात्रि में आवागमन में हमेशा उग्रवादी हमला का डर बना रहता है। बड़ी राशि का व्यय धनबाद से गिरिडीह श्रमिकों को लाने में व्यय होता है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिले के प्रवासी मजदूरों की संख्या लगभग 70,000 है।
कई जिलों का केंद्र बिंदु है सरिया और पारसनाथ
धनबाद गया रेलखंड अंतर्गत गिरिडीह के हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन, सरिया एवं पारसनाथ रेलवे स्टेशन अवस्थित है, जो आधुनिक सुविधा युक्त है। हजारीबाग रेलवे स्टेशन आसपास के जिलों की केंद्र बिंदु में अवस्थित है। उक्त रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग से हजारीबाग जिला की दूरी लगभग 70 किमी व आसपास के अन्य जिलों की औसतन दूरी लगभग 80 से 90 किलोमीटर होगी।
इलाज कराने गए थे और नया रोग लेकर लौटे...। धनबाद के नए कोरोना मरीज मां और बेटे की जिंदगी में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। मां कैंसर से पीड़ित है। बेटा इलाज कराने के लिए अपनी मां को लेकर 19 अक्टूबर 2019 को मुंबई चला गया। वहीं रहकर उसने मां का इलाज कराया। अस्पताल से अनुमति मिली तो उसने मां को लेकर धनबाद लौटने का निर्णय किया। 60 हजार रुपए में इसने धनबाद पहुंचाने के लिए एंबुलेंस बुक किया था। कई राज्यों की सीमा पार कर दोनों शुक्रवार को धनबाद पहुंचे। कुमारधुबी स्थित अपने रिश्तेदार (दामाद) आवास पहुंचते उससे पहले उन्हें निरसा में रोक लिया गया। दोनों की स्क्रीनिंग की गई। मां व बेटा का शरीर का तापमान अधिक मिला। डॉक्टरों ने ट्रैवल हिस्ट्री पूछी। दोनों को तत्काल पीएमसीएच भेज दिया गया। पीएमसीएच में दोनों का स्वाब जांच के लिए लिया गया। उन्हें घर भेजने के बजाए पीएमसीएच के आइसोलेशन वार्ड में रखा। प्राथमिकता के आधार पर मां-बेटे की सैंपल की जल्दी से जल्दी जांच कराई गई। शनिवार को दोनों की रिपोर्ट आई, दोनों ही कोरोना पॉजिटिव थे।
सपना टूटा : फिलहाल धनबाद नहीं बन सका ग्रीन जोन
शनिवार का दिन धनबाद के लिए खास होने वाला था। ग्रीन जोन बनने का मापदंड धनबाद पूरा कर चुका था। 21 दिनों से कोरोना का कोई नया मरीज नहीं मिलने के कारण धनबाद ग्रीन जोन बनने के दरवाजे पर खड़ा था। पर दो नए मरीजों के मिलते धनबाद का ग्रीन जोन बनने का सपना टूट गया। धनबाद अभी अॉरेंज जोन में ही रहेगा।
पार्षद पति की पहलपर निरसा में हुई जांच
कोरोना पॉजिटिव मां-बेटा के संबंध बताया जा रहा है कि दोनों मुंबई से सीधे कुमारधुबी सरदार मोहल्ला स्थित अपने एक रिश्तेदार के घर जाना चाहते थे। रिश्तेदार ने उन्हें घर लाने से पहले
पार्षद पति इरफान खान को इसकी जानकारी दी। इरफान ने दोनों को यहां आने से पहले जांच कराने की बात कही। तब तक वे लोग एंबुलेंस से मुंबई से निरसा चुके थे। पार्षद पति इरफान ने बताया कि दोनों की जांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निरसा में की गई। दोनों को बुखार था, जिसके कारण उन्हें कोरोना जांच के लिए पीएमसीएच धनबाद भेज
दिया गया।
शनिवार काे उपायुक्त रविशंकर शुक्ला एवं एसएसपी एम तमिल वणन ने पश्चिम बंगाल व झारखंड सीमा दारीशाेल चेकनाका का मुआयना किया। चेकपोस्ट पर कार्यरत कर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उसके बाद दोनों अधिकारी बड़शाेल में स्थित मार्गीय सुविधा केंद्र भवन पहुंच निरीक्षण किया। उपायुक्त ने कहा कि झारखंड एवं पश्चिम बंगाल सरकार के बीच हुई वार्ता के बाद बंगाल सरकार द्वारा झारखंड के जो मजदूर पश्चिम बंगाल में फंसे हुए हैं, उन्हें झारखंड सरकार को सौंपा जाएगा। उन मजदूरों को बस के माध्यम से राज्य के विभिन्न जिले के हेड क्वार्टर पर छोड़ना है। इसको लेकर प्रखंड एवं अनुमंडल प्रशासन को कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। उपायुक्त ने कहा कि एक-दो दिन के अंदर झारखंड राज्य के गढ़वा, पश्चिम सिंहभूम एवं कई जिलों के मजदूर पश्चिम बंगाल से झारखंड में लौटेंगे। जिन्हें बस के माध्यम से जिले के हेडक्वार्टर पर पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है।
उपायुक्त ने कहा कि मार्गीय सुविधा केंद्र में एक टेंट बनाकर यहां पश्चिम बंगाल से आने वाले मजदूरों को सोशल डिस्टेंस मेंटेन के साथ दोपहर का भोजन कराया जाएगा। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मी एवं अन्य कर्मियों को निर्देश दिया कि वे सुरक्षा दृष्टिकोण से मास्क लगाकर, ड्रेस पहन कर अपना काम करें। उन्होंने कहा कि कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा जिन मजदूरों को बंगाल से झारखंड के अन्य जिलों में भेजा जाएगा, उनकी इंट्री कराई जाएगी। सुरक्षा मानकों का ध्यान देते हुए उन मजदूरों को सकुशल पहुंचाने का काम किया जाएगा।
ये लोेग थे मौजूद
मौके पर अनुमंडल अधिकारी अमर कुमार, एसडीपीओ राजकुमार मेहता, प्रखंड विकास पदाधिकारी राजेश कुमार साहू, अंचलाधिकारी हीरा कुमार, बहरागोड़ा थाना प्रभारी चंद्रशेखर कुमार, बड़शाेल थाना प्रभारी ज्योति लाल राजवाड़ भारी संख्या में संख्या में पुलिस मौजूद थी।
खरसावां वन क्षेत्र के कोदाडीह जंगल में दतुवन और पत्ता चुनने गए दो व्यक्तियों पर अचानक हाथी ने हमला बाेल दिया। जिसमें एक की मौैके पर ही माैत हाे गई, जबकि दूसरे ने भागकर अपनी जान बचाई। घटना शनिवार सुबह सात बजे की है। खरसावां-कुचाई क्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक बढ़ गया है।
मिली जानकारी के अनुसार खरसावां प्रखंड के विटापुर निवासी मांगीलाल तांती (50) और संतारी निवासी राधा गोप (42) राेज की तरह सुबह छह बजे काेदाडीह जंगल पत्ता चुनने गए थे। इसी क्रम में में सुबह 7 बजे के लगभग दो व्यक्तियों पर एक जंगली हाथी ने हमला बाेल दिया। सबसे पहले हाथी ने मांगीलाल तांती पर हमला बाेला, और उसे मौत के घाट उतार दिया। वहीं राधा गाेप काे भी हाथी अपना शिकार बनाना चाहा, पर वह झाड़ी में छुप गया जिससे उसकी जान बच गई और किसी तरह अपनी जान बचाकर भागने में सफल हो गया। भागने के क्रम में राधा गोप का दांए पैर में गंभीर चैट लगी है।
किसी तरह राधा ने विटापुर गांव पहुंचकर ग्रामीणों को इसकी सूचना दी। घटना की सूचना खरसावां पुलिस और वन विभाग की टीम घटना स्थल पहुंची और लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए सरायकेला भेज दिया।
जंगल में सात घंटे की खोजबीन के बाद मिली लाश
जंगली हाथी से अपनी जान बचाकर विटापुर गांव पंहुचे राधा गोप के सूचना पर सूचना मिलने पर वन विभाग और पुलिस की टीम काेदाडीह जंगल पहुंचे और सात घंटे की खाेजबीन के बाद लाश का बरामद कर लिया। उनके साथ खरसावां प्रखंड के कल्याणडीह, विटापुर, सिलडुगरी, सोखानडीह, संतारी के आस-पास के गांव के सैकडों लोग भी थे। मृतक को देखने के लिए काफी संख्या में भीड़ उमड पड़ी।
बेरमो में रहता है मृतक का परिवार
मृतक का परिवार मांगीलाल तांती बेरमो में रहता है। मृतक अपनी बहन बिस्टु तांती के साथ खरसावां के विटापुर में रहता था। दोनों भाई-बहन दतुवन और पत्ता बेचकर भरण-पोषण करते थे। मृतक की पत्नी कमला तांती अपने तीन बेटों के साथ बेरमो में रहती है।
एक माह के अंदर दूसरी बार हाथी ने ली इंसान की जान
खरसावां वन क्षेत्र के कोदाडीह जंगल में शनिवार को जंगली हाथी के द्वारा खरसावां के ही रहने वाले मांगीलाल तांती को मौत की घाट उतार दिया। इस घटना के साथ जंगली हाथी के द्वारा एक माह के अंदर जंगली हाथी के मारे जाने की दूसरी घटना है। इसके पूर्व विगत 14 अप्रैल 2020 को कुचाई प्रखंड के सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्र लोटाडीह जंगल में फुल और पत्ता चुनने गये खरसावां के लोटाडीह गांव के रहने वाले घासिया मुंडा (52) को जंगली हाथी ने सूंड से उठाकर पटककर मार डाला। जबकि उसके साथ गए 30 वर्षीय गुरूवा मुंडा को भी जंगली हाथी ने सूंड से उठाकर फेंक दिया था। लेकिन गुरूवा ने जख्मी हालत में भागकर अपनी जान बचाया।
मृतक की बहन को ~50000 मिले, 3.50 लाख और मिलेंगे
घटाना के बाद खरसावां वन विभाग ने वनपाल लोदरो हेस्सा के नेतृत्व में मृतक मांगीलाल तांती की बहन बिस्टु तांती को तत्काल 50 हजार का मुआवजा राशी प्रदान किया है। इसके अलावे कागजी प्रक्रिया पूरा होने पर बाद 3.50 लाख रूपये मुआवजा मिलने की बात कही। वहीं, मृतक का साथी जख्मी राधा गोप को भी विभाग ने तत्काल 1 हजार रुपए मुआवजा के रूप में दिया है। साथ ही उसका खरसावां अस्पताल में इलाज करवाया जा रहा है। मुआवजा देने के दौरान वनपाल लोदरो हेस्सा, वनकर्मी विशाल महतो, अमित पटनायक, सोमाय सोरेन, सोनाराम मुंड़ा, खुदीराम मुंड़ा, मनीष मुर्मू, बासुदेव सिंह मुंड़ा, ग्राम प्रधान बीर सिंह मुंडा समेत ग्रामीण लोग उपस्थित थे।
ग्रामीणों में दशहत, जंगल से बनाई दूरी
खरसावां के विटापुर जंगल क्षेत्र में हाथी द्वारा कुचले जाने की पहली घटना है। इस घटना से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। कल्याणडीह, विटापुर, सिलडुगरी, सोखानडीह, संतारी सहित आसपास गांवों में रहने वाले ग्रामीण काफी दहशत में है। इस क्षेत्र में जंगली हाथी के कारण पहली बार किसी की जान गई है। जंगल इलाका होने के बावजूद भी लोग जंगल से दूरी बनाये हुए है। फिर भी जंगली हाथी का डर और भय उन्हें सता रहा है।
टूटे-फूटे घर में छोटा सा आंगन। एक 4/6 फीट का बरामदा। इसके पीछे 6/8 फीट के कमरे मेंएक बड़े दिलवाली मां रहती है, जो एक साथ 8 बच्चों को पाल रही है। भले ही उन्हें जन्म नहीं दिया, लेकिन इन अनाथ बच्चों पर प्यार न्योछावर करती है। इस मां का नाम है मुस्कान। मुस्कान आया व पति लखिंदर कुली का काम करते हैं। पुराना उलीडीह के उनके मकान में दो किराएदार थे। बेहद गरीब। पहले एक किराएदार व उनकी पत्नी की मौत हुई तो 4 बच्चे अनाथ हो गए। मुस्कान ने उन्हें अपने पास रख लिया। फिर कुछ साल बाद दूसरे किराएदार दंपत्ती भी चल बसे। उनके भी चार बच्चों को मुस्कान बच्चों की तरह पाल रही है। 7 बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने भी जाते हैं। पति लखिंदर सामत पूरा साथ देते हैं। मुस्कान ने बताया- किराएदारों के घर और रिश्तेदारों के बारे में किसी को कुछ पता नहीं था। बच्चे कहां जाते। इसलिए मैंने उन्हें अपना लिया। 8 साल शादी को हुए। डॉक्टर ने कहा है कि मैं मां नहीं बन सकती। अब मेरे पास 8 बच्चे हैं। मैं खुश हूं।
भाभी भगवान समान : छोटी मुर्मू
मजदूरी करने वाले कुंजू मुर्मू की टीबी से 7 साल पहले हो मौत गई। 4 साल बाद पत्नी सुरखनी भी चल बसीं। दोनों के ना रिश्तेदार मालूम ना गांव पता। बड़ी बेटी छोटी (17 वर्ष) ने बताया कि हम चार भाई-बहन अनाथ हो गए। पढ़ाई छोड़ दी। भाभी मुस्कान भगवान के समान हैं। उन्होंने मुझे, छोटी बहन मनीषा (12), भाई रोहित (10) और राहुल (7) को पाला है।
मां के बाद भाभी ने संभाला : सुमन
दूसरे किराएदार सुशील सिरका और उनकी पत्नी की मौत भी बीमारी से 6 वर्ष पहले हो गई। सुशील की बड़ी बेटी सुमन (15) ने बताया- हम भाई रंजीत (12), मनीषा (10) और अमर (6) के साथ अकेले रहते। एक दिन भाभी अाईं और हमें अपने घर ले गईं। जो भी रुखा सूखा मिलता था सभी मिल-बांट कर खाते थे। तभी से हम सभी एक परिवार की तरह रहते हैं।
पिछले करीब डेढ़ माह से जेम्काे में फंसे बिहार के गया और औरंगाबाद के 44 लाेगाें काे शनिवार काे बस से वापस उनके घर भेजा गया। ये लाेग शादी समाराेह में भाग लेने 22 मार्च काे आए थे। लेकिन लाॅकडाउन के कारण फंस गए। विधायक सरयू राय के प्रयास से जिला प्रशासन ने इन्हें बिहार भेजने के लिए एक बस का पास जारी किया था। 50 सीटर बस में सभी 44 लाेग ठूंस कर भेजे गए। एक सीट पर दाे लाेग बैठे थे।
इसमें साेशल डिस्टेंसिंग का तनिक भी ख्याल नहीं रखा गया। आम लाेगाें काे साेशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाने वाले प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी पास जारी करते समय इसे भूल गए। पास पर बाकायदे 45 लाेग (44 और एक ड्राइवर) लिखा हुआथा, लाेगाें के फंसे हाेने की सूचना सरयू राय काे मिली। उन्हाेंने पास और बस की व्यवस्था कराई। लाेगाें काे लेकर बस शाम करीब छह बजे जेम्काे चाैक से खुली।
जेएनएसी ने दिया सामुदायिक भवन में ठहरने का परमिशन
इन लाेगाें काे वधू पक्ष ने जेम्काे आजाद बस्ती स्थित सामुदायिक भवन में ठहराया था। विधायक के समर्थकाें ने इसके लिए जेएनएसी से अनुमति ली थी। सरयू राय की पार्टी भाजमाे के रामनारायण शर्मा ने बताया कि कार्यकर्ताओंके सहयाेग से लाेगोंके ठहरने से लेकर भाेजन आदि की व्यवस्था की गई।
आजाद बस्ती मानगो में खरीदारी के लिए उमड़ी भीड़
मानगो आजादबस्ती रोड नंबर दो में बाजार में खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखा। कोरोना से बचाव के लिए मुस्तैद रहने वाले पुलिस के जवान कहींं नहीं दिखे। रमजान का महीना शुरू हुआ है तब से इलाके की दुकानें खुल रही हैं।
407 में भरकर पटमदा से पुरुलिया गए लोग
पोटका से 407 वाहन पर सवार होकर 28 लोग पुरुलिया जा रहे थे। साकची में कीनन स्टेडियम के पास चेकपोस्ट पर पुलिस ने उन्हें थोड़ी देर के लिए रोका। फिर पूछताछ कर छोड़ दिया। इस तरह का नजारा शहर के प्राय: हर चेकपोस्ट पर देखने को मिल रहा है, लेकिन अधिकारी मौन हैं।
लाेगाें के फंसे हाेेने की सूचना पर कराई व्यवस्था
जेम्काे में शादी समाराेह में भाग लेने आए लाेगाें के डेढ़ माह से फंसे हाेने की सूचना मिली थी। इसके बाद जिला प्रशासन से बात कर उन्हें बिहार भेजने के लिए पास की व्यस्था कराई गई। एक बस से कुल 44 लाेग भेजे गए।
-सरयू राय, विधायक, जमशेदपुर पूर्वी
कैंसर पीड़ित मरीज को घर से अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिला तो परिजन ठेला पर ही लादकर इलाज करवाने के लिए चल पड़े। इस बीच डीसी को जानकारी मिली तो उनकी पहल पर एंबुलेंस आई। तब तक परिजन तीन किलोमीटर की दूरी तय कर चुके थे। एंबुलेंस आने के बाद महिला को इलाज के लिए ले जाया गया,लेकिन अस्पताल पहुंचते ही महिला की मौत हो गई।
परिजनों ने बताया कि मरीज को लेकर जब अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सक ने देखा और कहा कि मरीज की मृत्यु हो चुकी है। महिला के परिजनों ने बताया कि बुधुडीह निवासी ममता देवी कैंसर से पीड़ित थीं। शनिवार लगभग 10 बजे अचानक से तबीयत बिगड़ गई। परिजन ने सदर अस्पताल और 108 नंबर पर फोन कर एंबुलेंस की मांग की। परंतु सभी एंबुलेंस के बाहर रहने की बात परिजनों को बताई गई। इसके बाद परिजन ठेला से ही मरीज को सदर अस्पताल ले जाने लगे।
उपायुक्त गणेश कुमार ने कहा कि मुझे जैसे ही इस बात की जानकारी मिली मैंने सिविल सर्जन से बात कर एंबुलेंस उपलब्ध करा दिया। परिजन ने एंबुलेंस विभाग से मांगी थी कि नहीं इसकी जांच कराई जाएगी। मरीज की मौत के बाद शव को सिविल सर्जन ने एंबुलेंस से घर तक भिजवाया।
बिहार सरकार के विरोध में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी(रालोसपा) रविवार को काला दिवस मना रही है। उपेंद्र कुशवाहा अपने आवास पर धरने पर बैठे हैं। इसके साथ ही पूरे प्रदेश में रालोसपा नेता और कार्यकर्ताओं ने दो घंटे का मौन रखा है। सभी राज्य सरकार के खिलाफ धरना सत्याग्रह कर रहे हैं।
उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि इस वक्त सभी लोग कोरोना से परेशान हैं और मुश्किल घड़ी में भी सरकार लोगों को राहत नहीं दे पा रही है। राज्य सरकार हर मोर्चे पर विफल है। अपनी नाकामी छिपाने के लिए प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक तरफ राज्य सरकार खुद कुछ नहीं कर रही और दूसरी तरफ मीडिया सच को उजागर करना चाहता है उसे भी राज्य सरकार रोक रही है। क्वारैंटाइन सेंटर की बदहाली का सच उजागर करने वालों पर पाबंदी लगाना गलत है। यह गैर लोकतांत्रिक है।
रालोसपा अध्यक्ष ने कहा कि बिहार सरकार दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों के खाते में 10 हजार रुपए डाले। राज्य के गरीबों को एक हजार रुपए की दूसरी किस्त दी जाए। रोजगार की उपलब्धता के लिए ठोस योजना बनाई जाए और किसानों के नुकसान की जल्द भरपाई हो। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि कोरोना जांच में तेजी लाए ताकि संक्रमितों की पहचान की जा सके।
बिहार में पिछले तीन दिनों में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। शनिवार दोपहर से रविवार सुबह तककोरोना के 50 मामले सामने आए हैं। इसमें 32 प्रवासी मजदूर हैं जो दूसरे राज्यों से लौटे हैं। शनिवार को 32 केस सामने आए थे। रविवार को 18 नए मरीजों की पुष्टि हुई है। इसमें सहरसा और मधेपुरा के 7-7, दरभंगा के दो और बेगूसराय-अररिया के एक-एक मरीज शामिल हैं। अच्छी खबर ये है कि पिछले 24 घंटे में 51 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं।
37 जिलों में फैला संक्रमण
बिहार के 37 जिलों में कोरोनावायरस का संक्रमण फैल गया है। शनिवार को मुजफ्फरपुर में भी कोरोना के तीन मामलों की पुष्टि हुई है। सिर्फ जमुई ही ऐसा जिला बचा है जहां अब तक कोरोना के मरीज नहीं मिले हैं।
रिकवरी में बिहार चौथे नंबर पर
बिहार के लिए अच्छी बात यह है कि कुल संक्रमित मरीजों में से 54% इस वायरस को हराने में सफल रहे हैं। यह राष्ट्रीय औसत से अधिक है। राष्ट्रीय औसत 29 फीसदी है। शनिवार को राज्य के 51 लोगों ने कोरोना को मात दी। अभी तक 318 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
बक्सर-कैमूर में तेजी से ठीक हो रहे मरीज
पिछले दिनों बक्सर और कैमूर में तेजी से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही थी। लेकिन, अब दोनों जिलों में मरीज तेजी से रिकवर हो रहे हैं। बक्सर के 56 में से 54 और कैमूर के 32 में से 27 मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं। बिहार का गया ही एकमात्र जिला हैजहां अब तक सभी मरीज ठीक हो चुके हैं। यहां अब तक 6 केस आए और सभी स्वस्थ हो गए।
आरा: नया मरीज मिलने से डर कायम
आरा जिले में अब तक 18 केस मिले जिसमें सभी लोग स्वस्थ हो गए। शनिवार को नया केस मिलने के बाद फिर हड़कंप मच गया। अगिआव प्रखंड में नया केस सामने आया है। एक ओर जहां जिले के सभी मरीजों के स्वस्थ होने से लोग राहत में थे वहीं, नया मरीज मिलने से प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।
हॉट स्पॉट मुंगेर: 24 घंटे में दो नया केस
हॉट स्पॉट मुंगेर में पिछले 24 घंटे में दो नए मरीजों की पुष्टि हुई है। इससे पहले तीन दिनों तक यहां कोई नया केस सामने नहीं आया था। जो दो नए केस सामने आए हैं वे खड़गपुर के क्वारैंटाइन सेंटर में पिछले दो दिनों से रह रहे थे। जिले में दूसरे राज्यों से आए लोगों से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। मुंगेर में अब तक कोरोना के 104 मरीज मिले जिसमें 43 ठीक होकर घर लौट गए और 58 का इलाज चल रहा है।
बक्सर: कंटेंटमेंट एरिया नया भोजपुर में 63 लोगों पर केस दर्ज
बक्सर के कंटेंटमेंट एरिया नया भोजपुर में लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर 63 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस दिन भर सभी इलाकों में गश्त कर रही है और सख्ती से लॉकडाउन का पालन करा रही है। जिले में अब तक 56 मरीज मिले हैं जिसमें 54 ठीक हो गए।
कोरोना से प्रभावित टॉप 10 जिले-
जिला | मरीज | ठीक हुए | मौत |
मुंगेर | 104 | 43 | 1 |
रोहतास | 59 | 40 | 1 |
बक्सर | 56 | 54 | 0 |
नालंदा | 40 | 35 | 0 |
सीवान | 33 | 26 | 0 |
कैमूर | 32 | 27 | 0 |
बेगूसराय | 26 | 8 | 0 |
मधुबनी | 24 | 0 | 0 |
गोपालगंज | 18 | 17 | 0 |
भोजपुर | 19 | 10 | 0 |
मां, अक्षरों के हिसाब से सबसे छोटा शब्द, लेकिन अर्थ के हिसाब से सबसे बड़ा। इसीलिए मां कहने के बाद किसी को शायद कुछ भी कहने की जरूरत नहीं बचती। सबकुछ मां खुद ही समझ लेती है। कोरोना काल में इस शब्द का अर्थ और व्यापक हो गया है। खासकर उन मां के लिए जो दो मोर्चों पर एक साथ लड़ रही हैं। पहला -अस्पताल में मरीजों के लिए सीधे कोरोना से । दूसरा - घर में कोरोना से बचाव के लिए अपनी ममता से। मदर्स डे पर ऐसी मां से आपको रूबरू करा रही हैं हमारी संवाददाता श्रेया शर्मा और मसूद जामी :-
डिलेवरी के 7 दिन बाद से ड्यूटी, खूब रोई...पर सोचा-बच्चे के लिए भी तो कोरोना को हराना है
19 मार्च को मैंने अपने बेटे को गोद में लिया और ठीक 7 दिन के बाद पत्नी को ड्यूटी ज्वाइन करनी थी। पत्नी कांप रही थी। मैंने कहा- बेटे शौर्य प्रताप का मैं ध्यान रखूंगा। पर मां का मन...पीएमसीएच जाने के लिए पहले दिन तैयार हुई। बेटा रोने लगा। पत्नी डॉ. दिपाली भी रोने लगी। फिर खुद ही बोली-इस नई पीढ़ी के लिए भी तो कोराेना को हराना है।
बेटी ही नहीं, मेरा मन भी नहीं मानता...शीशे के पार से दुलार लेती हूं
फुलवारीशरीफ में एम्स में कोरोना के आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रही नर्स आरती कुमारी की बेटी डेढ़ साल की है। अस्पताल से लौटते समय घर के सामने पहुंचते ही रूह कांप जाती है। पता होता है कि डेढ़ साल की बेटी प्रीशिता ने देख लिया तो गोद में आने की जिद में खूब रोएगी। संयोग से ऐसा अक्सर होता भी है। उसे न जाने कैसे पता चल जाता है कि मैं घर पहुंच गई हूं। गेट पर ही मानो पहरा देते मिलती है। कोरोना की वजह से बैंककर्मी पति वर्क टू होम कर रहे हैं। इससे उसे संभालने में मदद मिलती है।
शेखपुरा रेलवे स्टेशन के रैक प्वाइंट पर कार्यरत एक मजदूर का मालगाड़ी के चपेट में आने से उसका पैर कट गया है। जिसके बाद रैक पॉइंट पर अन्य कार्यरत मजदूर आनन-फानन में उसे एक ठेले पर लादकर सदर अस्पताल पहुंचाया। जहां युवक की स्थिति गंभीर रहने पर चिकित्सकों ने उसे पटना रेफर कर दिया गया है। इस सम्बन्ध में स्थानीय लोगों ने बताया कि रेलवे स्टेशन के रैक पॉइंट पर मजदूरों द्वारा कार्य किया जा रहा था।
इसी दौरान इंदाय मुहल्ला निवासी पप्पू यादव भी रैक पॉइंट पर काम कर रहा था। इसी दौरान मालगाड़ी के चपेट में आने से उसका दायां पैर कटकर अलग हो गया। जिसे देख कार्य कर रहे अन्य मजदूरों ने तुरंत एक ठेले रखकर सदर अस्पताल पहुंचाया। घटना के बाद पीड़ित के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
बरबीघा के एसके आर कॉलेज में बनाए क्वारान्टीन सेंटर में रह रहे लोगों के बीच अनोखी एकता की मिसाल देखने को मिली। दरअसल, सेंटर में रह रहे गोड्डी गांव निवासी दशरथ पासवान के मां का निधन शनिवार की सुबह अचानक हृदय गति रुकने के कारण हो गई। गरीब होने के कारण घर पर लोगों के पास अंत्येष्टि करने के लिए भी पैसे नहीं थे। क्वारान्टीन सेंटर में युवक को रोता देख अन्य लोगों ने उससे जब रोने का कारण पूछा तो उसने सारी बात बता दी। दशरथ पासवान ने बताया कि वह चार भाई है।
दो भाई अभी भी हरियाणा फंसे है जबकि एक भाई यहां सेंटर में फंसे हुए हैं और एक छोटा भाई घर पर रहता है। कमाई बंद होने के कारण मां के क्रिया कर्म करने के भी पैसे नहीं है। उसकी बातें सुनकर सेंटर में रह रहे सभी लोगों की आंखें नम हो गई और मानवता की मिसाल पेश करते हुए सभी लोगों ने 5000 से अधिक की राशि चंदा के रूप में इकट्ठा करके उसके गांव भिजवा दिया। इस नेक काम को करने में महुआतल निवासी सूरज कुमार नामक युवक का काफी योगदान रहा। मजदूर वर्ग के लोगों ने पैसे ऐसे समय में मदद किया है जब उनके लिए एक एक रुपया का मायने रखता है। हालांकि बाद में सूचना पाकर पंचायत के मुखिया ने भी कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत 3000 रुपैया मुहैया कराई है।
कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर सभी लोग हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। वहीं, जिले में सभी स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस कर्मी व सफाईकर्मी सब अपनी चिंता छोड़कर कोरोना वारियर्स के रूप में दिन-रात लोगों के सुरक्षा में तत्पर हैं। जिसे आज पूरी दुनिया कोरोना वारियर्स के कार्यों की प्रशंसा करते उनकी सुरक्षा के लिए दिन-रात दुआ कर रहे हैं। इसी के तहत शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों द्वारा सदर अस्पताल के चिकित्सकों, सेवारत नर्सों, पैथोलॉजी विभाग कर्मी, चालक, सुरक्षा कर्मियों को कोरोना योद्धा कर्मवीर हेडगेवार सम्मान के साथ पुष्प की वर्षा कर सम्मानित किया।
इस दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे एसीजेएम सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राजेश कुमार ने कहा कि इस वैश्विक महामारी में घर के लोग आपस में दूरी बनाकर रहते हैं। लेकिन कोरोना वारियर्स अपने जीवन को संकट में डाल कर लोगों की सुरक्षा व सेवा प्रदान कर रहे है। इस अवसर पर कोरोना वारियर्स डॉ.कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह, डॉ.प्रियरंजन, डॉ.मनमेन्द्र, डॉ.संगीता कुमारी, रौशन कुमार, रणवीर कुमार, प्रबंधक धीरज कुमार, केयर इंडिया के ब्लॉक प्रबंधक मिनाक्षी गौतम, राजीव कुमार सहित शहर दल्लु चौक, कटरा चौक, चांदनी चौक पर तैनात पुलिसकर्मियों को भी सम्मानित किया गया।
इसके साथ ही मधुसुदन यादव, नारायण उपाध्याय, जयप्रकाश उपाध्याय, पप्पू कुमार, अमन कुमार के साथ-साथ चिकित्सा विभाग के सभी कर्मियों को सम्मानित किया गया। वहीं डॉ.शरदचन्द्र ने स्वास्थ्य कर्मियों के कार्य को गौरवपूर्ण बताया है। इस दौरान जिला संघचालक प्रो.शिवभगवान गुप्ता, सह संघचालक राधेश्याम वर्णवाल, जिला कार्यवाह अनिल कुमार, सह जिला कार्यवाह अभय कुमार, सुभाष बरबीगहिया, विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष उपेन्द्र प्रेमी, अरुण भगत, भाजपा नेता संजय कुमार उर्फ कारु सिंह, बलराम आनंद सहित दर्जनों स्वयंसेवकों ने पुष्प की बारिश कर सम्मानित किया।
घाटकुसुम्भा प्रखंड के डीहकुसुम्भा गांव में शनिवार की सुबह चेन्नई से पांच मजदूर अपने भाइयों के साथ गांव लौटकर आने की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंचकर सभी का स्वास्थ्य परीक्षण किया जिसके पश्चात सभी लोगों को प्रखंड में बने क्वारान्टीन सेंटर में आइसोलेट किया गया।
इस बाबत आरओ सौम्या ने बताया कि अभी घाटकुसुम्भा प्रखंड के मॉडल क्वारान्टीन सेंटर में 44 , गगौर में 17 और डीहकुसुम्भा मे 4 प्रवासी मजदूर रह रहे हैं। जबकि मुजफ्फरपुर से आये पांच मजदूरों को होम क्वारान्टीन किया गया है और इन सभी को 21 दिनों तक गांव में किसी से मिलने की मनाही के साथ बाहर घूमने पर पाबंदी सहित लॉकडाउन का नियमों के पालन करने का निर्देश दियागया है।
कोरोनावायरस को लेकर पूरे देश में लॉक डाउन जारी है। जिसके कारण प्रतिदिन मजदूरी कर जीवन-यापन करने वाले मजदूरों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई थी। जिसको लेकर बिहार सरकार के पहल से सभी मजदूरों को अपने-अपने जिले वापस लाया जा रहा है। वहीं, कुछ प्रवासी मजदूर को सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण पैदल व अन्य दूसरे साधन से जिला पहुंच रहे हैं। जिले में पहुंचने वाले प्रवासी को क्वारान्टीन सेंटर में 21 दिन के लिए रखा जा रहा है, लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा बनाए गए को क्वारान्टीन सेंटर मे उचित सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण प्रवासी मजदूरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, शनिवार की सुबह दिल्ली से 35 प्रवासी मजदूर पैदल व अन्य साधन के सहारे लगभग 5 दिनों के बाद शेखपुरा पहुंचे। जिसमें सभी प्रवासी मजदूर सदर प्रखंड के गगरी पंचायत के बताए जा रहे हैं। जिसके बाद सभी मजदूर स्वतः सदर अस्पताल पहुंचकर अपना मेडिकल जांच कराया। जिसके पश्चात जिला पुलिस प्रशासन के द्वारा सभी प्रवासी को अभ्यास मध्य विद्यालय स्थित क्वारान्टीन सेंटर में रखा गया। लेकिन सभी प्रवासी को सुबह से किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। जिसके कारण मजदूरों का भूख व थके होने के कारण बुरा हाल हैं।
इस बाबत क्वारान्टीन किए गए गगरी पंचायत निवासी रणजीत सिंह, संतोष कुमार, उत्तम सिंह, सतपाल कुमार, नागो राम, सुमन राम, पिंकू मांझी आदि ने फोन पर दैनिक भास्कर को बताया कि हम लोग दिल्ली से अपने परिवार के साथ निजी वाहन से शेखपुरा आया था जिसमें दो गर्भवती महिला एवं मासूम बच्चें भी है। सुबह 6:00 बजे क्वारान्टीन सेंटर पहुँचने के बाद लगभग 5 बजे तक न तो चाय या फिर भोजन के लिए पूछा गया है।
बेलछी के क्वारान्टीन में व्यवस्था नहीं रहने से भागे प्रवासी, गांव वालों ने भगाया
वहीं, शनिवार को अरियरी प्रखंड अंतर्गत बेलछी गांव में बने क्वारान्टीन सेंटर में उचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण प्रवासी मजदूर सीधे गांव चले गए। हालांकि ग्रामीणों ने उसे गांव में प्रवेश नहीं करने दिया। दरअसल, शुक्रवार को दो बस से गुजरात के राजकोट से प्रवासी मजदूर को लेकर शेखपुरा पहुंचे थे। जिसे शनिवार की सुबह बेलछी गांव के क्वॉरेंटाइन केंद्र पर आइसोलेट किया गया। जहां किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होने सभी प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांव चले आए। हालांकि गांव वालों ने प्रवेश नहीं दिया।
नहीं किया गया है कमरा व बेड को सैनिटाइज
वहीं, प्रवासी मजदूरों ने बताया कि क्वारान्टीन सेंटर में काफी गंदगी फैली हुई है और बेड का चादर भी काफी गंदा है। वहीँ, शिकायत करने के बावजूद भी ना तो बेड बदला गया ना ही सैनिटाइज किया गया है। आलम यह है कि उक्त लोगों को चादर हटाकर हटाकर बेड पर ही सोना पड़ रहा है। वहीं, गंदगी पसरे रहने के कारण क्वारान्टीन सेंटर पर संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि कोरोना से बचाव को लेकर हमलोग अपने गांव नहीं जाकर सीधे क्वारान्टीन सेंटर आ गए थे, लेकिन क्वारान्टीन सेंटर में व्यवस्था नहीं होने के कारण संक्रमण का भय है।
जिला प्रशासन के द्वारा प्रवासी मजदूरों का सुध नहीं लिए जाने के कारण आए दिन निजी वाहनों प्रवासी मजदूर जिले में बेरोक-टोक प्रवेश कर रहे हैं। जिसके कारण जिले में सदर प्रखंड के लोदीपुर गांव के बाद अब शेखोपुरसराय प्रखंड के बहिकट्टा गांव में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला है। जिससे जिले में कोरोनावायरस पॉजिटिव की संख्या बढ़कर दो हो गई। युवक की संक्रमित रिपोर्ट आने के बाद आनन-फानन में जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंचकर संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले कुल 38 व्यक्तियों को क्वारान्टीन सेंटर में आइसोलेट किया गया है।
जिसके तत्पश्चात सभी लोगों का सैंपल जांच के लिए पटना भेजा गया है। इस दोनों मामले में जिला प्रशासन की लापरवाही खुलकर सामने आई है और कई बार दैनिक भास्कर ने सीमा पर बेरोक-टोक आवागमन जारी की खबर छापकर आगाह भी किया था लेकिन इस दिशा में जिला प्रशासन द्वारा उदासीनता रवैया रहने पर उसका नतीजा है शुक्रवार की देर रात शेखोपुरसराय प्रखंड में बहिकट्टा गांव के 18 वर्षीय युवक कोरोना पॉजिटिव निकला। शायद जिला प्रशासन दैनिक भास्कर की आगाह पर गंभीरता दिखाती, तो शायद शेखपुरा जिला कोरोना जैसे महामारी की चपेट में नहीं आता।
निजी वाहन से पहुंचे थे शेखपुरा
जिले में पाया गया दूसरा कोरोना पॉजिटिव मरीज 5 मई को बोलेरो से शेखपुरा अपने घर पहुंचा था। जिसमें कुल 8 प्रवासी नालंदा, लखीसराय, मोकामा का था। उक्त दोनों युवक अपने गांवशेखोपुरसराय प्रखंड के बहिकट्टा उतरा और रात घर में ही बिताया। जिसके बाद ग्रामीणों द्वारा सूचना देने पर 6 मई को उक्त दोनों को मेडिकल टीम ने घर से लाकर शेखोपुरसराय प्रखंड स्थित क्वारान्टीन सेंटर में आइसोलेट किया और 7 मई को दोनों की सैम्पल लेकर जांच के लिए पटना भेजा। 8 मई की देर रात एक युवक की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उसे शहर के जखराज स्थान में क्वारान्टीन किया।
संक्रमित के सम्पर्क में आये 29 लोगों को किया गया क्वारान्टीन
युवक की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद आनन-फानन में अधिकारीयों एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसके सम्पर्क में आये महिला-पुरुष व बच्चें सहित 29 लोगों को पकड़कर जखराज स्थान स्थित क्वारान्टीन सेंटर में आइसोलेट किया गया। वहीं, कोरोना पॉजिटिव मरीज को एक बिल्डिंग में अकेले रखा गया है जबकि अन्य संदिग्ध को दूसरे बिल्डिंग में रखा गया है। साथ ही सभी संदिग्धों का सैंपल जांच के लिए पटना भेजा जा चुका है। सीमाओं पर बेरोकटोक लोगों का आवागमन जारी वैश्विक बीमारी कोरोना के खिलाफ जंग अब चरम सीमा पर पहुंच चुका है ऐसे में एक भी चूक नतीजे बदल सकती है। दरअसल, जिले के साथ-साथ आसपास जिले जमुई छोड़कर नवादा, लखीसराय, नालंदा में भी कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से स्थिति गंभीर बनी हुई है। बावजूद जिले के सीमाओं पर बेरोकटोक आवागमन अभी भी जारी है। जिसके कारण कोरोना के संक्रमण फैलने की खतरा अधिक बढ़ गया है। ऐसे में सीमाओं पर आवागमन पर रोक नहीं रहने के कारण प्रवासी मजदूर निजी वाहन से आ रहे हैं।
शहर में लोग दिखा रहे हैं लापरवाही, बाजार में उमड़ रही है भीड़: शहर के चांदनी चौक, कटरा चौक, गिरिहिंडा चौक, दल्लू चौक, कटरा बाजार, बुधौली चौक सहित अन्य जगह पर लॉक डाउन की धज्जियां उड़ते नजर आ रही है। लोग बेवजह सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं। जैसे लोगों को विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस भय नहीं दिख रहा है, जो हमारे जिलावासियों के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि बिहार सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन के द्वारा जिले में विशेष निर्देश के साथ कुछ छूट प्रदान किया गया है जिसके कारण सड़कों पर चहल-पहल और अधिक बढ़ गई है। लेकिन इस दौरान लोगों के द्वारा सोशल डिस्टेंस का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। कोरोनावायरस से बचाव को लेकर सोशल डिस्टेंस ही एक महत्वपूर्ण हथियार है। जिसको लेकर सभी को सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखना चाहिए और इसे सख्ती से पालन करना चाहिए। तभी हम लोग कोरोना जैसे विश्वव्यापी महामारी पर विजय पा सकते हैं।
स्थानीय थाने के रेवतीथ गढ़ गांव में दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर एक नवविवाहिता की हत्या कर दी गई । मृतिका नीपू देवी 25 वर्ष की थी। उसकी शादी रौशन कुमार सिंह के साथ हुई थी। घटना के संबंध में इसी थाने के दिघवा कचहरी टोला निवासी व मृतका के पिता संजय कुमार सिंह ने अपनी बेटी के ससुराल वालों पर दहेज के लिए प्रताड़ित कर हत्या करने का आरोप लगाया है। पुलिस को दिए आवेदन में पिता ने कहा है कि उनकी बेटी नीपू की शादी नवंबर 2019 में हुई थी। शादी के बाद दहेज की मांग को लेकर नीपू को ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ित किया जाता था।
शनिवार की सुबह उसकी हत्या कर दी गई । बैकुंठपुर सीएचसी में अचेतावस्था में नीपू को इलाज के लिए उसकी सास लेकर आई थी। इसी बीच डॉक्टरों ने नीपू को मृत घोषित कर दिया । सूचना पाकर मायके वाले भी अस्पताल पहुंच गए और पुलिस को जानकारी दी। थानाध्यक्ष अमितेश ने पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचकर शव को अपने कब्जे में ले लिया तथा पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल गोपालगंज भेज दिया । थानाध्यक्ष ने बताया कि मृतका की सास को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है । वैसे प्राप्त आवेदन के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। जिला परिषद सदस्य सुरेंद्र राय ने हत्याकांड की उच्चस्तरीय जांच व दोषी लोगों पर कानूनी कार्रवाई करने की गुहार लगाई है ।
कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान की परवाह किये बिना समाज को सुरक्षित रखने के लिए दिन रात कार्य कर रहे कोरोना योद्धाओं को सम्मान देने के लिए बिहार राज्य में एक मुहिम ‘थैंक यू कोरोना वारियर्स’ की शुरुआत राष्ट्रीय स्तर की संस्था सेंटर फॉर कैटेलाईजिंग चेंज द्वारा महिला शिशु कल्याण संस्था , गोपालगन्ज के सहयोग से किया गया है।
इस अभियान के माध्यम से गोपालगज जिला में चैम्पियन परियोजना से जुडी पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा अपने अपने वार्ड एवं पंचायत की स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, पुलिस, सफाई कर्मी, जरुरत सामग्री को पहुंचाने वाले, सरकारी कर्मी इत्यादि को ग्राम स्तर पर सम्मान देने के कार्य किया जा रहा है। अभियान के माध्यम से आशा एवं एएनएम को घर घर स्क्रीनिंग कार्य को करने में सहायता भी प्रदान की जा रही है।
हथुआ में महिला वॉरियर्स को किया गया सम्मानित
हथुआ प्रखंड के एकडेंगा पंचायत की वार्ड 11 की महिला वार्ड सदस्य बबिता देवी, खैरटिया पंचायत की वार्ड नंबर 4 की महिला वार्ड सदस्य शैल देवी,बलेसरा पंचायत की वार्ड 4 की महिला वार्ड सदस्य गुलाची देवी, त्रिलोकपुर पंचायत की वार्ड 10 की महिला वार्ड मीना देवी ने अपने - अपने पंचायतों में फ्रंटलाइनर कोरोना वॉरियर्स आशा, एएनएम एवं सेविका को थाली, ताली एवं पुष्पवर्षा कर उनका अभिवादन किया।
लकड़ी बनवीर के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय व माडीपुर गांव स्थित संचालित प्राथमिक विद्यालय को प्रखंड प्रशासन क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया है। जिसमें अन्य प्रदेशों से आने वाले प्रवासी लोगों को रखा जा रहा है। शनिवार को प्रखंड विकास पदाधिकारी कृष्णा राम व प्रभारी चिकित्सा डॉ राजीव रंजन दोनों क्वारेंटिंन सेंटर पहुंचकर प्रवासी लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव हेतु जागरुक किया। इस दौरान बीडीओ श्री कृष्ण राम ने बताया की लकड़ी बनवीर क्वॉरेंटाइन सेंटर सैंतीस प्रवासी लोगों को रखा गया है तो वही माडीपुर क्वारेंटाइन सेंटर में अट्ठासी प्रवासी लोगों को रखा गया है।
जिनके बीच पहुंचकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए अपील किया गया। इस दौरान बीडीओ ने दोनों क्वॉरेंटाइन सेंटरों पर पहुंचकर सख्त हिदायत दिया कि यदि सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखा गया तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। उधर फुलवरिया थानाध्यक्ष मनोज कुमार प्रखंड के मुख्य बाजार बथुआ के मुख्य मार्गो पर बेवजह बाइकों से मटरगश्ती करने वाले से लोगों पर लाठियां चटकाई साथ ही राशन की दुकानों पर भीड़ देखकर लोगों को फटकार लगाई तथा सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखने की अपील की। वही श्रीपुर ओपी अध्यक्ष मुकेश कुमार सशस्त्र बल के जवानों के साथ भोरे मीरगंज मुख्य पथ के मिश्र बतरहां बाजार में वाहन जांच चलाई।
ये हैं विजय कुमार। सदर अस्पताल में लैब टेक्नीशियन हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में बढ़ते संक्रमण के बीच चिकित्सक से लेकर सफाई कर्मी तक सभी जी-जान से जूटे हुए हैं। खतरे के बीच ये सभी अपनी जिम्मेवारियों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। लेकिन, कोरोना की इस लड़ाई में सबसे कठिन कार्य कर रहे हैं लैब टेक्नीशियन।
सभी लैब टेक्नीशियन खतरे के बीच भी कोरोना संक्रमित या इसके संदिग्ध मरीजों का सैंपल एकत्रित कर रहे हैं। इनमें लैब टेक्नीशियन विजय कुमार एक कर्मवीर योद्वा हैं। ये बिना रेस्ट लिए 35 दिनों से लगातार सैंपल कलेक्शन कर रहे हैं। अब तक 366 से अधिक लोगों के सैंपल ले चुके हैं। बता दें कि कोरोना मरीज की पहचान से लेकर इलाज तक की प्रक्रिया में लैब तकनीशियन का काम अत्यधिक जोखिम भरा होता है। क्योंकि, सैंपल लेने के मरीज और तकनीशियन के बीच दूरी न के बराबर रहती है।
कोरोना के साथ स्वयं से भी लड़ते हैं प्रतिदिन
कोरोना संदिग्धों का स्वाब लेते समय भी मरीज को कई बार खांसी आ जाती है और तो और कई बार उल्टी भी हो जाती है, जिसकी वजह से संक्रमण का खतरा हर समय बना रहता है। हालांकि, ये पीपीई किट पहनकर इस कार्य को अंजाम देते हैं लेकिन, यह कहना गलत नहीं कि इस परिस्थिति में सैंपल लेने से लेकर जांच कार्य तक लैब तकनीशियन को कोरोना के साथ स्वयं से भी लड़ना होता है।
पहले लगता था डर, अब नहीं
विजय कुमार ने बताया कि पहली बार जब सैंपल कलेक्शन कर रहे थे तो, उनके मन मे एक डर था। लेकिन अब तो हर रोज के कार्यंो में सैंपल कलेक्शन करना शुमार हो गया है। उनके पिता स्वस्थ्य विभाग से रिटायर्ड हैं। परिवार के अधिकतर लोग स्वास्थ्य सेवा जुड़े है। इसलिए उनके घर में डर का कोई माहौल नहीं है। परिवार के सभी लोगों के हौसला बढ़ाने की वजह से कोरोना मरीजों की जांच में पूरे उत्साह से दिन रात लगे रहते हैं। मन में कोरोना संक्रमण का भय भी बना रहता है। लेकिन एक विचार एक मिनट के लिए मन में आते ही अपने काम में तल्लीन हो जाते है। तुरंत ही नकारात्मक विचार मन से गायब हो जाते हैं।
कार्य को बखूबी अंजाम दे रहे हैं
लैब टेक्नीशियन अपने मानसिक द्वन्द्व पर विजय प्राप्त कर अपने कार्य को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। विजय कुमार कहते हैं, जब पूरे विश्व पर कोरोना का संकट छाया हुआ है तो वे लोग इससे कैसे मुंह मोड़ सकते हैं।
केयर इंडिया कर रही है सहयोग
सभी लैब टेक्निशियन के साथ केयर इंडिया की टीम भी सहयोग कर रही है। केयर इंडिया के तरफ डॉ दिनेश कुमार मौर्य सैंपल कलेक्शन कार्य मे अपनी सेवा दे रहे है।
लॉकडाउन में डाक विभाग ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। डोर-टू-डोर सर्विस के साथ-साथ राशन सामग्री को भी जरूरतमंदों तक पहुंचाया हैं। जरूरी दवाओं की पार्सल से बुकिंग कर समय से पूर्व डिलिवरी कराई। डाक विभाग के कार्यो की खूब सराहना हो रही हैं। इसी कड़ी में छह मई को गया डाक विभाग ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
गया डिविजन ने एक दिन में लगभग 67 लाख रुपए से अधिक का ट्रांजेक्शन 11 हजार लोगों के बीच किया, जो भारतीय डाक सेवा में सबसे ज्यादा लेन-देन हैं। इसके लिए गया डिविजन को टॉप शाखा के खिताब से नवाजा गया। गया डिविजन को मिले इस उपलब्धि पर डाक अधिकारियों ने भी हर्ष व्यक्त किया है। डीएम अभिषेक सिंह ने बेहतर डाक सेवा का खिताब गया डाकघर को मिलने पर सभी पदाधिकारी और कर्मियों को बधाई दी। डीएम ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में डाक विभाग ने जरूरतमंदों को घर-घर सेवा पहुंचायी हैं।
संत जयदीप आजाद को मिला टॉप एंड यूजर का खिताब
प्रत्येक राशन कार्डधारियों को सरकार द्वारा एक-एक हजार रुपए की राशि डीबीटी के माध्यम से उपलब्ध कराया गया हैं। भारतीय डाकघर एवं ग्रामीण डाक सेवकों द्वारा घर-घर जाकर राशि का भुगतान किया हैं। इसके लिए गया डिविजन के संत जयदीप आजाद को टॉप एंड यूजर का खिताब मिला। एक दिन में इन्होंने लगभग 309 लाभुकों के बीच 1.64 लाख रुपए का लेन-देन किया हैं।
सेवाभाव के साथ कर्मियों ने किया काम : रंजय
वरीय डाक अधीक्षक रंजय कुमार सिंह ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर पूरा देश लॉकडाउन हैं। लॉकडाउन की अवधि में डाक विभाग के कर्मचारी ने सेवा भाव के साथ काम किया हैं। आज सभी की मेहनत के बदौलत गया डाकघर को यह खिताब मिला हैं। डोर-टू-डोर सर्विस देकर बैंक के ग्राहकों को भी डाकघर ने सुविधा प्रदान की हैं।
(गप्पु शाही)बिहार-यूपी बार्डर के बलथरी चेकपोस्ट पर 30 अप्रैल से सैकड़ों की तादाद में प्रवासी मजदूर पहुंच रहे हैं। 1 मई से 8 मई तक उन्हें बसों द्वारा उनके गूह जिला छोड़ा जा रहा था। शुक्रवार से उन्हें ट्रांजिट पोस्ट पर पहुंचाया जा रहा है। शुक्रवार की बदौलत शनिवार बार्डर पर आने वाले प्रवासियों की संख्या काफी कम रही। रात से लेकर सुबह तक 1300 मजदूर विभिन्न प्रदेशों से चल कर आए। इनमें ज्यादातर पैदल पहुंचे हैं। रात में ठहरने के लिए चेकपोस्ट पर टेंट लगाया गया है। सुबह 6 बजे से रजिस्ट्रेशन और स्क्रीनिंग शुरू हो रही है।
दोपहर के समय इन्हें खाना खिलाकर बसों से रवाना किया जाता था। लेकिन शनिवार को खाना और नाश्ता का प्रबंध नहीं रहने से इन्हें भूखे पेट जाना पड़ा। भूख-प्यास से व्याकुल कई मजदूर खीरा और तरबूज खाकर पेट को शांत करते रहे। मजदूरों ने कहा कि यहां से उन्हें बस पर भेजा जा रहा है, यहीं उनके लिए ज्यादा है। बार्डर पर सुबह से अफरा-तफरी का माहौल रहा। दोपहर 2 बजे तक 1310 मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कर 30 बसों से रवाना किया गया।
अलौली प्रखंड के दो और चौथम प्रखंड के 2 मजदूर पैदल आए
खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड के दो और चौथम प्रखंड के 2 मजदूर पैदल चलकर दिल्ली व राजस्थान से बिहार बार्डर पहुंचे थे। 30 अप्रैल को चारों की स्क्रीनिंग कर खगड़िया जा रहे एक ट्रक में बैठाकर भेज दिया गया था। उन दिनों चेकपोस्ट से बसें नहीं चल रही थी। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि चारों मजदूरों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
पटना की जगह अब जहानाबाद बन गया ट्रांजिट कैंप
पहले ट्रांजिट कैंप खगड़िया, समस्तीपुर और पटना में बनाया गया था। संक्रमण की स्थिति को देखते हुए पटना का ट्रांजिट कैंप जहानाबाद स्थानांतरित कर दिया गया है। वहीं पटना के आसपास के जिलों को उनके नजदीकी ट्रांजिट कैंप से टैग कर दिया गया है।
1- खगड़िया : बेगुसराय, खगड़िया, अररिया, पुर्णिया, कटिहार, किशनगंज
2- समस्तीपुर : सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फपुर
3- जहानाबाद : पटना, भोजपुर, नालंदा, रोहतास, गया, मुंगेर
ट्रांजिट कैंप से जाएंगे गृह जिले
पहले प्रवासियों को उनके गृह जिले के लिए बलथरी चेक पोस्ट से बसें खोली जाती थी। इससे प्रशासन और प्रवासी मजदूरों को भी परेशानी उठानी पड़ती थी। संबंधित जिले की मजदूरों की संख्या कम होने पर उन्हें बस भरने तक रूकना पड़ता था। अब उन्हें ट्रांजिट कैंप तक ही छोड़ना है। वहां से प्रशासन की जिम्मेदारी है उनके गृह जिलों तक पहुंचाना।