करीब 47 दिन का लाॅकडाउन (19 मार्च से) अब धीरे से राजधानी की तस्वीर बदल रहा है। पहली बार रायपुर के लोग यह देख रहे हैं कि सारा कारोबार और खरीदारी 2 बजे से पहले ही लोग पूरी कर रहे हैं। पुलिस की गाड़ियां ढाई से 3 बजे के बीच सायरन बजाती हुई निकलती हैं, उससे पहले ही अधिकांश दुकानें और बाजार बंद हो जाते हैं और लोग भी घरों को लौट जाते हैं। शाम 4 बजे के बाद पुलिस की गैरमौजूदगी में भी सड़कों पर सन्नाटा रहने लगा है। हालात ये हैं कि जिन दुकानों को शाम 4 बजे तक की इजाजत है, ग्राहक नहीं होने से वह भी 2 बजे बंद की जा रही हैं। दिलचस्प मामला पेट्रोल पंपों का है, िजन्हें रात 8 बजे तक खोलने की इजाजत है। लेकिन कोई पेट्रोल-डीजल लेने वाला नहीं रहता इसलिए अधिकांश पंप 3 से 4 बजे के बीच ही बंद होने लगे हैं।
राजधानी के कारोबारी माल की डिलीवरी से लेकर बिक्री तक इस हिसाब से कर रहे हैं कि घड़ी का कांटा दोपहर 2 बजे के पार नहीं होता। भास्कर टीम ने बुधवार को शहर का जायजा लिया, कारोबारियों और लोगों से बातचीत भी की। पता चला कि लोगों ने भी ऐसा सिस्टम बना लिया है कि दोपहर 2 बजे तक वे पूरा काम समेट रहे हैं। इस नई आदत का असर शहर में दोपहर 3 बजे से दिखने लगता है, सन्नाटे के रूप में। प्रशासन का कहना है कि इसी वजह से अब पुलिस को पहले की तरह सख्ती भी नहीं करनी पड़ रही है, क्योंकि जो लोग भी बाहर निकल रहे हैं, उनके पास कोई न कोई पुख्ता और वाजिब कारण है।
बाजारों का सिस्टम बदला
राजधानी में कलेक्टर ने कुछ दुकानें दोपहर 2 बजे तक और कुछ शाम 4 बजे तक खोलने की अनुमति दी है। लेकिन बाजार बिना किसी दबाव के दोपहर से खुद ही बंद होने लगे हैं। अनाज, राशन सहित अति आवश्यक सेवा के कारोबारियों के शटर दोपहर 1.30 बजे से ही गिरने शुरू हो रहे हैं। पेट्रोल पंपों के सामने दोपहर 3 बजे से ही रस्सियां बंध रही हैं। कैट के प्रदेशाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया कि लॉकडाउन में लोगों को समय में काम करने की आदत हो गई है। व्यापारी भी इसमें ढल गए हैं। ऐसे में अब सभी तरह के कारोबार को अनुमति मिलनी चाहिए। भले ही इसका समय तय कर दिया जाए।
लोडिंग-अनलोडिंग में दिक्कतें
सबसे बड़े कारोबारी संगठन छत्तीसगढ़ चैंबर के अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा और कार्यकारी अध्यक्ष ललित जैसिंघ ने बताया कि शासन के लोडिंग-अनलोडिंग के नए आदेश ने समस्या खड़ी कर दी है। लोडिंग-अनलोडिंग का समय रात 9 से सुबह 6 बजे तक किया गया है। व्यापारी अपनी दुकानें दोपहर को बंद करके जाता है और रात में 9 बजे फिर से वापस आ तो रहा है, लेकिन रात में हमाल और लेबर नहीं मिल रहे हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू को चिट्ठी लिखी गई है। चैंबर ने अाग्रह किया है कि लोडिंग-अनलोडिंग या तो सुबह 6 से 10 बजे तक या शाम 4 से 8 बजे तक करवाई जाए।
राजधानी में दोपहर करीब 2 बजे तक अच्छी गर्मी पड़ने के बाद आधा घंटे के भीतर अचानक बादल घिरे। करीब ढाई बजे अंधड़ चला और तेज गर्जना के साथ बारिश शुरू हो गई। करीब 10 मिनट तक अच्छी बारिश हुई। इस दौरान शहर के कुछ हिस्से में छोटे-छोटे ओले भी गिरे। लालपुर मौसम केंद्र के अनुसार 10 मिनट में करीब डेढ़ सेमी (15.2 मिमी) बरसने के बाद आसमान बिलकुल साफ हो गया।
मौसम वैज्ञानिक हरिप्रसाद चंद्रा ने बताया कि राजधानी समेत राज्य में कहीं-कहीं गुरुवार यानी 7 मई को भी इसी तरह कुछ देर के लिए अंधड़-बारिश की संभावना है। वजह ये है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के ऊपर एक चक्रवात तथा पूर्वी विदर्भ के ऊपर दूसरा चक्रवात सक्रिय है। इसके अलावा करीब 1 किमी ऊंचाई पर विदर्भ से तमिलनाडु तक एक द्रोणिका बन गई है, इसलिए छत्तीसगढ़ में नमी आरही है। गुरुवार को जहां भी दोपहर में ज्यादा गर्मी होगी, वहां शाम तक बौछारें पड़ सकती हैं।
राजधानी के आउटर जोरा, लांभांडी, पचपेड़ी नाका के आसपास की कालोनियों, टिकरापारा, राजेंद्र नगर सहित कई इलाकों में दोपहर को चले अंधड़ के कारण बुधवार को देर शाम तक बिजली गुल रही। आंधी से जगह-जगह पेड़ों की डालियां सड़कों पर गिरीं। शहर में व्यवस्था संभालने के लिए लगाए गए पुलिस के कई पंडाल भी उखड़ गए।
देवेंद्रनगर सेक्टर-1 में सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक शटडाउन था। बिजली सप्लाई शुरू हुई और दो घंटे बाद अंधड़ के कारण फिर बिजली गुल हो गई। यह एक घंटे बाद आई। लेकिन अमलीडीही, राजेंद्रनगर समेत आउटर की कई कालोनियों में दोपहर ढाई बजे बिजली गुल हुई तो रात 8 बजे तक नहीं आई। लाइनों में पेड़ गिरने और तार हिलने से ऐसा हुआ। इसे देर रात तक सुधारा जाता रहा। अफसरों ने बताया कि टिकरापारा मुख्य सड़क के अंदर की गली में हाई टेंशन लाइन पर पेड़ गिर गया।
ऐसे में अंधड़ वगैरह के कारण बिजली गुल से लोग परेशान हो रहे हैं।
अंबेडकर अस्पताल के सभी विभागों के सीनियर और जूनियर डाक्टर अब एम्स के कोरोना वार्ड में ड्यूटी करेंगे। उनके अलावा नर्सिंग स्टाफ को भी गुरुवार से एम्स स्थित कोरोना वार्ड में ड्यूटी करनी होगी। डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की चार बैच बनायी गई है। एक-एक बैच हफ्तेभर एम्स में कोविड मरीजों के ट्रीटमेंट का सिस्टम देखेगी। एम्स का शेड्यूल खत्म होने के बाद उन्हें अगले ही दिन उन्हें माना स्थित कोरोना अस्पताल ड्यूटी करनी होगी। उसके बाद उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन किया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग से बुधवार को एचओडी, जूनियर डॉक्टर समेत 75 नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी संबंधी आदेश जारी किया गया। आदेश में सात विभागों के एचओडी व 18 प्रोफेसर व एसोसिएट प्राेफेसरों के नाम हैं। इनके अलावा 25 जूडो व इतने ही नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई है। कोरोना वार्ड में ड्यूटी के लिए चार बैच बनाए गए हैं। बैच ए में शामिल डाक्टर्स और स्टाफ 7 से 13 मई तक ड्यूटी करेंगे। इनमें तीन एचओडी, एक एसोसिएट प्रोफेसर, चार जूडो व चार नर्सिंग स्टाफ शामिल हैं। यही बैच 14 से 20 मई तक माना स्थित कोरोना अस्पताल में सेवाएं देगा। इसी तरह बैच बी में चार एचओडी समेत जूडो व नर्सिंग स्टाफ को 14 से 20 मई एम्स में ड्यूटी करनी होगी। ड्यूटी का शेड्यूल खत्म होने के अगले ही दिन 21 से 27 मई तक सभी को माना के कोविड अस्पताल में ड्यूटी करनी होगी।
माना के अस्पताल में एक भी मरीज नहीं : स्वास्थ्य विभाग ने माना में 100 बिस्तरों वाला कोविड अस्पताल तैयार कर लिया है। अब तक यहां एक भी मरीज भर्ती नहीं किया गया है। अफसरों ने संकेत दिए हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के ट्रीटमेंट का सिस्टम देखने के बाद डाक्टरों की टीम कोविड अस्पताल में 7 दिन ड्यूटी कर यहां के मैनेजमेंट का सिस्टम देखेगी।
"अंबेडकर अस्पताल के सीनियर व जूनियर डाक्टरों के अलावा नर्सिंग स्टाफ एक हफ्ते एम्स में मरीजों के इलाज का सिस्टम देखेगा। 14 दिन का शेड्यूल पूरा करने के बाद उन्हें क्वारेंटाइन किया जाएगा।"
-डा.एसएल आदिले, संचालक चिकित्सा शिक्षा
लॉकडाउन के बाद अब हर सुविधा की होम डिलीवरी की तैयारी तेज हो गई है। कपड़े के शो रूम्स से लोगों को काॅल करके उनकी जरूरतें पूछी जा रही हैं। शहर के कई बड़े रेस्टोरेंट व पिज्जा शॉप मैसेज भेजकर फ्री होम-डिलीवरी करने की बात कही जा रही है। इसके लिए लिंक भी भेजे जा रहे हैं, ताकि लोगों को सहूलियत हो। यही नहीं, स्कूलों ने भी दाखिले की गतिविधियां फोन पर शुरू कर दी हैं और पैरेंट्स को दाखिले के मैसेज भेजे जाने लगे हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए शहर के कई सुपर बाजार में भी होम डिलीवरी को बढ़ावा दिया जा रहा है। सुपर बाजार व मार्ट संचालकों ने वाट्सअप नंबर जारी करके लोगों को इसमें सामान की सूची और एड्रेस भेजने कह रहे हैं। उनको शॉप तक आने से मना कर रहे हैं। पूरा सामान लोगों के घर तक पहुंचाया जा रहा है। इसी तरह शहर के कई कॉलोनियों में सब्जी भी होम-डिलीवरी की जा रही है।कॉलोनियों के मुख्य गेट तक आकर सब्जी वाले लोगों को सामान देकर जा रहे हैं।
केस-1
समता कॉलोनी व टाटीबंध के एक स्कूल से कोटा कॉलोनी निवासी रिद्धी प्रकाश के पास फोन अाए। दोनों ने ही कहा कि आपके दो बच्चे हैं, अगर एडमिशन चाहिए तो दस्तावेज वाट्सअप पर भेज सकते हैं।
केस-2
मालवीय रोड के शो-रूम से न्यू राजेंद्र नगर के मधुकर सिंह के यहां फोन गया कि अापके यहां जून में शादी है पर लाॅकडाउन में हम कपड़े उपलब्ध करवा देंगे। उन्हें ब्राइडल कलेक्शन के कैटलाॅग वाट्सएप पर भेजे।
केस-3
मैग्नेटो मॉल के एक बड़े फूड चेन से कई लोगों को मैसेज आए हैं जिसमें एक लिंक भेजा है और कहा गया है किअगर होम डिलीवरी चाहते हैं तो इसे क्लिक करें। जो डिश चाहेंगे, डिलीवरी हो जाएगी।
छत्तीसगढ़ को देश के दक्षिण में स्थित राज्यों से जोड़ने वाली केके रेल लाइन पर हादसा हो गया। आंध्र प्रदेश के चिमणी पल्ली रेलवे स्टेशन के पास पटरियों पर चट्टाने आ गिरीं। आवागमन पूरी तरह से प्रभावित होने की वजह से लौह अयस्क लेकर बैलाडीला से निकली चार माल गाड़ियां रास्ते में ही फंस गई हैं। वॉल्टेयर की ओर से आ रही खाली माल गाड़ियों को भी रोका गया है। फिल्हाल घटना स्थल से चट्टानों को हटाने काम किया जा रहा है।
इस लैंडस्लाइड की घटना के वक्त कुछ रेल कर्मी पटरियों पर मौजूद थे। वो मेंटनेंस का काम करने गए हुए थे। तभी अचानक ऊंचाई से बड़े-बड़े पत्थर गिरने लगे। कर्मचारी खुद को बचाने के लिए भागने लगे, लेकिन तभी एक चट्टान एक कर्मचारी पर आ गिरी। 6 लोग इस हादसे में घायल हुए। सभी घायलों को अरकू के हॉस्पिटल में प्राथमिक उपचार के बाद विशाखापट्टनम रेफर किया गया।
जिले के एक सरकारी डॉक्टर का शव बरामद किया गया। सरकारी क्वार्टर में लाश फंदे से लटकी मिली। मृत डॉक्टर का नाम अरुण चौधरी है। पुलिस ने क्वार्टर से एक सुसाइड नोट बरामद किया है । इसमें पारिवारिक परेशानी के चलते जान देने की बात का जिक्र है।डॉ. अरुण चौधरी स्त्रीरोग विशेषज्ञ थे। जिला अस्पताल में वे जुलाई 2019 से सेवाएं दे रहे थे।
रोज की तरह वे मंगलवार को भी ड्यूटी पर आए थे । ड्यूटी पूरी होने के बाद स्वास्थ्य कॉलोनी स्थित अपने क्वार्टर चले गए, जहां वे अपनी पत्नी के साथ रहते थे। बताया जा रहा है कि जिस फ्लैट में वे रहते थे, उसके नीचे एक अन्य फैमिली रहती है। मंगलवार रात को डॉ. अरुण की पत्नी उसी फैमिली से मिलने गई थी। जब वह वापस ऊपर अपने फ्लैट में पहुंची, तो दरवाजा अंदर से बंद था। उन्होंने डॉ. चौधरी को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। फिर पुलिस को सूचना दी गई। थाना प्रभारी मुकेश सोम ने बताया कि जब सीढ़ी लगाकर टीम ऊपर चढ़ी और फ्लैट के अंदर झांका, तो पंखे से गमछे के सहारे डॉक्टर का शव लटका था ।
पुलिस ने गांजा तस्करी के मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। छुरा थाना पुलिस को केडीआमा गांव में गांजा रखे जाने की सूचना मुखबिर से मिली। थाना प्रभारी राजेश जगत मौके पर पहुंचे। गांजा बरामद कर दो तस्करों को भी पकड़ा गया। इन तस्करों ने खुलासा किया कि इनके साथ पुलिस के लोग भी इस धंधे में शामिल हैं। इसी आधार पर एक आरक्षक और एक नगर सैनिक को गिरफ्तार किया गया। यह पुलिसकर्मी अक्सर गांजे की बड़ी खेप को ले जाया करते थे।
एसडीओपी संजय ध्रुव ने बताया कि इस मामले में पकड़े गए आरक्षक का नाम लीलाधर देवंशी और नगर सैनिक का नाम हेमंत ध्रुव है। दोनों पुलिसकर्मी फिलहाल थाना छुरा में पदस्थ हैं। इस मामले में उनसे पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया और इसके बाद इन्हें जेल में भेज दिया गया। इस पूरी कार्रवाई की वजह से जिले की पुलिस की सभी जगह चर्चा हो रही है। लॉकडाउन का भी जिले में पालन पुलिस द्वारा करवाया जा रहा है।
शहर की शराब दुकानों का हर दिन विरोध हो रहा है। बुधवार की सुबह भाठागांव इलाके में महिलाओं का दल पहुंचा। शराब दुकान ना खोली जाएं, इस मांग के साथ महिलाएं दुकान के बाहर लाइन लगाकर खड़ीं हो गईं। खास बात यह रही कि इलाके के कांग्रेस के नेता सतनाम पनाग इनका साथ देने पहुंचे। राज्य की मौजूदा कांग्रेस सरकार ने ही शराब दुकानें खोलने का आदेश दिया है। सतनाम ने कहा कि मैं इसके खिलाफ हूं। जनता की आवाज बड़े नेताओं तक पहुंचाउंगा।
हंगामा बढ़ता देख जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। सतनाम सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में कई स्कूल और कॉलेज हैं। यहां दो दिन पहले एक महिला का शव बरामद किया गया है।एक युवती छेड़खानी की शिकार भी हुई। इससबके बावजूद यहां शराब दुकान को खोला जाना ठीक नहीं है। हमने ज्ञापन के जरिए अपनी बात रखी है। पहले भी शिकायत की है। मांग नहीं मानी जाएगी तो आगे भी हमारा विरोध जारी रहेगा। प्रदर्शनकारियों की बढ़ी तादाद की वजह से मौके पर पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है। शहर के मां कर्मा धाम कृष्णा नगर में साहू समाज की महिलाओं ने भी शराब की बिक्री का विरोध किया और हस्ताक्षर अभियान चलाया।
शहर में बुधवार की दोपहर तेज बारिश हुई। लगभग 20 मिनट तक लगातार आसमान से गिरती बूंदे शहर को भिगाती रहीं। तेज हवाएं भी बारिश के साथ आई। कुछ प्रमुख चौक-चौराहों पर लगे बड़े फ्लैक्स हवा का सामना नहीं कर पाए और फट गए। रायुपरा, डीडी नगर इलाके में बिजली की सप्लाईभी कुछ देर तक बाधित रही। विद्युत विभाग की टीमें सुधार कार्य के लिए रवाना की गईं। बारिश के बाद आसमान में तेज धूप भी नजर आई।
आधे शहर पर धूप और आधे पर घटाएं
मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिकतम तापमान रायपुर में 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20.1 डिग्री सेल्सियस अंबिकापुर में दर्ज किया गया। पूर्वानुमान के मुताबिक प्रदेश में कुछ जगहों पर हल्की बारिश आगामी दो दिनों में होगी। हालांकि रायपुर में बुधवार को बारिश होने की संभावना नहीं थी। मौसम विभाग के मुताबिक 8, 9 और 10 मई को रायपुर के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश की संभावना जताई गई है। दोपहर तक बिलासपुर, कवर्धा, जगदलपुर और रायगढ़ में मौसम साफ ही रहा।
छत्तीसगढ़ में लगातार सड़क पर नोट बिखरे हाेने और उनके मिलने का सिलसिला जारी है। एक बार फिर रायपुर में बुधवार सुबह सड़क पर 50-50 रुपए के नोट बिखरे मिले हैं। पुलिस ने इस नोटों को सैनिटाइज कराकर जब्त कर लिया है। मामला खम्हारडीह क्षेत्र का है। इससे पहले रायपुर के अनुपम नगर 100-50 रुपए के नोट मिले थे। वहीं कवर्धा में भी सड़क पर से नोट बरामद हो चुके हैं।
जानकारी के मुताबिक, शंकर नगर स्थित हरिशंकर स्कूल के पास बुधवार सुबह करीब 10 बजे 50-50 रुपए के नोट थोड़ी-थोड़ी दूर पर बिखरे हुए थे। स्थानीय लोगों ने देखा तो इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने रुपयों को सैनिटाइज कराने के बाद जब्त कर लिया। बरामद कुल 1950 रुपए हैं। थाना प्रभारी ममता शर्मा ने बताया कि आसपास के सीसीटीवी कैमरे खंगाले जा रहे हैं।
कवर्धा में एक दिन पहले कार से उड़ाए गए नोट
कवर्धा के नगर पंचायत पंडातरई में मंगलवार को हवा में नोट उड़ रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सफेद रंग की कार से नोट हवा में उड़ाए थे रहे थे। कार की रफ्तार तेज थी, इसलिए नंबर नहीं पता चल सका। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी तो उन्होंने 100, 200, 500 के नोट बरामद किए। कुछ दिन पहले पंडरिया क्षेत्र में भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। कोरोना को देखते हुए लोग सतर्क हैं।
छत्तीसगढ़ में रायपुर पुलिस का एक बार फिर मानवीय चेहरा सामने आया है। रायपुर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे कैदी की माैत पर बुधवार का एक पुलिस कांस्टेबल ने उसका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान कांस्टेबल ने ही मुखाग्नि भी दी। लॉकडाउन के चलते कैदी के बुजुर्ग माता-पिता ने आने में असमर्थता जताई थी। कैदी की अस्पताल में उपचार के दौरान मंगलवार को मौत हुई थी।
सरगुजा के बतौली गांव निवासी 31 वर्षीय सहेत्तर राम हत्या के एक मामले में रायपुर सेंट्रल जेल में सजा काट रहा था। कई दिनों से बीमार होने के कारण उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान मंगलवार को मौत हो गई। इसकी सूचना सरगुजा जेल प्रशासन के माध्यम से गांव में उसके परिवार काे दी गई। गरीब और बुजुर्ग माता-पिता ने लॉकडाउन के माहौल में आने से असमर्थता जता दी।
देवेंद्र नगर मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार
इसके बाद शहर के गंज थाने में पदस्थ सिपाही मनमोहन तांदुलाने आगे आए। उन्होंने जेल प्रहरियों के साथ मिलकर मानवीय कर्तव्यों का निर्वहन किया। शव को देवेंद्र नगर मुक्तिधाम ले जाया गया। यहां पर पूरे विधि-विधान से सिपाही मनमोहन ने सहेत्तर का अंतिम संस्कार किया। सिपाही ने ही इस दाैरान मृत्यु के सभी संस्कार पूरे किए। अब उसकी अस्थियों को परिवार को सौंपा जाएगा।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर (एपी) की भर्ती होगी। मंगलवार को विश्वविद्यालय ने पात्र व अपात्र उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। बारहवीं में थर्ड डिवीजन, संबंधित विषय में पीजी का नहीं होना, प्रतिष्ठित रिसर्च पेपर में पब्लिकेशन के अभाव में कई आवेदक अपात्र किए गए हैं। 20 मई तक वे इस लिस्ट के अनुसार दावा-आपत्ति कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय से जुड़े छह सरकारी कॉलेज जैसे गरियाबंद, महासमुंद, कुरुद, कोरबा, जशपुर और छुईखदान के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती होगी। इन कॉलेजों में 66 पदों भरे जाएंगे। इसके लिए कुछ महीने पहले आवेदन मंगाए गए थे। इसके लिए विश्वविद्यालय को करीब साढ़े नौ सौ आवेदन मिले। आवेदन पत्रों की जांच के बाद विश्वविद्यालय ने पात्र और अपात्रों की लिस्ट जारी कर दी है। अफसरों का कहना है कि भर्ती के आवेदन में ही नियम व शर्तें दी गईं थी। इसके अनुसार जिनके आवेदन नहीं मिले हैं वे अपात्र किए गए हैं।
असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए गुड एकेडमिक रिकार्ड भी मांगा गया। इसके अनुसार ग्रेजुएशन एवं पीजी में कम से कम 55 प्रतिशत नंबर जरूरी है। बारहवीं में भी अच्छे नंबर होने चाहिए। इसके बिना अन्य सर्टिफिकेट रहने पर भी असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पात्र नहीं होंगे। आवेदन की जांच के बाद यह देखा गया कि कई आवेदक को बारहवीं में थर्ड डिवीजन मिला है। इसलिए उन्हें अपात्र किया गया है।
दावा-आपत्ति के आवेदन 20 तक
असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए जारी की गई पात्र व अपात्र आवेदकों की सूची पर दावा-आपत्ति 20 मई की शाम 5 बजे तक की जा सकती है। उम्मीदवार सिर्फ उन्हीं दस्तावेज के लिए दावा आपत्ति कर सकेंगे जिसके लिए अपात्र सूची में उस अभ्यर्थी के नाम के समक्ष उल्लेख किया गया है। दावा आपत्ति Registrar, IGKV, Raipur के ईमेल आई.डी. regigkv@gmail.com अथवा registrar-igkv.cg@nic.in के माध्यम से की जा सकती है। वेबसाइट www.igau.edu.in पर लिस्ट जारी की गई है।
कृषि विवि से जारी पात्र व अपात्र की आवेदन संख्या
विषय | पात्र | अपात्र |
एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स | 56 | 20 |
एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन | 67 | 19 |
एग्रीकल्चरल स्टेटिस्टिक्स | 39 | 13 |
एग्रोनॉमी | 97 | 29 |
एनटोमोलॉजी | 106 | 25 |
फार्म मशीनरी | 42 | 19 |
जेनेटिक एंड प्लांट ब्रीडिंग | 98 | 33 |
फ्रूट साइंस | 50 | 14 |
लाइवस्टॉक प्रोडक्शन | 31 | 17 |
प्लांट पैथोलॉजी | 50 | 24 |
सायल साइंस | 74 | 36 |
राजधानी के मोवा, सड्ढू, दलदल सिवनी, कुशालपुर, आमापारा, चंगोराभाठा, अमलीडीह, हीरापुर सहित कई इलाके पीलिया जोन माने जा रहे हैं। हर साल गर्मी में यहां मरीज मिलते हैं। शहर के बीच और पॉश इलाकों को छोड़ दिया जाए तो इन हिस्सों में न सिर्फ पीलिया के मरीज मिल रहे हैं बल्कि हर साल जानें भी जा रही हैं। इन इलाकों में पाइपलाइन बदलने सहित पीलिया की रोकथाम के लिए काम किए गए, लेकिन फिर से उन्हीं इलाकों से मरीज मिलने शुरू हो गए हैं। पिछले लगभग एक दशक से शहर में यही स्थिति है। मोवा इलाके में पिछले साल पीलिया से करीब आधा दर्जन मौतें हुईं थीं और 200 से ज्यादा लोग पॉजिटिव मिले थे। दिलचस्प है कि इसी साल रायपुर निगम के पानी को देशभर में पांचवां सबसे शुद्ध घोषित किया गया था।
गर्मी के दिनों में हर साल पीलिया के मामले सामने आते हैं। जानकारों के अनुसार पंप से पानी खींचने पर लीकेज से होकर नाले का गंदा पानी घरों तक पहुंचता है और इसी वजह से लोग बीमार पड़ते हैं। दूसरी वजह बाहर में चाट-गुपचुप, आईस गोले और अन्य चीजें खाने के कारण पीलिया संक्रमण फैलता है। इस साल लॉकडाउन के कारण सब बंद है, फिर भी शहर के इन इलाकों से मरीज मिल रहे हैं। इसलिए पानी की शुद्धता को लेकर ही सवाल उठे हैं। निगम प्रबंधन भी फिल्टर प्लांट में सभी 24 बेड बदल रहा है। प्लांट में क्लोरीनेशन सिस्टम को दुरुस्त किया गया है। पाइपलाइनों को बदलने का काम भी किया जा चुका है। फेरुल के पास लीकेज की आशंका को लेकर 10 हजार से ज्यादा नलों में चेंज आफ कनेक्शन भी किया जा चुका है। लोगों को 70 हजार क्लोरीन गोलियां और ओआरएस के 13 हजार पैकेट बांटे गए हैं। अफसरों को उम्मीद है कि इससे मरीजों में कमी आएगी।
मंगलवार को पीलिया के तीन ही नए मामले सामने आए हैं। पिछले करीब 30 दिनों में यह पहली बार है जब एक दिन में महज तीन मरीज मिले हैं। अब तक रोज औसतन 20 से 25 मरीज मिले हैं। हालांकि कुछ सैंपलों की रिपोर्ट आनी बाकी है।
शुद्ध पानी के लिए लगाए वाटर एटीएम, कई जगह खराब
नगर निगम ने शुद्ध पानी के लिए शहर में करीब 30 जगहों पर वाटर एटीएम लगाए हैं। इनमें से ज्यादा एटीएम खराब रहते हैं। लोगों को न तो ठंडा शुद्ध पानी मिल पाता है। इन्हें लगाने का उद्देश्य पीलिया इत्यादि से बचने के लिए लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराना है। रामनगर बस्ती, अमलीडीह बीएसयूपी कालोनी, मोतीबाग के पास, पुलिस लाइन के पास, पंडरी, इनडोर स्टेडियम के पास वाटर एटीएम खराब हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने मंगलवार को कुछ एटीएम का निरीक्षण किया तो वे बंद मिले। ये मशीनें बार-बार खराब हो रही हैं। सुधारने के कुछ दिनों बाद फिर बिगड़ रही हैं। दरअसल, निगम ने जितनी जगहों पर मशीनें लगाई है वहां उनकी सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी नहीं है। शरारती लोग लोहे के छल्ले इत्यादि डाल देते हैं, जो मशीन में फंस जाते हैं।
हुई थी 21 शहरों के पानी की टेस्टिंग
रायपुर के पानी को पिछले साल देशभर में हुए सर्वे में पांचवां सबसे शुद्ध माना गया। रायपुर से पहले मुंबई, हैदराबाद, भुवनेश्वर और रांची का पानी ही सबसे शुद्ध मिला था। 21 शहरों की रैंकिंग में दिल्ली सबसे आखिरी पायदान पर था। केंद्रीय उपभोक्ता और खाद्य विभाग ने 2019 में देशभर के 21 शहरों के पानी की टेस्टिंग कराई थी। पानी की जांच टर्बिडिटी, टीडीएस, बायोलॉजिकल टेस्ट इत्यादि के आधार पर किया गया था। इसके दूसरे ही साल राजधानी में भीषण पीलिया फैल गया है। रायपुर में मरीजों की संख्या 722 तक पहुंच गई है, जबकि दो लोगों की जान जा चुकी है।
लॉकडाउन तीन खत्म होने के बाद शहरी जीवन को पटरी पर कैसे लाया जाए? इसके बारे में राष्ट्रीय स्मार्ट सिटी मिशन ने आम लोगों से सुझाव मांगे हैं। केंद्रीय शहरी मंत्रालय ने लोगों से कहा है कि उनके पास शहरी जीवन को पटरी पर लाने के लिए जो भी आइडियाज हैं, वो उसे smartnet@niua.org पर भेज सकते हैं। दरअसल, लॉकडाउन तीन खत्म होने के बाद या कोरोना की आशंका के बीच शहरी जीवन का स्वरूप कैसे होगा, इसको लेकर स्मार्ट सिटी मिशन के तहत लगातार रणनीतियां बनाई जा रही है।
हाल ही में भास्कर से बातचीत में मिशन डायरेक्टर कुणाल कुमार ने भी नए परिवेश में शहरी जीवन के लिए स्मार्ट तरीके और एआई तकनीक अपनाने पर जोर दिया था। आम लोगों की रायशुमारी के जरिए स्मार्ट सिटी न केवल स्मार्ट शहरों बल्कि देश के हर छोटे बड़े शहर के लिए एक प्लान बनाएगा। इसमें शहरी प्रशासन, नागरिक सुविधाओं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, हेल्थ सेवाओं और कोरोना की ट्रेकिंग मॉनिटरिंग जैसे बिंदुओं पर नएइनोवेटिव आइडियाज शामिल किए जाएंगे। कोरोना जैसे खतरों के बीच शहर में सुरक्षित तरीकों से ए टू जेड आर्थिक गतिविधियां कैसे संचालित की जा सकती हैं, इस पर सुझाव भी मांगे हैं।
शहरी जीवन को पहले जैसा बनाने की कवायद
स्मार्ट सिटी ने लोगों से स्ट्रीट वेंडर्स से लेकर पार्क, मॉल जैसी सार्वजनिक जगहों पर शहरी जीवन को पहले जैसा बनाने के राय मांगी है। आम लोगों के साथ अर्बन प्लानिंग से जुड़े एक्सपर्ट, संस्थानों से भी विचार मांगे हैं। शहरी प्रशासन के जरिए लोगों तक नागरिक सुविधाएं बदले हुए माहौल में कैसे पहुंचा सकते हैं। ऐसे बिंदु भी शामिल किए गए हैं।
नगरनार इस्पात संयंत्र में झारखंड के करीब 25 मजदूरों ने इकट्ठा होकर वापसी की फिराक में मुहिम चलाने की कोशिश की। इसके पीछे का कारण ये बताया जाता है कि कुछ मजदूरों को झारखंड से जगदलपुर लाया गया, जिसके बाद झारखंड के मजदूरों ने वापसी के लिए एकजुट होकर जाने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि झारखंड से बसाें के आने के बाद वे वापस जाने की फिराक में थे। लेकिन कोई इंतजाम न दिखा तो मंगलवार सुबह झारखंड के करीब 25 मजदूर इकट्ठा हुए और पैदल वापसी की तैयारी कर ली। इसके बाद उन्होंने जैसे ही चलना शुरू किया, गोरियाबहार नाले के पास उन्हें रोक लिया गया और नगरनार पुलिस उन्हें लेकर वापस चली गई। मजदूराें ने ठेकेदारों पर वेतन नहीं दिए जाने का अाराेप लगाया। लेकिन इन मजदूरों को 22 मार्च तक का वेतन कंपनियों ने दे दिया था।
मजदूरों को लेकर ट्रेन धनबाद रवाना हुई
बिलासपुर|मजदूराें को लेकर दो स्पेशल ट्रेन एक के पीछे एक दोपहर बाद बिलासपुर रेलवे स्टेशन से होकर गंतव्य के लिए रवाना हुईं। इनमें से एक ट्रेन में भोजन व पानी की बोतल बिलासपुर रेलवे स्टेशन से चढ़ाया गया। दोनों ही ट्रेन में 12-12 सौ यात्री थे। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से किए गए लॉकडाउन में देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे झारखंड और बिहार के मजदूरों, छात्रों और पर्यटक को उनके राज्य वापस ले जाने के लिए स्पेशल ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया है। इसके तहत मंगलवार को दो स्पेशल ट्रेनें झारखंड और बिहार के लिए बिलासपुर होकर गुजरीं। दोनों ही ट्रेनें 15 से 20 मिनट के अंतराल में बिलासपुर से होकर गईं। पहली ट्रेन सिकंदराबाद से खगड़िया बिहार को गई।
झारखंड के 80 मजदूर आज पहुंचेंगे बासागुड़ा
बीजापुर | तेंलगाना के कोत्तागुड़ेम जिले के भैयारम्म में झारखंड के मजदूर एक उद्योग में कार्य करने गए थे। काम नहीं मिलने के कारण 80 मजदूर तेलंगाना के भैयारम्म गांव से पैदल छत्तीसगढ़ सीमा तक पहुंचे। इस दौरान मजदूरों को एक साथ पैदल चलते देख ट्रैक्टर चालक ने उनसे पूछताछ की। पूछताछ करने पर उन्होंने झारखंड के मजदूर होना बताया। जानकारी के अनुसार मजदूर ट्रैक्टर से पुसगुफा के रास्ते से होते हुए छत्तीसगढ़ के उसूर ब्लॉक के कोण्डापल्ली मार्ग से बुधवार को ग्राम बासागुड़ा पहुंचेंगे। उसूर तहसीलदार सीताराम कंवर ने बताया यदि मजदूर पहुंचे तो सबसे पहले इनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। फिर कलेक्टर और एसडीएम के आदेशानुसार आगे की व्यवस्था होगी।
राजधानी और आसपास कोरोना के नए मरीज फिर आने लगे हैं। रायपुर एम्स में मंगलवार को आधी रात तक 23 मरीज भर्ती हैं। कटघोरा संकट में एक साथ इतने मरीज भर्ती नहीं हुए। माना जा रहा है कि कोरोना जांच, मरीजों और संपर्क में आए लोगों की निगरानी (क्वारेंटाइन) और इलाज की अग्निपरीक्षा अब होगी। इन मुद्दों की पड़ताल करती भास्कर टीम की यह रिपोर्ट
कोरोना जांच छह में से केवल चार लैब में इसलिए वेटिंग की लाइन में 965 सैंपल
प्रदेश में कोरोना टेस्टिंग के लिए छह लैब है, लेकिन केवल चार में जांच होने से वेटिंग बढ़ रही है। सोमवार को 935 सैंपल की रिपोर्ट आई थी, पिछले एक हफ्ते से यह आंकड़ा रोजाना औसतन 900 रिपोर्ट के आसपास है, लेकिन मंगलवार को केवल 517 सैंपलों की रिपोर्ट आई। यही वजह है कि बुधवार के लिए लंबित सैंपलों की संख्या 965 हो गई। इनमें से एम्स में 366, नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में 42 व जगदलपुर में 518 व रायगढ़ में 39 सैंपलों की रिपोर्ट पेंडिंग है।
प्रदेश में पहले से एम्स, नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर व सरकारी मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में कोरोना की जांच हो रही है। हाल ही में मेडिकल कॉलेज रायगढ़, टीबी रिसर्च सेंटर लालपुर को जांच के लिए अनुमति मिली है। एक निजी लैब एसआरएल को माहभर पहले ही अनुमति मिल गई थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण वहां जांच ही शुरू नहीं हो पाई है। मेडिकल बुलेटिन के अनुसार टीबी रिसर्च सेंटर लालपुर में एक भी जांच नहीं हुई है। रायगढ़ में ट्रायल के बाद सोमवार को जांच शुरू हुई। मंगलवार को जांच की संख्या में अचानक कमी क्यों आ गई, इस पर प्रबंधन कुछ भी बोलने से इनकार कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार जांच की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। ताकि रिपोर्ट जल्दी आ सके और मरीजों की पहचान हो सके। एम्स में अब तक 13594, नेहरू मेडिकल कॉलेज में 4287 व जगदलपुर में 3312 व रायगढ़ में 130 सैंपलों की जांच हो चुकी है। प्रदेश में अब तक 21323 सैंपलों में 20300 की रिपोर्ट नेगेटिव रही है।
अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है। सबसे ज्यादा मरीज कोरबा जिले में 28, दुर्ग में नौ, रायपुर में सात, कवर्धा में छह, सूरजपुर में छह, काेरिया में दो, बिलासपुर व राजनांदगांव में एक-एक मरीज मिला है। इनमें 36 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। 17896 लोग होम क्वारेंटाइन में है। जबकि सरकारी क्वारेंटाइन में 566 लोगों को रखा गया है। ये दूसरे राज्यों से आए मजदूर हैं या जो कोरोना से स्वस्थ हो चुके हैं, वो लोग हैं।
सवा लाख श्रमिक लौटेंगे, प्रदेश मेंसिर्फ 2720 क्वारेंटाइन क्षमता
प्रदेश के करीब सवा लाख मजदूरों की वापसी इसी हफ्ते शुरू होने लगेगी और 15 मई तक पूरी हो जाएगी। इनमें रायपुर जिले के ही 1557 श्रमिक हैं। रायपुर में आधा दर्जन क्वारेंटाइन सेंटर में पूरी क्षमता के साथ बमुश्किल 500 लोगों को ही रखा जा सकता है। जबकि राजधानी और प्रदेश में मिलाकर अब तक क्वारेंटाइन की जो क्षमता विकसित की गई है, वह केवल 2720 लोगों की ही है। विशेषज्ञों का मानना है कि एक हफ्ते में करीब सवा लाख लोगों के क्वारेंटाइन के पुख्ता इंतजाम मुश्किल हैं। यही नहीं, उतनी ही संख्या में टेस्ट किट की जरूरत भी पड़ने वाली है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक अभी प्रदेशभर में लैब वाली केवल 15 हजार किट ही हैं, जिनसे कोरोना की पुष्टि हो रही है। रैपिड टेस्ट किट 70 हजार हैं, लेकिन कोरोना पाजिटिव निकला तो लैब वाली किट (आरटीपीसीआर) से जांच करनी ही होगी।
भास्कर को विशेषज्ञों ने बताया कि राजधानी समेत प्रदेश में श्रमिकों के जत्थों को जहां भी ले जाया जाएगा, क्वारेंटाइन करने से पहले सभीके स्वाब की जांच कराई जाएगी। सभी मजदूरों को क्वारेंटाइन सेंटर में रखना इसलिए जरूरी है, क्योंकि वे संक्रमित राज्यों से लौटेंगे। रायपुर के मरीजों काे कहां रखा जाएगा, यह तय नहीं है। क्वारेंटाइन सेंटर में पुलिस जवानों के साथ दूसरे स्टाफ की भी निगरानी के लिए जरूरत पड़ेगी। यह व्यवस्था भी आसान नहीं है। स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारीक ने मजदूरों के लिए गांवाें के बाहर क्वारेंटाइन सेंटर बनाए जाने की बात कही है।
उन्होंने जरूरी व्यवस्था के लिए पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। क्वारेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों की जांच, आवास, भोजन, स्नान, शौचालय, साफ-सफाई, बेरिकेडिंग की व्यवस्था की जानी है। सूत्रों के मुताबिक यह बड़ा अभियान है, जिसके लिए बड़े सिस्टम को अभी से ऑन करने की जरूरत है, वर्ना ऐन वक्त पर समस्याएं आसकती हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में जम्मू-कश्मीर से 24090 श्रमिक, महाराष्ट्र 18704, उत्तरप्रदेश 13172, तेलंगाना 12730, गुजरात 8071, कर्नाटक 3279, तमिलनाडु 2963, मध्यप्रदेश 2840, आंध्रप्रदेश 2392, हरियाणा 2008, दिल्ली 1967 और हिमाचल से 1665 श्रमिक 15 मई से पहले यहां पहुंचने की संभावना है।
जांच की क्षमता बढ़ानी होगी : नागरकर
"हम अभी रोज 500 सैंपल जांच रहे हैं, लेकिन श्रमिकों के आने के बाद 1000 सैंपल जांचने होंगे। मशीनें बढ़ानी होंगी।"
-डॉ. नितिन एम नागकर, डायरेक्टर एम्स
कई विभाग तैयारी में लगे हैं : त्रिपाठी
"मजदूरों के लिए क्वारेंटाइन सेंटर व खाने की व्यवस्था पंचायत व राजस्व विभाग करेगा। हेल्थ विभाग इलाज की तैयारी में है।"
-डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, मीडिया प्रभारी कोरोना सेल
लाॅकडाउन में पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के नॉन व पैरा क्लीनिकल के 60 फीसदी डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। नॉन क्लीनिकल होने के कारण इन पर मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी नहीं रहती। इसी का फायदा उठाकर डाक्टर ड्यूटी नहीं आ रहे हैं। लंबे समय से शिकायत मिलने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने सख्ती शुरू कर दी है।
अब आते-जाते समय रजिस्टर में हस्ताक्षर करना अनिवार्य कर दिया है। इस सिस्टम से पता चल जाएगा कि कौन ड्यूटी पर आ रहे हैं और कौन नहीं। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से हस्ताक्षर के संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। मेडिकल कॉलेज में इस नई व्यवस्था का विरोध शुरू हो गया है। इनमें कई ऐसे डॉक्टर हैं, जिनकी ड्यूटी माना स्थित नए कोविड अस्पताल लगायी गई है। वे वहां भी नहीं जा रहे हैं। अंबेडकर अस्पताल में क्लीनिकल डॉक्टरों को सही समय पर आने की जिम्मेदारी की मानीटरिंग करने का जिम्मा अधीक्षक को दिया गया है। देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन है। उसी समय से मेडिकल काॅलेज में एमबीबीएस की क्लास लगना बंद है। उस समय नॉन व पैरा क्लीनिकल के आठ विभागों के ज्यादातर डॉक्टर ड्यूटी नहीं आ रहे थे।
नियमित ड्यूटी आने वाले डॉक्टरों ने इसकी शिकायत कॉलेज प्रबंधन की। डाक्टरों का कहना था कि जोखिम सबके लिए बराबर है। वे जब इस संकट के समय में ड्यूटी पर आ रहे हैं तो बाकी क्यों नहीं? उसके बाद ही कॉलेज प्रबंधन ने मेनगेट पर एक रजिस्टर के अलावा दीवार घड़ी व सेनेटाइजर रखवा दिया गया है। अब डॉक्टरों को आते व जाते समय हस्ताक्षर करना होगा। आने और जाने का टाइम भी लिखने को कहा गया है। डॉक्टरों के लिए आने का समय साढ़े 10 व जाने का समय शाम साढ़े 5 बजे रखा गया है। दूसरा विकल्प सुबह 9 से शाम 4 बजे तक का है।
इस निर्देश का कई डाॅक्टर दोपहर 2 बजे के बाद घर जाने लगे हैं। उनका तर्क है कि हमारा काम 2 बजे के बाद नहीं रहता ऐसे में कॉलेज में क्यों रूके? कॉलेज से गायब रहने वाले डॉक्टरों में रोजाना अप-डाउन करने के अलावा स्थानीय डॉक्टर शामिल हैं। वे हफ्ते में एक बार आकर हस्ताक्षर करते रहे हैं। इसकी शिकायत डीन कार्यालय तक पहुंची है। इसके बाद डीन ने एचओडी की राय लेने के बाद नई व्यवस्था लागू की है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भूमि और मकानों की रजिस्ट्री की प्रक्रिया को और सहज बनाने कहा है। उन्होंने आवासीय मकानों के रजिस्ट्री शुल्क में राज्य सरकार द्वारा दी जा रही दो प्रतिशत की रियायत को यथावत जारी रखने की भी घोषणा की है। बता दें कि सरकार ने कोरोना के चलते वर्तमान गाइडलाइन दरों को 30 जून लागू रखने का पहले ही फैसला किया है। सीएम नेराजस्व अधिकारियों से कहा है कि रजिस्ट्री के लिए लोगों को दिन-दिन भर इंतजार न करना पड़े और यह काम मात्र घंटे आधे घंटे पूरा हो सके ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने सभी पंजीयन कार्यालयों में लोगों की सुविधा के लिए बैठक, छाया और पेयजल की व्यवस्था भी हो।
मुख्यमंत्री मंगलवार को वाणिज्यिक कर (पंजीयन) राजस्व विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, नगरीय प्रशासन मंत्री डाॅ. शिव कुमार डहरिया सहित अफसर मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने पंजीयन विभाग के अधिकारियों को दस्तावेजों के पंजीयन में आने वाली समस्याओं को तत्परता से दूर करने के निर्देश दिए। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बताया कि बीतेवित्तीय वर्ष में विभाग ने 1640 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है, जो लक्ष्य से 5 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से बीते एक माह में लगभग 155 करोड़ की आय प्रभावित हुई है।सचिव पी संगीता ने बताया कि छोटे भू-खंडों के पंजीयन से रोक हटने से बीते वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में लॉकडाउन के बावजूद भी 2 लाख 19 हजार 758 दस्तावेजों का पंजीयन हुआ जो पिछले वित्तीय वर्ष से 9.19 प्रतिशत अधिक है।
संगीता ने प्री रजिस्ट्रेशन प्रणाली, दस्तावेजों की स्क्रिनिंग ऑनलाइन भुगतान, एनजीडीआरएस योजना के तहत तैयार साफ्टवेयर को लागू किए जाने की प्रस्तावित कार्ययोजना के बारे में भी पावर पाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी दी।
रायपुर।रायपुर में एक मरीज मिलने के दूसरे दिन मंगलवार को भिलाई में एक महिला कोरोना पॉजिटिव मिली। उसको मिलाकर प्रदेश में अब कुल 23 एक्टिव केस हैं, जबकि मरीजों की कुल संख्या 61 हो गई है। इधर, दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गाइडलाइन जारी की है। साथ ही 8 रेलवे स्टेशन तय किए हैं, जहां मजदूरों को उतारा जाएगा।
प्रदेश में शराब दुकानें खोलने के बाद मची अफरातफरी के बाद भूपेश सरकार ने फैसला किया है कि अब सभी शराब दुकानें शाम चार बजे बंद होगी। दो दिन सुबह 8 से शाम 7 बजे तक खुली थी। लॉकडाउन के बाद शराब दुकान खुलने के बाद शराब दुकानों में काफी भीड़ हो गई थी, जिसके बाद सीएम भूपेश ने बैठक कर निर्णय लिया कि समय कम किया जाए। अब कलेक्टर चाहें, तो समय घटा सकते हैं, लेकिन बढ़ा नहीं सकते।
सीएम के निर्देश पर मजदूरों की वापसी तय हो गई है। डीआरएम को 8 स्टेशनों में व्यवस्था करने के लिए पत्र लिखा गया है। परिवहन सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने रायपुर डीआरएम को पत्र लिखकर रेल मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, भाठापारा, बिलासपुर, चांपा, बिश्रामपुर और जगदलपुर स्टेशनों में सभी व्यवस्थाओं का आंकलन करने कहा है। छत्तीसगढ़ आने वाले श्रमिकों को रेलवे स्टेशनों पर रिसीव कर रेल मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार होल्डिंग एरिया में स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाएगा। गंतव्य स्थल पर पहुंचाने के लिए बस की व्यवस्था की जाएगी। उन्हें क्वारेंटाइन में रखने की व्यवस्था भी की जाएगी। वहीं राज्य सरकार ने रेल मंडल से 28 ट्रेनों की मांग करते हुए इनका किराया भी देने सहमति जता दी है।डॉ कमलप्रीत सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ आने वाले श्रमिकों को चिन्हित रेलवे स्टेशनों पर रिसीव कर रेल मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार होल्डिंग एरिया में स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाएगा और उनके गंतव्य स्थल पर पहुंचाने की बस के माध्यम से व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही साथ उन्हें क्वारैंटाइन में रखने की व्यवस्था भी की जाएगी। माना जा रहा है कि इस हफ्ते मजदूरों के वापसी का सिलसिला शुरू हो जाएगा। केंद्र सरकार को इसके लिए मुख्यमंत्री ने पत्र भी लिखा था। इस पत्र में बाहर फंसे राज्य के श्रमिकों का संख्या 1.17 लाख बताई गई है। जो कि लगभग हर राज्यों में हैं।
इसलिए कम किया शराब दुकानों को खोलने का समय
सरकार ने देखा कि शराब दुकान खुलते ही लोगों की भीड़ शराब लेने दुकानों में लग गई। इसके अलावा इसकी आड़ में शाम तक लोग सड़कों पर घूमते पाए गए। इसलिए दोपहर तक बिक्री की इजाजत दी गई। राज्य का आबकारी निगम 653 दुकानों के साथ प्रदेश में शराब का कारोबार करता है। 45 दिनों के लॉकडाउन के बाद सोमवार को पहले दिन निगम ने करीब 35 करोड़ की शराब बेची थी।
मजदूर गांव के बाहर ही 14 दिन क्वारेंटाइन होंगे
सीएम भूपेश बघेल ने सभी ग्राम पंचायतों में क्वारेंटाइन सेंटर बनाने के निर्देश दिए हैं। दूसरे राज्य से आने वाले मजदूरों व अन्य लोगों को यहां 14 दिन तक रखा जाएगा। क्वारेंटाइन सेंटर से कोई बाहर न जाए, इसलिए बेरिकेडिंग की जाएगी। स्कूल में क्वारेंटाइन सेंटर बनाने पर दो खंड रखने कहा गया है, जिससे कोई पॉजिटिव मिलने पर तत्काल दूसरे हिस्से में शिफ्ट किया जा सके। ग्राम पंचायत के सचिव व कोटवार को निगरानी की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से कम्यूनिटी सर्विलांस और शिक्षक कॉन्टैक्ट ट्रेस करेंगे। स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक सिंह ने सीएम के निर्देश के बाद सभी जिलों के कलेक्टर व सीएमएचओ को गाइडलाइन जारी की है। पंचायत विभाग के साथ समन्वय कर मजदूरों के आने से पहले क्वारेंटाइन सेंटर को रेडी रखने कहा है। यह ध्यान रखने कहा गया है कि क्वारेंटाइन सेंटर गांव के बाहर हों। कोई बाहर का व्यक्ति वहां न जा सके, इसलिए चारों ओर बेरिकेडिंग कराई जाएगी। क्वारेंटाइन सेंटर में रहने वाले गांव के तालाब का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। उनके लिए सेंटर में ही भोजन, नहाने और शौचालय की व्यवस्था करने कहा गया है। बाहर से आए लोगों को दोने-पत्तल में खाना दिया जाएगा, जिसे सेंटर के पीछे ही गड्ढा खोदकर डिस्पोज करना होगा। सावधानी से भोजन परोसने कहा गया है। क्वारेंटाइन सेंटर बनाने की जिम्मेदारी पंचायतों की होगी, लेकिन पूरी व्यवस्था के लिए राजस्व अधिकारी को जिम्मेदार बनाया गया है।
कोटा के छात्रों का क्वारेंटाइन 7 दिन में ही खत्म, घर भेजे
राजस्थान कोटा से लाए 23 सौ से अधिक छात्रों का क्वारेंटाइन 7 दिन में ही खत्म कर दिया गया है। छात्रों को अब होम क्वारेंटाइन में रहना होगा। शपथपत्र लेने के बाद ही शर्त के साथ उन्हें घर भेजा जा रहा है। देर शाम होते तक सभी जिलों के क्वारेंटाइन सेंटरों से बच्चों की रवानगी शुरू हो गई थी। अफसरों के अनुसार बुधवार तक सभी बच्चे अपने घर पहुंचा दिए जाएंगे। कोटा के सभी छात्रों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है, इस वजह से भी उन्हें घर भेजा जा रहा है।
रात 9.30 से सुबह 6 बजे तक ही लोडिंग-अनलोडिंग
शहरी क्षेत्रों में रात 9.30 से सुबह 6 बजे तक ही सामान लोड या अनलोड किए जा सकेंगे। इस संबंध में परिवहन सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कलेक्टर, एसपी व आरटीओ को निर्देश जारी किए हैं। दूसरे राज्यों से माल वाहनों के साथ आए ड्राइवर-क्लीनर के लिए शहरी क्षेत्र के बाहर चिह्नित ट्रांसपोर्ट नगर, गोदाम, अनलोडिंग पॉइंट, फैक्ट्री के पास ही रुकने की व्यवस्था की जाएगी। उन्हें शहरी क्षेत्र में आने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि सब्जी, दूध, अंडे आदि डेली नीड्स की वस्तुओं के लिए छूट दी जाएगी।जिस समय दुकानें खुली रहेंगी, उस समय सामान लोड-अनलोड करने से मना किया गया है। इसकी पूरी जिम्मेदारी पुलिस व आरटीओ की होगी।
अंचल में हरा सोना अर्थात तेंदूपत्ता की तुड़ाई एवं खरीदी की शुरूआत मंगलवार से हो गई। बागबाहरा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत लघु वनोपज सहकारी समिति सुखरीडबरी में इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष स्मिता हितेश चंद्राकर के साथ सांसद प्रतिनिधि एवं लघु वनोपज संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष हितेश चंद्राकर ने विधिवत पूजा-अर्चना कर खरीदी प्रक्रिया का शुभारंभ किया। वहीं दूसरी तरफ संग्राहकों को 2018 के लाभांश का 750 करोड़ रुपए तक नहीं मिला है। दीवाली के पूर्व ही संग्राहकों के खाता में पहुंच जाना था। जबकि यह राशि राज्य लघु वनोपज संघ में जमा है। संग्राहक-मजदूर दो साल से अपना हक लेने के लिए भटक रहे हैं।
तेंदूपत्ता संग्राहक भरी दोपहरी में परिवार सहित मिलकर तोड़े गए तेंदूपत्ता की गड्डी बनाकर शाम 4 बजे इसे फड़ में पहुंचाते हैं। इसके तहत उन्हें मिलने वाला संग्रहण दर की राशि नहीं मिल रहा है। जिले का लगभग 20 करोड़ सहित प्रदेशभर का लाभांश 750 करोड़ रुपए आज तक वितरण की बजाय अनावश्यक रूप से रोक कर रखा गया है। यह सरकार की मनमानी है। इस मौके पर सुखरीडबरी समिति के देवनारायण महोबिया, खेदु चक्रधारी, गोपाल ध्रुव, केशव ध्रुव आदि मौजूद रहे।
पूर्व मे संचालित योजनाओं को भी फिर से शुरू करें
सांसद प्रतिनिधि हितेश चंद्राकर ने कहा कि राज्य शासन द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनकी वाजिब हक की लाभांश राशि का तत्काल भुगतान किया जाए। ताकि इस आपदा के समय उन्हें राहत मिल सके। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए जारी अनेक योजनाओं को बंद कर उनके साथ कुठाराघात किया गया है। प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को मिलने वाली प्रोत्साहन (छात्रवृत्ति) को भी बंद कर दिया गया है। तेंदूपत्ता मजदूरों को उनके कमाई मे से दिये जाने वाले लाभांश राशि सहित पूर्व मे संचालित योजनाओं को पुनः लागू किये जाने की मांग की गई है।
जिले के स्कूली बच्चों ने घर पर ही 7 अप्रैल से पोर्टल पढ़ई तुंहर दुआर के जरिए बिना किसी शुल्क के ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है। लाॅकडाउन के कारण स्कूल लंबे समय से बंद हैं। इस कारण यह आवश्यक हो गया था कि घर पर रहकर ही बच्चों को पढ़ने-लिखने और सीखने का अवसर प्रदान किया जाए, लेकिन कबीरधाम जिले में इस पोर्टल के जरिए पढ़ाई किए जाने की स्थिति ठीक नहीं है।
जिले के ग्रामीण व वनांचल में पहले से ही नेटवर्क की समस्या है, तो दूसरी ओर पोर्टल में एक और समस्या आ गई है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि शुरू में पंजीकरण के समय मोबाइल नंबरों के सत्यापन की व्यवस्था न होने के कारण कुछ लोगों ने गलत मोबाइल नंबर से पंजीकरण कर लिया था। यह जानकारी मिलने पर पंजीकरण के समय ओटीपी द्वारा मोबाइल नंबर का सत्यापन अनिवार्य किया गया है। चेक करने पर पता चला कि पूरे राज्य में 21,26,791 पंजीकृत विद्यार्थियों में से केवल 24,411 के मोबाइल नंबर सही नहीं है।
संघ ने नए सिरे से क्लास शुरू करने की मांग की
कुल 1,88,900 पंजीकृत शिक्षकों में से केवल 312 के मोबाइल नंबर सही नहीं है। इन मोबाइल नंबरों से पंजीकृत विद्यार्थियों एवं शिक्षकों से संपर्क करके उनके मोबाइल नंबर ठीक कराने की कार्रवाई की जा रही है। कबीरधाम जिले में अब तक 66272 बच्चे व 5807 शिक्षकों का पंजीयन किया गया है। स्कूलों में 1 मई से ग्रीष्म अवकाश शुरू हो चुका है। लेकिन इस लॉकडाउन अवधि में ऑनलाइन क्लास चल रही है। गर्मी की छुट्टी में ऑनलाइन क्लास का शालेय शिक्षाकर्मी संघ ने विरोध किया है। संघ ने ऑनलाइन क्लास को अभी स्थगित कर आवश्यकतानुसार नए सत्र में नए सिरे से शुरुआत करने मांग शिक्षा विभाग से की है।
इस कारण वर्चुअल क्लास का किया जा रहा विरोध
शालेय शिक्षाकर्मी संघ के मोहन राजपूत, संजय जायसवाल व राकेश जोशी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लगातार मोबाइल स्क्रीन के सामने रहने से नौनिहालों की आंखों और मनोमस्तिष्क पर हानिकारक असर भी होने का अंदेशा है। बच्चों को मोबाइल के ज्यादा उपयोग से रेडिएशन व अन्य कारणों से स्वास्थ्यगत समस्याओं से बचाना भी हम सबका फर्ज है। अतः इन्हें अभी इस ग्रीष्मावकाश में वर्चुअल क्लास से मुक्त रखना उचित होगा। शासकीय विद्यालयों में अधिकतर बच्चे गरीब और मजदूर परिवार के बच्चे होते हैं, वर्चुअल क्लास के लिए स्मार्ट फोन और इंटरनेट डाटा पैक की जरूरत होती है।
1376 स्कूलों में वर्चुअल क्लास शुरू होने का दावा
संघ की मानें तो वर्तमान में बच्चों को उन्नत कक्षा के पुस्तक नहीं दिए गए हैं। ऐसे में उपयुक्त यही होगा कि अभी चल रहे इस वर्चुअल क्लास की बाध्यता को स्थगित किया जाए। क्योंकि इस वर्चुअल क्लास का लाभ सभी विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा है। जिले में पढ़ई तुंहर दुआर पोर्टल के माध्यम से पढ़ाई होने का शिक्षा विभाग दावा कर रहा है। अफसरों की मानें तो इस पोर्टल में जिले के 66272 बच्चों समेत 5807 शिक्षकों का पंजीयन व 1376 स्कूलों में वर्चुअल क्लास शुरू होने का दावा भी किया है। वर्चुअल कक्षा संचालन बाद विद्यार्थियों को एसाइनमेन्ट, गृहकार्य दिया जा रहा है।
शासन स्तर पर निर्णय लिया जाएगा
जिला शिक्षा अधिकारी केएल महिलांगे ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को सीधे राज्य स्तर पर ही देखरेख किया जा रहा है। ऑनलाइन क्लास बंद करने का निर्णय राज्य स्तर पर लिया जाएगा। वर्तमान में जिले के 66272 बच्चों समेत 5807 शिक्षकों का पंजीयन व 1376 स्कूलों में वर्चुअल क्लास शुरू की जा चुकी है। ऑनलाइन कक्षा में कम बच्चे जुड़ पा रहे हैं ,इसे देखते हुए सोमवार को आदेश जारी कर सभी शिक्षकों को पोर्टल में अपना व बच्चों को पंजीयन कराने निर्देश दिए हैं।
ग्रीष्मावकाश में प्रयोग किया जाना अव्यवहारिक
शालेय शिक्षाकर्मी संघ के जिलाध्यक्ष शिवेंद्र चंद्रवंशी व प्रदेश प्रवक्ता गजराज सिंह राजपूत ने जारी विज्ञप्ति में इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि शासन की यह महत्वाकांक्षी योजना दूरदर्शी है और प्रासंगिक भी है, इसका ग्रीष्मावकाश में प्रयोग किया जाना अव्यवहारिक है। वैसे भी कोर्स पूरा करने जैसा कुछ भी नहीं है। क्योंकि ये शिक्षा सत्र समाप्त हो चुका है। सबका जनरल प्रमोशन किया जा चुका है। बोर्ड परीक्षाएं एकाध विषय को छोड़कर सभी सम्पन्न हो चुकी है और शिक्षक मूल्यांकन कार्य में संलग्न हैं। संघ का कहना है कि बिना उचित व्यवस्था किए वर्चुअल क्लास का संचालन उचित नहीं है।
रेंगाखार और समनापुर जंगल के जिस क्वारेंटाइन सेंटर में 6 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, वहां दूसरे राज्यों से आए मजदूरों को भी लाकर रखा गया है। लेकिन वहां न पर्याप्त खाने की सुविधा है और न ही सोने की। कोरोना से सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं है। भास्कर ने जब इन क्वारेंटाइन सेंटर की पड़ताल की तो हालात बदतर मिले।
बालक पूर्व माध्यमिक शाला रेंगाखार कला को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। यहां लगभग 22 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया है। सुविधा के नाम पर सिर्फ दरी पट्टी दी गई है, वह भी उसी स्कूल का है। क्वारेंटाइन में रह रहे लोगों ने सोने के लिए अपने-अपने घरों से बिस्तर मंगाए हैं। नहाने व कपड़े धुलाई के लिए साबुन भी घर से मंगा रहे हैं। भोजन की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं है। क्वारेंटाइन में रह रहे मजदूरों ने बताया कि शुरुआत के दो दिन के लिए चावल-दाल मिला था, जो खत्म हो गया। एक-दो दिन तक घर से ही टिफिन में खाना मंगाए। फिर सूखा चावल-दाल लाकर छोड़ दिया गया। स्थिति एेसी है कि खाना बनाने वाला भी कोई नहीं है।अपने-अपने लिए खुद ही भोजन पकाते हैं और बर्तन साफ करते हैं।
रेंगाखार सेंटर में सर्वाधिक 80 लोग हैं
सेंटर क्वारेंटाइन लोग
रेंगाखार कला स्कूल व आश्रम 80
हाईस्कूल उसरवाही 65
प्राथमिक स्कूल भिंभौरी 50
प्राथमिक स्कूल पंडरिया 44
प्राथमिक स्कूल भेलवाटोला 42
प्राथमिक स्कूल खारा 34
प्राथमिक स्कूल सरईपतेरा 17
प्राथमिक स्कूल नेवासपुर 11
प्राथमिक स्कूल खम्हरिया 09
प्राथमिक स्कूल पंडरीपानी 08
आदिवासी बालक आश्रम समनापुर 06
प्राथमिक शाला बरेंडा 06
प्राथमिक स्कूल रोल 05
घानीखुंटा स्कूल 03
कोयलारझोरी स्कूल 03
प्राथमिक स्कूल तितरी 02
बोदा 47 स्कूल 01
बम्हनी स्कूल 01
तहसीलदार बोले- यहां पर खाना बनाने के लिए रसोइए तैयार नहीं, इसलिए समस्या
रेंगाखार के तहसीलदार राधेश्याम वर्मा का कहना है कि क्वारेंटाइन सेंटर में ठहराए गए लोगों के लिए चावल-दाल की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। सेंटर में भोजन पकाने के लिए रसोइए तैयार नहीं हो रहे हैं। इसलिए क्वारेंटाइन में रह रहे लोग ही अपना भोजन पकाते हैं। कुछ लोग अपने घर से टिफिन में खाना मंगवाए थे । पटवारी ने टिफिन में खाना देते 2 लोगों को पकड़ा था उन्हें पुलिस के हवाले किया गया है। यहां रह रहे लोगों की पूरी निगरानी की जा रही है।
सुविधा नहीं मिली तो हम लोग घर चले जाएंगे...
क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे ग्राम सुतिया के दो लोगों को राशन नहीं मिला है। बताया कि उन्हें 3 मई की शाम को यहां लाया गया था। पूरी रात व अगले दिनभर भूखे थे तो घर से टिफिन में खाना मंगाकर खाए। वहीं ग्राम चमारी के 11 लोगों भी यहीं क्वारेंटाइन में हैं। इनमें महिला-पुरुष और बच्चे शामिल हैं। इनका कहना है कि अगर सुविधा नहीं मिली तो वे अपने घर चले जाएंगे।
तहसीलदार, एसडीएम समेत संक्रमितों के संपर्क में आए 85 लोगों के सैंपल लिए
रेंगाखार कला व समनापुर जंगल में 6 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनके संपर्क में आने वाले 85 लोगों के सैंपल लिए गए हैं। सोमवार को पूरे दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम सैंपल लेने में जुटी रही। यही नहीं, रात लगभग 9 बजे सैंपलिंग का काम पूरा किया गया। सीएमएचओ डॉ. एसके तिवारी ने बताया कि एहतियात के तौर पर रेंगाखार पंचायत के सरपंच-सचिव, कोटवार, चौकीदार, तहसीलदार और एसडीएम का भी सैंपल लिया गया है। सभी सैंपल को जांच के लिए एम्स रायपुर भेजा गया है।
रेंगाखार और समनापुर जंगल में एक साथ 6 पॉजिटिव केस मिलने के बाद कबीरधाम रेड जोन में आ गया है। वायरस के बढ़ते खतरे के सामने हमारे डॉक्टर्स और लैब टेक्नीशियन समेत सभी स्वास्थ्यकर्मी योद्धा की तरह लड़ रहे हैं। छुट्टी की सोचना तो दूर, कितने घंटे काम करना पड़ रहा, इसका भी हिसाब नहीं है।
ड्यूटी के अलावा और कैसे मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है, यह इससे समझ लीजिए कि कई डॉक्टर्स घर जाते हैं तो एहतियात के तौर पर भोजन घर के बाहर ही बैठकर खा रहे हैं। ड्यूटी खत्म होने पर घर जाकर रूम में सेल्फ क्वारेंटाइन हो रहे हैं। घर में रहकर भी माता-पिता, पत्नी और बच्चों से अलग रहना पड़ रहा है। कुछ डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ तो ऐसे भी हैं, जो 3 दिन से अपने घर ही नहीं गए।
क्वारेंटाइन सेंटर में रहकर ड्यूटी निभा रहे हैं। इसके अलावा हेल्थ टीम मैदानी स्तर पर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए भी लोगों को सचेत कर रही है। कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने अपने टि्वटर पर घर के बाहर खाते डॉ. शिवगोपाल की फोटो शेयर कर कोरोना योद्धाओं को मनोबल बढ़ाया।
संक्रमण का डर सभी को पर घबराना इसका इलाज नहीं
डॉ. गौरव परिहार का कहना है कि जिले में कोरोना पॉजिटिव मिलने पर लोग डरे हुए हैं, लेकिन घबराना इसका इलाज नहीं है। हमें मौका मिला है कि जो डरे हुए हैं, उनकी सेवा करें। सभी डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन अपने परिवार से नहीं मिल पा रहे हैं, उनसे दूरी बनाकर रखे हैं। वायरस को लेकर पूरी तरह से एहतियात बरतना जरुरी है।
बच्चों से दूर से ही मिलते हैं
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉ. शिवगोपाल ठाकुर संक्रमण की रोकथाम को लेकर फ्रंट लाइन में काम कर रहे हैं। वे बताते हैं कि ड्यूटी के बाद जब घर जाते हैं तो बरामदे में जूते उतार देते हैं। सीधे बाथरुम में जाते हैं। पहने कपड़ों को गर्म पानी में भिगोकर खुद ही धोते हैं। फिर नहाकर निकलने के बाद बच्चों को दूर से ही मिलते हैं। परिवार वालों से अलग खाना खाते हैं और रुम में सेल्फ क्वारेंटाइन हो जाते हैं। यही स्थिति बाकी लोगों की भी है।
संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का सैंपल ले रहे
जिले के विभिन्न शासकीय अस्पतालों में पदस्थ लैब टेक्नीशियन कुबेर सेन, उज्जैन साहू, राजकुमार चंद्रवंशी, अजय कुर्रे, बीरेन्द्र चंद्राकर, तरुनेन्द्र तिवारी, अनिल देशलहरा, विनोद चंद्रवंशी, अनिल देशलहरे और वेदप्रकाश संक्रमण की रोकथाम के लेकर फ्रंट लाइन पर काम कर रहे हैं। संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का सैंपल ले रहे हैं। एमपीडब्ल्यू, एएनएम, मितानिनें भी हैं,जो अपने क्षेत्र में संक्रमण की रोकथाम में योगदान दे रहे हैं।
रेंगाखार और समनापुर जंगल में 6 कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद प्रशासन हरकत में आ गई है। संक्रमितों को एम्स रायपुर शिफ्ट कराने के बाद यहां के क्वारेंटाइन सेंटर्स को सैनिटाइज किया जा रहा है। कवर्धा जिला नगर सेनानी से दो फायर ब्रिगेड वाहन भेजी गई थी। दोनों वाहनों ने दो दिन में कंटेनमेंट जोन के इन क्वारेंटाइन सेंटर्स को सैनिटाइज किया।
इसके साथ ही यहां के सभी शासकीय व निजी भवनों और थाने को सैनिटाइज किया। नगर सेनानी के दमकल कर्मियों ने बालक आश्रम रेंगाखार, कन्या पोस्ट मैट्रिक रेंगाखार, कन्या प्री- मैट्रिक आश्रम, हाईस्कूल, मिडिल स्कूल समेत सभी क्वारेंटाइन सेंटर को सैनिटाइज किया है। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अब कबीरधाम जिले के रेड जोन में शामिल गांवों के लोगों का एंटी बॉडी रैपिड टेस्ट होगा। गांवों में सर्विलेंस टीम पहुंच गई है। पूरी तरह से एहतियात बरतने के साथ ही जागरूक भी कर रहे हैं।
कलेक्टर से अनुमति जरुरी
रेंगाखार क्वारेटाइन सेंटर में ही हुई घटना के बाद से प्रशासन अलर्ट हो गया है। क्वारेंटाइन सेंटर में ठहराए गए मजदूरों को 14 दिन तक क्वारेंटाइन में रहना अनिवार्य है। क्वारेंटाइन के 14 दिन पूरा होने के बाद श्रमिकों को उनके घर भेजने से पहले कलेक्टर से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है। ट्रैवल हिस्ट्री भी रखने कहा है।
चेकपोस्ट में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के निर्देश
कबीरधाम जिले के सभी सीमा क्षेत्रों में बनाए गए चेकपोस्ट में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी सीमा के चेकपोस्ट में 24 घंटे जांच के लिए अधिकारियों की ड्यूटी लगवाने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को सभी चेकपोस्ट में टेस्ट किट व टीम तैयार रखें।
दल को अलग-अलग रखें
कलेक्टर ने सभी राजस्व अधिकारियों से उनके क्षेत्र में अन्य जिलों और राज्यों से आने वाले मजदूरों की जानकारी ली। उन्होंने सभी एसडीएम, जनपदों के सीईओ और नगरीय निकाय के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि वे अपने क्षेत्र में ग्राम पंचायतवार, अन्य राज्यों में गए श्रमिकों के आकलन के अनुसार व्यवस्था करें।
बीती रात सुभाष वार्ड मेंं एक व्यक्ति को वार्ड के ही एक युवक के साथ शराब पीते वार्डवासियों ने पकड़ा। वार्डवासी उसे लेकर सीधे थाना पहुंचे। वार्डवासियों का कहना था कि उक्त व्यक्ति दुर्ग में रहता है और आज ही वहां से आया है। इससे उसे कोरोना को लेकर शंका है। पुलिस ने रात में उसे जांच के लिए अस्पताल में दाखिल कराया गया। जहां उसे आइसोलशन वार्ड में क्वारंेटाइन कर दिया गया है।
विदित हो दुर्ग में कोरोना के नए केस आने के बाद जब वहां से उक्त व्यक्ति कांकेर आया तो लोग डर गए। उक्त व्यक्ति पूर्व में कांकेर में रह कर मजदूरी करता था। लेकिन पिछले कुछ साल से वह दुर्ग के केलाबाड़ी इलाके में रहता है। व्यक्ति शराब का आदी है। लॉकडाउन के चलते अब तक शराब की दुकानें बंद थीं। बताया जा रहा है 4 मई को दुर्ग में शराब की दुकान बंद रहने के कारण वह कांकेर में शराब दुकान खुलने की खबर पाकर इसकी लालच में सामान लेकर आने वाले ट्रकों में छिप कर सोमवार को कांकेर पहुंचा। पहुंचते ही सीधे शराब लेने दुकान चला गया। लौटकर वह सुभाष वार्ड निवासी अपने साथी के साथ शराब पीने लगा। मोहल्ले वालों ने उसे देख लिया और पहचान लिया। वे जानते थे कि वह दुर्ग का रहने वाला है। वार्ड में यह बात फैल गई। लोगों दोनों को पकड़कर थाने ले गए। बिना किसी अपराध के पुलिस उन्हें थाने में नहीं रख सकती थी। इसलिए उसने स्वास्थ्य विभाग सूचित किया। पुलिस भी पूरी एहतियात बरतते हुए उसे पहले पैदल जिला अस्पताल रवाना किया और उससे दूरी बना पीछे पीछे स्वयं गई।
नगरनार इस्पात संयंत्र में झारखंड के करीब 25 मजदूरों ने इकट्ठा होकर वापसी की फिराक में मुहिम चलाने की कोशिश की। इसके पीछे का कारण ये बताया जाता है कि कुछ मजदूरों को झारखंड से जगदलपुर लाया गया, जिसके बाद झारखंड के मजदूरों ने वापसी के लिए एकजुट होकर जाने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि झारखंड से बसाें के अाने के बाद वे वापस जाने की फिराक में थे। लेकिन कोई इंतजाम न दिखा तो मंगलवार सुबह झारखंड के पलामू जिले के करीब 25 मजदूर इकट्ठा हुए और पैदल वापसी करने की तैयारी कर ली। इसके बाद उन्होंने जैसे ही वापसी के लिए पैदल चलना शुरू किया, गोरियाबहार नाले के पास उन्हें रोक लिया गया और नगरनार पुलिस उन्हें लेकर वापस चली गई।
मजदूराें ने ठेकेदारों पर वेतन नहीं दिए जाने का अाराेप लगाया। लेकिन इन मजदूरों को 22 मार्च तक का वेतन कंपनियों ने दे दिया था। इसके बाद लॉकडाउन के उन्हें पैसे नहीं दिए गए। मजदूर पीएम नरेंद्र मोदी के उस बयान को आधार बना रहे थे जिसमें उन्होंने मालिकों से किसी का भी पैसा न काटने की अपील की थी, लेकिन इस संबंध में सरकार द्वारा काेई आदेश जारी नहीं होने से कंपनियों ने इस पर कोई पहल नहीं की। एसडीएम जीअार मरकाम ने कहा कि वेतन अाैर एडवांस की रकम ठेकेदारों द्वारा काट लिए जाने पर मजदूराें काे आपत्ति थी, लेकिन इसका हल निकाल लिया गया है। मजदूर लाॅकडाउन की समयावधि का वेतन मांग रहे हैं जिस पर न ताे एनएमडीसी ने अाैर न ही कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने काेई निर्णय लिया है।
मजदूर बोले- वापसी के लिए कोई प्रयास नहीं हुए
मजदूर जोगेंद्र यादव, संजय, प्रमोद, विनय सहित अन्य ने बताया कि उन्हें एक महीने का वेतन भी नहीं दिया है। दरअसल उन्हें 22 मार्च तक का वेतन दिया गया था। कई मजदूरों ने एडवांस भी ले रखा था। ऐसे में ठेकेदार ने एडवांस की रकम भी काटी। ऐसे में पैदल ही निकल पड़े। मजदूरों ने बताया कि वापसी के लिए अपने प्रदेश के जिम्मेदारों तक बात पहुंचाने की कोशिश की पर कोई मदद नहीं मिली।
इधर मारकेल में रुके 12 मजदूरों पर खाने का संकट
इधर मारकेल में बने हटमेंट में भी कुछ लेबर रुके हुए हैं। ये 12 मजदूर सब स्टेशन में इलेक्ट्रीशियन का काम कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन में रियायत मिलने के बाद भी कोई काम नहीं होने के कारण अब उन पर संकट खड़ा हो गया है। इन हालातों में जहां उन्हें खाना नहीं मिल पा रहा है और न ही जरूरत का सामान ही उन्हें मुहैया हो पा रहा है। ये मजदूर वापस जाना चाहते हैं।
तेंलगाना के कोत्तागुड़ेम जिले के भैयारम्म में झारखंड के मजदूर एक उद्योग में कार्य करने गए थे। लेकिन पूरे देश में लॉकडाउन है वहां काम नहीं मिलने के कारण काफी दिनों से परेशानी झेलनी पड़ रही थी। मंगलवार को झारखंड के 80 मजदूर तेलंगाना के भैयारम्म गांव से पैदल छत्तीसगढ़ सीमा तक पहुंचे। सीमा से लगे जंगली रास्ते से एक ट्रैक्टर आ रहा था इसी दरमियान मजदूरों को एक साथ पैदल चलते देख ट्रैक्टर चालक ने उनसे पूछताछ की, पूछताछ करने पर उन्होंने झारखंड के मजदूर होना बताया। जानकारी के अनुसार मजदूर ट्रैक्टर से पुसगुफा के रास्ते से होते हुए छत्तीसगढ़ के उसूर ब्लॉक के कोण्डापल्ली मार्ग से बुधवार को ग्राम बासागुड़ा पहुंचेंगे। उसूर तहसीलदार सीताराम कंवर ने बताया यदि मजदूर पहुंचे तो सबसे पहले इनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। फिर कलेक्टर और एसडीएम के आदेशानुसार आगे की व्यवस्था होगी।
पहले से ही पोटाकेबिन में 40 मजदूर रह रहे हैं
उसूर के जिस पोटाकेबिन में इन मजदूरों को रखने की संभावना जताई जा रही है। उनमें पहले से ही झारखंड और एमपी के 40 मजदूर रखे गए हैं। इन सबकी थर्मल स्क्रीनिंग भी की गई है। किसी भी मजदूर में कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए हैं। सभी को कोरोना से बचने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इन सब मजदूरों के खाने पीने की व्यवस्था उसूर पंचायत कर रही है।
शहर के 24 हजार 132 परिवारों को 24 घंटे पानी मुहैया कराने बनाई गई अमृत योजना अधर में लटक गई है। तीन महीने पहले बिना किसी को जानकारी दिए ठेका कंपनी के कर्मचारी काम छोड़कर भाग चुके हैं। आलम यह है कि जिस कंपनी को काम शुरू करने के लिए नगर निगम के अधिकारियों ने चार बार नोटिस भेजा था। जिसमें काम शुरू नहीं करने पर कार्रवाई के साथ ही काम वापस लेने की बात कही थी। अब निगम के अफसर उसी कंपनी द्वारा काम किए जाने की बात कह रहे हैं। अफसरों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते कंपनी काम नहीं कर पा रही है, अब इसे जल्द शुरू करवाने की बात कही जा रही है। लेकिन कंपनी के कर्मचारी लॉकडाउन के पहले ही काम छोड़कर भाग गए थे।
नोडल अधिकारी एस बी शर्मा ने कहा कि कंपनी काम छोड़कर अचानक क्यों चली गई। इसकी जानकारी भी कंपनी की ओर से अब तक नहीं आई है। काम शुरू करने कंपनी को चार बार नोटिस भेजा गया है। उन्होंने बताया कि कंपनी के कर्मचारी इस काम को लेकर रायपुर में सूडा के अधिकारियों से संपर्क में है। लॉकडाउन के चलते वे यहां नहीं आ पा रहे हैं। 103 करोड़ रुपए की लागत वाले इस कार्य को महाराष्ट्र की गोंडवाना कंपनी कर रही है।
300 किमी में से 85 किमी की पाइपलाइन ही बिछी
अमृत योजना में 20 टंकियों से पानी सप्लाई किए जाने की योजना है। इसके अंतर्गत पुरानी टंकियों के अलावा 6 और टंकियों का निर्माण होना है। लेकिन अभी तक चार टंकी का काम पूरा हो पाया है। अमृत योजना में शहर में दूरदर्शन कॉलोनी धरमपुरा, कंगोली, सांई कालोनी, वर्धमान कॉलोनी और लालबाग के पास पानी की टंकियां बन रही है। 300 किमी डिस्ट्रीब्यूशन पाइपलाइन में से केवल 85 किमी की पाइपलाइन बिछाई गई है। इसके अलावा नयामुंडा में बनाया जाने वाला प्लांट आधा भी नहीं बना है।
दो महीने में खत्म होगी काम पूरा करने की मियाद
अमृत मिशन का काम दिसंबर 2019 तक पूरा होना था, लेकिन कार्य पूरा नहीं होने पर जून 2020 तक पूर्ण करने अल्टीमेटम दिया था। समय पर काम पूरा करने के लिए करीब तीन साल पहले महाराष्ट्र की गोंडावाना कंपनी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी। कंपनी ने इस काम को लेकर शुरुआती दौर में तो तेजी दिखाई लेकिन बाद में प्राइवेट और सरकारी विभाग की अड़चन और समय पर पैसे नहीं मिलने के चलते कंपनी ने काम छोड़ दिया। इधर निगम की कवायद है कि जनवरी 2021 घर-घर तक पानी पहुंचे जाए।
शहर की नई सरकार अमृत मिशन को लेकर गंभीर नहीं
नगर में नई सरकार के बनने के बाद इस काम में तेजी आने की बात कही गई थी लेकिन शहर की नई सरकार के बनने के बाद जिम्मेदार लोगों की अनदेखी के चलते कंपनी ने अपना काम समेट लिया है। कंपनी के भाग जाने की खबर प्रकाशित होने के बाद महापौर सफीरा साहू को लगी उन्होंने आनन-फानन में इस योजना से जुड़े अधिकारियों की बैठक ली और इस काम को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कहा था फिर कोई पहल नहीं की।
मजदूरों के अलावा दूसरे राज्यों व जिलों में फंसे छात्रों को भी घर वापस लाने की तैयारी की जा रही है। दंतेवाड़ा के 180 छात्र दूसरे जिले व राज्यों में फंसे हुए हैं। अब इनकी भी सूची प्रशासन बना रहा है कि ये बच्चे उन राज्यों के किस जोन वाले जिले में हैं। इधर बच्चों की घर वापसी का परिजन भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लगातार अफसरों से संपर्क भी कर रहे हैं।
अभी प्रशासन के पास जिन बच्चों के नामों की सूची बनी है उनमें 12 राज्यों में बच्चों के फंसे होने की जानकारी है, जो वापस अपने घर आना चाहते हैं। इनमें तेलंगाना व आंध्रप्रदेश में दंतेवाड़ा के सबसे ज्यादा बच्चे हैं। ये बच्चे पढ़ाई या कोचिंग के सिलसिले में दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं। कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने बताया कि दूसरे जिले व राज्यों में फंसे बच्चों को भी लाने की तैयारी है। राज्य सरकार के दिशा निर्देश के अनुरूप काम हो रहा है। नोडल अधिकारी आस्था राजपूत ने बताया बच्चों की सूची बनाई जा रही है। हर दिन संख्या बढ़ रही है। गाड़ियां तैयार हैं। राज्य स्तर से निर्देश मिलने के बाद गाड़ियां भेज दी जाएंगी।
दंतेवाड़ा में फंसे ओडिशा के लोगों को भेजा गया घर: दंतेवाड़ा के लोगों को बाहर से लाने की तैयारी तो है, लेकिन दंतेवाड़ा में फंसे बाहर के लोगों को भी घर भेजा जा रहा है। दूसरे जिले के करीब 100 मजदूरों को उनके घर भेज दिया गया है। इतना ही नहीं दंतेवाड़ा में फंसे ओडिशा के लोगों को भी प्रशासन ने घर भेज दिया है, लेकिन अब भी दूसरे राज्यों के 200 से ज्यादा लोग यहां फंसे हुए हैं।
क्वारेंटाइन पूरा करने के बाद ही जा सकेंगे घर
जो भी बच्चे दूसरे जिलों व राज्यों से लौटेंगे उन्हें क्वारेंटाइन मे रहना होगा। इसके बाद ही वे अपने घर जा सकेंगे। इधर हैदराबाद में बालिका शिक्षा योजना के तहत नर्सिंग की पढ़ाई करने वाली छात्राओं को भी वापस लाने पर अभी असमंजस की स्थिति है, क्योंकि हैदराबाद रेड जोन में है। कोटा से लौटे दंतेवाड़ा के 13 बच्चे भी क्वारेंटाइन में हैं।
अहमदाबाद से लौटे युवक और कोंडागांव के दोनों मजूदरों की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। सोमवार की देर शाम इन तीनों की रैपिड किट में एंटीबॉडी जांच पॉजिटिव आई थी। इसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया था। इसी बीच इन सभी संदिग्धों की कोरोना पीसीआर जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। यहां सभी के नमूने लिए गए और नमूनों को जांच के लिए मेकॉज के लैब भेजा गया था। मंगलवार देर शाम को सभी की कोराेना रिपोर्ट आ गई है और सभी की रिपोर्ट निगेटिव है।
जनरेटर की रोशनी में रातभर स्वास्थ्य अमले ने किया 80 ग्रामीणों का रैपिड टेस्ट
कोंडागांव | कोंडागांव जिला ग्रीन जोन में है। सोमवार रात जिले के अंतिम छोर पर स्थित कोरमेल गांव की एक महिला को रैपिड टेस्ट में पॉजिटिव आने से प्रशासन के हाथ पैर फूल गए। हालांकि जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में आरटी पीसीआर टेस्ट में दोनों ही कोरोना से संक्रमित नहीं पाए गए हैं। कोंडागांव जिले के अंतिम छोर पर स्थित मर्दापाल के पास कोरमेल गांव में एक पुरुष में सर्दी-खांसी के लक्षण के बाद रैपिड टेस्ट में उसे संदिग्ध पाते हुए मेडिकल कॉलेज भेजा गया। जिसके बाद उस व्यक्ति के गांव कोरमेल में अन्य ग्रामीणों की जांच की गई। स्वास्थ्य अमला द्वारा अपने साथ लाए जनरेटर की रोशनी में ग्रामीणों का परीक्षण शुरू किया गया। कोरमेल में देर रात तक 80 लोगों की जांच की गई है। कोरोना की आशंका में पूरे गांव को सील कर दिया गया था।
गुरमेल में गत 8 मार्च को बिहार से आया एक व्यक्ति क्वारेंटाइन में था। वह सर्दी-खांसी की शिकायत के बाद वह तीरथा हॉस्पिटल पहुंचा। उसे भानपुरी चिकित्सालय भेज दिया गया। रैपिड टेस्ट में उससे कोरोना का संदिग्ध माना गया जिसके बाद फाइनल रिपोर्ट के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया। कोरमेल में जिस महिला को रैपिड टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया, वह बिहार से आए व्यक्ति की भाभी है। पूरे परिवार का टेस्ट किया गया।
कोरोना संक्रमण के बीच गरीब परिवार को राहत देने के लिए लगातार राज्य और जिला प्रशासन कोशिश कर रही है, लेकिन इसका फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है। जून का चावल और चना मई में देने की खाद्य विभाग की कोशिश सफल नहीं हो पा रही है। तीन दिन पहले सर्वर ठप रहने से जहां लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया तो वहीं सोमवार को 2 की जगह केवल एक किलो चना मिला। वहीं चावल नहीं मिलने से लोग नाराज थे।
शहर के अंबेडकर और अन्य वार्ड में संचालित राशन दुकानों में सरकारी राशन लेने पहुंचे लोगों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीब परिवारों को तीन महीने का चावल मुफ्त में देने की बात कही थी, लेकिन इसका लाभ प्राथमिकता और अंत्योदय राशन कार्डधारियों को मिल रहा है। इसमें भी जिस परिवार में चार या उससे अधिक सदस्य हैं उन्हें ही इसका लाभ मिल रहा है। बाकी लोगों को केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। नाराज लाेगों ने कहा कि सरकार ने गरीब परिवारों को हर महीने चना देने की बात कही है, लेकिन यह चना भी नहीं मिल रहा है। उन्हें इस समय प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। सहायक खाद्य अधिकारी दिव्या रानी ने कहा कि शासन से जारी निर्देश के तहत ही राशन गरीब परिवारों को दिया जा रहा है। इसमें कोई मनमानी राशन दुकानदारों द्वारा नहीं की जा रही है। निशक्तजन, एकल निराश्रित और अन्नपूर्णा राशन कार्ड परिवारों को अतिरिक्त राशन नहीं मिलेगा।
प्राथमिकता में सदस्यों के आधार पर मिलेगा चावल
प्राथमिकता राशनकार्ड परिवारों को मई में तीन माह का अतिरिक्त आवंटन 9 किलो प्रति सदस्य होगा। एक सदस्य वाले राशनकार्ड को 10 किलो, दो सदस्य वाले राशनकार्ड को 20 किलो, 3 सदस्य वाले को 35 किलो, 4 सदस्य वाले राशन कार्ड को 35 किलाे और अतिरिक्त 15 किलो, 5 सदस्य वाले परिवार को 35 किलो, अतिरिक्त 45 किलो, 6 सदस्य वाले राशन कार्ड को 42 किलो, अतिरिक्त 54 किलो जून का राशन मुफ्त में मिलेगा।
केंद्र की मोदी सरकार ने प्रदेश के साथ ही बस्तर संभाग के लाखों किसानों को लॉकडाउन के बीच अच्छी खबर दी है। केंद्र सरकार ने फसल बीमा योजना को स्वैच्छिक कर दिया है। इसके बाद किसान अपनी मर्जी से फसलों को बीमा करा सकेंगे। यह उनकी इच्छा पर निर्भर होगा कि वह अपनी फसलों का बीमा कराना चाहते हैं या नहीं। सरकार के इस फैसले से किसान क्रेडिट कार्डधारक किसानों से खुद ही फसल बीमा का प्रीमियम नहीं काटेगा। किसानों को दी जाने वाली राहत का लाभ बस्तर जिले के किसानों को बड़े पैमाने पर मिलने की बात कही जा रही है ।
बता दें कि प्राकृतिक आपदा में फसल को नुकसान होने पर बीमा कंपनी अन्नदाता को क्षतिपूर्ति देकर उन्हें राहत देने केंद्र सरकार ने 13 जनवरी 2016 को केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी। हालांकि सरकार की इस योजना से बीमा कंपनियां तो मालामाल हो गई। वहीं किसान परेशान ही रहे।
योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को खरीफ फसल के लिए बीमा राशि का 2 फीसदी और रबी की फसल के 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर ऋण लेने वाले किसानों की फसलों का बीमा अपने आप हो जाता है। किसान जितना लोन लेते हैं उसी आधार पर इंश्योरेंस कंपनी बीमा करती है। सरकार की इस योजना के पीछे उद्देश्य है कि दैवीय आपदा (तेज बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि, सूखा आदि) से फसल का नुकसान होता है तो बीमा कंपनी, खराब हुई फसल के एवज में मुआवजा देगी। उपसंचालक कृषि विकास मिश्रा ने कहा कि इस योजना को अब किसानों की मर्जी से संचालित होगी इसकी जानकारी उन्हें दी जा रही है ।
उम्मीद के मुताबिक कारगर नहीं रही योजना
किसानों को प्राकृतिक आपदा से वाले नुकसान से बचाने के लिए जिले में लागू पीएम फसल बीमा योजना लागू की गई। लेकिन किसानों के फायदे के लिए लागू हुई यह योजना बस्तर जिले में अब तक उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं हो पाई है। साल 2016-17 के खरीफ सीजन में, जहां 23410 किसानों ने 37077 हेक्टेयर में तो वहीं 2017-18 में 19 हजार 314 किसानों ने 32 हजार 335 हेक्टेयर और फसल का बीमा करवाया। इसके अलावा 2018- 19 में 30 हजार 164 किसानों ने 43559 तो वहीं 2019-20 के खरीफ सीजन में 25 हजार किसानों ने करीब 30 हजार हेक्टेयर में लगी फसलों का बीमा करवाया था। इसमें से इस साल करीब 5 हजार किसानों को ही इस योजना का फायदा मिला है।
कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से सभी कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लग गए थे। ग्रीन जोन होने के कारण मिली रियायतों में अब वैवाहिक कार्यक्रम को भी शामिल कर दिया गया है। मंगलवार की देर शाम कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने आदेश जारी किया।
इसके मुताबिक वैवाहिक कार्यक्रम को सशर्त छूट मिली है। यानी अब शादियां हो सकेंगी, लेकिन शर्त यह है कि घराती- बाराती की संख्या सिर्फ 50 या इससे कम होना है। इसके लिए पहले अनुमति क्षेत्र के तहसीलदार से लेनी पड़ेगी। अंतिम संस्कार कार्यक्रम में 20 लोगों के ही शामिल होने की अनुमति है। नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।
अप्रैल में खास मुहूर्त था, 50 से ज्यादा शादियां हुईं रद्द: शादियों के लिए अप्रैल में खास मुहूर्त था। अक्षय तृतीया के दिन सबसे ज्यादा शादियां होती हैं। इस बार शहर के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में शादियों की तैयारियां थीं। भास्कर पड़ताल में पता चला है कि करीब 50 से ज्यादा शादियां लॉकडाउन के चलते अप्रैल में रद्द हुई हैं। अब मई में 8 मुहूर्त हैं। रियायतों के बाद माना जा रहा है अब रद्द हुई शादियां इस महीने हो सकती हैं।
इन नियमों का पालन जरूरी
अब तक कर्मचारियों पर सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने पद की धौंस देने की खबरें आती रही हैं लेकिन अब कर्मचारियों को अपशब्द कह उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी देते हुए धक्कामुक्की भी की जा रही है। ऐसा ही वीडियो अब अंतागढ़ जनपद पंचायत के कांग्रेस समर्थित उपाध्यक्ष भवन लाल जैन का सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। वीडियो क्लिप के साथ पीडि़त कर्मचारियों ने पुलिस में शिकायत करते उपाध्यक्ष के खिलाफ एसटी एससी एक्ट के तहत एफआईआर करने की मांग की है।
हालांकि घटना दो माह पूर्व 3 मार्च की है। जिसका वीडियो वायरल होने के बाद मई माह में शिकायत की गई है। शिकायत लेकर मंगलवार 5 मई को अजजा थाना कांकेर पहुंचे आमाबेड़ा लैंपस विकासखंड अंतागढ़ के कर्मचारियों ने बताया कि अंतागढ़ जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष भवन लाल जैन अपने साथियों के साथ 3 मार्च को धान खरीदी केंद्र पहुंचे थे। यहां उन्होंने पद की धौंस देते हुए लैंपस के कर्मचारियों पर ऊंची अवाज में चिल्लाते हुए आरोप लगाने लगे कि धान खरीदीने के लिए किसानों का पर्ची काटने के नाम पर एक-एक हजार रूपए रिश्वत ले रहे हो। सभी को सस्पेंड कर जेल भेज दूंगा।
उपाध्यक्ष द्वारा हल्ला मचाने पर कर्मचारियों ने उन्हें शांति के साथ बात करने कहा। इस पर उपाध्यक्ष और भड़क गए। शांत रहने के लिए समझाइश दे रहे लैंपस के लेखापाल त्रिलोकसिंह बघेल को ही अपशब्द कहने लगे। इसे देख कर्मचारी बंशी लाल दर्रो ने उपाध्यक्ष को समझाने की कोशिश की तो वे उस पर भड़कते हुए जातिगत अपशब्द कहने लगे। विवाद बढ़ता देख कर्मचारी देवलाल पटेल व दीपक कोसरे भी समझाने लगे।
उपाध्यक्ष ने उन्हें अपशब्द कहते हुए उनसे धक्का मुक्की शुरू कर दी। लैंपस के सभी कर्मचारी वायरल वीडियो को लेकर कांकेर अजजा थाना पहुंच शिकायत सौंपते हुए अंतागढ़ जनपद उपाध्यक्ष भवन लाल जैन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
चुनाव में दिए रुपए वापस लेने उपाध्यक्ष की हरकत
कर्मचारियों के अनुसार भवन लाल जैन बड़ेतेवड़ा इलाके से जनपद चुनाव के दौरान आमाबेड़ा लैंपस पहुंचे थे। लैंपस में काम कर रहे हमालों को अपने पक्ष में मतदान करने के एवज में रुपए दिया। इसे देख कर्मचारियों ने ऐसा करने से मना किया। भवन लाल नाराज हो गए और वहां एक हजार रूपए फेंककर कहा कि तुम लोग भी खा पी लेना। उन्हें पैसे उठा लेने कहा गया तो वे नहीं उठाए। वह चुनाव जीत उपाध्यक्ष बने तो एक हजार रूपए वापस लेने पहुंचे। कर्मचारियों ने कहा कि रुपए तुमने फेंक दिए थे, हमने नहीं लिए। बाद से उपाध्यक्ष अपने एक हजार रूपए वापस पाने इस तरह हरकत करने लगे।
किसी किसान से नहीं लिया गया पैसा: कश्यप
लैंपस अध्यक्ष मोहन कश्यप ने बताया कि घटना के बाद कर्मचारी शांत हो गए थे। जनपद उपाध्यक्ष द्वारा कर्मचारियों पर किसानों से पैसा लेने का आरोप लगा प्रताड़ित किया जाता रहा। जबकि किसी भी किसान से पैसा नहीं लिया गया है।
धमकी से डरे थे कर्मचारी इसलिए बाद में शिकायत
घटना के दो माह बाद शिकायत करने का कारण बताते कर्मचारियों ने कहा कि उपाध्यक्ष से मिली धमकी से भी कर्मचारी दहशत में थे।वे विवाद नहीं बढ़ाना चाहते थे। इसलिए कहीं शिकायत नहीं किए। लेकिन बाद में उपाध्यक्ष फिर से यहां वहां शिकायत कर अनावश्यक रूप से आमाबेड़ा लैंपस के कर्मचारियों को प्रताडि़त करने लगे। जब उपाध्यक्ष की ज्याददती बढ़ गई और वायरल वीडियो कर्मचारियों के हाथ लगा तो 24 अप्रैल को संचालक मंडल की बैठक की गई। जिसमें उपाध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का प्रस्ताव पारित किया गया। 5 मई को इसकी शिकायत की गई।
गड़बड़ी छुपाने बेबुनियाद आरोप लगा रहे: उपाध्यक्ष
जनपद पंचायत उपाध्यक्ष भवन लाल ने कहा मैं वहां कर्मचारियों द्वारा खरीदी में की जा रही गड़बड़ी की जांच करने गया था। मैंने किसी को अपशब्द नहीं कहे। कर्मचारी अपनी गड़बड़ी छुुपाने मेरे खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।
शहर के कई वार्डों में रहने वाले कई लोग सालों से आबादी पट्टा देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन अब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई है। कुछ दिनों पूर्व जनकपुर के लोग कलेक्टर के अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आवास के लिए पट्टा की मांग कर चुके हैं, लेकिन मांग पूरी नहीं हो पाई है। जनकपुर वार्डवासी पट्टा नहीं मिलने से प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा नहीं ले पा रहे हैं। कई लोगों के कच्चे मकान की स्थिति भी कंडम हो चुकी है।
जनकपुर वार्ड में ऐसे 50 लोग है, जिनका घर के जमीन का पट्टा नहीं है। पट्टा को लेकर कई बार अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों से मांग कर चुके हैं, लेकिन वार्डवासियों की मांग पूरी नहीं हो पा रही है। पिछले साल जब जनकपुर वार्ड में पट्टे को लेकर सर्वे कर नापजोख की गई। तब उम्मीद बंधी थी कि पट्टा मिलेगा, लेकिन पट्टा अभी तक किसी को नहीं मिल पाया। पट्टे की दर बाजार की दर से 152 प्रतिशत पटाए जाने को लेकर नोटिस दिया जा रहा है। इसको लेकर वार्डवासियों में सशंय की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि इसमें लाखों रुपए का भुगतान करना होगा। इस साल 18 मार्च को वार्ड के लोगों ने जिला कार्यालय जाकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर पट्टा देन की मांग की थी, लेकिन अभी तक पट्टा नहीं दिया गया है। वार्डवासियों ने कहा कि वे गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते है।
हमें गरीबी रेखा राशन कार्ड शासन द्वारा प्रदान किया गया है। मजदूरी करके पूरा परिवार का जीविका चलाते हंै। हमें शासन द्वारा मिलने वाली आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। हम सभी परिवार को कलेक्टोरेट भवन निर्माण स्थल से साल 2002 से विस्थापित किया गया है। इस कारण शासन द्वारा मिलने वाले राजीव गांधी आश्रय योजनांतर्गत अधिकार पत्र प्रदान किया जाना चाहिए। वार्डवासियों ने गत वर्ष 24 अप्रैल को मुख्यमंत्री से भी पट्टा दिए जाने को लेकर आवेदन दिया था।
गरीब वर्ग के लिए शुल्क में राहत : तहसीलदार
कांकेर तहसीलदार मनोज मरकाम ने कहा जिनके पास बीपीएल कार्ड हैं और भूमिहीन हैं, ऐसे लोगों को पट्टा वितरण में राहत दी जाएगी। इसमें सिर्फ एक वर्गफीट में 10 रुपया ही देना है। अन्य को नोटिस के अनुसार पूरा पैसा भुगतान करना पड़ेगा। लोगों में भ्रम की स्थिति है। इस कारण पट्टा वितरण को समझने में दिक्कत आ रही है।
बारिश में रिसता है पानी
वार्ड में कई कच्चे मकान की स्थिति अच्छी नहीं है। कुछ मकान में दरार भी आ गई है। बांस बल्ली कमजोर हो गए है, लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण मकान को बना नहीं पा रहे हंै। पट्टा नहीं होने से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। बारिश के दौरान पानी रिसता है। कच्चे मकान में पॉलीथिन लगाकर रहते हैं। वार्ड के उत्तरा बाई यादव, सुशीला नाग, इंदु नाग, उषा मसीह, प्रकाश सारथी, सीमा ठाकुर, सुमित्रा सेन, माया सारथी ने कहा कि कच्चा मकान की स्थिति अच्छी नहीं है।
भंडारीपारा में भी कई लोगों के पास पट्टा नहीं
भंडारीपारा वार्ड में भी कई गरीब लोगों के पास मकान का पट्टा नहीं बन पाया है। पिछले साल यहां पर पट्टा को लेकर सर्वे कर नापजोख की गई है। सर्वे के बाद अभी कई लोगों को नोटिस भेजा गया है। इसमें भूखंड के बाजार मूल्य का 152 प्रतिशत भुगतान करने के लिए कहा जा रहा है। इसमें कुछ गरीब लोगों को लाखों रूपए का नोटिस पटाए जाने के लिए दिया जा रहा है। इसमें हाटल में काम करने वाले हलवाई अनिल यादव के पास 8 लाख 94 हजार 42 रुपए का नोटिस भेजा गया है।
तेंदूपत्ता तोड़ाई शुरू होने के पहले वन विभाग का अमला और उसके अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। इस साल विषम परिस्थिति में पत्ता तोड़ाई कराना वन विभाग के लिए एक चुनौती बना हुआ है। नक्सल समस्या वाले क्षेत्र में पत्ता तोड़ाई और उसका परिवहन पहले ही काफी कठिन था। अब कोरोना का संकट इस समस्या को और बढ़ा दिया है। सीसीएफ ने गांवों में पहुंचकर संग्राहकों से बात की। उन्होंने संग्राहकों को तेंदूपत्ता तोडऩे के दौरान आपस में दूरी बनाकर रखने, मास्क पहने रहने सहित अन्य सावधानियों का पालन करने कहा।
मंगलवार को सीसीएफ कांकेर जेआर नायक ने वन परिक्षेत्र कापसी के अंदरूनी क्षेत्र के गांवों का दौरा कर पत्ते कि स्थिति देखी। उन्होंने वन विभाग के लघु वनोपज खरीदी केंद्र का भी दौरा किया। कापसी परिक्षेत्र द्वारा विभिन्न नवधन समितियों की ओर से अब तक 25 लाख से अधिक राशि का लघु वनोपज की खरीदी की जा चुकी है।
जिला चिकित्सा अधिकारी का पत्र ब्लॉक के स्वास्थ्य व्हाट्सएप ग्रुप में भेजना परतापुर में पदस्थ एक कर्मचारी को महंगा पड़ गया। मामला परतापुर में पदस्थ आरएचओ सुमन शर्मा का है। उन्होंने कोयलीबेड़ा ब्लॉक के एक व्हाट्सएप ग्रुप में आदेश फारवर्ड किया। इसमें जिला चिकित्सा अधिकारी ने उप स्वास्थ्य केंद्रों में सैनिटाइजर और मास्क उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। जिला चिकित्सा अधिकारी ने यह आदेश कांकेर ब्लॉक के लिए जारी किया था। आरोप है कि इसमें छेड़छाड़ कर सभी ब्लॉक जोड़कर उसे भेजा गया है। इसके चलते कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है। स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ भी उस कर्मचारी के समर्थन में उतर आया है।
जिलाध्यक्ष जेठूराम नेताम ने कहा संघ के माध्यम से सभी विकासखंड के उप स्वास्थ्य केंद्रों में मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराने को लेकर ज्ञापन दिया था। ऐसे में एक ब्लॉक के लिए आदेश दिया गया, लेकिन जब अधिकारी से फोन पर चर्चा हुई तो आदेश को सभी ब्लॉक कराया गया।
जिला प्रशासन ने उन सभी दुकानों को अब रोज सशर्त खोलने का आदेश जारी किया है, जिन्हें सप्ताह में कुछ दिन खुलने की छूट थी। आवश्यक सेवाओं वाली दुकान व प्रतिष्ठान को छोड़ बाकी दुकानें सप्ताह में एक दिन मंगलवार को बंद रखी जाएगी। दुकान खोलने का समय सुबह 10 से शाम 4 बजे तक ही होगा। गुपचुप, चाट, नाश्ता ठेला, फास्ट फूड, आईसक्रीम आदि सार्वजनिक जगहों पर लगाया नहीं जा सकेगा। इसके विक्रेताओं को भी सुबह 10 से शाम 4 बजे तक घूम घूम कर बेचना होगा। सार्वजनिक जगहों पर इनके ठेले नहीं लगाए जा सकेंगे।
कलेक्टर कांकेर के एल चौहान ने मंगलवार को जारी सप्ताह में अलग-अलग दिन दुकान खोलने के आदेश को बदला है। रोज खुलने वाले दुकानों में वहीं दुकानें शामिल होंगी जिनका स्थापना अधिनियम के तहत दुकान रजिस्टर्ड होगी। कलेक्टर ने कहा नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा अन्यथा दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
दिन में मालवाहक शहर में नहीं करेंगे प्रवेश : प्रशासन से एक और आदेश जारी किया गया है। जिसमें मालवाहकों को शहर में रात 9.30 बजे से सुबह 6बजे के मध्य ही प्रवेश दिया जाएगा। दिन में माल वाहन शहर में प्रवेश नहीं करेंगे। रोजमर्रा के जरूरी समान जैसे दूध, अंडे, सब्जी, आदि को लाने वाले स्थानीय छोटे माल वाहन को प्रवेश की छूट होगी।
जिले की पुलिस को नक्सलियों के एक और शहरी मददगार को पकड़ने में कामयाबी मिली। राजनांदगांव से पकड़े गए पूर्व में ठेकेदारों का यह साथी नक्सलियों ने लिए जूता खरीद उसे सप्लाई करता था। कांकेर पुलिस एक-एक कर नक्सलियों के शहरी मददगारों को एक-एक कर पकड़ते जा रही है जिसमें अब तक कुल 8 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पुलिस का दावा है अभी और भी आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकती है।
पुलिस ने सिकसोड़ थानांतर्गत 24 मार्च को सड़क निर्माण कंपनी के ठेकेदार तापस पालिक को नक्सलियों के लिए सामान पहुंचाते पकड़ा था। इससे हुई पूछताछ के बाद पुलिस ने मामले की जांच व नक्सलियों की सप्लाई गिरोह के अन्य सदस्यों को पकड़ने के लिए एसआईटी गठित की थी। यह लगातार इस मामले में काम करते हुए नक्सली मददगारों को गिरफ्तार कर रही है। इसी कड़ी में मंगलवार 5 मई को राजनांदगांव के रिद्धि सिद्धि निवासी टोनी उर्फ शीलेंद्र भदौरिया को उसके निवास से गिरफ्तार किया। पूछताछ में टोनी ने स्वीकार किया कि वह नक्सलियों के लिए जूते आदि की खरीदी कर उसे अपने साथियों को सप्लाई करता था। जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि 24 मार्च को ठेकेदार तापस पालिक से जब्त 50 जोड़े जूते टोनी भदोरिया ने ही राजनांदगांव के कलारपारा की दुकान कृष्णा फूटवियर से खरीदा था। विदित हो इसके पूर्व पुलिस ने इसी कड़ी से जुड़े राजनांदगांव के दो ठेकेदार अजय जैन तथा कोमल प्रसाद वर्मा 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। इनसे हुई पूछताछ में ही टोनी भदौरिया का नाम सामने आया।
अब तक आठ गिरफ्तार कमांडर समेत चार फरार
नक्सलियों के लिए सामान व रकम पहुंचाने के मामले में अब तक कुल 8 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जिसमें ठेकेदार तापस पालिक को 24 मार्च, मुंशी दया शंकर मिश्रा को 29 मार्च को, अजय जैन, कोमल प्रसाद वर्मा राजनांदगांव, रोहित नाग कोयलीबेड़ा, सुशील शर्मा उत्तर प्रदेश तथा सुरेश शरणागत मध्यप्रदेश को 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया जा चुका है। मंगलवार 5 मई को टोनी उर्फ शीलेंद्र भदौरिया को गिरफ्तार किया गया। जिन लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज है उसमें एलजीएस एलओसीएस मिलेट्री प्लाटून नक्सली कमांडर राजू सलाम, एरिया कमेटी के सप्लाई टीम के सदस्य मुकेश सलाम, राजेंद्र सलाम व राम कुमार जोगा का नाम शामिल है।
ग्राम मालगांव में मनरेगा का कोई काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इसको लेकर ग्रामीणों में नाराजगी बनी हुई है। वहीं महिला सरपंच को अभी तक पुराने सरपंच ने कार्यभार नहीं सौंपा है। निवर्तमान महिला सरपंच की शिकायत है कि उनको पुराने सरपंच ने अभी तक अपने पांच साल के कार्यकाल का हिसाब किताब नहीं दिया है।
गांव-गांव में रोजगार गारंटी योजना का काम चल रहा है, लेकिन ग्राम मालागांव में रोजगार गारंटी का काम नहीं चल रहा है। इससे ग्रामीणों में नाराजगी बनी हुई है। ग्रामीणों ने रोजगार सहायक से मनरेगा में काम दिलाए जाने की मांग की, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो ग्रामीणों ने कांकेर जनपद अध्यक्ष रामचरण कोर्राम से शिकायत की। इसके बाद जनपद अध्यक्ष रामचरण कोर्राम मौके पर पहुंचे। उनके साथ कांकेर भाजपा ग्रामीण मंडल उपाध्यक्ष विजय साहू भी पहुंचे। जनपद अध्यक्ष रामचरण ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्या का निराकरण किया जाएगा। ग्रामीणों की मनरेगा के साथ अन्य काफी सारी शिकायत थीं। इसको लेकर शिकायत किया।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव-गांव में मनरेगा का काम चल रहा है, लेकिन उनके गांव में मनरेगा का काम बंद है। अभी लॉकडाउन के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है और लोग गांव में ही काम चाहते हैं, लेकिन काम नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों ने यह भी शिकायत की है कि गांव का विकास बेहतर ढंग से नहीं हो पा रहा है। गांव के कृष्णा साहू, तुसम साहू, खिलेश्वर साहू, बुधराम कोमरा, कुजुराम साहू, गोविंदराम साहू, भरत साहू, यशवंत मंडावी, तनुजा मंडावी, भरत साहू, धनमत, उत्तरा मंडावी ने कहा गांव में मनरेगा का काम चल ही नहीं रहा है। मनरेगा का काम बंद है, जबकि सभी गांव में मनरेगा का काम चल रहा है। अब लॉकडाउन के बाद लोगों को काम की जरूरत है।
नये सरपंच ने फरवरी में लिया था शपथ, कार्यभार अबतक नहीं मिला : नवनिर्वतमान सरपंच को अभी तक कार्यभार नहीं मिल पाया है। इससे काम की शुरूवात नहीं हो पाई है। महिला सरपंच भी मौके पर जनपद अध्यक्ष से शिकायत करने के लिए पहुंची। सरपंच सुमित्रा कोमरा ने जीत के बाद फरवरी माह में शपथ लिया था।
इसमें सरपंच सुमित्रा कोमरा और ग्रामीणों की शिकायत है कि उसे अभी तक कार्यभार नहीं सौंपा गया है। पूर्व सरपंच व सचिव ने पुराने पांच साल का हिसाब किताब नहीं दिया। इससे सरपंच सुमित्रा कोमरा अभी तक कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाई है। सरपंच सुमित्रा कोमरा ने कहा उसे अभी तक कार्यभार नहीं मिल पाया है। इससे वह गांव के विकास के लिए कोई काम नहीं कर पा रही है और न ही गांव वालों को मनरेगा में कोई काम दिलवा पा रही है।
ग्राम पंचायत कुल्हाड़कट्टा के पारधीपारा के 16 बच्चों को खेल-खेल के माध्यम से बेसिक शिक्षा दी जा रही है। 16 बच्चों में से सिर्फ 4 से 5 बच्चे ही स्कूल जाते हैं। उनकी भी शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं था। बीते दिनों एसडीएम प्रेमलता मंडावी राशन वितरण इस मोहल्ले पहुंची तो बच्चों से पढ़ाई की जानकारी ली। इस दौरान जो बच्चे स्कूल जाते थे वे भी अल्फाबेट, अपना नाम भी नहीं लिख पा रहे थे। जबकि ये बच्चे पहली से लेकर आठवीं तक में पढ़ाई करते हैं।
इसके बाद एसडीएम ने अधिकारियों को इन बच्चों को बेसिक शिक्षा देने के लिए कार्ययोजना बनाने कहा। शिक्षकों को मोहल्ले में ही कक्षा लगाकर बच्चों को खेल-खेल के माध्यम से बेसिक शिक्षा देने कहा। इसके बाद शिक्षा विभाग ने कार्य योजना बनाकर बच्चों के पढ़ाई के लिए शिक्षक धलसिंह ठाकुर और बीडी ठाकुर को तैनात किया। इसके बाद बच्चों को उनके मन के अनुरुप खेल-खेल में रोचक तरह से पढ़ाने जाने लगा। इसका फायदा यह हुआ कि बच्चे 7 दिन में अपने नाम लिखने लगे हैं।
शिक्षक सुबह में बच्चों की कक्षाएं लगाते हैं। इस दौरान बच्चों को सैनिटाइज किया जा रहा है। इसके बाद सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इसके लिए बच्चों को शैक्षणिक सामग्री भी दी गई है। बच्चे रोजाना उपस्थित होकर उत्साह के साथ शिक्षा ले रहे हैं। एसडीएम प्रेमलता मंडावी ने कहा बच्चे शिक्षा से वंचित न रहे, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। जब भी स्कूल खुलेगा, तब भी इन्हें शिक्षित करने के लिए प्रयास किया जाएगा।
देश में फैले कोरोना महामारी को लेकर पंडित विष्णु प्रसाद शर्मा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोविंदपुर के रासेयो स्वयं सेवकों ने जागरूकता अभियान चलाया। स्वयंसेवक आसपास के ग्राम पंचायत एवं साप्ताहिक हाट-बाजार में लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जागरूक किया।
कार्यक्रम अधिकारी आबिद खान ने बताया कि कोरोना महामारी को फैलने से रोकने एवं आमजन तक जागरूकता लाने के लिए जिला प्रशासन एवं जिला शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार रासेयो स्वयं सेवक जिले से लगे ग्राम पंचायतों एवं हॉट बाजारों में कोरोना महामारी के बचाव एवं सावधानी के बारे में जागरूक कर रहे हैं। जागरूकता रैली निकाल कर लोगों को सोशल डिस्टेंस का पालन करने, बार-बार हाथ धोने, भीड़ वाले जगहों में न जाने व घर में ही रहने जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा दीवार लेखन, रंगोली, पोस्टर, सोशल मीडिया आदि माध्यमों से भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हाट बाजारों में लोगों को हैंड सैनिटाइजर से सैनिटाइज करने, सब्जी विक्रेता या दुकानदार मास्क का उपयोग नहीं करते उन्हें चिह्नांकित कर रचना खुद से बनाकर और खरीदकर सरपंच के माध्यम से मास्क वितरण कराया जा रहा है।
किसानों की मक्का खरीदी समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए शासन ने जिले के 23 उपार्जन केंद्रों में खरीदी शुरू कर दी है। अंतागढ़ ब्लॉक के अंतागढ़, आमाबेड़ा व ताड़ोकी उपार्जन खरीदी केंद्र को पहली बार मक्का की खरीदी के लिए स्वीकृति मिली है। लेकिन अंतागढ़ व आमाबेड़ा में ही एक-एक किसान मक्का के लिए पंजीकृत है। वहीं ताड़ोकी में कोई भी किसान मक्के की बिक्री के लिए पंजीकृत नहीं है।
शासन के आदेश मिलने के बाद बिना किसानों के ही इन केंद्रों में खरीदी 2 मई से शुरू कर दी गई है। आमाबेड़ा सहमति समिति के खरीदी केंद्र में अंति संवेदनशील क्षेत्र बंडापाल के किसान राजमन का ही पंजीयन होने की जानकारी है। वहीं ऑनलाइन कम्प्यूटर में दर्ज एक संख्या अंतागढ सहकारी समिति का बताया जा रहा है। ताड़ोकी सहकारी समिति में एक भी किसान का नाम दर्ज नहीं है। तीनों ही सहकारी समितियों में मक्का खरीदी के लिए शासन से पहली बार स्वीकृति प्रदान की गई है।
जिला सहकारी बैंक ब्रांच मैनेजर प्रवीण ठाकुर ने कहा किसानों ने सिर्फ धान के लिए ही पंजीयन कराया है। मक्के की बिक्री के लिए पंजीयन नहीं कराया है। किसानों को मक्के के लिए भी पंजीयन अलग से कराना था।
जिले में 1143 किसानों का ही खरीदा जाएगा मक्का
जिले में 23 उपार्जन केंद्रों में मक्का खरीदी करने प्रशासन ने दो मई से आदेश जारी किया है। इसमें 1143 किसानों का उपार्जन केंद्रों में मक्का खरीदा जाएगा। अंतागढ़, ताड़ोकी, आमाबेडा ही नहीं पूरे जिले में और भी किसानों ने मक्का उत्पादन किया है। लेकिन वे पंजीयन नहीं होने से अपनी उपज केंद्रों में नहीं बेच पाएंगे। व्यापारी भी कोरोना वायरस के चलते मक्के का उठाव नहीं होने के कारण मक्का खरीदी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। छत्तीसगढ़ शासन ने मक्के का समर्थन मूल्य 1760 रुपए निर्धारित किया है। अब किसान पंजीयन नहीं होने से मक्का खरीदी कैसे होगा इसको लेकर चिंतित हैं।
31 मई तक होगी मक्का खरीदी
दुर्गूकोंदल | राज्य शासन ने मक्का की खरीदी 1 मई से शुरू कर दी है। खरीदी की अंतिम तिथि 31 मई निर्धारित की गई है। आदिम जाति सहकारी समिति प्रबंधक वीवी गोस्वामी ने बताया कि लैम्पस दुर्गूकोंदल अंतर्गत समर्थन मूल्य पर मक्का की खरीदी 1 मई से शुरू हो गई है। इसमें पंजीकृत किसानों का मक्का समर्थन मूल्य 1760 रुपए में खरीदी की जाएगी। वहीं समर्थन मूल्य पर मक्का खरीदी 31 मई तक की जाएगी। उन्होंने बताया कि मक्का पंजीकृत किसान ही समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं। इसी तरह से विकासखंड के अंतर्गत कोडेकुसे में भी मक्का की खरीदी प्रारंभ की गई है। आदिम जाति सहकारी समिति के प्रबंधक ईश्वर सिंह नेताम ने बताया कि लैम्पस कोडेकुसे मे सरकार के निर्देशानुसार समर्थन मूल्य पर मक्का खरीदी की जा रही है। उन्होंने कहा कि मक्का नमी युक्त नहीं होना चाहिए।
जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सुभद्रा सलाम ने दुर्गूकोंदल पहुंचकर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी व युवा कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कोरोना महामारी में राज्य शासन की ओर से चलाए जा रहे राहत कार्य व योजनाओं की जानकारी ली। कार्यकर्ताओं की बैठक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लिया गया। उन्होंने मनरेगा के कार्य व आदिम जाति सहकारी समिति से केसीसी के माध्यम से किसानों को मिल रहे खाद, बीज व ऋण की जानकारी ली।
पदाधिकारियों ने उन्हें क्षेत्र में विभिन्न कार्यों की की जानकारी दी। पदाधिकारियों ने बताया कि लोगों को किसी प्रकार से कोई समस्या ना हो इसके लिए पर्याप्त मात्रा में रोजगार उपलब्ध कराया गया है। दुर्गूकोंदल प्रवास के दौरान उनके साथ जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष मुकेश ठक्कर, भानुप्रतापपुर नगर पंचायत अध्यक्ष सुनील बबला पाढ़ी, जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष पंकज राज वाधवानी, पार्षद भगवान सिंग, पार्षद नरेंद्र कुलदीप भी पहुंचे। बैठक में ब्लॉक अध्यक्ष सोपसिंग आचला, विधायक प्रतिनिधि हुमन मरकाम, युकां ब्लॉक अध्यक्ष दिनेश महावे, भावसिंह मंडावी, पूर्व जनपद अध्यक्ष सविता ऊईके, तोरण दुग्गा, गोपी बढ़ाई, मनसा मंडावी, अर्जुन टाडिय़ा आदि उपस्थित थे।
छूट मिलने से दूसरे जगह फंसे लोग लौट रहे हैं। मंगलवार को हॉटस्पॉट कवर्धा, कोरबा और कटघोरा क्षेत्र से 17 लोग लौटे हैं। सभी को 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन किया गया है। ब्लड व स्वॉब का सैंपल जांच के लिए रायपुर एम्स भेजा है। सभी हॉटस्पॉट क्षेत्र से लौटे हैं इसलिए अफसर अलर्ट हैं। सभी का सैंपल एम्स भेजकर प्राथमिकता देने का आग्रह अफसरों ने किया है। इनके अलावा कोटा से 25 छात्र और धमतरी लौट रहे है। इनके 8 मई देर-शाम तक आने की संभावना हैं।
निगरानी के लिए डॉक्टरों की लगी ड्यूटी
स्वास्थ्य विभाग ने कुकरेल के पथर्रीडीह और कुरूद के पंचायत भवन को क्वारेंटाइन के लिए चुना है। पथर्रीडीह में 17 और कुरूद पंचायत भवन में 20 लोगों को क्वारेंटाइन किया है। हॉटस्पॉट क्षेत्र कोरबा से 22 लोग आए हैं। पेंड्रा से आए 75 लोगों में से 35 को पंचायत स्तर पर और 40 होम क्वारेंटाइन किया है। ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ते देख अफसरों ने डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई है। हर 3 घंटे में इनकी निगरानी हो रही है।
29 रिपोर्ट का इंतजार
जिले से अब तक 292 सैंपल लिए हैं। इनमें से 263 सैंपल रिपोर्ट निगेटिव आई हैं। 29 लोगों की रिपोर्ट का इंजतार है। सोमवार को भेजे गए 4 की रिपोर्ट भी नहीं आई है। रैपिड किट से 367 लोगों की जांच की गई हैं। सभी की रिपोर्ट निगेटिव हैं।
रेड जोन वाले होंगे जिला स्तर में क्वारेंटाइन
रेड जोन से आने वालों को जिला स्तर के क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। ऑरेंज जोन वाले पंचायत व ग्रीन जोन वाले होम क्वारेंटाइन होंगे। सभी रोज पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और मितानिन के संपर्क में रहेंगे।
अब बुधवार 6 मई यानी आज से सभी दुकानें सुबह 8 बजे से खुलेंगी। यह शाम 4 बजे तक खुली रहेंगी। कलेक्टर ने यह आदेश दिए हैं। दुकानों के खुलने और बंद होने का समय बदल दिया है। कलेक्टर ने अपने आदेश में संशोधन किया है। अब तक दुकानें सुबह 7 बजे से 3 बजे तक खुल रहीं थीं। सुबह एक घंटे देरी से 8 बजे खोलने और शाम को 1 घंटे देरी से 4 बजे बंद करने के आदेश किए हैं। यह आदेश तत्काल लागू हो गए हैं।
शहर की सभी दुकानें सुबह 8 से शाम 4 बजे तक खुलेंगी। हालांकि बाजार का समय बढ़ने के साथ ही बाजार में ग्राहकी बढ़ रही हैं। मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक, कपड़ा, फैंसी स्टोर सहित अन्य दुकानों में भीड़ नजर आई। 40 डिग्री तापमान के बाद भी दुकानों से ज्यादा भीड़ सड़क पर रही। आम दिनों में मंगलवार को शहर की अधिकतर दुकानें बंद रहती है, लेकिन लॉकडाउन के बीच करीब डेढ़ महीने बाद दुकान खोलने की छूट मिलने पर शहर के अधिकतर दुकानें खुलीं रही। सोना-चांदी, कपड़ा, इलेक्ट्रानिक, फैंसी स्टोर्स, ऑटो पार्ट्स, ऑटो मोबाइल, मोबाइल दुकानें, स्टेशनरी सहित अन्य दुकानें खुलीं रही। सदर बाजार, रत्नाबांधा रोड, सिहावा रोड, अंबेडकर चौक क्षेत्र में सुबह से दोपहर तक सड़क में भीड़ रही। गर्मी के कारण सबसे
लोडिंग, अनलोडिंग रात 9.30 से सुबह 6 बजे तक
कलेक्टर रजत बंसल ने मंगलवार को एक और नया आदेश जारी किया। दुकानों का समय सुबह 8 से शाम 4 बजे तक करने के साथ ही आवश्यक सामान की लोडिंग, अनलोडिंग का समय भी रात 9.30 बजे से सुबह 6 बजे के बीच निर्धारित किया है।
17 तक बंद ही रहेंगी पान, गुटखा की दुकानें
लॉकडाउन 3.0 अब 17 मई तक है। धमतरी ग्रीन जोन में है, इसलिए प्रशासन ने दुकान खोलने की छूट दी है, लेकिन पान-गुटखा की दुकान, तंबाखू उत्पादों को अब भी प्रतिबंधित रखा गया है। होटल, रेस्टोरेंट को होम डिलीवरी करने की छूट दी है पर ग्राहकों के पास संचालकों का नंबर नहीं है।
यातायात दबाव बढ़ा पर ट्रैफिक सिग्नल बंद
दुकानें खुलने के साथ अब यातायात का दबाव भी बढ़ रहा है। सुबह 10 से दोपहर 12 बजे के बीच सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। मंगलवार को सदर बाजार, मठ मंदिर चौक, घड़ी चौक के आसपास ज्यादा भीड़ रही। शहर के अंदर से नेशनल हाईवे है, इस कारण हाईवे पर भी दबाव बढ़ गया, लेकिन यातायात पुलिस ने चौराहों में लगे ट्रैफिक सिग्नल चालू नहीं किए हैं। ऐसे में सड़क दुर्घटना की भी आशंका बन रही है।
नगर पंचायत भखारा में लॉकडाउन में जरूरतमंद लोगों को राशन वितरण किया जा रहा है। राशन बांटने के लिए कचरा गाड़ी का उपयोग किया जा रहा। सुबह गाड़ी से कचरा उठाने के बाद उसी गाड़ी में राशन डालकर लोगों को बांटा जा रहा है। इस प्रकार के वितरण से लोगों में नाराजगी है। बोरियां के अंदर के सामान गीले हो रहे, कुछ बोरियों में धूल और कचरा भी लगा मिल रहा है।
लोगों का कहना है कि राशन बांटने की खानापूर्ति की जा रही है। ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश ने कहा कि कचरा गाड़ी में राशन देने लोगों के साथ मजाक है।
साफ कराकर बंटवा रहे
नगर पंचायत भखारा के सीएमओ जगत बहादुर चौहान ने बताया नगर पंचायत भखारा में व्यवस्थित ढंग से राशन का वितरण किया जा रहा है। कचरा गाड़ी को साफ कराकर राशन बांटा जा रहा है। सभी सामग्री व्यवस्थित ढंग से दी जा रही है। राशन किट इंजीनियर के जिम्मे है। गड़बड़ी है, तो पता करवाता हूं।
चना खराब तो पैकेट गायब: नगर पंचायत के संतोष कुमार, हिरामन साहू आदि ने कहा कि राशन किट में चना भी दिया जा रहा है। चने में घुन लगे हुए हैं। राशन के अलग-अलग किट में आलू-प्याज, लहसुन, तेल गायब हैं।
मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर जिला अस्पताल में शिविर भी लगाए जाते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते अब शिविर भी नहीं लग रहे। धमतरी शहरी क्षेत्रों में अस्थमा के मरीज भी सामने आने लगे।
लॉकडाउन से जिला अस्पताल में अब सांस की बीमारी के मरीज कम आ रहे हैं। पहले प्रतिदिन 5 से 6 लोग सांस की तकलीफ लेकर आते थे। जिला अस्पताल की एमडी मेडिसीन डॉ. आभा हिशीकर ने अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में समस्या होती है। अस्पताल में इस बीमारी के मरीजों की संख्या कम हो गई है। वर्ष 2019 में जिले में 168 लोग अस्थमा बीमारी से पीड़ित मिले। इनका उपचार जिला अस्पताल में किया गया। ज्यादा गंभीर हाेने पर एडमिट भी किया जा रहा है। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को सांस की तकलीफ होती है। यह ज्यादातर सिगरेट, बीड़ी, गांजा, पर्यावरण प्रदूषण,धूल अादि से होती है।ॉ
इस बार शिविर नहीं लगा
एनसीडी श्रीकांत चंद्राकर ने कहा कि विश्व अस्थमा दिवस पर जिला अस्पताल में शिविर लगाए जाते थे। कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस वर्ष शिविर नहीं लगा है। जिले में 168 लोग अस्थमा से पीड़ित हैं।
जागरूकता के लिए मनाया जाता है अस्थमा-डे
1998 में पहली बार वर्ल्ड अस्थमा-डे मनाया गया। इसके बाद हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को वर्ल्ड अस्थमा-डे मनाया जाता है। वर्तमान में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। इससे अस्थमा के रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इस बीमारी से छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग जन तक प्रभावित हो रहे हैं। अस्थमा की जागरूकता एवं शिक्षा के लिए इस इस दिन को विश्व में मनाया जाता है।
लॉकडाउन-3 के तहत प्रशासन काफी अलर्ट मोड में आ गया है। इसके तहत शाम 7 बजे के बाद कस्बे में घूमते हुए पाए जाने पर प्रशासन की तरफ से सख्त कार्रवाई की जा रही है। सोमवार शाम को अंता कस्बे में विभिन्न जगह नाके लगाकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
इस दौरान तहसीलदार नवनंदसिंह, अंता थानाधिकारी रूपसिंह, पालिका अधिशासी अधिकारी मनीष गौर, कनिष्ठ अभियंता हरिमोहन प्रजापति की ओर से मय जाब्ते के कस्बे के विभिन्न मार्गों पर 7 बजे बाद निकल रहे लोगों को रोककर उनसे कारण जाना। साथ ही बिना कारण घूमते हुए पाए जाने पर उनके वाहन जब्त करने की कार्रवाई की। इस दौरान मास्क नहीं पहनने वाले लोगों पर भी प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए हिदायत देते हुए छोड़ा।
कार्रवाई के चलते कस्बे में शाम को बिना काम घूमने वालों में खलबली मच गई। अंता तहसीलदार नवनंदसिंह ने बताया कि लॉकडाउन 3 के तहत राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए शाम को 7 से सुबह 7 बजे तक घूमने पर पूर्णरूप से पाबंदी है। ऐसा नहीं करने पर प्रशासन की अाेर से सख्त कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर मास्क नहीं लगाने पर भी जुर्माना वसूल किया।
रॉयपुर में पीलिया लगातार बढ़ रहा है। करीब 700 लोगों में अब तक पीलिया की शिकायत आ चुकी है। कुछ लोगों की मौत भी हो गई है। प्रदेश की राजधानी कोरोना के साथ ही पीलिया का रेड ज़ोन बन गया है। धमतरी पड़ोसी जिला है इसलिए यहां अफसर पहले से सतर्कता रख रहे हैं। कलेक्टर ने खुद सभी नगरों व गांव में साफ पानी देने के लिए जिम्मेदार अफसरों को हिदायत दी है। इसके बाद से सभी नगरों में शुद्ध पानी देने के लिए सतर्कता बढ़ा दी है। नगर निगम ने पानी की जांच के लिए संविदा पर कर्मचारी रखा है। हर रोज जांच की जा रही है।
वार्डों से प्रदूषित पानी की शिकायतों को दूर करने निगम ने एक केमिस्ट श्रेया जाचक को संविदा पर रखा है। ये सभी 9 ओवरहेड टंकियों के अलावा वार्डों में पानी सप्लाई और ट्रीटमेंट प्लांट से हर दिन 20 सैंपल ले रही हैं। सुबह-शाम क्लोरीन की मात्रा की जांच करती है। रिपोर्ट दे रही हैं। इनके अलावा पीएचई की टीम भी हफ्ते में दो दिन सैंपल उठाकर ले जाती है। इनकी रिपोर्ट 2 या 3 दिन बाद निगम को मिलती है।
सुबह-शाम 1.40 करोड़ लीटर पानी की सप्लाई
शहर की 1 लाख 11 हजार की आबादी के लिए 40 वार्डों में 9 ओवर हैंड टंकियां है। सुबह-शाम इनसे राेज 1.40 करोड़ लीटर पानी की सप्लाई हो रही है। 14 एमएलडी क्षमता के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से प्रति व्यक्ति 135 लीटर के हिसाब से हर दिन पानी दिया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में नल से पर्याप्त पानी नहीं पहुंचता, ऐसे मोहल्लों में टैंकर से पानी सप्लाई होती है।
दूर होगी पानी की समस्या
34 करोड़ रुपए से नया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना है। नई टंकी बनाने के लिए प्रस्तावित स्थान की मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट आईआईटी मुंबई से आ गई है। प्लांट बनाने का काम मुंबई की मार्श कंपनी को मिला है, लेकिन लॉकडाउन के कारण काम फिलहाल शुरू नहीं हुआ है। नगर निगम के पास फिलहाल 14.7 एमएलडी का वाॅटर ट्रीटमेंट प्लांट है। इसी के बगल में ही नया प्लांट बनाया जाना है। अफसरों के मुताबिक लॉकडाउन हटने के बाद प्लांट का काम शुरू होगा।
रोज हो पानी की जांच इसलिए केमिस्ट रखे
नगर निगम धमतरी के कमिश्नर आशीष टिकरिहा ने बताया कि शहर में सुबह-शाम मिलकर रोज 1.40 करोड़ लीटर पानी सप्लाई हो रही है। हमारा उद्देश्य हर घर तक शुद्घ पानी पहुंचाना है। पानी की जांच समय पर हो, इसलिए संविदा में एक केमिस्ट को रखा गया है, जो हर दिन 20 जगह से सैंपल लेकर तुरंत जांच करतीं है। कहीं क्लोरीन की मात्रा कम या अधिक होने पर तुरंत सुधार भी किया जाता है। ये जांच लगातार जारी रहेगी।