कातुलबोड़ निवासी कैटरिंग व्यवसायी सूरज सिंह को धमकाने और परेशान करने वाले सूदखोर शैलेश उर्फ कमलेश के खिलाफ गुरुवार को मोहन नगर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया है। पुलिस के मुताबिक, बुधवार सुबह घर से आधा किलोमीटर दूरी पर व्यवसायी का शव पेड़ पर लटका मिला था। पुलिस ने व्यवसायी के जेब से एक सुसाइड नोट बरामद किया था। नोट में सूदखोर द्वारा परेशान करने का जिक्र था। सूदखोर व्यवसायी को पांच लाख रुपए ब्याज समेत लौटाने के लिए दो महीने से धमका रहा था। लॉक डाउन के दौरान कई बार घर पर आकर व्यवसायी और उसकी पत्नी को भी धमकी दे चुका था। मृतक के भाई संजय ने बताया कि लॉकडाउन के कारण भाई सुनील का कैटरिंग का व्यवसाय पूरी तरह बंद हो गया था। जिसके कारण मार्केट से पैसे नहीं मिल पा रहे थे। जिन ग्राहकों से पैसे मिलने थे, वे भी नहीं लौटा रहे थे। सूदखोर पैसे लौटाने के लिए मोहलत देने को तैयार नहीं था। पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया है।
युवक ने सुसाइडल नोट भी छोड़ा है...
मोहन नगर पुलिस ने गुरुवार को कैटरिंग व्यवसायी सूरज निवासी कातुल बोर्ड के आत्महत्या मामले में सूदखोर कमलेश निवासी सेक्टर-10 के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत केस दर्ज कर लिया है। टीआई नरेश पटेल ने बताया कि बुधवार सुबह करीब 5.30 बजे उपवन बार के सामने बबूल के पेड़ पर व्यवसायी का शव लटका मिला था। व्यवसायी ने पेड़ में रस्सी का फंदा बनाकर गर्दन में कस लिया था। उसके पास से मिले सुसाइड नोट के जरिए व्यवसायी की पहचान हो पाई थी। नोट पढ़ने से पता चला था कि सूदखोर से परेशान होकर व्यवसायी ने खुदकुशी की थी। व्यवसायी के भाई संजय ने बताया कि सूदखोर भाभी किरण और तीनों बच्चों को घर आकर कई बार धमका चुका था। भाई ने उससे लाखों रुपए ब्याज पर लिए थे। सुसाइडल नोट में युवक ने सूदखोर का नाम लिखा है।
व्यवसायी के घर से लेनदेन के दस्तावेज जब्त
पुलिस ने गुरुवार शाम कैटरिंग व्यवसायी के घर से पांच लाख रुपए के लेनदेन के दस्तावेज जब्त कर लिया है। कागजों में लिखापढ़ी के मुताबिक ,व्यवसायी ने 6 जनवरी को 2 लाख और 24 फरवरी को 3 लाख रु. सूदखोर से लिए थे। आरोपी ने व्यवसायी से 32 चैक भी ले लिए थे। पैसे मांगने के लिए आरोपी दो दिन पहले घर आकर धमकी देकर गया था। पत्नी व अन्य के बयान भी होंगे।
गुंडे लेकर आता था आरोपी सामान भी ले गया था
पुलिस के मुताबिक,दो महीनों में सूदखोर कई बार कैटरिंग व्यवसायी के घर पर धमकाने आ चुका था । वह गुंडे लाकर मारपीट करने के साथ घर का समान उठा ले जाने की धमकी देता था। इसी वजह से व्यवसायी डर गया था। पुलिस व्यवसायी की पत्नी,बच्चों समेत अन्य परिजन के भी बयान लेगी। पुलिस ने गुरुवार को आरोपी को रायपुर से पकड़कर जेल भेज दिया है।
आईआईटी भिलाई के फिजिक्स के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ध्रुव प्रताप सिंह ने एक नया एक्टिव मैटर का डिजाइन किया है। इसकी सहायता से गर्भ में ही बच्चों की जन्मजात बीमारियों को समझने और दूर करने में मदद किया जा सकता है। सिकलीन, हीमोफिलिया, थैलेसिमिया जैसी बीमारियों के इलाज में कारगर साबित हो सकता है। कैंसर की कोशिकाओं के मूवमेंट को भी जान सकते हैं। यह मैटर कई बीमारियों की रोकथाम में सहयोगी साबित हो सकता है। इस तरह आईआईटी भिलाई ने एक और नई उपलब्धि हासिल की है।
इसे डिजाइन करने के लिए हर दिन 6-7 घंटे लैब में बिताया, रिसर्च प्रकाशन से पहले रिव्यू भी मांगा
एक्टिव मेटर को डिजाइन करने के लिए हर दिन 6-7 घंटे लैब में बिताया। निकलने वाले आउट पुट पर जर्मनी और स्पेन के वैज्ञानिकों से चर्चा होती रही। इसके बाद सभी के सहयोग से इसकी रिपोर्ट तैयार की। फिर प्रकाशन के लिए नेचर क्रिएशंस को भेजा। प्रकाशन के पहले 5 बिंदुओं पर रिव्यू मांगा गया। उसे प्रैक्टिकल करके दिखाया गया। रिसर्च की सारी जानकारी दी गई। तब दूसरी बार में रिसर्च को प्रकाशित किया। एक्टिव मैटर में काम कर रहे वैज्ञानिकों से मूल्यांकनकर्ताओं ने चर्चा भी की।
जर्मनी में डेढ़ साल रहकर डॉ. ध्रुव ने काम किया
डॉ. सिंह ने बताया कि इस काम के लिए जर्मनी में करीब डेढ़ साल रहे। वहां एक्टिव मेटर की सारे प्वाइंट्स पर काम किया। वैज्ञानिकों से डिस्कशन भी किया गया। इस काम में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंट सिस्टम्स, जर्मनी और सेविले विश्वविद्यालय स्पेन के वैज्ञानिकों का डॉ. सिंह को सहयोग मिला। शोध को अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका नेचर कम्युनिकेशंस ने स्वीकार किया है। एक्टिव ेटर के काम को प्रमाण मिला है। इसके विभिन्न पहलुओं पर विश्व के अन्य वैज्ञानिकों से चर्चा भी हुई है।
आकार बदलता रहता है यह मैटर, इसलिए फायदा
डॉ. सिंह ने बताया कि जैसे हम छोटी मछलियों के समूह को पानी में तैरते देखते हैं या फिर पक्षियों के समूह को हवा में उड़ते हुए। उस दौरान वह विभिन्न आकृतियों में दिखाई देती है, ठीक उसी तरह यह एक्टिव मेटर भी होता है। इसका स्वरूप और मूवमेंट दोनों पल पल बदलते रहता है। इसे एक्टिव मैटर नाम दिया गया है। विश्व में लगभग 6 स्थानों पर काम चल रहा है। उसमें अपना भिलाई भी शामिल है। स्वरूप बदलने की प्रक्रिया को जानने की कोशिश की जा रही है, ताकि कई बीमारियों का उपचार हो।
इस लॉकडाउन के दौर में लोगों की मदद के लिए लोग सामने आ रहे हैं। लखोली बैगापारा वार्ड 33 की पार्षद दुलारी साहू ने अपने वार्ड व आसपास की जनता के लिए बेहतरीन पहल की है। पार्षद दुलारी साहू की ओर से 2500 किलो (25 क्विंटल) सब्जी का वितरण वार्ड में किया गया। भिंडी और लौकी की ताजा सब्जी का वितरण वार्ड के सभी घरों किया गया है। आसपास के वार्डों के लोगों के लिए भी पार्षद दुलारी ने सब्जी भिजवाई है। पार्षद दुलारी ने कहा कि इस लॉकडाउन के समय में लोगों के पास काम नहीं है। सभी घर में रहकर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में लोगों के घरों में राशन से लेकर अन्य जरूरत का सामान वितरण करना हम सबकी जिम्मेदारी है। पाष्रद दुलारी ने बताया कि लॉकडाउन के समय राशन का वितरण भी किया जा रहा है। प्रदेश की भूपेश सरकार और राजनांदगांव की हेमा देशमुख की शहर सरकार गरीबों की मदद के लिए कई योजनाएं चला रही है। एकसाथ तीन-तीन महीने का राशन वितरण किया गया। अन्य राज्यों में फंसे लोगों को छग लाने के लिए सरकार ने पहल की है।
कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य ने वीडियो काॅन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी एसडीएम, सीएमओ और सीईओ जनपद पंचायत से कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की अवधि में अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिकों एवं क्वारेंटाइन के संबंध में दिशा-निर्देश दिए। कलेक्टर मौर्य ने कहा कि सभी टीम वर्क में अच्छा काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत श्रमिकों की संख्या और बढ़ाए। अभी 2 लाख से अधिक श्रमिक हैं। जो श्रमिक अन्य राज्य कार्य के लिए गए थे उन्हें भी यहां कार्य करने दें। उन्होंने कहा कि भूमि सुधार के कार्य भी मनरेगा के तहत स्वीकृत किए जाएंगे। उन्होंने ग्राम पंचायतों में क्वारेंटाइन सेन्टर के संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सचिव, एएनएम एवं मितानिन पूरी सावधानी के साथ क्वारेंटाइन सेन्टर में जा सकते हैं, इसके अलावा किसी अन्य को अनुमति नहीं होगी। उन्होंने आरबीसी 6-4 एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कार्य भी करने कहा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने कहा कि मलेरिया, टीबी, टाइफाइड पर ध्यान देने की जरूरत है। अपर कलेक्टर ओंकार यदु, जिला पंचायत की सीईओ तनुजा सलाम, नगर निगम आयुक्त चंद्रकांत कौशिक, एसडीएम राजनांदगांव मुकेश रावटे, ईडीएम सौरभ मिश्रा सहित काॅन्फ्रेसिंग में सभी एसडीएम, सीएमओ और जनपद पंचायतों के सीईओ जुड़े थे।
मक्का खरीदी शुरू नहीं किए जाने से वनांचल के किसान सोसायटी का चक्कर काट रहे हैं। इलाके के किसानों की समस्याओं एवं उनकी मांगों को देखते हुए खुज्जी विधायक छन्नी चंदू साहू ने मुख्यमंत्री से मिलकर खुज्जी विधानसभा क्षेत्र के किसानों को राहत देने के लिए मक्का खरीदी शुरू कराने की मांग की है। ब्लॉक के ग्राम बांधाबाजार, जादूटोला, जोरातराई, थुहाडबरी, तोयागोंदी के किसान राजू सुखदेवे, चैनसिंह गजभिये, बेहर सिंह, शोभाराम साहू, मनीराम साहू, संतोष ठाकुर, झगन साहू, मोहन सिन्हा, फकीर सिंह ने बताया कि सोसायटी में मक्का खरीदी शुरू नहीं होने से वे काफी परेशान हैं। क्षेत्र के 60 से अधिक किसानों ने स्थानीय विधायक को ज्ञापन सौंपकर किसानों की समस्याओं के निराकरण की मांग की है। विधायक ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर मक्का का फसल लेने वाले किसानों की समस्याओं को सामने रखकर जिले में मक्का खरीदी समर्थन मूल्य में शुरू कराने की मांग की है। मुख्यमंंत्री ने आश्वासन दिया है।
क्षेत्र के किसान मक्का बेचने के लिए परेशान
किसानों ने बताया कि खरीफ के सीजन में मक्का के लिए पंजीयन हो रहा था पर उस समय वे धान की फसल लेते थे इसलिए मक्का का पंजीयन कराने से चूक गए। इसलिए वे सोसायटी में मक्का बेच नहीं पा रहे हैं। किसानों ने विधायक के माध्यम से मुख्यमंत्री से फरियाद की है उनकी मक्के के फसल को सोसायटी में समर्थन मूल्य में खरीदी की जाए। वहीं जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक प्रबंधक एलके सोनी ने बताया कि मक्का की खरीदी ब्लाॅक के बांधाबाजार सोसायटी में होती है, पर इस सोसायटी में मात्र एक किसान का पंजीयन हुआ है। इसलिए सोसायटी में मक्का नहीं बेच पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि मक्का की खरीदी के लिए जल्द से जल्द व्यवस्था की जाए ताकि हमारी फिक्र दूर हो और हम आगामी सीजन की खेती की तैयारी कर सकें।
अपने स्वाद के लिए मशहूर खुज्जी का लंगड़ा आम खराब मौसम की मार के चलते इस साल लोगों को खाने को नहीं मिलेगा। लंगड़ा आम के नाम से प्रसिद्ध खुज्जी आम बगीचा खराब फसल के चलते इस बार वीरान है। डोंगरगांव से तीन किलोमीटर दूर शिवनाथ नदी के तट पर नवाज शाही के दौर से अपने स्वाद के लिए मशहूर लंगड़ा आम बगीचा में इस सीजन में नहीं हो पाया है। मौसम की मार के चलते बगीचे में सैकड़ों पेड़ों पर फल नहीं लग पाया है और कुछ एक गिने-चुने पेड़ों पर लगे आम के फलों की बचने की संभावना कम है। ऐसे आम के शौकीनों को अबकी बार लंगड़ा आम खाने को नहीं मिलेगा।
ओलवृष्टि व मौसम की खराब का दिखा असर: इस साल गर्मी में लंगड़ा आम का फल पेड़ पर कुछ भी नहीं लग पाया है। बगीचे के माली कहते हैं मौसम की खराबी के चलते वह बर्फबारी होने से आम के पेड़ों पर फल नहीं लग पाया है। ऐसा कभी-कभी होता है और इस वर्ष गिने-चुने पेड़ों पर ही कुछ फल आया है। लोग प्रतिदिन बगीचे से वापस खाली थैला लेकर लौट रहे हैं। खुज्जी का लंगड़ा आम खाने के लिए आने वाले साल का इंतजार लोगों को करना पड़ेगा।
100 वर्षों से अधिक समय इस बगीचे की शान आज भी
खुज्जी का लंगड़ा आम ना सिर्फ इस क्षेत्र में प्रसिद्ध है अपितु मुंबई, दिल्ली, बैंगलुरू सहित छत्तीसगढ़ के सभी शहरों में अपने स्वाद के लिए मशहूर है। खुज्जी का यह बगीचा जमींदारी प्रथा के दौर में खुज्जी नवाब द्वारा लगवाया गया था। 100 वर्षों से अधिक समय से इस बगीचे की शान आज भी बरकरार है। लगभग 20 एकड़ से अधिक इस बगीचे में प्रत्येक सीजन में भीनी खुशबू बिखेरता है। इस बगीचे की नकल करने की कोशिशें भी हुई लेकिन अभी तक लंगड़ा आम का पौधा तैयार नहीं हो पाया। यही कारण है कि लोग गर्मियों में इस बगीचे में दूर-दूर से पहुंचकर खरीदारी करने आते हैं।
सूची में नाम नहीं होने के कारण झारखंड के मजदूरों को बस में चढ़ने से रोक दिया गया, इसलिए उन्हें कलेक्टोरेट परिसर में ही रात गुजारनी पड़ी। बेहतर व्यवस्था नहीं होने की वजह से भोजन के लिए भी मोहताज होना पड़ा।
अब प्रशासन ने किरकिरी से बचने के लिए मजदूरों को शहर में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर (रैनबसेरा) में भेज दिया है, जबकि प्रशासन ने रैनबसेरा को संक्रमण संवेदनशील एरिया घोषित कर रखा है। ऐसे में मजदूरों को संक्रमण का खतरा बना हुआ है।
दूसरे राज्यों से लोगों को रैन बसेरा में क्वारेंटाइन कर रखा गया है। देश के विभिन्न महानगरों से आए लोगों में कोरोना संक्रमण होने की आशंका है। ऐसे में रैन बसेरा में लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है, फिर भी झारखंड के छह मजदूरों को इस सेंटर में भेज दिया गया है, जो कि बड़ी लापवाही साबित हो सकती है। सिविल कंट्रक्शन एरिया में काम करने वाले कई मजदूर दूसरे राज्यों से हैं। कुछ लॉकडाउन से पहले चले गए, कुछ लॉकडाउन की वजह से राजनांदगांव शहर व जिले में फंस गए हैं। इसमें से झारखंड के भी मजदूर थे। प्रशासन ने बस के जरिए मजदूरों को झारखंड भेजने का फैसला किया था, इसके लिए मजदूरों की सूची मंगाई गई थी। श्रम विभाग को मजदूरों को भेजने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन श्रम विभाग के अफसरों का कहना है कि सूची में कम नाम दिए गए थे, ऐसे में सभी मजदूरों को भेज पाना मुश्किल था, इसलिए कुछ मजदूरों को यहीं रुकवा दिया गया। ठहरने की व्यवस्था नहीं थी इसलिए ठेकेदार के पास वापस भेजा गया था, लेकिन उसने मजदूरों को भगा दिया, इसलिए वे कलेक्टोरेट परिसर में रह रहे थे।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए अब मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में बेवजह प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है। अस्पताल के भीतर वार्डों में अब गेट पास के साथ ही प्रवेश मिलेगा। एक मरीज के साथ केवल एक ही परिजन को अनुमति रहेगी।
गुरुवार को मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से इसके लिए आदेश जारी कर दिया गया है। इस आदेश का पालन भी सख्ती से करने की हिदायत दी गई है। हॉस्पिटल से मिली जानकारी मुताबिक संक्रमण काल के दौरान वार्डों में बेवजह की भीड़ न हो इसे देखते हुए ये फैसला लिया गया है। ओपीडी के बाद वार्डों में दाखिल होने वाले मरीजों के साथ केवल एक ही व्यक्ति का गेट पास बनाया जाएगा। इसके लिए 10 रुपए का शुक्ल भी लिया जाएगा। हालांकि डिलवरी के लिए पहुंचने वाली महिलाओं के साथ दो लोगों को प्रवेश की अनुमति मिलेगी। इन दो लोगों से भी शुल्क लेकर ही गेट पास बनाया जाएगा। इसके अलावा किसी भी स्थिति में अन्य व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। शुक्रवार से ये व्यवस्था पूरी सख्ती के साथ लागू हो जाएगी। हॉस्पिटल की सुरक्षा में तैनात गार्डों को भी सख्ती की हिदायत दे दी गई है।
7 दिन के लिए होगी वैधता, नवीनीकरण कराना होगा
एक गेट पास की अधिकतम वैधता सात दिन के लिए होगी। इसके बाद भी अगर मरीज हॉस्पिटल में दाखिल रहा, तो परिजन को अपने गेट पास का नवीनीकरण कराना होगा। इसके लिए 5 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। उक्त रकम स्वशासी फंड में जमा की जाएगी। प्रबंधन का दावा है कि इस प्रयास के बाद अस्पताल में बेवजह का प्रवेश रुकेगा, वहीं संक्रमण काल के दौरान भीड़ की स्थिति से भी निजात मिल सकेगी।
28 दिन रहेंगे क्वारेंटाइन में तेंदूपत्ता से जुड़ेे व्यापारी
कोरोना वायरस के संक्रमण के बचाव के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण, भंडारण, परिवहन आदि कार्य के लिए दूसरे राज्य के क्रेताओं एवं उनके प्रतिनिधियों को छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने पर क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। इसके लिए वन मंडल क्षेत्र राजनांदगांव एवं खैरागढ़ में क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य ने बताया कि वनमंडल क्षेत्र राजनांदगांव के लिए होटल अमोरा पैलेस रेवाडीह, होटल कंवर पैलेस स्टेशन रोड एवं कन्या शिक्षा परिसर अम्बागढ़ चौकी व वनमंडल क्षेत्र खैरागढ़ के लिए पोस्ट मैट्रिक बालक छात्रावास ग्राम अकरजन एवं सेन्ट्रल पाइंट लॉज डोंगरगढ़ को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। संस्थानों को तत्काल प्रभाव से क्वारेंटाइन सेंटर के लिए अधिग्रहण कर दिया गया है। होटल का व्यय क्वारेंटाइनसेंटर में ठहरने वाले वहन करेंगे। क्वारेंटाइन किए गए लोगों को 28 दिनों तक क्वारेंटाइन सेंटर में रहना होगा। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रवेश करने के पश्चात् वे केवल क्वारेंटाइन सेंटर में ही रहेंगे। उन्हें कार्यक्षेत्र एवं क्वारेंटाइन सेंटर में मास्क व सैनिटाइजर का नियमित उपयोग करना होगा।
तीन महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में मना करने के बावजूद उपसरपंच का प्रत्याशी उतारना सरपंच सहित गांव के 11 परिवारों को महंगा पड़ गया। गांव के कथित प्रमुखों ने सरपंच सहित 11 परिवार के सभी सदस्यों को गांव से बहिष्कृत कर दिया गया है। उन्हें इसके लिए 7 लाख रुपए का जुर्माना जमा करने का भी फरमान सुनाया गया है।
मामला डोंगरगढ़ ब्लाक के ग्राम पंचायत मुड़पार का है। इस पंचायत में छोटे मुड़पार नामक आश्रित ग्राम भी मौजूद है। पीड़िता सरपंच लता ठाकरे ने बताया कि चुनाव के पहले दोनों गांव के कुछ प्रमुखों ने सरपंच प्रत्याशी बड़े मुड़पार और उपसरपंच का प्रत्याशी छोटे मुड़पार से चुनने का फरमान जारी किया था, तब चुनाव में बड़े मुड़पार से वह जीतकर आई। इसके बाद उन्हीं के गांव के दूसरे व्यक्ति ने उपसरपंच का पर्चा भरा और सभी 11 परिवार ने उसके समर्थन में भी काम किया। इसी को फरमान नहीं मानने की सजा और मनमानी बताकर गांव के प्रमुखों ने सभी परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया है। सरपंच लता ठाकरे सहित पीड़ितों ने मामले की शिकायत पुलिस से की है। एएसपी जीएन बघेल ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से मामले नहीं सुलझाया जा सका था। जल्द ही दोनों पक्षों के बीच बातचीत कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। अन्यथा नियमत: कार्रवाई की जाएगी। चुनाव के बाद से ही इन परिवारों को गांव से बहिष्कृत कर दिया गया है। इन परिवार के किसी भी कार्यक्रम में गांव का कोई दूसरा सदस्य नहीं जा रहा है।
हुक्का-पानी बंद, गांव में मवेशी चरने नहीं दे रहे
पीड़ितों ने पुलिस को बताया कि गांव में सामान्य ढंग से जीवन यापन की वापसी के लिए उन्हें 7 लाख रुपए का जुर्माना जमा करने कहा गया है। इनमें अलग-अलग परिवार से 1 लाख से लेकर 2.50 लाख रुपए तक के जुर्माने की सूची दी गई है। पीडितों के मुताबिक वे पहले कई बार इन ग्राम प्रमुखों के पास जाकर विनती कर चुके है। हुक्का पानी बंद होने के चलते अब उनके मवेशियों को भी गांव के चारागाह में जाने नहीं दे रहे हैं।
23 लोगों के खिलाफ की गई नामजद शिकायत
ग्रामीणों ने इस पूरे मामले में 23 लोगों के खिलाफ नामजात शिकायत की है। पीड़ितों ने बताया कि ये खुद को दोनों गांव का प्रमुख बताते है, और खुद के फैसले को मानने के लिए सभी ग्रामीणों पर दबाव बनाते है। इनकी बातों की अनदेखी कर देने वालों को जुर्माना और गांव से बहिष्कृत कर देने की लगातार धमकी दी जाती है। ग्रामीणों ने पुलिस से मांग की है कि मामला दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
पीड़ित परिवार ने अब पुलिस व प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।
यहां किसी तरह के बैंड बाजे बजे और न ही कोई बारात पहुंचा। पिता ने अपने हालात बताकर शादी की परमिशन ली थी।एसडीएम की परमिशन के बाद गुरुवार को शंकरपुर में एक समारोह संपन्न हुआ, वह भी सादगीपूर्वक। सिर्फ पंडित थे और घर वाले। वो भी सीमित संख्या में। दूल्हा-दुल्हन ने मास्क पहनकर रस्में अदा की, पंडित ने भी सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सारी रस्में करवाई।
शंकरपुर में यह विवाह संपन्न हुआ है। शंकरपुर निवासी तोरण ने अपने बेटे डिगेश्वर का विवाह पटपर की पूजा पिता गणेशराम के साथ कराने की अनुमति मांगी थी। यह विवाह यूं तो एक अप्रैल को होना था। लॉकडाउन की वजह से इसे टाल दिया गया। शादी के लिए घर में रखे सामान खराब होने लगे थे। इस वजह से तोरण ने परमिशन ली और गुरुवार को शादी संपन्न कराई। लॉकडाउन के कारण शादी सहित अन्य आयोजन के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है।
दूसरे राज्यों से लौट रहे मजदूरों से कोराेना संक्रमण के खतरे के बीच राहत वाली खबर सामने आई है। जिले में अब तक लौटे 14 हजार 700 मजदूरों में कोरोना का कोई लक्षण नहीं पाया गया है। इन मजदूरों को किसी तरह के सर्दी, खांसी या बुखार की भी शिकायत नहीं है। वहीं अब तक 9 हजार से अधिक लोगों ने 28 दिन का क्वारेंटाइन पीरियड भी पूरा कर लिया है। इनमें मजदूरों के अलावा ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो दूसरे राज्यों से जिले में लौटे हैं।
जिले में रोजाना बड़ी संख्या में मजदूरों की आमद जारी है। आंकड़ों के मुताबिक अब तक जिले में 21 हजार से अधिक मजदूरों की इंट्री हो चुकी है। इन मजदूरों से संक्रमण के खतरे की आशंका भी बनी हुई है। लेकिन अब तक जिले में ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हुई है। सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने बताया कि दूसरे राज्यों से पहुंच रहे मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच लगातार जारी है। अब तक 14,700 मजदूरों की जांच की जा चुकी है। शेष मजदूरों की जांच भी जारी है। पंचायत लेवल में ही स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात है, शिकायत मिलने पर जांच कर रहे हैं।
अतिसंवेदनशील क्षेत्र को निरंतर सैनिटाइज करने कहा
राजनांदगांव जिला बागनदी बॉर्डर से लगा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 आवागमन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। जिले में महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूरों के साथ ही अन्य राज्य के मजदूर भी अपने राज्यों को जाने के लिए निरंतर आने लगे। उनका आश्रय स्थल रैनबसेरा बनाया गया। कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य रैनबसेरा जाकर निरीक्षण कर रहे हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस अतिसंवेदनशील क्षेत्र को निरंतर सैनिटाइज करने के लिए निर्देश दे रहे हैं। यहां स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जा रहा है।
गांव के भीतर एंट्री पर रोक, स्कूलों में क्वारेंटाइन किए
जिले में रोजाना मजदूरों की आमद जारी है। प्रशासनिक अमले ने अब तक 14 से अधिक मजदूरों की जांच तो कर ली है। लेकिन आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और दूसरे हिस्सों से आने वाले मजदूरों की संख्या 21 हजार के पार पहुंच गई हैं। इनकी जांच भी पंचायतों में जारी होने का दावा किया जा रहा है, सभी की निगरानी भी हो रही है। लेकिन जब तक इन मजदूरों की जांच की रिपोर्ट और स्वास्थ्य की स्थिति की पुष्टि नहीं हो जाती, संशय रहेगा। स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल यूनिट को अब तक किसी भी पंचायत से मजदूरों के सेहत बिगड़ने या रैपिड टेस्ट की स्थिति के लिए कॉल नहीं मिला है।
क्वारेंटाइन टाइम पूरा होते ही मिली राहत
मजदूरों सहित दूसरे राज्यों से लौटे लोगों को तत्काल क्वारेंटाइन किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक अब तक ऐसे 9 हजार लोगों ने अपना 28 दिन का क्वारेंटाइन पीरियड पूरा कर लिया है। इन 28 दिनों में 9 हजार लोगों में किसी तरह की स्वास्थ्यगत कोई शिकायत सामने नहीं आई है। इससे भी स्वास्थ्य विभाग ने राहत की सांस ली हैं। वर्तमान में जो क्वारेंटाइन सेंटर में मौजूद हैं, वहां भी सतत निगरानी जारी है, लेकिन अब तक किसी की सेहत नहीं बिगड़ी है। स्वास्थ्य अमला इन पर नजर रखे है।
गांव जाने की खुशी कहा अब जान में जान आई
हैदराबाद से आए श्रमिक गोवर्धन एवं उनकी पत्नी संतोषी की बातों से खुशी साफ झलक रही थी। उन्होंने कहा कि हमर अपन गांव जाए के अब्बड़ खुशी लगथे। वहां सरकार मदद कर रही थी लेकिन परेशान होने लगे थे। कल वे विचारपुर रवाना होंगे। हैदराबाद से आए श्रमिक देवराज कोशले ने कहा कि अब जब वापस छत्तीसगढ़ आ गए हैं, तब जान में जान आई है। जैसे ही जानकारी मिली कि लॉकडाउन में वापस घर जा सकते हैं, पत्नी दृष्टि कोशले एवं अपनी नन्ही बच्ची नीतू कोशले को लेकर निकल पड़े। उन्होंने यहां की व्यवस्था को बेहतर बताया।
आप भी रहें अलर्ट
लापरवाही जारी जो बढ़ा सकती है दिक्कतें
मनमानी: गांवों में मजदूरों काे स्कूल या भवनों में क्वारेंटाइन किया गया है। लेकिन कई जगहों पर मजदूरों की मनमानी भी जारी है। क्वारेंटाइन सेंटर से बाहर निकल कर गांव में घूम रहे हैं। इसकी शिकायत भी पुलिस व प्रशासन तक पहुंच रही है। ऐसे मामले में एफआईआर तक हो चुकी है। ऐसी हरकतें संक्रमण का खतरा बढ़ा रही है।
अनदेखी: ग्रीन जोन के चलते बाजार में राहत दी गई है। लेकिन लोगों की भीड़ अब संक्रमण के खतरे की अनदेखी कर रही है। बाजार से लेकर सभी व्यावसायिक हिस्से में सामान्य दिनों की तरह भीड़ जुट रही है। पुलिस की समझाइश के बाद भी लोग बेवजह घरों से बाहर आ रहे हैं।
सूचना दें: शहर सहित जिले के कई हिस्सों में लोग दूसरे राज्यों से लौटने के बाद भी प्रशासन को सूचना नहीं दे रहे हैं। ऐसी कई शिकायतें हाल ही में सामने आ चुकी है।
सैंतालीस दिनों बाद जिले के उपपंजीयक कार्यालय शुरू हुए। रजिस्ट्री कराने के लिए आइंटमेंट अनिवार्य होने के कारण 90 लोगों ने ई-अपाइंटमेंट के लिए आवेदन किया था, लेकिन रजिस्ट्री कराने केवल 45 लोग ही पहुंचे। सरकार को इससे पहले ही दिन 16 लाख 69 हजार 930 रुपए राजस्व प्राप्त हुए।
पिछला वित्तीय वर्ष मार्च माह समाप्त होने के अंतिम दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देश भर में लॉकडाउन हो गया। वैसे मार्च के अंतिम दिनों में ही रजिस्ट्री अधिक होती है, लेकिन सभी कार्यालय बंद होने के कारण 20 मार्च के बाद से कहीं रजिस्ट्री नहीं हो सकी। इसके बाद 45वें दिन उप पंजीयक कार्यालय खोलने का आदेश हुआ। 4 मई से कार्यालय खुलने थे, लेकिन उप पंजीयक कार्यालयों को भी अ, ब और स श्रेणी में विभाजित कर उनके खुलने के लिए अलग अलग दिन निर्धारित किए गए। अ वर्ग के उप पंजीयक कार्यालय रोज खोले जा रहे हैं वहीं ब वर्ग के लिए दो दिन बुधवार और शुक्रवार निर्धारित किया गया है तथा स वर्ग के उप पंजीयक कार्यालय में केवल एक दिन बुधवार को ही रजिस्ट्री होगी।
अपाइंटमेंट लेकर एक मिनट भी लेट पहुंचने पर नहीं हो सकेगी रजिस्ट्री
जमीन की खरीदी बिक्री के लिए ई आइंटमेंट अनिवार्य किया गया है। विक्रेता को संपूर्ण दस्तावेज के साथ पंजीयक कार्यालय में उनके लिए निर्धारित समय से कम से कम दस मिनट पहले पहुंचना होगा। ताकि उनके दस्तावेजों की जांच की जा सके। इसे ऐसे समझें यदि किसी व्यक्ति को 12 बजे का समय मिला है तो उसे 11:50 बजे तक हर हाल में उपपंजीयक के सामने दस्तावेजों सहित उपस्थित होना पड़ेगा। क्योंकि दस्तावेजों की जांच पहले उप पंजीयक करेंगे, फिर उन पेपर्स की जांच के बाद कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा उसकी स्कैनिंग की जाएगी। इसके बाद फिर रजिस्ट्री का प्रोसेस शुरू होगा, यदि नियत समय पर नहीं पहुंचे तो आइंटमेंट का वह समय स्वयं ही कैंसिल हो जाएगा।
जिले के 7 कार्यालयों में हुई रजिस्ट्री, ये आज भी खुलेंगे
जिले में कुल नौ उप पंजीयक कार्यालय हैं। इनमें से सात जांजगीर, चांपा, अकलतरा, सक्ती, पामगढ़, जैजैपुर और नवागढ़ को रजिस्ट्री की संख्या के आधार पर ब वर्ग में रखा गया है। ये सभी रजिस्ट्रार कार्यालय सप्ताह में दो दिन यानि बुधवार और शुक्रवार को खुलेंगे। वहीं मालखरौदा और डभरा को स वर्ग में रखा गया है। इन दोनों कार्यालयों में केवल बुधवार को ही रजिस्ट्री होगी।
कहां कितनी रजिस्ट्री हुई पहले दिन
तहसील ईअपाइंटमेंट उपस्थित रजिस्ट्री राजस्व
जांजगीर 18 05 05 4,30,440
सक्ती 12 07 07 1, 67, 085
चांपा 02 02 02 1, 06, 280
डभरा 08 06 06 3, 27, 410
पामगढ़ 08 04 04 77,490
मालखरौदा 01 0 0 0
जैजैपुर 19 09 07 1,69,730
नवागढ़ 17 08 08 2,75, 800
अकलतरा 05 04 04 1, 15, 695
डेटा स्त्रोत: जिला पंजीयक कार्यालय
एक-एक कर तीन को ही प्रवेश की अनुमति
जांजगीर के उप पंजीयक अमित शुक्ला ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सरकार के गाइडलाइन के अनुसार सेनिटाइजेशन की पूरी व्यवस्था की गई है। फिजिकल डिस्टेंसिंग के लिए रस्सी भी लगाई गई है। अधिक लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। पहले विक्रेता को बुलाया जाता है फिर क्रमश: क्रेता व एक गवाह को ही बारी बारी से प्रवेश की अनुमति है।
लेना होगा ई अपाइंटमेंट, आरोग्य सेतु एप भी जरूरी, तभी हो सकेगी कार्यालय में एंट्री
जिला पंजीयक बीएस नायक ने बताया रजिस्ट्री कराने वाले पक्षकार को विभाग के पोर्टल https://epanjeeyan.cg.gov.in/IGRPortalWeb में जाकर ई आइंटमेंट लेना होगा। कार्यालय में प्रवेश करने वालों केलिए यह भी अनिवार्य है कि वे अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड रखें ताकि उनके स्वास्थ्य की जानकारी हो सके।
लाॅकडाउन में राज्य से बाहर कार्य व मजदूरी करने वाले विषम परिस्थिति में हैं। सरकार अपने-अपने राज्यों के बाहर ठहरे हुए लोगों की सूची तैयार कर उन्हें उनके निवास तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है। नगर के नेहरू स्कूल में साइकिल फिंटिंग काम में लगे 11 में से 6 मजदूर लाॅकडाउन में फंसे हैं। उनके रहने व खाने की व्यवस्था सर्व समाज संगठन कर रहा है। वहीं झारखंड निवासी 5 लोगों को वाहन की व्यवस्था कर उनके राज्य के लिए भेज दिया गया। लेकिन ओडिशा, पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश के 6 लोग अब भी नहीं जाने से परेशान हैं। लाॅकडाउन के शुरुआती दौर में हर दो दिन के अंतराल में अधिकारी व तहसीलदार निगरानी करने पहुंचते थे| तहसीलदार सूची तैयार कर नाम, पता, मोबाइल व आधार कार्ड नंबर लेकर जा चुके हैं। तहसीलदार कहते हैं कि आप सभी अपनी व्यवस्था से जा सकते हैं। मजदूर एसके मुश्ताक, एसके खैरूददीन, शेख इब्राहिम, शेख इमरान उर्फ रिंकु, तपन महतो व बल्लू मानकर ने बताया कि 22 मार्च के एक दिन पहले ही हमारा पूरा काम समाप्त हो गया था। एसडीएम ऋषिकेश तिवारी ने बताया शासन स्तर पर प्रयास चल रहा है। यदि स्वयं की व्यवस्था से जाना चाहते हैं तो उनके लिए पास की व्यवस्था करा दी जाएगी।
लॉकडाउन के दौरान चिखलाकसा नगर पंचायत के 1 वार्ड में गुटखा का अवैध कारोबार का भंडाफोड़ हुआ है। बालाजी वेफर्स लिखी गाड़ी से अवैध जर्दायुक्त गुटखा परिवहन मामले में दल्लीराजहरा पुलिस राजस्व व चिखलाकसा नगरीय प्रशासन की टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की है।
गुरुवार को सुबह मुखबिर की सूचना पर संयुक्त टीम ने दल्लीराजहरा के किराना व्यवसायी विनय एजेंसी की दुकान पर छापामार कार्रवाई शुरू की। इस बीच इसी दुकान के पास एक निजी (बालाजी) वेफर्स कंपनी की मालवाहक गाड़ी को ले जाते वक्त तलासी ली गई। जिसमें से 6 बोरे बंद रखा गया था। जिसको तत्काल पुलिस ने थाने में खड़ा करवाया और एक बोरी को खोलकर जांच करने पर पान राज जर्दायुक्त गुटखा बरामद हुआ। इसके बाद चिखलाकसा पंचायत क्षेत्र में रखे गोदाम की जांच की गई। जहां पर करीब 110 बोरी पान मसाला व जर्दा गुटखा होने की पुष्टि के बाद गोदाम को सील कर दिया गया। दल्लीराजहरा पुलिस ने विनय एजेंसी के मालिक अमित जैन द्वारा अवैध परिवहन करते हुए बालाजी वेफर्स लिखी हुई गाड़ी से पान राज गुटखा बरामद किया। गाड़ी को भी जब्त की। दल्लीराजहरा के टीआई ने बताया कि मामले की आगे जांच चल रही है।
जिले के एकमात्र शक्कर कारखाना करकाभाट में इस सीजन पेराई सत्र खत्म होने के बाद भी आय-व्यय कितना हुआ है, इसको लेकर बैठक नहीं हो पाई है। अफसर तर्क दे रहे हैं कि लॉकडाउन के कारण अभी हिसाब नहीं कर पाए हैं। जबकि राज्य शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि कारखाना घाटे में चल रहा है इसलिए प्रबंधन से जवाब मांगा गया है। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संज्ञान लेकर दो सप्ताह में जवाब देने कहा है, ताकि वास्तविकता जान सकें।
पिछले साल की तुलना में इस सीजन रिकवरी 0.37% बढ़ा है पर शक्कर उत्पादन 40% कम हुआ है। लिहाजा नुकसान तय है। महाप्रबंधक पीतांबर ठाकुर कह रहे हैं कि फायदा नहीं होगा लेकिन घाटा भी कम होगा। फिलहाल शक्कर कारखाना 48 करोड़ 41 लाख 99 हजार रुपए के घाटे में चल रहा है। जिसकी पुष्टि खुद कारखाना महाप्रबंधक व संचालक बोर्ड अध्यक्ष कर रहे हैं। जबकि वर्ष 2009 में कारखाना तैयार होने में ही 50 करोड़ रुपए की लागत आई थी। अब नए सिरे से जवाब प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं।
1 किलो शक्कर बनाने में खर्च 37 रु., बेच रहे 31 में
कारखाना प्रबंधन के अनुसार एक किलो शक्कर बनाने में 37 रुपए खर्च हो रहा है। जिसमें गन्ना से लेकर कर्मचारियों के मजदूरी लागत शामिल है, जबकि एक किलो शक्कर 31 रुपए या इससे कम में बिक रहा है यानि आय और व्यय में ही 6 रुपए का अंतर है। यह इसलिए हो रहा है कि क्योंकि रिकवरी प्रतिशत 10 के नीचे ही है।
पांच महीने लगातार पहुंचे गन्ना तब दूर होगी समस्या
कारखाना में लगातार पांच माह तक पेराई के लिए 3500 हेक्टेयर यानि दो लाख मीट्रिक टन गन्ने की जरूरत है। लेकिन 5 जिले से गन्ना मंगाने के बाद भी यह कोटा पूरा नहीं हो पाता। बालोद से 1703.02 हेक्टेयर रकबे में लगा गन्ना कारखाना पहुंचता है। यहां 1803.02 हेक्टेयर में गन्ना लगाने रकबा तय है।
इस बार गन्ने की कमी के कारण उत्पादन कम
कारखाना में 48 करोड़ रुपए से ज्यादा घाटा ही है। कारखाना महाप्रबंधक पीतांबर ठाकुर ने कहा कि शासन ने जवाब मांगा है, देंगे। इस बार गन्ने की कमी के कारण उत्पादन कम हुआ है, इसलिए फायदा नहीं होगा हालांकि नुकसान भी कम होगा। अभी आय-व्यय का आकलन नहीं किए हैं।
गन्ना के बजाय धान को ज्यादा महत्व दे रहे किसान
जिले में सवा लाख किसान हैं। जिसमें एक लाख 11 हजार किसान धान की खेती करते हैं। कुछ ही किसान धान के अलावा शौक के लिए गन्ना लगाते हैं। किसान नेता छगन देशमुख, चंद्रेश हिरवानी ने कहा कि गन्ने का सही दाम मिले तो हालात सुधर सकते हैं। गन्ना किसानों की कमी हो रही है।
अफसरों से मांगेंगे जवाब: संचालक मंडल बोर्ड अध्यक्ष बल्दू राम साहू ने कहा कि अफसरों से जवाब मांगेगे कि इस साल कारखाना घाटे में रहा या घाटे में, अब तक बैठक नहीं हो पाई है। इसलिए मुझे जानकारी नहीं है। वैसे शासन ने जवाब मांगा है। इसी आधार पर सब तय होगा।
यह 6 सवालों का जवाब देगा प्रबंधन
1. कारखानों का शक्कर उत्पादन, लागत शक्कर के विक्रय मूल्य से हमेशा अधिक रहा है, उत्पादन लागत अधिक होने के क्या कारण हैं?
2. उत्पादन लागत कम करने के लिए प्रबंध संचालकों ने क्या कार्रवाई की है?
3. कारखानों में कर्मचारियों व श्रमिकों की संख्या आवश्यकता से अधिक नियुक्ति क्यों की गई है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
4. शक्कर कारखानों में प्रबंध संचालकों ने स्थापना व्यय कम करने के लिए क्या क्या प्रयास किए हैं?
5. शक्कर कारखाने के प्रबंधन ने भारत सरकार से विक्रय के लिए प्राप्त आवंटन कोटे का विक्रय निर्धारित समय सीमा में की है या नहीं? यदि नहीं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
6. सहकारी शक्कर कारखाना द्वारा आवंटित निर्यात कोटे का शक्कर विक्रय निर्धारित समयावधि में की गई है या नहीं? यदि नहीं तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा जाए। सहकारी शक्कर कारखानों का वैधानिक अंकेक्षण पूरा किया गया है या नहीं? यदि नहीं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सहकारी शक्कर कारखानों के वित्तीय हानि को दूर करने के उपायों पर विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए।
ऐसे समझें- रिकवरी और उत्पादन को
कारखाना संचालक मंडल के अनुसार पिछले साल 83 हजार 200 क्विंटल शक्कर उत्पादन हुआ था, जबकि इस साल 52 हजार 740 क्विंटल शक्कर उत्पादन हुआ है। पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत उत्पादन कम हुआ है। वहीं पिछले साल की अपेक्षा इस बार रिकवरी प्रतिशत 0.37 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले साल रिकवरी 9.12 प्रतिशत तो इस बार 9.49 प्रतिशत रहा।
लॉकडाउन 3.0 में ग्रीन जोन में 50 लोगों (दोनों पक्ष मिलाकर) की मौजूदगी में शादी की अनुमति है। ऐसे में बिना तामझाम के सादगी से शादियां हो रही हैं। समाज या दोस्तों को बुला नहीं सकते हैं इसलिए मई-जून में भी होटल-लॉन बुक करने के बदले लोग मंदिर या घर में ही शादी करा रहे हैं। कुछ शादियां नवंबर-दिसंबर के लिए टाली गई हैं लेकिन इस दौरान चार दिन ही मुहूर्त है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जून से लेकर नए साल अप्रैल तक केवल 10 ही योग बन रहे हैं। यानि शादियों की धूमधाम वाले दिन अप्रैल 2021 के बाद ही देखने को मिल सकती है।
फरवरी माह के बाद फिर अप्रैल में हो सकेगी शादी
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शादी में इस साल सबसे ज्यादा मुहूर्त अप्रैल-मई के अंदर रहे। जहां इन दो महीनों में 12 दिन मांगलिक कार्य के योग बन रहे थे। लेकिन अब आने वाले समय के लिए लोग जानकारी ले रहे हैं। जिसमें नवंबर और दिसंबर में केवल चार मुहूर्त बन रहे हैं। नए साल में भी फरवरी माह में केवल 2 दिन का योग है। इसके बाद अप्रैल से शादी शुरू होगी।
मई और जून में3-3 मुहूर्त
नोट- 2021 में नए साल से फरवरी में केवल दो दिन मुहूर्त फिर मांगलिक कार्य अप्रैल में शुरू होंगें।
कुछ ने अगले साल तक शादी की डेट टाल दी
शहर में शादियों पर नजर डाले तो ज्यादातर लोग अब नए साल में शादी करने की सोच रहे है। होटल संचालकों एवं मैरिज लॉन के मालिकों ने बताया कि सारी बुकिंग कैंसिल होने के बाद लॉकडाउन के बीच सरकार की गाइडलाइन के बाद भी मई-जून में लोग शादी नहीं करना चाह रहे है ज्यादातर लोगों का कहना है कि धूमधाम से अगले साल करेंगे।
कोरोना संक्रमण के खतरे से निबटने के लिए लागू किए लॉक डाउन के दौरान आम जनता तक राहत पहुंचाने और अर्थ व्यवस्था को पटरी में लाने के लिए प्रदेश सरकार पूरी रणनीति के साथ काम कर रही है। इसका सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। अर्थ व्यवस्था के विकास की रफ्तार की प्रशंसा केन्द्र सरकार की सेंटर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनामी ने भी किया है।
यें बातें बुधवार की शाम शहर के सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज सागर यादव एवं कुनकुरी विधायक यूडी मिंज ने कही। विधायक ने बताया कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने में अव्वल रहा है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वनोपज संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान में है। 40 दिन के अंदर राज्य सरकार ने 6 हजार से अधिक श्रमिकों को एक जिले से दूसरे जिले में उनके मूल निवास स्थल तक पहुंचाने की व्यवस्था की है। रिजर्व बैंक ने भी राज्य में कृषि कार्यों में तेजी की सराहना की है। फसल बीमा और प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत 9 सौ करोड़ रूपए, किसानों के खाते में डाला जा चुका है। प्रेस काॅन्फ्रेंस में युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव सहस्त्रांशु पाठक, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष हीरु राम निंकूज, दुलदुला ब्लाक अध्यक्ष अरविंद साय,अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के सचिव निर्मल सिंह नीलू, विनय एक्का, नवीन गुप्ता उपस्थित थे।
लॉकडाउन में नपा का वसूली अभियान गलत
प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष हीरूराम निकुंज ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि लॉकडाउन में जब लोग आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे है, ऐसे में नगर पालिका का यह कदम बिल्कुल उचित नहीं है। उन्होंने इस बात को भी सिरे से खारिज कर दिया कि राजस्व की कमी की वजह से यह कदम उठाया गया है। हीरुराम निकुंज ने नगर पालिका के पास पार्षद और अध्यक्ष निधि के रूप में तात्कालिक व्यवस्था के लिए फंड मौजूद है। इसके बाद सरकार भी आने वाले दिनों में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी। अधिकारियों को थोड़ा धैर्य से काम लेना चाहिए।
शराब मामले में भाजपा पर किया पलटवार
लॉकडाउन के दौरान शराब दुकान खोले जाने को लेकर मचे सियासी बवाल की आंच अब जिले तक पहुंच चुकी है। इस मामले में भाजपा द्वारा किए जा रहे हमले को लेकर तीखे तेवर दिखाते हुए विधायक यूडी मिंज ने कहा कि यह वक्त सियासत करने का नहीं, बल्कि राज्य और केन्द्र सरकार के बीच बेहतर समन्वय बना कर काम करने का है। जिससे हम आम जनता की तकलीफों को कम कर सके। कांग्रेस पर उंगली उठाने से पहले भाजपाइयों को यह बात अच्छी तरह से याद रखनी चाहिए कि शराब दुकान को खोलने की अनुमति केन्द्र सरकार ने ही दी है।
कोरोनाकाल में सरकार दे रही शराब की घर पहुंच सेवा: साय
विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए जिन कांग्रेसियों ने प्रदेश में शराब बंदी के लिए गंगाजल लेकर शपथ लिया था, वहीं आज कोरोना संकट के दौरान आम जनता की सेहत से खिलवाड़ करते हुए ना केवल शराब दुकान खुलवा चुके हैं बल्कि अब शराब को घर-घर पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
ये बातें पूर्व केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री विष्णुदेव साय और छग पर्यटन मंडल के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण कुमार राय ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कही है। भाजपा नेताओं द्वारा जारी किए गए एक प्रेस विज्ञप्ति में उन्होनें कहा कि कांग्रेसी अपने इस निर्णय के लिए केन्द्र सरकार के गाइड लाइन का आड़ ले रहे हैं। इस गाइड में केन्द्र सरकार ने बस सेवा शुरू करने सहित अन्य कई प्रकार की सुविधा और राहत आम जनता को देने की सलाह राज्य सरकारों को दिया है। लेकिन इनमें से प्रदेश सरकार ने केवल शराब दुकान संचालित करने को ही चुना है। नेताओं ने कहा कि कांग्रेसियों का यह भी बताना चाहिए शराब की घर पहुंच सेवा, किसके गाइड लाइन में चालू किया गया है? पूर्व मंत्री साय लॉकडाउन के दौरान शराब दुकान खोलने और होम डिलवरी को गलत निर्णय बताते हुए कहा कि इस वक्त सरकार का पहला दायित्व कोविड-19 के वायरस से प्रदेशवासियों की सेहत को सुरक्षित रखने के लिए जनता का रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उनके लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था करने की है। भाजपा नेताओं ने राजस्व जुटाने के लिए शराब का सहारा लिए जाने के तर्क को भी सिरे से खारिज किया है। पूरा प्रदेश कोरोना जैसे खतरनाक संक्रमण में जुझ रहा है ऐसे समय में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन व भीड़-भाड़ वाली जगह पर प्रतिबंध लगाने की जगह शराब दूकान खोलने का निर्णय किस हद तक सही है। इससे संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है।
लॉकडाउन-3 में अतिकुपोषित बच्चों को इलाज की आवश्यकता को देखते हुए एनआरसी सेंटर, न्यूट्रीशन रिहैब्लीटेशन सेंटर और पोषण पुनर्वास केंद्रों को खोल दिया गया है। लॉकडाउन में थोड़ी ढील प्रशासन से मिलने के बाद जिला अस्पताल में उक्त सेंटर पुनः शुरू किया गया है। हालांकि आवागमन के साधन उपलब्ध नहीं होने से सेंटर खुलने पर अभी एक बच्ची ही पहुंची है। जिसका इलाज जारी है।
लॉकडाउन में जशपुर, बगीचा, पत्थलगांव के एनआरसी सेंटर के विशेषज्ञों द्वारा फोन से कुपोषित बच्चों को आवश्यक चिकित्सकीय परामर्श दिया जा रहा था। साथ ही वजन की जांच के लिए भी अन्य माध्यमों का सहारा लेकर उनकी निगरानी रखी जा रही थी। 25 मार्च के पहले पोषण पुनर्वास केन्द्र में 9 बच्चों का इलाज हो रहा था जिन्हें लॉकडाउन की वजह से घर भेज दिया गया था। लेकिन फोन पर ही उनका फॉलोअप जारी था। एनआरसी सेंटर के इंचार्ज डॉ.आरएस पैकरा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे सेंटर में ज्यादा आते हैं। अतिकुपोषित बच्चों को भर्ती कर इलाज परम आवश्यक होता है। अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 162 अतिकुपोषित और रक्तअल्पता वाले बच्चों का इलाज सेंटर में हुआ है। सेंटर के जरिए कई ऐेसे मरीजों को भी दाखिल कर पूर्णतः स्वस्थ्य किया गया है।
कोरोना संक्रमण के चलते अर्थव्यवस्था बिगड़ने से अच्छे-अच्छों की स्थिति खराब हो गई है। कुछ लोग ऐसे हैं जो लॉकडाउन खुलने पर इसकी भरपाई कर लेंगे तो कुछ ऐसे हैं जो सीधे-सीधे नुकसान में रहेंगे। ऐसे लोगों में रेलवे स्टेशन में कैंटीन संचालक, वाहन स्टैंड संचालकों के साथ मल्टीफंक्शनल कॉम्प्लेक्स में दुकान ले चुके लोग शामिल हैं। लॉकडाउन जल्दी नहीं खुला तो इन लोगों के सामने अनुबंध तोड़ने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा। क्योंकि वाहन स्टैंड के साथ प्लेटफार्म पर स्टाल लगाने वाले 4 वेंडरों को 30 दिन में 75 हजार रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है। दूसरे माह में भी नुकसान का दायरा बढ़ रहा है।
रेलवे स्टेशन पर अपनी जीविका चलाने के लिए लोग टी स्टाल, फूड स्टाल, कैटरिंग व वाहन स्टैंड का ठेका लेते हैं। रेल प्रबंधन भी इसके लिए अनुबंध के रूप में मोटी रकम वसूल करता है। ट्रेनों में सफर करने वालों के भरोसे ही यह काम चलता है। इसके लिए उत्साही लोग भी क्षमता से कहीं अधिक की बोली लगाकर अनुबंध तो कर लेते हैं, लेकिन कई बार अनुबंध की राशि भी नहीं जुटा पाते हैं। अब इनके सामने संकट का दौर आ गया है। क्योंकि 22 मार्च से कोरबा रेलवे स्टेशन पर यात्री ट्रेनें पूरी तरह बंद हैं। ऐसे में बंद के दौरान अनुबंधकर्ता वेंडर, कैंटीन व वाहन स्टैंड संचालकों को हर माह 75 हजार रुपए से अधिक का नुकसान हो रहा है।
वेंडरों के सामने रेलवे की बची हुई राशि जमा करने की समस्या
वेंडरों को रेलवे को बची हुई राशि देने की समस्या हावी होती जा रही है। यहां बताना होगा कि वाहन स्टैंड का ठेका जेबी कंस्ट्रक्शन ने 3 साल के लिए 65 लाख रुपए में किया है। जबकि प्लेटफार्म नंबर 1 पर 4 स्टाल हैं, प्रत्येक का अनुबंध 84 हजार रुपए सालाना हुआ है। इससे अलग मल्टीफंक्शनल काॅम्प्लेक्स की दुकानों काे भी बड़ी राशि देकर लिया गया है। लॉकडाउन में इनका व्यवसाय चौपट हो गया है।
पहले कुछ यात्री ट्रेनों को किया जाता था प्रभावित, अब सब बंद
बीते दो साल तक दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा कोरबा से चलने वाली मेमू लोकल, पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेनों को बीच-बीच में बाधित किया जाता रहा। जिसके कारण स्टेशन पर व्यवसाय करने वाले ठेकेदारों को नुकसान हो रहा था। लेकिन अब लॉकडाउन के कारण सभी ट्रेनें बंद हो चुकी हैं। ऐसे में उनकी आय ही बंद हो गई है। इसलिए ज्यादा परेशानी हो रही है।
रेल प्रबंधन को निकालना चाहिए बीच का रास्ता: दिवाकर
पेटी कांट्रेक्टर के रूप में कैंटीन चलाने वाले रमेश दिवाकर का कहना है कि हम तो डूब जाएंगे। बड़ा स्टेशन तो कोरबा है नहीं, फिर भी गर्मी में अच्छी आय हो जाती थी। दूसरा महीना भी बंद में गुजर जाएगा। कहां से देंगे रेलवे को अनुबंध की राशि समझ नहीं आ रहा। इसके लिए रेलवे को बीच का रास्ता निकालना चाहिए। जेबी कंस्ट्रक्शन का कहना है कि ऐसा ही चला तो अनुबंध तोड़ना पड़ सकता है।
गर्मी के सीजन में हो जाती है वैंडरों को बेहतर आय
गर्मी में शादी-ब्याह का सीजन होने व लोग छुट्टियां मनाने बाहर आना जाना करते हैं। जिसके कारण गर्मी के 3 माह तक वेंडर ही नहीं, वाहन स्टैंड संचालक व कैंटीन संचालकों को बेहतर आय हो जाती है। जिसके कारण बारिश के महीने में कम आय होने की पूर्ति कर लेते हैं। लेकिन इस सीजन में लॉकडाउन होने के कारण ट्रैनें ही नहीं चली, जिससे उनकी ज्यादा कमाई तो दूर, बोहनी ही नहीं हो पा रही है।
कोरोना महामारी के कारण ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां आर्थिक संकट की छाया न पड़ी हो। इस समस्या से निपटने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। बिजली वितरण कंपनी ने भी अपने अधिकारी और कर्मचारियों को खर्चों में कटौती का निर्देश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि अब मासिक व आकस्मिक बैठकों के दौरान अधिकारी व कर्मचारियों को भोजन व नाश्ते के रूप में स्वल्पाहार नहीं मिलेगा। खर्च को कम करने के लिए अब चाय और कॉफी से ही काम चलाना पड़ेगा। बिजली कार्यालयों के लिए फर्नीचर की खरीदी या सजावट के लिए सामान क्रय करने पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। बिजली विभाग के कार्यालयों में स्वीकृत इंप्रैस्ट में 25 फीसदी की कटौती का फरमान भी जारी किया गया है। लेखा व कंप्यूटर संबंधी सामान अति आवश्यक होने पर ही क्रय किया जाएगा। अधिकारियों को अनावश्यक यात्रा पर भी रोक लगाने के लिए कहा गया है। कार्यपालन अभियंता व निचले स्तर के अधिकारी अपने कार्य क्षेत्र के अंदर भी बिजली व्यवस्था व लाइनों के रखरखाव के लिए किए जाने वाले यात्रा को छोड़कर शेष अन्य कामों के लिए अपने उच्च अधिकारियों से अनुमति प्राप्त करना जरूरी होगा। सभी दफ्तरों में बिजली खपत में कम से कम 20 फीसदी की कमी लानी होगी। अधिकारी कर्मचारियों का अनावश्यक रूप से तबादला भी नहीं करने कहा गया है। अधिकारियों से कहा गया है कि नए निम्न दाब बिजली कनेक्शन योजना के अंतर्गत विस्तार कार्य तकनीकी रूप से अति आवश्यक होने पर ही स्वीकृत किया जाएगा। कार्य को प्रस्तावित करते समय आसपास में उपलब्ध ट्रांसफार्मर बिजली लाइन के प्रकरण को तकनीकी रूप से सुगमता की संभावना तलाशते हुए काम किया जाएगा। इसका उल्लेख सिंगल लाइन डायग्राम में करना होगा।
लापरवाही बरती गई तो की जाएगी कार्रवाई
विभागों को अतिरिक्त आर्थिक स्रोत के लिए प्रयास करने कहा गया है। जिसके अंतर्गत स्क्रैप, सर्वे रिपोर्टेड वाहन, जले हुए मीटर, फेल ट्रांसफार्मर को जल्दी क्षेत्रीय भंडार मे वापस करने कहा गया है। मुख्य अभियंता संचालन संधारण की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारी कर्मचारी कड़ाई से निर्देशों का पालन करेंगे। निगरानी के दौरान इसका पालन नहीं होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जिले में एक-एक कर सभी सुविधाओं को धीरे-धीरे बहाल किया जा रहा है। लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही जिले में ब्यूटी पार्लर से जुड़ी महिलाएं बेरोजगार हो गई थीं, तो दूसरी ओर महिलाओं को अपनी खूबसूरती में निखार लाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
लेकिन अब ब्यूटी पार्लर संचालन के लिए कलेक्टर ने आदेश जारी कर दिया गया है। एक समय में एक ही ग्राहक की अनुमति दी गई। वहीं ग्राहकों को टाॅवेल और गाउन खुद लाना होगा। जिले में 200 से अधिक ब्यूटी पार्लर संचालित हैं, जहां करीब 600 महिला कर्मचारी काम करती हैं, लेकिन अब तक सैलून शुरू करने कोई आदेश नहीं दिया गया है। 47 दिन के बाद लॉकडाउन के दौरान महिलाएं ब्यूटी पार्लर जा सकेंगी। जिले की महिलाओं के लिए लॉकडाउन के दौरान बंद ब्यूटी पार्लर को शुरू करने की अच्छी खबर आई है। अब उन्हें खूबसूरती में निखार लाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा, क्योंकि जिले के शहरी अौर ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग दिन निर्धारित कर गाइड लाइन के अनुसार ब्यूटी पार्लर संचालित करने के निर्देश कलेक्टर ने दे दिए हैं। लेकिन नियमों के पालन में लापरवाही हुई तो तत्काल प्रभाव से बंद करने की कार्रवाई भी की जाएगी। ब्यूटी पार्लर के संचालन की अनुमति शासन ने निर्धारित शर्तों के तहत दी है। कलेक्टर डोमन सिंह ने बताया कि सभी ब्यूटी पार्लर सुबह 9 से शाम 4 बजे तक संचालित होंगे। ब्यूटी पार्लर सप्ताह में 3 दिन एक दिन छोड़कर एक दिन संचालित होंगे। इसके अलावा एक दिन का साप्ताहिक बंदी रहेगी।
लॉकडाउन में फंसे जिले के मजदूरों को वापस लाने की तैयारी चल रही है। करतला ब्लाॅक में 13 स्थानों पर बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर का गुरुवार को अधिकारियों की टीम ने निरीक्षण कर व्यवस्था का जायजा लिया। सेंटर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कराया जाएगा। साथ ही मजदूर बाहर न निकलें इसके लिए कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।
ब्लाॅक में गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल व मिडिल स्कूल सरगबुंदिया, गवर्नमेंट कॉलेज बरपाली, हायर सेकंडरी स्कूल बरपाली, कोथारी, फरसवानी, तुमान, सेंदरीपाली, गर्ल्स मिडिल स्कूल रामपुर, डीएवी बड़मार, करईनारा, गवर्नमेंट कॉलेज करतला, गर्वमेंट स्कूल लबेद व बोतली को सेंटर बनाया गया है। जिसमें प्रदेश के बाहर गए 1960 मजदूर रखे जाएंगे। 537 मजदूर छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में कार्यरत हैं, जिन्हें गांव में ही उनके घरों में ही होम आइसोलेट किया जाएगा। दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को 14 दिन क्वारेंटाइन सेंटर में रहना होगा। डिप्टी कलेक्टर देवेन्द्र कुमार प्रधान, नायब तहसीलदार लक्ष्मीकांत कोरी, जनपद सीईओ सीए धृतलहरे, बीईओ संदीप पाण्डेय ने केन्द्रों का जायजा लिया। साथ ही यहां दोना पत्तल व मास्क पहुंचाए गए हैं। सेंटरों में पटवारियों, शिक्षकों, चपरासियों, सचिवों की ड्यूटी लगाई गई है। जो पाली-पाली में काम करेंगे। भोजन की व्यवस्था स्व सहायता समूह संभालेंगी। मजदूरों को दूसरों से मिलने की छूट नहीं होगी।
कोरोना संकट की घड़ी मे लॉकडाउन के चलते लंबे समय से बंद छोटे बड़े उद्योगों ने शासन से बिजली बिल की राशि माफ करने सहित अन्य तरह की राहत की मांग की थी। इसे देखते हुए सरकार ने प्रदेश के औद्योगिक उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत दी है। इसका लाभ जिले के भी छोटे उद्योगों को मिलेगा। लॉकडाउन के दौरान प्रदेशभर में औद्योगिक संस्थान बंद थे। जिले में भी छोटे उद्योग एक माह से अधिक समय से पूरी तरह से बंद थे। कई उद्योग तो अभी भी नहीं खुल पाए हैं। नुकसान झेल रहे उद्योगों ने शासन से बिजली बिलों में राहत देने की मांग की थी। जिस पर निर्णय लेते हुए ने औद्योगिक विद्युत कनेक्शन के अप्रैल, मई व जून के बिलों पर डिमांड चार्जेज भुगतान को जून तक स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। स्थगन अवधि के बाद उक्त प्रभार की राशि समान मासिक किश्तों में अगले 6 माह के बिजली बिल के साथ ली जाएगी। इसी तरह अप्रैल, मई व जून के बिजली बिलों पर डिलेड पेमेंट सरचार्ज 1.5 प्रतिशत की जगह 1 प्रतिशत ही लिया जाएगा। लॉकडाउन के कारण घाटा झेल रहे जिले के उद्योगों को कुछ राहत मिली है। उद्योगों को दी गई इस राहत को लेकर बिजली विभाग का कहना है कि कंपनी के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
घरेलू कनेक्शन पर 31 मई तक दी गई है अधिभार में छूट
कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए प्रदेश भर के सभी नकद बिल संग्रहण केंद्रों को अस्थाई रूप से बंद किया गया था। इसे ध्यान में रखते हुए लिए गए निर्णय के अनुसार सभी निम्नदाब बिजली उपभोक्ता जिन्हें 23 मार्च से 3 मई 20 की अवधि में विद्युत देयक का भुगतान करना था उन्हें अब 31 मई तक बिना अधिभार के बिजली बिल भुगतान करने की सुविधा गई है।
कोरबा ब्लाॅक के वनांचल ग्राम छाताबहार लेमरू में पहाड़ी कोरवा महिला सुनीता बाई (20) को प्रसव पीड़ा होने पर डायल 112 की टीम ने सूझबूझ से अस्पताल तक पहुंचाया। लेकिन पीड़ा इतनी तेज थी कि अस्पताल के बाहर ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया।
मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। छाताबहार जाने नाले को पार करना पड़ता है। ग्रामीण पगडंडी से ही आवाजाही करते हैं। सुनीता को प्रसव पीड़ा होने पर डायल 112 की टीम को परिजनों ने सूचना दी। पुलिस कर्मी चंद्रप्रकाश रात्रे व संदीप रात्रे गांव के लिए रवाना हुए। लेकिन नाले के पहले वाहन रोकना पड़ा। वे पैदल गांव पहुंचे तो महिला कराह रही थी। पहले पुलिस कर्मी ने उसके परिजनों के साथ कांवड़ में महिला को ले गए। अधिक पीड़ा होने पर खाट में उठाकर वाहन तक लाए। लेकिन रास्ते में ही ब्लीडिंग शुरू हो गई। महिला इस दौरान दर्द से कराह रही थी।
पुलिस ने आनन-फानन में परसाभाठा उप स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाया। लेकिन स्वास्थ्य केंद्र के दरवाजे के बाहर ही महिला का प्रसव हो गया। एएनएम ने महिला व बच्चे को स्वस्थ बताया। तब जाकर पुलिस टीम व परिजनों ने राहत की सांस ली। इसके पहले भी डायल 112 की टीम मुसीबत में फंसे लोगों को राहत पहुंचा चुके हैं।
बुधवार की शाम छिंदवाड़ा से कटघोरा 9 जमाती आए हैं। ये कटघोरा व चोटिया के रहने वाले हैं। जिन्हें क्वारेंटाइन में रखा गया है। इन सभी 9 जमातियों के सैंपल जांच के लिए रायपुर भेजे जा रहे हैं।
छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश से एक ट्रैवलर बस में बुधवार की शाम 9 जमाती कटघोरा थाने पहुंचे। इन सभी को क्वारेंटाइन किया गया है। इनमें से सात कटघोरा व दो चोटिया के निवासी हैं। चोटिया के दोनों जमाती को उनके घर भेजा गया है। जहां वे 14 दिन क्वारेंटाइन में रहेंगे। कटघोरा के 7 जमातियों का घर मस्जिद पारा, कटघोरा में ही है। मगर यह क्षेत्र अभी कंटेनमेंट जोन में है। इस वजह से इन सभी को पूछापारा के मदरसा में क्वारेंटाइन किया गया है। बताया गया है कि ये सभी मार्च में लॉकडाउन होने से पहले धार्मिक यात्रा पर छिंदवाड़ा गए थे। इनमें अधिकांश नवयुवक हैं। यह सभी छिंदवाड़ा में क्वारेंटाइन में ही थे। जहां इनकी कोरोना जांच भी हुई, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव रही है। यह रिपोर्ट भी वे साथ लाए हैं। इसके बावजूद प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए इन सभी की जांच व इन्हें क्वारेंटाइन में रखने का निर्देश दिया है। गुरुवार को इनके सैंपल लिए हैं, जो जांच के लिए रायपुर भेजे जा रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि कोरबा में करोना का बड़ा मामला मस्जिद पारा कटघोरा से ही हुआ। जहां सबसे पहले 4 अप्रैल को 16 साल का एक किशोर जमाती पॉजिटिव पाया गया था।
पहुंचे हैं जमाती, सभी के लिए गए सैंपल: टीआई
जमातियों के छिंदवाड़ा से आने की पुष्टि कटघोरा के टीआई रघुनंदन शर्मा ने की है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने इनके यहां से सैंपल जांच के लिए रायपुर भेजने की जानकारी दी है। कटघोरा में जमाती के पॉजिटिव मिलने के बाद कटघोरा, कोरबा के 52 जमाती गेवरा में रखे गए थे। जिनके 28 दिन की क्वारेंटाइन अवधि पूरी करने के कारण इन सभी को उनके घर भेज दिया गया है। यह लोग कामठी महाराष्ट्र, दिल्ली व हरियाणा के रहने वाले थे।
ग्राम रतिजा निवासी ललिता बाई पति बलराम सिंह कंवर की खरीदी केन्द्र में बेची हुई धान की राशि 63162 रुपए थी। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित हरदीबाजार यह राशि निकालने गई थी तो पता चला कि कंप्यूटर ऑपरेटर ने उसकी इस राशि को वहीं कार्यरत अधिकारी रामस्वरूप जायसवाल के खाते में ट्रांसफर कर दी है। बैंक प्रबंधक इसे महज चूक मान रहे हैं। जबकि महिला किसान व रामस्वरूप जायसवाल के खाते के अंक में 5 अंकाें का अंतर है। ललिता की खाता क्रमांक 606037177753 व रामस्वरूप जायसवाल के खाता क्रमांक 606039029847 है। किसी भी बैंक में खाताधारक के एक अंक मिस्टेक होने पर भी रुपए ट्रांसफर नहीं करता है। यहां इतनी बड़ी अंतर के बावजूद दूसरे खाते में रुपए ट्रांसफर हो जाना समझ से परे हैं। वह भी यहां कार्यरत अधिकारी के खाते में रुपए ट्रांसफर होना किसी बड़ी गड़बड़ी के संकेत भी दे रही है। शाखा प्रबंधक मुकुंद राजवाड़े का कहना है कि खाता क्रमांक में फर्क की वजह से हुआ होगा। वे इसकी जानकारी लेंगे।
जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी 10 साल पुराने सड़कों को दोबारा बनाने 32 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली है। इसके साथ ही पांचों ब्लाॅक में 98 सड़कों को नए सिरे से बनाया जाएगा। अब लॉकडाउन में निर्माण शुरू करने की छूट मिलने के बाद मशीन ऑपरेटर ही नहीं मिल रहे हैं। इसकी वजह से पांच सड़कों का निर्माण ही शुरू हो पाया है। बारिश के पहले सभी सड़कें बनना मुश्किल है। इन सड़कों के नहीं बनने से 3 लाख आबादी को फायदा होगा, लेकिन अभी बन रही सड़कों से मात्र 20 हजार को आवाजाही में सुविधा मिल पाएगी।
मुख्य सड़कों के साथ ही ग्रामीण सड़कों की हालत ठीक नहीं है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 10 से 15 साल पुरानी सड़कें उखड़ गई हैं। जिसकी वजह से ग्रामीणों को आवाजाही में परेशानी होती है। पीएमजीएसवाय फेस-3 के तहत इन सड़कों को फिर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। 98 सड़कों के लिए फंड की मंजूरी मिलते ही टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण करा ली गई थी। लेकिन काम शुरू होता इसके पहले ही लॉकडाउन लग गया। अब जाकर काम शुरू कराया गया है। बारिश के पहले अधिकांश सड़कों की हालत नहीं सुधर पाएगी। इस मुख्य वजह ठेका कंपनियों के पास काम करने वाले ऑपरेटरों की कमी भी है। अधिकांश आॅपरेटर झारखंड, बिहार के होते हैं। जो लॉकडाउन में वापस लौट चुके हैं।
सड़कों का काम पूरा कराने का प्रयास: ईई
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के ईई कमल साहू का कहना है कि अभी 5 सड़कों का काम चल रहा है और भी काम शुरू हों, इसका प्रयास किया जा रहा है। ठेकेदारों से चर्चा की जा रही है। जो काम चल रहे हैं वह जून तक पूर्ण हो जाएगा। एक ठेकेदार के पास कई काम हैं इसलिए और भी सड़कों का रीनिवल हो जाएगा।
जानिए किस ब्लाॅक में कितने किलोमीटर की सड़कें बनेंगी
ब्लाॅक संख्या लंबाई लागत (लाख में)
करतला 19 55.43 730.79
कोरबा 17 63.64 1013
कटघोरा 16 36 563.83
पोड़ी-उपरोड़ा 22 91.70 1345.13
पाली 24 76.49 1103
इन पांच सड़कों का चल रहा है निर्माण
98 में से 5 सड़कों का काम चल रहा है। जिसमें बालको रिंगरोड से कुदरी तक 2.22 किलोमीटर, पोड़ी-उपरोड़ा ब्लाॅक में पडरापथरा सड़क, सेन्हा रोड, मदनपुर रजकम्मा के साथ बिंझरा सड़क शामिल है। इन सड़कों का काम जून तक पूर्ण हो जाएगा।
पर्यटन केंद्र जाने सतरेंगा की सड़क अभी तीन महीने और नहीं बन पाएगी
पर्यटन केन्द्र सतरेंगा जाने के लिए बालको से गढ़ उपरोड़ा तक सड़क बनाने 30 करोड़ मंजूर हैं। अभी मरम्मत के नाम पर गड्ढों को मिट्टी से पाटा गया है। अप्रैल में काम शुरू होने वाला था। लेकिन टेंडर प्रक्रिया लॉकडाउन की वजह से समय पर नहीं हो पाई। अब अनुबंध करने में ही समय लग जाएगा। तीन महीने बाद ही सड़क बनेगी।
लेटलतीफी का यह होगा असर : लोगों को तीन माह फिर करना पड़ेगा इंतजार
बारिश के पहले जून तक सड़कें नहीं बनीं तो तीन माह और इंतजार करना पड़ेगा। ग्रामीणों को खराब सड़कों पर ही चलने की मजबूरी होगी। खरवानी से सरईपाली तक 2 किलोमीटर की सड़क इतनी खराब है कि पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। जिले की कई ग्रामीण सड़कों की यही हालत है।
सरकारी दुर्दशा से जूझ रहा बहतराई स्टेडियम 12 साल बाद भी अधूरा है। 2019 और 2020 में जिस गति से निर्माण हुआ अगर निर्माण की गति यही रही तो स्टेडियम 2021 में भी पूरा होना मुश्किल है। पीडब्ल्यूडी के जानकार खुद इस बात को मान रहे हैं। वर्ष 2019 में सिर्फ 48 दिन निर्माण कार्य चला और फिर बंद हो गया। इसी तरह 2020 में सिर्फ 47 दिन निर्माण कार्य चला और अब 18 मार्च से बंद है। इस वर्ष तो लॉकडाउन में निर्माण नहीं करा पाने का बहाना अफसरों ने बता दिया। पिछले वर्ष गर्मी और फिर बारिश में निर्माण नहीं करा पाने का बहाना बताकर बच गए थे। लेकिन दैनिक भास्कर ने पीडब्ल्यूडी के जानकारों से पूछा कि जिस गति से निर्माण चल रहा है, इस हिसाब से स्टेडियम पूरा कम बनेगा? जानकारों ने कहा कि इस वर्ष तो पूरा नहीं होगा। अगर काम की रफ्तार नहीं बढ़ी तो 2021 में भी बहतराई स्टेडियम पूरा होने की संभावना नहीं है। 2008 से बिलासपुर और प्रदेश के खिलाड़ी स्टेडियम के पूरे होने की आस लेकर बैठे हैं लेकिन उनका इंतजार बढ़ता ही जा रहा है। वर्ष 2018 में 8 महीने निर्माण चला और बारिश के कारण चार महीने बंद रहा। इस आठ महीनों में हॉकी स्टेडियम बनकर तैयार हो गया था लेकिन उसमें भी गैलरी और फ्लड लाइट नहीं लग पई। इसके अलावा इंडोर और आउटडोर में कुछ छोटे काम हुए।
2019 में इंडोर में एसी और हॉकी में लगा था गोल पोस्ट
बीते वर्ष 2019 में 31 मार्च से निर्माण कार्य शुरू हुआ और फिर 10 मई को पूरी तरह बंद हो गया। इन 48 दिनों में आउटडोर स्टेडियम में डामरीकरण का काम हो पाया था। इंडोर में एसी का काम पूरा हुआ। फायर फाइटिंग और एकास्टिंग का काम पूरा हो पाया। हॉकी मैदान में गोल पोस्ट लगाया गया था। इसके अलावा अन्य छोटे काम हुए।
2018 में हॉकी मैदान बनाया गया
वर्ष 2018 में शुरू से निर्माण कार्य चला और बीच में चार महीन ले बारिश में बंद रहा। इन आठ महीनों में हॉकी स्टेडियम पूरा बनकर तैयार हुआ लेकिन गोल पोस्ट लगाया और फिर इसे निकालना पड़ा। फिर 2019 में इसे व्यवस्थित तरीके से लगाया गया। इसी वर्ष इंडोर में कुछ छोटे मोटे काम हो पाए। लेकिन आउटडोर में कोई काम नहीं हुआ।
इस वर्ष सिर्फ सिंथेटिक का काम हो पाया
2020 में 1 फरवरी से आउटडोर में एथलेटिक ट्रैक पर सिंथेटिक गाेंद बिछाने का काम शुरू हुआ और 18 मार्च तक यह काम पूरा हो पाया। इसके बाद लॉकडाउन की घोषणा हो गई और निर्माण पूरी तरह बंद हो गया। दिल्ली से आए एक्सपर्ट की टीम ने ट्रैक पर सिंथेटिक बिछाया। अभी ट्रैक पर मार्किंग का काम बचा है तो दिल्ली की टीम ही करेगी। जानकारों ने बताया कि यह काम इस वर्ष पूरा होना मुश्किल है।
पैसों का इंतजार, मिलते ही जल्द होगा निर्माण
पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर एके मंधाना स्टेडियम कब पूरा होगा यह बताने से पल्ला झाड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी तो लॉकडाउन में निर्माण रुका है। ठेकेदार का भुगतान नहीं हाेने के कारण कुछ काम रुके हैं। स्टीमेंट रिवाइज हुआ है, जिसकी स्वीकृति अभी तक शासन से नहीं मिली है। जब हमारे पास पैसे नहीं है तो निर्माण कैसे होगा। शासन की स्वीकृति हमारे हाथ में नहीं है। रह गई बात स्टेडियम की तो जो काम बचे हैं उन्हें जल्द किया जाएगा। स्टेडियम पूरा होने की निर्धारित निर्धारित तिथि इसलिए नहीं बता पा रहा हूं कि कुछ काम शासन स्तर के हैं जिन्हें पूरा होने में समय लगता है।
विशाखापट्टनम की फैक्ट्री में गैस लीक होने की वजह से हवा में जहरीली गैस है। इस वजह से विशाखापट्टनम से होकर गुजरने वाली श्रमिकों को ले जा रही स्पेशल ट्रेन का रूट डाइवर्ट किया गया है। जिन चार ट्रेनों के रूट डाइवर्ट हुए हैं वे चारों बिलासपुर से होकर गुजरेंगी। उत्तर भारत से चलकर पूर्वी भारत की तरफ श्रमिकों को ले जा रही चार ट्रेन विशाखापट्टनम गैस कांड की वजह से प्रभावित हुई हैं। यह ट्रेनें विशाखापट्टनम ना होकर अब बल्लारशाह, गोंदिया, रायपुर, बिलासपुर व झारसुगुड़ा होकर गंतव्य को जाएगी। हालांकि इस संबंध में बिलासपुर रेल मंडल के पास कोई सूचना नहीं है लेकिन ट्रेनों को डायवर्ट चलाए जाने का निर्णय उच्च स्तर पर लिया गया है यह ट्रेन शुक्रवार को बिलासपुर से होकर गुजरेंगी।
इन रूटों की है ट्रेन
गुड़ फैक्ट्री के मजदूर पैदल आए कलेक्टोरेट
कोटा के टांडा में गुड़ फैक्ट्री में काम करने वाले 25 मजदूर गुरुवार को अचानक कलेक्टोरेट पहुंच गए और उन्होंने प्रशासन से अपने मूल प्रदेश उत्तरप्रदेश जाने की मांग की। दो दिन बाद उनके लिए जाने की व्यवस्था करने का आश्वासन प्रशासन ने दिया। इधर जब फैक्ट्री संचालक को पता चला तो वे कलेक्टोरेट पहुंचे और उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मजदूरों को उन पर भरोसा नहीं था और वे बगैर बताए यहां पैदल आ गए। अब उन्हें यहां से लेकर फिर टांडा जा रहा हूं। परसों इन्हें इनके गांव भेजने का इंतजाम प्रशासन द्वारा किया जाएगा।
167 मजदूर भेजे गए झारखंड
167 मजदूरों को आज जिला प्रशासन ने झारखंड भेजा। वहीं 40 मजदूरों को शुक्रवार को भेजा जाएगा। वहीं 23 मजदूरों को रात में कोरिया रवाना किया गया। एसडीएम देंवेंद्र पटेल ने बताया कि अभी बाहर से ट्रेन से आ रहे मजदूरों के संबंध में कुछ फाइनल नहीं हुआ है लेकिन उनके रुकने का इंतजाम पूरा कर लिया गया है।
ब्लॉक वाइज बांटा जाएगा प्लेटफार्म को
बिलासपुर आने वाले श्रमिकों को प्लेटफार्म से बाहर निकालने और बसों तक पहुंचाने की व्यवस्था बनाने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, रेल प्रशासन और आरपीएफ के दस्ते ने गुरुवार को प्लेटफॉर्म का निरीक्षण कर रूपरेखा तैयार की। इसके तहत प्लेटफॉर्म को ब्लॉक वाइज बांटा जाएगा एवं उसी हिसाब से श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा। छत्तीसगढ़ आने वाले श्रमिकों की स्पेशल ट्रेन कब आएगी यह तय नहीं है। पहली जो ट्रेन बिलासपुर आने वाली है उसमें 1125 लेबर होंगे जो बिलासपुर, मुंगेली और जांजगीर-चांपा जिले के होंगे।
तहसीलों में राजस्व मामलों की सुनवाई डेढ़ माह बाद शुरू हो गई है। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जारी लॉकडाउन में राजस्व मामलों की सुनवाई स्थगित कर दी गई थी। अब सुनवाई फिर से शुरू कर दी गई है। नए आदेश और लॉकडाउन के मापदंडों के बीच राजस्व मामलों की सुनवाई शुरू हो चुकी है। बिलासपुर तहसील कार्यालय में नायब तहसीलदार, अतिरिक्त और तहसीलदार न्यायालय के अलावा एसडीएम कार्यालय में भी सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नई व्यवस्था में तहसीलदार तुलाराम भारद्वाज के अनुसार सुनवाई के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जाएगा। पक्षकार पेशी की तारीख अपने अधिवक्ता से पता कर सकते हैं। यदि वे नहीं आते हैं तो भी उनके अधिवक्ता के जरिए उन मामलों की सुनवाई की जा सकती है। इसके पूर्व 23 मार्च से अब तक लॉकडाउन की वजह से सभी बिलासपुर तहसील के सभी राजस्व न्यायालयों में 11 पेशी की तारीख बढ़ाई जा चुकी है। सुनवाई शुरू होते ही तहसील परिसर में चहल-पहल फिर से नजर आ रही है लेकिन प्रशासनिक अफसर उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग पालन करने की हिदायत भी दे रहे हैं।
कोरोना वायरस के बीच स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार की देर शाम तक 2085 लोगों को ट्रेस किया लेकिन सैंपल लेने की कोई रुचि विभाग में नहीं है। अभी तक सिर्फ एक तिहाई यानी 799 लाेगाें के सैंपल ही लिए जा चुके हैं। इनमें 741 लाेगाें की रिपाेर्ट मिली है जिनमें से एक को छोड़कर बाकी सभी निगेटिव पाए गए। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने 58 लोगों के सैंपल लिए। वहीं 1580 लोगों का पता लगाया गया जिन्होंने घरों में अपनी 28 दिन की क्वॉरेंटाइन अवधि को पूरा कर लिया है। इसके बावजूद भी इन सभी से घर में रहने के लिए कहा गया है। सीएमएचओ डॉ. प्रमोद महाजन के अनुसार बिलासपुर में कोराेना को लेकर स्थिति पूरी तरह ठीक है और पिछले 1 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोरोना को लेकर कोई नया मरीज सामने नहीं आया है।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर और अधीनस्थ निचली न्यायालयों के ग्रीष्मकालीन अवकाश को निरस्त कर दिया गया है। यह अवकाश 18 मई से 12 जून तक निर्धारित था। इस अवधि में नवीन प्रकरणों के अतिरिक्त प्राथमिकता के आधार पर लंबित निराकरण के आधार पर पांच साल से पुराने मामलों की सुनवाई होगी। यह आदेश रजिस्ट्रार जनरल के हस्ताक्षर से पारित हुआ है। इस आदेश में अधिवक्ताओं के लिए भी व्यवस्था दी गई है। ऐसे अधिवक्ता जो ई-फाइलिंग करने में अभ्यस्त नहीं हैं या जिनके पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है उनकी कठिनाइयों को ध्यान में रखा गया है। हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं को सहायता देने लॉकडाउन अवधि के दौरान हार्ड कापी की ई-फाइलिंग और काउंटर से वीडियो कांफ्रेंसिंग करने के लिए उच्च न्यायालय के परिसर में एक अलग से काउंटर जिसे हेल्प डेस्क के रूप में खोलने का निर्णय लिया है।
दुष्कर्म के मामले में आरोपी बनाए गए भगौड़े स्वयंभू बाबा नित्यानंद के बिलासपुर के कथित शिष्य ने अपनी पत्नी का परित्याग कर दिया है। उसके साथ मारपीट भी की। वह बच्चों को भी आश्रम भेजना चाहता है। मायके से पत्नी उससे मिलने कई बार आ चुकी है। वह हर हाल में उसके साथ ही रहना चाहती है पर शिष्य है कि मानने को तैयार नहीं है। हर बार वापस मायके भेज देता है। दो बच्चियां उसी के पास हैं। महिला का रायपुर में मायका है। 7 साल पहले सकरी क्षेत्र में उसकी शादी हुई थी। एक साल से पति ने उसका त्याग कर दिया था जिसके चलते वह मायके में रह रही है। हमेशा की तरह गुरुवार को वह ससुराल पहुंची। लाॅकडाउन के चलते गाड़ियां बंद होने के कारण वह 114 किलोमीटर का सफर कर यहां स्कूटी से आई। ससुराल गई तो पति ने भगा दिया। वह इस बार ठान आई है कि वह किसी भी हालत में वापस मायके नहीं जाएगी। वह शिकायत लेकर पुलिस के पास गई। एएसपी ने उसे सकरी थाना भेजा। सकरी पुलिस के बुलाने पर उसका पति आया जरूर पर घर ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। महिला रेड जोन से ग्रीन जोन में आई थी इसलिए पुलिस ने उसे फिलहाल आइसोलेट होने की सलाह दी। कहा कि 14 दिन पूरा हो जाए फिर उसकी शिकायत पर कार्रवाई होगी। महिला से कहा गया कि वह चाहे तो रायपुर चली जाए या फिर यहीं किसी धर्मशाला में रहे। महिला ससुराल जाने की जिद पर ही अड़ी हुई है। वह थाने में ही थी। महिला का पति का एलआईसी में जाब है। 2018 में वह अपने विभागीय ट्रेनिंग के सिलसिले में भोपाल गया। वहां मौसी का बेटा रहता है और वह बाबा नित्यानंद का शिष्य था। पति को उसने अपने गुरु से मिलवाया तो वह भी बाबा नित्यानंद का शिष्य बन गया। वापस घर लौटा तो बदल चुका था। उसने कह दिया कि अब दोनों के बीच पति-पत्नी का कोई रिश्ता नहीं रहेगा। वह बच्चे को बाबा के आश्रम भेजने तक के लिए कहने लगा। महिला को नित्यानंद के बारे में पता था। आश्रम में कई के साथ गलत काम हुआ था। उसने मना किया तो पति ने मारपीट की। उसके ऊपर कूकर फेंककर मारा। महिला शिकायत लेकर थाने गई तो वह पीछे-पीछे आ गया और मनाकर, नौकरी चले जाने का हवाला देकर घर ले आया। महिला के अनुसार उसके साथ प्रताड़ना का सिलसिला जारी था पर उसने कभी घर नहीं छोड़ा। पति ने मारपीट कर निकाल दिया तो वह मायके चली गई। यहां आकर भी वह परिवार के बारे में सोचती रही। दोनों बच्चे पति के पास ही है। वह रायपुर से दो बार ससुराल बिलासपुर आ चुकी है पर पति उसे दोनों बार रखने के लिए तैयार नहीं हुआ। गुरुवार को वह फिर अपने ससुराल बिलासपुर आ गई। सकरी टीआई रविंद्र यादव ने बताया कि फिलहाल उसे सामुदायिक भवन में रखा गया है। यहां पहले स्वास्थ्य की जांच कराई जाएगी। पति-पत्नी का मामला है इसलिए पहले इसे परिवार परामर्श केंद्र में रखेंगे।
कमरे से भगा देता था, फिर भी बुरा नहीं मानती थी
महिला के अनुसार पति की पोस्टिंग जब कोरबा जिले में थी तब वह करीब आने नहीं देता था। उसे बेड से से धकेलकर भीतर से दरवाजा बंद कर लेता था। वह फिर भी बुरा नहीं मानती थी। घर में दूर ही रह लेती थी। उसका कहना है कि वह ऐसे भी रहने के लिए तैयार है। ससुरालवालों से शिकायत की तो उन्होंने भी समझाकर भेजा।
महिला का कहना-त्यागना है तो मुझे अकेले ही क्यों माता, पिता,भाई, बहन सबका त्याग करे
महिला का कहना है कि पति को यदि त्याग करना है तो उसका ही क्यों। घर में मां-बाप, भाई-बहन सभी हैं उनका त्याग करे। घर में सुख सुविधाओं के बीच न रहकर बाहर निकल जाए और संन्यासी बन जाए। वह बच्चों की परवरिश कर लेगी। पति ऐसा करने के लिए वह तैयार नहीं है।
महाराणा प्रताप चौक में ट्रैफिक जाम की समस्या से राहत अब अगले अक्टूबर में मिलने की उम्मीद है, क्योंकि नया आरओबी डेडलाइन के मुताबिक 6 महीने लेट हो चुका है। तिफरा में रेलवे फाटक बंद रहने की कारण घंटों ट्रैफिक रुके रहने की समस्या हल करने के लिए 2008 में आरओबी का निर्माण कराया गया। लेकिन फाटक के बीच के हिस्से में दोपहिया वाहन के लिए जगह छोड़ने के कारण इसकी चौड़ाई कम हो गई है। वाहनों की बढ़ती संख्या तथा कम चौड़ाई की वजह से तिफरा जाने के लिए यह आरओबी नाकाफी साबित हुआ। ट्रैफिक की समस्या हल करने के लिए पिछली सरकार ने साल 2017 में जेपी वर्मा कॉलेज से सीएसईबी कार्यालय तिफरा के बीच दूसरे आरओबी के निर्माण के लिए कार्य शुरू कराया। निर्माण का कार्य नगरीय प्रशासन विभाग की देखरेख में चल रहा है । कार्यपालन अभियंता यूजीन तिर्की ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान निर्माण का कार्य प्रभावित हुआ। हैवी मशीनरी ऑपरेट करने वाले ऑपरेटर अपने राज्यों को लौट गए हैं, इसलिए निर्माण कार्य विलंब हो रहा है।
जानिए आरओबी के कौन-कौन से कार्य बाकी हैं...
1. आरोबी के 7 स्पान गर्डर को चढ़ाने का काम शेष है ।
2. तिफरा एंड में आरी पैनल का काम बाकी है।
3. महाराणा चौक पर गर्डर चढ़ाने के लिए ट्रैफिक बंद करना होगा। 4. सड़क के दोनों ओर एप्रोच रोड का निर्माण कराया जाना है।
रायपुर से रतनपुर जाने वाले वाहनों को मिलेगी राहत
नया आरोबी का निर्माण महाराणा चौक में लगने वाले जाम की समस्या दूर करने के लिए किया जा रहा है। इसके निर्माण से रायपुर की ओर से रतनपुर, कोटा, सीपत और कोरबा की ओर जाने वाली वाहनों को रुकना नहीं पड़ेगा। वही पुराने ओवरब्रिज से गौरव पथ व्यापार विहार की ओर आवागमन स्मूथ होगा। इस प्रकार महाराणा चौक में वाहनों का जाम नहीं लगेगा।
निर्माण कार्य 14 महीने लेट हुआ: तिफरा में नए आरओबी के निर्माण के लिए 67 करोड़ का ठेका हरियाणा गुड़गांव की ब्रह्मपुत्र बीकेबी कंपनी लिमिटेड को 30 अगस्त 2017 को दिया गया। कार्य 29 मार्च 2019 को हो जाना था। फिर 30 जून 2020 तक एक्सटेंशन दिया गया। वर्तमान में आरओबी का 70 फीसदी निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है और 30 फीसदी काम बाकी है।
पश्चिमी विक्षोभ के कारण अप्रैल व मई में कई दिन बारिश हुई है। मई में आसमान में भादो महीने जैसे बादल छाए हुए हैं और थोड़े अंतराल में तेज बारिश हो रही है। इस बेमौसम बारिश की बदौलत बीते दस साल में इस वर्ष मई के महीने में ग्राउंड वाटर लेवल सबसे अच्छा है। जिले भर में आठ से दस मीटर की गहराई में पानी है। समुद्र तल से एक हजार मीटर की उंचाई पर पाठ इलाकों में वाटर लेवल 15 मीटर है। इस बारिश ने इस वर्ष गर्मी में ना नदियों को सूखने दिया है और ना ही तालाब, कुएं व ढोडी सूखे हंै। सबसे अच्छी बात इस साल जिले भर में कहीं भी हैंडपंप सूखने की समस्या नहीं हुई है।
इस साल गर्मी में हो रही बारिश के चलते जिले भर में भू-जल रिचार्ज हुआ है। इसका फायदा आने वाले कई सालों तक मिलेगा। शहर की बात करें तो इन दिनों शहर के दोनों मुख्य तालाब देउलबंद और रानीसती भरे हुए हैं। शहर के कई वार्ड ऐसे हैं जहां 8 मीटर की खुदाई के बाद ही पानी निकल जा रहा है। इस वर्ष सार्वजनिक व निजी कुओं से लोगों को पर्याप्त पानी मिल रहा है। हर साल गर्मी में सूख जाने वाले कुएं में भी पर्याप्त पानी है। नगर पालिका द्वारा कुएं की सफाई व उसके गहरीकरण के लिए हर साल बंगाल के मजदूरों को लगाया जाता है। पर इस वर्ष ऐसी स्थिति निर्मित ही नहीं हुई है। ग्राउंड वाटर के रिचार्ज होने का सबसे बड़ा फायदा पीएचई विभाग को पहुंचा है। इस वर्ष अबतक हैंडपंप सूखने की समस्या कहीं से नहीं आई। भू-जल स्तर के गिरने से हर साल हैंडपंप सूख जाते थे। पीएचई विभाग को हैंडपंप टेक्नीशियन भेजकर हैंडपंपों में अतिरिक्त पाइप डालने पड़ते थे। बीते साल कौशल विकास से ट्रेनिंग दिलवाकर 40 युवकों को हैंडपंप टेक्नीशियन बनाया गया था। जो गांव में हैंडपंप सुधार का काम कर रहे थे।
शहर में इस बार पर्याप्त पानी, किल्लत नहीं है
हर साल गर्मी के दिनों में शहर में जलापूर्ति व्यवस्था चरमरा जाती थी। इसकी मुख्य वजह लावा नहीं में पानी कम हो जाना था। बीते साल लावा नदी की धार पतली हो हो जाने के कारण इंटकवेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा था और शहर में जलापूर्ति बार-बार ठप हो रही थी। इसके अलावा नलों में पर्याप्त पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही थी। सीएमओ ने बताया कि इस वर्ष नदी में पर्याप्त पानी होने से ऐसी समस्या नहीं है। शहर में जलापूर्ति के लिए फिल्टर प्लांट में लावा नदी से पानी लाया जाता है। लावा नदी के पानी को रोकने के लिए डुमरटोली गांव के पास एनिकट बनाया गया है। कई बार नदी का पानी सूखने के कारण एनिकट में भी पर्याप्त पानी जमा नहीं हो पाता है।
इस वर्ष हर महीने बारिश आगे भी इसकी संभावना
वर्ष 2020 में ऐसा कोई महीना नहीं है जब बारिश ना हुई हो। जनवरी महीने में पहले दस दिन बारिश का मौैसम बना रहा। फरवरी महीेन में भी करीब 20 दिन बारिश हुई। मार्च व अप्रैल महीने में भी बारिश होने से इस वर्ष गर्मी का एहसास नहीं हुआ। शहर सहित जिले के कई इलाकों में बुधवार की शाम को जमकर बारिश हुई थी। मौसम वैज्ञानिकों ने आगे भी बारिश की संभावना जताई है।
पहली बार हैंडपंप सुधारने की नौबत नहीं आई
बीते दस साल में यह पहली बार हुआ है जब हैंडपंप सुधारने के लिए टेक्नीशियनों को किसी गांव में ना जाना पड़ा हो। हर साल मार्च महीने से ही हैंडपंप सूखने की समस्या पैदा हाेने लगती है। पीएचई विभाग को हैंडपंप खराब होने की सूचना प्राप्त करने के लिए कंट्रोल रूम स्थापित करना पड़ता है और टोल फ्री नंबर जारी करने पड़ते हैं। इस वर्ष भी कंट्रोल रूम तो स्थापित किया गया है पर एक भी हैंडपंप खराब होने की सूचना नहीं है।
हैंडपंप सूखने की कहीं से सूचना नहीं
"इस वर्ष बारिश की वजह से ग्राउंड वाटर लेवल ठीक है। गर्मी के कारण हल्की गिरावट जरूर आई है पर इस वर्ष गिरावट का स्तर अन्य सालों के मुकाबले बेहद कम है। 8 से 10 मीटर पर कई स्थानों पर पानी है। इस वर्ष कहीं से भी हैंडपंप सूखने की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। हालांकि विभाग पेयजल समस्या से निपटने के लिए तैयार बैठा है।''
-वीके उमरलिया, ईई, पीएचई
निजी स्कूलों में आरक्षित शिक्षा का अधिकार (आरटीई) की सीटों के लिए आवेदन 30 मई तक स्वीकार किए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया फिर शुरू हो चुकी है। सीटों के आबंटन के लिए जून के पहले सप्ताह में लॉटरी होने की संभावना है।
आरटीई के दायरे में आने वाले राज्यभर के निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले के लिए आवेदन की प्रक्रिया मार्च से शुरू हुई। शुरुआत में आवेदन की संख्या अच्छी रही। लेकिन लॉकडाउन की वजह से धीरे-धीरे यह कम हो गई। राज्य के 6480 निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार से 81452 सीटें आरक्षित है। इनके लिए 60678 आवेदन मिले हैं। यानी जितनी सीटें हैं उतने भी आवेदन विभाग को नहीं मिले हैं। रायपुर व कुछ अन्य जिलों को छोड़ दिया जाए तो कई जगह सीटों की तुलना में आरटीई आवेदन कम मिले हैं। कुछ दिन पहले आवेदन की प्रक्रिया को शिक्षा विभाग ने स्थगित किया था। एक बार फिर फार्म स्वीकार किए जा रहे हैं। 30 मई तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि सरकारी स्कूलों में बने नोडल सेंटर की मदद से भी आरटीई के लिए आवेदन भरे जाते थे। स्कूल अभी बंद है इसलिए आवेदन में पैरेंट्स को परेशानी हो रही है। इसके अलावा साइबर कैफे भी बंद है, इसकी वजह से भी आवेदन में कमी आई है।
गौरतलब है कि ऑनलाइन पोर्टल eduportal.cg.nic.in/rte के माध्यम फार्म भरे जा सकते हैं। आवेदन के लिए जन्म प्रमाण पत्र, पहचान प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र, गरीबी रेखा से नीचे प्रमाण, सरकारी अस्पताल से प्रमाण पत्र, चाइल्ड वेलफेयर समिति की सूची में नाम जरूरी है।
सिर्फ रायपुर में ही सीट से ज्यादा आवेदन
रायपुर के निजी स्कूलों में आरटीई की 8678 सीटें हैं। इनकी तुलना में आवेदन की संख्या कुछ ज्यादा है। जबकि दूसरे अन्य जिलों में सीटों के आवेदन कम मिले हैं। जैसे बिलासपुर में 10578 सीट है। इसके लिए 5169 आवेदन मिले हैं। राजनांदगांव में 4558 सीटों के लिए 3611 आवेदन मिले हैं। जांजगीर चांपा में 6734 सीटों के लिए शिक्षा विभाग को 4796 फार्म मिले हैं। इसके अलावा कई अन्य जिले हैं जहां सीटों से आवेदन कम प्राप्त हुए हैं।
उम्र के अनुसार क्लास का होगा चयन
शिक्षा के अधिकार के तहत प्राइवेट स्कूलों में आरक्षित सीटों के लिए आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। उम्र के अनुसार क्लास का चयन होगा। उसके अनुसार ही सीटों का आबंटन होगा। शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी-1 और कक्षा पहली में प्रवेश होगा। 3 से 4 वर्ष तक की उम्र के लिए नर्सरी। 4 से 5 साल के लिए केजी-1 और 5 से साढ़े छह साल तक की उम्र वाले के बच्चों का प्रवेश कक्षा पहली में होगा।
चार वन रक्षकों पर कुछ ग्रामीणों ने हमला कर उनकी वर्दी फाड़ दी। वनकर्मी ने इसे लेकर पुलिस में शिकायत की है लेकिन अब तक मामले में किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हाे सकी है।
4 मई की रात को अपने दल से भटक कर अकेले घूम रहे एक हाथी आमाकछार के जंगलों से निकल कर ग्राम मधुबन आमाटोली के नजदीक आ गया था। हाथी की चिंघाड़ सुनकर सभी ग्रामीण हाथी को खदेड़ने खेतों में पहुंचने लगे। हाथी ग्रामीणों के धान की खड़ी फसल को खाने में लगा था। ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग के चार वन रक्षक राजेश कुमार मिर्रे, मनमोहन रात्रे, संजय पैकरा व लखेस पैंकरा भी दल बल के साथ मौके पर पहुंचे। मौके पर उन्होंने देखा कि लगभग 300 ग्रामीण हाथी के नजदीक जा कर मशाल जला कर हाथी पर फेंक रहे थे, तो कोई गुलेल से हाथी को मार रहा था। जिससे हाथी भी आक्रोशित होकर ग्रामीणों को दौड़ा रहा था। वन रक्षकों ने ग्रामीणों को काफी समझाने का प्रयास किया। लेकिन कुछ ग्रामीण शराब नशे में चूर थे और समझने पर आक्रोशित होकर वनकर्मियों पर ही टूट पड़े। ग्रामीणों ने चारों वनरक्षक को दौड़ा दौड़ा कर पीटना शुरू कर दिया। जिसमें वन रक्षक राजेश कुमार मिर्रे के सिर और कनपटी पर गंभीर चोटें आई है। साथ ही ग्रामीणों ने उसकी वर्दी फाड़ दी। जिसके बाद अन्य वनकर्मी बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर भागे। सूचना मिलते मौके पर पहुंची पुलिस ने आक्रोशित ग्रामीणों को शांत करने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण वनकर्मियों को दोषी ठहराते रहे।
एफआईआर दर्ज नहीं की
"घटना की सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची। ग्रामीणों को समझाइश दे कर घर भेजा गया। वन कर्मियों ने शिकायत तो की है लेकिन एफआईआर दर्ज कराने कोई भी नहीं आया। ना ही किसी ग्रामीण ने किसी प्रकार की मारपीट की पुष्टि की है।''
-चन्द्र प्रकाश, चौकी प्रभारी, कोतबा
लॉकडाउन-3 में सुबह 5 घंटे के लिए बाजार खुलने की अनुमति दी गई है। शहर में सभी दुकानें सुबह 7 से 12 बजे तक खुल रहीं हैं। इससे पहले तक सिर्फ किराना, फल व सब्जियों के लिए दुकानें खुल रहीं थी। बाजार तो खुल गए हैं पर लॉकडाउन के दौरान ग्राहकों के खरीदी का अंदाज बदला हुआ है। ग्राहक लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए सिर्फ घरों में काम आने वाले सामान खरीद रहे हैं।
इलेक्ट्राॅनिक सामान में ऐसी चीजों की ज्यादा डिमांड है जिससे घर में बच्चों का मनोरंजन हो। इलेक्ट्रॉनिक में वीडियो गेम, स्टडी किट जैसे सामान बिक रहे हैं। पंखे, एसी, फ्रीज जैसे समानों कर मांग काफी कम है। इसी तरह कपड़ों में भी फैंसी कपड़ों की डिमांड अभी ज्यादा नहीं है। फैशन पार्क के संचालक विवेक अग्रवाल ने बताया कि कपड़े में अंडर गारमेंट की मांग अभी सबसे ज्यादा है। फैंसी कपड़ों के ग्राहक अभी ज्यादा नहीं आ रहे हैं। घर में उपयोग होने वाले लोवर टी-शर्ट जैसे कपड़े ज्यादा बिक रहे हैं। इधर जनरल स्टोर से जुडे घर में रहकर विभिन्न कलाकृतियों के लिए सजावट के सामान की मांग ज्यादा है। स्टेशनरी दुकानों से कापी-किताब के बजाए इनडोर गैम के समानों की मांग ज्यादा है। मोबाइल की बिक्री लॉकडाउन में भी प्रभावित नही है। कई मोबाइल दुकानों में नए मोबाइल दो दिन में ही बिककर खत्म हो गए हैं। इसके अलावा मोबाइल दुकानों से इयर फोर, हेडफोन की मांग ज्यादा आ रही है।
एक तरह का सामान बिकने से खत्म होने का डर
लगभग सभी दुकानों में एक ही तरह के सामान ज्यादा बिक रहे हैं। कपड़ा व्यवसायियों ने बताया कि यदि यही हाल रहा तो घरेलू उपयोग के कपड़ों का स्टॉक जल्दी ही खत्म हो जाएगा। अभी बाहर से कपड़ा आने की गुंजाइश भी कम है। शहर के कई मोबाइल दुकानों में इयर फोन व मोबाइल खत्म हो चुके हैं। कॉस्मेटिक दुकानों में फेश वॉश, फेश ग्रीन व सन स्क्रीन लोशन खत्म हो रहे हैं।
प्रदेश में कोविड-19 के एक्टिव केस सिर्फ 21 हैं। पर यहां से झारखंड गए पांच मजदूर झारखंड में जांच के बाद कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। यह पांचों मरीज छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों से झारखंड के पलामू जिले में पहुंचे थे। इससे यह आशंका है कि जहां से मजदूर निकले थे वहां और भी कोई संक्रमित हो सकता। या फिर रास्ते में जाते वक्त ये संक्रमण के शिकार हुए होंगे।
छत्तीसगढ़ से झारखंड के पलामू जिला जाने के दो रास्ते हैं। एक रास्ते से जशपुर बॉर्डर होते हुए झारखंड प्रवेश कर पलामू जिला पहुंचा जा सकता है। वहीं दूसरा रास्ता सरगुजा जिले से भी है। झारखंड के पलामू जिले में गुरुवार शाम को पांच संदिग्धों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वहां कोरोना मरीजों की संख्या 133 हो गई है। झारखंड में जो नए पांच मरीज मिले हैं उनमें एक महिला व चार पुरुष हैं और चारों छत्तीसगढ़ से वहां लौटे हैं। झारखंड सरकार इन पांचों की कांटेक्ट हिस्ट्री खंगाल रही है। अब इनके कांटेक्ट हिस्ट्री के बाद ही यह पता चल पाएगा कि मजदूर छत्तीसगढ़ में कहां थे और किस रास्ते से झारखंड पहुंचे हैं।
रांची से पैदल जशपुर आ रहे स्टूडेंट्स को गुमला में रोका
झारखंड के रेड जोन रांची से छत्तीसगढ के छात्र-छात्रा पैदल अपने घर के निकले थे। जिन्हें गुरुवार को झारखंड के गुमला प्रशासन ने रोका और क्वारेंटाइन किया है। ये सभी छात्र-छात्राएं जशपुर सहित अन्य जिलों के हैं। गुमला प्रशासन को छात्र-छात्राओं ने बताया कि वे छग के निवासी हैं और रांची में रहकर पढ़ाई करते हैं। एक महीने से लॉकडाउन होने के कारण उनके पास पैसे खत्म हो गए हैं। ऊपर से मकान मालिक किराए के लिए दबाव बना रहा था। खाने-पीने का सामान भी खत्म हो जाने के कारण उन्होंने पैदल निकल जाने का फैसला किया था और 3 मई की तड़के 3 बजे ये सभी पैदल छग के लिए निकले थे।
कोरोना के कहर के बीच महाराष्ट्र, हैदराबाद सहित दूसरे राज्यों से अब तक जिले में लोगों के आने का सिलसिला जारी है। पिछले 15 दिन में 424 लोग यहां पहुंचे हैं। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद सभी को गांव के स्कूल व भवन में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में शिफ्ट किया गया है। दूसरे राज्यों से लौटने वाले बढ़ते जा रहे हैं। वहीं शासन की ओर से बाहर में फंसे लोगों को लाने की प्लानिंग भी बनी हुई है। ऐसे में यह आंकड़ा बढ़ते क्रम पर रहेगा।
जिलेवासी चिंतित हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ की अपेक्षा दूसरे राज्यों में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और वहीं से लोग आ रहे हंै। 22 अप्रैल काे 3529 लौटे थे। जो गुरुवार को बढ़कर 3953 पहुंच गया है। पहले जो दूसरे राज्य से आते थे, उन्हें 28 दिनों तक होम आइसोलेशन में रखते थे। कोरोना के केस बढ़ रहे तब आने वालों को क्वारेंटाइन सेंटर में शिफ्ट कर रहे हंै। सीएमएचओ डॉ. बीएल रात्रे ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग परीक्षण के अलावा रैपिड टेस्ट किट का उपयोग कर रही है ताकि संक्रमित मरीजों की जानकारी हो सके।
विदेश से आने वाले सभी 65 सुरक्षित, सैंपल रिपोर्ट भी निगेटिव, लगातार नजर रखी है
जिलेवासियों के लिए राहतभरी खबर है कि विदेश से पहुंचे जिले के सभी 65 लोग सुरक्षित हैं। हालांकि सभी को सुरक्षा के लिहाज से लॉकडाउन तक घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी गई है। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट अनुसार दूसरे राज्यों से लौटे 3 हजार 953 लोगों को चिह्नांकित किया गया है। जिसमें 3 हजार 507 का होम आइसोलेशन पूरा हो चुका है। वहीं 446 लोगों को अब तक विशेष निगरानी में रखा गया है। जिसमें बालोद ब्लॉक के 29, डौंडी के 38, डौंडीलोहारा के 253, गुरूर के 40, गुंडरदेही ब्लॉक के 86 लोग शामिल है। इनमें अधिकांश महाराष्ट्र से लौटे हैं।
कोटा से लौटे 31 छात्र 14 दिन के होम आइसोलेशन पर
कोटा (राजस्थान) से लौटे जिले के 31 छात्र-छात्राओं की घर वापसी के बाद इनका गुरुवार से होम आइसोलेशन शुरू हो गया है। इसके पहले बुधवार को स्वास्थ्य विभाग ने सभी छात्र-छात्राओं को हैंड सैनेटाइज कराकर स्वास्थ्य परीक्षण किया। विशेष निर्देशों के साथ उन्हें उनके पालकों को सौंपा गया। इससे पहले छात्र-छात्राओं को लेने उनके पालक सरदार वल्लभ भाई पटेल मैदान पहुंच गए थे। डिप्टी कलेक्टर एवं नोडल अधिकारी प्रेमलता चंदेल ने बताया कि सभी छात्र-छात्राओं को कोटा से वापसी के बाद बिलासपुर में स्वास्थ्य परीक्षण कराकर क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया था। उन्होंने कहा कि सभी छात्र-छात्राएं व उन्हें घर ले जाने आए पालक 14 दिनों तक अपने घर में होम आइसोलेशन में रहेंगे।
लॉकडाउन के पहले की स्थिति- जब पहुंचे थे 505
लॉकडाउन के पहले 23 मार्च तक विदेश से लौटने वाले 23 व देश के दूसरे राज्यों से लौटने वाले 482 (कुल 505) की पहचान की गई थी। ऐसे में लॉकडाउन लगने के बाद 3 हजार 448 लोगों की पहचान की गई है। जो दूसरे राज्यों से लौटे हैं। स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन की ओर से गठित टीम घरों में पहुंचकर स्वास्थ्य संबंधित जानकारी ले रही है।
सभी का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे हैं: सीएमएचओ
सीएमएचओ डॉ. बीएल रात्रे ने बताया कि दूसरे राज्यों से लौटने वालों की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम को संबंधित तक पहुंचकर स्वास्थ्य परीक्षण करने निर्देश दिए है। अभी हमारे जिले में स्थिति सामान्य है। फिर भी जागरुकता जरुरी है, क्योंकि कई लोग दूसरे राज्यों से लौटने के बाद भी देरी से जानकारी दे रहे हंै। विभाग अलर्ट है।
एहतियात: 782 में से 766 लाेगाें की सैंपल रिपोर्ट निगेटिव आई
जिले में ज्यादा लोगों को चिन्हित कर सैंपल लेकर भेजा जा रहा है। कोरोना जांच के लिए रायपुर एम्स व मेडिकल कॉलेज के कोविड लैब में 782 सैंपल भेजे जा चुके हैं। जिसमें 766 लोगों की रिपोर्ट जिला स्वास्थ्य विभाग को मिल चुकी है। सभी निगेटिव है। 16 सैंपल का रिपोर्ट आना बाकी है। सीएमएचअाे डाॅ. बीएल रात्रे ने बताया कि जितनी सैंपल रिपोर्ट मिली है, वह निगेटिव है। मेडिकल कॉलेज में 14 व एम्स के कोविड लैब में 768 सैंपल भेज चुके हंै। आज भी भेजे हैं।
जिले के 442 राशन दुकानों में चावल लेने को लेकर लगाई गई बंदिशें हटा दी गई है। अब बीपीएल कार्डधारी कभी भी इस माह के अंदर चावल लेने पहुंच सकते हैं।
अप्रैल-मई का अतिरिक्त चावल पहुंच गया है। जिसे 31 मई तक मुफ्त में ले सकेंगे। जून का चावल इस माह नहीं ले जाएंगे तो अगले माह ले जा सकते हैं। पहले वार्डवार हितग्राहियों को बुलाकर चावल वितरित किया जा रहा था। जिसके कारण लोग जरुरी काम छोड़कर चावल लेने लाइन लगाने मजबूर थे लेकिन अब आवश्यकता अनुसार पहुंच सकते हैं। मास्क पहनना जरूरी है। इस माह से अप्रैल, मई और जून का अतिरिक्त चावल बांटा जा रहा है। इसके अलावा जून माह का आवंटन हिसाब से बांट रहे हैं।
अफसरों का कहना है कि लोगों में जागरुकता आने लगी है, भीड़भाड़ न हो इसलिए राशन दुकानों के सामने मार्किंग की गई है। इसी हिसाब से लोग अपने सुविधानुसार चावल लेने के लिए पहुंच रहे हैं।
साबुन, बाल्टी, पानी की व्यवस्था की गई है ताकि हाथ धोकर लोग चावल लेने लाइन में लग सकें। इससे कोरोना का संक्रमण भी नहीं रहेगा। सोशल डिस्टेंस का पालन होगा। पहली बार चार ब्लॉक बालोद, गुरूर, गुंडरदेही व डौंडीलोहारा के बीपीएल परिवारों को चावल के साथ एक किलो चना भी दिया जा रहा है।
जिला खाद्य अधिकारी विजय किरण ने बताया कि अप्रैल-मई का अतिरिक्त चावल राशन दुकानों में पहुंच चुका है, कार्ड दिखाकर हितग्राही 31 मई तक ले जा सकते हैं। इसके बाद जून माह में उसी माह का आवंटन ले सकते हैं। इसमें किसी तरह की बाध्यता नहीं है। हमारा उद्देश्य यही है कि सभी को शासन के आदेश व आवंटन अनुसार चावल मिले।
जिनके पास कार्ड नहीं वे परेशान न हों, उन्हें पंचायतों व अन्न बैंक से मिलेगा चावल, नान से कर रहे हैं भंडारण
जिले के 8 शहरी और 435 ग्राम पंचायत क्षेत्र में जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें भी प्रत्येक सदस्य के हिसाब से 5-5 किलो चावल मिलेगा। ऐसे परिवारों के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में अलग-अलग व्यवस्था बनाई गई है। ग्रामीण क्षेत्र में पंचायतों को जिम्मेदारी दी गई है। वहीं शहरी क्षेत्र में अन्न बैंक के माध्यम से जरूरतमंदों को चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। वर्तमान में आवंटन अनुसार बीपीएल व एपीएल परिवारों को चावल वितरण किया जा रहा है। जिला खाद्य अधिकारी विजय किरण ने बताया कि जिन परिवारों के पास कार्ड नहीं है, आवेदन लेकर राशन कार्ड बना रहे हैं। दरअसल शासन ने निर्णय लिया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन में प्रभावित राशनकार्ड विहीन परिवारों को भी खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध कराया जाए। सभी राशन दुकानों में चावल, चना का वितरण हो रहा है। शासन, खाद्य, नान विभाग की ओर से चावल, चना का भंडारण अब तक जारी है। ताकि सभी लोगों को सामग्री दी जा सके और कोई परेशानी न हो।
गुरुवार को अलसुबह 3 बजे से मौसम ने करवट बदली। गरज-चमक के साथ जिलेभर में 22.7 मिमी बारिश हुई। इस दौरान 24 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चली। जिसके चलते खेतों में धान की फसल झुक गई। सुबह जब किसान पहुंचे तो बालियां बिखरी हुई मिली। घुमका-सांकरा के बीच खेतों में फसल की बर्बादी हुई। किसान भोजेश साहू,जागेश्वर, पन्नालाल, चिंताराम ने कहा कि इससे नुकसान तय है।
इस वजह से मौसम बदला
मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया कि मध्यप्रदेश में चक्रीय चक्रवाती घेरा व बिहार और तमिलनाड़ु में द्रोणिका बनने का असर यहां दिखा। मौसम में बदलाव के साथ बौछारें पड़ी।
37 डिग्री तापमान, चली ठंडी हवा
गुरुवार को अधिकतम तापमान 37 डिग्री रहा। जो पिछले 24 घंटे की अपेक्षा 4 डिग्री कम है। सुबह 8 बजे के बाद मौसम साफ हुआ। ठंडी हवाएं चलने से सूर्य की तपिश, तेज गर्मी व उमस से राहत मिली।
जानिए, आगे क्या होगा
शुक्रवार को सुबह से दोपहर तक मौसम साफ रहेगा। हालांकि बादल छाए रहेंगे। लेकिन बारिश के आसार कम है, सिस्टम सक्रिय नहीं है।
गुरूवार को 27 लोग हैदराबाद से 700 किलोमीटर का सफर तय कर गुंडरदेही ब्लॉक के एक गांव पहुंचे। जिसमें से एक 20 वर्षीय युवक को लगातार सर्दी, खांसी हो रही थी। गांव पहुंचने के बाद तबियत और खराब हो गई। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य परीक्षण कर रैपिड टेस्ट किट से जांच कर सुरक्षा के लिहाज से शाम 7 बजे के बाद युवक को संजीवनी 108 एक्सप्रेस के माध्यम से कोविड अस्पताल पहुंचाया। सरपंच के अनुसार सभी हैदराबाद से पहुंचे थे। सिर्फ एक को छोड़ बाकी स्वस्थ है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से किट के माध्यम से जांच की गई है, रिपोर्ट की जानकारी अभी नहीं दी गई है। युवक को बालोद कोविड अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। इसके पहले भी कोविड अस्पताल में सर्दी, खांसी, तेज बुखार, सीना दर्द की शिकायत होने पर कोरोना संदिग्ध मानकर मरीजों को भर्ती किया गया था। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि जब तक किट के माध्यम से संभावित का पता नहीं चल जाता, तब तक संदिग्ध नहीं मान सकते।
लाॅकडाउन के दौरान माइंस में दो पाली में कार्य करने से उत्पादन प्रभावित हाे रहा था। वर्तमान में बालोद जिला ग्रीन जोन में आने के बाद माइंस यूनियन के पदाधिकारी कंवलजीत सिंह मान, अभय सिंह, एमपी सिंह, प्रकाश क्षत्रिय, ज्ञानेन्द्र सिंह, गणेश राम चाैधरी से सहमति लेकर वापस तीन पाली में कार्य शुरू कर दिया गया।
इस संबंध में खान मुख्य महाप्रबंधक तपन सूत्रधार से चर्चा करने पर बताया कि लाॅकडाउन के नियमों का पालन करते हुए माइंस क्षेत्र को प्रतिदिन सैनिटाइज किया जा रहा है। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हाथ धुलाई पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
दल्ली माइंस व राजहरा माइंस में नाइट शिफ्ट में कार्य करने वाले लगभग 80 कर्मचारी काम पर जाने से हमारा उत्पादन लक्ष्य तक तकरीबन पहुंच चुके हैं। फिर भी काम की रफ्तार में कमी होने से 3 रेक के बजाय ढाई रेक ही आयरन ओर भिलाई परिवहन कर पा रहे हैं। वर्तमान में भिलाई स्टील प्लांट में लगभग एक लाख टन आयरन ओर डंप किया जा चुका है। आने वाले कुछ दिनों में हम लगभग 2 लाख टन आयरन ओर डंप करने रखने का लक्ष्य है। ताकि प्लांट के सभी यूनिट के चालू होने से आयरन ओर की पूर्ति की जा सकेगी।
वर्तमान हालात पूरे विश्व में स्टील मंदी के दौर से गुुजर रहा है। भिलाई स्टील प्लांट से निर्मित स्टील दुनिया में नंबर वन पर है। आने वाला समय में स्टील की मांग व खपत बढ़ने वाली है जिसकी तैयारी हम अभी से कर रहे है। कई देशों में स्टील का निर्यात किया जाएगा।
बेमेतरा जिले से दूसरे राज्यों में मजदूरी करने 30355 मजदूर गए हुए हैं जो लॉकडाउन के कारण फंसे हैं। जिला पंचायत सीईओ रीता यादव के मुताबिक ये आंकड़े जिला प्रशासन द्वारा शासन को भेजा गया है। इसमें मुख्य रूप से जिले के करीब 15 हजार मजदूर महाराष्ट्र के पुणे शहर में फंसे हैं।
महाराष्ट्र में कोरोना महामारी फैली हुई है। एहतियात के तौर पर महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश के लखनऊ से आने वाले मजदूरों के ठहरने के लिए जिला प्रशासन ने अलग से व्यवस्था बनाई है। शासन द्वारा ऐसे मजदूरों को घर वापसी की अनुमति दी गई है जो धीरे-धीरे अपने गांव पहुंचने लगे हंै।
राज्य शासन को स्थानीय प्रशासन द्वारा मजदूरों की जानकारी भेज दी गई है। मजदूरों को क्वारेंटाइन सेंटर में रखने के लिए ग्राम पंचायत, सामुदायिक भवन व स्कूल में रखने की व्यवस्था की गई है। जहां 14 दिन तक क्वारेंटाइन में रखा जाएगा। व्यवस्था बनाने को लेकर जिला प्रशासन द्वारा पंचायत भवन, स्कूल की साफ-सफाई कर सैनिटाइज करने कहा गया है।
सचिव, पुलिस व पंचायत पदाधिकारी करेंगे मजदूरों की निगरानी: जिला पंचायत सीईओ रीता यादव ने बताया कि बेमेतरा जिले से 30355 मजदूर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने गए है। जिसकी जानकारी राज्य सरकार को भेजी गई है। इसमें करीब 15000 मजदूर महाराष्ट्र के पुणे शहर में है। मजदूरों के लौटने पर उन्हें ग्राम पंचायत, सामुदायिक भवन में 14 दिन तक क्वारेंटाइन पर रखा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे मजदूरों का स्वास्थ्य जांच किया जाएगा। मजदूरों की निगरानी रखने सचिव, पुलिस बल के साथ कोटवार और पंचायत प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ताकि कोई भी व्यक्ति क्वारेंटाइन सेंटर से बिना अनुमति के बाहर ना निकल सके।
इधर गांव में रह रहे लोग संक्रमण की आशंका से डरे
महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के फैलने व मजदूरों के लौटने से गांवों के लोग दहशत में है। इसके साथ ही सुरक्षा को देखते हुए ग्रामीण मजदूरों को क्वारेंटाइन सेंटर से बाहर नहीं निकलने की मांग कर रहे हैं। ताकि संक्रमण का खतरा न रहे। शहरी क्षेत्र में क्वारेंटाइन सेंटर में एक साथ बड़ी संख्या में मजदूरों को ठहराने की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं होने के कारण प्रशासन फिलहाल गांव गांव में सरकारी भवनों को क्वारेंटाइन सेंटर बनाने व स्वास्थ्य जांच की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर व्यवस्था बनाई गई है। ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सेवा के अलावा रहने की समुचित सुविधाएं मिल सके।
मौसम में बदलाव के कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस साल बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि के कारण रबी फसल मसूर, धनिया, राहर, लाखड़ी, अलसी को नुकसान हु्आ है। सबसे ज्यादा चना फसल खराब हुई है। इस साल अधिकतर किसानों को लागत राशि भी नहीं मिल पाई। चना फसल में फूल आने के दौरान बेमौसम बारिश से फसल खराब हो गया। फल लगने के दौरान ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
किसान टीआर जनार्दन ने बताया कि 50 साल बाद यह पहली बार हुआ जब इस तरह से बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि के कारण फसल को नुकसान हुआ है। कृषि वैज्ञानिक और कृषि अधिकारी मौसम विभाग के पूर्वानुमान को नजरअंदाज कर किसानों को खेती किसानी के लिए सामायिक सलाह नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण किसान अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं। इसके चलते रबी और खरीब खरीफ फसल को नुकसान हो रहा है। इससे किसानों को परेशानी हो रही है।
किसानों को फसल चक्र अपनाने को लेकर कृषि विभाग ने गाइडलाइन जारी नहीं की है। ग्राम मोहतरा खंडसरा के किसान टीआर जनार्दन ने कहा कि किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुट गया है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों को फसल चक्र की समय सीमा और बीज का चयन किस
प्रकार से करें और बोनी की स्पष्ट गाइडलाइन तैयार कर किसानों को अभी से सलाह दें, ताकि किसान खरीफ और रबी फसल में भी नुकसान से बच सके।
पांच दिनों के भीतर समितियों में पहुंचा दिया जाएगा सोयाबीन बीज: इस साल 12 से 15 प्रतिशत तक धान की खेती में वृद्धि की संभावना है। अभी तक किसानों के अनुसार 25000 क्विंटल धान की बीज धान की आवश्यकता जिले में है। पिछले साल की तुलना में यह आंकड़ा दोगुना हो रहा है। कृषि उपसंचालक एमडी मानकर ने बताया कि फील्ड में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी किसानों के संपर्क में है। बीज खाद की स्थिति ठीक है। मौसम इस साल वैज्ञानिकों के अनुसार 100 फ़ीसदी अनुकूल रहेगा।बीज निगम से धान महामाया, राजेश्वरी, स्वर्णा, महामाया मीडियम, राजेश्वरी धान का भंडारण किया गया है। किसानों को पर्याप्त मात्रा में बीज वर्तमान में उपलब्ध है। आगामी हफ्ते के बाद 7600 क्विंटल सोयाबीन बीज सहकारी केंद्रों में पहुंचा दिया जाएगा।
केंद्रों मेंकेवल धान का बीज उपलब्ध
विभाग गांव में अर्ली वैरायटी और देर से पकने वाले बीज के संबंध में किसानों को जानकारी नहीं दे रहा है। इसके कारण किसानों को खेती करने के तरीके की जानकारी नहीं मिल रही है। पर्याप्त मात्रा में बीज का भंडारण समितियों में नहीं हो पाया है। केवल धान बीज उपलब्ध है। वह भी समितियों के डिमांड के अनुसार बीज निगम ने केंद्रों में सप्लाई नहीं की है। सोयाबीन बीज अभी तक बेमेतरा जिले के किसी भी सहकारी केंद्र में नहीं पहुंच पाया है। किसान रामकुमार पटेल, मेघराज भारतीय ने बताया कि कृषि विभाग खरीफ फसल को लेकर व्यापक कार्य योजना मौसम परिवर्तन को ध्यान में रखकर तैयार कर किसानों को नियमित रूप से जानकारी दें।
साहब! सास की तबीयत खराब है, पत्नी को उनके मायके छोड़ने जाना है, बच्चा बाहर पढ़ाई करता है, उसे लाना है। बेटे की शादी है, बारात ले जाने की अनुमति चाहिए... ऐसे दर्जनों आवेदन रोज जिला प्रशासन के पास आ रहे हैं। ढील के कारण लोगों को आसानी से जिले से बाहर जाने की अनुमति भी मिल जा रही है। अभी तक 650 से अधिक लोगों को अनुमति जिले से बाहर जाने के लिए दी जा चुकी है।
देश भर में लागू लॉकडाउन के बाद 24 मार्च से लोगों का घरों से बाहर निकलने की भी मनाही थी। ऐसे में वे लोग जो दूसरे जिले में हैं वे वहीं रह गए तो शादी की तिथि भी बदलनी पड़ी, जिले से जिले में शादी करने की अनुमति मिली तो अन्य जिले में जाने के लिए लॉकडाउन के दूसरे चरण तक अनुमति नहीं मिल पाई। इस वजह से लगभग डेढ़ माह तक लोगों को अपने घरों में ही रहना पड़ा। इस दौरान किसी के घर परिवार में किसी की मौत भी हुई तो अनुमति नहीं मिलने के कारण अंत्येष्टि में शामिल नहीं हो सके। अब ऐसे लोग अपने लोगों से मिलने के लिए अनुमति ले रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा भी अनुमति आसानी से दी जा रही है।
आवेदन में देनी होगी पूरी जानकारी
कहीं भी बाहर जाने के लिए पहले दिन दोपहर 1.30 बजे तक आवेदन लिया जा रहा है। आवेदन में संबंधित को पूरी जानकारी देनी होगी। जैसे जाने वालों के नाम, जिस वाहन से जाएंगे उसका नंबर और उसी वाहन से जाना जरूरी। जिस काम से जा रहा है उसका उल्लेख जरूरी, क्या जाने वाले वहीं रुकेंगे या सेम डे या दूसरे दिन वापस लौटेंगे। ऐसी तमाम जानकारी देनी होगी। तब अनुमति मिलेगी। वैसे ही विवाह के लिए बारात जाने की अनुमति तब मिलेगी जब कन्या पक्ष के लोगों ने अपने जिले के प्रशासन से शादी की अनुमति ले ली हो।
प्राथमिकता के आधार पर दे रहे हैं अनमुति
"बाहर जाने वालों से आवेदन लिया जा रहा है तथा प्राथमिकता के आधार पर अनुमति भी दी जा रही है, संबंधित को अपनी पूरी जानकारी आवेदन के साथ देनी होगी। अभी तक 650 से अधिक लोगों को अनुमति दी जा चुकी है।"
-सचिन भुतड़ा, प्रभारी अधिकारी
बाहर से आने वाले मजदूरों से कोराेना का संक्रमण न फैले इसके लिए उन्हें गांवों से बाहर सुरक्षित व सुरक्षित स्थानों में क्वारेंटाइन किया जा रहा है। लेकिन जानलेवा संक्रमण के खतरे से अनजान उनके रिश्तेदार क्वारेंटाइन किए गए मजदूरों से मिलने आते हैं। इतना ही नहीं नजदीक खड़े होकर देर तक बात भी करते हैं। यह लापरवाही प्रशासन के इंतजाम पर भारी पड़ सकती है। एक तो बड़ी संख्या में मजदूरों के आने से लोग सहमे हुए हैं और उस पर इस प्रकार की लापरवाही से कोरोना वायरस लोगों को चपेट में ले सकता है।
जिला प्रशासन के मुताबिक जिले में 30 हजार से अधिक मजदूर लौटेंगे। जिले में सबसे ज्यादा लगभग 9000 मजदूर पामगढ़ क्षेत्र में ही आएंगे। पामगढ़ ब्लॉक में 30 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। यहां दो तरह के क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। महाराष्ट्र और इंदौर सहित देश के ऐसे शहर या इलाके जो रेड जोन हैं और वहां कोरोना पॉजिटिव की संख्या ज्यादा है, यहां से आए मजदूरों को शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल कुटीघाट में बने क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है। गुरुवार तक वहां 45 से अधिक श्रमिक पहुंच चुके थे। यहां रखे गए मजदूरों से उनके परिजन आकर मिल रहे हैं यह गंभीर है। इससे सामुदायिक संक्रमण का खतरा है। इससे जांजगीर-चांपा जिले के साथ ही पड़ोसी जिलों को भी खतरा हो सकता है। दूसरा क्वारेंटाइन सेंटर मेंहदी के हायर सेकंडरी स्कूल को बनाया है, यहां ग्रीन जोन से आने वाले लोग रखे जाएंगे। इन दो क्वारेंटाइन सेंटर में हाउसफुल होने के बाद दूसरे सेंटर में मजदूरों को रखा जाएगा।
बच्चों के डॉक्टरभी गैर जिम्मेदार
कोटा में रह रहे जिले के 130 विद्यार्थियों को मंगलवार की रात राजधानी रायपुर से जांजगीर लाया गया। यहां सभी बच्चों को लाइवलीहुड कॉलेज लाया गया। पालकों से बच्चों को होम आइसोलेशन में रखे जाने का शपथ पत्र लिया गया। रात में नगर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके प्रसाद अपनी बेटी को लेने गए। उन्होंने क्वारेंटाइन में रहने के लिए शपथ पत्र भी दिया लेकिन घर पहुंचते ही शपथ भूल गए। सुबह वे अपने क्लीनिक में भी इलाज करने के लिए बैठ गए। जब प्रशासनिक अफसरों को इसकी जानकारी हुई तो अधिकारी उनके क्लीनिक पहुंचे ओर उन्हें फटकारते हुए क्लीनिक बंद कराया तथा क्वारेंटाइन में रहने के लिए निर्देशित किया।
ग्राम कापन में देसी शराब दुकान को हटाने की मांग पर गांव की महिलाएं चार दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। गुरुवार की सुबह 9 बजे शराब दुकान के सामने विरोध प्रदर्शन के लिए महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचीं।
दोपहर 2 बजे धूप तेज होने से सुबह 9 बजे से बैठी गांव की श्याम बाई एवं रथबाई कश्यप दोनों महिलाएं चक्कर खाकर जमीन पर गिर पड़ी। पास में बैठी अन्य महिलाओं द्वारा दोनों महिलाओं के ऊपर पानी छिड़क कर होश में लाने का प्रयास किया गया। दोनों महिलाओं की हालत बिगड़ने पर धरना प्रदर्शन स्थल में बैठी अन्य महिलाओं द्वारा ग्राम कापन के सरपंच शंकर लाल गौतम को सूचना दी गई। सरपंच द्वारा 112 को सूचना दी गई, लेकिन दोनों वाहनों के पहुंचने में देरी होने पर सरपंच शंकर लाल गौतम द्वारा अपने निजी वाहन से दोनों महिलाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। डॉक्टर द्वारा प्राथमिक उपचार करने के बाद दोनों महिलाओं को एहतियात के तौर पर हॉस्पिटल में ही इलाज के लिए रखा गया। ग्राम कापन में 4 मई से देसी शराब दुकान को बंद कराने के लिए गांव की महिलाओं द्वारा चार दिनों से सुबह 9 से शाम 4 बजे तक विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
जमीन में सोए एक मासूम व एक युवक को बुधवार की रात जहरीले सांप ने डस लिया। घरवालों को गुरूवार की सुबह घटना की जानकारी हुई। मासूम साहिल का इलाज कराने के लिए उसे कैथा ले गए तो युवक शिवकुमार रोहिदास को बिलासपुर ले जा रहे थे। दोनों की मौत हो गई। घटना शिवरीनारायण थाना क्षेत्र के ग्राम लोहर्सी की है।
पामगढ़ थाना के एएसआई हरनारायण ताम्रकर के अनुसार ग्राम लोहर्सी के शिवकुमार रोहिदास के घर उसके रिश्तेदार बोरसी निवासी उसका मौसा नंदकुमार अपने चार साल के बेटे साहिल के साथ आया था। बुधवार की रात तीनों जमीन में सोए थे कि देर रात किसी जहरीले सांप ने शिवकुमार रोहिदास और साहिल को डस लिया। घटना की जानकारी घरवालों को गुरूवार की सुबह लगभग 5 बजे हुई।आनन फानन में डायल 112 को फोन से बुलाया गया।
इस बीच साहिल के पिता नंदकुमार साहिल का झाडफूंक कराने के लिए उसे कैथा ले गया। वहीं शिवकुमार को नीजि एंबुलेंस से बिलासपुर ले जाया जा रहा था, तब तक सांप का जहर फैल गया और रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। वापस पामगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दोनों मामलों में मर्ग कायम किया है।
इलाज कराते तो शायद बच सकती थी जान
चार साल के मासूम साहिल को उसके पिता झाड़फंूक कराने के लिए कैथा ले गए, किंतु वापस फिर से उसे अस्पताल लाया गया, तब तक देरी हो चुकी थी और सांप का जहर मासूम के शरीर में फैल चुका था।